चाय उबलने ही वाली थी। निशा आज सुबह फिर घर के काम में लग गायी। आज फिर उसे कॉलेज के लिए लेट नहीं होना था। कल उसके प्रोफेसर ने उसे डाँटा था। माँ के गुज़र जाने के बाद 6 महीने हो चुके थे पर फिर भी वह अपना डेली रूटीन संभाल नहीं पाई थी।
पापा चाय के लिए वेट कर रहे थे। चाय पापा को देकर, आशा और सशा के लिए लंच भी तैयार करना था उसे। वह जानती थी अगर वह लंच नहीं बनायी, तो दोनों छोटी बहने भूखे रहेंगे और टीवी के सामने बैठी रहेंगी।
चाय कप में डाल कर वह ड्राइंग रूम में गयी।
पापा (जगदीश राय) सुबह का पेपर लेकर बेठे थे और रोबर्ट वाड्रा को बुरा-भला कह रहे थे।
निशा:पापा, ये लो चाय।
पापा: अरे, बना दिया। क्यों तकलीफ की। मैं बना देता। तू अपने कॉलेज जाने पे ज़ोर दे और पढाई ठीक से कर।
निशा( जाते हुए): पापा, अब आप हर सुबह की तरह फिर शुरू मत हो जाइए। चुप चाप चाय पिजिए और ऑफिस जाइए।
पापा: (थोडा मुस्कुराकर) ठीक है मेरी माँ। ला दे बैठ, थोड़ा चाय मेरे में से पी ले।
निशा: नही, मुझे लंच भी बनाना है। दो महारानियों के लिये।
पापा: अरे वह मैं बना दूंगा। तू फिकर मत कर। मुझे आज ऑफिस लेट जाना है।
निशा: नही। किचन का काम मेरा है। आप उसमे दखल न दे।
पापा: अरे तेरी माँ जब थी, तब भी मैं कभी कभी लंच बना लेता था। तो अब क्यों नही।
मॉम का ज़िक्र सुनकर निशा चुप हो गयी और सर झुका के बैठ गयी। जगदीश राय भी चुप हो गया और उसका आँख भर गई। निशा ये देख कर बहुत उदास हो गयी। वह उठकर किचन में चली गयी।
मॉम(सीमा राय) की मृत्यु कोई 6 महिने पहले हुई थी। निशा जानती थी की पापा अभी तक उनके माँ को मिस कर रहे है। वह जानती थी की घर की स्त्री अब वह है, उसे ही सबको सम्भालना है।
तभी सीडियों से भूकम्प की तरह शोर मचाते हुए आशा और सशा उतर पडी। सशा चिल्लाकर रोती हुई बोल रही थी।
सशा: देखो न दीदी, आशा मुझे अपनी ड्रेस पहनने नहीं दे रही है।
निशा: अरे तुम दोनों फिर शुरू हो गई। पापा, आप ही सम्भालिए इन्हे।
पापा: अरे भाई क्या हुआ।
सशा: देखो न पापा, आशा मुझे अपनी ड्रेस पहनने नहीं दे रही है।
आशा: अरे बुद्धू, वह तेरी साइज की नहीं है। अपना चेस्ट तो देख। दीदी, तुम ही समझाओ इस फूल को
सशा: फूल होगी तु। सिर्फ 2 इंच कम है मेरी तुम से। जब मैं तेरी ब्रा पहन सकती हु तो ड्रेस क्यों नही।
निशा: यह बात तो सही है। आशा, तो फिर क्या प्रोब्लम।
आशा: दीदि, ये हैगिंग ड्रेस है। ये पहनेगी तो अच्छी नहीं लगेगी। इसके मम्मे भी नहीं दिखेंगे।
सशा: सब दिखेंगे और तेरी से भी अच्छे।
निशा: (हँसती हुई) सशा हम तुम्हारे लिए शाम को ऐसा ही ड्रेस ला देंगे। क्यों पापा?