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मम्मी के चेहरे पर आज अलग ही तरह की मुश्कान थी। हमें अंदर बुलाते हुये मम्मी ने कहा-“पूजा, अब तू दामाद जी के साथ आई है, या फिर दीपू मेरे लिए बहू लेकर आया है?”
मम्मी की बात सुनकर मैंने शर्म से अपनी आँखें नीची कर ली।
दीदी मेरी ओर देखकर मम्मी के गले मिलती हुई बोली-“मम्मी, अभी तो मैं इसे लेकर आई हूँ, तो इस नाते ये तुम्हारा दामाद हुआ और जब ये मुझे लेकर आएगा तब तुम समझ लेना की दीपू तुम्हारी बहू लेकर आया है…” और इतना कहकर वो दोनों हूँसने लगी।
मैंने देखा की मम्मी ने दीदी के धइले पर हाथ रखते हुए कान में फुसफुसाई “क्या तेरा सही इस्तमाल हुआ की नहीं ?”
पूजा ने भी ऐसे ही जवाब दिया “मम्मी सब सुजा पड़ा है”
और एक जोरदार दोनों के मुह से अटहास्य निकला
मम्मी: चलो दामादजी अब अन्दर नहीं आओगे ?
मै: मम्मी हम अन्दर ही है आपको शायद ध्यान में नहीं है
मा: शायद आपको ध्यान में नहीं है दामादजी!!!! दामादजी पे भार रखते हुए
मै: मोम क्या आज मेरी ही लेकने की बारी है तो मै ऊपर जाऊ
“हा हा जाओ और सब कुछ रेडी कर लो” मोम ने टोंट मारते हुए कहा
मुझे वहां से खिसक जाना ही बेहतर लगा
आजा मेरी बच्ची कह के मा ने पूजा को गले लगाया और उसके पेट के निचले हिस्से पे हाथ रखते हुए पूछा “क्या खबर लायी है ? फुग्गा फूलेगा ?”
“अरे मा अभी तो उसको शांति मिली है सालो के बाद मै नहीं चाहती की अभी से मेरा फुग्गा फुले”
“हा बेटे जहा इतनी देर हुई है थोड़ी और सही” मा ने आँख मिच्कारते हुए कहा तो दीदी शर्मा गई
वो सब तो ठीक है बेटे बाकी सब ठीक हुआ न जैसा तू चाहती थी या हम चाहते थे कैसा है दीपू “
“मा अब मै तुम्हे क्या बताऊ कैसा है दीपू ये संजो की मैंने बहोत बड़ी गलती की थी उस दिन वर्ना आज उतनी देर नहीं हुई होती मै कब की उसके बच्चे की मा बन गई होती”
“क्या कड़क माल है मा उसका”
बस बस ज्यादा नहीं
माने दीदी की गांड को मसलते हुए कहा “इसकी खबर ली गई है या बाकि है अगर बाकी है तो दीपू को कह देती हु की अभी सब छेद सही नहीं हुए”
किस की मा “गांड की” कोई छोड़ता है भला
मोम एक बात बता दू की दीपू सही मर्द है और उसने मेरा हर पुर्जा ढीला कर दिया है मेरी चूत अब उसके लंड की साइज़ की बना दी है और अब बाकि सब फुग्गे उस के लंड से ही फुलेगे”
“ठीक है ठीक है ज्यादा प्रशंसा मत कर”
दीदी ने मा के कुल्हे पे हाथ रख के बोली “आप को भी टेस्ट कर ही लेना चाहिए तो मुज से पूछ ने की जरुरत नहीं पड़ेगी हा थोडा चलने में तकलीफ कर देगी”
चल जा बा यहाँ से बोल के मम्मी ने उसके हाथ अपने कुल्हे से हटा दिए और रसोई के अन्दर चल ने को निकल गई पर मुझे ऐसा लग रहा था की दीदी ने इसके स्तन को थोड़े टटोल दिए थे और मा ने एक हलकी सी आह निकाल के बोली “बहन और भाई दोनों अब बदमाश है”
लेकिन अब मुझे ये बता की रमेश वह सब सही रहे थे ना कुछ गर्बाद तो नहीं की
नहीं मा ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि हम साथ ही रहे और सब कुछ उनके सामने हुआ लेकिन .....
लेकिन क्या बेटे ?????
कुछ नहीं मोम
अब बता भोसड़ीकी रहा नहीं जाएगा जाने बगैर
अब वो मा बस ऐसे ही अब क्या बताऊ ??
बोल ना भाई लोडी
“रमेश आप को नंगा देखना चाहता है” “और यही बात थी जब उन्हों ने पहले कहा था की सब बाते कर ली ना “
क्या ..................... रंडी का बच्चा लंड उठता नहीं और मुझे ......... छी गन्दा साला
मोम मैंने वादा किया था अगर दीपू से चुदवा लू तो कम एस कम एक बार मा को आपके सामने नंगा कर दूंगी
क्या ये गलत है समज में अत है तुम दोनों को ???
मा हम ने जो किया वो भी गलत ही तो था फिर भी आपने परमिशन दी थी
मादरचोद वो बच्चे के लिए थी नहीं की वासना के लिए
मा वासना ना हो तो बच्चा कैसे होगा ?
हां वो भी है
देख पूजा वादा तो नहीं करती पर कोशिश करुँगी लेकिन सही समय आने पर
और मा दीपू के बारे में क्या सोचा है आपने ??
सोचना क्या है ???
मै चाहती हु की आपकी भूख वोही तोड़ सकता है
पागल लड़की ये गलत सोच कब से पाल ली
जब से दिपू ने चोदते हुए कहा
क्या उसने मेरे बारे में कहा ऐसा ???????????? चुटिया है क्या वो
फिर दीदी ने चुदाई की सब घटना बता दी
ओ बाप रे तुम दोनों मुझे भी ले लोगे ??? या अपनी चुदाई में मुझे भी शामिल या मेरे बारे में बाते करते हुए और वो भी रमेश के सामने !!!!!!!!!! शर्म से लाल हो गई
हा मोम अब जो था वो बता दिया
वैसे एक बात बता मेरी बात होती थी तब दीपू का क्या रिअक्शन था
और जोर से चोदता था मुझे और तुम्हारे बारे में सोच के
मुझे लगा की दीदी कुछ ज्यादा ही मसाला डाल रही थी उस बात को लेके
मोम मुझे पता है आप कब से भूखी है और अब इसका इलाज है
रमेश chat देगा तुम्हारी तो दीपू तुम्हारी परी की सेवा कर देगा पीछेवाली भी
बंध कर तेरी ये बकवास
थोड़ी देर के बाद मा थोड़ी ढीली हुई “तो दीपू की भी वहीच्छा है ?“
मा अब जाने दो जहा छह नहीं वह राह नहीं
मम्मी थोड़ी निराश हुई तो दीदी ने मम्मी की गांड की दरार को नापते हुए बोली “लेकिन चाह तो है”
मम्मी थोड़ी मुस्कुराई और बोली “ अब तुमने ये सब और उतना सब बता के मेरी सोई हुई आग जला दी”
तो हां शायद चाह है अब राह तुम दोनों देखोगे मेरे लिए और थोड़ी मुश्कुराई और शरमाई भी
दीदी: "बस तुम्हारी चाह है तो राह अपने आप बनेगी मा" और मा की गांड के दरार में अपनी ऊँगली डाल दी जो मा ने उसे हटा के बोली
अब ये सब तेरे लिए नहीं है बेटी दीपू..................
और वो दोनों अपने कुल्हे मटकाए हुए रसोई में चली गई | हाला की दोनों के हाथ एकदूसरे के कुल्हे पे ही रखे हुए थे
पता नहीं अन्दर जाके मा बेटी ने क्या किया लेकिन शाम को मा कुछ ज्यादा ही खुश लग रही थी जब की दीदी ने मुझे इशारे से कह दिया की रास्ता साफ़ है ..........
रात को