“लो बोलो अभी तक ऐसे ही खड़े हो? क्या मेरी राह देख रहे थे?” उसने मंजू का हाथ पकड़ते हुए थोडा गुस्से भरे स्वरों में कहा.
“हां बस हम दोनों तुम्हारी तो राह देख रहे थे” मंजू ने अपना हाथ पूजा के हाथ से छुडाने का नाटक करते हुए बोली.
रमेश भी अचरज में आ गया की एकदम से ये मंजू को क्या हुआ, अभी तो अच्छे से सेक्स की बात कर रही थी और मेरी बन गई थी और उसके गहराई को नाप ने को कह रही थी, और अभी जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो ऐसा व्यवहार कर रही है. हालाकि वो समज गया की ये सब मंजू के नाटक है क्यों की अभी उसने कहा था की पुँज की उपश्थिति में वो कुछ नाटक करेगी.
पूजा ने उसका हाथ थमा और उसे रमेश की और खीचा और बोली: “तुम दोनों तो ऐसा कर रहे हो जैसे कोलेज में नए नए प्रेमी उनकी पहली डेट पे गए हो”.
“चलो अब खेल शुरू करो यार ऐसे नहीं चलेगा”. (आप Funlover) रमेश को डाँटते हुए बोली “रमेश यार तुम्हे माल चाहिए तो माल को पकड़ के खेलना पड़ेगा ऐसे ही कोई माल अपने आप तो आएगी नहीं चाहे वो वेश्या क्यों न हो”.
चलो मम्मी को पकड़ो और खेलो उस के साथ जैसे निचे खेल रहे थे और ऊपर आते वक़्त उसके कुल्हो से खेल रहे थे अब आगे भी चलो और मम्मी अब तुम्हे भी तो कुछ करना है ये सब पहली बार तो नहीं तुम्हारे साथ, तुम पहले दीपू से ऐसा कर रही थी और अब जमाई से ऐसा कैसे चलेगा मस्त माल हो तो माल से खिलवाओ भी”.
“हा हा मैंने कब मन किया मै तो प्रोमिस निभा रही हु”.
“जो भी हो अब प्रोमिस कहो या मन से करो लेकिन अपना माल दिखाओ अब जमाईबाबू को और उसको अपने माल से खेल ने दो” कह के रमेश का हाथ पकड़ के मंजू के स्तनों पर रख दिया और बोली: “दबाव उसे और ढीले करो देखो कितने कड़क हो गए है तुम्हरे हाथी के बिना”
“मसल मसल के उसे रुई जैसे बना दो अब”
दोनों को एक धक्का देते हुए दोनों को मिला दिया और वो टेबल की तरफ बढ़ी ताकि वो बियर का केन ले सके| तभी मौक़ा देख कर मंजू ने रमेश के कानो में धीरे से कहा ”चलो अब दबावो और जो करना है करो लेकिन मुझे ठंडी करो यार मेरा सहना अभी कठिन हो रहा है कह के उसने अपना पंजा रमेश के लंड को दबाते हुए कहा.
“हा मुझसे भी तो रहा नहीं जाता डार्लिंग” रमेश मंजू के कान में फुसफुसाया|
“अब मेरी इस पहाडो की उंचाई भी मुज से सहन (रचना पढ़ रहे है)नहीं होती और नाही पीछे की खाई मेरी दरार को फैलाओ और उसे कुछ प्रेम करो. मेरी सभी अमानाते जिस ने तुम्हे उतना तड़पाया उस सब को आज ही अपना हिसाब पूरा करो, मेरी खाई को अपना हिसाब चुकते करो” कह के उसने रमेश को बहोत जोरो से चूमना चालु किया.
“yes मम्मी ये बात हुई ना चूस डाल अपने जमाईराज को जितना हो सके साला बहोत तेरी छेदों से प्यार करता था” कह के वो नजदीक आई और मंजू से प्रेम करने लगी|
मंजू ने भी अब अच्छा परतिभाव देते हुए अपनि बेटी को खड़े कहदे एक स्तन कको मसलना चालू किया तभी पूजा थोड़ी घूमी ताकि मंजू अपब बितर के पास आ गई. तभो रमेश ने मंजू की मेक्सी को पकड़ा और थोडा खीचा तो मंजू उसे नकार में अपना सर हिलालाते हुए थोड़ी सिकुड़ी और बिस्तर पे बैठ गई ताकि रमेश कुछ कर ना सके. पर पुँज अब नहीं मानने वाली थी उसने मम्मी को ठीक से बैठने दिया और फिर रमेश को कहा “अब हमला करो रमेश साली बहोत तदपा रही थी तुम्हे आज उसके सभी छेद तुम्हारे है”.
मंजू सिर्फ हल्का सा मुश्कुराई और थोडा सा विरोध करने लगी लेकिन उसकी आँखे रमेश को आगे बढ़ने को कह रही थी जो रमेश अब बाखूबी समज रहा था उसे भी और मंजू के नाटक को भी. उसने मंजू के सामने आँख मारी और मंजू ने सामने भी वोही जवाब देते हुए अपनी एक आँख बंध की|
अब पूजा थोड़ी हिली और पूरी कड़ी होक अपना गाउन निचे से उठा के अपने सर की और ले गई और बोली: “तुम दोनों से अब कुछ होनेवाला नहीं है मुझे ही करना पड़ेगा चलो मै नंगी हो रही हु”|
और फटाक से उसने अपना गाउन निकाल दिया, अब कहने की तो जरुरत ही नहीं है की उसने अन्दर कुछ पहना ही नहीं था नहाने के बाद तो उसके बोबले अपना डांस दिखाते हुए मुक्त हो गए अपने थोड़े से बंधन से| और फिर उसने एक केन उठाया और उसको खोला और एक घूंट भरा अपने मुह में और मंजू की ऑर देख के रमेश को इशारे से अपना मुह खोलने को कहा| रमेश ने अपना मुह खोला और पूजा ने अपना वो घूंट रमेश के मुह में भर दिया और इशारे से कहा मंजू को पिला दो| रमेश अब मंजू की ऑर निचे की तरफ झुका और मंजू को अपना मुह खोल ने को इशारे से कहा पर मंजू ने नहीं खोले| तभी रमेश न उसका मुह पकड़ा और मुह को मंजू के मुह के करीब ले गया, मंजू भी तो यही चाहती थी पर उसने मुह इधर उधर किया लेकिन खोल दिया और रमेश ने अपना घूंट उसके मुह में डाल दिया और मंजू ने वो घूंट गटक कर गई|
पूजा खुश होती हुई बोली: “गुड गर्ल, मम्मी अब ये करते है कह के रमेश जहा खड़ा था मंजू के पास वह मंजू का मुह ले गई और बोली: “ये भी तो तेरी किस चाहता है” उसने रमेश के लंड की तरफ इशारे से कहा और रमेश को कहा “अपने माल को देखेगा नहीं रमेश अन्दर से कैसी है?”
रमेश ने मंजू की तरफ देखा तो मंजू ने नकार में अपनी डोक हिलाई और पूजा के सामने देखा, तो पूजा का ध्यान उस वक़्त रमेश के लंड के उभार की तरफ था तो तुरंत रमेश के तरफ देखा और आगे बढ़ने का इशारा किया|
मंजू मन ही मन में सोच रही थी की कितना नाटक करू मुझे भी तो अब प्यास लगी है और रमेश को कितना तडपाऊ वैसे भी वो अपने लंड में पानी नहीं रख सकता| शायद मुझे अब ज्यादा नाटक नहीं करना चाहिए और पूजा भी तो नहीं चाहती| लेकिन डर ये बात का है की पूजा और रमेश दोनों ये समजेगे की मै कितनी व्यभिचारी हु| अपने जमाई का लंड से खेल रही हु और शर्म भी नहीं| well थोड़ी असमंजस से सोचती रही लेकिन आखिर उसके सभी छेदों की इच्छा के अनुसार अब ज्यादा नाटक ना करने का निश्चय कर ही लिया| (वैसे भी वोही तो होना था वो कुछ नया नहीं कर रही थी उसे भी तो वोही चाहिए था)|
क्रमश: