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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

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#73

दो घडी मैं भैया को जाते हुए देखता रहा और फिर उनको आवाज दी उन्होंने मुड कर देखा मैं दौड़ कर उनके पास गया.

मैं- रमा की बेटी की लाश जब देने गए तो नोटों की गड्डी क्यों फेंकी

भैया-उसकी हालात बहुत कमजोर थे , मैंने उसकी मदद करनी चाही पर उसने पैसे नहीं लिए तो मैं पैसे वही छोड़ कर आ गया.

मैं- आप रमा और चाचा के संबंधो को जानते थे न भैया

भैया- अब उन बातो का कोई औचित्य नहीं है . सबकी अपनी निजी जिन्दगी होती है उसमे दखल देना एक तरह से अपमान ही होता है . जब तक कुछ चीजे किसी को परेशां नहीं कर रही उन पर ध्यान नहीं देना चाहिए.

मैं- मतलब आप जानते थे .

भैया- मुझे कुछ जरुरी काम है बाद में मिलते है .

मैं इतना तो जान गया था की भैया को बराबर मालूम था चाचा श्री की करतूतों का. मैं थकने लगा था चारपाई पर लेटा और रजाई ओढ़ ली. सर्दी के मौसम में गर्म रजाई ने ऐसा सुख दिया की फिर कब गहरी नींद आई कौन जाने.

“कुंवर उठो , उठो ” अधखुली आँखों से मैंने देखा की सरला मुझ पर झुकी हुई है. मेरी नजर उसकी ब्लाउज से झांकती चुचियो पर पड़ी.

“उठो कुंवर ” उसने फिर से मुझे जगाते हुए कहा.

मैं क्या हुआ भाभी .

सरला- काम खत्म हो गया है कहो तो मैं जाऊ घर

मैं- जाना है तो जाओ किसने रोका है तुमको

मैंने होश किया तो देखा की बाहर अँधेरा घिरने लगा था .

मैं- तुम्हे तो पहले ही चले जाना चाहिए था .

सरला- वो मंगू कह कर गया था की कुंवर उठे तो कमरा बंद करके फिर जाना

मैं- कमरे में क्या पड़ा है . खैर कोई बात नहीं मैं जरा हाथ मुह धो लेता हूँ फिर साथ ही चलते है गाँव.

थोड़ी देर बाद हम पैदल ही गाँव की तरफ जा रहे थे .बार बार मेरी नजर सरला की उन्नत चुचियो पर जा रही थी ये तो शुक्र था की अँधेरा होने की वजह से मैं शर्मिंदा नहीं हो रहा था. मैंने उसे उसके घर की दहलीज पर छोड़ा और वापिस मुड़ा ही था की उसने टोक दिया- कुंवर चाय पीकर जाओ

मैं- नहीं भाभी, आप सारा दिन खेतो पर थी थकी होंगी और फिर परिवार के लिए खाना- पीना भी करना होगा फिर कभी

सरला- आ जाओ. वैसे भी मैं अकेली ही हूँ आज एक से भले दो.

मैं- कहाँ गए सब लोग

सरला- बच्चे दादा-दादी के साथ उसकी बुआ के घर गए कुछ दिन बाद आयेंगे.

चाय की चुसकिया लेटे हुए मैं गहरी सोच में खो गया था.

सरला- क्या सोच रहे हो कुंवर.

मैं- रमा की बेटी को किसने मारा होगा.

सरला- इसका आजतक पता नहीं लग पाया.

मैं- मुझे लगता है जिसने रमा की बेटी को मारा उसने ही बाकि लोगो को भी मारा होगा.

सरला- कातिल मारा जाये तो मेरा जख्म भरे.

मैं उसकी भावनाओ को समझ सकता था .

मैं- तू ठाकुर जरनैल के बारे में क्या जानती है .

सरला- वही जो बाकि गाँव जानता है

मैं- क्या जानता है गाँव

सरला- तुम्हे बुरा लगेगा कुंवर.

मैं- तू नहीं बतायेगी तो मुझे बुरा लगेगा भाभी

सरला- एक नम्बर के घटिया, गलीच व्यक्ति थे वो .

मैं- जानता हु कुछ और बताओ

सरला-जिस भी औरत पर नजर पड़ जाती थी उसकी उसे पाकर ही मानते थे वो चाहे जो भी करना पड़े.

मैं- क्या रमा को पाने के लिए चाचा उसके पति को मरवा सकता है

सरला मेरा मुह ताकने लगी.

मैं-हम दोनों एक दुसरे पर भरोसा करते है न भाभी

सरला ने कुछ पल सोचा और फिर हाँ में सर हिला दिया.

मैं- रमा के आदमी को चाचा मार सकता है क्या .

सरला- रमा को छोटे ठाकुर ने बहुत पहले पा लिया था . मुझे नहीं लगता की ठाकुर ने उसके आदमी को मारा या मरवाया होगा. देखो छोटे ठाकुर घटिया थे पर जिसके साथ भी सम्बन्ध बनाते उसका ख्याल पूरा रखते थे . उस दौर में रमा जितना बन संवर कर रहती थी धुल की भी क्या मजाल जो उसे छू भर जाये.

सरला की बात ने मुझे और उलझा दिया था .

मैं- चलो मान लिया पर हर औरत थोड़ी न धन के लिए चाचा के साथ सोना मंजूर कर लेती होगी . किसी का जमीर तो जिन्दा रहा होगा. क्या किसी ने भी उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई .

सरला- किसकी मजाल थी इतनी.

मैं- एक बात और मुझे मालूम हुआ की गाँव की एक औरत ऐसी भी थी जिस से अभिमानु भैया का चक्कर था .

मैंने झूठ का जाल फेंका

सरला- असंभव , ऐसा नहीं हो सकता. अभिमानु ठाकुर के बारे में ऐसा कहना सूरज को आइना दिखाना है . उसने गाँव के जितना किया है कोई नहीं कर सकता .

मैं -रमा तो भैया को ही उसकी बेटी का कातिल मानती है

सरला- रमा का क्या है . लाश को अभीमानु लाया था . बस ये बात थी . अभिमानु ने रमा को सहारा देने के लिए सब कुछ किया था पर वो अपनी जिद में गाँव छोड़ गयी.

मैं-जाने से पहले एक बात और पूछना चाहता हूँ भाभी.

सरला- हाँ

मैं- जाने दे फिर कभी .

मैंने अपने होंठो पर आई बात को रोक लिया . मैं सरला से साफ पूछना चाहता था की क्या वो मुझे चूत देगी . पर तभी मेरे मन में उसकी कही बात आई की कौन मना कर सकता था . मैंने अपना इरादा बदल दिया और उसके घर से निकल गया. घर गया तो देखा की चंपा आँगन में बैठी थी राय साहब अपने कमरे में दारू पी रहे थे . मैंने चंपा को अनदेखा किया और रसोई में चला गया . मेरे पीछे पीछे वो भी आ गयी.

चंपा- मैं परोस दू खाना

मैं- भूख नहीं है .

चंपा- तो फिर रसोई में क्यों आया.

मैं- तू मेरे बाप का ख्याल रख मैं अपना ध्यान खुद रख लूँगा.

चंपा- नाराज है मुझसे

मैं- जानती है तो पूछती क्यों है

चंपा- काश तू समझ पाता

मैं- मेरी दोस्त मेरे बाप का बिस्तर गर्म कर रही है और मैं समझ पाता

चंपा ने कुछ नहीं कहा और रसोई से बाहर निकल गयी . रात को एक बार फिर मैं उस तस्वीर को देख रहा था .

“दुसरो की चीजो को छुप कर देखना भी एक तरह की चोरी होती है ” कानो में ये आवाज पड़ते ही मैंने पीछे मुड कर देखा..........................

Superb update...👍
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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वैसे मैं बता चुका हूं कि वो कौन है
कमजोरी तब से हो रही है जबसे मानिकपुर में अभिमन्यु सूरजभान को बचाने आता है...

ये एक अनुमान लगा था मुझे।

बाकी "आह" ने काफी कुछ बता दिया।
 
Last edited:

Pankaj Tripathi_PT

Love is a sweet poison
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#74

सामने भैया खड़े थे .

मैं- आप यहाँ कैसे

भैया- हमारे ही कमरे में हमसे ही ये सवाल. अजीब बदतमीजी है छोटे

मैं- मेरा वो मतलब नहीं था भैया . मैं बस ........

भैया- कोई बात नहीं , वैसे भी यहाँ कुछ खास नहीं पुराना कबाड़ ही पड़ा है . रात बहुत हुई चाहो तो दिन में आराम से देख सकते हो इसे.

मैंने हां में सर हिलाया और बाहर आ गया. चाची के पास गया तो देखा की चंपा सोयी पड़ी थी वहां . मैंने कम्बल ओढा और कुवे पर जाने का सोचा. बाहर गली में आते ही देखा की भाभी छजे पर खड़ी थी बल्ब की रौशनी में उनकी नजर मुझ पर पड़ी. दोनों ने एक दुसरे को देखा और मैं अपने रस्ते बढ़ गया ये सोचते हुए की इतनी रात को भी जागती रहती है ये. कोचवान के घर के सामने से गुजरते हुए मैंने देखा की सरला का दरवाजा खुला है . इतनी रात को दरवाजा क्यों खुला है मैंने सोचा और मेरे कदम उसके घर की तरफ हो लिए.

मैंने अन्दर जाकर देखा सरला जागी हुई थी .

मैं- इधर से गुजर रहा था देखा दरवाजा खुला है तो चिंता हुई

सरला- तुम्हारे लिए ही खुला छोड़ा था कुंवर.

मैं- मेरे लिए पर क्यों

सरला- जानती थी तुम जरुर आओगे.

मैं- कैसे जानती थी .

सरला- औरत हूँ . औरत की नजरे सब पहचान लेती है . वो अधूरी बात जो होंठो तक आकर रुक गयी थी पढ़ ली थी मैंने.

मैं- तुम गलत सोच रही हो भाभी दरवाजा खुला देख कर चिंता हुई तो आ गया.

सरला- इतनी रात को एक अकेली औरत की चिंता करना बड़ा साहसिक काम है कुंवर.

मैं क्या ही कहता उसे .

मैं- तुम कुछ भी कह सकती हो भाभी . पर मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था

सरला मेरे पास आई और बोली- इरादा नहीं था तो फिर इन पर नजरे क्यों टिकी है तुम्हारी

उसने अपनी छातियो पर हाथ रखते हुए कहा.

मैं- अन्दर से कुण्डी लगा लो . मैं चलता हूँ

तभी सरला ने मेरा हाथ पकड़ लिया.

मैं- जाने दे मुझे , बहक गया तो फिर रोक नहीं पाऊंगा खुद को . ये रात का अँधेरा तो बीत जायेगा उजालो में तेरा गुनेहगार होना अच्छा नहीं लगेगा मुझे. तूने कहा था न की ठाकुरों को कौन मना करे. तू मना कर मुझे.

सरला- तो फिर रुक जाओ यही ये भी तो तुम्हारा ही घर है

मैं- घर तो है पर ..............

सरला- पर क्या....

इस से पहले की वो और कुछ कहती मैंने आगे बढ़ कर अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए और उसने चूमने लगा. उसने खुद को मेरे हवाले कर दिया और हम दोनों एक दुसरे के होंठ खाने लगे. मेरे हाथ उसके ठोस नितम्बो पर कस गए. मैंने महसूस किया की सरला की गांड चाची से बड़ी थी . सरला के होंठ थोडा सा खुले और हमारी जीभ एक दुसरे से रगड़ खाने लगी. उत्तेजना का ऐसा अहसास की तन जल उठा मेरा.

धक्का देकर मैंने उसे बिस्तर पर गिराया और दरवाजे की कुण्डी लगा दी. कमरे में हम दोनों थे और मचलते अरमान हमारे.

मैंने उसके लहंगे को ऊपर उठाया और पेट तक कर दिया. गोरी जांघो के बीच काले बालो से ढकी हुई सरला की चूत जिसकी फांके एक दुसरे से चिपकी हुई थी . मेरा जी ललचा गया उसकी चूत देख कर . मैंने उसकी टांगो को विपरीत दिशाओ में फैलाया और अपने होंठ उसकी चूत पर लगा दिए.

मैंने अपने होंठो को इस कद्र जलता महसूस किया की किसी ने दहकते हुए अंगारे रख दिए हो.

“सीईई ” चूत को चुमते ही सरला मचल उठी. मैंने देखा उसने अपनी चोली उतार कर फेंक दी और अपने हाथो से मेरे सर को थाम लिया. मैं उसकी चूत को चूसने लगा. बस दो मिनट में ही सरला के चुतड खुद ऊपर उठ गये . उसके होंठ आहों को रोकने में नाकाम होने लगे थे.



चाची के बाद जीवन में ये दूसरी औरत थी जो इतनी हद गदराई हुई थी .

“आह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ” चंपा ने अपनी छातियो को भींचते हुए आह भरी. मैंने अपने कपडे उतारे और अपने लंड को उसकी थूक से सनी चूत पर लगाते हुए धक्का मारा. सरला की आँखे गुलाबी डोरों के बोझ से बंद होने लगी. दो धक्के और मारे मैंने और पूरा लंड अन्दर सरका दिया. सरला ने अपने पैर उठा कर मेरी कमर पर लपेट दिए और चुदाई का मजा लेने लगी.

सरला को पेलने में मजा बहुत आ रहा था , सरला को चुदाई का ज्ञान बहुत था मैं महसूस कर रहा था . जिस तरीके से वो सम्भोग का लुत्फ़ उठा रही थी मैं कायल हो गया था उसकी कला का.

“आह छोटे ठाकुर , aaahhhhhhhhh ”सरला के होंठो से जब ये आह फूटी तो मेरा ध्यान चुदाई से हट गया क्या मैंने ठीक ठीक सुना था . विचारो में बस एक पल ही खोया था की सरला ने अपने होंठ मेरे होंठो से जोड़ दिए और झड़ने लगी. उसने मुझे ऐसे कस लिया की मैं भी खुदको रोक नहीं पाया और उसके कामरस में मेरा वीर्य मिलने लगा.

चुदाई के बाद वो उठी और बाहर चली गयी मैं लेटे लेटे सोचने लगा उस आह के बारे में .

बाहर से आते ही वो एक बार फिर मुझसे लिपट गयी और मैंने रजाई हम दोनों के ऊपर डाल ली. सरला का हाथ मेरे लंड पर पहुँच गया . उस से खेलने लगी वो . मैंने उसे टेढ़ा किया और उसके मजबूत नितम्बो को सहलाने लगा.

मैं- बहुत जबरदस्त गांड है तेरी

सरला- तुम भी कम नहीं हो

मैं- ये ठीक नहीं हुआ

सरला- ये मेरी इच्छा थी कुंवर. जब से तुम को मूतते देखा मैंने मैं तभी से इसे अपने अन्दर लेना चाहती थी

मैं- पर इस रिश्ते का अंजाम क्या होगा

सरला- ये तो निभाने वाले की नियत पर निर्भर करता है .दोनों तरफ से वफा रहेगी तो चलता रहेगा वर्ना डोर टूट जाएगी.

“सो तो है ” मैंने सरला की गांड के छेद को सहलाते हुए कहा

मैं उस से पूछना चाहता था पर मेरे तने हुए लंड ने गुस्ताखी कर दी और एक बार फिर मैं सरला के साथ चुदाई के सागर में गोते लगाने लगा.

सुबह जब मैं उसके घर से निकला तो मुझे पक्का यकीन था की रमा-कविता की चुदाई में तीसरी हिस्सेदार सरला थी ...... रमा के पति का मरना फिर सरला के पति का मरना कोई तो गहरी बात जरुर थी ......................
Arey wahhh ek aur update combo 🙂🙂 maza agya. Mujhe lgta hai abhimanyu ko agr chheda jaye to woh apna asli roop dikha de jese iss update me thoda jhalak mila dekhne ko, ke ajib badtmizi hai mere hi kamre me mujhe hi puch rhe Ho yahan thoda frustration dekhne ko mila. Sarla itni easily taange khol di ye baat hazam nhi hui. Aisa lgta hai ye koi sazish ke tehat hua hai sochne wali baat hai ke sarla ke bache or sasur ab hi kyo? gye.. Kabir se Milne or khet pr kaam milne ke baad hi kyo gye. Usse pehle kyo nahi ab hi kyo woh bhi achanak. Champa chachi ke paas aj hi kyo soyi? Bhabhi chhat pr thi jese ki woh intzar me thi kabir ke chachi ke ghar se niklne ka, OR plan ke tehat sarla jagti hui mili ghar ka gate khula hone ke sath. Sex ke bich sarla ka chhote thakur bolna iska mtlb Kya tha. Kya chhote thakur ya bhabhi or bhaiya insbke piche hai. Maine ek-2 chiz jodne ki koshish ki jesa sarla ka raviaya rha hai ab tk uske piche koi or hi hai bhabhi nazar rkhi hui hai. Ab bhabhi ko bhi uksaya jana chahiye jisse unka chehra Kya hai dekhne ko milega ki woh sach me innocent hai ya usne sharafat ka mukhota pehan rkha hai. Same bhaiya pr bhi yahi lagoo hota hai. Aise hi likhte rhiye Bhai ji mujhe to bada maza arha hai.
 

Ben Tennyson

Its Hero Time !!
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लगता है बकरा फंसाया गया था सरला द्वारा... लेकिन जब खड़ा हो तो परवाह किसे होती है.... हो सकता है ये किसी की साज़िश हो ऐसा करने की ...
 

Ben Tennyson

Its Hero Time !!
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बहुत ही शानदार अपडेट थे दोनों अभिमानु का रिकॉर्ड तो एकदम ठीक ठाक बता रहे हैं सब लेकिन दिमाग कुछ कह रहा है कि साला कोई इतना सीधा कैसे हो सकता है क्या ये सारा जंगल का खज़ाना ठाकुरों का है जिसे पाने की इच्छा लेकर जो भी जंगल जाता है मारा जाता है !!! बहुत सारे सबाल है और ज़बाब है सिर्फ एक ....... फौजी भाई
 
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