मुसाफिर भाई जिस तरह से हाथ की पांचो उंगलियां एक समान नही होती उसी तरह ज़रूरी नही की सभी पाठकों का कहानी को लेकर नज़रिया भी एक जैसा ही हो ज़रूरी नही की सभी को खुश किया जा सके ।
आपने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है और आप उस मे सफल भी हुए नही तो ये सफर कभी इतना लम्बा नही हो सकता था मुझे किसी ओर पाठक से कोई मतलब नही में सिर्फ ये जनता हु की मुझे ये कहानी बोहोत पसंद आई ये सफर बेहद रोमांचक रहा उम्मीद है आगे भी ऐसे ही किसी सफर में हम सब आपके साथ होंगे
धन्यवाद आपने हम सब के लिए इतनी मेहनत की....
आपने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है और आप उस मे सफल भी हुए नही तो ये सफर कभी इतना लम्बा नही हो सकता था मुझे किसी ओर पाठक से कोई मतलब नही में सिर्फ ये जनता हु की मुझे ये कहानी बोहोत पसंद आई ये सफर बेहद रोमांचक रहा उम्मीद है आगे भी ऐसे ही किसी सफर में हम सब आपके साथ होंगे
धन्यवाद आपने हम सब के लिए इतनी मेहनत की....
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