• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest तीनो की संमति से .....

Funlover

I am here only for sex stories No personal contact
14,738
20,422
229
मेरे सभी पाठको को से एक नम्र निवेदन आवेदन अरजी request या फिर जो भी आप समजते है

आप मेरी द्वारा लिखी गई कहानी आप को मनोरंजन देती है मै नहीं

कृपया मुझे अपना मनोरंजन का साधन ना समजे उसी में सब की भलाई है ( मेरी भी और आपकी भी)

अपने आप को कंट्रोल में रखना आप का काम है मेरा नहीं

जैसे आप कहानी पढ़ के मनोरंजित होते है वैसे ही दूसरी महिलाए भी अपने आप को मनोरंजीत करने आती है अपनी नुमाईश या अपने शरीर द्वारा आप का मनोरंजन करने नहीं

महिलाओं को अभी उतना ही हक है जितना आपको है महिला को सन्मान दीजिये


अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप को निवेदन है की मेरा ये थ्रेड आपके लिए उचित नहीं है .............................

आप कहानी पे किसी भी पात्र पे कोई भी कोमेंट करे लेकिन लिखनेवाले पे नहीं ..........

आप की हर कोमेंट आवकार्य है बस थोडा सा कंट्रोल के साथ ....


आप सब की आभारी हु ......
 
Last edited:

Rouny

New Member
78
42
18
7

मैंने अपना लण्ड हाथ में पकड़ा और दीदी के बेड के नज़दीक चला गया, फिर उसके चेहरे के करीब खड़ा होकर मैंने मूठ मारना शुरू कर दिया।

एक बार फिर तसल्ली करने के लिये मैंने दीदी को बुलाकर चेक किया-“दीदी, दीदी…”

वो नहीं बोली, तो मैंने धीरे-धीरे अपने लण्ड की टोपी दीदी के होंठों से छुआ दी। मेरे लण्ड से निकला प्री-वीर्य दीदी के होंठ पे लग गया।

और उस लूबिकैंट से दीदी के होंठ और मेरे लण्ड में एक ग्लू जैसा, पतले तार जैसा कनेक्शन बन गया। मैं मूठ मारे जा रहा था, दिल चाह रहा था कि उसका नाइट सूट उतारकर अपना लण्ड उसके अंदर कर दूं। लेकिन डरता भी था, कि अगर जाग गई तो पता नहीं क्या हो जायगा?

मेरा दिल चाह रहा था कि दीदी का टाप उठाकर उसके पेट और चूचियों को किस करूँ, उसकी चूत चाटूं, लेकिन इतनी बहादुरी किधर से लाता? मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे बहुत भूख के टाइम पे मुझे टाप क्लास मिठाई की दुकान में बंद कर दिया हो, लेकिन किसी भी चीज़ को खाने का हुकुम ना हो। मेरे सामने हाट केक पड़ा था लेकिन टच तक नहीं कर सकता था।

फिर दीदी ने हल्की सी अंगड़ाई के साथ अपना जिश्म सीधा कर लिया और अपने दोनों हाथ पेट पे रख लिए। अब उभरी हुए चूचियां गले की तरफ से आधी नंगी नज़र आ रही थीं, बाकी का टाप चूचियों के नीचे एकट्ठा होने की वजह से गोरी-गोरी नाभि भी सॉफ नज़र आ रही थी। दीदी के ट्राउजर की इलास्टिक के साथ-साथ थोड़ी सी गुलाबी कलर की पैंटी की इलास्टिक भी नज़र आ रही थी। बस अब कंट्रोल करना मुश्किल था, तो मैंने अपनी मूठ मारने की स्पीड तेज और तेज कर दी।

सामने पड़ा दीदी का गोरा बदन देखकर मेरे लंड से पानी निकलने में ज्यादा टाइम नहीं लगा। मैं दायें हाथ से मूठ मार रहा था और जब मेरा पानी निकलने लगा तो मैंने अपना बायां हाथ आगे करके लण्ड के पानी को दीदी के ऊपर गिरने से रोकने की कोशिश की, लेकिन फिर भी मेरी पिचकारी से 3-4 बूँद दीदी के टाप पे गिर गई। मैं जल्दी से लण्ड पकड़े सीधा अटैच्ड टायलेट में चला गया और वहां पे पहले पेशाब करके फिर लण्ड को सॉफ करने लगा।

जब फ्लश करने के बाद टायलेट से बाहर निकला तो दीदी आँखें मलती टायलेट के सामने खड़ी स्लीपी आवाज़ में बोली-“दीपू, तुम अभी तक सोये नहीं? सो जाओ अब सुबह कर लेना बाकी…”

मैं दीदी के टाप पे पड़े अपने वीर्य की 3-4 बूँदों की तरफ देखकर बोला-“बस दीदी, अब हो गया, बाकी कल देखूंगा…”

मेरे बाहर आते ही दीदी टायलेट में चली गई। मैं अपने बेड पे ढेर हो गया और दिमाग़ में ख्याल आ रहा था, मुझे लग रहा था कि दीदी जाग रही थी, और हो सकता है कि मेरा लण्ड देखकर उसका मूड बन गया हो और वो भी अब फिंगरिंग करने के लिए टायलेट में गई हो। मगर पता कैसे लगाया जाये कि दीदी के दिल में क्या है? वैसे भी अब तक कितनी बार तो कोशिश कर चुका हूँ, उल्टा बातें सुननी पड़ती हैं।

लेकिन मैं तो अब शांत हो चुका था इसलिये सोचने लगा-“दीदी, अपने आपको पता नहीं क्या समझती हैं? साला जब भी कोशिश करता हूँ, डाँट देती है। अगर दिल है तो चुप रहकर भी तो रेस्पॉन्स दे सकती है? फिर सोचा कि चल छोड़ कोई और लड़की देख ले चोदने के लिये। लेकिन जब भी कोशिश करता था कि किसी दूसरी लड़की से बात करके उसको चोदने की प्लानिंग कर लूँ तो मेरा दिल नहीं मानता था। ऐसा लगता था कि मेरी दीदी जैसी सेक्सी और खूबसूरत लड़की और कोई बनी ही नहीं है, दीदी की बड़ी-बड़ी गोल मस्त चूचियां और उभरी हुई गाण्ड हमेशा मेरी आँखों के सामने रहती थी और जो चुदाई का मज़ा अपनी बहन के साथ है वो किसी और के साथ नहीं मिल सकता…” हां एक और भी है पर साली वो भी मा बनी हुई है!!!!

फिर एक दिन दीदी अकेली सोफे पे लेटी टीवी देख रही थी, उसने हल्के ब्लैक कलर की पतली और एकदम फिट सलवार कमीज़ पहन रखी थी। उसने दाईं कोहनी पे अपना वजन रखा हुआ था और टांगें भी तकरीबन सोफे के ऊपर ही थीं, उसकी दाईं बाँह और दाईं टांग नीचे वाली साइड और बाईं बाँह और बाईं टांग ऊपर वाली साइड पे थी, उसके दायां हाथ के ऊपर उसका दायां गाल था जिससे उसके सर का वजन बैलेन्स हुआ था। दाईं साइड पे टेढ़ी लेटी होने के कारण दीदी की कमीज़ का कमर से नीचे का हिस्सा बल खाकर उसके पेट पे आ चुका था, जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच वाला हिस्सा भी सॉफ-सॉफ नज़र आ रहा था। पटियाला सलवार में मेरी बहन की टांगें उसके नरी तक नज़र आ रही थीं।

लेकिन उसका ध्यान तो टीवी की तरफ था। मैं कुछ देर खड़ा अपनी दीदी की सेक्सी बोडी को देखता रहा, मेरी नज़र दीदी के सर से शुरू हुई, दीदी के सिल्की बाल, गोरी लंबी गर्दन, और उसके गोरे जिश्म पे कमीज़ के गले में से बाहर झाँक रही तनी हुई चूचियां, पतली कमर, फिर उभरी हुई गाण्ड और लंबी टांगें, मैं देखकर पागल हो रहा था। लेकिन दीदी को कुछ खबर ही नहीं थी। उसकी चुनरी भी साइड पे पड़ी हुई थी। मैंने सोचा मौका अच्छा है दीदी को गरम करके देखता हूँ।

बने रहे
Nice planning to make horney
 

Rouny

New Member
78
42
18
8

दीदी अब तक कुछ नहीं बोली, इसका मतलब ग्रीन सिग्नल है और वो गरम हो गई है, और हो सकता है आज बात बन जाये, अब कंट्रोल नहीं हो पा रहा था मेरा दायां हाथ धीरे-धीरे दीदी की चूची की तरफ सरकने लगा और अब दिल कर रहा था कि बायें हाथ को झटके से उठाकर दीदी की चूत पे रखकर मसलना शुरू कर दूं। मैंने दीदी का चेहरा पढ़ने की कोशिश की तो वो पूरे ध्यान से टीवी में मस्त लग रही थी। आज दिमाग़ में आ रहा था कि जो होगा देखा जायगा, आर या पार कर डालना है आज।

मेरे जिश्म में जैसे 440 वोल्ट का करेंट दौड़ने लगा था, हाथ काँपने लगे थे। मैंने बाये हाथ को सरकाते-सरकाते आख़िरकार हल्के से दीदी की चूत पे रख दिया। कुछ सेकेंड के लिये मेरा सारा जिश्म फ्रीज हो गया, कोई हरकत नहीं हुई। फिर दिल में आया कि साले तू टारगेट पे तो पहुँच चुका है, अब आगे बढ़। मेरा हाथ दीदी की दोनों टांगों के बीच उसकी पटियाला सलवार के ऊपर हल्के से पड़ा था, अब अगला काम चूत को मसाज देना था। मैंने हिम्मत करके टांगों के बीच चूत के ऊपर हल्के से रखे अपने बायें हाथ को दीदी की चूत पे सलवार के ऊपर से ही ग्रिप कर लिया। अगले ही पल दीदी की दोनों टांगें पूरी खुल गईं, मेरा हाथ पूरा चूत पे टांगों के बीच चला गया।

और फिर उससे अगले पल ही झटके से दीदी उठकर सोफे पे बैठ गई और तड़ातड़ 4-5 थप्पड़ मेरे सर और कानों पे दिए, और बोली-“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यह सब करने की?”
मेरा रंग पीला पड़ गया होंठ सूखने लगे, मैंने अपने गालों और कानों पे दोनों हाथ रख लिये और मैं-“सारी दीदी, सोरी दीदी…” कहकर अपना मुँह छुपाने लगा।

सनडे की दोपहर होने की वजह से मम्मी अपने कमरे में में रेस्ट कर रही थीं।

दीदी जोर-जोर से चिल्लाने लगी-“मैं अभी तुम्हारा इलाज करती हूँ…”

मैं-“सोरी… सोरी दीदी, प्लीज़्ज़ धीरे बोलो…”

दीदी-“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? मम्मी को भी तो पता चले कि तुम्हारी नियत क्या है?” यह कहती हुई वो सोफे पे फिर उसी तरह मम्मीके रम की तरफ देख दूसरी तरफ लेटी हुई मम्मी को आवाज़ लगाने लगी।

तो मैंने झट से दीदी के मुँह पे अपना हाथ रख दिया, तो उसके मुँह से ‘उम्म्म्माआ’ ही निकल सका। फिर मैं दबी हुई आवाज़ में बोला-

“दीदी, मैं सोरी बोल रहा हूँ, और यह भी कहता हूँ कि दुबारा ऐसा नहीं करूँगा, लेकिन प्लीज़्ज़ अब चुप हो जाओ…मेरी मा”

वो अपने दोनों हाथों से अपने मुँह से मेरा हाथ उठाने की कोशिश करने लगी। मैंने थोड़ा सा हाथ ढीला किया तो उसके मुँह से फिर जोर से आवाज़ निकलने लगी-“मुंम्म्म…”
मैंने फिर जोर से दीदी के होंठ पे अपना बायां हाथ दबा दिया। मेरा भी अब दिमाग़ खराब हो गया था, गुस्से से भी और सेक्स से भी।


सोफे पे आधी लेटी हुई दीदी की टांगों के नीचे से दायां हाथ डालकर मैंने उसका सारा जिश्म सोफे पे रख दिया और बायें हाथ से दीदी के होंठ दबाये हुए ही मैं दायें हाथ को दीदी की चूत के अंदर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा।

दीदी हैरानी से मुझे देखने लगी, और अपने आपको छुड़ाने के लिये स्ट्रगल करने लगी। मैं उस पे भारी पड़ रहा था, मैंने दायें हाथ से दीदी का सूट ऊपर करके अंदर हाथ डाल दिया, फिर उसकी चूचियों को जा के ऊपर से ही दबाने लगा, फिर चिकने पेट पे हाथ फिराता सलवार को खोलने की कोशिश करने लगा। लेकिन जब नाड़ा नहीं खुला तो ऐसे ही हाथ अंदर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा।

लेकिन दीदी ने नाड़ा कस के बांधा हुआ था और अब उसके हाथ मेरे दायें हाथ को सलवार के अंदर जाने से रोकने की कोशिश करने लगे थे। मैंने काफ़ी कोशिश की लेकिन मेरा हाथ सलवार के अंदर नहीं जा पाया तो मैंने सलवार के ऊपर से ही अपने दायें हाथ से दीदी की चूत को मसलना शुरू कर दिया। उसके दोनों हाथ मेरे दायें हाथ को रोकने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उसका बस नहीं चल रहा था। वो अपनी टांगों की उछल-कूद करके मेरी पकड़ से निकलने की कोशिश कर रही थी।

तभी मैं अपना मुँह अपने बायें हाथ के करीब उसके होंठों के पास ले जाकर बोला-“ठीक है, अब अगर तुमने बताना ही है तो डर किस बात का? अब जो मेरा दिल कहेगा वोही करूँगा, अब यह बताना कि मेरी चुदाई हो गई…”

दीदी के मुँह से ‘म् म्म्मम’ ही निकल पाया। वो अपने सर को झटके देकर आज़ाद होने की कोशिश कर रही थी, उसकी टांगें ऊपर-नीचे चलती रही। वो अपने आपको आज़ाद करने के लिये पूरा स्ट्रगल कर रही थी, लेकिन उसका बस नहीं चल रहा था। वोही दीपक जो अपनी इस बहन से थर-थर काँपता था, आज उसी बहन पे जबरदस्ती सवार होने जा रहा था। आज मुझे भी और उसे भी यह एहसास हो गया कि मर्द मर्द होता है और औरत औरत।

करीब 5-10 मिनट तक हम बहन भाई कुश्ती करते रहे और इस 5-10 मिनट में दीदी की चूत को जबरदस्ती अपने हाथ से मसाज करते हुये, मुझे जो मज़ा आया था वो आज तक पहले कभी नहीं मिला था। कभी-कभी दीदी की टांगें अपने आप खुल जाती और वो स्ट्रगल करना बंद कर देती, जैसे थक गई हो, लेकिन यह ज़रूरी नहीं था कि थक गई हो, यह भी हो सकता था कि उसे भी मज़ा आने लगा हो? जब वो ढीली पड़ जाती तो मैं कोशिश करता कि अपनी बिचली उंगली को दीदी की चूत के अंदर घुसेड़ सकूँ। लेकिन बाहर से ऐसा करना मुश्किल था, एक तो दीदी की सलवार और उसके बाद पैंटी, और जब मैं उंगली घुसेड़ने की कोशिश करता तो दीदी फिर अपनी टांगों से मुझे हिट करने की कोशिश करती, और कभी उसके हाथ मेरे बायें हाथ को मुँह से उठाने की कोशिश करते और कभी मेरे दायें हाथ को चूत से उठाने की, कभी-कभी मुझे यह भी लगता कि अब दीदी को मज़ा आ रहा है।

लेकिन साली फिर भी नाटक पूरा कर रही थी। मेरा लण्ड भी बेकाबू हो रहा था। कुश्ती करते-करते दीदी का गरम जिश्म महसूस करके मुझे लग रहा था कि पता नहीं कब मेरी पिचकारी निकल जाये… बस थोड़ा जोर जबरदस्ती करते-करते ध्यान बँट जाता था, इसलिये अब तक वीर्य निकलने से बचा हुआ था। अब मैंने अपना हाथ दीदी की चूत से उठा लिया और फिर से उसकी सलवार खोलने की कोशिश करने लगा। लेकिन साली ने मेरा हाथ तक तो अंदर नहीं जाने दिया था तो सलवार का नाड़ा कैसे खोलने देती?

मैं कोशिश करता रहा, और जब नाड़ा नहीं खुल पाया तो मैं उसके ऊपर चढ़ गया। और मैंने अपने दायें हाथ से दीदी की चूचियां दबानी शुरू कर दी। वो अभी भी अपने हाथों से मेरे हाथों को पकड़कर रोकने की कोशिश कर रही थी। मेरा बाया हाथ एक ही जगह पे दबाने की वजह से वो थोड़ा थक गई, तो मैंने झटके से अपना बायां हाथ दीदी के होंठों से उठाकर उस पे दायां हाथ रख दिया। फिर बायें हाथ को दीदी की कमीज़ के गले से अंदर कर दिया। मेरा हाथ सीधा दीदी की दाईं चूची की निपल पे चला गया। मैंने पहले अपनी पहली उंगली और अंगूठे से दीदी की निपल को थोड़ा मसला, निपल एकदम सख़्त था। फिर अपने हाथ से दीदी की गोल-गोल चूचियां दबाने लगा।

आज पहली बार मैंने दीदी के अंदरूनी जिश्म को छुआ था। अब कंट्रोल नहीं हो पा रहा था, लगता था कि मेरी पिचकारी निकल जायेगी, लेकिन तभी दीदी ने अपने दोनों हाथों से मेरे मुँह पे थप्पड़ मारने शुरू कर दिए। लेकिन मुझे उसकी परवाह नहीं थी, मेरे लिये तो अच्छा ही हुआ कि मेरा ध्यान फिर थोड़ा बँट गया और मेरी पिचकारी निकलने से बच गई।
अब मैंने अपने बायें हाथ को अंदर ही से दूसरी चूची की तरफ घुमा दिया। मैं बड़ी-बड़ी दोनों चूचियां दबा रहा था, एकदम पत्थर के जैसे सख़्त टाइट चूचियां थीं दीदी की, लेकिन स्किन उतनी ही साफ्ट थी। मेरा लण्ड मेरे शॉर्ट में लोहे की रोड जैसा खड़ा था, और मेरा दिल कर रहा था कि किसी तरह जल्दी से इसे दीदी की चूत में डाल दूं। लेकिन दीदी साली नाड़ा तो खोलने नहीं दे रही थी।

मैंने फिर अपने बायें हाथ से कोशिश किया, लेकिन नाड़ा खोल पाना बहुत मुश्किल था, टाइम बरबाद करना ही लग रहा था। फिर मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया कि नाड़ा तोड़ दूं, तो मैंने वो भी कोशिश कर लिया। लेकिन शायद मेरी किस्मत खराब थी, मेरे कितने ही झटके देने के वाबजूद भी नाड़ा टूटने का नाम नहीं ले रहा था। फिर मैंने ऐसे ही बिना नाड़ा तोड़े और खोले सलवार को नीचे खींचकर उतारने की कोशिश की, तो सलवार थोड़ी सी नीचे सरकी फिर अटक गई।

सलचार दीदी की मोटी गाण्ड से ऐसे कैसे नीचे आ सकती थी, हो सकता था सलवार नीचे सरक भी जाती, लेकिन एक हाथ से उसे नीचे खींचना मुश्किल था, सारी कोशिश बेकार जा रही थी। फिर मैंने दीदी की कमीज़ उसके पेट से ऊपर उठा दी और उसके गोरे पेट और नाभि पे किस करने लगा। मेरे अंदर का गरम पानी अंतिम सीमा पे था, लग रहा था अब पिचकारी छूटने ही वाली है।
Nice one
 

Rouny

New Member
78
42
18
9

तभी दीदी ने फिर से मुझे हिट करने के लिए अपनी बाईं टांग मोड़ करके ऊपर उठाई तो मैंने उसी वक़्त अपनी बाईं बाँह दीदी की टांग के पीछे से घुमा दी। अब दीदी की बाईं टांग मेरे कंधे पे आ गई, फिर मैंने झट से अपना दायां हाथ दीदी के होंठ से उठाकर उस पे अपना बायां हाथ रख दिया और फिर दाईं वाली बाँह को भी दीदी की दाईं वाली टांग के पीछे से घुमाकर दीदी के मुँह की तरफ आगे को झुक गया। अब दीदी की दोनों टांगें मेरे कंधों पे थीं, और एकदम फिट चुदाई का स्टाइल बन चुका था।
काश कि दीदी की सलवार का नाड़ा खुल या टूट गया होता तो अब मुझे अपना लण्ड दीदी की चूत के अंदर करने में कोई परेशानी नहीं होनी थी। मेरा लण्ड मेरी शॉर्टस के अंदर डंडे जैसा खड़ा था, मैंने अपना शॉर्ट एक हाथ से खींचकर नीचे किया और एक टांग शॉर्ट से बाहर निकाल ली। फिर ऐसे ही सलवार के ऊपर से दीदी की चूत का निशाना लगाकर उसको हिट करना शुरू कर दिया।

दीदी की दोनों टांगें मेरे कंधों पे थीं और उसका का पूरा जिश्म मेरे सीने के सामने था। मैं कुछ देर ऐसे ही सलवार के ऊपर से दीदी को चोदने और चोदने की एक्टिंग करता रहा। मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे मैं दीदी को चोद रहा हूँ। लेकिन कोई जायदा नहीं था, ऊपर से मेरे लण्ड का पानी निकलने के बहुत करीब था, मेरी सांस भी फूल गई थी, लेकिन दीदी को सबक सिखाना भी बहुत ज़रूरी था। फिर मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया और मैंने एक-एक करके दीदी की दोनों टाँगों को छोड़ दिया, फिर दीदी के पेट के ऊपर बैठ गया।

मेरा 8” इंच लंबा और 2½” मोटा खड़ा लण्ड देखकर दीदी की आँखें फटने की तरह हो गईं।

मेरा एक हाथ दीदी के होंठ पे था और दूसरे से मैंने अपने लण्ड को मूठ मारना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड पानी छोड़ने के लिए तो पहले ही तैयार था, इसलिये बहुत मुश्किल से 40-50 सेकेंड ही मूठ मार पाया होऊूँगा कि मेरे अंदर से गरम क्रीम की पिचकारी छूटी, जो सीधी दीदी की बोल्स से होती हुई उसके चेहरे की तरफ गई। मेरे लण्ड की सारी क्रीम दीदी की धाये के ऊपर कमीज़ पे जाकर गिरी थी और उसमें से 1-2 बूँद दीदी की गर्दन, गालों पे और उसके होंठ पे गिरी थी।

अब दीदी भी ढीली पड़ चुकी थी और मैं तो बिल्कुल ढीला पड़ गया था।

मैं कुछ देर ऐसे ही उसके ऊपर बैठा रहा फिर ठंडी सांस ली और उसके ऊपर से उठ गया। फिर मैं अपनी शॉर्टस पहनता हुआ टायलेट की तरफ जाता हुआ बोला-“अब जिसको बताना होगा बता देना, लेकिन यह भी सोच लेना कि मेरे पास भी बताने के लिये बहुत कुछ है, स्कूल से लेकर अब तक की तुम्हारी चोदा-चोदी, और मम्मी को बहाना लगाकर नाइट क्लब जाने तक…”

दीदी कुछ नहीं बोली, और आँखें फाड़-फाड़कर मेरी तरफ देखती रही। फिर गाल पे लगे वीर्य की बूँद को हाथ से पोंछने लग गई। मैं टायलेट से वापिस आया तो वो सोफे पे बैठी रो रही थी, फिर अपने रूम में चली गई, शायद कपड़े चेंज करने के लिये।


जुड़े रहे ........
I think position under control 😊😊😊
 

Rouny

New Member
78
42
18
आगे चलते है

शादी के दो साल बाद एक दिन दीदी और जीजू घर में आये, शाम को दीदी बोली-“दीपू अपने जीजू के साथ जाओ, वो कहीं जाने को बोल रहे थे…”

मुझे दीदी की बात पे गुस्सा आता था फिर भी मैं कार निकालकर जीजू के साथ चला गया। जीजू खुश मिज़ाज आदमी थे, वो दीदी से करीब 5 साल बड़े थे, पहले उनका बिजनेस बाम्बे में था और वो वहीं रहते थे। शादी के बाद वो पंजाब में ही आ गये। उनका रंग गोरा और हाइट 5’9” थी।

मुझे लग रहा था कि हाइट के हिसाब से उनका लण्ड भी मेरे लण्ड से बड़ा होगा, जिससे वो दीदी को पूरी रात रगड़-रगड़कर चोदकर खुश रखते होंगे। लेकिन पूजा दीदी इन दो सालों में अब तक माँ नहीं बनी थी, इसलिये मैं सोचता था कि शायद जीजू ने पूजा दीदी को अभी तक माँ इसलिए नहीं बनाया होगा की वो अभी दीदी की जवानी का पूरा मज़ा लूटना चाहते होंगे। पूजा दीदी की टाइट चूत जो की बच्चा होने से खुल जाती, उसे एक दो साल तक और मारकर अच्छी तरह पूजा दीदी की जवानी को निचोड़ लेना चाहते थे। पर बात वो नहीं थी बात दरअसल दूसरी थी की पूजा दीदी अब तक माँ क्यों नहीं बनी थी? ये बात मुझे जीजू ने बताई।

कार को रोड पे चढ़ते ही मैंने जीजू से पूछा-“जीजू कहाँ जाना है?”

तो वो बोले-“यार जाना कहाँ है, किसी अच्छे से होटेल में चल, जहाँ पे रश ना हो, आराम से बैठकर गप्पें लगा सकें और बातें भी कर सकें…” होटेल में पहुँचकर जीजू ने कॉर्नर वाली टेबल पसंद की, सामने के 1-2 टेबल बबिी थे, बाकी तकरीबन सब टेबल खाली पड़े थे। व्हिस्की भी आ गई और चिकेन भी, हम पीने लगे, मेरे एक लाइट पेग खतम करते-करते जीजू 2-3 डबल पेग गटक जाते। ऐसा लग रहा था जैसे जीजू अपने अंदर व्हिस्की भर रहे हों। लेकिन मैं उनको रोक भी नहीं सकता था, क्योंकि आख़िरकार वो मेरे जीजू थे। मेरे दूसरा ड्रिंक लेने तक उनका पाँचवा ड्रिंक था। जल्दी-जल्दी पीने से जीजू का अब अपने आप पे कंट्रोल नहीं लग रहा था, नशा अब उनके सर चढ़ चुका लगता था।

उन्होंने बात शुरू की-“दीपक यार, तुमने कोई गर्लफ्रेंड नहीं रखी?”

मैं-“नहीं जीजू…”

जीजू-“यार लगता है तू शर्मा रहा है, मुझे अपना जीजू नहीं दोस्त समझ यार, खुलकर बात कर…”

मैं जीजू से ज्यादा खुलना नहीं चाहता था। मुझे जीजू इतने पसंद नहीं थे क्योंकि आख़िर वो मुझसे मेरी सबसे प्यारी चीज़, यानी मेरी दीदी, मुझसे छीनकर ले गये थे, वो दीदी जिसकी जवानी का मज़ा मैं लेना चाहता था। अब वो पूजा दीदी से मज़ा ले रहे थे। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि जीजू को कोई टेंशन है जो मेरे साथ शेयर करना चाहते थे।
मैंने कहा-“नहीं जीजू, ऐसी कोई बात नहीं है…”

जीजू-“यार, शादी से पहले तो सब करते हैं, शरमाता क्यों है? मैंने भी बहुत रंडीबाजी की है, लेकिन तू कोई भी एक गर्लफ्रेंड रख ले मगर किसी ऐसी वैसी लड़की के पास मत जाना, क्योंकि कभी-कभी बाद में पंगा पड़ जाता है, फिर डॉक्टर के पास घूमते फिरो…”

फिर थोड़ा रुक के बोले-“यार, मुझे एक सलाह लेनी है तेरी, लेकिन समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे कहूँ?”

मैं-“जीजू, अभी तो आप मुझे अपना दोस्त कह रहे थे, और फिर सलाह लेने में क्या है? मैं तो आपका अपना ही हूँ…”

जीजू के चेहरे पे टेंशन आ गई थी उन्होंने फिर एक लार्ज पेग बनवाया और एक ही बार में सारा अंदर। फिर जीजू बोले-“यार, मुझे तेरी हेल्प की ज़रूरत है…” यह कहते-कहते जीजू का चेहरा उदास सा हो गया और आँखें भारी-भारी सी लग रही थीं।

मैं-“ओके जीजू, आप बताओ तो सही…”

जीजू-“यार, मैं अपने घरवालों, अपने माँ बाप, भाई बहनों को कैसे समझाऊ? वो लोग मेरा जीना हराम कर रहे हैं, वो बातों-बातों में ही मुझे जलील करते रहते हैं…”

मैं-“क्यों, क्या हुआ जीजू, ऐसा क्यों?”

जीजू-“दीपक, मुझे यह भी नहीं समझ में आ रहा है कि मैं किस पे भरोसा करूँ? दो साल हो गये लेकिन अब सब का मुँह बंद करने के लिए कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा…”

मैं-“जीजू, बात क्या है, आप बताओ तो सही, मुझे बताओ क्या करना है?”

जीजू-“हाँ… दीपक, पूजा की बात सही है, तू कर सकता है तुझ पे भरोसा भी किया गया सकता है और तुम किसी को बता भी नहीं सकते…”

मैं-“बोलो जीजू, क्या करना है?”

जीजू-“यार काम तो कुछ टेढ़ा है, पता नहीं तू इसे भी करेगा या नहीं?”

मैं-“जीजू प्रोमिश, आप जो बोलोगे मैं करूँगा, आप टेंशन मत लो, और मुझे बताओ आख़िर बात क्या है?”

जीजू-“यार, मैंने 14 साल की उमर में ही अयाशी शुरू कर दी थी, बहुत गलत काम किए, नशा, और रंडीबाजी बहुत ज्यादा बढ़ गई थी, इसीलिये मुझे आज यह दिन देखना पड़ रहा है। हमारी शादी को दो साल हो गये लेकिन मैं कुछ नहीं कर पा रहा, मैं बाप नहीं बन सकता, लेकिन मुझे बच्चा चाहिये तो बस पूजा से ही…”

मैं-“फिर क्या है जीजू इस में कौन सी बड़ी बात है? आप दोनों किसी डॉक्टर से चेक करवा के ट्रीटमेंट करवा लो, यह तो कामन है आजकल…”

जीजू-“हम सब कुछ कर चुके हैं यार, डॉक्टर भी कुछ नहीं कर सकते। मैंने दवा भी बहुत खाई, सब कुछ किया, कहाँ-कहाँ नहीं चेक करवाया, लेकिन मुझसे कुछ होता ही नहीं है। मेरा उसके ऊपर रखते ही हो जाता है, यह सब मेरे नशा और रंडीबाजी का नतीजा है। पूजा बिल्कुल सही है, मुझे मान लेना चाहिये कि मेरी मर्दानगी खतम हो गई है…” यह कहते-कहते उनका मुँह रोने जैसा हो गया, और वो अपने बालों को नोंचने लगे।


शुक्रिया
I think this shoking point for Deepak
 

Rouny

New Member
78
42
18
10

मैं-“जीजू, आप टेंशन क्यों ले रहे हो? कोई ना कोई हल निकल आएगा, किसी देसी हकीम से चेक करवा लेते हैं…”

जीजू-“कुछ नहीं हो सकता यार, लेकिन मुझे बच्चा चाहिये कैसे भी, अपने रिश्तेदारों का मुँह बंद करने के लिये मुझे कुछ भी करना पड़ेगा, बस मुझे बच्चा चाहिये…” और यह कहते हुये जीजू ने और व्हिस्की का ऑर्डर कर दिया। इस बार उन्होंने मेरा पेग भी एससट्रा लार्ज बनवाया था।

मैं कुछ नहीं बोला, लेकिन मेरी आँखें चमकने लगी थीं। अब सारी कहानी समझ आ रही थी, कितने साल के बाद मेरी मुराद पूरी होने वाली थी, मैंने ड्रिंक उठाया और इस बार मैं भी जीजू की तरह एक ही बार में सारा गिलास खाली कर गया।

जीजू फिर बोले-“मुझे बच्चा चाहिये कैसे भी, लेकिन किस पे भरोसा किया जाये, हमारी यही प्रोबलम है? मैं और पूजा एक साल से ऐसा आदमी ढूँढ रहे हैं, जो पूजा के साथ सेक्स करके हमें बच्चा दे सके और किसी को पता भी ना चले, लेकिन ऐसा कोई आदमी हमारी नज़र में नहीं आया। कल यही सोचते-सोचरे और बातें करते-करते पूजा के मुँह से अचानक तुम्हारा नाम निकल गया।

तो मैंने झट से पूजा को कहा-“हम दीपक पे 100% भरोसा कर सकते हैं, लेकिन पता नहीं वो माने या ना माने? मैंने कैसे भी करके पूजा को तो मना के अपने साथ कर लिया लेकिन मुझे पता था कि तुम नहीं मानोगे। फिर भी पूजा ने मुझे तुमसे बात करने के लिये फोर्स किया और कहा कि एक बार पूछने में क्या हर्ज है?


दीपक तुम हमारी हेल्प कर सकते हो। प्लीज़्ज़… ना मत कहना। मुझे पता है कि तुम दोनों बहन भाई हो लेकिन इसके बिना और कोई रास्ता भी तो नहीं…”


मैं-“जीजू, आपका मतलब कि मैं पूजा दीदी से सेक्स करके पूजा दीदी को माँ बना दूं, और आपको बच्चा दूं?”

जीजू-“हाँ दीपक, प्लीज़्ज़… हम तुम्हारे अलावा और किसी पे भरोसा नहीं कर सकते, पूजा की फिकर मत करो, उसे मैंने मना लिया है, वो तैयार है तुमसे बच्चा हासिल करने के लिए…”

मैं-“पूजा दीदी मेरी सगी बहन है, जीजू, आप किसी दोस्त की हेल्प क्यों नहीं लेते?”


जीजू-“नहीं यार, किसी पे भी भरोसा नहीं किया जा सकता। कल को वोही दोस्त दूसरे दोस्तों को कहेगा कि यह आदमी नामर्द है, इसकी बीवी का मेरे साथ चक्कर है, मुझसे पूरी तरह फँसी हुई है, रोज उसको चोदता हूँ, मेरी रखैल है आदि। और फिर वो कभी भी अपने दोस्तों को भी ला सकता है और फिर वो सब भी तुम्हारी बहन के साथ मस्ती करेंगे, मेरे घर में, मेरे ही बिस्तर पर, वगैरा वगैरा। दीपू, अगर कोई एक-दो आदमी हों तो ठीक है। पर सोचो अगर कल को उसने तुम्हारी दीदी को रंडी बनाकर हर रोज अपने किसी ना किसी दोस्त अपने क्लाइंट के नीचे लिटा दिया, तब क्या होगा? कितनी बदनामी होगी? और ये भी हो सकता ही की वो तुम्हारी दीदी को माँ बनाकर सारी उमर ब्लैकमेल करे, और फिर हमसे बच्चा भी ले जाए। सोचो इस हालत में क्या होगा? और एक दूसरा रास्ता है की मैं तुम्हारी बहन पूजा को किसी दूसरे शहर में ले जाऊूँ और वहां किसी लो क्लास वेटर, ड्राइवर या फिर किसी रिक्शावाले से चुदवाकर बच्चा पैदा करूं। पर पूजा किसी लो क्लास आदमी का बच्चा पैदा नहीं करना चाहती। अगर तू राज़ी नहीं हुआ तो फिर मजबूरन मुझे उसे इस बात के लिए राज़ी करना पड़ेगा की पूजा अब इसके सिवा और कोई रास्ता नहीं है की उसे किसी लो क्लास आदमी के साथ सेक्स करके बच्चा पैदा करना होगा। वैसे दीपू, ये लो क्लास के मर्द तुम्हारी दीदी जैसी मस्त पटाका माल को चोदने के लिए एकदम तैयार भी हो जाएंगे। अब अगर तुम तैयार नहीं होते तो अब यही एक रास्ता है। और अगर कोई रिलेटिव होगा तो वो ब्लैकमेल भी कर सकता है और मुझे बदनामी से बहुत डर लगता है…”

आगे और भी है
Now I am shoking this time😜😜😜
 

Rouny

New Member
78
42
18
12

पूजा दीदी मम्मी के गले लगकर-“मम्मी, अब क्या बताऊूँ मैं आपको… आप सेक्स की बात करती हैं, तो आप ये समझ लो की आपके दामाद किसी औरत के काबिल नहीं हैं, वो किसी भी औरत को संतुष्ट नहीं कर सकते…”

मम्मी को पूजा दीदी की बात सुनते एक झटका सा लगता है-क्या बोल रही है?

पूजा दीदी-“हाँ मम्मी, ठीक कह रही हूँ। वो सच में किसी औरत की काबिल नहीं हैं…”

मम्मी-“तो बेटी, किसी डॉक्टर को दिखाना था…”

पूजा दीदी-“मम्मी, क्या दिखाऊूँ? उनका इतना छोटा और पतला है…” और इतना बोलते ही दीदी चुप हो गईं।

मम्मी-“क्या कहा पूजा? उसका लण्ड इतना छोटा है…” और मम्मी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया।

पूजा दीदी-“हाँ मम्मी, उनका 3 इंच से भी छोटा है, उन्होंने कभी शर्म के मारे मुझे हाथ भी नहीं लगाया…”

क्या ......क्या .........बेटी तू अभी तक कुवारी है ??

“एसा ही कुछ मम्मी “ पूजा ने रोते रोते बोला

मम्मी: वैसे मै तुम्हारी हिस्ट्री तो जानती हु पर बेटे शादी के बाद ऐसा होना मतलब .............आगे वो कुछ नहीं बोली

मम्मी पूजा दीदी की बात सुनकर सदमें खा गई और बोली-“पूजा, अब तेरा क्या होगा? कैसे तू सारी जिंदगी बिना मर्द के गुजार पायेगी। क्यों नहीं तुम कोई बच्चा गोद ले लेती?”

बिना सेक्स कैसे जिया जाएगा तुज से !!!!!! आगे बहोत लम्बी उमर पड़ी है

पूजा दीदी-“मम्मी, मैं किसी और का बच्चा गोद नहीं लूँगी। वैसे ये भी बोलते हैं कि उन्हें भी बच्चा मुझसे ही चाहिए…”

मम्मी गुस्से से-“तुझसे बच्चा चाहिए उस नामर्द को, कैसे होगा ये? क्या गांड से पैदा करेगा ??? शादी को दो साल हो गये, और वो नामर्द तुझे चोद नहीं पाया तो बच्चा कौन उसका बाप पैदा करेगा?”

पूजा दीदी-“मम्मी, आपके दामाद भी यही कहते हैं की किसी और साथ हम-बिस्तर होकर उसके साथ बच्चा पैदा करूं…”

मम्मी-“उस नामर्द का तो दिमाग़ खराब हो गया है। ऐसा कौन होगा जिससे तू ये सब करेगी?” और अगर उस चु ..... को पता भी है उसके परिणाम क्या हो सकते है ??? बीवी खो बैठेगा क्या ???

पूजा दीदी-“मम्मी, मेरे ससुराल में इनके एक अंकल हैं, जो आर्मी में थे, अकेले रहते हैं। वो अक्सर मुझे घूरते रहते हैं। और कभी-कभी गंदे-गंदे इशारे भी करते हैं। मैंने इनको कहा तो इन्होंने कहा-पूजा, ये तो अच्छा है की तुम उनको लिफ्ट दो और उनके साथ हम बिस्तर होकर बच्चा पैदा करो…”

मम्मी-“तो फिर तूने क्या सोचा? अगर वो तैयार है तो तुझे क्या दिक्कत है? देख बेटे ऐसा ही है तो उस से चुद जा उसे पता के रख ले, इससे तुझे मर्द का सुख भी मिलेगा और शायद तुझे उनसे बच्चा भी हो जाए…”

पूजा दीदी-“मम्मी वो सब तो ठीक है की उनके साथ सेक्स करके मुझे ये सब मिलेगा। पर सोचो अगर ये बात मेरे ससुराल में पता चल गई तो कितनी बदनामी होगी? वहां सब मुझे एक बदचलन औरत कहेंगे। इसे वो सब इनका कसूर नहीं, बल्की मुझे ही वेश्या समझेंगे…”

मम्मी-“ये बात तो तेरी ठीक है… तो फिर ये सब कैसे होगा?”

पूजा दीदी-“मम्मी, मैंने इनसे कहा था की अगर आप चाहें तो मैं आपके किसी दोस्त के साथ संबंध बनाकर बच्चा पैदा कर सकती हूँ। ये उसके लिए मान भी गये थे, पर जो इन्होंने मुझसे कहा की अगर मैं इनके किसी दोस्त के साथ संबंध बनाती हूँ तो हम लोग कितनी बड़ी मुश्किल में फँस सकते हैं…”


मम्मी-“मुश्किल? वो कैसी? बेटी, अगर तुम किसी और से संबंध बनाती हो और दामाद जी भी यही चाहते हैं तो फिर कैसी मुश्किल? इससे तो तुम लोगों को फ़ायदा ही होगा। एक तो तेरी जिंदगी में मर्द की कमी पूरी हो जाएगी, तेरा कुआ भरा रहेगा और दूसरा तुम्हारी लाइफ में बच्चे की जो कमी है वो भी पूरी हो जाएगी…”

पूजा दीदी-“हाँ मम्मी, मुझे उसके साथ संबंध बनाने के ये फ़ायदे तो हैं। पर सोचो इससे बड़ा नुकसान भी है। मम्मी, अगर मैं इनके किसी दोस्त से सेक्स करती हूँ तो वो आदमी कभी किसी और के सामने ये बोल सकता है की यार (रमेश) की बीवी मुझसे फँसी हुई है, मेरी रखैल है, मैं रोज उसकी लेता हूँ। और हो सकता है की मुझे चोदने के बाद वो मुझे अपने दोस्तों से भी चुदवाए। रोज मुझे नये-नये मर्दों के नीचे लिटाए। और इसकी क्या गारन्टी है कि अगर मैं उसके बच्चे की माँ बन जाऊँ तो कल को वो उसे अपना बच्चा कहकर हमसे छीन भी सकता है। उस हालत में हम क्या करेंगे?” मुझे रंडी का उपनाम तो नहीं चाहिए मम्मी

मम्मी-“ये बात तो ठीक है बेटी, फिर क्या करोगे तुम लोग?”

पूजा दीदी-“मम्मी, ये तो कह रहे थे कि हम कहीं आउट स्टेशन चलते हैं। वहां पर किसी वेटर से या फिर ये किसी आटो ड्राइवर को बुलाकर मुझे पेट से करवा देंगे। पर मैं किसी लो क्लास आदमी का बच्चा पैदा नहीं करूँगी, इसके लिए मैंने इन्हें एक लड़के का नाम बताया, जिसे सुनकर ये झट से तैयार हो गये। अब पता नहीं वो लड़का तैयार होता भी है या नहीं, मुझे माँ बनाने के लिए? इन्होंने तो मुझसे वादा भी लिया है कि अगर वो लड़का तैयार नहीं हुआ मुझे माँ बनाने के लिए तो मुझे मजबूरन इनकी बात मान कर आउटस्टेशन जाकर किसी वेटर या किसी ड्राइवर से चुदवाकर माँ बनना पड़ेगा…”

मम्मी-“पूजा, आख़िर कौन है वो लड़का, जिसके साथ तू सेक्स करके माँ बनना चाहती है? और तूने ये क्या कहा कि अगर वो तुझसे सेक्स करने को नहीं माना तो? आख़िरकार वो लड़का क्यों नहीं मानेगा? तू खूबसूरत है सेक्सी है, मैं जहाँ तक जानती हूँ की तेरी एक झलक पाने के लिए लड़के तो क्या बुड्ढे भी घर के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहते थे। वो प्रिसिपाल अभी भी मुझे याद है


आख़िर उस लड़के का नाम क्या है?”
Jabardast suspense
 

Rouny

New Member
78
42
18
मैं और जीजू ऐसे ही बातें करते-करते घर पहुँच गये। जीजू मुझे अपने रूम में खींच रहे थे, दीदी पहले ही अपने रूम में उनका इंतेजार कर रही थी। जब मैं जीजू को पकड़कर उनके रूम में छोड़ने गया तो दीदी सवालिया नज़रों से मेरी ओर देखने लगी। लेकिन मैं जीजू को रूम में छोड़कर बाहर निकल आया। मेरे अंदर दीदी को गुस्से से चोदने की प्लानिंग बन रही थी, और मैं मन ही मन सोच रहा की अब साली को ऐसे चोदूंगा की साली जिंदगी भर याद रखेगी।

दीदी के लिये मैं 3-4 साल तड़पा था। पुरानी हवस और गुस्सा था मेरे अंदर, मैंने अपने रूम में जाकर अपनी दराज़ खोला और उसमें पड़ी दूज-14000 डिले स्प्रे की बोतल चेक की, जो ¼ भरी थी, यह मेरी फ़ेवरेट डिले स्प्रे थी, कुछ खास-खास मोके पे ही मैं इसे इस्तेमाल करता था।
Planning for sis😜😜😜
 

Rouny

New Member
78
42
18
13

जिस दिन किसी की बहुत गुस्से से चुदाई करनी हो या बहुत देर तक चोदना हो तो मैं 10 मिनट पहले इसको अपने लण्ड के सुपाड़े पे स्प्रे कर लेता हूँ, फिर 30-60 मिनट तक तो गारन्टी के साथ मेरा पानी नहीं निकलता और लड़की का इस दौरान 3-4 बार पानी निकल जाता है और वो लड़की मुझसे मिन्नतें करती है की बस कर अब वो सहन नहीं कर सकती। मैं जैसे चाहूं वैसे आराम से चुदाई कर सकता हूँ, इतना टाइम लगने के बाद भी मुझे लण्ड का पानी निकालने के लिए बहुत जोर- जोर से तेज चुदाई करनी पड़ती है।


मैं अपनी इस स्प्रे को कल के लिए तैयार करने लगा, ताकि मैं कल जब इस स्प्रे को लगाकर दीदी की चुदाई करूं तो वो मेरी मर्दानगी के पीछे मर मिटे । उसकी चीखों से पूरा कमरा गूँज उठे। फिर जब मैंने बेड पे लेटकर अपनी आँखें बंद की तो सामने दीदी की सेक्सी फिगर घूमने लगी, पूजा दीदी की मस्त बड़ी-बड़ी टाइट चूचियां गोल मटोल उभरी उठी हुई गाण्ड, सब मेरी आँखों के सामने आ रहा था।

मैंने इतनी पी हुई थी की नशा होने के वाबजूद भी नींद नहीं आ रही थी, आने वाले कल के बारे में सोचकर खुशी भी हो रही थी और गुस्सा भी आ रहा था, कि जब मेरा लण्ड तरस रहा था तब तो मेरी मादरचोद बहन ने मेरी एक ना सुनी, और अब अपनी गाण्ड फटने लगी है तो दीपू भैया याद आ गया। दिल कर रहा था कि मूठ मारकर हल्का हो जाऊँ। लेकिन मैं करीब एक महीने से रुका हुआ अपने लण्ड का कीमती माल बरबाद नहीं करना चाहता था। अब मैं अपना ये कीमती लण्ड का माल पूजा दीदी के जिश्म के अंदर ही डालना चाहता था, और अपने अंदर की पूरी आग दीदी को दिखाने के लिए यह रोकना ज़रूरी भी था। मेरे मन में अभी से बेचैनी थी दीदी को चोदने की।


मैंने देखा कि दीदी बाहर मम्मी के साथ अभी बातें कर रही थी और कल आउटस्टेशन पर जाने की तैयारी कर रही थी। कुछ देर बाद दीदी उठी और सीधा जीजू के पास रूम में गई और जीजू से उत्सुकता से पूछने लगी-“क्या हुआ, दीपू ने क्या कहा? क्या वो मान गया मुझे माँ बनाने के लिए?”

जीजू-“हाँ पूजा दीपू मान गया है, अरे उसका लण्ड तो अभी से खड़ा हो गया था तुझे चोदकर माँ बनाने के लिये। तू देखना कल वो तेरी ऐसी चुदाई करेगा की सब कुछ भूल जाओगी, वो अपनी बरसों की हसरत तेरी चूत फाड़कर निकालेगा। मुझे नहीं लगता की वो तुम्हें अगले 3 दिन में एक पल के लिए भी आराम करने देगा। वो बस तुझे इन तीन दिनों तक कभी तेरी आगे से और कभी तेरी पीछे से फाड़ता रहेगा, हर टाइम तुझे अपने लण्ड पर चढ़ाकर है रखेगा। और मुझे पूरा यकीन है की इन तीन दिनों में तुम दीपू से चुदवाकर माँ ज़रूर बन जाओगी। लेकिन एक बात ध्यान रखना डार्लिंग तेरे तीनो छेड़ सही तरीके से रेडी होने चाहिए या फिर रख लेना वो साला कब कहा कैसे अपनी पिपुडी बजाएगा पता नहीं| पर इतना यकीं से कह सकता हु की तेरी चूत का अब बजा ऐसा बजेगा की अब वो छेड़ चूत में नहीं भोस में गिना जायेगा | गांड की तो मा बहन एक करके छोड़ेगा तो मुझे लगता है की तुम्हे हर तरीके से रेडी रहना पड़ेगा क्यों की मै ही जानता हु की मैंने उसे कैसे तैयार किया है और मैंने उसकी आँखों में एक हवसीपन देखा है | उस से मै ये कह सकता हु की अगले कुछ दिनों में तेरे निचे के दोनों छेद उसके लंड की साइज़ के बन ही जायेंगे|

पूजा दीदी-“मैं तो कब से जानती थी की दीपू मुझे चोदने का ये हसीन मोका कभी हाथ से जाने नहीं देगा। ये तो उसकी लाइफ की सबसे बड़ी खुशखबरी होगी की मैं पूजा, उसकी बहन, जिसे वो बचपन से चोदना चाहता था और जिसके नाम पर ना जाने उसने कितनी बार अपने लण्ड का गाढ़ा माल निकाला होगा, आज खुद उससे चुदवाकर उस पर मेहरबानी कर रही हूँ…” पूजा दीदी को अपने इस रूप और हुश्न पर घमंड था। और बोली साला चुतिया कुछ नाटक कर रहा था आपके साथ मुझे पता है| बचपन से जानती हु मै उसे| और हां मा भी अब रेडी हो गई है तो यहाँ से कोई प्रॉब्लम नहीं होगी शायद|
जीजू: तुम्हारी मा से वो बात हुई है क्या ?

दीदी: नहीं साले अभी वो टाइम नहीं है मैंने कहा है ना कर दूंगी तो कर दूंगी| अपने चेहरे पे जीजाजी की बाते सुनके काफी चमक आ गई थी | उसे ये महसूस हो चुका था की अब उसकी चूत भोसड़े में तब्दील हो के रहेगी दीपू के लंड की मेहरबानी से


फिर वो जीजू की ओर देखकर बोली-“देखना कल मैं दीपू को अपनी जवानी के ऐसे जलवे दिखाऊूँगी की वो सारी उमर मेरे तलवे चाटता रहेगा, मेरे पीछे दुम हिलाता रहेगा…”



पूजा दीदी की ये बात सुनकर मुझे बड़ा गुस्सा आया की साली की इतना गरूर है अपने इस जिश्म पर। कल देखना इस साली कुतिया को मैं ऐसे चोदूंगा कि साली खुद तड़पेगी मुझसे चुदवाने को। इस साली को अनजान तरीको की तरह चोद-चोदकर इसकी चूत का भोसड़ा ना बनाया तो मेरा भी नाम दीपू नहीं। और गांड ऐसी मारूंगा की वो चलने के काबिल ही नहीं रहगी कल ये खुद मुझसे भीख माँगेगी कि प्लीज़… दीपू, मैं मर जाऊँगी।

दोनों भाई बहन अपने अपने मनगड़ंत विचारो से प्रफुल्लित थे | उधर रमेश (जीजू) भी अभी से बच्चे से खेलना शुरू कर दिया था




दारू पीने की वजह से अगले दिन सुबह मैं काफ़ी देर से उठा। दीदी सुबह बहुत जल्दी ही उठ गई थी और दीदी ने अपनी बाडी को पूरी तरह से वेक्स कर लिया था। जीजू और दीदी अपना सामान कार में रख रहे थे।

मैं शावर करके नीचे आया तो मम्मी के सामने जीजू ने दीदी से कहा-“पूजा, क्यों ना हम दीपक को भी साथ ले चलें?”

दीदी-“हाँ… आपको ड्राइविंग में भी हेल्प हो जायेगी…” यह कहते हुये दीदी मेरे और जीजू के बीच में खड़ी जीजू को स्माइल दे रही थी, उसने जींस और टाइट टाप के साथ काले चश्मे को सर के खुले बालों पे चढ़ा रखा था। फिर अपना सैंडल ठीक करने के बहाने जानबूझकर मेरे सामने झुक गई, जिससे दीदी का टाइट टाप ऊपर सरक गया और जींस भी थोड़ा नीचे, दीदी की गोरी कमर और गुलाबी पैंटी की इलास्टिक मुझे नज़र आने लगी वो मेरे सामने एकदम डोगी स्टाइल में झुक के अपना सैंडल ठीक कर रही थी, उसके बड़े-बड़े गोल मटोल चूतड़ मुझे अपनी तरफ खींच रहे थे, जैसे कह रहे हों कि दीपक आओ, अब डाल भी दो ना अपना लण्ड मुझसे अब और बर्दास्त नहीं होता।

कुछ भी हो दीदी साली शादी के दो साल बाद भी मेरे दिल पे राज कर रही थी, शादी के बाद उसके जिश्म में कोई खास फरक नहीं पड़ा था, वो आज भी सेक्सी फिट थी।

मा भी ये सिन देख के मुस्कुरा उठी थी ( मन में साली क्या माल है मेरी बेटी, सच में चोदने जैसी तो है ही, उसकी चूत भी काफी कसी हुई होगी क्यों की ये साला कुछ कर ही नहीं पाया, गांड तो इतनी आकर्षक है की मै खुद भी बिना लंड उसका टेस्ट कर दू, क्या मेरी गांड भी ऐसे ही है सोच के उसके एक हाथ उसकी गांड पे चले गये, अपनी गांड की साइज़ नापती हुई, छेद तो मेरा भी टाईट है)

फिर जीजू मेरी तरफ देखते हुए बोले-“दीपक, जल्दी से अपना सामान तैयार करके आ जाओ, हमें आधे घंटे के अंदर शिमला निकलना है, जाते ड्राइव तुम करोगे और आते हुए मैं करूँगा या फिर आधी-आधी कर लेते हैं…”

वो दोनों ऐसा शो कर रहे थे कि वो दोनों ही जा रहे हैं, फिर मेरे जाने का अचानक प्रोग्राम बन गया ड्राइविंग की वजह से।

मैंने कहा-“जीजू, आप लोग जाओ मेरी तबीयत ठीक नहीं है…”

यह सुनते ही दीदी हैरान हो गई और खेल उल्टा घूमते देखकर दीदी ने आकर मुझे दाईं बाँह से पकड़ लिया और बहुत अच्छे तरीके से अपने चूचियों को छुआते हुए मेरा हाथ अपने दोनों हाथों में पकड़कर बोली-“दीपूउउ, प्लीज़्ज़… चलो ना मेरे अच्छे भैया…”

फिर मुझे छोड़कर मम्मी के पास चली गई और बोली-“मम्मी, आप बोलो ना दीपू को कि हमारे साथ चले, हमें आराम हो जायगा…”
 

Rouny

New Member
78
42
18
16

मुझे ऐसे देखते देखकर जीजू काफ़ी खुश लग रहे थे, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे दीदी जीजू ने यह सब करके मुझे गरम करने की पहले ही प्लानिंग कर रखी थी। वो मेरी तरफ देखकर बोले-“दीपक, अब शरमाना छोड़ो यार, और तुम भी चेंज कर लो…”



मैंने कहा-“मैं भी पहले नहा लूँ…”

दीदी हम दोनों के पास आकर बैठ गई। मैंने अपना दूसरा पेग भी खतम किया और धीरे से अपनी डिले स्प्रे, शॉर्टस और टी-शर्ट निकालकर नहाने चला गया, और टायलेट में जाते ही मैंने पहले अपनी डिले स्प्रे निकालकर अपने खड़े लण्ड के सुपाड़े पे स्प्रे किया, क्योंकि मुझे पता था कि मैं दीदी के जिश्म का भूखा था, और कहीं ऐसा ना हो कि उसके नंगे सेक्सी जिश्म को देखकर ही मेरी पिचकारी निकल जाये। अच्छी तरह से अपने लण्ड की टोपी पे स्प्रे करने के बाद मैंने नहाना शुरू कर दिया और 10 मिनट के बाद जब मेरा लण्ड स्प्रे की वजह से पत्थर जैसा सख्त हो गया तो मैं शॉर्ट और टी-शर्ट में बाहर निकल आया।

बाहर दीदी और जीजू के सामने टेबल पे एक ट्रे पड़ी थी जिसमें व्हिस्की में आइस से भरे तीन काँच के गिलास और कुछ खाने का सामान, आइस, सोडा, और पेप्सी वगैरा पड़ा हुआ था, शायद मेरे पीछे वेटर ऑर्डर दे गया था। दीदी जीजू के करीब बैठी थी और जीजू का दायां हाथ दीदी की जांघों पे रेंग रहा था। मेरा लण्ड शॉर्टस में तना हुआ था। इस बार भी मैंने शॉर्टस की पाकेट में हाथ डालकर उसको दबाया हुआ था, मैं उनके पास आकर बैठ गया।

दीदी और जीजू ने अपने-अपने ग्लास उठाये और मुझे भी उठाने के लिये इशारा किया। हम तीनों ने चीयर्स किया और सिप करने लगे। दीदी मुझसे नज़र नहीं मिला रही थी, लेकिन उसने अपना एक हाथ मेरी जांघों पे रखकर मसाज करना शुरू कर दिया। फिर जीजू बेड से उठकर दीदी की टांगों के बीच फर्श पे बैठ गये और उसकी टांगों को फैलाकर नाइटी को पीछे हटाकर धीरे-धीरे दीदी के घुटनों को चूमते हुए ऊपर दीदी की चूत की तरफ जाने लगे।

दीदी की दोनों जांघों को कुछ देर चूमने के बाद उठकर खड़े हो गये और अपने कपड़े उतारने लगे। फिर अपना व्हिस्की का ग्लास उठाकर खतम कर दिया और हम दोनों को भी खतम करने के लिये बोलने लगे। जीजू के जिश्म पे सिर्फ़ अंडरवेर थी, वो ऐसे ही दीदी के सामने खड़े हो गये।

मैं बैठा सब देख रहा था।

दीदी बाहर से ही उनकी अंडरवेर के ऊपर से ही उनके लण्ड को पकड़कर सहलाने लगी, लेकिन मुझसे नज़र चुरा रही थी, जैसे इस रूम में वो दोनों ही थे।

जीजू ने मेरी तरफ गर्दन घुमाई और बोले-“कम ओन दीपक यार, अभी तक व्हिस्की ने भी असर नहीं किया क्या? दारू पीकर तो सब माँ-बहन भी सेक्सी लगने लगती हैं, और तुम अभी भी शर्मा रहे हो?”

फिर वो मेरी तरफ पलटे और मेरी शॉर्टस में हाथ डालते हुए उन्होंने मेरे लण्ड को बाहर निकालते हुए कहा-“लगता है मुझे ही सब करना पड़ेगा?”

मेरा लण्ड बाहर आते ही उनके मुँह से निकला-“यार तुम्हारा हथियार तो मुझसे भी बड़ा लग रहा है…” फिर मुझे बाँह से पकड़ते हुए खड़ा होने के लिये बोले .

मैं उनके साथ ही दीदी के सामने खड़ा हो गया, मेरा शॉर्टस मेरी कमर से थोड़ा नीचे था और मेरा खड़ा लण्ड शॉर्टस से बाहर था। दीदी ने जीजू की अंडरवेर के अंदर अपना हाथ डालकर उनके लण्ड को बाहर निकाल लिया और मेरा अंडरवेर नीचे खींच दी, अब मेरा खड़ा लण्ड दीदी के मुँह के बिल्कुल सामने था।

मेरा ध्यान जीजू के लण्ड की तरफ गया, उनका लण्ड 3” से 4” लंबा, लेकिन पतला था। मेरा लण्ड उनके मुकाबले काफ़ी मोटा था और लंबाई तकरीबन 8” थी। दीदी जीजू की आँखों में देख रही थी।

तभी जीजू बोले-“कम ओन बेबी, गेट हिम रेडी, गिव हिम रियली नाइस ब्लो जाब, ऐसे चूसना, ऐसा कुछ करना कि हम सब रिश्ते भूल जायें और यह ट्रिप यादगार बन जाये…”


बने रहना है आगे कहानी में ???????? तो आगे लिखू
Prepration for.............
 

Rouny

New Member
78
42
18
दीदी ने हम दोनों के लण्ड को अपने दोनों हाथों में पकड़ा और हिलाने लगी। आज पहली बार दीदी ने मेरे लण्ड को अपनी मर्ज़ी से अपने नाज़ुक हाथों में पकड़ा था। आप लोग मानोगे नहीं कि उस वक़्त मुझे कैसी फीलिंग हो रही थी। दीदी बैठे-बैठे हम दोनों के लण्ड से खेलने लगी। फिर जीजू का सिग्नल मिलते ही दीदी ने अपना मुँह खोलकर मेरा लण्ड अपने मुँह में डालकर अंदर गले तक ले गई। वो अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ों पे रखकर उसे दबाने लगी। मेरा 8” से भी बड़ा और मोटा लण्ड दीदी के मुँह में पूरा समा चुका था, और दीदी उसको और अपने मुँह के अंदर पुश करने की कोशिश कर रही थी। पता नहीं ऐसा अनुभव उसे कहाँ से मिला? (याद है ना ??) शायद जीजू ने ही उसे ट्रेंड किया होगा।

कुछ देर मेरा लण्ड दीदी के मुँह के अंदर ही रहा, मैं हैरान था कि उसका इतना स्टैमना कैसे बन गया? इतनी देर तक सांस रोकना कौन सी आसान बात है। मैं उड़ने लगा था, मेरा लण्ड और भी सख्त होता चला गया। थैंक गोड कि मैंने अपने लण्ड पे डिले स्प्रे लगा रखा था जिससे मेरे लण्ड को दीदी के मुँह की गर्मी का कुछ खास फरक नहीं पड़ा, नहीं तो अब तक 100% मेरे लण्ड से पिचकारी दीदी के मुँह में ही छूट जानी थी। उसके मुह की गरमी का तो क्या कहना

व्हिस्की भी अब हम तीनों पे अपना असर खूब दिखाने लगी थी, मैं सोच रहा था कि जीजू के सामने शर्म करने का ड्रामा भी अब खतम कर दूं। फिर झटके से दीदी ने अपने मुँह से मेरा लण्ड बाहर निकाला और हाँफने लगी। मेरा लण्ड पहले से बड़े नज़र आ रहा था, उसपे लगा दीदी का सलाइवा नीचे फर्श की तरफ टपक रहा था। मेरी आँखों में कामुकता देखकर जीजू मुश्कुरा रहे थे। फिर उन्होंने दीदी की नाइटी के गले से अंदर हाथ डालकर उसकी चूची को मसलना शुरू कर दिया।

दीदी ने एक हाथ में मेरा लण्ड पकड़ा था और दूसरे से जीजू का लण्ड पकड़कर उसपे अपनी जीभ फिराना शुरू कर दिया। दीदी के दोनों हाथ और मुँह पूरा बिजी थे। क्या नजारा था… मेरी बहन किसी से कम नज़र नहीं आ रही थी। कोठेवाली भी इतनी मस्ती से अपने यार का लण्ड नहीं चूसती, जितना मेरी बहन मेरा चूस रही थी। लग रहा था की आज लंड की बोतल खाली कर के ही रहेगी

जीजू मेरी तरफ देखते हुये बोले-“दीपू यार, मैं पूजा को कभी संतुष्ट नहीं कर पाया, पता नहीं क्यों मैं जल्दी डिस्चार्ज हो जाता हूँ? व्हिस्की पीने से फिर भी थोड़ा टाइम लग जाता है लेकिन बिना पिए तो बस 5 मिनट भी नहीं लगते, बस पूजा के हाथ लगते ही मेरा लण्ड पानी छोड़ देता है…”

दीदी जीजू के लण्ड को चूसे जाया रही थी और मेरे लण्ड को हिलाती जा रही थी। पता नहीं मुझे ऐसा लगा की दीदी जीजू के लंड को पहले खाली करना चाहती हो ताकि उसकी चूत का सही तरीके से बाजा बजे|

करीब 3-4 मिनट के बाद जीजू पीछे की तरफ सरक गये और दीदी को बोले-“पूजा यार, मेरा होने वाला है, थोड़ा रुक जाते हैं, मैं नहाकर फ्रेश होकर आता हूँ तब तक तुम दीपक का मस्त टेस्टी लोलीपोप चूस लो…” फिर वो जाते-जाते सबके लिये पेग बनाने लगे।


हम तीनों बैठकर ड्रिंक खतम करने लगे, दीदी हमारे बराबर दारू पी रही थी। पेग खतम करने के बाद जीजू नहाने चले गये। पूजा दीदी ने जल्दी से उनके कुछ कपड़े निकालकर उनको दे दिए और मेरे पास बैठती हुई मेरी आँखों में आँखें डालती हुई, किसी बेशर्म माल की तरह स्माइल देते हुए मेरे लण्ड को पकड़कर हिलाने लगी। फिर मेरी टांगों के बीच फर्श पे बैठ गई, और मेरे लण्ड को हिलाती हिलाती मेरी जांघों पे किस करने लगी। फिर ऊपर आते-आते मेरे बाल्स को मुँह में लेकर चूसने लगी, जैसे कोई पेशेवर सदियों से सेक्स की प्यासी हो। फिर बाल्स पे अपनी जीभ फिराती हुई लण्ड की टोपी के आस-पास जीभ फिराती रही। मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मुँह के अंदर ही मेरी टोपी के ऊपर जीभ घुमाने लगी।

यही तक बाकी कलhot

दीदी ने हम दोनों के लण्ड को अपने दोनों हाथों में पकड़ा और हिलाने लगी। आज पहली बार दीदी ने मेरे लण्ड को अपनी मर्ज़ी से अपने नाज़ुक हाथों में पकड़ा था। आप लोग मानोगे नहीं कि उस वक़्त मुझे कैसी फीलिंग हो रही थी। दीदी बैठे-बैठे हम दोनों के लण्ड से खेलने लगी। फिर जीजू का सिग्नल मिलते ही दीदी ने अपना मुँह खोलकर मेरा लण्ड अपने मुँह में डालकर अंदर गले तक ले गई। वो अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ों पे रखकर उसे दबाने लगी। मेरा 8” से भी बड़ा और मोटा लण्ड दीदी के मुँह में पूरा समा चुका था, और दीदी उसको और अपने मुँह के अंदर पुश करने की कोशिश कर रही थी। पता नहीं ऐसा अनुभव उसे कहाँ से मिला? (याद है ना ??) शायद जीजू ने ही उसे ट्रेंड किया होगा।

कुछ देर मेरा लण्ड दीदी के मुँह के अंदर ही रहा, मैं हैरान था कि उसका इतना स्टैमना कैसे बन गया? इतनी देर तक सांस रोकना कौन सी आसान बात है। मैं उड़ने लगा था, मेरा लण्ड और भी सख्त होता चला गया। थैंक गोड कि मैंने अपने लण्ड पे डिले स्प्रे लगा रखा था जिससे मेरे लण्ड को दीदी के मुँह की गर्मी का कुछ खास फरक नहीं पड़ा, नहीं तो अब तक 100% मेरे लण्ड से पिचकारी दीदी के मुँह में ही छूट जानी थी। उसके मुह की गरमी का तो क्या कहना

व्हिस्की भी अब हम तीनों पे अपना असर खूब दिखाने लगी थी, मैं सोच रहा था कि जीजू के सामने शर्म करने का ड्रामा भी अब खतम कर दूं। फिर झटके से दीदी ने अपने मुँह से मेरा लण्ड बाहर निकाला और हाँफने लगी। मेरा लण्ड पहले से बड़े नज़र आ रहा था, उसपे लगा दीदी का सलाइवा नीचे फर्श की तरफ टपक रहा था। मेरी आँखों में कामुकता देखकर जीजू मुश्कुरा रहे थे। फिर उन्होंने दीदी की नाइटी के गले से अंदर हाथ डालकर उसकी चूची को मसलना शुरू कर दिया।

दीदी ने एक हाथ में मेरा लण्ड पकड़ा था और दूसरे से जीजू का लण्ड पकड़कर उसपे अपनी जीभ फिराना शुरू कर दिया। दीदी के दोनों हाथ और मुँह पूरा बिजी थे। क्या नजारा था… मेरी बहन किसी से कम नज़र नहीं आ रही थी। कोठेवाली भी इतनी मस्ती से अपने यार का लण्ड नहीं चूसती, जितना मेरी बहन मेरा चूस रही थी। लग रहा था की आज लंड की बोतल खाली कर के ही रहेगी

जीजू मेरी तरफ देखते हुये बोले-“दीपू यार, मैं पूजा को कभी संतुष्ट नहीं कर पाया, पता नहीं क्यों मैं जल्दी डिस्चार्ज हो जाता हूँ? व्हिस्की पीने से फिर भी थोड़ा टाइम लग जाता है लेकिन बिना पिए तो बस 5 मिनट भी नहीं लगते, बस पूजा के हाथ लगते ही मेरा लण्ड पानी छोड़ देता है…”

दीदी जीजू के लण्ड को चूसे जाया रही थी और मेरे लण्ड को हिलाती जा रही थी। पता नहीं मुझे ऐसा लगा की दीदी जीजू के लंड को पहले खाली करना चाहती हो ताकि उसकी चूत का सही तरीके से बाजा बजे|

करीब 3-4 मिनट के बाद जीजू पीछे की तरफ सरक गये और दीदी को बोले-“पूजा यार, मेरा होने वाला है, थोड़ा रुक जाते हैं, मैं नहाकर फ्रेश होकर आता हूँ तब तक तुम दीपक का मस्त टेस्टी लोलीपोप चूस लो…” फिर वो जाते-जाते सबके लिये पेग बनाने लगे।


हम तीनों बैठकर ड्रिंक खतम करने लगे, दीदी हमारे बराबर दारू पी रही थी। पेग खतम करने के बाद जीजू नहाने चले गये। पूजा दीदी ने जल्दी से उनके कुछ कपड़े निकालकर उनको दे दिए और मेरे पास बैठती हुई मेरी आँखों में आँखें डालती हुई, किसी बेशर्म माल की तरह स्माइल देते हुए मेरे लण्ड को पकड़कर हिलाने लगी। फिर मेरी टांगों के बीच फर्श पे बैठ गई, और मेरे लण्ड को हिलाती हिलाती मेरी जांघों पे किस करने लगी। फिर ऊपर आते-आते मेरे बाल्स को मुँह में लेकर चूसने लगी, जैसे कोई पेशेवर सदियों से सेक्स की प्यासी हो। फिर बाल्स पे अपनी जीभ फिराती हुई लण्ड की टोपी के आस-पास जीभ फिराती रही। मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मुँह के अंदर ही मेरी टोपी के ऊपर जीभ घुमाने लगी।

यही तक बाकी कल
Very hot and erotic
 
Top