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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
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इसे चूत का चक्कर मत कहो........ हम जिससे भी जुड़े दिल से जुड़े हैं, सिर्फ जिस्म की तमन्ना में नहीं....................... जिस्म तो हमेशा हर जगह मिल जाता है पर दिल नहीं
मेंने जब पहली बार आपकी द डार्कसाइड सागा पढ़ी, पहले अपडेट से ही अपनी सी कहानी लगी .............. तभी तो मन की गांठें खोल लेते हैं हम एक दूसरे के सामने...........

आप और मैं भी राय साहब जैसे नहीं हो सकते....... कि जिन्हें अपना माना हो, उन्हें अपने सामने ही तबाह होते देखते रहें....... और खुद को अँधेरों में छुपा लें .............
आज भी हमारे अंदर वही सालों पुराने कबीर और कुन्दन जिंदा हैं......... जो अपने वजूद को बचाए रखने की जद्दोजहद में लगे राय साहब और राणा हुकम सिंह जैसे बहुरूपियों को बेनकाब कर सकते हैं..........

इस नज्म की कुछ पंक्तियाँ मेरे एक मित्र ने 1993 में मुझसे बिछदते हुये कहीं थीं........... पूरी नज्म ही आपके लिए हाजिर है

कहां आंसुओं की ये सौग़ात होगी
नए लोग होंगे नई बात होगी

मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूंगा
तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी

चराग़ों को आंखों में महफ़ूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी

परेशां हो तुम भी परेशां हूं मैं भी
चलो मय-कदे में वहीं बात होगी

चराग़ों की लौ से सितारों की ज़ौ तक
तुम्हें मैं मिलूंगा जहां रात होगी

जहां वादियों में नए फूल आए
हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी

सदाओं को अल्फ़ाज़ मिलने न पाएं
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

- बशीर बद्र​

👌👌👌👌💕💕💓💞💓💕💖😍🤗❤️😘👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏♑
मुसाफिर है हम भी मुसाफिर हो तुम भी!.
किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी!!.. 😍
 

ASR

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Divine
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मत सोचो इतना भाई अभी हमको खुद नहीं मालूम अगला भाग कैसे लिखना है. दारू पीने के बाद विचार करूंगा कुछ बेहतर हो जाए अंत इसका खैर एक दोस्त है साथ आज पुरानी बाते याद करेंगे अभी और अपडेट नहीं आएगा.
मुसाफिर आज मन बहुत ही अवसाद मे है, आपकी कहानी के अपडेट व xforum.live के मित्रों की प्रतिक्रियाएं पढ़ कर उन पर अपना विचार प्रकट करते हुए दिमाग़ को शांत करने के लिए कोशिश कर रहा हूं 🙄😊🙄
कल मेने अपने एक अति प्रिय मित्र को खो दिया जो कि मेरे स्कुल कॉलेज के समय से थे व मुझसे बहुत ही लगाव रखते थे, परंतु परिस्थितियों व जीवन की भाग दोड़ ने अलग अलग कर दिया था physically..
दोस्त के साथ तो जब भी मौका मिले या मौका पैदा करके जरूर मिल लेना चाहिए व ये आपकी busters dose होते हैं जीवन की हर खुशी गम को शान्ति से पूरे उत्साह से सामना करने के लिए तत्पर रहते हैं मदद करते हैं...
पूरे मजे करिए...

आज मेने अपना दोस्त खो दिया, परंतु मैं जानता हूं कि वो ऊपर से भी मुझे दुआ दे रहा है 😍 💕❤️💞💜💙
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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मुसाफिर आज मन बहुत ही अवसाद मे है, आपकी कहानी के अपडेट व xforum.live के मित्रों की प्रतिक्रियाएं पढ़ कर उन पर अपना विचार प्रकट करते हुए दिमाग़ को शांत करने के लिए कोशिश कर रहा हूं 🙄😊🙄
कल मेने अपने एक अति प्रिय मित्र को खो दिया जो कि मेरे स्कुल कॉलेज के समय से थे व मुझसे बहुत ही लगाव रखते थे, परंतु परिस्थितियों व जीवन की भाग दोड़ ने अलग अलग कर दिया था physically..
दोस्त के साथ तो जब भी मौका मिले या मौका पैदा करके जरूर मिल लेना चाहिए व ये आपकी busters dose होते हैं जीवन की हर खुशी गम को शान्ति से पूरे उत्साह से सामना करने के लिए तत्पर रहते हैं मदद करते हैं...
पूरे मजे करिए...

आज मेने अपना दोस्त खो दिया, परंतु मैं जानता हूं कि वो ऊपर से भी मुझे दुआ दे रहा है 😍 💕❤️💞💜💙
दोस्ती रिश्तों की मोहताज नहीं ............ सब बंधनों से मुक्त है.................
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे व आपको भी इस दुख से उबरने की शक्ति दे
 

ASR

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Divine
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दोस्ती रिश्तों की मोहताज नहीं ............ सब बंधनों से मुक्त है.................
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे व आपको भी इस दुख से उबरने की शक्ति दे
दिल से आप की संवेदना के लिए सादर प्रणाम 🙏
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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मैं- तो फिर वो वजह बता क्यों तुझे पिताजी के साथ सोना पड़ा .

चंपा- नहीं पता की ऐसा क्यों हुआ , बस हो गया एक बार हुआ फिर बार बार होने लगा. फिर ना वो रुके ना मैंने मना किया.

कमल
मैं- और मंगू , उसके साथ क्यों सोना पड़ा तुझे

चंपा- हम दोनों एक ही कमरे में सोते थे , एक रात नशे में वो चढ़ गया मुझ पर . मैं खुद को रोक नहीं पाई .

मैं- बुरा नहीं लगा

चंपा- बुरा लगने से क्या होता है , कहा न कुछ चीजे बस हो जाती है .

सर जी इतने से मजा नही आया हमे
इनका पुरा वर्णन चाहिये पहली बार करते समय दोनो की मनोदशा से लेकर बदन की जरुरतो का हाल.. और अगर हो सके तो पहली बार लण्ड घुसने से लेकर आखरी धक्के तक दोनो के बीच कैसे क्या चला इनका पुरा वर्णन...!
 

Sanju@

Well-Known Member
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#148

“इस तरह देखने की जरुरत नहीं है चौधरी साहब , जब सबके नकाब उतर रहे है तो आपका चेहरा कैसे बच जायेगा. माना की रात बहुत लम्बी हुई पर सुबह की एक किरण बहुत होती है रात के अँधेरे को चीरने के लिए. रमा के पति को क्यों मारा ” मैंने सवाल किया.

रुडा- मैं, भला मैं क्यों मारूंगा उसे.

मैं- ये तो आप जानते है . मुझे तो बस इतना मालुम है की उसको आपने मारा क्यों मारा ये बता कर आप मेरी उत्सुकता खत्म कर सकते है .

रुडा- उसे एक बिमारी थी , वही बीमारी जो तुमको है . जरुरत से ज्यादा जानने की बिमारी. उसकी गांड में एक कीड़ा कुलबुला रहा था . ये जंगल इसमें कुछ भी छिपाना ना मुमकिन है उस चूतिये का लालच . क्या ही कहे . रमा की कीमत चाहिए थी उसे और कीमत क्या मांगी उसने हिस्सेदारी हम से हिस्सेदारी. हम से कबीर. हमारे टुकडो पर पलने वाले हमारे बराबर बैठने की बात करे लगे थे . सोना चाहिए था उसको , सोना . साला दो कौड़ी का नौकर हमने उसे सोना दिया. सदा के लिए सुला दिया उसे.

मैं-पर कोई था जिसने उस क़त्ल को होते हुए देखा.

रुडा- आंह ,जैसा हमने कहा ये दुनिया चुतियो से भरी है . महावीर . उसको भी यही बीमारी थी जो तुमको है दुसरो के मामलो में नाक घुसना , क्या कमी थी उसको . जवान था मौज करता. पर उसे जंगल का सच जानना था वो सच जिसे छुपाते छुपाते हमारी जुती घिस गयी . न जाने लोग क्यों नहीं समझते की जिन्दगी कोआज में जीना चाहिए . जब मैं तुमको देखता हूँ न तो मुझे कभी भी तुम नहीं दिखे कबीर, मैंने हमेशा महावीर को देखा. किसी ने तुम्हे नहीं बताया होगा पर मैं तुम्हे बताता हूँ वो तुम सा ही था . उसके सीने में दिल था जो धडकता था अपने लोगो के लिए.



सवाल बहुत करता था वो . मैंने क्या नहीं दिया उसे पर उस चूतिये को शौक था ऊँगली करने का . न जाने कैसे उसने सोने के राज को मालूम कर लिया था . चलो ठीक था इतना भी हमारे बाद हमारी औलादों को ही काम आता वो .



मैं ख़ामोशी से रुडा को देख रहा था कुछ पल पहले वो मुझे दर्द भरी कहानी सूना रहा था और मेरे एक सवाल ने उसके चेहरे पर पुते रंग को बहाना शुरू कर दिया था

मैं- महावीर को सोना नहीं चाहिए था कभी भी .

रुडा- सही समझे तुम . जानता था की तुम समझोगे इस बात को

मैं- महावीर की दिलचस्पी कभी नहीं थी सोने में. उसे तलाश थी किसी की

रुडा- उसे तलाश थी कातिल की

मैं- सुनैना के कातिल की . मुझे लगा ही था . मैंने सोचा था इस बारे में पर कड़ी अब जाकर जुडी है . कड़ी थी सुनैना और उसके बच्चे उस रात सुनैना को एक नहीं दो औलाद पैदा हुई थी . महावीर सुनैना का बेटा था .

न जाने क्यों मेरे पैरो तले जमीं खिसकने लगी थी . क्योंकि इस सच ने तमाम लोगो को कटघरे में खड़ा कर दिया था . महावीर को साजिश के तहत मारा गया था तो उस साजिश में भैया, भाभी और अंजू भी शामिल थे. इतना कमजोर मैंने पहले कभी नहीं महसूस किया था खुद को. सच के आखिर कितने रूप हो सकते है

रुडा- सच , कबीर, सच , अपने आप में अनोखा अप्रतिम . सच से खूबसूरत कुछ नहीं सच से घिनोना कुछ नहीं. महावीर को मालूम हो गया था की उसकी माँ का कातिल कौन है . रिश्तो के बोझ से दबा वो बदहवास भटक रहा था और फिर उसने मुझे रमा के पति को मारते हुए देखा, उसका सब्र टूट गया. और ना चाहते हुए भी मुझे वो फैसला लेना पड़ा जिसकी वजह से आज हम दोनों यहाँ पर है .

मैं- महावीर के क़त्ल का फैसला

रुडा- क्या करे, दुनियादारी असी ही चीज है

मैं- पर कैसे. उसे तो ...

“उसे तो किसी और ने घायल किया था . जंगल में घायल पड़ा था वो . कमजोर सांसे लड़ रही थी जिन्दगी से . गोलियों के घाव गहरे थे . उसी दोपहर उसकी और मेरी लड़ाई हुई थी . बदहवासी , बेखुदी में बस वो निशा को पुकारे जा रहा था . वो उसे बताना चाहता था कुछ

मैं- क्या बताना चाहता था .

रुडा- डायन , महावीर के अंतिम शब्द डायन थे.जानता है कबीर कोई भी आज तक उसके कातिल को क्यों नहीं तलाश कर पाया.

मैं- क्योंकि कोई नही जानता की उसका कातिल उसका बाप है.

मेरे ये शब्द मेरे गले की फांस बन गए, मेरी आँखों से आंसू बह चले. बेशक महावीर मेरा कुछ नहीं लगता था पर फिर भी मेरे मन में संवेदना थी उसके लिए. एक पल के लिए मेरे और रुडा के दरमियान बर्फ सी जम गयी . इन्सान से घटिया और कोई जानवर नहीं . मैं दो पल के लिए अपने ख्यालो में खो गया और जब होश आया तो मेरे बदन में कुछ नुकीला सा घुस चूका था . दर्द को मैंने बस महसूस किया . कुछ बोल नहीं पाया.

“जानता है महावीर के कातिल को कोई भी नहीं तलाश कर पाया क्योंकि कोई जान ही नहीं पाया . तूने जाना अब तू भी नहीं रहेगा. ये राज तेरे साथ ही दफन हो जायेगा ” रुडा ने चाकू को दुबारा से मेरे पेट में घुसेदा.

मैं कुछ भी नहीं बोल पाया अचानक से हुए हमले ने मुझे स्तब्ध कर दिया था . मैं समाधी के पत्थरों पर गिर गया .

रुडा- जैसा मैंने कहा दुनिया चुतियो से भरी है , तू उन चुतियो का सरदार है . क्या नहीं मिल रहा था तुझे. यहाँ तक निशा भी दी तुझे सोचा की उसके साथ जी लेगा तू पर तुझे तो सच जानना था , देख सच , सच ये है की तू मरने वाला है तेरी लाश कहाँ गायब हो गयी कोई नहीं जान पायेगा.

रुडा ने अबकी बार मेरे सीने पर धार लगाई चाक़ू की . और मेरी आवाज गले से बाहर निकली.

“निशा ” मेरे होंठो से ये ही पुकार निकली.

रुडा- कैसा अजीब इतीफाक है न ये, तू भी निशा को ही पुकार रहा है . मोहब्बत भी साली क्या ही होती है हम तो कभी समझ ही नहीं पाए इस बला को . हमें तो चुदाई से ही फुर्सत ना मिली और तुम हो के साले मरने को मर रहे हो फिर भी इश्क का भूत नहीं उतर रहा.

“मैं नहीं मरूँगा रुडा , मुझे जीना है मेरी जान के साथ मुझे जीना है निशा के साथ . ” मैंने पूरी ताकत लगाई और रुडा को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करने लगा. पर कामयाब नहीं हो पाया.

रुडा ने दो थप्पड़ मारे मुझे और बोला-बस जल्दी ही तू इस दर्द से आजाद होकर हमेशा के लिए सो जाएगा.


रुडा के मजबूत हाथ मेरा गला दबाने लगे . मैं हाथ पाँव तो पटक रहा था पर जोर नहीं चल रहा था और जब लगा की सांसो की डोर अब टूट ही गयी . मेरे मन के अन्दर सोया जानवर जाग ही गया था की तभी मैंने रुडा पर अपने सियार को छलांग लगाते हुए देखा. और अगले ही पल रुडा की पीठ पर एक जोर का लट्ठ पड़ा . रुडा जमीं पर गिर गया .
रूड़ा ने कहा कि कबीर में महावीर की झलक दिखती है रूड़ा ने रमा के पति को मारा और अपनी गलती को छुपाने के लिए अपने बेटे को भी मार दिया और आज कबीर के साथ भी वही कर रहा है आज फिर से निशा को डायन बना रहा है लेकिन सियार आ गया तो निशा का भी आगमन हो ही गया है रमा के पति का कातिल महावीर का कातिल महावीर का सुनैना का बेटा होने ये सच तो पता चल गया है इंतजार है रूड़ा को अपनी गलतियों की सजा मिलने का
इंसान अपनी एक गलती को छुपाने के लिए हजारों गलतियां करता जाता है सभी अपनी गलतियों को छुपाने के लिए गलतियां करते जा रहे हैं सब इस खेल में मिले हैं
 

Sanju@

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सुनैना को भी इसी रूड़ा ने मारा होगा, उसी को सारा सोना चाहिए होगा इसी चक्कर में।

अभिमानू नंदिनी और अंजू ने अभी तक सच नही बताया है कबीर को।
हम तो सोच रहे थे कि राय साहब इस सब के कर्ताधर्ता है लेकिन ये सब रूड़ा ने किया है मुझे लगता है सुनैना से पीछा छुड़वाने के लिए रूड़ा ने ही सुनैना को मरवा दिया है क्योंकि सोना तो उसे मिल ही गया है अभिमानु नंदनी और अंजू भी झूठ बोल रहे हैं वो भी अपनी गलतियां छुपा रहे हैं
 

Sanju@

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किस किस को डार्क साइड सागा की प्रीतम याद है ❤️
प्रीतम को कैसे भूल सकते हैं फ़ौजी भाई??? वो तो आपकी कहानी का मुख्य पात्र है
 

Sanju@

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#149

“तुमने सोचा भी कैसे की मेरे होते हुए तुम कबीर को नुक्सान पहुंचा पाओगे,बाबा . तुमने कबीर पर नहीं मेरी आत्मा पर वार किया है, कबीर मेरा गुरुर है जिन्दगी है मेरी और कोई भी मेरी जिन्दगी मुझसे छीन ले ये मैं होने नहीं दूंगी. आज नहीं कल नहीं कभी भी नहीं.” निशा ने लगातार रुडा पर लट्ठ से वार किये.

पेट पर हाथ रखे मैं उठा , और जाकेट को कस कर पेट के जख्म पर बान्ध लिया.

निशा- सोचा था की कम से कम तुमने मुझे समझा पर तुम , तुम तो सबसे घटिया निकले . अपने हाथो से मेरी मांग का सिंदूर उजाड़ दिया तुमने. पर आज नहीं आज तुमको अपने पापो का हिसाब देना होगा . आठ साल मैं भटकती रही ,सोचती रही की कौन होगा वो जिसने मेरे जीवन में अँधेरा कर दिया पर काश , काश मैं पहले ही समझ पाती की दिए तले हो अँधेरा होता है

मैं- रुक जा निशा

निशा- आज नहीं कबीर , आज रुकी तो फिर खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाउंगी कबीर .

मैं- इसे माफ़ी नहीं देनी निशा,इसे तू जो चाहे सजा दे पर कुछ सवाल है जिनके जवाब अभी बाकि है

निशा- जवाब तो मांगूंगी ही मैं .

निशा ने पलक झपकते ही रुडा के पाँव को तोड़ दिया. जंगल में उसकी चीख गूंजने लगी.

“चीख, कभी इस जंगल में महावीर की चीखे सुनी होंगी आज ये जंगल उसके कातिल की चीख सुनेगा. तेरे कर्म आज तुझे वही पर ले आये है . चिंता मत कर तुझे इतनी आसान मौत नहीं दूंगी मैं ” निशा ने उस पर थूका और मेरे पास आई मुझे अपने आगोश में भर लिया मरजानी ने .

निशा- सोच तो लिया होता सरकार तेरे पीछे एक जिन्दगी और है तुझे कुछ हो जायेगा तो मेरा क्या होगा . जीना है मुझे तेरे साथ .

मैं- तुझसे वादा किया है मेरी जान . ये जन्म अगला जनम हर जन्म मेरी जान जीना तेरे साथ मरना तेरी बाँहों में .

निशा- रो पडूँगी अगर मरने की बात की तो .

निशा न मेरा जख्म देखा और बोली- तेरे छिपे हुए रूप के बारे में सोच जख्म पर असर होगा

मैं- जानता हूँ पर ये बता तू यहाँ कैसे पहुँच गयी .

निशा- जासूस छोड़ रखा है तेरे पीछे. इतना तो जान गयी थी की तू परेशां है पर क्यों ये नहीं जान पायी और शुक्र है ये सही समय पर मुझे यहाँ ले आया .

निशा ने सियार की तरफ देखा . जो लपक कर हम दोनों से लिपट गया .

मैं- तो जब सुनैना से प्यार वाली कहानी झूठी है तो अब बताओ की असल में उसके साथ हुआ क्या था .

रुडा- बहुत सुन्दर थी वो , मादकता से भरा ऐसा जाम . स्वर्ग से जैसे कोई अप्सरा ही उतर आई हो . बंजारों की लड़की का ऐसा सौन्दर्य अपने आप में अनोखा था. जो भी देखे उसे देखता ही रह जाए. उसे हर कोई पाना चाहता था पर वो भरोसा करती थी हम दोनों पर और उसका वही भरोसा उसका श्राप बन गया . कब वो हम दोस्तों के बीच की खाई बन गयी मालूम ही नहीं हुआ. सब सही था, अगर वो पेट से ना होती . पर उस से भी माहत्वपूर्ण उसने सोना तलाश लिया था . दिक्कत सिर्फ ये थी की सोना वो निकाल सकती थी . चाह कर भी उस से पीछा नहीं छुड्वाया जा सकता था . पर न जाने क्यों बिशम्भर का मन बदल गया . वो टूटती डोर को थामना चाहता था . पर न जाने कैसे वो जान गया की वो षड्यंत्र मैंने ही रचा था . बहुत झगडा हुआ उसका और मेरा. उसकी गोद में दो नवजात थे , मैं उनको रस्ते से हटा देना चाहता था पर वो नहीं माना. मुर्ख था वो . सारी उम्र जिसने किसी रिश्ते की लिहाज नहीं किया ना जाने क्यों वो उन दो नवजातो का मोह नहीं छोड़ पा रहा था



मैं- इतनी ही नफरत थी तो क्यों पाला तुमने, क्यों नाम दिया उनको अपना .

रुडा- मज़बूरी मेरी मज़बूरी. लालच .सौदा जो बिशम्भर ने मुझसे किया था .

निशा-कैसा सौदा.

रुडा- उसने सौदा किया की यदि मैं इन दोनों को पालू तो वो सारा सोना मुझे दे देगा.

मैं- राय साहब खुद सम्पन्न थे उनके लिए क्या मुश्किल था दो बच्चो का पालन पोषण फिर उन्होंने ये सौदा क्यों किया.

रुडा- आज तक नहीं समझ पाया मैं ये बात

मैं- चाचा जरनैल से क्या पंगा था तुम्हारा .

रुडा- उसे लगता था की रमा पर उसका हक़ था वो चुतिया नहीं जानता था की रमा तो कब से हमारी थी .

मैं-उसकी मौत में किसका हाथ था .

रुडा- नहीं जानता , उसकी मौत हुई ये भी तुमने ही बताया

बाते बहुत हद तक साफ़ थी . खंडहर एक ऐसी जगह थी जहाँ पर राय साहब और रुडा अपनी हवस मिटाते थे. वो तमाम सामान इन दोनों का ही था , इनोहोने ही ऐसी वयवस्था बनाई की वहां पर कोई परिंदा भी पर ना मार सके. पर अय्याशी में खलल पड़ा जब महावीर का लगाव हुआ उस जगह से , महावीर ने ही वो जगह अभिमानु और प्रकाश को बताई होगी. जिनका प्रयोग बाद में उन्होंने किया. कविता और सरला उस जगह के बारे में कभी नहीं जान पाई क्योंकि वो कभी गयी ही नहीं और रमा ने उस जगह के बारे में कबी नहीं बताया क्योंकि मैंने उस से हमेशा पूछा की चाचा ने उसे कहा चोदा , चाचा की अय्याशी बस कुवे तक ही सिमित रही .



“अपने ही हाथो से तूने मेरा हाथ कबीर के हाथ में देकर दुआ की थी मेरी नयी जिन्दगी के लिए और अपने ही हाथो से तू मेरे नसीब की लकीर मिटा देना चाहता था . क्यों ” निशा ने कहा

रुडा- मैं पीछा छुड़ाना चाहता था तुझसे. मुझ अलग की ये ही सही रहेगा क्योंकि कबीर जिस तरह से अपनी खोजबीन में लगा हुआ था मैं जानता था की देर सबेर ये अतीत का वो पन्ना तलाश लेगा जो खून से रंगे है .

निशा - तूने बहुत जवाब दिए बस इतना बता जब वो मरा तो उसने क्या कहा था .


रुडा- उसने तेरा नाम लिया था .
रूड़ा को लठ्ठ मारने वाली निशा थी और उसे सियार लेकर आया था जिसको निशा ने कबीर के पीछे लगा रखा था निशा को अपने पहले पति के हत्यारे का पता चल गया है देखते हैं अब रूड़ा के साथ क्या करेगी
कबीर ने कहा कि सुनैना के प्यार वाली बात झूठी है तो सच ये था कि रूड़ा को सुनैना के जिस्म और सोने से प्यार था उसने केवल सोने के लिए ही प्यार का नाटक किया है और इसका पता राय साहब को चल गया था राय साहब तो अब तक बच रहे हैं अब सवाल ये है कि आखिर राय साहब ने रूड़ा से सौदा क्यों किया
 
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