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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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ये तो शुरू से ही करते आए हैं।

कौन सी नई बात है ये, वैसे एक बात बता दूं, दुनिया में ऐसी कोई कहानी नही जिसमे कोई न पकड़ पाए कि आखिर क्या हो रहा है, नकारने से अच्छा जवाब ये होता है

"देखिए क्या होता है आगे"

इससे अगर जो किसी का अनुमान सही निकलता है तो उसे भी अच्छा लगता है, लेकिन सीधे मना कर देना गलत है। और उपर से इन अनुमानों को गलत करने के चक्कर में कहानी का ही कबाड़ा कर देना तो.. जो बहुत से लेखक करते हैं।

उम्मीद है फौजी भाई ऐसा न करें।

रही बात अंदाजा लगाने की तो मैने अपनी जिंदगी में पहली 2 उपन्यास जो पढ़े थे वो थे

Tell me your dreams
Windmills of god

पहली में मैं कुछ अंदाज नही लगा पाया, क्योंकि MPD के बारे में नही जानता था। लेकिन दूसरे में मेरे लगभग हर अंदाजे सही हुए। तो अंदाजा लगाना कोई ऐसी बहुत बड़ी बात नहीं है, लेकिन जैसे यहां होता है की लोग कहानी पढ़ते पढ़ते ही कॉमेंट करते हैं तो अंदाजे लगते रहेंगे, पर लेखकों को चाहिए कि उनसे प्रभावित हुए बिना अपनी कहानी को आगे बढ़ाए।

खैर, बाकी तो नियति जाने की फौजी भाई क्या सोचते है।
अंदाज़े, खैर मैं अगली कहानी मे यही देखूँगा की अंदाज़े कितने सही होते है. कहानी मेरे हिसाब से सही है हर कहानी हर पाठक के हिसाब से नहीं चलती भाई. हम यहां कोशिश करते है कि लीक से हट कर कुछ बेहतर लिखा जाए कुछ कोशिशे कामयाब होती है कुछ नहीं, हवेली को भी उस समय के पाठकों ने नकार दिया था आज वो classic है
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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अधीरता तब हुई जब कहानी एक ही जगह अटकी पड़ी थी, खैर अब तो सब बीत ही गया, क्या कर सकते हैं, आगे आने वाली कहानियों में सावधानी रखेंगे बस यही किया जा सकता है।
ठहराव कभी कभी अच्छे होते है
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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चलिए आज मैं भी बोल देता हूं


अपडेट दो फौजी भाई
 

Dungeon Master

Its not who i am underneath
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#159

एक कहानी का अंत हो गया था जिसमे राय साहब थे रमा थी और उनकी हवस थी . सोने को या तो उसका वारिस ही ले सकता था . वारिस के अलावा जो भी उसे लेगा दुर्भाग्य जकड लेगा उसे अपने पाश में . राय साहब ने श्राप चुना . आदमखोर बन कर वो रक्त से सींच कर उस सोने का उपयोग करते रहे. इसी सोने के लिए उन्होंने रुडा से दोस्ती तोड़ी. चाचा ने जब सोना इस्तेमाल किया तो वो भी बर्बाद हो गए. रमा वैसे तो बर्बाद ही थी पर राय साहब के संरक्षण की वजह से सुरक्षित रही . मंगू खान में गया और मारा गया. परकाश मारा गया . अब मुझे भी कुछ राज मरते दम तक सीने में दफ़न करके रखने थे.



“निशा, ” कुवे पर जाकर मैंने उसे पुकारा पर कोई जवाब नहीं आया .

मैंने फिर पुकारा बार बार पुकारा पर कोई जवाब नहीं मिला . दिल किसी अनहोनी की आशंका से धडक उठा . अगर वो यहाँ नहीं तो फिर कहा. क्यों मैंने उसे अकेला छोड़ा क्यों. बदहवासी में मैं घर पहुंचा तो गली



सुनसान पड़ी थी . हमेशा की तरह घर का गेट खुला पड़ा था . घर में अँधेरा था मैंने बत्तिया जलाई . सब शांत था . मेरी धड़कने बढ़ी थी .



“चाची, भाभी , निशा ” मैंने आवाज लगाई पर कोई जवाब नहीं आया . ऐसा बार बार हुआ . घर पर कोई भी नहीं था . कहाँ गए सब लोग मैंने खुद से सवाल किया. मैं सीढिया चढ़ते हुए भाभी के चोबारे की तरफ गया और दरवाजे पर ही मेरे कम ठिठक गए. कमरे का नजारा देख कर मेरा कलेजा मुह को आ गया . अन्दर चंपा की लाश पड़ी थी . रक्त की धारा मैं जंगल में बहा कर आया था , रक्त की धारा मेरे साथ घर तक आ गयी थी . मैंने हाथ लगा कर देखा बदन में गर्मी थी, मतलब ज्यादा समय नहीं हुआ था चंपा को मरे हुए.

“कोई है क्या ” जोर ही चिल्लाया मैं .

“कबीर ” एक घुटी सी आवाज मेरे कानो में पड़ी . ये आवाज रसोई की तरफ से आई थी . मैं वहां गया तो मेरा दिल ही टूट गया . आँखों से आंसू बह चले , कभी सोचा नहीं था की ये देखूंगा मैं . रसोई के फर्श पर भाभी पड़ी थी . बहुत हलके से आँखे खुली थी उनकी. हलके से गर्दन हिला कर उन्होंने मुझे पास बुलाया. दौड़ते हुए मैं लिपट गया भाभी से .

मै- कैसे हुआ ये किसने किया भाभी ये सब . मैं आ गया हूँ कुछ नहीं होगा आपको कुछ नहीं होगा. मैं इलाज के लिए अभी ले चलूँगा आपको . मैंने भाभी को उठाया पर उन्होंने कस कर मेरा हाथ थाम लिया.

भाभी- देर हो गयी है कबीर . वो ले गए उसे .

मैं- कौन भाभी

भाभी- नहीं बचा पाई उसे, धोखा हुआ .देर हो गयी कबीर

मैं- कुछ देर नहीं हुई भाभी मैं आ गया हूँ सब ठीक कर दूंगा

भाभी- निशा को ले गए वो .

भाभी के शब्दों ने मेरे डर को हकीकत में बदल दिया .

मैं- कौन थे वो भाभी

भाभी ने अपने कांपते हाथो से अपने गले में पड़े मंगलसूत्र को तोडा और मुझे दे दिया. मैंने अपनी आँखे मींच ली भाभी ने हिचकी ली और मेरी बाँहों में दम तोड़ दिया. कयामत ही गुजर गयी थी मुझ पर . प्रेम वफ़ा, रिश्ते-नाते सब कुछ बेमानी थे इस परिवार के आगे. मैंने कदम घर से आगे बढाए मैं जानता था की मंजिल कहाँ पर होगी. लाशो के बोझ से मेरे कदम बोझिल जरुर थे पर डगमगा नहीं रहे थे . निशा और भाभी पर हुआ ये वार मेरे दिल में इतनी आग भर गया था की अगर मैं दुनिया भी जला देता तो गम नहीं था.

मैं सोने की खान में पहुंचा मशालो की रौशनी में चमकती उस आभा से मुझे कितनी नफरत थी ये बस मैं ही जानता था . मैंने रक्त से सनी निशा को देखा को तडप रही थी , लटके हुए . उसके बदन से टपकता लहू निचे एक सरोखे में इकट्ठा हो रहा था .

“कबीर ” बोझिल आँखों से मुझे देखते हुए वो बस इतना ही बोली

मैं- कुछ मत बोल मेरी सरकार . मैं आ गया हूँ जिसने भी ये किया है मुझे कसम है तेरे बदन से गिरी एक एक बूंद की, सूद समेत हिसाब लूँगा.

मैं निशा के पास गया और उसे कैद से आजाद किया . अपनी बाँहों में जो लिया उसे दुनिया भर का करार आ गया मुझे .

“सब कुछ योजना के मुताबिक ही हुआ था कबीर , मैंने अंजू को धर भी लिया था पर फिर किसी ने मुझ पर वार किया और होश आया तो मैं यहाँ पर कैद में थी ” निशा बोली

मैं- कुछ मत बोल मेरी जान . मैं आ गया हूँ न सबका हिसाब हो गा . भाभी और चंपा को भी मार दिया गया है . चाची न जाने कहाँ है . और मैं जान गया हूँ की अंजू के साथ इस काण्ड में कौन शामिल है .

निशा- अभिमानु

मैं- हाँ निशा वो अभिमानु जिसकी मिसाले दी जाती है . भाभी को मार कर जो पाप किया है मैंने बरसो पहले अपनी माँ को खोया था आज फिर से मैंने अपनी माँ को खोया है मुझे कसम है निशा रहम नहीं होगा . तुझे छूने की हिम्मत कैसे हुई उनकी .


मैं निशा को वहां से बाहर लेकर गया . कुवे के कमरे में रखी मरहम पट्टी से उसके जख्मो को थोडा बहुत ढका. आसमान में तारो को देखते हुए मैं सोच रहा था की ये रात साली आती ही नहीं तो ठीक रहता पर जैसा मैंने पहले कहा आज की रात क़यामत की रात थी , मैं निशा के जख्मो को देख ही रहा था की एक चीख ने मेरी आत्मा को हिला दिया .
:shocked: Itna maara maari.....bhai hila hi daala...kahani kis mod jaa rahi h samjh hi nhi aa rha...

Ab to koi kuch nahi kh sakte..dekhte kya hota
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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Fauji Bhai,

Sabhi updates ek se badhkar ek, suspense se bharpoor, lekin Rama aur Ray Sahab dono ko hi ek aasan maut di he Kabir ne, jiske wo bilkul bhi haqdar nahi the......unki maut aisi honi chahiye thi ki jamana yaad rakhe ki maut aisi bhyanak bhi ho sakti he............

Champa aur Nandini Bhabhi ka qatil kaun he..........aur kaun goldmine par Nisha ko le gaya.......aur kyun Nisha ke khoon se patra bhara ja raha tha..........jabki Kabir ka kehna he ki wo hi waris he jise khud Snaina ne chuna he...............Abhimanu, Chachi aur Anju........ ab ye teen kirdar he jinme se koi qatil he aur ab tak saka istemal karta aa raha he.............

Lekin abhi tak Kabir ka kirdar mujhe aur most of readers ko Bhondu aur Chutiya type hi laga........ ho sakta he agle kuch updates me iska bhi kayakalp kar de Fauji Bhai............

Intezar rahega agli update ka Bhai
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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पहली में मैं कुछ अंदाज नही लगा पाया, क्योंकि MPD के बारे में नही जानता था। लेकिन दूसरे में मेरे लगभग हर अंदाजे सही हुए। तो अंदाजा लगाना कोई ऐसी बहुत बड़ी बात नहीं है, लेकिन जैसे यहां होता है की लोग कहानी पढ़ते पढ़ते ही कॉमेंट करते हैं तो अंदाजे लगते रहेंगे, पर लेखकों को चाहिए कि उनसे प्रभावित हुए बिना अपनी कहानी को आगे बढ़ाए।
Har kisi ka dimaag dusre se bhinn hota hai aur kuch to aisi khopdi wale bhi hote hain jo sach ki gardan pakad hi lete hain. Fauji bhai ki is kahani me itne jhol paida huye ki logo ka bheja hil gaya par andaza lagana kisi ne nahi chhoda aur yakeen maano ye baat fauji bhai bhi jaante hain ki unke kayi readers ne unka sach pakda hai. Ye alag baat hai ki unhone use accept nahi kiya aur next update me hi pura ghuma diya apne pathko ko... :D Well ek hakikat ye bhi hai ki aisi kahaniyo me lekhak ki aakhir tak yahi koshish rahti hai ki uska bhed aakhir tak uske readers na jaan paaye...aur is kahani me hi kya balki fauji bhai ki har kahani me aisa hi hua hai. Readers chaahe cheekhte rahe ya rote rahe unhe koi fark nahi padta. kamdev99008 bhaiya jaise insaan jo kahani ka operation karne ke liye hi jaane jate hain wo bhi unki aadat ko bhali bhaanti jaante hain. Maine dekha hai is kahani me bhi unka Rona dhona laga hua tha...magar majaal hai fauji tas se mas huye ho... :D

Khair, ant bhala to sab bhala....fauji bhai ke anusaar ye mahaj dastaane hain jinhe padh kar sirf enjoy karo...zyada gahraayi me mat jaao :smoking:
 
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TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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मैंने पूरी ईमानदारी से कोशिश की भाई इस का अंत मैं कभी भी हैप्पी नहीं चाहता था
Aisi kahaniyo ka end happy ho bhi nahi sakta. Bas kuch cheeze thi jo mujhe hi kya zyadatar pathako ko achhi nahi lagi aur na hi hajam huyi....par khair chhodiye...kahani aapki hai, aapne bahut kuch soch samajh kar hi har kirdaar ko aisa banaya hoga...
 
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