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Incest तीनो की संमति से .....

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मेरे सभी पाठको को से एक नम्र निवेदन आवेदन अरजी request या फिर जो भी आप समजते है

आप मेरी द्वारा लिखी गई कहानी आप को मनोरंजन देती है मै नहीं

कृपया मुझे अपना मनोरंजन का साधन ना समजे उसी में सब की भलाई है ( मेरी भी और आपकी भी)

अपने आप को कंट्रोल में रखना आप का काम है मेरा नहीं

जैसे आप कहानी पढ़ के मनोरंजित होते है वैसे ही दूसरी महिलाए भी अपने आप को मनोरंजीत करने आती है अपनी नुमाईश या अपने शरीर द्वारा आप का मनोरंजन करने नहीं

महिलाओं को अभी उतना ही हक है जितना आपको है महिला को सन्मान दीजिये


अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप को निवेदन है की मेरा ये थ्रेड आपके लिए उचित नहीं है .............................

आप कहानी पे किसी भी पात्र पे कोई भी कोमेंट करे लेकिन लिखनेवाले पे नहीं ..........

आप की हर कोमेंट आवकार्य है बस थोडा सा कंट्रोल के साथ ....


आप सब की आभारी हु ......
 
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रमेश का सर फटा पड़ा जा रहा था “ चुप सब “

क्या हम यहाँ पूजा की बुराई ही करने बैठे है? पूजा को यहाँ कोई समजने वाला है या भी ?

तुम लोग उस पर ये कैसे दावे कर सकते हो की वो बच्चे देने के काबिल नहीं है क्या टूल लोगो के पास कोई पुरावा है या बस यु ही मनघडंत जो भी मन में आया बक रहे हो खास का मोम !!!!!!!!!!!

मोम क्या आप मुझे बता सकते हो की पुँज का क्या दोष है ???

मोम अनुत्तर रही सिर्फ रमेश की और ताकती रही

रमेश ने अब पूजा के सामने देहा जो सिकड़ी हुई अपने सर को दोनों पैरो के घुटन पर टिकाये हुए थी और रोये जा रही थी

एल दम से रमेश फर पड़ा तो वो भी ताज्जुब में थी की रमेश को क्या हुआ दोनों की आँखे मिली और पूजा ने इनकार में सिर्फ अपना सिर हिलाया जैसे ना बोलने के लिए कह रही हो| हालाकि मन से वो भी बहोत चाहती थी की रमेश अब बाज़ी को संभाले क्यों की अब ये रोज रोज के ताने असहनीय बने हुए थे उसके लिए| वो भी चाहती थी की रमेश बोले और इस झंझट उसे निकाले और अपनी एक नयी दुनिया बनाने में मदद करे |



थोड़ी देर कोई कुछ नहीं बोला लेकिन आखिर प्रदीप ने चुओकिदी तोड़ी : “बेटा तुम जो कह रहे हो वो सही है लेकिन मर्द अपना बिज औरत में छोड़ के छोड़ देता है लेकिन औरत का शरीर भी तो उस काबिल होना चाहिए जिस से वो फलित हो|

रमेश अब शायद कुछ भी सुन ने को रेडी नहीं था : क्या औरत क्या पापा कुछ भी बोले जा रहे हो मैंने अब तक देखा की आप नाटक कर रहे हो अच्छे और आज के जमाने के बन ने के लिए लेकिन असल में आप हो नही”

“मतलब?” मोम ने सिर्फ उतना कहा और कुछ आगे बोलने जा रही थी पर रमेश की तेज आँखों ने और उस्न्की एक ऊँगली जो नाक पर जा टिकी देखि तो उस से आगे कुछ ना बोल सकी

प्रदीप: तुम कहना क्या चाहते हो ?

“यही की आप नाटक कर रहे हो और अगर ऐसा नहीं होता तो अब तक मोम को समजा चुके होते और ये ताना जो ये दे रही है मेरी पूजा को वो शायद बंध हो जाते और घर में शाति बनी रहती” रामेह्स नि अपनी गुस्सेवाली आँखों से तेज़ नजर से देखते हुए बोला

“तो क्या अब पूजा सिर्फ तुम्हारी है हमारी कुछ नहीं हम तो उसे सिर्फ ताने मारने के लाये है” मोम को शायद एक पॉइंट मिला बोलने के लिए

“अगर उसकी नाली में कुछ फलद्रुप बिज होते तो अब तक कुछ ना कुछ रिसल्ट हमारे पास भी होते और वैसे भी हमें उस से और कोई प्रॉब्लम तो है नहीं बस एक बच्चा दे दे”

“और अगर नहीं देती तो क्या करोगी उस के साथ ?? मार दोगी उस को ??? चलो एक बार मान भी लिया की जैसा तुमने कहा मै दूसरी शादी करू और उजा को कोने में रख दू और नयी वाली बच्चा देगी उसका प्रमाण है तुम्हारे पास ??????”

“सब से पहले मैंने शादी से मन किया तब तुम मरने का दावा या फिर नाटक किया और मुझे ये शादी करनी पड़ी वर्ना मै शादी करने का कभी मुड में नहीं था अब तुमने अपना फैसला सुनाया मेरा सोचा ही नहीं की मै क्या चाहता हु? क्या मै दूसरी शादी करूंगा या नहीं ? करूँगा तो वो बच्चा देगी भी या नहीं मान लो की वो भी नहीं दे पायी तो क्या करोगी?? तुम दोगी?????

मोम की आँखे फटी रह गी



अगर तुम में ताकत है तो बच्चा खुद ही दे दो मुज से उम्मीद मत रखो



प्रदी: “बेटा ऐसे ही कुछ भोल ने से समस्या हल नहो होगी मै मानता हु की मैंने मनोरमा का साथ दिया क्यों की मै भी तो घर में चाहेक चाहता हु और उसमे गलती क्या है बेटे ?? मानता हु की मनोरमा का व्यवहार गलत है भाषा अपनी आभू के साथ लेकिन ये भी समजो की ध्येय गलत नहीं है”

मै समज सकता हु पापा पर जो गलत है वो गलत है



मोम: बेटा पुँज से पहले में इस घर में हु ये मेरा घर है बाद में पूजा का भी हुआ मुझे उसके और कुछ नहीं चाहिए और नाही मुझे वो नापसंद है हमारे घर में वो एक दूध में चीनी की तरह मिल गई है हमारी घर के जो भी निति नियम है उसने एडोप्ट कर लिये है लेकिन जो है वो है और अगर ये गलत है तो है लेकिन जो है उसके लिए मै शर्मिंदा नहीं हु ये जान ले जो तू मुज पर अब तक इलज़ाम लगाए हुए है |



कोमल: क्या हम सिर्फ बहस ही करेंगे या फिर आगे भी बढ़ेंगे भाई आप को जो कुछ कहना है जैसा भी कहना है कह दो मुझे तो ये भी अच्छा लगे गा की भाभिको इस चर्चा में शामिल करो आखिर वोही मेईन पॉइंट है और वो रसोई में रोते रहे मुझे ये भी तो पसंद नहीं है|



पूजा लगातार रमेश को देखे हुए थी



प्रदीप: कोमल सही कह रही है शायद आज हम दिन खराब कर ही रहे तो क्यों ना अब इस का समाधान भी ढूंढा जाए ???

मोम: समाधान में क्या है अब जो है फैसला तो लेना ही है रमेश बेटे को ये नहीं तो कोई और ही देगी लेकिन मेरी फेमिली आगे बढ़ नि ही चाहिए

रमेश: मा तुम्हे लगता है की नयी बहु आएगी वो तुम्हे बच्चा दे ही देगी कहा से देगी ??? चलो अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा

सब लोग चुप रहो बस सुनो

रमेश: “इस कहानीमे मै और पूजा है पर जो आपकी कहानी में और एक बच्चा है जो नहीं हो सकेगा और ये मुमकिन नहीं

मोम: लेकिन क्यों मुमकिन नहीं ये जान ना जरुरी है हमारे लिए

रमेश: “यार सुन तो सही क्यों बिच बिच में टोकती रहती हो”

मै बाप नहीं बन सकता क्यों की मै नपुंसक हु आई बात समज में ?????????????

इतना सुनते ही सब के मुह अंडे आकर के हो गए

पूजा जल्दी ही उठ के बाहर आई और बोली “क्यों मेरे इए इतना बड़ा जुट बोल रहे हो ???? शायद मुज में ही कमी है और आप है की सब इलज़ाम अपने पर ले रहे हो क्यों जुट बोल रहे हो कह के रोने लगी



रमेश: सब चुप मतलब पूजा तुम भी उसमे शामिल थी तुम भी चुप रहो जोरो से चिल्लाते हुए कहा

अभ भी सब के मुह में अंडे घुसे ही पड़े थे कोई कुछनही बोला रम में एक प्रकार का सन्नाटा छ गया था सब को साप ने सूंघ लिया था

रमेश अपनी कुर्सी से उठा और अपने मोबाइल को अनलोक करके स्क्रीन पर एक पीडीऍफ़ फ़ाइल खोजी और डिस्प्ले पर रख दिया और सब के बिच में रख दिया

ना मोम ना प्रदीप ना कोमल किसी की भी हिम्मत नहीं हुई की उसमे क्या लिखा है वो पढ़े

शांत ........शांत .............शांत रम में कोई कुछ नही बोला

थोड़ी देर ऐसे माहोल बना रहा आखिर प्रदीप ने बोला : “ये बेटा तू क्या कह रहा है शायद तेरे बोलने में कुछ गलती हुई है या फिर हमें सुन ने में कोई गलती हुई है या फिर हम सब कुछ और ही समज रहे है

रमेश: “ फिर से कह रहा हु डेडी मै नपुंसक हु impotant जी से कहते है मै बाप कभी नहीं बन सकता और ये जो आप स्क्रीन पर देख रहे है वो उसका प्रमाण है

मनोरमा: “ये नहीं हो सकता क्या तू......तू........तू.....म.....म......बोलते आगे का .(भी) उसके गले से बहार नहीं आया हे भगवान ये क्या सूना रहा है मुझे और मुझे ही क्यों ऐसे सुन ना पद रहा है???”

रमेश: “ये सच है मोम अब और बताओ तुम कितनी लडकियों की जिंदगी मुज से बर्बाद कराओगी ????????????????”

अब तुम ही बताओ की मुझे दूसरी शादी करनी चाहिए या नहीं अरे मुझे तो पहली भी नहीं करनी थी और नहीं कभी करना चाहता था मुझे कोई हक नहीं है की मै पूजा की जिन्दी से खेलु उसके सभी अरमानो पे पानी फेरु| ये तो मेरे नसीब अच्छे है की पूजा ने ऐसा कुछ किया नहीं जीस से मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाये वरना वो चाहती तो मुझे नपुंसक प्रमाणित (डिक्लेर) कर सकती थी और जो ये तुम लोग अपने आप को सामाजिक कह रहे हो उसमे इज्जत के फालूदा बन जाते मै पूजा का आभारी हु की उसने मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाया पर ये जो उसके साथ व्यवहार हो रहा है वो मुझे अपने जी जान पे कोई चाक़ू चला रहा है ऐसा लगता था और हां एक बात और ये बात मै कब का बोल चूका होता पर यही बांज ने मुझे रोक के रखा हुआ था इस उम्मीद में की कल सब सही और ठीक हो जाएगा क्या ख़ाक हुआ सही भेन्चोद कोई उसे समज ही नहीं पाया “

हमें उससे आभार व्यक्त करना चाहिए की उसने हमारी इजात बनाए राखी और आज तक ये मै हु की मुज से अब उसका अपमान सहन नहीं हुआ जिस का कोई गलती है ही नहीं



रमेश उतना बोल के पानी पिने लगा लेकिन कोई कुछ भी नहीं बोला सब की मुंडी निचे जमीन को खोद रही थी

रमेश रोते हुए फिर से चिल्लाया :” हां मै नपुंसक हु”



5 मिनट तक कोई कुछ नही बोला फिर अचानक कोमल ने चुप्किदी तोड़ी और जोरो से ताली बजाने लगी और बोली “ भैया आज मुझे आप पे गर्व है इतनी बात बोलने में आपने बड़ी देर लगा दी मै इसी पल की बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी की आप कुछ बोले”

अब रमेश सहित सब के मुह आश्चर्य के साथ खुले रह गए थे

रमेश: “तुम कहना क्या चाह रही हो ?????

कोमल: “भैया कुछ बोलने में गलती कर रहे है आप नपुंसक नहीं है पर आप के वीर्य में शुक्राणु की संख्या कम है और वो नहीं के बराबर है उसमे लिक्विड ज्यादा है और जो भी शुक्राणु है वो किसी भी महिला के फेलोपियन ट्यूब के पार जाने और बिज को छेद के के काबिल नहीं है”

रमेश: “what?????” तुम्हे कैसे पता क्या तुम पहले से ही जानती थी???”

कोमल :yes भैया उसी दिन से जानती हु जब आपके मोबाइल में ये मेसेज आया था मैंने आपको Dr से बात करते सूना था की रिपोर्ट कल तक आ जायेगी और मैंने आपका मोबाइल पे वोच कर के उसकी फ़ाइल मैंने अपने मोबाइल में डाल दी थी” सोरी

मोम जो अब तक आधी सोयी हुई थी अचानक उसे कोमल को बोला साली गन्दी छिनाल अब तक मुझे क्यों नहीं बताया???? किसी को तो बताना चाहिए था तो ये नोबत नहीं आती

कोमल: ये भैया को ही बोलना था मैंने सिर्फ भाभी का प्रोटेक्शन के लिए ये सब किया था अगर ऐसी परिश्थिति आती है जहा दूसरी शादी की और भाई भी रेडी हो जाते है तो ये धमाका मुझे करना था अन्यथा ये भाई को ही बोलना था| मै भी एक फिमेल हु और भाभी को अन्याय होने से तो रोकना था पर सच कहू तो मा तुम एक महिला ना बन सकी उसका मुझे दुःख है



इतना सुनते ही पूजा रसोई की और दौड पड़ी और कोमल अपनी कुर्सी को पीछे की ऑर करते उठ खड़ी हुई और बोली: “भाभी मुझे माफ़ कर दो”

bane rahiye
 

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रमेश का सर फटा पड़ा जा रहा था “ चुप सब “

क्या हम यहाँ पूजा की बुराई ही करने बैठे है? पूजा को यहाँ कोई समजने वाला है या भी ?

तुम लोग उस पर ये कैसे दावे कर सकते हो की वो बच्चे देने के काबिल नहीं है क्या टूल लोगो के पास कोई पुरावा है या बस यु ही मनघडंत जो भी मन में आया बक रहे हो खास का मोम !!!!!!!!!!!

मोम क्या आप मुझे बता सकते हो की पुँज का क्या दोष है ???

मोम अनुत्तर रही सिर्फ रमेश की और ताकती रही

रमेश ने अब पूजा के सामने देहा जो सिकड़ी हुई अपने सर को दोनों पैरो के घुटन पर टिकाये हुए थी और रोये जा रही थी

एल दम से रमेश फर पड़ा तो वो भी ताज्जुब में थी की रमेश को क्या हुआ दोनों की आँखे मिली और पूजा ने इनकार में सिर्फ अपना सिर हिलाया जैसे ना बोलने के लिए कह रही हो| हालाकि मन से वो भी बहोत चाहती थी की रमेश अब बाज़ी को संभाले क्यों की अब ये रोज रोज के ताने असहनीय बने हुए थे उसके लिए| वो भी चाहती थी की रमेश बोले और इस झंझट उसे निकाले और अपनी एक नयी दुनिया बनाने में मदद करे |



थोड़ी देर कोई कुछ नहीं बोला लेकिन आखिर प्रदीप ने चुओकिदी तोड़ी : “बेटा तुम जो कह रहे हो वो सही है लेकिन मर्द अपना बिज औरत में छोड़ के छोड़ देता है लेकिन औरत का शरीर भी तो उस काबिल होना चाहिए जिस से वो फलित हो|

रमेश अब शायद कुछ भी सुन ने को रेडी नहीं था : क्या औरत क्या पापा कुछ भी बोले जा रहे हो मैंने अब तक देखा की आप नाटक कर रहे हो अच्छे और आज के जमाने के बन ने के लिए लेकिन असल में आप हो नही”

“मतलब?” मोम ने सिर्फ उतना कहा और कुछ आगे बोलने जा रही थी पर रमेश की तेज आँखों ने और उस्न्की एक ऊँगली जो नाक पर जा टिकी देखि तो उस से आगे कुछ ना बोल सकी

प्रदीप: तुम कहना क्या चाहते हो ?

“यही की आप नाटक कर रहे हो और अगर ऐसा नहीं होता तो अब तक मोम को समजा चुके होते और ये ताना जो ये दे रही है मेरी पूजा को वो शायद बंध हो जाते और घर में शाति बनी रहती” रामेह्स नि अपनी गुस्सेवाली आँखों से तेज़ नजर से देखते हुए बोला

“तो क्या अब पूजा सिर्फ तुम्हारी है हमारी कुछ नहीं हम तो उसे सिर्फ ताने मारने के लाये है” मोम को शायद एक पॉइंट मिला बोलने के लिए

“अगर उसकी नाली में कुछ फलद्रुप बिज होते तो अब तक कुछ ना कुछ रिसल्ट हमारे पास भी होते और वैसे भी हमें उस से और कोई प्रॉब्लम तो है नहीं बस एक बच्चा दे दे”

“और अगर नहीं देती तो क्या करोगी उस के साथ ?? मार दोगी उस को ??? चलो एक बार मान भी लिया की जैसा तुमने कहा मै दूसरी शादी करू और उजा को कोने में रख दू और नयी वाली बच्चा देगी उसका प्रमाण है तुम्हारे पास ??????”

“सब से पहले मैंने शादी से मन किया तब तुम मरने का दावा या फिर नाटक किया और मुझे ये शादी करनी पड़ी वर्ना मै शादी करने का कभी मुड में नहीं था अब तुमने अपना फैसला सुनाया मेरा सोचा ही नहीं की मै क्या चाहता हु? क्या मै दूसरी शादी करूंगा या नहीं ? करूँगा तो वो बच्चा देगी भी या नहीं मान लो की वो भी नहीं दे पायी तो क्या करोगी?? तुम दोगी?????

मोम की आँखे फटी रह गी



अगर तुम में ताकत है तो बच्चा खुद ही दे दो मुज से उम्मीद मत रखो



प्रदी: “बेटा ऐसे ही कुछ भोल ने से समस्या हल नहो होगी मै मानता हु की मैंने मनोरमा का साथ दिया क्यों की मै भी तो घर में चाहेक चाहता हु और उसमे गलती क्या है बेटे ?? मानता हु की मनोरमा का व्यवहार गलत है भाषा अपनी आभू के साथ लेकिन ये भी समजो की ध्येय गलत नहीं है”

मै समज सकता हु पापा पर जो गलत है वो गलत है



मोम: बेटा पुँज से पहले में इस घर में हु ये मेरा घर है बाद में पूजा का भी हुआ मुझे उसके और कुछ नहीं चाहिए और नाही मुझे वो नापसंद है हमारे घर में वो एक दूध में चीनी की तरह मिल गई है हमारी घर के जो भी निति नियम है उसने एडोप्ट कर लिये है लेकिन जो है वो है और अगर ये गलत है तो है लेकिन जो है उसके लिए मै शर्मिंदा नहीं हु ये जान ले जो तू मुज पर अब तक इलज़ाम लगाए हुए है |



कोमल: क्या हम सिर्फ बहस ही करेंगे या फिर आगे भी बढ़ेंगे भाई आप को जो कुछ कहना है जैसा भी कहना है कह दो मुझे तो ये भी अच्छा लगे गा की भाभिको इस चर्चा में शामिल करो आखिर वोही मेईन पॉइंट है और वो रसोई में रोते रहे मुझे ये भी तो पसंद नहीं है|



पूजा लगातार रमेश को देखे हुए थी



प्रदीप: कोमल सही कह रही है शायद आज हम दिन खराब कर ही रहे तो क्यों ना अब इस का समाधान भी ढूंढा जाए ???

मोम: समाधान में क्या है अब जो है फैसला तो लेना ही है रमेश बेटे को ये नहीं तो कोई और ही देगी लेकिन मेरी फेमिली आगे बढ़ नि ही चाहिए

रमेश: मा तुम्हे लगता है की नयी बहु आएगी वो तुम्हे बच्चा दे ही देगी कहा से देगी ??? चलो अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा

सब लोग चुप रहो बस सुनो

रमेश: “इस कहानीमे मै और पूजा है पर जो आपकी कहानी में और एक बच्चा है जो नहीं हो सकेगा और ये मुमकिन नहीं

मोम: लेकिन क्यों मुमकिन नहीं ये जान ना जरुरी है हमारे लिए

रमेश: “यार सुन तो सही क्यों बिच बिच में टोकती रहती हो”

मै बाप नहीं बन सकता क्यों की मै नपुंसक हु आई बात समज में ?????????????

इतना सुनते ही सब के मुह अंडे आकर के हो गए

पूजा जल्दी ही उठ के बाहर आई और बोली “क्यों मेरे इए इतना बड़ा जुट बोल रहे हो ???? शायद मुज में ही कमी है और आप है की सब इलज़ाम अपने पर ले रहे हो क्यों जुट बोल रहे हो कह के रोने लगी



रमेश: सब चुप मतलब पूजा तुम भी उसमे शामिल थी तुम भी चुप रहो जोरो से चिल्लाते हुए कहा

अभ भी सब के मुह में अंडे घुसे ही पड़े थे कोई कुछनही बोला रम में एक प्रकार का सन्नाटा छ गया था सब को साप ने सूंघ लिया था

रमेश अपनी कुर्सी से उठा और अपने मोबाइल को अनलोक करके स्क्रीन पर एक पीडीऍफ़ फ़ाइल खोजी और डिस्प्ले पर रख दिया और सब के बिच में रख दिया

ना मोम ना प्रदीप ना कोमल किसी की भी हिम्मत नहीं हुई की उसमे क्या लिखा है वो पढ़े

शांत ........शांत .............शांत रम में कोई कुछ नही बोला

थोड़ी देर ऐसे माहोल बना रहा आखिर प्रदीप ने बोला : “ये बेटा तू क्या कह रहा है शायद तेरे बोलने में कुछ गलती हुई है या फिर हमें सुन ने में कोई गलती हुई है या फिर हम सब कुछ और ही समज रहे है

रमेश: “ फिर से कह रहा हु डेडी मै नपुंसक हु impotant जी से कहते है मै बाप कभी नहीं बन सकता और ये जो आप स्क्रीन पर देख रहे है वो उसका प्रमाण है

मनोरमा: “ये नहीं हो सकता क्या तू......तू........तू.....म.....म......बोलते आगे का .(भी) उसके गले से बहार नहीं आया हे भगवान ये क्या सूना रहा है मुझे और मुझे ही क्यों ऐसे सुन ना पद रहा है???”

रमेश: “ये सच है मोम अब और बताओ तुम कितनी लडकियों की जिंदगी मुज से बर्बाद कराओगी ????????????????”

अब तुम ही बताओ की मुझे दूसरी शादी करनी चाहिए या नहीं अरे मुझे तो पहली भी नहीं करनी थी और नहीं कभी करना चाहता था मुझे कोई हक नहीं है की मै पूजा की जिन्दी से खेलु उसके सभी अरमानो पे पानी फेरु| ये तो मेरे नसीब अच्छे है की पूजा ने ऐसा कुछ किया नहीं जीस से मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाये वरना वो चाहती तो मुझे नपुंसक प्रमाणित (डिक्लेर) कर सकती थी और जो ये तुम लोग अपने आप को सामाजिक कह रहे हो उसमे इज्जत के फालूदा बन जाते मै पूजा का आभारी हु की उसने मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाया पर ये जो उसके साथ व्यवहार हो रहा है वो मुझे अपने जी जान पे कोई चाक़ू चला रहा है ऐसा लगता था और हां एक बात और ये बात मै कब का बोल चूका होता पर यही बांज ने मुझे रोक के रखा हुआ था इस उम्मीद में की कल सब सही और ठीक हो जाएगा क्या ख़ाक हुआ सही भेन्चोद कोई उसे समज ही नहीं पाया “

हमें उससे आभार व्यक्त करना चाहिए की उसने हमारी इजात बनाए राखी और आज तक ये मै हु की मुज से अब उसका अपमान सहन नहीं हुआ जिस का कोई गलती है ही नहीं



रमेश उतना बोल के पानी पिने लगा लेकिन कोई कुछ भी नहीं बोला सब की मुंडी निचे जमीन को खोद रही थी

रमेश रोते हुए फिर से चिल्लाया :” हां मै नपुंसक हु”



5 मिनट तक कोई कुछ नही बोला फिर अचानक कोमल ने चुप्किदी तोड़ी और जोरो से ताली बजाने लगी और बोली “ भैया आज मुझे आप पे गर्व है इतनी बात बोलने में आपने बड़ी देर लगा दी मै इसी पल की बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी की आप कुछ बोले”

अब रमेश सहित सब के मुह आश्चर्य के साथ खुले रह गए थे

रमेश: “तुम कहना क्या चाह रही हो ?????

कोमल: “भैया कुछ बोलने में गलती कर रहे है आप नपुंसक नहीं है पर आप के वीर्य में शुक्राणु की संख्या कम है और वो नहीं के बराबर है उसमे लिक्विड ज्यादा है और जो भी शुक्राणु है वो किसी भी महिला के फेलोपियन ट्यूब के पार जाने और बिज को छेद के के काबिल नहीं है”

रमेश: “what?????” तुम्हे कैसे पता क्या तुम पहले से ही जानती थी???”

कोमल :yes भैया उसी दिन से जानती हु जब आपके मोबाइल में ये मेसेज आया था मैंने आपको Dr से बात करते सूना था की रिपोर्ट कल तक आ जायेगी और मैंने आपका मोबाइल पे वोच कर के उसकी फ़ाइल मैंने अपने मोबाइल में डाल दी थी” सोरी

मोम जो अब तक आधी सोयी हुई थी अचानक उसे कोमल को बोला साली गन्दी छिनाल अब तक मुझे क्यों नहीं बताया???? किसी को तो बताना चाहिए था तो ये नोबत नहीं आती

कोमल: ये भैया को ही बोलना था मैंने सिर्फ भाभी का प्रोटेक्शन के लिए ये सब किया था अगर ऐसी परिश्थिति आती है जहा दूसरी शादी की और भाई भी रेडी हो जाते है तो ये धमाका मुझे करना था अन्यथा ये भाई को ही बोलना था| मै भी एक फिमेल हु और भाभी को अन्याय होने से तो रोकना था पर सच कहू तो मा तुम एक महिला ना बन सकी उसका मुझे दुःख है




इतना सुनते ही पूजा रसोई की और दौड पड़ी और कोमल अपनी कुर्सी को पीछे की ऑर करते उठ खड़ी हुई और बोली: “भाभी मुझे माफ़ कर दो”

bane rahiye
Good update..
 
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