निशा (पीछे वाले लड़के से): भैया एक मिनट, थोड़ा जगह देना।
जवान लड़का चुपचाप थोड़ा पीछे सरक गया।और निशा टर्न हो गायी। निशा ने टर्न होते ही, अपना हैंडबैग अपने छाती पर लगा दिया। उसी समय जगदीश राय ने भी नीचे हाथ डाल कर अपने लंड को पेंट के ऊपर से सेट कर दिया।
निशा की गाण्ड अब अपने पापा पर टीका हुआ था और सामने से उसने बैग से अपने मम्मो को मसलने से बचा रखा था।
अब बस , पूरी भरी हुई, बहुत धीरे धीरे चल रही थी। उसमे हर स्टॉप पर लोग चढ़ते जा रहे थे।
जगदीश राय का लंड निशा की गाण्ड के दरार के बिलकुल ऊपर था। निशा ने अपने गाण्ड पर अपने पापा का गरम लंड महसूस किया। वह मन ही मन मुस्करायी। उसे अपने पापा के लंड से चिपके रहने में कोई दिक्कत नहीं थी।
करीब 5 मिनट इस पोजीशन में रहने के बाद, जगदीश राय का पूरा शरीर गरम हो चूका था। उसे लग रहा था की उसका लंड मानो फट जाएगा।
निशा की हालत भी कुछ सामान ही थी। उसकी चूत पूरी गिली हो चुकी थी। निशा अपने पापा के गरम लौड़े को अपन गाण्ड के दरार पर चिपका रखा था। पर लंड अभी तक दरार के अंदर घूस नहीं पाई थी। निशा की टाईट लेग्गि, पापा के लंड की ज़ोर की वजह से , गाण्ड की दरार में घूस चूका था।
निशा ने अपने गाण्ड को थोड़ा दायी तरफ मुडा दिया और फिर तुरंत उसने गाण्ड को बायीं तरफ मोड़ दिया। वह अपने पापा के लंड को अपनी गांड से सहला रही थी।
जगदीश राय अपनी बेटी के इस हरकत से पागल सा हो गया। उसकी सासे तेज़ हो रही थी।
निशा बार बार ऐसे करती गयी। थोड़ी मदद उसकी बस भी कर रहा था, जो ख़राब रास्तो की वजह से डोल रहा था।
तभी अचानक से, पापा का लंड , निशा की गांड की दरार के अन्दर घूस गया, निशा वही रुक गयी। अब उसने अपने पापा का मोटा लंड अपनी बडी, गरम और मुलायम गाण्ड की दरार में कपडे के उपर से फसा रखा था।
निशा: आह…
निशा के मुह से आह निकली।