लेखक साहब शुक्रिया। मैं बस ये कहना चाहता हूँ कि आज के समय में भी लोग ऐसी मानसिकता के साथ जी रहे क्या मिलता है लोगों को परेशान करके। किस्से कहानी ऐसे सुनाये जाते जैसे स्कूल में बाकी विषय के तरह होता है। कुछ लोग आगे बढ़ना चाहते इनसे दूर जाना चाहते लेकिन ऐंड टाइम में कुछ होता है सब बर्बाद हो जाता है लोग बदल रहे हैं वक्त की मांग भी बदलाव है। इसलिए ऐसी मानसिकता वाले लोग भी बदले और दूसरों को भी जीने दें। मैने झेला है इसीलिए दर्द को समझता हूँ। दुनिया कम्प्यूटराइज हो रही जो गिने चुने लोग वो इस बात को समझे। मेरी मामी नहीं बच सकी। मै खुद मरते - मरते बचा हूँ। क्या मैं उस बात लेकर बैठा रहूं। नहीं ना। क्या उसको मारने चला जाउं। फिर उसमे और हममें क्या फर्क रह जाएगा। हमें आगे बढ़ना है। मेरी बड़ी मामी मरने के बाद कई साल तक हमारे परिवार रक्षा करती रही। मेरे नाना जी ने बड़ी मशक्कत के साथ खैर... ऐसी बातें यहाँ शेयर नहीं करना चाहता। लोग मेरी बातों को अन्यथा ना लें। और मुझे किसी से सिखने या जानने की जरुरत नहीं है। इस कहानी को देखते सबसे ज्यादा मुझे खुशी हुई थी। और क्या कहूं। डायन भी हमारे जैसे इंसान है। कुछ भला करने के रास्ते जाते झाड़ फूंक करके कुछ उसका गलत उपयोग करते हैं। किसी को मेरी बातें बुरी लगे तो क्षमा प्रारथी हूं।स्वागत है मित्र आपका कहानी पर.,
मेरा हमेशा से ये मानना रहा है कि गांव देहात की पृष्ठभूमि मे ना जाने कितनी कहानिया छुपी है, शहरो के कंक्रीट के जंगल कभी भी वो पैशन नहीं दे सकते. अब बात भूत प्रेत डायन और तमाम ऐसे लोगों की, यदि सच है तो झूठ है रोशनी है तो अंधेरा है,, ये लोग भी हमारे आसपास ही है कोई मान लेता है कोई नहीं मानता
ये एक ऐसा विषय है जिस पर अंतहीन चर्चा होती रहेगी. महत्तवपूर्ण ये है कि ये सिर्फ एक कहानी है, जैसे ही ये पूरी होगी उसे भुला दिया जाएगा