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राय साहब ने वसीयत का चार टुकड़े करके मामले को ऐसा उलझा दिया है कि दूर दूर तक समझ नहीं आ रहा ना वकील कुछ बता रहा है. कबीर और निशा के रिश्ते को भाभी स्वीकार नहीं कर रही है अजीब है जो औरत खुद मोहब्बत समझती है वो प्रेम से भाग रही है. त्रिदेव की कहानी बस जल्दी ही सामने आएगीरमा के पति की मौत के बारे में राय साहब जरूर जानते है,
इंतजार रहेगा की अभिमानु कैसे react करता है शादी को लेकर क्योंकि इतना पक्का है की वो जरूर कुछ ना कुछ जानता होगा निशा के बारे में
पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा की भाभी के शादी ना होने देने के पीछे डायन के आलावा कोई दूसरा reason है
राय साहब को इतनी जल्दबाजी में क्यों बंटवारा करना पड़ा, क्योंकि मेरे हिसाब से राय साहब इस पूरी कहानी का सबसे ज्यादा genius आदमी है बिना किसी कारण के कोई कदम नहीं उठायेगा
परकास बताएगा तो जरूर लेकिन मुझे नहीं लगता की इतनी आसानी से बताएगा
शायद कबीर को दूसरा मर्डर करना पड़ जाए लेकिन इतना जरूर है की जो भी नाम हो चौथे वसीयत में suprise जरूर मिलेगा
कबीर जब तक दिमाग के साथ डंडा नही बरसायेगा तब तक इतनी आसानी उसको कोई राज नही बताएगा
अब तो ऐसा लग रहा है की चौथे वसीयत में रमा का नाम भी हो सकता
निशा,चंपा,सूरजभान, त्रिदेव के बाकी 2 किरदार या फिर कोई अंजान शख्स