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Incest तीनो की संमति से .....

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मेरे सभी पाठको को से एक नम्र निवेदन आवेदन अरजी request या फिर जो भी आप समजते है

आप मेरी द्वारा लिखी गई कहानी आप को मनोरंजन देती है मै नहीं

कृपया मुझे अपना मनोरंजन का साधन ना समजे उसी में सब की भलाई है ( मेरी भी और आपकी भी)

अपने आप को कंट्रोल में रखना आप का काम है मेरा नहीं

जैसे आप कहानी पढ़ के मनोरंजित होते है वैसे ही दूसरी महिलाए भी अपने आप को मनोरंजीत करने आती है अपनी नुमाईश या अपने शरीर द्वारा आप का मनोरंजन करने नहीं

महिलाओं को अभी उतना ही हक है जितना आपको है महिला को सन्मान दीजिये


अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप को निवेदन है की मेरा ये थ्रेड आपके लिए उचित नहीं है .............................

आप कहानी पे किसी भी पात्र पे कोई भी कोमेंट करे लेकिन लिखनेवाले पे नहीं ..........

आप की हर कोमेंट आवकार्य है बस थोडा सा कंट्रोल के साथ ....


आप सब की आभारी हु ......
 
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Premkumar65

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हां तो अब हम चलते है रमेश के घर पर यानी की पूजा के ससुराल में

खेर हम लोग रमेश को तो जानते ही है| और वो वैसे तो हेंडसम है पर उसका लिंग बस मुतने के काबिल है वैसे वो ही अब तक जानता था की उसकी कमजोरी क्या है, वैसे वो ना तो गे है और नाही ककोल्ड पर बाकी आप लोग सब जानते है उसने क्या क्या किया लेकिन उसके बारे में घर में और कोई नहीं जानता और जो जनता है वो आगे पता चलेगा| अपना कंसल्टंसी का बिजनेस करता है और अच्छा कमाता है|

प्रदीप रमेश के पिताजी और पूजा के ससुरजी एक बेंक कर्मचारी और शेर मार्किट में काफी इन्वेस्ट करते है

मनोरमा प्रदीप की पत्नी और रमेश की मा और पूजा की सांस एक हाउस वाइफ है उनका नेचर वैसे तो मिलनसार है पर कुछ बातो में वो किसी की भी नहीं सुनती घर में शायद उनका बोल चलता है आकर्षक शरीर का ढांचा है पर थोड़ी सावली है

कोमल रमेश की बहन और पूजा की ननंद जो अभी छोटी है दीपू से 1 या दो साल छोटी स्कुल में पढ़ती है लेकिन अच्छी खासी विकासी हुई शरीर की मालिक है पूजा से थोड़ी सावली है पर बहोत ही आकर्षक बदन रखती है| अपनी शरीर का बहोत ख़याल रखनेवालो में से है| पढ़ाई में ठीक ठाक है पर इतर प्रवुत्ति काफी दिलचस्पी रखती है| उसका एक है की वो घर में सभी के बारे में सब जान ने का हमेशा प्रयास में रहती है| और सब से छोटी है इसलिए सब की प्यारी भी है और नटखट भी|



वैसे रमेश के घर में सब फ्री है किसी को कोई बंधन नहीं, प्रदीप जो की काफी गाली गलोच वाला आदमी है तो घर में सब को भाषा का कोई प्रॉब्लम नहीं| या यु कही ये की कोई भी कुछ भी और कैसी भी भाषा मे बात कर सकता है| अभद्र भाषा इनके के घर में भद्र तरीके से ले जाती है लेकिन सिर्फ और सिर्फ घर में और घर के मेम्बरों के बिच में ही |



अब जब रमेश की शादी की बात चल रही थी वैसे तो काफी रिश्ते आये थे लेकिन हर बार रमेश कोई ना कोई बहाने से वो सब टाल दिया करता था| वजह अलग थी पर घर में कोई और ही बहाना बता के शादी की बात से निकल जाता था लेकिन जब पूजा का रिश्ता आया तो मनोरमा ने पूजा को पसंद कर लिया था और उसने घर में कह दिया था की अब की बार अगर रमेश ने मना किया तो वो आत्महत्या कर लेगी| सो इस बार रमेश का कुछ नहीं चला और उसको कमन से उस शादी के लिए हां कर दी थी|



खेर शादी तो हो गई थी पूजा और रमेश की लेकिन सुहागरात में ही रमेश ने अपना पॉट प्रकाश दिया था| वैसे उसने पूजा के साथ सब कुछ किया जो वो कर सकता था लेकिन पर्फोर्मांस की बात जब आई तो उसकी सुहागरात बस कुछ मिनीटो में ख़तम हो गई| पूजा ने सोचा की शादी की थकान से शायद ऐसा हुआ है पर अगेल दो से तीन दिन ऐसा लगातार हुआ तो पूजा रोने लगी|

रमेश ने काफी समजाने की कोशिश की लेकिन पूजा बात को नहीं मानी तो रमेश ने सब बता दिया की क्यों ऐसा हुआ और क्यों उसने शादी करनी पड़ी| पूजा को तो आसमान फट पड़ा वैसे भी वो पहले से ही चुदासु तो थी ही और उसकी को इसा पति मिला| काई गुस्से से वो ना जाने या कुछ कह गई रमेश को लेकिन रमेश ने ना कुछ बोला और नहीं कोई प्रतिक्रया दी ना सफाई|



ऐसे ही कुछ दिन बीते तब पूजा ने उसे एक रात कहा की वो (रमेश) उसके काबिल नहीं है और ना ही वो यहाँ रह सकती है क्यों की हद स्त्री को प्रेम के साथ साथ कुछ और भी चाहिए| रमेश ने भी इकरार किया की तुम्हारी बात सही है पर मै अब क्या करू हमें इसका हल निकाल ना पड़ेगा



रमेश ने पूजा को बाहेधरी दी की व कुछ ना कुछ हल निकाल देगा .........



ऐसे ही एक साल होने का आ गया हर महीने (पीरियड) से पहले मनोरमा उसे कुछ पूछती की क्या कोई समाचार देगी| लेकिन पूजा क्या कहती और क्या करती कभी कभी अकेले में रो भी देती

हालाकि रमेश का उसे से संपूर्ण समर्थन था और वो उसकी बाकी की जवाबदारी पूरी तरह निभाता था कभी कोई समस्या यौन प्रकिर्या से सिवा रमेश में कोई खामी नहीं दिख रही थी| पूजा ने भी तो थोडा त्याग किया की और अपने मन को मना लिया था की एक चीज़ को छोड़ के बाकी रमेश में क्या बुराई है ??? और वो उसे नहीं छोड़ सकती हलाकि रमेश ने कहा भी था की उसे पसंद है बाहरी कोई व्यक्ति से अपनी आग बुझा सकती है अपर ऐसा उसने नहीं किया था| हां कभी कभी उसके बदन की आग उसे उस तरफ सोचने को मजबूर जरुर करती थी कभी कभी वो हर मर्द में उसका लंड की और ही देखती| वो शायद अपने ससुर के लंड को भी देखने की कोशिश करती लेकिन कभी उसने ऐसा किया जिस से ससुर उसकी तरफ आकर्षाये या उस तरफ कुशह सोचे| एक अच्छी बहु..............



लेकिन अब घर में थोडा थोडा तनाव पैदा होने लगा क्यों की उसकी सांस को अब शादी के बाद का रिजल्ट चाहिए था एक बच्छा जो उनकी गोद में खेले और ये स्वाभाविक भी है लेकिन जब भी पूजा की तरफ से समाचार नकार में आता वो चिड सी जाती| और नतीजे के तौर पर उसका व्यवहार पूजा के प्रति रुखा बनता गया और उसकी भाषा में जो अब तक विवेक था वो अब धीरे धीरे अद्रश्य होने लगा छोटी छोटी बातो में वो पूजा को कुछ भी बोल देती|

हालत धीरे धीरे बदल रहे थे घर में अब छोटी छोटी बातो में मनोरमा पूजा से लडती रहती थी और घर में भी कोइ उसे रोकता भी नहीं| कोमल ये बात अच्छे से समजती थी पर ना वो कुछ कहती ना स्थिति को संभालती उसकी उमर भी तो छोटी थी|

धीरे धीरे ये स्थिति बिगड़ने पे तुली थी अब पूजा का सहन करना भी मुश्किल होता वैसे बाकि लोग घर में उस से कोई दुर्व्यवहार नहीं करता था पर पूरा दिन सांस के साथ ही तो रहना होता था| अब बात यहाँ तक आ गई की मनोरमा उसे बांज का लेबल देने लगी हर बात पे वो पूजा को बांज बोलती रहती थी | “चूत में ही दम नहीं है तो शादी क्यों की मेरे बेटे से” जैसे गंदे और असहनीय ताने मिलने लगे|

हर रात को वो रमेश से जो भी होता दिन का वो कह देती आयर साथ साथ में ये भी कहती की सब ठीक हो जाएगा तुम अपने काम में ध्यान दो लेकिन आशा थी की रमेश कुछ करे



इस बिच में जैसे आप लोग जानते है रमेश पूजा को उकसाता रहता था की वो कोई और बाहरी रिलेशन में चली जाए और ये घर ताने को बंद कर सके, उन दोनों में काफी बात हुई अब शायद पूजा भी तैयार थी जैसा की आप को शुरुआत में बताया कुछ लोगो से चुद ने की बात भी हुई और साथ साथ में गंभीर परिणाम के बारे में भी सोचा नतीजा कुछ नहीं हो पाया और घर का माहोल बस ऐसा ही और दिन बा दिन ख़राब होता गया|

एक रविवार सब साथ में सुबह सुबह चाय का मजा ले रहे थे सभी घर के मेम्बर हाजिर थे और पूजा ने सब के लिए चाय और नाश्ता लेकर आई और अपनी जगह बैठी चाय पिने के लिए

तभी सांस: अरे बांज तुजे चाय की भी जरुरत है?

“मै अगर तुम्हारे जगह होती तो अब तक 2 बच्चे दे दिए होते मेरी चूत में अभी भी दम है और आज कल की लोंडिया में कोई दम ही नहीं नाहक का माल खाती रहती है और कुछ सामने दे नहीं सकती”
कोमल: मोम बस कर यार कितना ताना मारेगी और वो भी सुबह सुबह आज रविवार है छुट्टी है क्यों सब का मुड ख़राब कर रही है और साथ साथ में तुम्हारा भी आजकल सब बच्चे के बारे में बाद में सोचते है पहले एन्जॉय करने की सोच ते है तुम्हारा समय नहीं है अब नया ज़माना है लोग प्रिकोषण ले लेते है ताकि बच्छा ना हो और अभी समय भी कितना हुआ है”

प्रदीप:”तेरी मा को सब तुरंत ही चाहिए अब इसका हल कहा से लाये और वैसे भी रमेश अगर तुम ऐसा प्रिकोषण लेते भी हो तो अब बंध भी करो और कुछ प्रोडक्टिव रिसल्ट पर सोचो ये भी तो जरुरी है| जितना तुम लोग लेट करोगे उतना ही पीछे भी तो लेट होगा”

मनोरमा: “अरे ये सब ये बंज़ समजे तो ना बेटा तो बिज बो के सो जाता है पर ये उस बिज को क्या करती है कुछ पता नहीं चलता अन्दर भी उसका मुह है क्या जो खा जाती होगी और बेचारा रमेश बोये तो भी कितना बोये जब जमीं में ही फल देने का सामर्थ्य नहीं|

पूजा:”मोम जो आप सोचरही है ऐसा नहीं है”

मनोरमा:”बस कर साली नापावट भोस में दम नहीं मेरे बेटे की जिंदगी खराब हो रही है”

“suno प्रदीप अब कोई और एक लड़की देख लो जो फलद्रुप हो और रमेश की शादी उसी से कर देते है और ये यही कही पड़ी रहेगी मै किसी स्त्री को निकाल ने में नहीं मानती|

अब पूजा से ये सहन करना मुश्किल हो गया वो उठ खड़ी हुई और अन्दर की तरफ जाने लगी और रमेश की तरफ ऐसे देखा की अभ इवो फट पड़ेगी और जो है वो सब बोल देगी

उसके बाद मी मनोरमा ने कुछ और बोला और रमेश की और देखते कहा “बेटा अब तू दूसरी शादी के लिए तैयार हो जा और अब मै ऐसी ही धुन्धुंगी जो मुझे बच्चा तुरंत दे”

रमेश: मा हम लोग खुश है हमारी जिंदगी से तो तुम क्यों दुखी हो रही हो रही बात बच्चे की तो होंगे तुम नाहक चिंता कर रही हो

प्रदीप:”बेटा मै समज सकता हु की तुम दोनों की ये बात है पर अब दुनिया में भी कुछ दिखाना है हमें भी दुनिया में और समाज में रहना है तभी तो मैंने कहा की अगर प्रिकोशन लेते हो तो बंध करो और जमीन को बोने दो”

मनोरमा: “देख बेटे चूतिये जैसे बात तो तू कर ही मत बच्चे पीछे से नहीं आगे से होते है”

कोमल जोर से हसी और बोली:” मोम तुम कुछ भी बोलती रहती हो चलये शांति से चाय पीओ और पिने भी दो रोज की मगजमारी हो गई है अब ये कोइ कुछ समज ही नहीं रहा”

“हर बात की माँ बहन एक करने से कोई फायदा भी तो नहीं”

प्रदीप: “बेटा कोमल ये तेरा सब्जेक्ट नहीं है ये गंभीर मामला भी है” तो अपना मुह बंध रखो और देखो की क्या होता है खेर तुम्हे भी पता चलना चाहिए की शादी के बाद और भी कुछ जवाबदारी होती है तेरी भी शादी होगी और तुम्हे भी बच्चे देने है

कोमल थोडा सा शर्माती हुई बोली: “डेडी बात सही है लेकिन अभी मेरी बात ही नहीं हो रही और मै घर का माहोल ठीक करने की कोशिश कर रही थी बाकी आपलोगों की मर्जी भाभी बेचारी की गाड़ मार रहे हो तुम सभी लोग”

रमेश ने एक बार रसोई घर की और देखा जहा पूजा रो रही थी और वो भी दुखी हो गया था की क्या करू ............


तभी............................

बने रहिये

मुझे तो लगता है कहानी मजेदार बन रही है | बाकी आपको पता ...............
Nice background. Ab dekho age age hota hai kya.
 
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