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जीजू मेरी तरफ देखने लगे लेकिन मेरे लण्ड से पानी अभी नहीं निकला था। मुझे पता था कि दीदी झड़ चुकी हैं, मैं फिर भी दीदी की तेजी से चुदाई करता रहा। लेकिन दीदी मृत शरीर की तरह पड़ी कोई रेस्पॉन्स नहीं दे रही थी, इसलिए मैं थोड़ा धीरे हो गया और फिर रुक गया। मैंने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाल लिया, मेरा लण्ड दीदी के चूत जूस से पूरा भीगा हुआ था। मेरी और दीदी दोनों की सांस फूली हुई थी और मुझे काफ़ी प्यास भी लग चुकी थी। मैं टेबल से पानी उठाकर पीने लगा।
जीजू भी मेरे पास आ गये और पेग बनाते मुझे बोले-“दीपक रुक क्यों गया यार, चोदता रह… जब तक तुम डिस्चार्ज नहीं होते लगे रहो…”
मैं अपनी सांसें कंट्रोल करता हुआ बोला-“जीजू, अब आपकी बारी है, लगता है दीदी को भी ब्रेक चाहिये…”
दीदी भी उठकर बेड पे बैठ गई। फिर कुछ देर हम बातें करते रहे और पेग लगाते रहे। मैंने और जीजू ने अपना गिलास खाली कर दिया था, लेकिन दीदी का गिलास भरा पड़ा था। फिर दीदी उठी, अपना पेग उठाया और आधा गिलास ड्रिंक अपने मुँह में भर ली, फिर जीजू को अपने होंठ पे इशारा करके किस करने के लिए कहा।
जीजू ने दीदी के दोनों होंठ अपने मुँह में लेकर लाक कर लिया। अब दीदी ने अपने फूले हुए गालों वाले मुँह में भरी सारी व्हिस्की जीजू के मुँह में ट्रांसफर कर दी, और 1-2 मिनट तक वो दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते रहे, स्मूच करते रहे। दीदी साथ में एक हाथ से जीजू का लण्ड भी हिलाने लगी थी और जीजू भी दीदी की चूचियों को दबाकर मस्त हो रहे थे।
फिर कुछ देर के बाद दीदी ने स्माइल के साथ मेरी तरफ देखा और अपना बाकी आधा भरा व्हिस्की का गिलास उठाया और अपनी एक टांग बेड पे रखकर अपनी चूत के आगे गिलास करके अपनी चूत को गिलास के किनारों से सॉफ कर दिया, चूत ज्यूस गिलास के किनारों पे रेंग रहे थे, फिर दीदी ने व्हिस्की के गिलास के अंदर अपना हाथ डालकर व्हिस्की और चूत रस को मिक्स कर दिया। अब ठीक पहले की तरह व्हिस्की का सारा गिलास खाली करके सारी ड्रिंक अपने मुँह में भर ली और मुझे अपने होंठों की तरफ इशारा करके किस करने को बोली।
मैंने भी जीजू की तरह ही दीदी के बंद दोनों होंठों को अपने मुँह में ले लिया तो दीदी ने सारी ड्रिंक मेरे मुँह में भर दी। और हम दोनों का कामरस वैसे मेरा प्री कम ही खो लेकिन पि चुके|
हम दोनों बहन भाई बेशर्म हो चुके थे, अब जीजू की प्रेजेन्स का भी कोई खास असर नहीं हो रहा था। हम करीब 5 मिनट तक एक दूसरे के होंठ और जीभ चूसते रहे, साथ-साथ मैं दीदी के हाथ मेरे लण्ड से और मेरे हाथ दीदी की चूत और चूचियां पे खेल रहे थे।
दीदी कैसा रहा ??
दीपू तू तो जबरदस्त है और ये रोड का तो क्या कहना तुम्हारा क्या कहना है रमेश ?
रमेश: “अरे बिचारे का लंड अभी खाली नहीं हुआ और तेरी गुफा हार गई, लेकिन उसने तेरी मुह चुदाई अच्छी की थी| मुझे मेरे माल के लिए ऐसा ही लंड चाहिए था जो मिल गया अब मै निश्चिन्त हो गया| उसकी मा को चोदे घर में ही ऐसा प्यारा सा लंड मौजूद था और हम दोनों बहार की सोच रहे थे”
पूजा: अरे मेरी चूत में बहोत रस बाकी है ऐसे कैसे खाली हो जाती वो तो मै थक गई और हां चूत ने भी थोडा जवाब दे ही दिया पर दीपू तुम्हे चिंता करने की कोई जरुरत नहीं ये चुदाई मशीन अभी भी तेरे लंड को खाली करने को तैयार ही है ये तो चूत के लिए पहला अनुभव था ऐसा सांड का लंड लेने के लिए लेकिन अब मेरी गुफा बस दीपू के लंड की है| बस एक बार उसके लंड जैसा मेरी चूत में से भोस अपनी आकार ले ले फिर आनंद ही आनंद”
दीदी फिर से गरम हो गई लगती थी, जीजू और दीदी बिल्कुल नंगे खड़े थे लेकिन मेरे जिश्म पे अभी भी टी-शर्ट थी। फिर दीदी ने मेरी टी-शर्ट को कमर के करीब से पकड़ा और उतार दिया। अब मैं और जीजू फिर दीदी के सामने खड़े हो गये। दीदी हम दोनों के लण्ड को एक साथ मुँह में डालने की कोशिश करने लगी। जीजू का लण्ड तो मेरे लण्ड से आधा भी नहीं था और मेरा लण्ड लंबा होने के साथ-साथ काफ़ी मोटा भी था। दीदी हम दोनों के लण्ड से खेल रही थी। कुछ देर के बाद दीदी हमारे लण्ड चूसने के बाद खड़ी हो गई और मैं और जीजू दीदी के जिश्म को भूखे कुत्ते की तरह चाटने लगे। जीजू दीदी के पीछे खड़े होकर उसके कान, गर्दन, कंधे और उभरी हुई गाण्ड के गोले चूमने लगे, तो मैं पहले मुँह में मुँह डालकर स्मूच करने लगा, फिर गर्दन पे किसिंग करता नीचे आ गया, चूचियों को दोनों हाथों से पकड़कर अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। धीरे-धीरे नीचे नाभि पे ही पहुँचा था।
तभी जीजू बोले-“पूजा बेड पे सही रहेगा, खड़े-खड़े मुश्किल हो रही है…”
अगले पल हम तीनों बेड के ऊपर थे। मैं दीदी की चूत चाटने के लिए मरा जा रहा था, लेकिन फिर भी जीजू की प्रेजेन्स मुझे थोड़ा रोक रही थी। अब मैं सोच रहा था कि दीदी को इतना मज़ा देना है कि दीदी यह सोचने के लिये मजबूर हो जाये कि काश, उसने यह मज़ा पहले ही ले लिया होता। दीदी को चोदकर आज मुझे उसे अपनी कुतिया बनाना था। इसलिये मैंने स्लो मोशन शुरू किया, दीदी के पैर के अंगूठे को किस करना शुरू कर दिया, फिर धीरे-धीरे पैर की बाकी उंगलियों को चाटने लगा, फिर टांगों पे किस करता हुआ ऊपर जांघों की तरफ जाने लगा।
दीदी की गोरी चिकनी टांगों पे मेरी तरह कोई बाल नहीं था, मैं दीदी के घुटनों को चूमता ऊपर जांघों पे आ पहुँचा था। फिर मैंने दीदी की दोनों टांगों को इकट्ठे करके अपने सामने 90° डडग्री पे ऊपर खड़ा कर दिया और चूतड़ों पे अपना मुँह घुमाने लगा, दीदी की गाण्ड के दोनों चूतड़ों को किस करता-करता फिर टांगें खोलकर दीदी की जांघों पे लगाकर उसकी चूत और मेरे लण्ड का मिक्स जूस चाटने लगा। फिर चूत के आस-पास अपनी जीभ घुमाकर सारा जूस चाट लिया और दीदी की नाभि पे अपना सलाइवा डालकर उसे अपनी जीभ से नीचे दीदी की चूत की तरफ फैला दिया।
इस बीच दीदी का एक हाथ, स्मूच कर रहे जीजू के सर के पीछे था और दूसरे हाथ से वो जीजू के लण्ड को हिला रही थी।
अब मुझसे सबर नहीं हो रहा था, मैंने दीदी की चूत के होंठों को अपने दोनों हाथों से खोला, चूत के बीच में जो रेड कलर की संतरे की फांकों जैसी चमड़ी होती है उस पे अपनी जीभ लगाकर उस पे लगा जूस चाटने लग गया।
दीदी से भी कंट्रोल नहीं हुआ तो उसने जीजू का लण्ड छोड़कर झट से अपने दोनों हाथों से मेरा सिर अपनी चूत पे दबा दिया। जैसे-जैसे मैं चूत पे अपनी जीभ फिराता, दीदी की कमर और ऊपर उठने लगी थी। फिर मैंने स्मूच करने वाले स्टाइल में दीदी की चूत को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और अपनी जीभ को दीदी की चूत के अंदर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा।
दीदी के मुँह से बहुत जोर से निकला-“अयाया दीपू, मेरे भाई, अब शुरू कर दो… अब रहा नहीं जाता मेरे प्यारे भैया…”
मैं दीदी की बात सुनकर बोला-“मेरी जान, मेरी छम्मकछल्लो, अब मैं तेरा भैया नहीं, अब तो मैं तेरा सैया हूँ, अब तो लण्ड डालने के लिए भैया से नहीं अपने सैंया से कह…”
दीदी-“हाँ मेरे सैंया, अब से तुम मेरे भैया भी हो, और मेरे सैंया भी। अब क्यों तड़पाते हो, डाल भी दो ना अपना ये मस्त लौड़ा मेरी चूत में…”
जीजू स्माइल करते हुये मेरी तरफ देखने लगे फिर बोले-“एक मिनट दीपक…”
तो मैं दीदी की चूत चाटता चाटता उनकी तरफ देखने लगा।
वो फिर बोले-“पूजा तुम उठो, दीपक तुम लेट जाओ सीधे…”
हम दोनों बहन भाई ने उनको फॉलो किया। मैं सीधा लेट गया और जीजू ने मेरे सर के पीछे दो तकिए रख दिए, जिससे मेरा सर ऊंचा हो गया। जीजू की प्लानिंग के हिसाब से दीदी ने अपनी टांगें मोड ली, और अपने घुटनों पे बैठकर मेरे सिर के दोनों तरफ अपनी टांगें कर ली और अपनी चूत मेरे मुँह के बिल्कुल सामने कर दी थी, दीदी के दोनों हाथ मेरे सर के पीछे थे, वो जब चाहे मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत पे दबा सकती थी, यानी दीदी मेरे मुँह के ऊपर चढ़कर अपनी चूत चटवाने लगी थी, मेरा लण्ड किसी सख़्त डंडे की तरह खड़ा उठक बैठक कर रहा था, में दीदी की चूत चाटने में मस्त हो गया।
दीदी अपना पानी छोड़ती जा रही थी, और मैं चाटता जा रहा था। अब दीदी खुद जैसे उसको अच्छा लगता था, अपनी चूत ऊपर-नीचे करके मेरे मुँह पे रगड़ रही थी। दीदी अपनी कमर चला-चलाकर मुझे अपनी चूत चटवा रही थी-“हाए मेरे राजा, मेरे सैंया, मेरे भैया, चाटो मेरी चूत… अपनी इस रांड़ सजनी की चूत…”
और जीजू दीदी को पीछे से किस करते-करते, मेरे पेट पे हाथ फिराने लगे, कुछ देर बाद उन्होंने मेरे लण्ड को पकड़कर हिलाना शुरू कर दिया, और मुझे स्ट्रोक करने लगे फिर धीरे-धीरे मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे, मैं चकित हो गया, मेरा शक सही निकला, जीजू ‘गे’ ही निकले थे (वैसे ओरिजिनल कहानी में गे था पर हिंगलिश कहानी में नहीं था और मेरी इस कहानी में भी गे नहीं होगा शायद ककोल्ड हो सकता है सो माफ़ करे मैंने उसके गे पार्ट को हर जगह से एडिट कर दिया है और आपकी जानकारी के लिए मै हिंगलिश कहानी को फोलो नहीं करती पर इंग्लिश से कर रही हु हिंगलिश में पूजा दीपू के पीछे थी और यहाँ दीपू पूजा के पीछे आगे भी बहोत डिफ़रेंस आप को मिलेंगे )। उन्होंने बहुत शौक से मेरे लण्ड को चूमना चाटना शुरू कर दिया।
बाकी कल