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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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रमा के पति की मौत के बारे में राय साहब जरूर जानते है,

इंतजार रहेगा की अभिमानु कैसे react करता है शादी को लेकर क्योंकि इतना पक्का है की वो जरूर कुछ ना कुछ जानता होगा निशा के बारे में

पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा की भाभी के शादी ना होने देने के पीछे डायन के आलावा कोई दूसरा reason है



राय साहब को इतनी जल्दबाजी में क्यों बंटवारा करना पड़ा, क्योंकि मेरे हिसाब से राय साहब इस पूरी कहानी का सबसे ज्यादा genius आदमी है बिना किसी कारण के कोई कदम नहीं उठायेगा

परकास बताएगा तो जरूर लेकिन मुझे नहीं लगता की इतनी आसानी से बताएगा
शायद कबीर को दूसरा मर्डर करना पड़ जाए लेकिन इतना जरूर है की जो भी नाम हो चौथे वसीयत में suprise जरूर मिलेगा

कबीर जब तक दिमाग के साथ डंडा नही बरसायेगा तब तक इतनी आसानी उसको कोई राज नही बताएगा

अब तो ऐसा लग रहा है की चौथे वसीयत में रमा का नाम भी हो सकता
निशा,चंपा,सूरजभान, त्रिदेव के बाकी 2 किरदार या फिर कोई अंजान शख्स
राय साहब ने वसीयत का चार टुकड़े करके मामले को ऐसा उलझा दिया है कि दूर दूर तक समझ नहीं आ रहा ना वकील कुछ बता रहा है. कबीर और निशा के रिश्ते को भाभी स्वीकार नहीं कर रही है अजीब है जो औरत खुद मोहब्बत समझती है वो प्रेम से भाग रही है. त्रिदेव की कहानी बस जल्दी ही सामने आएगी
 

Naik

Well-Known Member
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#72

मैं- उस से भी पूछूँगा पर अभी मैं तुमसे जानना चाहता हूँ. मैं कविता और तुम्हारे किस्से सुनना चाहता हूँ .और मेरा विश्वास कर , मैं तुझे जुबान देता हूँ ये ठाकुर कबीर का वादा है तुझसे . तेरे गुनेहगार को सजा जरुर मिलेगी.

रमा- जुबान की कीमत जानते हो न कुंवर

मैं- तू चाहे तो आजमा ले मुझे , मैं जानता हूँ की तेरा दिल कहीं न कहीं विश्वास करता है मुझ पर

रमा- मेरी बेटी की लाश ठाकुर अभिमानु लाया था .जिस्म नोच लिया गया था मेरी बेटी का . सब कुछ तार तार था. अभिमानु ने उसकी लाश रखी कुछ गद्दिया फेंक गया और हम रह गए रोते-बिलखते . बहुत मिन्नते की हमने पंचायत में गए पर किसी ने नहीं सुनी. कोई सुनता भी कैसे मेरी ठाकुर अभिमानु के सामने कौन जुबान खोलता अपनी.

मैं- राय साब भी तो थे. उन्होंने इन्साफ नहीं किया

रमा- वो बस इतना बोले जो हुआ उसे भूल जाओ और नयी शुरुआत करो जीवन की. थोड़े दिन पहले ही मेरा पति खेत में मरा हुआ पाया गया था . मैंने किस्मत का लिखा समझ पर समझौता कर लिया था पर अपने कलेजे के एक मात्र टुकड़े को ऐसे छीन लिया गया मैं तडप कर रह गयी . क्या करती मैं वहां पर , इसलिए यहाँ आकर बस गयी .

मैं- तू फिर कभी मिली भैया से

रमा-बहुत बार, पैर भी पकडे उस निर्दयी के जानना चाह की क्या किया था मेरी बेटी के साथ . क्यों किया पर वो पत्थर बना रहा .

मैं- ये तो थी तेरी वजह नफरत करने की . प्यार करने की और बता तुम दोनों भैया या फिर पिताजी किस से चुद रही थी .

मेरी बात सुन कर रमा के चेहरे पर अजीब सा भाव आया . उसने पानी के कुछ घूँट भरे और बोली- दोनों में से किसी से भी नहीं.

मेरा तो दिमाग ही घूम गया .

मैं- ऐसा कैसे हो सकता है . मेरे पास सबूत है की कविता पिताजी का बिस्तर गर्म कर रही थी . और फिर ये किताबे ये महंगे अंतर्वस्त्र उन दोनों में से कोई और नहीं लाया तो फिर कौन लाया.



रमा- कविता और मैं एक सी थी. जवानी और जोश से भरपूर . इस गाँव में हमारे जैसा हुस्न किसी का नहीं था . हमें भी मजा आता था जब लोग आहे भरते थे हमें देख कर. और यही मजे हम पर भारी पड़ गए. ऐसे ही एक दिन जोहड़ पर हमें नहाते हुए ठाकुर जरनैल ने देख लिया. ठाकुर सहाब के बारे में हमने बहुत सुना था की वो बहुत जोशीले मर्द है . गाँव की कोई ही औरत रही होगी जिसके साथ वो सोये नहीं होंगे. न जाने कैसा जादू था उनमे. हम भी उनकी तरफ खींचे चले गए. वो ख्याल भी बहुत रखते हमारा. धीरे धीरे जिस्म पिघलने लगे. हमें भी उनसे कोई शिकायत नहीं थी वो अगर हमसे कुछ लेते तो बहुत कुछ देते भी थे. वो तमाम सामान ठाकुर साहब ने ही लाकर दिया था.



चाचा जरनैल के बारे में ऐसा खुलासा सुन कर मुझे ज्यादा हैरत नहीं हुई . क्योंकि बीते दिनों से सबके बारे में कुछ न कुछ मालूम हो ही रहा था ये भी सही फिर.

रमा- फिर एक दिन राय साहब ने हमें पकड लिया रंगे हाथो चुदाई करते हुए. उन्होंने मुझसे तो कुछ नहीं कहा पर छोटे ठाकुर को बहुत मारा. मैं खड़ी खड़ी देखती रही . राय साहब को इतना गुस्से में पहले कभी नहीं देखा था . पर छोटे ठाकुर भी जिद्दी थे उन्होंने अपने भाई का कहना नहीं माना . कभी कभी तो वो पूरी पूरी रात मुझे चोदते. मेरे लिए भी मुश्किल होने लगी थी क्योंकि मेरा भी घर बार था. और ऐसी बाते छिपती भी नहीं . मेरा आदमी कहता नहीं था मुझसे पर उसकी नजरे जब मुझ को देखती तो मैं कटने लगी थी . एक दिन मैंने सब कुछ ख़त्म करने का सोचा. मैंने छोटे ठाकुर से कह दिया की अब ये बंद होना चाइये और उन्होंने भी मेरी बात मान ली.

सात-आठ महीने बीत गए. सब ठीक चल रहा था की एक दिन मेरा आदमी मर गया. जैसे तैसे खुद को संभाला था की फिर बेटी मर गयी. जिंदगी में कुछ नहीं बचा था .

मैं- जब तुम अकेली थी तो फिर चाचा ने दुबारा तुमसे नाता जोड़ने की कोशिश नहीं की.

रमा- नहीं

मैं- क्यों . लम्पट इन्सान तो ऐसे मौके ढूंढते है .

रमा-मेरे मलिकपुर आने के कुछ महीनो बाद ही छोटे ठाकुर गायब हो गए और फिर तबसे आजतक कोई खबर नहीं उनकी तुम जानते तो हो ही.

मैं- सूरजभान से तुम्हारी क्या दुश्मनी

रमा- मुझे लगता है की सूरजभान भी शामिल था मेरी बेटी के क़त्ल में .

मैं- अगर वो शामिल हुआ तो कसम है मुझे उसकी खाल नोच ली जाएगी और मैं भैया से भी सवाल करूँगा इस मामले में . कबीर किसी भी अन्याय को बर्दास्त नहीं करेगा. ये बता की रुडा की लड़की से मुलाकात कहाँ हो पायेगी.

रमा-कल उसका और रुडा का झगड़ा हुआ वो रात को ही शहर चली गयी.

मैं- रमा तुझ पर भरोसा किया है ये टूटना नहीं चाहिए .

उसने हाँ में सर हिलाया मैं वापिस मुड गया.

“आयाशी विरासत में मिली है खून में दौड़ती है ” रस्ते भर ये शब्द मेरे कानो में चुभते रहे.

भैया मुझे खेतो पर ही मिल गये.

मैं- भैया आपसे कुछ बात करनी है

भैया- हाँ छोटे

मैं- रमा को जानते है आप

भैया- जानता हूँ.

मैं- उसे गाँव छोड़ कर क्यों जाना पड़ा. हम उसे यही आसरा क्यों नहीं दे पाए. आप कहते है न की इस गाँव का प्रत्येक घर की जिम्मेदारी हमारी है तो फिर क्यों जाना पड़ा उसे.

भैया- उसका परिवार खत्म हो गया था . अवसाद में गाँव छोड़ गयी वो .

मैं-उसकी बेटी को किसने मारा.

भैया- मैं नहीं जानता

मैं- उसकी लाश आप लेकर आये थे .

भैया- लाया था पर कातिल को नहीं जानता मैं

मैं- ऐसा कैसे हो सकता है . किसका हाथ था उसके क़त्ल में मुझे बताना होगा भैया . क्या आपने मारा था उसकी बेटी को

भैया- जानता है न तू क्या बोल रहा है

मैं- तो फिर बताते क्यों नहीं मुझे .उसकी लाश आपके पास कैसे आई.

भैया - जैसे कविता की लाश तुझे मिली थी. तू ही लाया था न उसकी लाश को गाँव में . तो क्या तुझे भी कातिल मान लू. उसकी लाश जंगल में मिली थी मुझे. मिटटी समेटने को मैं ले आया. चाहता तो वहीँ छोड़ देता पर मेरा मन नहीं माना . कम से कम उसके शरीर का तो सम्मान कर सकता था न मैं.

मैं- रमा कहती है की आपने मारा उसकी बेटी को

भैया- उसके दिल को ऐसे तस्सली मिलती है तो मुझे ये आरोप मंजूर है छोटे.मैं तेरे मन की व्यथा समझता हूँ पर तू इतना जरुर समझना तेरा भाई ऐसा कुछ नहीं करेगा जिस से तुझे शर्मिंदा होना पड़े.

भैया ने मेरे सर पर हाथ फेरा और चले गये. एक बार फिर मैं अकेला रह गया.
Rama n tow kuch or hi khulase ker diye Rama k kehne k mutabik Kabita rai sahab k saath nahi soyi tow sota kon h or fir woh choodi
Abhimanyu n Rama ki ladki ko nahi mara tow for kisne kavita wala jaisa case h
dono baherhal dekhte h kia hota h aag
Bahot khoob shaandaar update bhai
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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कारण है ना प्रेम सबसे बड़ा कारण है
प्रेम तो पहले भी था, बस प्रारब्ध नही मिला था।
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Bhut shandaar update fozi bhai......



Bhabhi ne 1 baar Phir saaf mana kar diya daakan se biyah ko...

Par kabir bhi apni jid par ada hua hai....


Aaj pahli Baar champa ne shyad kuch kahna chaha par ab uski kon sune 🤣🤣🤣🤣


Aur bahanchod vakil to bhut pahuchi huyi chij nikla.... shyad.. sala kabir ko ulti dhamki hi de rha hai......



Rudra aur rai sahab ki dushmani ki wajah bhi kuch tagdi ho hogi
ये जिद ही तो होती है जो इंसान को इंसान नहीं रहने देती.
 

Naik

Well-Known Member
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#73

दो घडी मैं भैया को जाते हुए देखता रहा और फिर उनको आवाज दी उन्होंने मुड कर देखा मैं दौड़ कर उनके पास गया.

मैं- रमा की बेटी की लाश जब देने गए तो नोटों की गड्डी क्यों फेंकी

भैया-उसकी हालात बहुत कमजोर थे , मैंने उसकी मदद करनी चाही पर उसने पैसे नहीं लिए तो मैं पैसे वही छोड़ कर आ गया.

मैं- आप रमा और चाचा के संबंधो को जानते थे न भैया

भैया- अब उन बातो का कोई औचित्य नहीं है . सबकी अपनी निजी जिन्दगी होती है उसमे दखल देना एक तरह से अपमान ही होता है . जब तक कुछ चीजे किसी को परेशां नहीं कर रही उन पर ध्यान नहीं देना चाहिए.

मैं- मतलब आप जानते थे .

भैया- मुझे कुछ जरुरी काम है बाद में मिलते है .

मैं इतना तो जान गया था की भैया को बराबर मालूम था चाचा श्री की करतूतों का. मैं थकने लगा था चारपाई पर लेटा और रजाई ओढ़ ली. सर्दी के मौसम में गर्म रजाई ने ऐसा सुख दिया की फिर कब गहरी नींद आई कौन जाने.

“कुंवर उठो , उठो ” अधखुली आँखों से मैंने देखा की सरला मुझ पर झुकी हुई है. मेरी नजर उसकी ब्लाउज से झांकती चुचियो पर पड़ी.

“उठो कुंवर ” उसने फिर से मुझे जगाते हुए कहा.

मैं क्या हुआ भाभी .

सरला- काम खत्म हो गया है कहो तो मैं जाऊ घर

मैं- जाना है तो जाओ किसने रोका है तुमको

मैंने होश किया तो देखा की बाहर अँधेरा घिरने लगा था .

मैं- तुम्हे तो पहले ही चले जाना चाहिए था .

सरला- वो मंगू कह कर गया था की कुंवर उठे तो कमरा बंद करके फिर जाना

मैं- कमरे में क्या पड़ा है . खैर कोई बात नहीं मैं जरा हाथ मुह धो लेता हूँ फिर साथ ही चलते है गाँव.

थोड़ी देर बाद हम पैदल ही गाँव की तरफ जा रहे थे .बार बार मेरी नजर सरला की उन्नत चुचियो पर जा रही थी ये तो शुक्र था की अँधेरा होने की वजह से मैं शर्मिंदा नहीं हो रहा था. मैंने उसे उसके घर की दहलीज पर छोड़ा और वापिस मुड़ा ही था की उसने टोक दिया- कुंवर चाय पीकर जाओ

मैं- नहीं भाभी, आप सारा दिन खेतो पर थी थकी होंगी और फिर परिवार के लिए खाना- पीना भी करना होगा फिर कभी

सरला- आ जाओ. वैसे भी मैं अकेली ही हूँ आज एक से भले दो.

मैं- कहाँ गए सब लोग

सरला- बच्चे दादा-दादी के साथ उसकी बुआ के घर गए कुछ दिन बाद आयेंगे.

चाय की चुसकिया लेटे हुए मैं गहरी सोच में खो गया था.

सरला- क्या सोच रहे हो कुंवर.

मैं- रमा की बेटी को किसने मारा होगा.

सरला- इसका आजतक पता नहीं लग पाया.

मैं- मुझे लगता है जिसने रमा की बेटी को मारा उसने ही बाकि लोगो को भी मारा होगा.

सरला- कातिल मारा जाये तो मेरा जख्म भरे.

मैं उसकी भावनाओ को समझ सकता था .

मैं- तू ठाकुर जरनैल के बारे में क्या जानती है .

सरला- वही जो बाकि गाँव जानता है

मैं- क्या जानता है गाँव

सरला- तुम्हे बुरा लगेगा कुंवर.

मैं- तू नहीं बतायेगी तो मुझे बुरा लगेगा भाभी

सरला- एक नम्बर के घटिया, गलीच व्यक्ति थे वो .

मैं- जानता हु कुछ और बताओ

सरला-जिस भी औरत पर नजर पड़ जाती थी उसकी उसे पाकर ही मानते थे वो चाहे जो भी करना पड़े.

मैं- क्या रमा को पाने के लिए चाचा उसके पति को मरवा सकता है

सरला मेरा मुह ताकने लगी.

मैं-हम दोनों एक दुसरे पर भरोसा करते है न भाभी

सरला ने कुछ पल सोचा और फिर हाँ में सर हिला दिया.

मैं- रमा के आदमी को चाचा मार सकता है क्या .

सरला- रमा को छोटे ठाकुर ने बहुत पहले पा लिया था . मुझे नहीं लगता की ठाकुर ने उसके आदमी को मारा या मरवाया होगा. देखो छोटे ठाकुर घटिया थे पर जिसके साथ भी सम्बन्ध बनाते उसका ख्याल पूरा रखते थे . उस दौर में रमा जितना बन संवर कर रहती थी धुल की भी क्या मजाल जो उसे छू भर जाये.

सरला की बात ने मुझे और उलझा दिया था .

मैं- चलो मान लिया पर हर औरत थोड़ी न धन के लिए चाचा के साथ सोना मंजूर कर लेती होगी . किसी का जमीर तो जिन्दा रहा होगा. क्या किसी ने भी उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई .

सरला- किसकी मजाल थी इतनी.

मैं- एक बात और मुझे मालूम हुआ की गाँव की एक औरत ऐसी भी थी जिस से अभिमानु भैया का चक्कर था .

मैंने झूठ का जाल फेंका

सरला- असंभव , ऐसा नहीं हो सकता. अभिमानु ठाकुर के बारे में ऐसा कहना सूरज को आइना दिखाना है . उसने गाँव के जितना किया है कोई नहीं कर सकता .

मैं -रमा तो भैया को ही उसकी बेटी का कातिल मानती है

सरला- रमा का क्या है . लाश को अभीमानु लाया था . बस ये बात थी . अभिमानु ने रमा को सहारा देने के लिए सब कुछ किया था पर वो अपनी जिद में गाँव छोड़ गयी.

मैं-जाने से पहले एक बात और पूछना चाहता हूँ भाभी.

सरला- हाँ

मैं- जाने दे फिर कभी .

मैंने अपने होंठो पर आई बात को रोक लिया . मैं सरला से साफ पूछना चाहता था की क्या वो मुझे चूत देगी . पर तभी मेरे मन में उसकी कही बात आई की कौन मना कर सकता था . मैंने अपना इरादा बदल दिया और उसके घर से निकल गया. घर गया तो देखा की चंपा आँगन में बैठी थी राय साहब अपने कमरे में दारू पी रहे थे . मैंने चंपा को अनदेखा किया और रसोई में चला गया . मेरे पीछे पीछे वो भी आ गयी.

चंपा- मैं परोस दू खाना

मैं- भूख नहीं है .

चंपा- तो फिर रसोई में क्यों आया.

मैं- तू मेरे बाप का ख्याल रख मैं अपना ध्यान खुद रख लूँगा.

चंपा- नाराज है मुझसे

मैं- जानती है तो पूछती क्यों है

चंपा- काश तू समझ पाता

मैं- मेरी दोस्त मेरे बाप का बिस्तर गर्म कर रही है और मैं समझ पाता

चंपा ने कुछ नहीं कहा और रसोई से बाहर निकल गयी . रात को एक बार फिर मैं उस तस्वीर को देख रहा था .

“दुसरो की चीजो को छुप कर देखना भी एक तरह की चोरी होती है ” कानो में ये आवाज पड़ते ही मैंने पीछे मुड कर देखा..........................
Bahot khoob shaandaar update bhai
Sarla n bhi Abhimanyu ko bekasoor ka
Certificate de dia champa ko aaj pehli baar kabir se jali kati sunne ko mili ab kon aa gaya tasveer ko dekhte pakad lia
Behtareen update bhai shaandaar
 

HalfbludPrince

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भाभी का बर्ताव नपा तुला सा रहा च्म्पा चोदू की तैयारियां तो ऐसे चल रही है जैसे की घर की सगी हो है असल में कबीर की दोस्ती की क़ातिल

प्रकाश भोसड़ी का बहुत उछल रहा है पर किस की शह पर उड़ रहा है इसको ठोकना पड़ेगा

चाची व् रमा की बातों में फर्क है क्यों कि घर से लेकर बाहर वाले तक कबीर से छुपाने पर लगे हैं चाहे वो कुछ भी पूछे उसे बातों व् बहानों का खिलौना थमा देते है
घर की ही तो है चम्पा. प्रकाश के लिए रात बड़ी मुश्किल होगी ऐसा मैं मानता हूं
 

HalfbludPrince

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shadi to jab hogi tab hogi kabir ne sab ke beech shor zaroor dal diya ye jante hue bhi ki dayan se shadi is not practical, could have kept it as secret for sometime aur may be bhabhi bhai ko ye sab batein batati rahi ho

Parkash ke bevaiour ajeeb laga use koi dar nahi ulta wo kabir ko hi ankhein dikha gya usko Rai sahab ki back lagti hai aur my be abhimanu ki bhi hogi nahi to uski aisi kya majaal ? 4th will jis ki bhi ho hogi wo surprising hi

Champa ke pass ab kehna ko kya reh gya hai ki bhabhi ne rai sahab ke bare me jhoot bola hai aur uska koi relation nahi hai
ये शोर बहुत कुछ कराएगा कबीर के जीवन मे. प्रकाश ने कबीर को चुनौती दी जिसका अंजाम शायद ही अच्छा रहे
 

HalfbludPrince

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B
Bhabhi ko naraz hona hi tha wo shuru se hi is rishte ke khilaf thi lekin usse jaada jaruri baat to yah hai ki ab wah kya karegi kyuki yu baithe baithe tamasha to wah dekhegi nahi kuch na kuch jarur karegi. Waise jo hone ja raha hai wo kabhi hua nahi hai na hi humne hote dekha hai na hi suna hai or uspar bhabhi ka baar baar kahna mar jaayega kya matlab hai is baat ka jisse kabir anjaan hai.

Chachi kuch or kahti hai Rama kuch or kahti hai kiski baat pe bharosa kiya jaaye samjh nahi aata baaki rama se kuch khaas jaankari nahi mili or na hi uski baat me dam tha. Champa kya kahna chahti koi jaruri baat.


Prakash ko pahle bhi ek baar samjha chuke hai hum lekin wah apni baat pe Ada hai ab to dhamki bhi di ja chuki hai ye shaam dekhne laayak rahegi.
भाभी कब तक इंकार करेगी यदि वो प्रेम को समझती है तो उसे मानना ही पडेगा. चाची और रमा के कथन अलग है इसका कहानी पर असर जरूर पड़ेगा
 
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