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Incest तीनो की संमति से .....

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Funlover

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मेरे सभी पाठको को से एक नम्र निवेदन आवेदन अरजी request या फिर जो भी आप समजते है

आप मेरी द्वारा लिखी गई कहानी आप को मनोरंजन देती है मै नहीं

कृपया मुझे अपना मनोरंजन का साधन ना समजे उसी में सब की भलाई है ( मेरी भी और आपकी भी)

अपने आप को कंट्रोल में रखना आप का काम है मेरा नहीं

जैसे आप कहानी पढ़ के मनोरंजित होते है वैसे ही दूसरी महिलाए भी अपने आप को मनोरंजीत करने आती है अपनी नुमाईश या अपने शरीर द्वारा आप का मनोरंजन करने नहीं

महिलाओं को अभी उतना ही हक है जितना आपको है महिला को सन्मान दीजिये


अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप को निवेदन है की मेरा ये थ्रेड आपके लिए उचित नहीं है .............................

आप कहानी पे किसी भी पात्र पे कोई भी कोमेंट करे लेकिन लिखनेवाले पे नहीं ..........

आप की हर कोमेंट आवकार्य है बस थोडा सा कंट्रोल के साथ ....


आप सब की आभारी हु ......
 
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Funlover

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Story to mast hai lekin hero koun hai samajh nahi aa raha hai .......
बहत ही बढ़िया सवाल है ये, बेहतरीन सवाल ....

मुझे उम्मीद तो थी की ये सवाल आना चाहिए किसी के तरफ से ................


वैसे मैंने इस कहानी में सभी पात्रो को बराबर का हिस्सा देने की कोशिश की है फिर भी कही चुक रह गई हो तो माफ़ी चाहती हु

अब शायद ये कह सकते है की सभी हीरो है और सभी हिरोइन है .........किसी एक पे ये कहानी को नहीं चलाई मैंने .........

आगे आप को पता चलेगा पढ़ते रहिये

वैसे मै जान ना चाहूंगी की आप (पाठको) के हिसाब से हीरो कौन होना चाहिए ??????????????????? सवाल आपके सामने है और जवाब कहानी से ले लीजिये ...........


शुक्रिया ....



कहानी के अंत में मै मेरा हीरो बता दूंगी प्रोमिस
 

Funlover

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चलिए कहानी में आगे जाते है
 

Funlover

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“लो बोलो अभी तक ऐसे ही खड़े हो? क्या मेरी राह देख रहे थे?” उसने मंजू का हाथ पकड़ते हुए थोडा गुस्से भरे स्वरों में कहा.



“हां बस हम दोनों तुम्हारी तो राह देख रहे थे” मंजू ने अपना हाथ पूजा के हाथ से छुडाने का नाटक करते हुए बोली.



रमेश भी अचरज में आ गया की एकदम से ये मंजू को क्या हुआ, अभी तो अच्छे से सेक्स की बात कर रही थी और मेरी बन गई थी और उसके गहराई को नाप ने को कह रही थी, और अभी जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो ऐसा व्यवहार कर रही है. हालाकि वो समज गया की ये सब मंजू के नाटक है क्यों की अभी उसने कहा था की पुँज की उपश्थिति में वो कुछ नाटक करेगी.



पूजा ने उसका हाथ थमा और उसे रमेश की और खीचा और बोली: “तुम दोनों तो ऐसा कर रहे हो जैसे कोलेज में नए नए प्रेमी उनकी पहली डेट पे गए हो”.



“चलो अब खेल शुरू करो यार ऐसे नहीं चलेगा”.
(आप Funlover) रमेश को डाँटते हुए बोली “रमेश यार तुम्हे माल चाहिए तो माल को पकड़ के खेलना पड़ेगा ऐसे ही कोई माल अपने आप तो आएगी नहीं चाहे वो वेश्या क्यों न हो”.




चलो मम्मी को पकड़ो और खेलो उस के साथ जैसे निचे खेल रहे थे और ऊपर आते वक़्त उसके कुल्हो से खेल रहे थे अब आगे भी चलो और मम्मी अब तुम्हे भी तो कुछ करना है ये सब पहली बार तो नहीं तुम्हारे साथ, तुम पहले दीपू से ऐसा कर रही थी और अब जमाई से ऐसा कैसे चलेगा मस्त माल हो तो माल से खिलवाओ भी”.



“हा हा मैंने कब मन किया मै तो प्रोमिस निभा रही हु”.



“जो भी हो अब प्रोमिस कहो या मन से करो लेकिन अपना माल दिखाओ अब जमाईबाबू को और उसको अपने माल से खेल ने दो” कह के रमेश का हाथ पकड़ के मंजू के स्तनों पर रख दिया और बोली: “दबाव उसे और ढीले करो देखो कितने कड़क हो गए है तुम्हरे हाथी के बिना”



“मसल मसल के उसे रुई जैसे बना दो अब”



दोनों को एक धक्का देते हुए दोनों को मिला दिया और वो टेबल की तरफ बढ़ी ताकि वो बियर का केन ले सके| तभी मौक़ा देख कर मंजू ने रमेश के कानो में धीरे से कहा ”चलो अब दबावो और जो करना है करो लेकिन मुझे ठंडी करो यार मेरा सहना अभी कठिन हो रहा है कह के उसने अपना पंजा रमेश के लंड को दबाते हुए कहा.



“हा मुझसे भी तो रहा नहीं जाता डार्लिंग” रमेश मंजू के कान में फुसफुसाया|



“अब मेरी इस पहाडो की उंचाई भी मुज से सहन
(रचना पढ़ रहे है)नहीं होती और नाही पीछे की खाई मेरी दरार को फैलाओ और उसे कुछ प्रेम करो. मेरी सभी अमानाते जिस ने तुम्हे उतना तड़पाया उस सब को आज ही अपना हिसाब पूरा करो, मेरी खाई को अपना हिसाब चुकते करो” कह के उसने रमेश को बहोत जोरो से चूमना चालु किया.




“yes मम्मी ये बात हुई ना चूस डाल अपने जमाईराज को जितना हो सके साला बहोत तेरी छेदों से प्यार करता था” कह के वो नजदीक आई और मंजू से प्रेम करने लगी|



मंजू ने भी अब अच्छा परतिभाव देते हुए अपनि बेटी को खड़े कहदे एक स्तन कको मसलना चालू किया तभी पूजा थोड़ी घूमी ताकि मंजू अपब बितर के पास आ गई. तभो रमेश ने मंजू की मेक्सी को पकड़ा और थोडा खीचा तो मंजू उसे नकार में अपना सर हिलालाते हुए थोड़ी सिकुड़ी और बिस्तर पे बैठ गई ताकि रमेश कुछ कर ना सके. पर पुँज अब नहीं मानने वाली थी उसने मम्मी को ठीक से बैठने दिया और फिर रमेश को कहा “अब हमला करो रमेश साली बहोत तदपा रही थी तुम्हे आज उसके सभी छेद तुम्हारे है”.



मंजू सिर्फ हल्का सा मुश्कुराई और थोडा सा विरोध करने लगी लेकिन उसकी आँखे रमेश को आगे बढ़ने को कह रही थी जो रमेश अब बाखूबी समज रहा था उसे भी और मंजू के नाटक को भी. उसने मंजू के सामने आँख मारी और मंजू ने सामने भी वोही जवाब देते हुए अपनी एक आँख बंध की|



अब पूजा थोड़ी हिली और पूरी कड़ी होक अपना गाउन निचे से उठा के अपने सर की और ले गई और बोली: “तुम दोनों से अब कुछ होनेवाला नहीं है मुझे ही करना पड़ेगा चलो मै नंगी हो रही हु”|



और फटाक से उसने अपना गाउन निकाल दिया, अब कहने की तो जरुरत ही नहीं है की उसने अन्दर कुछ पहना ही नहीं था नहाने के बाद तो उसके बोबले अपना डांस दिखाते हुए मुक्त हो गए अपने थोड़े से बंधन से| और फिर उसने एक केन उठाया और उसको खोला और एक घूंट भरा अपने मुह में और मंजू की ऑर देख के रमेश को इशारे से अपना मुह खोलने को कहा| रमेश ने अपना मुह खोला और पूजा ने अपना वो घूंट रमेश के मुह में भर दिया और इशारे से कहा मंजू को पिला दो| रमेश अब मंजू की ऑर निचे की तरफ झुका और मंजू को अपना मुह खोल ने को इशारे से कहा पर मंजू ने नहीं खोले| तभी रमेश न उसका मुह पकड़ा और मुह को मंजू के मुह के करीब ले गया, मंजू भी तो यही चाहती थी पर उसने मुह इधर उधर किया लेकिन खोल दिया और रमेश ने अपना घूंट उसके मुह में डाल दिया और मंजू ने वो घूंट गटक कर गई|



पूजा खुश होती हुई बोली: “गुड गर्ल, मम्मी अब ये करते है कह के रमेश जहा खड़ा था मंजू के पास वह मंजू का मुह ले गई और बोली: “ये भी तो तेरी किस चाहता है” उसने रमेश के लंड की तरफ इशारे से कहा और रमेश को कहा “अपने माल को देखेगा नहीं रमेश अन्दर से कैसी है?”



रमेश ने मंजू की तरफ देखा तो मंजू ने नकार में अपनी डोक हिलाई और पूजा के सामने देखा, तो पूजा का ध्यान उस वक़्त रमेश के लंड के उभार की तरफ था तो तुरंत रमेश के तरफ देखा और आगे बढ़ने का इशारा किया|




मंजू मन ही मन में सोच रही थी की कितना नाटक करू मुझे भी तो अब प्यास लगी है और रमेश को कितना तडपाऊ वैसे भी वो अपने लंड में पानी नहीं रख सकता| शायद मुझे अब ज्यादा नाटक नहीं करना चाहिए और पूजा भी तो नहीं चाहती| लेकिन डर ये बात का है की पूजा और रमेश दोनों ये समजेगे की मै कितनी व्यभिचारी हु| अपने जमाई का लंड से खेल रही हु और शर्म भी नहीं| well थोड़ी असमंजस से सोचती रही लेकिन आखिर उसके सभी छेदों की इच्छा के अनुसार अब ज्यादा नाटक ना करने का निश्चय कर ही लिया| (वैसे भी वोही तो होना था वो कुछ नया नहीं कर रही थी उसे भी तो वोही चाहिए था)|


क्रमश:
 
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Funlover

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तभी पूजा उठी और मंजू की तरफ देखते हुए बोली “ चलो अब मम्मीजी आप का ये छोटा सा खिलौना से खेलो और रमेश तुम उसकी गहराई को तो नापो कितनी है मुझे बताओ भी”|



और पूजा ने अपनी मम्मी की मेक्सी की आगे चेईन खोल दी और तुरंत ही दो पहाडो ने कूद कर बहार की और आ गए और रमेशको आकर्षित करते रहे| फिर पूजा ने मम्मी को बीएड से उठाया और मम्मी को रमेश के हवाले करते हुए कहा “ये लो अब उसके पहाड़ भी बहार खिंच दिए है अब जरा जैम को चुसो और जितना मर्जी आये चुसो उसे लाल लाल करने की छुट है आज तुम्हे”|



जैसे ही मंजू उठ रही थी तो उसकी मेक्सी के पीछे की चेईन भी पूजा ने खोल दी| जैसे ही ऐसा हुआ की मंजू ने अपने कंधे झटकाए जिस से मेक्सी ने जमीन पर सीधी चोट
(आप) खाती हुई उसके दोनों पैरो पे पड़ी|


अब नज़ारा ये था की रमेश से चिपकी हुई म्न्जुके शरीर पे अब सिर्फ एक G-string ही थी जो उसकी भोस को कुछ तरीके से ढके हुए थी|



पूजा ने मंजू को रमेश के अलग करते हुए रमेश को सामने की ऑर खिंचा और बोली “जिसे देखने के लिए तुमने इतना सब किया वो आज पूरी दिख रही है देखो अपने माल को जिसके लिए तुम तरस रहे थे या फिर तड़प रहे थे, आज तुम्हे वो मौक़ा मिला है की अपनी सांस को पूरी नंगी देखो और उसका इस्तमाल करो”| मंजू सर मुंडी निचे किये हुए जमीन की ऑर देख रही थी और अपने एक पैर के नाखुनो से जमीन पर लगी टाइल्स को खरोद रही थी| उसे ये उम्मीद नहीं थी की रमेश उसे पूरी इस तरह देखेगा और पूजा ऐसा करेगी पर उसे अब को इप्रोब्लेम नहीं था|



रमेश ने देखा और बोला: “मेरे सपनो की रानी हो तुम मंजू”

लेकिन मंजू को एहसास हुआ की उसकी चूत से निकल रहा पानी जो की अब उसकी पेंटी चूस ने के काबिल नहीं थी जितना चूस सकती थी उसने चूस लिया हुआ था| अब चूत रस जान्गो के बिच से उसके पैरो की तरफ उसका रास्ता बना रही थी| मंजू ने पूजा की चूत केतरफ देखा जो की पहले से ही पेंटी में नहीं थी उसके आधी जाँगे उसके चूत रस से भीगी हुई थी तो उसे थोड़ी रहत मिली की वो अकेली नहीं है जो चूत
ये रस बहा रही है|




रमेश को मंजू को अपने बदन का नुमाईश कराते हुए सोच रही थी की अब क्या किया जाये| जब की रमेश को और कुछ भी नहीं सूज रहा था बस वो मंजू को निहारे जा रहा था| पुआ उसके पेंट को ढीला कर के उसे खीच दिया और वो अब नंगा हो चुका था पर उसे वो सब ध्यान नहीं था वो तो बस मंजू की चूत की ऑर देखे जा रहा था| कहते है ना जिस की अपेक्षा या आशा ना हो वो सामने हो या वो चीज सामने आये तो व्यक्ति को कोई भान नहीं रहता| वो अपनी सूजबुज़ खो बैठता है और अपने ही परिकल्पना में खो जाता है बस ऐसा ही सिच्युएशन थिरमेश की भी वो इस दुनिया में नहीं था वो मंजू की खूबसूरती, उसका गठीला बदन और मोटे से स्तनों के बारी बारी देख रहा था और कभी कभी उसकी चूत की ऑर देख रहा था| उसका ध्यान (कहानी Funlover)तब भंग हुआ जब पूजा उसके लंड से खलेने लगी| रमेश की बाहे अपने आप चौड़ी हो गई और मंजू को निमंत्रण दे रहा था की आगे आये और उसकी भुजा में समा जाए| मंजू धीरे से आगे बढ़ी और दो चार कदम दूर चलते ही मंजू रमेश की छाती से लिपट गई| अब सिर्फ रमेश ही दिख रहा था मजू उसके शरीर से चिपकी हुई थी| पूजा ये देख के बहोतखुश हुई| उसने भी धीरे से मंजू इ पीठ को सवारते हुए बोली “साली मस्त माल कोई ना कहे की उसके दो बड़े वयस्क बच्चे है उनमे से एक बड़ी बेटी आज उसकी चूत से खेल रही है मस्त माल हो तुम मम्मी”|

अब जाके दोनों को ख्याल आया की पूजा भी है, मंजू ने भी धीरे से कहा “ तू भी तो मस्त माल ही तो है तुजे देख के कौन नही चोदेगा”? (रचना पढ रहे है)



पूजा ने मंजू को रमेश से अलग करते हुए उसे थोडा घुमाया जिस से मंजू की गांड अब रमेश के सामने आ गई| पूजा ने मंजू के दू कुल्हो को चौड़ा किया और बोली: “देखो रमेश इसी गहराई ने तुम्हे तंग किया हुआ था ना?”

रमेश भी अब मंजू की गांड के छेद के नजदीक आया और बोला “मंजू तुम में सब कुछ है जो मुझे चाहिए| हा मुझे तेरी इसी गांड ने पागल कर रहा था और इसी ने मुझे ये सब करवाया”|



पूजा: “तो अब देर किस बात की है जिस ने तुजे तड़पाया अब वो छेद तुम्हारे सामने है आओ और आगे बढ़ो” कह के उसने रमेश का एक हाथ की ऊँगली को मंजू की गांड के छेद पे रखा और बोली “डालो अब जितनी मारना चाहो मारो हम दोनों अनल जेल लगाके बैठी हुई है तो आराम से तुम्हारी ऊँगली से उसकी गांड को चोदो| बस उतना सुनते ही रमेश ने मंजू गांड में एक ऊँगली सरका दी| वैसे दोनों को पता था इसलिए दोनों मा बेटी ने अपनी गांड में पूरी तरह से जेल भरा रखा था ताकि रमेशको को इतक्लिफ ना हो और आराम से गांड चोद सके| थोड़ी देर रमेश की ऊँगली उसकी गांड में रही और फिर धीरे से आगे पीछे करने लगा|

मंजू: “रमेश वो जगह मेरी बहोत ही सेंसिटिव है ज्यादा करोगे तो मै झड जाउंगी”|

रमेश: “मुझे पता है डार्लिग तेरा सब कुछ मुझे पता है, आज जो होता है बस होने दे”| और रमेश ने उसे पाने से चिपका लिया

पूजा: “मुझे पता है की मम्मी को सिर्फ उसकी चूत मार ने से आराम नहीं मिलता पर उसकी गांड मरवा के मजा आती है जैसे मै” और वो हस दी


रमेश: “हां जैसी मा है वैसी बेटी होगी ही”|


क्रमश:

बने रहिये
 
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Gazab...plz continue
 

Acha

Member
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very very nice.......................................................................................................................................................
 

Raj Singh

Well-Known Member
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बहत ही बढ़िया सवाल है ये, बेहतरीन सवाल ....

मुझे उम्मीद तो थी की ये सवाल आना चाहिए किसी के तरफ से ................


वैसे मैंने इस कहानी में सभी पात्रो को बराबर का हिस्सा देने की कोशिश की है फिर भी कही चुक रह गई हो तो माफ़ी चाहती हु

अब शायद ये कह सकते है की सभी हीरो है और सभी हिरोइन है .........किसी एक पे ये कहानी को नहीं चलाई मैंने .........

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Story ki starting me hero Deepu hi main Hero tha. Lekin jo aapko achchha lage
 

Funlover

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very very nice.......................................................................................................................................................
शुक्रिया दोस्त
 

Funlover

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Story ki starting me hero Deepu hi main Hero tha. Lekin jo aapko achchha lage
जी आप ने सही कहा शुरुआत में तो दिप्पू ही हीरो है

अब देखते है आगे कहानीमे कैसे हो सकता है अंत तक बने रहिये और देखिये फिर मुझे बताना के आप के हिसाब से हीरो कौन है
 
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