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अगली सुबह
अगली सुबह 8 बजे पूजा अपने बेड से उठी तो पाया की दोनों नंगे ही थे और दीपू का एक हाथ उसके स्तन पे था और लगभग आधा उसके ऊपर ही था क्यों की उस्ल्का एक पैर उसके साथल पे था जो उसके पेट से थोडा निचे वो धीरे से उसकी नींद ख़राब ना हो उसके हाथ और पैर को हटाके बेड पद बैठ गई उसने देखा की दीपू का लंड बहोत गहरी नींद में था एकदम मुरजाया हुआ
वो थोडा मुस्कुराई और धीरे से निचे की तरफ उसके लंड के करीब गई और एक मुस्कान के साथ मन में बोली बहोत थक गया है मेरी चूत का यार है ना !!! और थोडा झुक के जो लंड पे एक किस कर दी और थोडा लंड के ऊपर जो रात का माल पड़ा था दोनों का उसने धीरे से लंड को पकड़ के थोडा ऊपर की और कर के उसके सुप्पारा जो की चमड़ी के अन्दर पूरी नींद में था उसको अपनी जीभ की नोक से चाट कर साफ़ कर दिया एक चादर दीपू के ऊपर डाल दी और बोली मेरे लंड पे कोई नजर ना डाले और बाथरूम के तरफ फ्रेश होने को चली गई|
आधा घंटे के बाद जब वो अपने कमरे से बहार आई और सीडिया उतारते हुए देखा की मोम सोफे में बैठी हुई थी
अरे मोम आप उठ गई ???
मोम ने ऊपर की और देखा और इशारा किया की रम को बंध करे
पूजा ने रुम लोक किआ और फ़टाफ़ट निचे उतर गई पर ठीक से चल नहीं पाई
मोम थोडा सा मुस्कुराई और बोली “दीपू सो रहा है अभी ???? और तू मुझे पूछ रही है देख सुबह के 9 बज गए है”
“हां मोम सोरी वो जरा कल रात को थोडा लेट हो गया”
मोम थोडा हसी और बोली “हां भाई रात की थकावट वैसे भी कुछ ज्यदा होती है अब इतनी बार हो चुका है फिर भी उतरते वक़्त ठीक से उतर नहीं सकती !!!!!!!!!”
“मोम वो बस ऐसा वैसा कुछ नहीं आप भी ना मेरी टांग खीच ने से उबती ही नहीं”
“चल बाते मत बना मुझे पता है चाय किसे बनानी है मैंने मेरी चाय एक बार तो पि ली” मोम ने पूजा के शरीर पे पूरी नजर डालते हुए कहा
आप चाहे तो मै बना लेती हु दूसरी बार पीयेगी ??
हा बिलकुल अकेले में कुछ मजा ही नहीं आई चल मै भी अन्दर आती हु कुछ शब्जी काट लेती हु ..........
“वैसे भी अब इस घर में मै अकेली ही हु जिस के पास टाइम ही टाइम है बाकी लोग तो थके हुए ही रहते है” मोम अन्दर की ऑर चलते हुए बोली
“मम्मी तो आप भी थक जाए किसने रोका है”
“अब तू मेरी टांग खीच” हस्ते हुए मा बोली
“पता नहीं इस घर में और क्या क्या हुआ है और आगे क्या क्या होने वाला है मेरी तो समज के सब बाहर है”
पूजा को लगा की मोम को पघल ने के लिए उसे और बहोत महेनत करनी पड़ेगी|
“अच्छा मम्मी क्या आपको सच में ये सब बुरा अगता है?” अगर ऐसा है तो हम या मै चली जाती हु मेरा क्या है रमेश कोई और जुगार्ड कर लेगा या फिर मुझे ही कही और जगह ननगा होना पड़ेगा और उसके क्या क्या परिणाम हो सकते है या कितना ख़राब स्थिति का निर्माण होगा ये सब भुगतने को मुझे और मेरे घरवाले को तैयार ही रहना पड़ेगा|”
पूजा ने मोम को इमोशनल ब्लेक मेल करने प्रयास किया जो कुछ हद तक सार्थक भी रहा
मोम ने पूजा के गाल पर एक हलकी सी थप्पड़ मारते हुए कहा “ऐसी बात फिर कभी ना बोलना ये सब हुआ है उसमे सब की समाती है या थी सब से पहले रमेशजी की बाद में तेरी और मेरी भी हां मुझे ये सब बुरा तो लगा ही था पर अब शायद मै मन से इस रिश्ते को स्वीकार कर्ण लगी हु”
“पर कभी कभी डर भी लगता है की भविष्य में रमेशजी ने कुछ ऐसा वैसा सूना दिया मेरी बच्ची को तो मै क्या करुँगी” उस्न्की आँखे थोड़ी नमी हुई थी
“मोम उनकी फिकर ना करे क्यों की ये सब बाते पुरे सोच विचार के साथ किया है और सब बाते जो अब तक हुई है उसमे रमेश का पूरा साथ और सहकार है और आगे जो भी होगा उसमे भी”
पूजा को लगा मोम को थोडा सा जलन भी पैदा करनी पड़ेगी तभी ये भूख और बहार आ सकती है जब तक मोम की भूख बहार नहीं आयेगी या फिर लंड की तड़प जो है पर दिखा नहीं रही उसे बहार तो लाना ही पड़ेगा तभी दीपू का रास्ता साफ़ होगा और मेरा भी|
कुछ देर दोनों ने कुछ बात नहीं हुई पर अचानक पूजा ने कहा
“मम्मी, दीपू ने मुझे जिंदगी का असल आनंद दिया है। उसी ने मुझे बताया की एक मर्द एक औरत को कितना मज़ा और आनंद दे सकता है, सच माँ, दुनिया ने तो जितना दर्द दिया सब भुला दिया भाई ने। चाहे दुनियाँ इस प्यार को जो चाहे नाम दे, या पाप कहे लेकिन मेरे लिए दीपू किसी भगवान से कम नहीं है। मेरे लिए देवता है, मेरा मालिक है, मैं तो अपने भाई के साथ ये जिंदगी बिताने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ। कल तक लण्ड, चूत, चुदाई जैसे शब्द मुझे गाली लगते थे, लेकिन आज ये सब मेरी जिंदगी हैं। मम्मी, तू तो मेरी मम्मी है। तुझे तो मेरी खुशी की प्रार्थना करनी चाहिए। अब तो तुझे भी मर्द का सुख ना मिलने पर दुख हो रहा होगा। मम्मी, अब मैंने दीपू को अपना पति, अपना परमेश्वर मान लिया है…”
मोम: “ठीक है ठीक है” लेकिन इस “ठीक” है बोलने में पूजा को उसकी थोड़ी सी जलन दिखाई इ उनके मुह पर अब थोड़ी सी उदासी भी दिखी, अब तक चाय बन चुकी थी दो कप में चाय को निकाल के दोनों डायनिंग टेबल की और बढ़ी
दोनों डायनिंग टेबल पे बैठ के अपनी अपनी चाय को न्याय दे रहे थे तभी ..............
ट्रिन.......ट्रिन.........ट्रिन.......पूजा का मोबाइल बज उठा
पूजा ने स्क्रीन पे देखते हुए थोडा मुस्कुराई और फोन पिक किया
हल्लो .....
सामने से आवाज आई “hello आपको तो हमारी याद आएगी नहीं सोचा हमें ही याद करना पड़ेगा”
पु:”अरे एसा कुछ नहीं है डियर मै तुम लोगो को कैसे भूल सकती हु भला”
सामने: “खेर आपका फोन अब तक नहीं आया तो मुझे तो ऐसा लगा की मुझे आपको याद दिलानी ही पड़ेगी की दुनिया में और कोई भी है ....और बताओ बाकी आप लोग कैसे है?”
पु; “जी हम लोग तो सही है और अच्छे है आप लोग कैसे है और हां भूल ने की कोई बात ही नहीं बस समय नहीं मिला”
खेर चलो इन लोगो को बाते करने दो तब तक हम थोडा फ्लेश बेक में चले जाते है................... अभी तक की कहानी को यहाँ थोडा अल्पविराम देते है ताकि वो लोग अपनी आप को आगे बढे और तब तक हम कुछ और पता करके आते है वापिस यही पर ......................