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Incest तीन सगी बेटियां (Completed)

sunoanuj

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बहुत ही जबरदस्त स्टोरी ।।
 

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  • SUPERB GROPING NARRATION
निशा (पीछे वाले लड़के से): भैया एक मिनट, थोड़ा जगह देना।

जवान लड़का चुपचाप थोड़ा पीछे सरक गया।और निशा टर्न हो गायी। निशा ने टर्न होते ही, अपना हैंडबैग अपने छाती पर लगा दिया। उसी समय जगदीश राय ने भी नीचे हाथ डाल कर अपने लंड को पेंट के ऊपर से सेट कर दिया।

निशा की गाण्ड अब अपने पापा पर टीका हुआ था और सामने से उसने बैग से अपने मम्मो को मसलने से बचा रखा था।

अब बस , पूरी भरी हुई, बहुत धीरे धीरे चल रही थी। उसमे हर स्टॉप पर लोग चढ़ते जा रहे थे।

जगदीश राय का लंड निशा की गाण्ड के दरार के बिलकुल ऊपर था। निशा ने अपने गाण्ड पर अपने पापा का गरम लंड महसूस किया। वह मन ही मन मुस्करायी। उसे अपने पापा के लंड से चिपके रहने में कोई दिक्कत नहीं थी।

करीब 5 मिनट इस पोजीशन में रहने के बाद, जगदीश राय का पूरा शरीर गरम हो चूका था। उसे लग रहा था की उसका लंड मानो फट जाएगा।

निशा की हालत भी कुछ सामान ही थी। उसकी चूत पूरी गिली हो चुकी थी। निशा अपने पापा के गरम लौड़े को अपन गाण्ड के दरार पर चिपका रखा था। पर लंड अभी तक दरार के अंदर घूस नहीं पाई थी। निशा की टाईट लेग्गि, पापा के लंड की ज़ोर की वजह से , गाण्ड की दरार में घूस चूका था।

निशा ने अपने गाण्ड को थोड़ा दायी तरफ मुडा दिया और फिर तुरंत उसने गाण्ड को बायीं तरफ मोड़ दिया। वह अपने पापा के लंड को अपनी गांड से सहला रही थी।

जगदीश राय अपनी बेटी के इस हरकत से पागल सा हो गया। उसकी सासे तेज़ हो रही थी।

निशा बार बार ऐसे करती गयी। थोड़ी मदद उसकी बस भी कर रहा था, जो ख़राब रास्तो की वजह से डोल रहा था।
तभी अचानक से, पापा का लंड , निशा की गांड की दरार के अन्दर घूस गया, निशा वही रुक गयी। अब उसने अपने पापा का मोटा लंड अपनी बडी, गरम और मुलायम गाण्ड की दरार में कपडे के उपर से फसा रखा था।

निशा: आह…

निशा के मुह से आह निकली।
 

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nice update
Aisa laga ki hum khud hi us bus me ho aur groping ho raha ho...

निशा तेज़ी से सास लेने लगी। पापा के गरम लंड की गरमी, गाण्ड से लगकर सीधे चूत पर बिजली की तरह गिर रही थी। चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

जगदीश राय बस अपने आंखें बंद कर , अपनी सासों को सम्भालते हुये खड़ा था। बस में किसी को भी ज़रा सा भी भनक नहीं हुआ की यह बाप-बेटी क्या कर रहे है।

जगदीश राय को लगा की ऐसे ही चलते गये तो वह पानी छोड देगा। वह इस परिस्थिती से बचना चाहता था।

बस थोड़ा और हिलना-डुलना शुरू हुआ। जगदीश राय मौके का फायदा उठाकर लंड निशा की गांड की दरार से बाहर निकलना ठीक समझा।

निशा को लगा की पापा का लंड दरार से फिसल रहा है, वह तुरंत अपने मन से जागी और अपनी बड़ी गांड को पीछे की तरफ सरका दिया। वह किसी भी हालत में अपने पापा के लंड को खोना नहीं चाहती थी। उसने ठान जो लिया था की वह अपने पापा को कभी उदास नहीं होने देगी।

जगदीश राय यह देख कर चौक गया। वह समझ गया जो भी हो रहा है निशा के सहमती से हो रहा है।
निशा की गाण्ड पीछे करने से अब जगदीश राय का बचना असम्भव हो गया था।

अब बस , रास्तो के खड्डो के कारण, बुरी तरह ऊपर नीचे हिल रही थी । और उसके साथ ही, पापा का लंड निशा की गाण्ड की दारार को रगड रहा था।

निशा पागल हुई जा रही थी। उसकी पैर का थर्र थर्र कापना शुरू हुआ। उसे खड़ा होना मुश्किल हो चला था। पर वह डटी रही। निशा की तेज़ सासे जगदीश राय को सुनाई दे रही थी।

निशा(मन में): चाहे कुछ भी हो, मैं अपने प्यारे पापा को ख़ुशी देकर ही रहूँगी।

और उसने अपनी गाण्ड और पीछे धकलते हुयी, पापा के लंड से दबा दिया।

वही जगदीश राय को लगा की उसका लंड अभी पानी छोड देगा। उसे पसीना छुटने लगा।

वह निशा से सीधे मुह बोलना नहीं चाहता था की उसका पानी छुटने वाला है।

तभी कंडक्टर ने आवाज़ दिया।

कंडक्टर: युनिवर्सिटि।। यूनिवर्सिटी… यूनिवर्सिटी… निकलो सब लोग। है और कोई यूनिवर्सिटी…।

निशा और जगदीश राय अपने चिंतन से जाग गये। निशा फिर भी हिल नहीं रही थी।

पर जगदीश राइ निशा को थोड़ा धक्का दिया और कहा।

जगदीश राय: चलो बेटी…स्टॉप आ गया।
 

king55555

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Nisha or Asha ek sath
 
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Rakesh1999

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इस कहानी के 50 हज़ार views पूरा होने पर सभी पाठकों को बहुत बहुत थैंक्स।
 

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bahot badhiya story rahi
kya ise aage badha skte hai ?
jordar likhavat aurato ki sahi pehchan
muje lagta hai ki aisa hi kuchh naya concept ke saath kuchh naya likho ....
is kaha nise mai khush hui age bhi aise hi ummid hai.....
 
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