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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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भाई हर कोई कबीर का चूतिया काट रहा है। दो कौड़ी का वकील भी कबीर को हल्के में ले रहा है।
भाई अब कुछ ऐसा करो कि कबीर इन सब की बारी बारी से गांड तोड़े तब इन चूतियों को पता लगेगा
बिल्कुल आप जैसा कहेंगे वैसा ही होगा
 

Naik

Well-Known Member
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#74

सामने भैया खड़े थे .

मैं- आप यहाँ कैसे

भैया- हमारे ही कमरे में हमसे ही ये सवाल. अजीब बदतमीजी है छोटे

मैं- मेरा वो मतलब नहीं था भैया . मैं बस ........

भैया- कोई बात नहीं , वैसे भी यहाँ कुछ खास नहीं पुराना कबाड़ ही पड़ा है . रात बहुत हुई चाहो तो दिन में आराम से देख सकते हो इसे.

मैंने हां में सर हिलाया और बाहर आ गया. चाची के पास गया तो देखा की चंपा सोयी पड़ी थी वहां . मैंने कम्बल ओढा और कुवे पर जाने का सोचा. बाहर गली में आते ही देखा की भाभी छजे पर खड़ी थी बल्ब की रौशनी में उनकी नजर मुझ पर पड़ी. दोनों ने एक दुसरे को देखा और मैं अपने रस्ते बढ़ गया ये सोचते हुए की इतनी रात को भी जागती रहती है ये. कोचवान के घर के सामने से गुजरते हुए मैंने देखा की सरला का दरवाजा खुला है . इतनी रात को दरवाजा क्यों खुला है मैंने सोचा और मेरे कदम उसके घर की तरफ हो लिए.

मैंने अन्दर जाकर देखा सरला जागी हुई थी .

मैं- इधर से गुजर रहा था देखा दरवाजा खुला है तो चिंता हुई

सरला- तुम्हारे लिए ही खुला छोड़ा था कुंवर.

मैं- मेरे लिए पर क्यों

सरला- जानती थी तुम जरुर आओगे.

मैं- कैसे जानती थी .

सरला- औरत हूँ . औरत की नजरे सब पहचान लेती है . वो अधूरी बात जो होंठो तक आकर रुक गयी थी पढ़ ली थी मैंने.

मैं- तुम गलत सोच रही हो भाभी दरवाजा खुला देख कर चिंता हुई तो आ गया.

सरला- इतनी रात को एक अकेली औरत की चिंता करना बड़ा साहसिक काम है कुंवर.

मैं क्या ही कहता उसे .

मैं- तुम कुछ भी कह सकती हो भाभी . पर मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था

सरला मेरे पास आई और बोली- इरादा नहीं था तो फिर इन पर नजरे क्यों टिकी है तुम्हारी

उसने अपनी छातियो पर हाथ रखते हुए कहा.

मैं- अन्दर से कुण्डी लगा लो . मैं चलता हूँ

तभी सरला ने मेरा हाथ पकड़ लिया.

मैं- जाने दे मुझे , बहक गया तो फिर रोक नहीं पाऊंगा खुद को . ये रात का अँधेरा तो बीत जायेगा उजालो में तेरा गुनेहगार होना अच्छा नहीं लगेगा मुझे. तूने कहा था न की ठाकुरों को कौन मना करे. तू मना कर मुझे.

सरला- तो फिर रुक जाओ यही ये भी तो तुम्हारा ही घर है

मैं- घर तो है पर ..............

सरला- पर क्या....

इस से पहले की वो और कुछ कहती मैंने आगे बढ़ कर अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए और उसने चूमने लगा. उसने खुद को मेरे हवाले कर दिया और हम दोनों एक दुसरे के होंठ खाने लगे. मेरे हाथ उसके ठोस नितम्बो पर कस गए. मैंने महसूस किया की सरला की गांड चाची से बड़ी थी . सरला के होंठ थोडा सा खुले और हमारी जीभ एक दुसरे से रगड़ खाने लगी. उत्तेजना का ऐसा अहसास की तन जल उठा मेरा.

धक्का देकर मैंने उसे बिस्तर पर गिराया और दरवाजे की कुण्डी लगा दी. कमरे में हम दोनों थे और मचलते अरमान हमारे.

मैंने उसके लहंगे को ऊपर उठाया और पेट तक कर दिया. गोरी जांघो के बीच काले बालो से ढकी हुई सरला की चूत जिसकी फांके एक दुसरे से चिपकी हुई थी . मेरा जी ललचा गया उसकी चूत देख कर . मैंने उसकी टांगो को विपरीत दिशाओ में फैलाया और अपने होंठ उसकी चूत पर लगा दिए.

मैंने अपने होंठो को इस कद्र जलता महसूस किया की किसी ने दहकते हुए अंगारे रख दिए हो.

“सीईई ” चूत को चुमते ही सरला मचल उठी. मैंने देखा उसने अपनी चोली उतार कर फेंक दी और अपने हाथो से मेरे सर को थाम लिया. मैं उसकी चूत को चूसने लगा. बस दो मिनट में ही सरला के चुतड खुद ऊपर उठ गये . उसके होंठ आहों को रोकने में नाकाम होने लगे थे.



चाची के बाद जीवन में ये दूसरी औरत थी जो इतनी हद गदराई हुई थी .

“आह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ” चंपा ने अपनी छातियो को भींचते हुए आह भरी. मैंने अपने कपडे उतारे और अपने लंड को उसकी थूक से सनी चूत पर लगाते हुए धक्का मारा. सरला की आँखे गुलाबी डोरों के बोझ से बंद होने लगी. दो धक्के और मारे मैंने और पूरा लंड अन्दर सरका दिया. सरला ने अपने पैर उठा कर मेरी कमर पर लपेट दिए और चुदाई का मजा लेने लगी.

सरला को पेलने में मजा बहुत आ रहा था , सरला को चुदाई का ज्ञान बहुत था मैं महसूस कर रहा था . जिस तरीके से वो सम्भोग का लुत्फ़ उठा रही थी मैं कायल हो गया था उसकी कला का.

“आह छोटे ठाकुर , aaahhhhhhhhh ”सरला के होंठो से जब ये आह फूटी तो मेरा ध्यान चुदाई से हट गया क्या मैंने ठीक ठीक सुना था . विचारो में बस एक पल ही खोया था की सरला ने अपने होंठ मेरे होंठो से जोड़ दिए और झड़ने लगी. उसने मुझे ऐसे कस लिया की मैं भी खुदको रोक नहीं पाया और उसके कामरस में मेरा वीर्य मिलने लगा.

चुदाई के बाद वो उठी और बाहर चली गयी मैं लेटे लेटे सोचने लगा उस आह के बारे में .

बाहर से आते ही वो एक बार फिर मुझसे लिपट गयी और मैंने रजाई हम दोनों के ऊपर डाल ली. सरला का हाथ मेरे लंड पर पहुँच गया . उस से खेलने लगी वो . मैंने उसे टेढ़ा किया और उसके मजबूत नितम्बो को सहलाने लगा.

मैं- बहुत जबरदस्त गांड है तेरी

सरला- तुम भी कम नहीं हो

मैं- ये ठीक नहीं हुआ

सरला- ये मेरी इच्छा थी कुंवर. जब से तुम को मूतते देखा मैंने मैं तभी से इसे अपने अन्दर लेना चाहती थी

मैं- पर इस रिश्ते का अंजाम क्या होगा

सरला- ये तो निभाने वाले की नियत पर निर्भर करता है .दोनों तरफ से वफा रहेगी तो चलता रहेगा वर्ना डोर टूट जाएगी.

“सो तो है ” मैंने सरला की गांड के छेद को सहलाते हुए कहा

मैं उस से पूछना चाहता था पर मेरे तने हुए लंड ने गुस्ताखी कर दी और एक बार फिर मैं सरला के साथ चुदाई के सागर में गोते लगाने लगा.

सुबह जब मैं उसके घर से निकला तो मुझे पक्का यकीन था की रमा-कविता की चुदाई में तीसरी हिस्सेदार सरला थी ...... रमा के पति का मरना फिर सरला के पति का मरना कोई तो गहरी बात जरुर थी ......................
Ab sarla k dil kia chal raha h woh tow wahi jaane baherhal dono apni raat rangeen kerli sehmati se
Dekhte h aage kia hota h
Bahot behtareen shaandaar update bhai
 

HalfbludPrince

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वो पुराना कमरा, उसका इतिहास जल्दी ही सामने आयेगा
भाई अती रहस्यमाई ढंग से कबीर ऊस तहखाने agar पहुंच गया, लगता तों नहीं की निशा से उस जगह का कोई भी राज छुपा होगा,
दीवारों ले बने वो लम्बे निसान उसका आदामखोर के हि to सकते है।
अब देख्ने वाली बात है की कबीर कया करता है आगे।।
ओर खजाना है तों उस्की सुरक्षा का इंतज़ाम
भी होगा और नहार बीर भी होंगे।
कुल मिला के बात ये है की निशा भी उस्की पहरेदार to सकती है, और कबीर वारिस।
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Bhabhi se jesi ummid thi uski jhalak dekhne ko mili bhabhi ke taandav wala avtaar dekhne ko betaab hu. Bhabhi ne champa ki shadi tak shant rhne ke liye kaha hai. Lga tha champa ki shadi nahi hogi. Kya champa ki shadi hogi? Rama or chachi dono ki baaton me antar hai kon sach bol rhi hai kon jhuth iska jawaab mujhe lgta bhabhi ke paas hoga. Champa ab Kya btana chahti hai kabir ne usko ignore krna chahiye tha Tab woh frustration me jo bhi btati sach hi bolti. OR prakash ye toh sala awwal darze ka kameena lgta hai kiske damm pe itna uchhal rha hai kabir se akad ke baat kr rha hai. Ye 4th kagaj pta nhi jb uska raaz khulega tb Kya naya kaand hoga. Kabir ne usko ultimatum de diya hai wrna jubaan halak se khinch li jayegi. Prakash ne bhi kandha thapthpa diya hai ke ana zrur. Mujhe kabir ka uss roop ka besbri se intzar hai jo khookhaar hoga.
भाभी ने एक बार फिर से कबीर और निशा के रिश्ते को नहीं माना, देखना रोचक होगा कि जब अभिमन्यु को मालूम होगा कि उसका भाई ब्याह कर रहा है तो क्या कहेगा वो. समाज कैसे अपनाएगा इस ब्याह को प्रकाश और कबीर की मुलाकात जो रात मे होगी उम्मीद है कि दिलचस्प हो
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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भाई कहानी गजब धा रही है। निशा ने हा कर दी है, और मुझे लगता है की वो चैन और खंडहर मे एक् सा निसान होना कोई सामान्य बात् नहीं, कुछ तों है जिसकी परदेदारी है
पर्दादारी का ही मजा है
 

HalfbludPrince

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कया बात् है भाई वकील की मार दो सला बोहोत फुदक रहा है।
ओर राय ओर छोटे ठाकुर मे क्या झगदा है ये हमै भी प्रतीक्षा है जानने की
जल्दी ही जवाब मिलेगा
 
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