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अब मेरा दूसरा हाथ दीदी की फूली हुई चूत सहला रहा था और दीदी अपनी चूत मेरे हाथ पर जोर से रगड़ रही थी, कहा-“तेरा जीजा मादरचोद तो बस मेरी जाँघ पर ही अपना पानी निकाल देता है। मेरे भाई, मैं तो तड़पती चीखती रहती थी पर वहां मेरी सुनने वाला कौन था? मेरे भाई मुझे आनंद आ रहा है। तेरा लण्ड भी बहुत खुश्बूदार है, बहुत सुंदर है, तेरा स्पर्श बहुत सेक्सी है। दीपू तेरे हाथ मेरे अंदर एक मज़ेदार आग भड़का रहे हैं। तेरी उंगलियां मेरी चूत में खलबली मचा रही हैं। मेरी चूत से रस टपक रहा है। तेरा स्पर्श ही मुझे औरत होने का एहसास करा रहा है। मैं तेरे अंदर समा जाना चाहती हूँ। चाहती हूँ की तू भी मेरे अंदर समा जाए। मेरे जिश्म का हर हिस्सा चूम लो मेरे भाई, और मुझे अपने जिश्म का हर हिस्सा चूम लेने दो…”
मैं जान गया था की दीदी अब तैयार है। मैंने एक पेग और बनाया और हम दोनों ने पी लिया। दीदी ने अपनी पैंटी अपने आप उतार डाली और मेरे लण्ड से खुले आम खेलने लगी। एक हाथ दीदी अपनी चूत पर हाथ फेर रही थी। मैंने झुक कर दीदी के निप्पल्स चूसना शुरू कर दिया और दीदी मेरे बालों में उंगलियां फेरने लगी। दीदी की चूची कठोर हो चुकी थी और अब मैंने अपने होंठ नीचे सरकाने शुरू कर दिए।
जब मेरे होंठ दीदी की चूत के नज़दीक गये तो वो उत्तेजना से चीख पड़ी-“दीपू, मेरे भाई। क्यों पागल कर रहे हो अपनी बहन को? मुझे चोद डालो मेरे भाई। तेरी बहन की चूत का प्यार मैंने तेरे लण्ड के लिये संभाल रखा है। डाल दो इसको मेरी चूत में…”
मैं अपने सारे कपड़े खोलता हुआ दीदी के ऊपर चढ़ गया। दीदी का नंगा जिश्म मेरे नीचे था और उसने बाहें खोलकर मुझे आलिंगन में भर लिया। दीदी की चूत रो रही थी, आूँसू बहा रही थी। मैंने प्यार से अपना सुपाड़ा दीदी की चूत की लंबाई पर रगड़ना शुरू कर दिया। हम भाई बहन की कामुकता हद पार कर गई।
फिर दीदी ने बबनती की-“भैया, अब रहा नहीं जाता। घुसेड़ दो मेरी चूत में। होने दो दर्द मुझे परवाह मत करो, पेलो मेरी चूत में अपना लण्ड…”
लेकिन मैंने अपना सुपाड़ा चूत के मुँह पर टिकाकर हल्का धसका मारा। चूत रस के कारण सुपाड़ा आसानी से चूत में घुस गया।
दीदी तड़प उठी, जिसमें दर्द कम और मज़ा ज़्यादा था-“हे भैया मर गई… आह्ह… हाय बहुत मज़ा दे रहे हो तुम… और धकेल दो अंदर… पेलते रहो भैया… ऊऊह्ह… मेरी चूत प्यासी है। आज पहली बार चुद रही है। बहुत प्यारे हो तुम मेरे भाई। डाल दो पूरा…”
मैंने लण्ड धीरे-धीरे आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। चूत गीली होने से लण्ड ऐसे अंदर घुस गया जैसे मक्खन में छुरी। पूजा दीदी की चूत क्या थी बिल्कुल आग की भट्ठी। मैं भी मज़े में था। दीदी के निप्पल्स चूसते हुए मैंने पूरा लण्ड ठेल दिया अंदर। दीदी की सिसकारियाँ उँची आवाज़ में गूँज रही थी। मुझे शक था की माँ ना सुन ले।
लेकिन मेरे मन ने कहा-“अगर माँ सुन लेती है तो सुन ले। उसकी बेटी उसके दामाद के साथ बंद कमरे में कोई भजन तो करेगी नहीं, आख़िरकार उसकी बेटी है, चुदाई के मज़े लूट रही है। उसे भी तो लण्ड का मज़ा चाहिए। आख़िर मेरी दीदी को भी तो लण्ड का सुख चाहिए ही ना। अगर उसका पति नहीं दे सका तो भाई का फर्ज़ है उसको वो मज़ा देना…” फिर मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी।
दीदी भी अपने चूतड़ ऊपर उठाने लगी। उसको लण्ड का मज़ा मिल रहा था। दीदी ने अपनी टांगे मेरी कमर पर कस दी और मुझसे पागलों की तरह लिपटने लगी। आप ये कहानी मेरा लण्ड तूफ़ानी गति से चुदाई कर रहा था। दीदी के हाथ मेरे नितंबों पर कस चुके थे।
मैं-“दीदी, कैसा लगा ये चुदाई का मज़ा? मेरा लण्ड? तेरी चूत में दर्द तो नहीं हो रहा? मेरी बहना तेरा भाई आज अपनी मासूका को चोद रहा है, किसी लड़की को FunLoveद्वारा और वो भी अपनी सगी बहन को…”
दीदी नीचे से धक्के मारती हुई बोली-“दीपू, मुझे क्या पता था की चुदाई ऐसी होती है, इतनी मज़ेदार। भाई मेरे अंदर कुछ हो रहा है। मेरी चूत पानी छोड़ने वाली है। मैं झड़ने को हूँ… जोर से, और जोर से चोद मेरे भाई… उउिफ्र्फ… और जोर से भैयाआ…”
मैं भी तेज चुदाई कर रहा था। मेरा लण्ड चूत की गहराई में जाकर चोद रहा था और मुझे भी झड़ने में टाइम नहीं लगने वाला था ‘फ़च-फ़च’ की आवाज़ें आ रही थी। तभी मेरे लण्ड की पिचकारी निकल पड़ी, मैं सिसका-“आआह्ह… दीदीईईई मैं भी गया… मैं गयाअ…”
दीदी की चूत से रस की धारा गिरने लगी और हम दोनों झड़ गये। मम्मी बाहर से हम भाई बहन को देख रही थी। लेकिन हम इस बात से अंजान थे। फिर मैं पूजा दीदी के साथ लिपटकर सो गया। चुदाई इतनी जोरदार थी की मुझे पता ही नहीं चला की मैं कब तक सोता रहा। जब नींद खुली तो दोपहर के 12:00 बज चुके थे। दीदी मेरे बिस्तर में नहीं थी।
उठकर कपड़े पहने और मैं नहाने चला गया। पपछले दिन की शराब का नशा मुझे कुछ सोचने से रोक रहा था। सिर भारी था। नहाकर जब बाहर निकला तो मैं चुस्त महसूस करने लगा। दीदी के साथ चुदाई की याद मुझे अभी भी उतेजित कर रही थी। रात के बाद दीदी की चुदाई का अपना ही अलग मज़ा था, पर मुझे डर था की कहीं माँ हमारे इस रिश्ते से नाराज तो ना होगी? ये सवाल मेरे दिमाग़ में कौंध रहे थे। जब मैं निर्मित पढ़ रहे हैमम्मी के रूम से गुजर रहा था तो मुझे मम्मी और दीदी की आवाज़ सुनाई पड़ी,
यहाँ से अब कल मा बेटी उनका वार्तालाप और कुछ और भी ........