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Incest तीनो की संमति से .....

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Funlover

I am here only for sex stories No personal contact
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मेरे सभी पाठको को से एक नम्र निवेदन आवेदन अरजी request या फिर जो भी आप समजते है

आप मेरी द्वारा लिखी गई कहानी आप को मनोरंजन देती है मै नहीं

कृपया मुझे अपना मनोरंजन का साधन ना समजे उसी में सब की भलाई है ( मेरी भी और आपकी भी)

अपने आप को कंट्रोल में रखना आप का काम है मेरा नहीं

जैसे आप कहानी पढ़ के मनोरंजित होते है वैसे ही दूसरी महिलाए भी अपने आप को मनोरंजीत करने आती है अपनी नुमाईश या अपने शरीर द्वारा आप का मनोरंजन करने नहीं

महिलाओं को अभी उतना ही हक है जितना आपको है महिला को सन्मान दीजिये


अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप को निवेदन है की मेरा ये थ्रेड आपके लिए उचित नहीं है .............................

आप कहानी पे किसी भी पात्र पे कोई भी कोमेंट करे लेकिन लिखनेवाले पे नहीं ..........

आप की हर कोमेंट आवकार्य है बस थोडा सा कंट्रोल के साथ ....


आप सब की आभारी हु ......
 
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Premkumar65

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इतने में मम्मी चहकती हुई बोली-‘बेटी, तुम आज स्कूल नहीं गई?’ ‘आज तो छुट्टी है।’ मैंने यह कहकर मम्मी की ओर देखा। आज उसने गुलाबी साड़ी बांध रखी थी। मम्मी पर गुलाबी कपड़े बहुत ही खिलते थे। उसका रूप उनमें और अधिक दमक उठता था। मुझे जहां तक मालूम था, मम्मी सजती-संवरती तभी थी, जब कुशाग्र अंकल घर पर होते थे या आने वाले होते थे।

वैसे तो सजना-संवरना मम्मी के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा था। लेकिन उस दिन वह विशेष रूप से साज-श्रृंगार करती थी, जब कुशाग्र अंकल घर पर होते। मैं अचानक ही बोल पड़ी तो कुशाग्र अंकल आज आने वाले हैं?’ मेरी समझ में यह नहीं आ रहा कि मम्मी पापा के लिए क्यों नहीं सजती-संवरती है? शायद मां के सपनों के राजकुमार पापा नहीं हैं, कुशाग्र अंकल ही हैं।

वैसे यह कड़वा सच भी है। कुशाग्र अंकल पापा से अधिक सुन्दर और स्मार्ट हैं। अपने आप को हमेशा ही सुन्दर बनाकर रखते हैं। कपड़े ढंग के पहनते हैं और पापा, पापा तो बिलकुल ही ढीले-ढाले व्यक्ति हैं। एक ही कपड़े को दो-दो रोज तक पहने रहते हैं। शेव तभी बनाते हैं, जब खुजली होने लगती है या उन्हें कोई टोक देता है। मां को तो चुस्त और खूबसूरत पुरुष चाहिए। कुशाग्र अंकल चुस्त भी हैं और सुन्दर भी हैं।’

इसी बीच मां ने मुझे टोक दिया-‘यह लड़की तो हमेशा ही कुछ-न-कुछ सोचती ही रहती है। जा, अपनी सहेली रचना से मिल आ। वह तुम्हें कल याद कर रही थी।’

मैं अवाक रह गई-‘मां, मुझ पर आज इतनी मेहरबान क्यों है? अचानक ही मुझे रचना के घर क्यों भेजने लगी? आखिर माजरा क्या है?’ एक साथ मेरे मस्तिष्क में न जाने कितने ही सवाल उमड़ने-घुमड़ने लगे, लेकिन मुझमें यह पूछने की हिम्मत ही नहीं थी, कि तुम मुझे जबर्दस्ती रचना के घर क्यों भेज रही हो? आखिर तुम्हारा इसमें क्या स्वार्थ है? खैर रचना से मिलने के लिए तो बेताब मैं भी थी। मैं पैदल ही उसके घर चल दी।

रचना का घर हमारे घर से पैदल कोई दस-पन्द्रह मिनट का रास्ता था। मैं माधरी के घर पहुंची तो दरवाजा खुला हुआ था। मैं बिना आवाज दिए ही अन्दर चली गई। घर में उसकी मां के सिवा कोई नहीं था। रचना का भाई देवगन भी नहीं था।

मुझ पर उसकी मां की नजर पड़ी तो वह बोली-‘अन्दर आ जा काजोल, काफी दिनों बाद आई है। रचना और देवगन तो अपनी नानी के घर गए हैं, कल सुबह तक आ जाने की उम्मीद है। खडी क्यों है? आ बैठ तो सही।’

मैं उसकी मां के साथ बैठकर भला क्या बात करती। दो-तीन मिनट तक खड़ी रही, फिर बोली-आण्टी, मैं जा रही हूं, रचना आए तो कह देना मैं आई थी।’ यह कहकर मैं दरवाजे से होते हुए बाहर आ गई।

रचना हमउम्र थी, लेकिन उसका भाई देवगन मुझसे एक साल छोटा था। वैसे वह देखने में छोटा नहीं लगता था। देवगन बहुत शरारती भी था। वह केवल शरारती ही नहीं था, बहुत सुन्दर और स्मार्ट भी था। मेरी उम्र यही कोई पन्द्रह-सोलह की थी। देवगन पन्द्रह का था। जीन्स की पैंट और टी-शर्ट में वह किसी राजकुमार से कम सुन्दर नहीं लगता था।

मैं यही सब सोचती हुई अपने घर आई तो दरवाजा धक्का देते ही खुल गया। मैं बरामदे से होते हुए मम्मी के बेडरूम के सामने आई तो किसी मर्दाने आवाज को सुनते ही ठिठक गई-पापा तो घर पर हैं नहीं। दो दिनों के लिए बाहर गए हैं।

फिर यह मर्दानी आवाज कहां से आ रही है और यह आवाज किसकी हो सकती है?’ मैं वहीं खड़ी होकर सोचने लगी, कि यह आवाज कहां से आ रही है। यह आवाज मम्मी के बेडरूम से आ रही थी। मैंने सोचा, ‘शायद पापा आ गए हैं, लेकिन वह तो ऑफिस के काम से गए हैं। काम बीच में ही छोडकर कैसे आ सकते हैं?’

मैं यह सोचते-सोचते दबे पांव मम्मी के बेडरूम की ओर बढ़ गई। दरवाजे के नजदीक आकर खिड़की की ओर देखा तो खिड़की बंद थी। मैं अन्दर झांकना चाहती थी। मेरे मन में वैसे कोई दुर्भावना नहीं थी। मैं तो यह देखने के लिए बेचैन थी, कि कहीं पापा तो नहीं आ गए हैं। तभी मेरी निगाह दरवाजे के गोल छेद पर पड़ी। मैं एक आंख बंद कर दूसरी आंख से उस छोटे से गोल छेद में झांकने लगी।

अन्दर का नजार देखकर मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। मैंने अपनी आंखें मलकर फिर उस गोल छेद से झांका तो वही दृश्य नजर आया। इस बार अविश्वास करने का कोई सवाल ही नहीं था। कुशाग्र अंकल बिल्कुल ही निर्वस्त्र थे और मम्मी चड्डी-बनियान में थी। इस मुद्रा में दोनों ही बहुत खुश थे। एक-दूसरे की आंखों में आंखें डाले यूं बैठे थे जैसे एक-दूसरे को सम्मोहित कर रहे हों।

इतने में मम्मी ने कुशाग्र अंकल के पेट में गुदगुदी की। वह अनायास ही हंसने लगे और हंसते-हंसते ही उन्होंने मम्मी को अपनी गोद में उठाकर बिठा लिया। मम्मी उनके गले में बांहें डालते हुए बोली-‘तुम्हारी बांहों का स्पर्श बड़ा ही उत्तेजक है। दिगम्बर ने तो मुझे कभी ऐसा आनंद दिया ही नहीं।’

‘तुम्हारा पति दिगम्बर कोई मर्द थोड़े ही है, वह तो भोदू है। न जाने कैसे उसके साथ तुम रहती हो।’ कुशाग्र अंकल यह कहकर हंसने लगे।

‘दिगम्बर तो एक खम्भा है, जिसकी आड़ में मैं तुम्हारे साथ रहती हूं। दिगम्बर जैसे पति को उंगलियों पर नचाना मुझे खूब आता है।’ मम्मी यह कहते-कहते काफी आक्रामक हो गई और उसने कुशाग्र अंकल के गाल को दांतों से काट लिया। कुशाग्र अंकल भी कहीं चूकने वाले थे।

एक हल्की-सी सीत्कार लेते हुए उन्होंने मम्मी को बांहों में समेट लिया, फिर उसके होंठों को जोर से भींच लिया-‘अब कैसा लग रहा है?’ ‘कैसा क्या लग रहा है। अच्छा लग रहा है। क्या तुम्हें नहीं पता, स्त्रियां दर्द से मिठास चूसती हैं।’ मम्मी के शब्द यह कहते-कहते लड़खड़ा गए।

उसकी आंखें बंद हो गई। दोनों एक-दूसरे के होंठ ऐसे चूस रहे थे जैसे लॉलीपाप या आईस्क्रीम चाट रहे हों। तभी कुशाग्र अंकल ने मम्मी को एक हल्की-सी थपकी लगाई। इस थपकी के जवाब में मम्मी ने भी उनकी पीठ पर एक हल्की-सी चिकोटी काट दी।

सेक्स का इतना जीवन्त और उत्तेजक दृश्य मैंने पहली बार ही देखा था। मेरा रोम-रोम रोमांचित हो उठा। मेरे कपड़े पसीने से नहा गए। मुझे इस खेल को देखने में आनंद भी आ रहा था और घृणा भी हो रही थी। घृणा इसलिए हो रही थी, क्योंकि यह खेल मेरी मम्मी किसी दूसरे मर्द के साथ खेल रही थी।पापा के साथ वह खेल में शामिल होती तो शायद मुझे घृणा न होती या मैं इतनी देर तक यहां न खड़ी होती।

इतने में ही मैंने देखा, दोनों एक-दूसरे से थक-हार कर ऐसे दूर-दूर बैठे हांफ रहे हैं, मानों दो शिकारी कुत्ते बराबर की कुश्ती लड़ते-लड़ते थक गए हों और पुनः लड़ने के लिए सुस्ता रहे हों। तभी मम्मी ने हाथ का इशारा करते हुए कहा-‘आओ यहां मेरे पास…आज तो होंठ ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई आईस्क्रीम चूसता हो।’

‘क्या तुम इस मामले में पीछे थी?’ कुशाग्र अंकल यह कहकर जाने के लिए उठ खड़े हुए। मम्मी ने उनका हाथ झुककर पकड़ लिया-क्यों, दिल भर गया?’ ‘अब बस भी करो। काजोल कहीं आ गई तो मुश्किल हो जाएगी।’

कुशाग्र अंकल की आवाज में थकान थी, लेकिन मम्मी के चेहरे पर थकान की शिकन तक भी नहीं थी। उसकी आंखों में तो अभी यौन-आमंत्रण हिलोरें मार रहा था। उसने कुशाग्र अंकल को खींचकर पलंग पर बिठा दिया-‘काजोल अपनी सहेली के घर गई है।

वह अभी नहीं आने वाली…’ मेरे शरीर में एक सिहरन-सी दौड़ गई। ‘तुम भी…।’ कुशाग्र अंकल ने यह कहते-कहते मम्मी को बांहों में भींच लिया-‘लगता है अब कल वाले आसन का इस्तेमाल करना पड़ेगा।’ ‘करों न, मना किसने किया है।’ मम्मी यह कहते-कहते हंसने लगी। अंकल ने उसको पलंग पर पटक दिया। मम्मी का पूरा शरीर पलंग पर मचल रहा था। अंकल ने हाथ बढ़ाकर टेपरिकार्डर ऑन कर दिया संगीत की धुन बड़ी ही उत्तेजक और दिलकश थी।

तभी अचानक ही मुझे छींक आ गई। सारा गुड़-गोबर हो गया। मैं हड़बड़ा कर अपने कमरे की ओर भागती चली गई और पलंग पर निढाल पड़ गई। मुझे अपने आप पर बहुत ही खीझ आ रही थी-‘इस नासपीटी छींक को क्या अभी ही आना था। सारा खेल बिगाड़ दिया।

इतने में दरवाजा खुलने की ‘भडाम’ की आवाज हई। मैं फटाफट पलंग से उठकर कपडे बदलने लगी. ताकि मम्मी यह समझे कि मैं माधरी के घर से अभी-अभी आ रही हैं। इसी बीच मम्मी मेरे कमरे में दाखिल हई। मैंने देखा, वह काफी भयभीत थी। वह मेरे करीब आकर बोली-‘कब आई?’

‘अभी चली ही तो आ रही हूं।’

‘रचना घर पर ही थी?’
Nice update.
 

Premkumar65

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दीदी ने अपना सर पीछे की तरफ सरकाकर आँखें बंद करके चैन की लंबी सांस ली। जीजू दीदी की चूचियों पे झुके उन्हें चूसने में मस्त थे, फिर टेढ़ी आँख से मुझे दीदी की चूत में चोदते देखने लगे। मेरा लण्ड पूरी तेजी से दीदी की चूत के अंदर-बाहर आ जा रहा था, में अपना 8-10 साल पुराना गुस्सा निकाल रहा था। इस जिश्म के लिए मैं 4-5 साल तड़पा था। चोदते-चोदते मुझे जब भी दीदी की डाँट का ख्याल आता तो मेरा गुस्सा और भड़क जाता और मैं अपना पूरा लण्ड बाहर निकालकर उसे जोरदार झटके से चूत के निशाने पे हिट करता, और जोर से झटका मारता तो दीदी का सारा जिश्म हिल जाता।

कई बार तो दीदी का सर बेडरेस्ट से जा टकराता लेकिन मुझे उस बात से कोई फरक नहीं पड़ता था। अगले ही पल मैं जल्दी से भूखे शेर की तरह दीदी की कमर पे चिपके अपने हाथों से दीदी के सारे जिश्म को नीचे खींच लेता, और फिर से जोरदार चुदाई शुरू कर देता। दिल कर रहा था कि दीदी की चूत का ऐसा हाल कर दूं कि उसे हमेशा याद रहे।

जोरदार झटकों के लगने से दीदी के मुँह से-“अया… अया… उम्म्म… उम्म…” की आवाजें की सिसकन हो रही थी।

मेरा लण्ड तेजी से दीदी की चूत को ड्रिल कर रहा था जिससे मेरे लण्ड के पीछे वाली साइड और दीदी की चूत के आस-पास एक सफेद कलर का झाग जमा होने लगा था। जीजू दीदी की चूचियों को किस करते-करते नीचे मेरे लण्ड और दीदी की चूत की तरफ आ गये, जीजू ने उस सफेद झाग को अपनी उंगली से सॉफ किया और अपने अंगूठे और पहली उंगली से उसकी गांड टाइप चिपचिपाहट देखने लगे। फिर उन्होंने वोही सफेद झाग थोड़ा और अपनी उंगली पे लगाया और अपनी उंगली दीदी के मुँह में डाल दी। दीदी ने भी कोई विरोध किये बगैर उसे चाट गई| ये देख कर मै और भी उत्तेजित हो गया जैसे खून का दबाव मेरे लंड में उंचाई तक पहोच गया हो|

मैंने चुदाई की स्पीड और तेज कर दी। मैं दीदी पे अब तक का सारा गुस्सा निकाल रहा था। और दीदी की चूत से अपना लौड़ा बाहर निकलकर ऐसे हिट करता जैसे कोई सांड़ किसी इंसान को पीछे हटकरके अपने सर से हिट करता है। मेरे अंदर लण्ड के पीछे जलन हो रही थी कि कब मैं अपना सारा गरम पानी निकालकर दीदी के अंदर छोड़ दूं। लेकिन इतना तेज चोदने के वाबजूद अभी भी मेरा बहनचोद लण्ड पानी छोड़ने के आस-पास भी नहीं था। दूज डिले स्प्रे ने अपना अच्छा असर दिखाया था।

उधर जीजू कभी दीदी के धाईओ को दबाने लगते, और कभी किसिंग करते-करते दीदी को स्मूच करने लगते। मैं अपना पूरा जोर लगा रहा था कि मेरे लण्ड से पानी निकल जाए, और ऐसा लग भी रहा था कि थोड़ा और तेज दीदी की चूत पर धक्के मारने से मेरे लण्ड का पानी निकल जाएगा। उसी चक्कर में दीदी को चोदने की मेरी स्पीड और तेज होती गई, इतना तेज करने से मेरे लण्ड की स्किन जलने जैसी लग रही थी। लेकिन साली दीदी को कोई कहा फर्क पड़ रहा था वो तो अपनी गांड को उठाये जा रही थी और लंड को पूरा निगल ने की पूरी कोशिश में थी उसकी आँखे बांध थी पर उसकी गांड मस्त उछल रही थी| मेरे लंड को पूरा सन्मान मिल रहा था उसकी चूत के द्वारा|
अब दीदी भी नीचे से अपनी गाण्ड उचका-उचका के चुदवा रही थी और पूरा मज़ा ले रही थी-“आह्ह… आह्ह… आह्ह… आह्ह… आह्ह… दीपूउउ, चोद ले अपनी दीदी को… अगर मुझे पहले पता होता की तुझसे चुदवाने में इतना मज़ा आयेगा तो कब का चुदवा लिया होता। हाईई मर गई मेरे दीपू राजा… उस दिन क्यों नहीं मेरा बलात्कार कर दिया… हाए नहीं, अपना ये लण्ड मेरी चूत में डालकर मेरी चूत फाड़ दी…”ये सुन के मेरा लंड उसकी चूत को और ज्यादा चिर के अपनी जगह बनाने लग गया| जैसी दीदी की आवाजें अब और तेज हो गई थीं, और तभी दीदी ने अपनी चूची चूसते जीजू को बालों से पकड़कर जोर से नोंच लिया, फिर दीदी की कमर ऊपर उठी और 3-4 झटके खाने के बाद “आआह्ह… ऊप्प…” की आवाज़ के साथ ही उसका शरीर एक जोरदार थरथरात के साथ ही कमर घूमी और ढीली पड़ गई।
Super chudai. Dipu me bahut jor aa gayahai.
 

Premkumar65

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जीजू मेरी तरफ देखने लगे लेकिन मेरे लण्ड से पानी अभी नहीं निकला था। मुझे पता था कि दीदी झड़ चुकी हैं, मैं फिर भी दीदी की तेजी से चुदाई करता रहा। लेकिन दीदी मृत शरीर की तरह पड़ी कोई रेस्पॉन्स नहीं दे रही थी, इसलिए मैं थोड़ा धीरे हो गया और फिर रुक गया। मैंने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाल लिया, मेरा लण्ड दीदी के चूत जूस से पूरा भीगा हुआ था। मेरी और दीदी दोनों की सांस फूली हुई थी और मुझे काफ़ी प्यास भी लग चुकी थी। मैं टेबल से पानी उठाकर पीने लगा।

जीजू भी मेरे पास आ गये और पेग बनाते मुझे बोले-“दीपक रुक क्यों गया यार, चोदता रह… जब तक तुम डिस्चार्ज नहीं होते लगे रहो…”

मैं अपनी सांसें कंट्रोल करता हुआ बोला-“जीजू, अब आपकी बारी है, लगता है दीदी को भी ब्रेक चाहिये…”

दीदी भी उठकर बेड पे बैठ गई। फिर कुछ देर हम बातें करते रहे और पेग लगाते रहे। मैंने और जीजू ने अपना गिलास खाली कर दिया था, लेकिन दीदी का गिलास भरा पड़ा था। फिर दीदी उठी, अपना पेग उठाया और आधा गिलास ड्रिंक अपने मुँह में भर ली, फिर जीजू को अपने होंठ पे इशारा करके किस करने के लिए कहा।

जीजू ने दीदी के दोनों होंठ अपने मुँह में लेकर लाक कर लिया। अब दीदी ने अपने फूले हुए गालों वाले मुँह में भरी सारी व्हिस्की जीजू के मुँह में ट्रांसफर कर दी, और 1-2 मिनट तक वो दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते रहे, स्मूच करते रहे। दीदी साथ में एक हाथ से जीजू का लण्ड भी हिलाने लगी थी और जीजू भी दीदी की चूचियों को दबाकर मस्त हो रहे थे।

फिर कुछ देर के बाद दीदी ने स्माइल के साथ मेरी तरफ देखा और अपना बाकी आधा भरा व्हिस्की का गिलास उठाया और अपनी एक टांग बेड पे रखकर अपनी चूत के आगे गिलास करके अपनी चूत को गिलास के किनारों से सॉफ कर दिया, चूत ज्यूस गिलास के किनारों पे रेंग रहे थे, फिर दीदी ने व्हिस्की के गिलास के अंदर अपना हाथ डालकर व्हिस्की और चूत रस को मिक्स कर दिया। अब ठीक पहले की तरह व्हिस्की का सारा गिलास खाली करके सारी ड्रिंक अपने मुँह में भर ली और मुझे अपने होंठों की तरफ इशारा करके किस करने को बोली।

मैंने भी जीजू की तरह ही दीदी के बंद दोनों होंठों को अपने मुँह में ले लिया तो दीदी ने सारी ड्रिंक मेरे मुँह में भर दी। और हम दोनों का कामरस वैसे मेरा प्री कम ही खो लेकिन पि चुके|

हम दोनों बहन भाई बेशर्म हो चुके थे, अब जीजू की प्रेजेन्स का भी कोई खास असर नहीं हो रहा था। हम करीब 5 मिनट तक एक दूसरे के होंठ और जीभ चूसते रहे, साथ-साथ मैं दीदी के हाथ मेरे लण्ड से और मेरे हाथ दीदी की चूत और चूचियां पे खेल रहे थे।

दीदी कैसा रहा ??

दीपू तू तो जबरदस्त है और ये रोड का तो क्या कहना तुम्हारा क्या कहना है रमेश ?

रमेश: “अरे बिचारे का लंड अभी खाली नहीं हुआ और तेरी गुफा हार गई, लेकिन उसने तेरी मुह चुदाई अच्छी की थी| मुझे मेरे माल के लिए ऐसा ही लंड चाहिए था जो मिल गया अब मै निश्चिन्त हो गया| उसकी मा को चोदे घर में ही ऐसा प्यारा सा लंड मौजूद था और हम दोनों बहार की सोच रहे थे”


पूजा: अरे मेरी चूत में बहोत रस बाकी है ऐसे कैसे खाली हो जाती वो तो मै थक गई और हां चूत ने भी थोडा जवाब दे ही दिया पर दीपू तुम्हे चिंता करने की कोई जरुरत नहीं ये चुदाई मशीन अभी भी तेरे लंड को खाली करने को तैयार ही है ये तो चूत के लिए पहला अनुभव था ऐसा सांड का लंड लेने के लिए लेकिन अब मेरी गुफा बस दीपू के लंड की है| बस एक बार उसके लंड जैसा मेरी चूत में से भोस अपनी आकार ले ले फिर आनंद ही आनंद”

दीदी फिर से गरम हो गई लगती थी, जीजू और दीदी बिल्कुल नंगे खड़े थे लेकिन मेरे जिश्म पे अभी भी टी-शर्ट थी। फिर दीदी ने मेरी टी-शर्ट को कमर के करीब से पकड़ा और उतार दिया। अब मैं और जीजू फिर दीदी के सामने खड़े हो गये। दीदी हम दोनों के लण्ड को एक साथ मुँह में डालने की कोशिश करने लगी। जीजू का लण्ड तो मेरे लण्ड से आधा भी नहीं था और मेरा लण्ड लंबा होने के साथ-साथ काफ़ी मोटा भी था। दीदी हम दोनों के लण्ड से खेल रही थी। कुछ देर के बाद दीदी हमारे लण्ड चूसने के बाद खड़ी हो गई और मैं और जीजू दीदी के जिश्म को भूखे कुत्ते की तरह चाटने लगे। जीजू दीदी के पीछे खड़े होकर उसके कान, गर्दन, कंधे और उभरी हुई गाण्ड के गोले चूमने लगे, तो मैं पहले मुँह में मुँह डालकर स्मूच करने लगा, फिर गर्दन पे किसिंग करता नीचे आ गया, चूचियों को दोनों हाथों से पकड़कर अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। धीरे-धीरे नीचे नाभि पे ही पहुँचा था।

तभी जीजू बोले-“पूजा बेड पे सही रहेगा, खड़े-खड़े मुश्किल हो रही है…”

अगले पल हम तीनों बेड के ऊपर थे। मैं दीदी की चूत चाटने के लिए मरा जा रहा था, लेकिन फिर भी जीजू की प्रेजेन्स मुझे थोड़ा रोक रही थी। अब मैं सोच रहा था कि दीदी को इतना मज़ा देना है कि दीदी यह सोचने के लिये मजबूर हो जाये कि काश, उसने यह मज़ा पहले ही ले लिया होता। दीदी को चोदकर आज मुझे उसे अपनी कुतिया बनाना था। इसलिये मैंने स्लो मोशन शुरू किया, दीदी के पैर के अंगूठे को किस करना शुरू कर दिया, फिर धीरे-धीरे पैर की बाकी उंगलियों को चाटने लगा, फिर टांगों पे किस करता हुआ ऊपर जांघों की तरफ जाने लगा।

दीदी की गोरी चिकनी टांगों पे मेरी तरह कोई बाल नहीं था, मैं दीदी के घुटनों को चूमता ऊपर जांघों पे आ पहुँचा था। फिर मैंने दीदी की दोनों टांगों को इकट्ठे करके अपने सामने 90° डडग्री पे ऊपर खड़ा कर दिया और चूतड़ों पे अपना मुँह घुमाने लगा, दीदी की गाण्ड के दोनों चूतड़ों को किस करता-करता फिर टांगें खोलकर दीदी की जांघों पे लगाकर उसकी चूत और मेरे लण्ड का मिक्स जूस चाटने लगा। फिर चूत के आस-पास अपनी जीभ घुमाकर सारा जूस चाट लिया और दीदी की नाभि पे अपना सलाइवा डालकर उसे अपनी जीभ से नीचे दीदी की चूत की तरफ फैला दिया।

इस बीच दीदी का एक हाथ, स्मूच कर रहे जीजू के सर के पीछे था और दूसरे हाथ से वो जीजू के लण्ड को हिला रही थी।

अब मुझसे सबर नहीं हो रहा था, मैंने दीदी की चूत के होंठों को अपने दोनों हाथों से खोला, चूत के बीच में जो रेड कलर की संतरे की फांकों जैसी चमड़ी होती है उस पे अपनी जीभ लगाकर उस पे लगा जूस चाटने लग गया।

दीदी से भी कंट्रोल नहीं हुआ तो उसने जीजू का लण्ड छोड़कर झट से अपने दोनों हाथों से मेरा सिर अपनी चूत पे दबा दिया। जैसे-जैसे मैं चूत पे अपनी जीभ फिराता, दीदी की कमर और ऊपर उठने लगी थी। फिर मैंने स्मूच करने वाले स्टाइल में दीदी की चूत को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और अपनी जीभ को दीदी की चूत के अंदर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा।

दीदी के मुँह से बहुत जोर से निकला-“अयाया दीपू, मेरे भाई, अब शुरू कर दो… अब रहा नहीं जाता मेरे प्यारे भैया…”

मैं दीदी की बात सुनकर बोला-“मेरी जान, मेरी छम्मकछल्लो, अब मैं तेरा भैया नहीं, अब तो मैं तेरा सैया हूँ, अब तो लण्ड डालने के लिए भैया से नहीं अपने सैंया से कह…”

दीदी-“हाँ मेरे सैंया, अब से तुम मेरे भैया भी हो, और मेरे सैंया भी। अब क्यों तड़पाते हो, डाल भी दो ना अपना ये मस्त लौड़ा मेरी चूत में…”

जीजू स्माइल करते हुये मेरी तरफ देखने लगे फिर बोले-“एक मिनट दीपक…”
तो मैं दीदी की चूत चाटता चाटता उनकी तरफ देखने लगा।

वो फिर बोले-“पूजा तुम उठो, दीपक तुम लेट जाओ सीधे…”

हम दोनों बहन भाई ने उनको फॉलो किया। मैं सीधा लेट गया और जीजू ने मेरे सर के पीछे दो तकिए रख दिए, जिससे मेरा सर ऊंचा हो गया। जीजू की प्लानिंग के हिसाब से दीदी ने अपनी टांगें मोड ली, और अपने घुटनों पे बैठकर मेरे सिर के दोनों तरफ अपनी टांगें कर ली और अपनी चूत मेरे मुँह के बिल्कुल सामने कर दी थी, दीदी के दोनों हाथ मेरे सर के पीछे थे, वो जब चाहे मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत पे दबा सकती थी, यानी दीदी मेरे मुँह के ऊपर चढ़कर अपनी चूत चटवाने लगी थी, मेरा लण्ड किसी सख़्त डंडे की तरह खड़ा उठक बैठक कर रहा था, में दीदी की चूत चाटने में मस्त हो गया।

दीदी अपना पानी छोड़ती जा रही थी, और मैं चाटता जा रहा था। अब दीदी खुद जैसे उसको अच्छा लगता था, अपनी चूत ऊपर-नीचे करके मेरे मुँह पे रगड़ रही थी। दीदी अपनी कमर चला-चलाकर मुझे अपनी चूत चटवा रही थी-“हाए मेरे राजा, मेरे सैंया, मेरे भैया, चाटो मेरी चूत… अपनी इस रांड़ सजनी की चूत…”
और जीजू दीदी को पीछे से किस करते-करते, मेरे पेट पे हाथ फिराने लगे, कुछ देर बाद उन्होंने मेरे लण्ड को पकड़कर हिलाना शुरू कर दिया, और मुझे स्ट्रोक करने लगे फिर धीरे-धीरे मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे, मैं चकित हो गया, मेरा शक सही निकला, जीजू ‘गे’ ही निकले थे (
वैसे ओरिजिनल कहानी में गे था पर हिंगलिश कहानी में नहीं था और मेरी इस कहानी में भी गे नहीं होगा शायद ककोल्ड हो सकता है सो माफ़ करे मैंने उसके गे पार्ट को हर जगह से एडिट कर दिया है और आपकी जानकारी के लिए मै हिंगलिश कहानी को फोलो नहीं करती पर इंग्लिश से कर रही हु हिंगलिश में पूजा दीपू के पीछे थी और यहाँ दीपू पूजा के पीछे आगे भी बहोत डिफ़रेंस आप को मिलेंगे )। उन्होंने बहुत शौक से मेरे लण्ड को चूमना चाटना शुरू कर दिया।

बाकी कल
Dipu is fully enjoying fucking her sister Puja.
 

Premkumar65

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दीदी मेरी तरफ देखते हुए स्माइलिंग चेहरे के साथ बोली-“सच में स्वीट हार्ट, पहली बार इतना मज़ा आया है…” दीदी बहुत खुश नज़र आ रही थी। वो बार-बार मेरे जिश्म से छेड़-छाड़ कर रही थी, कभी मेरे गाल पे लगा कुछ पोंछने लगती, तो कभी मेरे बालों में उंगलियां डालकर उन्हें ठीक करने लगती, तो कभी मुझे कुछ खाने को कहती और कभी कुछ पीने को कहती। मुझे तो लग रहा था की दीदी आज के आज ही उसके चूत रस को खली कर देना चाहती हो | फिर मेरे लण्ड को किस करके जीजू की तरफ देखती हुई बोली-“जानू, तुम भी कुछ ऐसा करो ना कि तुम्हारा भी स्टेमिना दीपू जैसा हो जाये, देखो हम 2-2 बार झड़ चुके हैं और दीपू पहली बार भी कितनी मुश्किल से झड़ा है…”

फिर जीजू बोले-“दीपक, यार तुम्हारा लण्ड तो डिस्चार्ज होने के बाद भी वैसा है खड़ा है…”

मैंने दीदी और जीजू की तरफ देखा फिर बोला-“अरे बहनचोदो जीजू, मैं अभी डिस्चार्ज कहाँ हुआ हूँ?”

दीदी और जीजू हैरानी से एक दूसरे की तरफ देखने लगे। फिर दीदी बोली-“माई गोऽऽड, मुझे पहले ही शक था, क्योंकि मुझे ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ कि मेरे अंदर कुछ गिरा है, फिर मैंने सोचा क्या पता…इतनी एक्साईटमेंट में कुछ ध्यान ना रहा हो ” दीदी की आँखें फटी-फटी थीं।

जीजू मज़ाक में बोले-“मेरे बाप, हमें जल्दी बच्चा चाहिये। जल्दी से यह बता कि तू कैसे छूटेगा? दो घंटे में एक बार भी नहीं छूटा…” चूत की मा बहन एक हो गई है मेरे बाप|




फिर दीदी की तरफ देखते हुये बोले-“चलो मेरी तो बात छोड़ो, मैं तो जल्दी झड़ जाता हूँ, लेकिन ये महकता माल तुम्हारी दीदी भी तो 2-2 बार झड़ गई है…”

मैंने स्माइल दी और बोला-“जीजू, आपने मुझे व्हिस्की पिला-पिलाकर ओवर ड्रंक कर दिया है, शायद इसीलिये नहीं हो रहा है…”

फिर जीजू बोले-“चल, यह बता कि तुम्हारा फ़ेवरेट स्टाइल कौन सा है?”

मैंने कहा-“डोगी स्टाइल…”

जीजू-“इसीलिये नहीं हुआ, तुमने अपने फ़ेवरेट स्टाइल में तो पूजा को चोदा ही नहीं, फिर होता कैसे? मेरा भी डोगी फ़ेवरेट है, लेकिन मैं तो डोगी में शुरू करते ही झड़ जाता हूँ,और मेरे लंड की लम्बाई भी उतनी नहीं की माल के जड़ तक जाए } व्हिस्की थोड़ा रोक लाती है बस…”

फिर चेयर पे बैठे-बैठे दीदी को बोले-“उठो मेरी जान, मुख्य काम तो अभी बाकी है। अभी डोगी स्टाइल में अपने भाई को भी झड़वा दो…...और उसका माल का एक एक बूंद तेरी इस चूत में अरे नहीं अब तो भोस बन चुई है उसे भर दे बस.....”

हा हा मेरे राजा आपकी बात बिलकुल सही है अब ये भोस हो ही चुकी है और इस गहरे खड्डे को बस ये का लंड अपने माल से भर दे |

दीदी चेयर पे बैठे जीजू की जांघों पे अपने हाथ रखकर मेरे सामने डागी स्टाइल में झुक गई, यानी मेरे सामने घोड़ी बन गई, मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी है, कि कोई सेक्सी फिगर वाली लड़की डोगी स्टाइल में मेरे सामने झुकी होती है तो उसकी सुराही जैसी कमर और गाण्ड और गोल मटोल चूतड़ देखकर मैं आउट आज कंट्रोल हो जाता हूँ। दीदी अभी भी उसी स्टाइल में मेरे सामने झुकी हुई थी, तो मेरा लण्ड किसी खंबे की तरह लहराने लगा लेकिन मैंने पहले दीदी की चूत को चाटना सही समझा।

आप FunLove द्वारा निर्मित कहानी पढ़ रहे है
जीजू को भी इशारा किया की उसकी गांड को साफ़ करे जीजू हस्ते हस्ते आगे की तरफ बढे और कुछ भी देरी ना करते हुए पूजा की गांड के छेड़ को ज़रा सा चौड़ा कर के अपने मुह को सही जगह पर टिका दिया| ऐसा होने से पूजा की तो आधी जान ही निकल गई समजो शायद उसका ये सेंसिटिव पॉइंट था गांड के छेद को सही तरीके से छटा जाना |
घमासान चुदाई जारी रहेगी बने रहिये
Mast chudai chal rahi hai teenon ki.
 

Premkumar65

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मैं छलाँग लगाकर जल्दी से दीदी के पीछे टायलेट में चला गया, जीजू सो रहे थे। टायलेट में पहुँचते ही मैंने दीदी को दबोच लिया, उसकी चूचियां अपने मुँह में डालते हुए बोला-“दीदी मैं आपको चोदने के लिये कितने बरस तरसा, कितना तडपाया आपने मुझे?”

दीदी मेरे बालों में उंगलियां फिरते हुए बोली-“सारी मेरे बच्चे… मैंने तुमको बहुत तरसाया है, मुझे पता है। काश मैं उस वक़्त तुम्हारी फीलिंग्स समझ जाती, तो अपने घर हम बहन भाई जो मर्ज़ी करते… अब जब मैंने तुझे इतना तरसा कर गलती की है तो मैं तुझे इसका इनाम भी दूंगी। तू मम्मी को चोदना चाहता है मेरे भैया राजा? अब मैं तुम्हारी मम्मी को चोदने में हेल्प करूँगी ताकि तुझे और तुम्हारे इस लण्ड को चूत के लिए कभी तरसना ना पड़े…” यह कहते हुए वो मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर स्मूच करने लगी।

मैंने शावर खोल दिया, और हम दोनों बहन भाई एक दूसरे के जिश्म से खेलने लगे।

दीदी मेरे बालों में अपनी लंबी-लंबी उंगलियां फिराते हुए बोली-“अया मेरे राजा भैया, मुझे तुमको तरसाने की सज़ा मिल रही है, तुम्हें क्या पता कि मैं शादी करके कितनी प्यासी हूँ, तुम्हारे जीजू दो मिनट में अपना काम करके सो जाते हैं, इससे मेरी प्यास क्या बुझनी है, उल्टा मेरे अंदर आग लगाकर सो जाते हैं, उसके बाद मुझे ही पता है मेरी क्या हालत होती है? सुहागरात से लेकर आज तक तेरे जीजू मुझे एक बार भी शांत नहीं कर पाये, कभी-कभी फिंगरिंग करके अपने आपको शांत कर लेती हूँ। कल तुम्हारे साथ सेक्स करके मुझे पहली बार एहसास हुआ कि असली चुदाई क्या होती है? मर्द से औरत की प्यास कैसे बुझती है? कल तूने मुझे कली से फूल बनाया…” यह कहती वो मेरे जिश्म को जल्दी-जल्दी चूमने लगी थी।

शावर का पानी हम दोनों पे गिर रहा था और अब दीदी मेरे लण्ड को नहीं छोड़ रही थी और मैं उसके गोल-गोल चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से दबा रहा था। मैं दीदी के कान को किस करता बोला-“दीदी आपको पता है कि मैं आपको चोदने के लिये 10 साल पहले से स्कूल टाइम से कोशिश कर रहा हूँ…”

दीदी-“मुझे सब पता है मेरे भाई, एक-एक बात याद है, लेकिन पता नहीं क्यों मैं उस वक़्त तुमको समझ नहीं पाई, शायद इसीलिये आज प्यासी हूँ। तुम्हारे जीजू तो मुझे अपने किसी कजिन विकास के साथ यह सब करने को कह रहे थे, लेकिन मुझे वो बिल्कुल पसंद नहीं था, उसकी बाडी पे परफ्यूम लगाने के बाद भी इतनी गंदी गंध आती है कि उसके पास खड़े होना भी मुश्किल है। पता नहीं कैसे-कैसे मैंने तेरे जीजा को तुम्हारे लिये पटाया है, मेरे सोना भाई…”

मैं-“दीदी, मैं आपकी प्यास बुझाऊूँगा। आप फिकर मत करो, मैं आपकी हर इच्छा पूरी करूँगा…” यह कहते हुये मैं दीदी के गालों पे, होंठ पे, कानों पे और गर्दन पे किस करने लगा। हम दोनों बहन भाई एक दूसरे के जिश्म से खेलने लगे, दीदी मेरे लण्ड को हिलाती जा रही थी, मैंने दीदी की टांगों के बीच चूत पे अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया फिर धीरे-धीरे अपनी दो उंगलियां दीदी की चूत में घुमाने लगा।

दीदी बहुत गरम हो चुकी थी उसके होंठ फड़फडाने लगे थे। वो मेरा हाथ अपनी चूत पे दबाती हुई बोली-“दीपू मेरे बच्चे, अब और मत तड़पाओ… मैं पहले ही दो साल से तड़प रही हूँ…”

मैं दीदी की टांगों के बीच बैठ गया और दीदी की चूत चाटने लगा।


बने रहिये
Super story. bahut sexy hai.
 

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मैं रुक गया, मैंने चोदना बंद करके अपना लण्ड निकालकर दीदी के मुँह में दे दिया। दीदी मेरे लण्ड को चूसने लगी और जोर-जोर से स्ट्रोक भी करने लगी ताकी मैं जल्दी झड़ सकूँ। करीब 5 मिनट के बाद मैंने फिर से अपना लण्ड दीदी की चूत में डालकर जोर-जोर से बहुत तेज चुदाई शुरू कर दी। करीब 2-3 मिनट के अंदर ही दीदी की सिसकियां निकली और वो मेरे जिश्म से लिपटकर उसे नोचने लगी, फिर कुछ झटकों के बाद शांत हो गई। मैं चोदता रहा, रुका नहीं।

दीदी झड़ने के वाबजूद भी मेरी हेल्प कर रही थी, अपनी जीभ बाहर निकालकर मेरे होंठ सॉफ कर रही थी।

अगले 5 मिनट के अंदर मेरी चुदाई की स्पीड बहुत ज्यादा बढ़ गई और फिर मेरे जिश्म को भी 4-5 झटके लगे और मेरे अंदर की सारी गरम क्रीम दीदी के अंदर खाली हो गई। मैंने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाला तो मेरे लण्ड के मुँह पे मेरी फेवीकौल जैसी गाढ़ी वीर्य के कुछ बूँदें बाकी थीं।

दीदी ने उन्हें भी बरबाद नहीं होने दिया, झट से मेरा लण्ड पकड़कर अपने मुँह में लेकर सॉफ कर दिया। जीजू के उठने के बाद फिर नाश्ता वगैरा करने के बाद यही सब चलता रहा। हम दो दिन शिमला में रहे लेकिन होटेल से बाहर निकलकर नहीं देखा। बस खाना पीना सब अंदर ही ऑर्डर करके आ जाता था। हम लोगों को 3 ही काम थे चोदना, चुदवाना, सोना, खाना-पीना और फिर शुरू चोदना, चुदवाना। टाइम का किसी को कुछ पता नहीं था कितना हुआ, बस सोकर उठते तो चोदना और खाना शुरू हो जाता।

जीजू मेडिकल स्टोर से प्रेग्नेन्सी टेस्ट स्ट्रिप ले आये और दीदी को प्रेग्नेन्सी टेस्ट करने को कहा।

मैं और जीजू आमने सामने लिविंग रूम में बैठे थे और टायलेट जीजू के पीछे और मेरी फ्रंट साइड की तरफ था। दीदी टेस्ट करने के लिये टायलेट जाती हुई टायलेट के दरवाजे के सामने जाकर रुक गई, फिर पलट के पीछे देखा तो मेरी नज़र दीदी की नज़र से मिली। तो दीदी ने मुझे प्रेग्नेन्सी टेस्ट स्ट्रिप दिखाते हुए उसे अपने दोनों हाथों में लेकर मसल दिया, टेस्ट स्ट्रिप टूट फूट के एक गोली की शकल में आ गई थी। दीदी वो गोली मुझे दिखाते हुए टायलेट के अंदर चली गई।

मेरा आँखें सिकुड़ गई कि दीदी करना क्या चाहती है? अगर टेस्ट नहीं करेगी तो प्रेग्नेन्सी का पता कैसे चलेगा? फिर 10 मिनट के बाद दीदी टायलेट से बाहर निकली और पीछे से आकर जीजू के गले में अपनी बाहें डालती और मुँह बनाते हुए बोली-“जानू, टेस्ट अभी भी नेगेटिव है आया है…”

जीजू थोड़ा सोचने लगे फिर उठकर मेरे पास आकर बोले-“मैं पूजा को कुछ दिन यहीं छोड़कर घर जा रहा हूँ…” जीजू वहीं से वापिस निकल पड़े।

फिर मैं और दीदी घर के लिए रवाना हो गये। जैसे ही मैं और दीदी घर पहुँचे तो मम्मी ने दरवाजा खोला।
Ab mom bhi shamil hongi gang bang me.
 
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