कल रात मैं छत पर प्रीतम के साथ सोते हुए बाते कर रहा था उसका हाथ मेरे सीने पर था उसने कहा कि प्यार तो तूने बस मुझसे किया है बाकी सब छलावा है मान चाहे मत मान
उसकी बात ने मुझे हैरान कर दिया रात भर मैं सोचता रहा और फिर सुबह मुझे अपडेट के लिए मिला वो सच जिसने मैं अंत के लिए तलाश कर रहा था. समस्या ये है कि मैं इसे जिंदगी जैसा लिखना चाहता हूँ पाठक इसे कहानी के जैसा पढ़ना चाहते हैं.
महावीर ने डायन क्यों कहाः. शायद वो ruda को कुछ समझाना चाहता था. सुराग क्यों नहीं है मैंने हर बात का सुराग दिया भाई पिछले भाग चेक कर सकते है आप.
Ps: मैं लिखने मे कोई बेईमानी नहीं करता
![BIg Grin :D :D](/uploads/smilies/icon10.gif)
मैं उसे वहाँ छिपाती जहां वो सबके सामने तो होता पर कोई देख नहीं पाता. मैंने कहानी के अंत को वहां छिपाया है जहां आप देख तो रहे है समझ नहीं पा रहे