तेईसवाँ भाग
छात्रसंघ चुनाव के लिए उम्मीदवार के रूप में तुम्हारा नाम दीपा ने ही बताया था। राहुल भैया ने मुझसे कहा।
क्या कहा। दीपा ने। मैं आश्चर्यचकित होकर राहुल भैया से बोला।
हाँ दीपा ने ही तुम्हे उम्मीदवार बनाने के लिए मुझसे कहा था। राहुल भैया ने मुझसे कहा।
लेकिन आप दीपा को कैसे जानते हैं और उसने मेरा नाम क्यों इस चुनाव में उम्मीदवार के लिए आपको बताया। मैने राहुल भैया से कहा।
दीपा की एक सहेली है जिसका नाम सोनम है। सोनम मेरे खास दोस्त की बहन है। दीपा से मैं अपने दोस्त के घर ही 2 बार मिला था, उस समय बस हाय हेलो ही हुआ था। ये कक्षा 10 की बात है। जब दीपा पढ़ती थी । उसके बाद मेरे दोस्त के पापा का स्थानांतरण दूसरे शहर हो गया तो वो लोग यहां से चले गए। दीपा को मैंने कॉलेज में कुछ दिन पहले ही देखा था। पहले तो मैंने सोचा कि ये दीपा ही है, इससे बात करूँ। फिर मैंने अपना इरादा बदल दिया। लेकिन एक दिन जब मैं लाइब्रेरी में कुछ किताब देख रहा था तो दीपा भी वहाँ पर बैठकर कोई किताब पढ़ रही थी। तो मैं उसके पास जाकर बैठ गया। पूछने पर उसने बताया की उसका नाम दीपा है, लेकिन वो मुझे ठीक से पहचान नहीं पाई। फिर सोनम के बारे में बताने और पुरानी बात याद दिलाने से वो मुझे पहचान गई। राहुल भैया ने मुझे पूरा वृत्तांत सुना दिया।
ये तो बहुत अच्छी बात है भैया की आप दोनों पहले से ही एक दूसरे को जानते हैं, लेकिन ये बात समझ में नहीं आ रही है कि उसने मुझे क्यों इस छात्रसंघ चुनाव में उम्मीदवार के रूप में खड़ा करवाया। मैंने राहुल भैया से पूछा।
एक दिन मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ बैठकर इस चुनाव के बारे में चर्चा कर रहा था, तभी दीपा मेरे पास आई। वो उस देवांशु के लिए वोट मांगने के लिए सभी छात्रों से बात कर रही थी। उसने मुझे और मेरे दोस्तों से भी देवांशु को वोट देने के लिए निवेदन किया और देवांशु की तारीफ़ करने लगी , तभी मैनें उसे बताया कि हम सब देवांशु को वोट नहीं देंगे।
दीपा ने कारण जानना चाहा तो मैंने उसे बताया कि हम सब दोस्त देवांशु के प्रतिद्वन्द्वी को वोट देंगे , क्योंकि देवांशु इस काबिल नहीं है कि वो छात्रसंघ नेता बनकर इस कॉलेज की भलाई के लिए कुछ कर सके।
आप ऐसा क्यों कहा रहे हैं भैया। वो बहुत अच्छा लड़का है और बहुत काबिल है। मुझे लगता है कि अपनी सारी जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभाएगा। दीपा ने कहा।
तुम इसलिए ऐसा लगता है कि वो तुम्हारा सहपाठी है, कभी तुम उसके बारे में पता करना कि वो कितना बिगड़ा हुआ लड़का हूं। मेरी मानो तो जितनी जल्दी हो सके उसका साथ छोड़ दो। मैंने दीपा से कहा।
ठीक है भैया में इस बारे में सोचूँगी, मगर आप किसको खड़ा कर रहे हैं देवांशु के ख़िलाफ़। दीपा ने पूछा।
सोच रहा हूँ देवांशु की तरह ही किसी नए बंदे को खड़ा करूँ, लेकिन समझ मे नहीं आ रहा है किसे। मैन कहा।
मैं एक नाम बताऊँ अगर आप सहमत हों तो। दीपा ने कहा।
हाँ क्यों नहीं। मैंने कहा।
आप छोटे को इस चुनाव में उम्मीदवार बना सकते हैं। वो भी देवांशु की तरह नया ही है। दीपा ने कहा।
कौन छोटे। मैन कहा।
मेरे पूछने पर दीपा शर्माने लगी और तुम्हारे बारे में बताया। उसकी बात और उसके हाव भाव से मैं समझ गया कि शायद वो तुमसे प्यार करती है। इतने दिनों में में मैं भी तुमको थोड़ा बहुत जान गया था। तो हम सब दोस्तों ने निर्णय लिया कि तुम्हे ही उम्मीदवार बनाया जाए। दीपा ने मुझसे ये बात तुम्हे न बताने के लिए कहा था।
राहुल भैया की बात सुनकर मुझे दीपा का अपने लिए प्यार और भरोसा महसूस कर उस पर बहुत प्यार आया और मैन निर्णय लिया कि मैं दीपा की उम्मीदों पर पूरा खरा उतरने की कोशिश करूँगा।
अभी हम बात कर ही रहे थे कि दीपा वहां पर आ गई।
क्या बातें हो रही हैं दीपा ने कहा।
कुछ नहीं बस तुम्हारे बारे में ही बातें हो रही हैं। बड़ी तारीफ कर रहा है निशांत तुम्हारी। राहुल भैया ने कहा।
निशांत ऐसा ही है। सब की तारीफ करता रहता है। दीपा ने कहा।
इसके बाद हमने थोड़ी देर बातें की। फिर मैं राहुल भैया, विक्रम भैया और उनके कुछ खास दोस्त, दीपा और उसकी कुछ खास सहेलियां और मेरे दो खास मित्र जीत की पार्टी करने के लिए एक अच्छे आए रेस्टोरेंट में चले गए। सब लोगों ने मिलकर अपनी पसंद का खाना ऑर्डर किया। कुछ देर बाद खाना आया और हम सबने मिलकर खाना खाया। जब बिल देने की बारी आई तो मैं बिल देने लगा तो राहुल भैया ने मुझे रोकते हुए खुद बिल का भुगतान करने लगे। मेरे मन करने के बाद भी वो नहीं माने तो निर्णय ये लिए गया कि मैं राहुल भैया और विक्रम भैया बिल का भुगतान करेंगे। हमने मिलकर खाने के पैसे दिए और अपने अपने घर चले गए।
मैं अपने घर पहुचा कुछ देर बाद अर्जुन भैया भी आ गए तो उन्होंने मुझसे पूछा।
कैसा रहा आजका दिन छोटे।
बहुत अच्छा रहा भैया। मैन कहा।
फिर रात में खाने के समय सब लोग बैठे हुए थे और खाना खा रहे थे।
तुम कल रात भर कहाँ थे निशांत। माँ ने कहा।
कल रात दीपा के भैया घर पर नहीं थे तो दीपा ने मुझे रोक लिया था। कल में उसी के साथ था। मैंने कहा।
कल तुम दीपा के साथ रात भर अकेले थे। तुमको समझ मे आता है कि क्या किया है तुमने। तुम उसे लेकर यहां नहीं आ सकते थे। मां ने कहा।
मैंने माँ को सारी बात बता दी। थोड़ी देर बाद माँ ने कहा।
तुमने अभी तक जो भी किया अपने मन का किया, लेकिन अब तुझे मेरी एक बात माननी होगी। कर तू उसके लिए मना नही करेगा। मां ने कहा।
ठीक है माँ। में मना नहीं करूंगा। मैंने कहा।
मैंने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है और मैं चाहती हूँ कि तुम्हारी शादी उससे हो।माँ ने कहा।
माँ की बात सुनकर मुझे झटका लगा। मैं कभी माँ को देखता तो कभी भैया और भाभी को।
क्या हुआ निशांत तुमने कोई जवाब नहीं दिया। माँ ने कहा।
कुछ नहीं माँ वो मैं सोच रहा था कि पहले पढ़ाई खत्म हो जाए। उसके बाद शादी का सोचूँगा। मैने कहा।
तो मैं कौन सा तुझे अभी शादी के लिए बोल रही हूँ। तेरी पढ़ाई पूरी होने के बाद ही शादी होगी। लेकिन उसी से शादी करनी पड़ेगी, जिसे मैंने पसंद किया है। कुछ दिन बाद वो लोग यहां आ रहे हैं तो मैं सोच रही हूँ कि तुम दोनों एक दूसरे से मिल लो। अगर सबकुछ ठीक रहा तो सगाई कर देते हैं तुम्हारी । माँ ने कहा।
मैं तो बात को टालना चाहता था कि पढ़ाई पूरी होने के बाद तक शायद माँ उस पसंद की हुई लड़की से मेरा रिश्ता न करें, लेकिन माँ ने तो पूरी तैयारी कर ली थी। में दीपा से ही शादी करना चाहता था, इसलिए मैंने माँ को सब बताने का फैसला कर लिया।
बात ये है माँ कि मैं किसी से प्यार करता हूँ और उसी से शादी करना चाहता हूँ। मैंने हिम्मत जुटाते हुवे मां से कहा।
क्या कहा। तू अब प्यार भी करने लग गया। हमारे पूरे खानदान में ऐसा कभी नहीं हुआ। तुमने तो मेरी नाक कटा दी। मां ने गुस्से का नाटक करते हुए कहा।
माँ एक बार मेरी बात तो सुन लो। आप सब उसे अच्छी तरह जानते हैं। और उसे पसंद भी करते हैं। मैंने माँ से कहा।
कौन है वो लड़की जिसे हम जानते हैं। माँ ने कहा।
में दीपा से प्यार करता हूँ और उसी से शादी करना चाहता हूँ आप सब की अनुमति से। मैंने एक सांस में सब बोल दिया।
क्या दीपा। ये नहीं हो सकता छोटे। दीपा ने मेरे घर आते जाते मेरे बेटे को फ़ांस लिया। मैं बात करती हूँ आशीष से और बताती हूँ दीपा की करतूत उसे। मां ने कहा।
लेकिन माँ। मेरे इतना कहते ही मां उठाकर गुस्से से मुझे देखती हुई अपने कमरे में चली गयी।
साथ बने रहिए।