SKYESH
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kya bat hai ......................कल रात किसी की बाहों मे कट गई आज दो अपडेट पोस्ट करूंगा

kya bat hai ......................कल रात किसी की बाहों मे कट गई आज दो अपडेट पोस्ट करूंगा
#33
“हाँ, कबीर वो ट्रक तुम्हारे चाचा के नाम है ”दरोगा ने दुबारा से कहा तो मैं सोच में पड़ गया, कैसी गुत्थी थी जिसमे मैं उलझ गया था.
“ट्रक सामान से भरा था ,ट्रक के आगे आवारा सांड आ गया था उसे बचाने की कोशिश में ये हादसा हो गया. ” दरोगा बोला.
दरोगा की बात मानने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी पर उसके तथ्यों को नकारा भी नहीं जा सकता था .
“ जाना चाहता हु मैं यहाँ से ” मैंने कहा
दरोगा- मैं छोड़ देता हु
हम दोनों गाँव की तरफ चल दिए. गाँव के बाहर बने ठेके के पास मैंने दरोगा को रोकने के लिए कहा .
“बस मुझे यही छोड़ दो,”मैने कहा
दरोगा- यहाँ
मैं- शराब पीते हो
दरोगा- नहीं
मैं- फिर क्या ख़ाक जीते हो.
दरोगा- तुम तो पीते हो , फिर तो खूब जीते होगे.
हम दोनों ही मुस्कुरा दिए. मैंने बोतल खरीदी और चल दिया. आधी बोतल पीने के बाद भी मुझे चैन नहीं था. रत्ना का असली चेहरा कुछ और था वो चाचा के ट्रक से मारी गयी वो भी ठीक तभी जब हम अलग हो रहे थे , इस इत्तेफाक की टाइमिंग इतनी परफेक्ट कैसे हो सकती थी . सोचते सोचते मैं जब ताई के घर आया तो मामी मिली मुझे.
“कबीर कहाँ गायब थे तुम ” उसने कहा
मैं- शहर गया था कुछ काम से आने में थोड़ी देर हो गयी .
मामी- कोई बात नहीं. तुम खाना खा लो मैं तुम्हारी चाची के घर जा रही हु.
मैं- रुको जरा.
“क्यों भला,” मामी ने मुस्कुराते हुए कहा
मैंने कुछ नहीं किया बस मामी को गोद में उठा लिया.
“ये ठीक समय नहीं कबीर, मैं बाद में हवेली आ जाउंगी ” मामी ने कहा
मैं- हवेली अब मेरी नहीं रही पर तुम मेरी जरुर हो.
मामी- ठीक है पर कपडे मत उतरना.
मैंने मामी को घुटनों भर झुकाया और साड़ी को ऊपर कर दिया. मामी की गोल गांड जिसका मैं बचपन से ही दीवाना था और होता भी क्यों नहीं मामी मेरे लिए बहुत अहम् थी वो पहली औरत जिसकी चूत मैंने मारी थी.
“इस चूत के लिए मैं सब कुछ हार जाऊ , उफ्फ्फ कितनी ही प्यारी है ये ” मैंने मामी के झांट के बालो पर जीभ चलाई
मामी- तुम्हे देखते ही मैं आप खोने लगती हु कबीर
मैं- फिर क्यों रोक रही हो मुझे
मामी- क्योंकि मैं खुल कर करना चाहती हु तुम्हारे साथ और फिलहाल ये समय मुझे इजाजत नहीं दे रहा .
मैंने मामी की चूत पर थूक लगाया और अपने लंड को गर्म चूत से सटा दिया. पहले धक्के में ही लंड चूत में घुस गया .
“आहिस्ता ” मामी ने अपने पैरो को आपस में जोड़ते हुए कहा.
मैं- रुका नहीं जा रहा
मैंने मामी की कमर को पकड़ा और मामी को छोड़ने लगा. गर्दन से टपकते पसीने को जीभ से चाटते हुए मैं चुचियो को मसलते हुए मामी को चोद रहा था .
“आज भी याद है वो रात जब हम एक हुए थे ” मैंने मामी के कान में फुसफुसाया
“तीन बार ली थी तूने सुजा के रख दी थी ” मामी ने गांड को हिलाते हुए कहा.
“फिर से वो रात दोहराना चाहता हु ” मैंने कस से धक्के लगाते हुए कहा
मामी- जाने से पहले ये खवाहिश पूरी करके जाउंगी. ऊपर आ जा मेरे
मामी ने बिस्तर पर लेटते ही अपने पैरो को विपरीत दिशाओ में फैला लिया. गदराई जांघो के बीच कांपती चूत कोई कमजोर हो तो वैसे ही झड जाए. मैंने मामी की जांघो पर अपनी जांघे चढ़ाई मामी ने खुद लंड को चूत पर लगया और बोली- जल्दी से कर ले.
एक बार फिर से हमारी चुदाई शुरू हो गयी. मामी के लजीज होंठ मेरे होंठो में भरे हुए थे मामी अपनी गांड उठा उठा कर चुद रही थी और जब ये चुदाई का तूफ़ान शांत हुआ तो पसीने से लथपथ दो जिस्म हांफ रहे थे और बिस्तर की सलवटे चीख रही थी .
“मैं जा रही हु, खाना खा लेना और यही रहना ” मामी ने कपडे ठीक करते हुए कहा. मामी के जाने के बाद मेरे पास करने को कुछ खास नहीं था हवाए थोड़ी तेज चलने लगी थी मैंने दरवाजा बंद किया , ताईजी से घर बढ़िया बनाया था. दिवार पर ताई ताऊ और उनके बच्चो की तस्वीरे लगी थी.एक खुशहाल परिवार किसी और क्यों इसके सिवा और ही चाहत रहे, ताऊ की मौत के बाद ताई अकेली हो गयी थी छोटे भाई-बहन अपनी जिंदगी में खुश थे पर ऐसा कोई इन्सान नहीं जो घर ना आना चाहता होगा. खैर, भागते समय में ये कोई नई बात तो थी नहीं. ताऊ और चाचा की मौत लगभग एक ही तरीके से हुई थी इस बात ने मुझे परेशां करके रखा हुआ था , अवश्य ही ताऊ को भी हीरो वाली बात मालूम हो गयी थी इतना तो मुझे विश्वास था पर क्या वो खान तक पहुंचा था .
खान का ध्यान आते ही मुझे लगा की फिर वहां जाना चाहिए पर रात को नहीं . मैं घर से बाहर निकल आया इधर मन भी नहीं लग रहा था . एक बार फिर से मैं हवेली के सामने खड़ा था , सरसराती हवा में ख़ामोशी से खड़ी वो ईमारत भी तनहा थी मेरी तरह पर क्या सच में ऐसा था , नहीं बिलकुल नहीं. अगर अँधेरे में वो हलकी सी चिंगारी न जलती जो शायद माचिस की थी तो मुझे क्या फरिश्तो तक को नहीं मालूम था की मेरे सिवा वहां पर कोई और भी था. दबे पाँव मैं हवेली की टूटी दिवार से लगते हुए अन्दर आया. हवा में अजीब सी ख़ामोशी थी .
“बहुत देर लगाई ” धीमे से एक आवाज आई.
“मैं तुमसे ही कह रही हु कबीर ” आहिस्ता से वो मेरे पास आई और उसके नर्म होंठ मेरे होंठो से मिल गए. ................
Nice update....#33
“हाँ, कबीर वो ट्रक तुम्हारे चाचा के नाम है ”दरोगा ने दुबारा से कहा तो मैं सोच में पड़ गया, कैसी गुत्थी थी जिसमे मैं उलझ गया था.
“ट्रक सामान से भरा था ,ट्रक के आगे आवारा सांड आ गया था उसे बचाने की कोशिश में ये हादसा हो गया. ” दरोगा बोला.
दरोगा की बात मानने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी पर उसके तथ्यों को नकारा भी नहीं जा सकता था .
“ जाना चाहता हु मैं यहाँ से ” मैंने कहा
दरोगा- मैं छोड़ देता हु
हम दोनों गाँव की तरफ चल दिए. गाँव के बाहर बने ठेके के पास मैंने दरोगा को रोकने के लिए कहा .
“बस मुझे यही छोड़ दो,”मैने कहा
दरोगा- यहाँ
मैं- शराब पीते हो
दरोगा- नहीं
मैं- फिर क्या ख़ाक जीते हो.
दरोगा- तुम तो पीते हो , फिर तो खूब जीते होगे.
हम दोनों ही मुस्कुरा दिए. मैंने बोतल खरीदी और चल दिया. आधी बोतल पीने के बाद भी मुझे चैन नहीं था. रत्ना का असली चेहरा कुछ और था वो चाचा के ट्रक से मारी गयी वो भी ठीक तभी जब हम अलग हो रहे थे , इस इत्तेफाक की टाइमिंग इतनी परफेक्ट कैसे हो सकती थी . सोचते सोचते मैं जब ताई के घर आया तो मामी मिली मुझे.
“कबीर कहाँ गायब थे तुम ” उसने कहा
मैं- शहर गया था कुछ काम से आने में थोड़ी देर हो गयी .
मामी- कोई बात नहीं. तुम खाना खा लो मैं तुम्हारी चाची के घर जा रही हु.
मैं- रुको जरा.
“क्यों भला,” मामी ने मुस्कुराते हुए कहा
मैंने कुछ नहीं किया बस मामी को गोद में उठा लिया.
“ये ठीक समय नहीं कबीर, मैं बाद में हवेली आ जाउंगी ” मामी ने कहा
मैं- हवेली अब मेरी नहीं रही पर तुम मेरी जरुर हो.
मामी- ठीक है पर कपडे मत उतरना.
मैंने मामी को घुटनों भर झुकाया और साड़ी को ऊपर कर दिया. मामी की गोल गांड जिसका मैं बचपन से ही दीवाना था और होता भी क्यों नहीं मामी मेरे लिए बहुत अहम् थी वो पहली औरत जिसकी चूत मैंने मारी थी.
“इस चूत के लिए मैं सब कुछ हार जाऊ , उफ्फ्फ कितनी ही प्यारी है ये ” मैंने मामी के झांट के बालो पर जीभ चलाई
मामी- तुम्हे देखते ही मैं आप खोने लगती हु कबीर
मैं- फिर क्यों रोक रही हो मुझे
मामी- क्योंकि मैं खुल कर करना चाहती हु तुम्हारे साथ और फिलहाल ये समय मुझे इजाजत नहीं दे रहा .
मैंने मामी की चूत पर थूक लगाया और अपने लंड को गर्म चूत से सटा दिया. पहले धक्के में ही लंड चूत में घुस गया .
“आहिस्ता ” मामी ने अपने पैरो को आपस में जोड़ते हुए कहा.
मैं- रुका नहीं जा रहा
मैंने मामी की कमर को पकड़ा और मामी को छोड़ने लगा. गर्दन से टपकते पसीने को जीभ से चाटते हुए मैं चुचियो को मसलते हुए मामी को चोद रहा था .
“आज भी याद है वो रात जब हम एक हुए थे ” मैंने मामी के कान में फुसफुसाया
“तीन बार ली थी तूने सुजा के रख दी थी ” मामी ने गांड को हिलाते हुए कहा.
“फिर से वो रात दोहराना चाहता हु ” मैंने कस से धक्के लगाते हुए कहा
मामी- जाने से पहले ये खवाहिश पूरी करके जाउंगी. ऊपर आ जा मेरे
मामी ने बिस्तर पर लेटते ही अपने पैरो को विपरीत दिशाओ में फैला लिया. गदराई जांघो के बीच कांपती चूत कोई कमजोर हो तो वैसे ही झड जाए. मैंने मामी की जांघो पर अपनी जांघे चढ़ाई मामी ने खुद लंड को चूत पर लगया और बोली- जल्दी से कर ले.
एक बार फिर से हमारी चुदाई शुरू हो गयी. मामी के लजीज होंठ मेरे होंठो में भरे हुए थे मामी अपनी गांड उठा उठा कर चुद रही थी और जब ये चुदाई का तूफ़ान शांत हुआ तो पसीने से लथपथ दो जिस्म हांफ रहे थे और बिस्तर की सलवटे चीख रही थी .
“मैं जा रही हु, खाना खा लेना और यही रहना ” मामी ने कपडे ठीक करते हुए कहा. मामी के जाने के बाद मेरे पास करने को कुछ खास नहीं था हवाए थोड़ी तेज चलने लगी थी मैंने दरवाजा बंद किया , ताईजी से घर बढ़िया बनाया था. दिवार पर ताई ताऊ और उनके बच्चो की तस्वीरे लगी थी.एक खुशहाल परिवार किसी और क्यों इसके सिवा और ही चाहत रहे, ताऊ की मौत के बाद ताई अकेली हो गयी थी छोटे भाई-बहन अपनी जिंदगी में खुश थे पर ऐसा कोई इन्सान नहीं जो घर ना आना चाहता होगा. खैर, भागते समय में ये कोई नई बात तो थी नहीं. ताऊ और चाचा की मौत लगभग एक ही तरीके से हुई थी इस बात ने मुझे परेशां करके रखा हुआ था , अवश्य ही ताऊ को भी हीरो वाली बात मालूम हो गयी थी इतना तो मुझे विश्वास था पर क्या वो खान तक पहुंचा था .
खान का ध्यान आते ही मुझे लगा की फिर वहां जाना चाहिए पर रात को नहीं . मैं घर से बाहर निकल आया इधर मन भी नहीं लग रहा था . एक बार फिर से मैं हवेली के सामने खड़ा था , सरसराती हवा में ख़ामोशी से खड़ी वो ईमारत भी तनहा थी मेरी तरह पर क्या सच में ऐसा था , नहीं बिलकुल नहीं. अगर अँधेरे में वो हलकी सी चिंगारी न जलती जो शायद माचिस की थी तो मुझे क्या फरिश्तो तक को नहीं मालूम था की मेरे सिवा वहां पर कोई और भी था. दबे पाँव मैं हवेली की टूटी दिवार से लगते हुए अन्दर आया. हवा में अजीब सी ख़ामोशी थी .
“बहुत देर लगाई ” धीमे से एक आवाज आई.
“मैं तुमसे ही कह रही हु कबीर ” आहिस्ता से वो मेरे पास आई और उसके नर्म होंठ मेरे होंठो से मिल गए. ................
Har update me ek Naya twist#32
“कह दो के ये झूठ है ” मैंने उसे अपने से दूर करते हुए कहा
“सब कुछ झूठ ही तो है कबीर . ” उसने कहा
“तुमने इस्तेमाल किया मेरा , धोखा किया मेरे साथ ” मैंने कहा
“धोखा नहीं मेरे लिए मौका था वो कबीर, इतने साल तुम साथ रहे तुम समझ नहीं पाए तो मेरा कोई दोष नहीं ” उसने कहा
मैं- वो लड़की तुम्हारा ही मोहरा थी न, तुमने अपने फायदे के लिए मुझे गाजी से लड़ा दिया
“जंग मे सब जायज होता है कबीर, दिल पर इतना बोझ लेने की जरुरत नहीं .धंधा है धंधे में सब कुछ करना पड़ता है. कबीर जीतने दिन तुम्हारे साथ रही इमानदारी से रही , बल्कि तुम्हे यहाँ पाकर मैं इतनी खुश हु की क्या बताऊ तुम्हे अगर मुझे मालूम होता की तुम आने वाले हो तो मैं ना जाने क्या कर देती ” उसने मेरा हाथ पकड़ा
“इस से पहले की मैं तुम्हारे तमाम अहसान भूल जाऊ , इस से पहले की मेरे दिल से तमाम वो लम्हे मिटा दू जो तेरे साथ जिए चली जा यहाँ से और दुआ करना फिर कभी मुलाकात ना हो , अरे तू हक़ से मांगती , तूने तो सोचा नहीं , क्या करवा दिया मुझसे तूने. पाप हो गया मुझसे . गाजी का खौफ दिखा कर तूने अपने मतलब को पूरा कर लिया ” मैंने गुस्से से कहा.
“बहुत भोला है तू कबीर, तू नहीं समझता पर इस दुनिया में दुसरे को रस्ते से हटा कर ही आगे बढ़ा जाता है . सच यही है की जो मैं आज टारे सामने खड़ी हु वही मेरी वास्तविकता है , जिस शहर को तू पीछे छोड़ आया आज वो मेरे कदमो में है. ” उसने गर्व से कहा
मैं- यहाँ किस से हीरे खरीदती थी तू
“”कुछ राज़ , राज ही रहने चाहिए , वो तो मुझे मालूम हुआ की कोई नया खिलाडी आया है तो मैं खुद आ गयी और देख यहाँ तू मिला, तू हाँ तो कह जमाना तेरे कदमो में होगा. तू हमारे साथ कारोबार करेगा तो मालामाल हो जायेगा मेरा वादा है ” उसने कहा
“चाहू तो तेरे हलक से अभी के अभी उसका नाम खींच लू रत्ना, पर यहाँ तेरी गांड तोड़ी न तो फिर अपनी गली में कुत्ता शेर वाली बात हो जाएगी, जिस शहर की तू मालकिन बनी है न मजा तो तभी आएगा जब वो शहर एक बार फिर कबीर को देखेगा . गाजी के परिवार का नाश करवा दिया तूने , तुझे भी बहुत कुछ खोना होगा रत्ना ” मैंने कहा
रत्ना- मत भूल कबीर, उसी शहर में तेरी महबूबा नौकरी करती है .
मैं- तू हाथ तो क्या ऊँगली करके दिखा उसकी तरफ रत्ना
रत्ना- अपना माना है तुझे कबीर.
मैं- माना होता तो बता देती की वो कौन है जो तुझे हीरे बेचता था
रत्ना- सौदेबाजी कर रहा है तू कबीर.
मैं- सौदेबाज़ी ही समझ ले.
रत्ना- वो एक साया है बस कभी सामने नहीं आया , माल पहुंचा गया हमने पैसे पहुंचा दिए , जब मुझे मालूम हुआ की वो खुद आ रहा है तो मैं रोक न सकी खुद को और किस्मत देखिये तुम मिले, मिले भी तो यूँ
मेरी आँखों के सामने ऐसा छल था जिसे गले से निचे उतारना मुश्किल बहुत था, इस औरत ने ऐसा गेम खेला था मेरे साथ , ऐसी परिस्तिथिया बनाई की मैं बिना सोचे समझे वो सब कर बैठा जो नहीं होना चाहिए था. यूँ तो धोखे बहुत खाए थे पर सोचा नहीं था की ऐसा कुछ भी हो सकता है. गाजी के खानदान में अँधेरा हो गया मेरी वजह से,ग्लानी से मन भर गया मेरा. मैंने गाजी से मिलने जाने का सोचा. मैंने निर्णय कर लिया था की शहर के किस्से को यूँ ही नहीं छोडूंगा. उस लड़की की आबरू अगर नहीं बचाता तो दुनिया में इंसानियत, भरोसे, मदद की कोई वैल्यू बचती ही नहीं, वो लड़का बार बार कहता रहा की खुद से आई है ये पर मैंने अपने उन्माद में अनर्थ कर दिया. उस लड़के को उम्र भर विकलांग बना दिया मैंने. कहने को कुछ नहीं बचा था पर करने को बहुत कुछ था
रत्ना गाड़ी में बैठी और जाने लगी, मैं भी जोहरी की दूकान से बाहर आया और पैदल ही आगे बढ़ गया. सर में बहुत तेज दर्द हो रहा था पर हाय रे किस्मत रत्ना की गाड़ी थोड़ी ही दूर गयी होगी की सामने से एक ट्रक ने गाडी को दे मारा. पलक झपकते ही सब कुछ हो गया , इतना तेज धमाका हुआ की कान बहरे ही तो हो गए . ट्रक ने गाडी को कुचल दिया था . हाँफते हुए मैं गाड़ी की तरफ भागा गाड़ी का दरवाजा जाम हो गया था . टूटे शीशे से मैंने अन्दर देखा , रत्ना के बदन में गाड़ी का लोहा घुसा हुआ था , उसकी आँखे खुली थी सांस बाकी थी
“रत्ना , होश कर . आँखे बंद मत कर ” जैसे तैसे उसे गाडी से बाहर निकाला गया , उसे हॉस्पिटल पहुचाया गया पर छोटे शहरो की भी अपनी किस्मत होती है डॉक्टर्स के नाम पर यहाँ बस चुतियापा ही मिलता है . डॉक्टर ने बस इतना कहा की बचा नहीं पाए इसे. बचा नहीं पाये, क्या इतना काफी था, एक जिन्दा औरत लाश बन गयी और डॉक्टर ने सिर्फ इतना कहा की बचा नहीं पाए. कोई जिम्मेदारी नहीं, इन्सान की जान साली इतनी सस्ती की किसी को परवाह ही नहीं की मर रहा है कोई .
“कबीर, तू जानता था इसे ” दरोगा ने मुझसे सवाल किया
मैं- ट्रक ड्राईवर कहाँ है
दरोगा- हॉस्पिटल में है फ़िलहाल तो
मैं- उसे मैं मारूंगा .
दरोगा- कानून अपने हिसाब से काम करेगा .तुम मेरी मदद करो , इसके परिवार को सूचना देनी पड़ेगी.
मैं- ट्रक किसका था .
दरोगा- शांत रहोगे तो सब बता दूंगा, फ़िलहाल ड्राईवर को होश नहीं आया है होश आने पर पूछताछ होगी. ट्रक के मालिक का पता थोड़ी ही देर में मेरे पास आ जायेगा . वैसे कौन थी ये औरत
मैं- जिन्दा थी तो कुछ नहीं थी पर अब बहुत अजीज समझो इसे.
महज इत्तेफाक तो नहीं था ये सब , कोई तो था जो मुझ पर , मेरी हर एक बात पर नजर रखे हुए था कोई तो था जिसने सोचा होगा की रत्ना कही मुझे उसका नाम न बता दे उस से पहले ही उसने रत्ना को रस्ते से हटा दिया. मैं वही हॉस्पिटल बेंच पर बैठ गया . जिन्दगी न जाने क्या क्या मुझे दिखा रही थी. सोचते सोचते मेरी आँख सी लग गयी.
“उठ कबीर , ट्रक के मालिक का नाम पता चल गया है ” दरोगा ने मुझे उठाते हुए कहा
मैं- कौन है वो
दरोगा ने जो नाम मुझे बताया , एक बार तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ.
Tow truck chacha ka tha Lekin daroga ke hisab se uski koyi galti nahi#33
“हाँ, कबीर वो ट्रक तुम्हारे चाचा के नाम है ”दरोगा ने दुबारा से कहा तो मैं सोच में पड़ गया, कैसी गुत्थी थी जिसमे मैं उलझ गया था.
“ट्रक सामान से भरा था ,ट्रक के आगे आवारा सांड आ गया था उसे बचाने की कोशिश में ये हादसा हो गया. ” दरोगा बोला.
दरोगा की बात मानने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी पर उसके तथ्यों को नकारा भी नहीं जा सकता था .
“ जाना चाहता हु मैं यहाँ से ” मैंने कहा
दरोगा- मैं छोड़ देता हु
हम दोनों गाँव की तरफ चल दिए. गाँव के बाहर बने ठेके के पास मैंने दरोगा को रोकने के लिए कहा .
“बस मुझे यही छोड़ दो,”मैने कहा
दरोगा- यहाँ
मैं- शराब पीते हो
दरोगा- नहीं
मैं- फिर क्या ख़ाक जीते हो.
दरोगा- तुम तो पीते हो , फिर तो खूब जीते होगे.
हम दोनों ही मुस्कुरा दिए. मैंने बोतल खरीदी और चल दिया. आधी बोतल पीने के बाद भी मुझे चैन नहीं था. रत्ना का असली चेहरा कुछ और था वो चाचा के ट्रक से मारी गयी वो भी ठीक तभी जब हम अलग हो रहे थे , इस इत्तेफाक की टाइमिंग इतनी परफेक्ट कैसे हो सकती थी . सोचते सोचते मैं जब ताई के घर आया तो मामी मिली मुझे.
“कबीर कहाँ गायब थे तुम ” उसने कहा
मैं- शहर गया था कुछ काम से आने में थोड़ी देर हो गयी .
मामी- कोई बात नहीं. तुम खाना खा लो मैं तुम्हारी चाची के घर जा रही हु.
मैं- रुको जरा.
“क्यों भला,” मामी ने मुस्कुराते हुए कहा
मैंने कुछ नहीं किया बस मामी को गोद में उठा लिया.
“ये ठीक समय नहीं कबीर, मैं बाद में हवेली आ जाउंगी ” मामी ने कहा
मैं- हवेली अब मेरी नहीं रही पर तुम मेरी जरुर हो.
मामी- ठीक है पर कपडे मत उतरना.
मैंने मामी को घुटनों भर झुकाया और साड़ी को ऊपर कर दिया. मामी की गोल गांड जिसका मैं बचपन से ही दीवाना था और होता भी क्यों नहीं मामी मेरे लिए बहुत अहम् थी वो पहली औरत जिसकी चूत मैंने मारी थी.
“इस चूत के लिए मैं सब कुछ हार जाऊ , उफ्फ्फ कितनी ही प्यारी है ये ” मैंने मामी के झांट के बालो पर जीभ चलाई
मामी- तुम्हे देखते ही मैं आप खोने लगती हु कबीर
मैं- फिर क्यों रोक रही हो मुझे
मामी- क्योंकि मैं खुल कर करना चाहती हु तुम्हारे साथ और फिलहाल ये समय मुझे इजाजत नहीं दे रहा .
मैंने मामी की चूत पर थूक लगाया और अपने लंड को गर्म चूत से सटा दिया. पहले धक्के में ही लंड चूत में घुस गया .
“आहिस्ता ” मामी ने अपने पैरो को आपस में जोड़ते हुए कहा.
मैं- रुका नहीं जा रहा
मैंने मामी की कमर को पकड़ा और मामी को छोड़ने लगा. गर्दन से टपकते पसीने को जीभ से चाटते हुए मैं चुचियो को मसलते हुए मामी को चोद रहा था .
“आज भी याद है वो रात जब हम एक हुए थे ” मैंने मामी के कान में फुसफुसाया
“तीन बार ली थी तूने सुजा के रख दी थी ” मामी ने गांड को हिलाते हुए कहा.
“फिर से वो रात दोहराना चाहता हु ” मैंने कस से धक्के लगाते हुए कहा
मामी- जाने से पहले ये खवाहिश पूरी करके जाउंगी. ऊपर आ जा मेरे
मामी ने बिस्तर पर लेटते ही अपने पैरो को विपरीत दिशाओ में फैला लिया. गदराई जांघो के बीच कांपती चूत कोई कमजोर हो तो वैसे ही झड जाए. मैंने मामी की जांघो पर अपनी जांघे चढ़ाई मामी ने खुद लंड को चूत पर लगया और बोली- जल्दी से कर ले.
एक बार फिर से हमारी चुदाई शुरू हो गयी. मामी के लजीज होंठ मेरे होंठो में भरे हुए थे मामी अपनी गांड उठा उठा कर चुद रही थी और जब ये चुदाई का तूफ़ान शांत हुआ तो पसीने से लथपथ दो जिस्म हांफ रहे थे और बिस्तर की सलवटे चीख रही थी .
“मैं जा रही हु, खाना खा लेना और यही रहना ” मामी ने कपडे ठीक करते हुए कहा. मामी के जाने के बाद मेरे पास करने को कुछ खास नहीं था हवाए थोड़ी तेज चलने लगी थी मैंने दरवाजा बंद किया , ताईजी से घर बढ़िया बनाया था. दिवार पर ताई ताऊ और उनके बच्चो की तस्वीरे लगी थी.एक खुशहाल परिवार किसी और क्यों इसके सिवा और ही चाहत रहे, ताऊ की मौत के बाद ताई अकेली हो गयी थी छोटे भाई-बहन अपनी जिंदगी में खुश थे पर ऐसा कोई इन्सान नहीं जो घर ना आना चाहता होगा. खैर, भागते समय में ये कोई नई बात तो थी नहीं. ताऊ और चाचा की मौत लगभग एक ही तरीके से हुई थी इस बात ने मुझे परेशां करके रखा हुआ था , अवश्य ही ताऊ को भी हीरो वाली बात मालूम हो गयी थी इतना तो मुझे विश्वास था पर क्या वो खान तक पहुंचा था .
खान का ध्यान आते ही मुझे लगा की फिर वहां जाना चाहिए पर रात को नहीं . मैं घर से बाहर निकल आया इधर मन भी नहीं लग रहा था . एक बार फिर से मैं हवेली के सामने खड़ा था , सरसराती हवा में ख़ामोशी से खड़ी वो ईमारत भी तनहा थी मेरी तरह पर क्या सच में ऐसा था , नहीं बिलकुल नहीं. अगर अँधेरे में वो हलकी सी चिंगारी न जलती जो शायद माचिस की थी तो मुझे क्या फरिश्तो तक को नहीं मालूम था की मेरे सिवा वहां पर कोई और भी था. दबे पाँव मैं हवेली की टूटी दिवार से लगते हुए अन्दर आया. हवा में अजीब सी ख़ामोशी थी .
“बहुत देर लगाई ” धीमे से एक आवाज आई.
“मैं तुमसे ही कह रही हु कबीर ” आहिस्ता से वो मेरे पास आई और उसके नर्म होंठ मेरे होंठो से मिल गए. ................
Nice update....#33
“हाँ, कबीर वो ट्रक तुम्हारे चाचा के नाम है ”दरोगा ने दुबारा से कहा तो मैं सोच में पड़ गया, कैसी गुत्थी थी जिसमे मैं उलझ गया था.
“ट्रक सामान से भरा था ,ट्रक के आगे आवारा सांड आ गया था उसे बचाने की कोशिश में ये हादसा हो गया. ” दरोगा बोला.
दरोगा की बात मानने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी पर उसके तथ्यों को नकारा भी नहीं जा सकता था .
“ जाना चाहता हु मैं यहाँ से ” मैंने कहा
दरोगा- मैं छोड़ देता हु
हम दोनों गाँव की तरफ चल दिए. गाँव के बाहर बने ठेके के पास मैंने दरोगा को रोकने के लिए कहा .
“बस मुझे यही छोड़ दो,”मैने कहा
दरोगा- यहाँ
मैं- शराब पीते हो
दरोगा- नहीं
मैं- फिर क्या ख़ाक जीते हो.
दरोगा- तुम तो पीते हो , फिर तो खूब जीते होगे.
हम दोनों ही मुस्कुरा दिए. मैंने बोतल खरीदी और चल दिया. आधी बोतल पीने के बाद भी मुझे चैन नहीं था. रत्ना का असली चेहरा कुछ और था वो चाचा के ट्रक से मारी गयी वो भी ठीक तभी जब हम अलग हो रहे थे , इस इत्तेफाक की टाइमिंग इतनी परफेक्ट कैसे हो सकती थी . सोचते सोचते मैं जब ताई के घर आया तो मामी मिली मुझे.
“कबीर कहाँ गायब थे तुम ” उसने कहा
मैं- शहर गया था कुछ काम से आने में थोड़ी देर हो गयी .
मामी- कोई बात नहीं. तुम खाना खा लो मैं तुम्हारी चाची के घर जा रही हु.
मैं- रुको जरा.
“क्यों भला,” मामी ने मुस्कुराते हुए कहा
मैंने कुछ नहीं किया बस मामी को गोद में उठा लिया.
“ये ठीक समय नहीं कबीर, मैं बाद में हवेली आ जाउंगी ” मामी ने कहा
मैं- हवेली अब मेरी नहीं रही पर तुम मेरी जरुर हो.
मामी- ठीक है पर कपडे मत उतरना.
मैंने मामी को घुटनों भर झुकाया और साड़ी को ऊपर कर दिया. मामी की गोल गांड जिसका मैं बचपन से ही दीवाना था और होता भी क्यों नहीं मामी मेरे लिए बहुत अहम् थी वो पहली औरत जिसकी चूत मैंने मारी थी.
“इस चूत के लिए मैं सब कुछ हार जाऊ , उफ्फ्फ कितनी ही प्यारी है ये ” मैंने मामी के झांट के बालो पर जीभ चलाई
मामी- तुम्हे देखते ही मैं आप खोने लगती हु कबीर
मैं- फिर क्यों रोक रही हो मुझे
मामी- क्योंकि मैं खुल कर करना चाहती हु तुम्हारे साथ और फिलहाल ये समय मुझे इजाजत नहीं दे रहा .
मैंने मामी की चूत पर थूक लगाया और अपने लंड को गर्म चूत से सटा दिया. पहले धक्के में ही लंड चूत में घुस गया .
“आहिस्ता ” मामी ने अपने पैरो को आपस में जोड़ते हुए कहा.
मैं- रुका नहीं जा रहा
मैंने मामी की कमर को पकड़ा और मामी को छोड़ने लगा. गर्दन से टपकते पसीने को जीभ से चाटते हुए मैं चुचियो को मसलते हुए मामी को चोद रहा था .
“आज भी याद है वो रात जब हम एक हुए थे ” मैंने मामी के कान में फुसफुसाया
“तीन बार ली थी तूने सुजा के रख दी थी ” मामी ने गांड को हिलाते हुए कहा.
“फिर से वो रात दोहराना चाहता हु ” मैंने कस से धक्के लगाते हुए कहा
मामी- जाने से पहले ये खवाहिश पूरी करके जाउंगी. ऊपर आ जा मेरे
मामी ने बिस्तर पर लेटते ही अपने पैरो को विपरीत दिशाओ में फैला लिया. गदराई जांघो के बीच कांपती चूत कोई कमजोर हो तो वैसे ही झड जाए. मैंने मामी की जांघो पर अपनी जांघे चढ़ाई मामी ने खुद लंड को चूत पर लगया और बोली- जल्दी से कर ले.
एक बार फिर से हमारी चुदाई शुरू हो गयी. मामी के लजीज होंठ मेरे होंठो में भरे हुए थे मामी अपनी गांड उठा उठा कर चुद रही थी और जब ये चुदाई का तूफ़ान शांत हुआ तो पसीने से लथपथ दो जिस्म हांफ रहे थे और बिस्तर की सलवटे चीख रही थी .
“मैं जा रही हु, खाना खा लेना और यही रहना ” मामी ने कपडे ठीक करते हुए कहा. मामी के जाने के बाद मेरे पास करने को कुछ खास नहीं था हवाए थोड़ी तेज चलने लगी थी मैंने दरवाजा बंद किया , ताईजी से घर बढ़िया बनाया था. दिवार पर ताई ताऊ और उनके बच्चो की तस्वीरे लगी थी.एक खुशहाल परिवार किसी और क्यों इसके सिवा और ही चाहत रहे, ताऊ की मौत के बाद ताई अकेली हो गयी थी छोटे भाई-बहन अपनी जिंदगी में खुश थे पर ऐसा कोई इन्सान नहीं जो घर ना आना चाहता होगा. खैर, भागते समय में ये कोई नई बात तो थी नहीं. ताऊ और चाचा की मौत लगभग एक ही तरीके से हुई थी इस बात ने मुझे परेशां करके रखा हुआ था , अवश्य ही ताऊ को भी हीरो वाली बात मालूम हो गयी थी इतना तो मुझे विश्वास था पर क्या वो खान तक पहुंचा था .
खान का ध्यान आते ही मुझे लगा की फिर वहां जाना चाहिए पर रात को नहीं . मैं घर से बाहर निकल आया इधर मन भी नहीं लग रहा था . एक बार फिर से मैं हवेली के सामने खड़ा था , सरसराती हवा में ख़ामोशी से खड़ी वो ईमारत भी तनहा थी मेरी तरह पर क्या सच में ऐसा था , नहीं बिलकुल नहीं. अगर अँधेरे में वो हलकी सी चिंगारी न जलती जो शायद माचिस की थी तो मुझे क्या फरिश्तो तक को नहीं मालूम था की मेरे सिवा वहां पर कोई और भी था. दबे पाँव मैं हवेली की टूटी दिवार से लगते हुए अन्दर आया. हवा में अजीब सी ख़ामोशी थी .
“बहुत देर लगाई ” धीमे से एक आवाज आई.
“मैं तुमसे ही कह रही हु कबीर ” आहिस्ता से वो मेरे पास आई और उसके नर्म होंठ मेरे होंठो से मिल गए. ................
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