bantoo
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laali wale kaand ne kabir ko baghi bana diya aj ye naubat agai hai ki kabir ko Araam -o-chain nahi hai. Uske baad chachi ne bhi kaha tha uske paas bhot kuch hai btaane ke liye lekin abhi tak kuch btaai nhi. Anju ka achanak 5 saal baad ana or kabir se milna sandehaspad toh lga tha qki kahin se usko khabar lagi hogi ke kabir ateet ke panne ulat rha hai. OR iss mauke ko woh bhunana chahti Ho kabir ko shayad ek hathiyar ya chabhi ke trh istemaal krna chahti Ho. Khazana tak pahunchne ke liye ya fir sunaina ka badla lene ke liye ya fir apne pyar ko paane ke liye. Ye sab ek plan ke tehat kaam Ho rha hai. Kabir ek maadhyam Ho skta hai manju ke liye ya manju ke pichhe se jo ye khel, khel rha hai. Manju ek ghatiya ladki hai bhabhi NE saaf kr diya manju ko jitna maan samman rudaa or uske ghar ke logo ne diya fir bhi woh rudaa ki sagi nhi hui. Kabir ka dushman 2 hi hai prakash ya fir surajbhan or jasusi shayad sarla ke through krwaya ja rha hai. Qki kabir ajkal uske touch me jyada hai. Vaidh kaise mara abhi clear nahi hua uska body kis condition me tha usko dekhne ke baad hi pta chalega ki usko adamkhor ne mara hai ya aam insaan, bechara kabir apne tehqiqat me iss trh uljha hua ke kahin bhi so jata hai. Ab uske samne kon agya.?#89
ये रात कुछ ज्यादा ही लम्बी हो गयी थी . वैध को कौन मार गया एक कोने में बैठे बैठे मैं ये ही सोच रहा था .. एक तो अंजू ने मेरे दिमाग का बल्ब बुझा दिया था ऊपर से इसको कोई पेल गया था. सर हद से जायदा दुखने लगा तो मैं घर आ गया और बिस्तर पकड़ लिया. ये पहली बार था जब किसी मौत से मुझे कोई भी फर्क नहीं पड़ा था.
सुबह बड़ी बोझिल थी पर आज मुझे बहुत से काम करने थे.मैं वैध के अंतिम संस्कार में भी नहीं गया. मैं भैया के कमरे में गया और कुछ तलाशने लगा. जिन्दगी में पहली बार मैंने ये हिमाकत की थी . चोरी छिपे मैंने भैया की अलमारी खोली पहले दो खाने कपड़ो से भरे थे. तीसरे में व्यापार के , जमीनों के कागज और नोटों की गद्दिया .
मैंने दूसरी अलमारी खोली जिसमे शराब की बोतले भरी थी .
“क्या दूंढ रहे हो ” ये भाभी की आवाज थी जो कमरे में दाखिल हो रही थी .
मैं- अतीत ,उस अतीत को ढूंढ रहा हूँ जिसने मेरे आज को परेशान करके रखा हुआ है .
भाभी- क्या चाहिए तुम्हे
मैं- वो तस्वीर जिसे भैया ने पुराने कमरे से हटा दिया
भाभी- यहाँ ऐसी कोई तस्वीर नहीं है .
मैं-आप जानती है अंजू किस से प्यार करती है
भाभी-मेरे जानने न जानने से कुछ फर्क पड़ेगा क्या . उसकी जिन्दगी है वो जैसे चाहे जिए .
मैं- फिर भी क्या आप जानती है की वो किस से प्यार करती है .
भाभी- आप अंजू को हमेशा से जानती है मैं अंजू के बारे में सबकुछ जानना चाहता हूँ सब कुछ .
भाभी- वो अलग है वो जुदा है . हम में से एक होते हुए भी वो हमारे जैसी नहीं है. बेशक फूफा ने उसे सब कुछ दिया पर वो कभी भी रुडा की बेटी नहीं थी वो हमेशा सुनैना की बेटी ही रही. उस घर ने उसे हमेशा सबसे आगे रखा पर अंजू कभी स्वीकार नहीं पाई उस परिवार को और फिर एक दिन ऐसा आया की वो घर छोड़ कर चली गयी.
मैं- अंजू कहती है की रुडा की वजह से अपनी जिन्दगी नहीं जी पा रही थी इसलिए घर छोड़ कर गयी.
भाभी- झूठी है वो. माना की फूफा घटिया आदमी है पर कोई भी बाप अपने परिवार के लिए बहुत कुछ करता है . अंजू यदि ये कहे की उस घर से उसे कोई भी शिकायत थी तो ये झूठ है . वो दुनिया की सबसे खुशकिस्मत बहन है .
मैं- समझ नहीं आ रहा की कौन झूठ बोल रहा है वो या फिर आप
भाभी- मुझे क्या जरुरत झूठ बोलने की , तुमने मुझसे अंजू के बारे में पुछा मैंने तुम्हे बताया .
मैं भाभी को बताना चाहता था प्रकाश के बारे में पर खुद को रोक लिया.
मैं- अंजू भी जंगल में भटक रही है
भाभी- इसमें कुछ नया नहीं बचपन से ही ऐसा करती रही है वो.
मैं- क्या तलाशती है वो जंगल में
भाभी- नहीं जानती
मैं- वो क्या काम करती है , मेरा मतलब उसका रहन सहन हम सब से अलग है महँगी गाड़ी, महंगे शहरी कपडे . पैसा कहाँ से आता उसके पास.
भाभी-तुम शायद भूल गए की वो चौधरी रुडा की बेटी है .
मैं- अंजू कुछ तो ऐसा कर रही है जो संदिग्ध है समझ नही आ रहा , वैसे आप आखिरी बार कब मिली थी उस से.
भाभी- शायद छ साल पहले
भाभी भी गजब ही थी .
मैं-क्या आपकी और अंजू की आपस में नहीं बनती .
भाभी- उस से ही पूछ लेना तुम.
मैं- आप कभी भी कुछ भी सीधा क्यों नहीं बताती.
भाभी- सभी भाई-बहनों में सबसे घटिया कोई था तो अंजू ही थी. यही काफी है तुम्हारी जानकारी के लिए.
मैं- उसने मुझे ये दिया .
मैंने अपनी चेन भाभी को दिखाई . भाभी मेरे और पास आई और उस चेन के लाकेट में बने सर्पो को अपनी उंगलियों से छुआ और बोली- तुमने पूछा क्यों नहीं की क्यों दिया ये .
मैं- कहा था उसने कहा की भेंट है .
भाभी- उस से दूर रहना . बेशक बहन है वो मेरी पर तुम दूर रहना उस से . वो तस्वीर इस कमरे में नहीं है तुम्हारे भैया ने गायब कर दिया है उसे.
मैं- रुडा से मिलना है मुझे समझ नहीं आ रहा की कैसे बात करू उस से
भाभी- कभी कभी वो सुनैना की समाधी पर जाते है , तभी शायद ठीक रहेगा उनसे मिलना.
मैं- चाचा क्यों नहीं चाहते थे की आपका और भैया का ब्याह हो.
भाभी- हम पहले भी तुम्हे बता चुके है की हम नहीं जानते. वैसे तुम्हे क्या लगता है की वैध को किसने मारा होगा.
मैं- नहीं जानता पर मालूम कर ही लूँगा.
भाभी- कोई क्यों मारेगा उसे
मैं- इस क्यों के बहुत कारन हो सकते है वैध वैसे था तो घटिया ही . साला ऐसे ऐसे कर्म किये हुए था की मैं क्या ही बताऊ.
भाभी- कर्म तो सबके ऐसे ही होते है बस करने वाले को अपने कर्म अच्छे लगते है .
मैं- फिर भी ........ वैसे मुझे दुःख नहीं है उसके मरने का.
घर से बाहर आकर मैं कुवे की तरफ चल पड़ा. कल रात ने मुझे एक बात अच्छी तरह से समझा दी थी की जंगल उतना सुरक्षित नहीं था .अंजू मेरे कमरे तक आ पहुंची थी , मुझे कुछ तो करना ही था . मैं एक बार फिर से उस तालाब की दिवार के पास खड़ा सोच रहा था की अन्दर जाऊ या नहीं. इस कमरेमे कुछ तो ऐसा था जो मुझे फिर से खींच लाया था इसकी तरफ. पूरी सावधानी के साथ मैं अन्दर घुस गया . कमरा ठीक वैसा ही था जैसा की मैं छोड़ कर गया था . न जाने क्यों मुझे लगता था की इस कमरे की ख़ामोशी ने एक ऐसे शोर को छिपाया हुआ था की जब वो सामने आएगा तो कानो के परदे फट पड़ेंगे.
मैं दुसरे कमरे में गया , और उस कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा. कोई तो आता जाता होगा यहाँ पर फिर निशा को कैसे नहीं मालुम . क्या वो सख्श निशा की उपस्तिथि को भी जानता था यहाँ पर.
औरतो के रंग-बिरंगी ब्रा-कछी , नंगी तस्वीरों वाली ढेरो किताबे और सोना. यहाँ पर ये कुछ ऐसा था की समझना बहुत आसन था और बहुत मुश्किल. यहाँ पर आने वाला सक्श बहुत रंगीला था , तो ये भी था की वो औरते जरुर लाता होगा यहाँ पर. और अगर औरते आती थी तो फिर अब क्यों नहीं आती. उन औरतो को मालूम होगा की सोना है तो सोने के लालच में तो आना चाहिए था न उनको.
चाचा भोसड़ी के ने अगर यहाँ पर चुदाई का अड्डा बनाया हुआ था तो फिर रमा और सरला को क्यों नहीं मालूम इस जगह के बारे में. वो चाहती तो यहाँ से सोना चुरा कर बढ़िया जिन्दगी जी सकती थी फिर क्यों नहीं चाहत थी उनको सोने की. अब मुझे लगने लगा था की कविता वो कड़ी थी जो चाचा की जिन्दगी का अनचाहा राज खोल सकती थी . इतनी रात को वो जरुर यही पर आ रही होगी.
पर वो नहीं जानती थी की उसका इन्तजार मौत कर रही थी .कविता ने मंगू को बताया होगा सोने के बारे में और वो चुतिया जरुर उसी की तलाश में आता हो रातो को . एक सवाल और था की यदि कविता यहाँ चुदने आती थी तो फिर चाचा कहाँ है . वो बहनचोद किस बिल में छुपा है की निकल ही नहीं रहा ........
कमरे से बाहर निकल कर मैं ऊपर जाकर दिवार का सहारा लेकर बैठ गया और सोचने लगा. सोचते सोचते न जाने कब मेरी आँख लग गयी . और अजब खुमारी टूटी तो मैंने खुद के सामने उसे बैठे देखा.............
Bhai ji chudaai shudaai se mtlb nhi hai main daave ke sath keh skta hu iss kahani ko 90% log thrill suspense ke sath nisha ji or kabir ki prem kahaani ke wajah se pdhte honge. Kuch ek -Aadh ko chhod kr.आपके लिए मैं चम्पा कबीर का सेक्स जरूर लिखूँगा क्योंकि अंत मे केवल चम्पा ही बचेगी
Bhai ji aisa to na kaho usse toh mere sath kaiyo Ke judaaw lagaaw Ho gya hai. Aisa nahi Ho skta ki samay Mani me jakar nisha ji ki niyati ko badal de jese Dr. Strange ne thanos ko marne me help kiya tha. Bhai ji nisha ko mt marna plzz ya fir abhi ap iss baat ko btate hi nhi jee khatta sa Ho gya. Mann dukhi Ho gya hai. Haa Bhai ji nisha ji humare jese insaan hi hai jab prem kahaani ko amar Banana chahte hai to aisi naisaafi na kro duniya ko bhi ek sandesh jayega ki dayan bhi humare sath zindagi jeene ki Haqdaar hai. Woh bhi suhaagan ki zindagi jee skti hai.उसे मरना होगा यही नियति है उसकी
कुछ चूतिया होते हैं#89
ये रात कुछ ज्यादा ही लम्बी हो गयी थी . वैध को कौन मार गया एक कोने में बैठे बैठे मैं ये ही सोच रहा था .. एक तो अंजू ने मेरे दिमाग का बल्ब बुझा दिया था ऊपर से इसको कोई पेल गया था. सर हद से जायदा दुखने लगा तो मैं घर आ गया और बिस्तर पकड़ लिया. ये पहली बार था जब किसी मौत से मुझे कोई भी फर्क नहीं पड़ा था.
सुबह बड़ी बोझिल थी पर आज मुझे बहुत से काम करने थे.मैं वैध के अंतिम संस्कार में भी नहीं गया. मैं भैया के कमरे में गया और कुछ तलाशने लगा. जिन्दगी में पहली बार मैंने ये हिमाकत की थी . चोरी छिपे मैंने भैया की अलमारी खोली पहले दो खाने कपड़ो से भरे थे. तीसरे में व्यापार के , जमीनों के कागज और नोटों की गद्दिया .
मैंने दूसरी अलमारी खोली जिसमे शराब की बोतले भरी थी .
“क्या दूंढ रहे हो ” ये भाभी की आवाज थी जो कमरे में दाखिल हो रही थी .
मैं- अतीत ,उस अतीत को ढूंढ रहा हूँ जिसने मेरे आज को परेशान करके रखा हुआ है .
भाभी- क्या चाहिए तुम्हे
मैं- वो तस्वीर जिसे भैया ने पुराने कमरे से हटा दिया
भाभी- यहाँ ऐसी कोई तस्वीर नहीं है .
मैं-आप जानती है अंजू किस से प्यार करती है
भाभी-मेरे जानने न जानने से कुछ फर्क पड़ेगा क्या . उसकी जिन्दगी है वो जैसे चाहे जिए .
मैं- फिर भी क्या आप जानती है की वो किस से प्यार करती है .
भाभी- आप अंजू को हमेशा से जानती है मैं अंजू के बारे में सबकुछ जानना चाहता हूँ सब कुछ .
भाभी- वो अलग है वो जुदा है . हम में से एक होते हुए भी वो हमारे जैसी नहीं है. बेशक फूफा ने उसे सब कुछ दिया पर वो कभी भी रुडा की बेटी नहीं थी वो हमेशा सुनैना की बेटी ही रही. उस घर ने उसे हमेशा सबसे आगे रखा पर अंजू कभी स्वीकार नहीं पाई उस परिवार को और फिर एक दिन ऐसा आया की वो घर छोड़ कर चली गयी.
मैं- अंजू कहती है की रुडा की वजह से अपनी जिन्दगी नहीं जी पा रही थी इसलिए घर छोड़ कर गयी.
भाभी- झूठी है वो. माना की फूफा घटिया आदमी है पर कोई भी बाप अपने परिवार के लिए बहुत कुछ करता है . अंजू यदि ये कहे की उस घर से उसे कोई भी शिकायत थी तो ये झूठ है . वो दुनिया की सबसे खुशकिस्मत बहन है .
मैं- समझ नहीं आ रहा की कौन झूठ बोल रहा है वो या फिर आप
भाभी- मुझे क्या जरुरत झूठ बोलने की , तुमने मुझसे अंजू के बारे में पुछा मैंने तुम्हे बताया .
मैं भाभी को बताना चाहता था प्रकाश के बारे में पर खुद को रोक लिया.
मैं- अंजू भी जंगल में भटक रही है
भाभी- इसमें कुछ नया नहीं बचपन से ही ऐसा करती रही है वो.
मैं- क्या तलाशती है वो जंगल में
भाभी- नहीं जानती
मैं- वो क्या काम करती है , मेरा मतलब उसका रहन सहन हम सब से अलग है महँगी गाड़ी, महंगे शहरी कपडे . पैसा कहाँ से आता उसके पास.
भाभी-तुम शायद भूल गए की वो चौधरी रुडा की बेटी है .
मैं- अंजू कुछ तो ऐसा कर रही है जो संदिग्ध है समझ नही आ रहा , वैसे आप आखिरी बार कब मिली थी उस से.
भाभी- शायद छ साल पहले
भाभी भी गजब ही थी .
मैं-क्या आपकी और अंजू की आपस में नहीं बनती .
भाभी- उस से ही पूछ लेना तुम.
मैं- आप कभी भी कुछ भी सीधा क्यों नहीं बताती.
भाभी- सभी भाई-बहनों में सबसे घटिया कोई था तो अंजू ही थी. यही काफी है तुम्हारी जानकारी के लिए.
मैं- उसने मुझे ये दिया .
मैंने अपनी चेन भाभी को दिखाई . भाभी मेरे और पास आई और उस चेन के लाकेट में बने सर्पो को अपनी उंगलियों से छुआ और बोली- तुमने पूछा क्यों नहीं की क्यों दिया ये .
मैं- कहा था उसने कहा की भेंट है .
भाभी- उस से दूर रहना . बेशक बहन है वो मेरी पर तुम दूर रहना उस से . वो तस्वीर इस कमरे में नहीं है तुम्हारे भैया ने गायब कर दिया है उसे.
मैं- रुडा से मिलना है मुझे समझ नहीं आ रहा की कैसे बात करू उस से
भाभी- कभी कभी वो सुनैना की समाधी पर जाते है , तभी शायद ठीक रहेगा उनसे मिलना.
मैं- चाचा क्यों नहीं चाहते थे की आपका और भैया का ब्याह हो.
भाभी- हम पहले भी तुम्हे बता चुके है की हम नहीं जानते. वैसे तुम्हे क्या लगता है की वैध को किसने मारा होगा.
मैं- नहीं जानता पर मालूम कर ही लूँगा.
भाभी- कोई क्यों मारेगा उसे
मैं- इस क्यों के बहुत कारन हो सकते है वैध वैसे था तो घटिया ही . साला ऐसे ऐसे कर्म किये हुए था की मैं क्या ही बताऊ.
भाभी- कर्म तो सबके ऐसे ही होते है बस करने वाले को अपने कर्म अच्छे लगते है .
मैं- फिर भी ........ वैसे मुझे दुःख नहीं है उसके मरने का.
घर से बाहर आकर मैं कुवे की तरफ चल पड़ा. कल रात ने मुझे एक बात अच्छी तरह से समझा दी थी की जंगल उतना सुरक्षित नहीं था .अंजू मेरे कमरे तक आ पहुंची थी , मुझे कुछ तो करना ही था . मैं एक बार फिर से उस तालाब की दिवार के पास खड़ा सोच रहा था की अन्दर जाऊ या नहीं. इस कमरेमे कुछ तो ऐसा था जो मुझे फिर से खींच लाया था इसकी तरफ. पूरी सावधानी के साथ मैं अन्दर घुस गया . कमरा ठीक वैसा ही था जैसा की मैं छोड़ कर गया था . न जाने क्यों मुझे लगता था की इस कमरे की ख़ामोशी ने एक ऐसे शोर को छिपाया हुआ था की जब वो सामने आएगा तो कानो के परदे फट पड़ेंगे.
मैं दुसरे कमरे में गया , और उस कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा. कोई तो आता जाता होगा यहाँ पर फिर निशा को कैसे नहीं मालुम . क्या वो सख्श निशा की उपस्तिथि को भी जानता था यहाँ पर.
औरतो के रंग-बिरंगी ब्रा-कछी , नंगी तस्वीरों वाली ढेरो किताबे और सोना. यहाँ पर ये कुछ ऐसा था की समझना बहुत आसन था और बहुत मुश्किल. यहाँ पर आने वाला सक्श बहुत रंगीला था , तो ये भी था की वो औरते जरुर लाता होगा यहाँ पर. और अगर औरते आती थी तो फिर अब क्यों नहीं आती. उन औरतो को मालूम होगा की सोना है तो सोने के लालच में तो आना चाहिए था न उनको.
चाचा भोसड़ी के ने अगर यहाँ पर चुदाई का अड्डा बनाया हुआ था तो फिर रमा और सरला को क्यों नहीं मालूम इस जगह के बारे में. वो चाहती तो यहाँ से सोना चुरा कर बढ़िया जिन्दगी जी सकती थी फिर क्यों नहीं चाहत थी उनको सोने की. अब मुझे लगने लगा था की कविता वो कड़ी थी जो चाचा की जिन्दगी का अनचाहा राज खोल सकती थी . इतनी रात को वो जरुर यही पर आ रही होगी.
पर वो नहीं जानती थी की उसका इन्तजार मौत कर रही थी .कविता ने मंगू को बताया होगा सोने के बारे में और वो चुतिया जरुर उसी की तलाश में आता हो रातो को . एक सवाल और था की यदि कविता यहाँ चुदने आती थी तो फिर चाचा कहाँ है . वो बहनचोद किस बिल में छुपा है की निकल ही नहीं रहा ........
कमरे से बाहर निकल कर मैं ऊपर जाकर दिवार का सहारा लेकर बैठ गया और सोचने लगा. सोचते सोचते न जाने कब मेरी आँख लग गयी . और अजब खुमारी टूटी तो मैंने खुद के सामने उसे बैठे देखा.............
दोनोंNisha aa gayi.. yaa fir aadamkhor..??
इन्ही तीन पंक्तियों में अब तक की. कहानी का सार है की कबीर महा चुतियों का भी चुतिया हैकुछ चूतिया होते हैं
कुछ चूतिया बनाये जाते हैं
कुछ चूतिया ही बने रहते हैं
रीडर बन रहे फिलहाल तो ,इन्ही तीन पंक्तियों में अब तक की. कहानी का सार है की कबीर महा चुतियों का ही चुतिया है
ये तो अब पता चल रहा है कि जंगल में जानवर से ज्यादा इंसान घूम रहे हैं।उसका अंत वैसे ही होना था, मैं आयत के किरदार की पहली झलक से ही जानता था कि उसे प्रेतनी के रूप मे ही लिखना है इस कहानी मे भी मैंने नायिका की पहली झलक मे पूरी कहानी खोल दी थी अब पाठक उसको पकड़ नहीं पाए तो मेरा क्या दोष. कोई भी पाठक ये सवाल नहीं कर रहा कि जब जंगल मे इतने लोग घूम रहे है तो क्यों किसी और को कभी निशा क्यों नहीं मिली
वो कमरा अंजू का है, कोई जरूरी नहीं कि रंग बिरंगे ब्रा कच्छि सिर्फ आने वाली औरतों के हो, रहने वाली के भी ही सकते हैं।#89
ये रात कुछ ज्यादा ही लम्बी हो गयी थी . वैध को कौन मार गया एक कोने में बैठे बैठे मैं ये ही सोच रहा था .. एक तो अंजू ने मेरे दिमाग का बल्ब बुझा दिया था ऊपर से इसको कोई पेल गया था. सर हद से जायदा दुखने लगा तो मैं घर आ गया और बिस्तर पकड़ लिया. ये पहली बार था जब किसी मौत से मुझे कोई भी फर्क नहीं पड़ा था.
सुबह बड़ी बोझिल थी पर आज मुझे बहुत से काम करने थे.मैं वैध के अंतिम संस्कार में भी नहीं गया. मैं भैया के कमरे में गया और कुछ तलाशने लगा. जिन्दगी में पहली बार मैंने ये हिमाकत की थी . चोरी छिपे मैंने भैया की अलमारी खोली पहले दो खाने कपड़ो से भरे थे. तीसरे में व्यापार के , जमीनों के कागज और नोटों की गद्दिया .
मैंने दूसरी अलमारी खोली जिसमे शराब की बोतले भरी थी .
“क्या दूंढ रहे हो ” ये भाभी की आवाज थी जो कमरे में दाखिल हो रही थी .
मैं- अतीत ,उस अतीत को ढूंढ रहा हूँ जिसने मेरे आज को परेशान करके रखा हुआ है .
भाभी- क्या चाहिए तुम्हे
मैं- वो तस्वीर जिसे भैया ने पुराने कमरे से हटा दिया
भाभी- यहाँ ऐसी कोई तस्वीर नहीं है .
मैं-आप जानती है अंजू किस से प्यार करती है
भाभी-मेरे जानने न जानने से कुछ फर्क पड़ेगा क्या . उसकी जिन्दगी है वो जैसे चाहे जिए .
मैं- फिर भी क्या आप जानती है की वो किस से प्यार करती है .
भाभी- आप अंजू को हमेशा से जानती है मैं अंजू के बारे में सबकुछ जानना चाहता हूँ सब कुछ .
भाभी- वो अलग है वो जुदा है . हम में से एक होते हुए भी वो हमारे जैसी नहीं है. बेशक फूफा ने उसे सब कुछ दिया पर वो कभी भी रुडा की बेटी नहीं थी वो हमेशा सुनैना की बेटी ही रही. उस घर ने उसे हमेशा सबसे आगे रखा पर अंजू कभी स्वीकार नहीं पाई उस परिवार को और फिर एक दिन ऐसा आया की वो घर छोड़ कर चली गयी.
मैं- अंजू कहती है की रुडा की वजह से अपनी जिन्दगी नहीं जी पा रही थी इसलिए घर छोड़ कर गयी.
भाभी- झूठी है वो. माना की फूफा घटिया आदमी है पर कोई भी बाप अपने परिवार के लिए बहुत कुछ करता है . अंजू यदि ये कहे की उस घर से उसे कोई भी शिकायत थी तो ये झूठ है . वो दुनिया की सबसे खुशकिस्मत बहन है .
मैं- समझ नहीं आ रहा की कौन झूठ बोल रहा है वो या फिर आप
भाभी- मुझे क्या जरुरत झूठ बोलने की , तुमने मुझसे अंजू के बारे में पुछा मैंने तुम्हे बताया .
मैं भाभी को बताना चाहता था प्रकाश के बारे में पर खुद को रोक लिया.
मैं- अंजू भी जंगल में भटक रही है
भाभी- इसमें कुछ नया नहीं बचपन से ही ऐसा करती रही है वो.
मैं- क्या तलाशती है वो जंगल में
भाभी- नहीं जानती
मैं- वो क्या काम करती है , मेरा मतलब उसका रहन सहन हम सब से अलग है महँगी गाड़ी, महंगे शहरी कपडे . पैसा कहाँ से आता उसके पास.
भाभी-तुम शायद भूल गए की वो चौधरी रुडा की बेटी है .
मैं- अंजू कुछ तो ऐसा कर रही है जो संदिग्ध है समझ नही आ रहा , वैसे आप आखिरी बार कब मिली थी उस से.
भाभी- शायद छ साल पहले
भाभी भी गजब ही थी .
मैं-क्या आपकी और अंजू की आपस में नहीं बनती .
भाभी- उस से ही पूछ लेना तुम.
मैं- आप कभी भी कुछ भी सीधा क्यों नहीं बताती.
भाभी- सभी भाई-बहनों में सबसे घटिया कोई था तो अंजू ही थी. यही काफी है तुम्हारी जानकारी के लिए.
मैं- उसने मुझे ये दिया .
मैंने अपनी चेन भाभी को दिखाई . भाभी मेरे और पास आई और उस चेन के लाकेट में बने सर्पो को अपनी उंगलियों से छुआ और बोली- तुमने पूछा क्यों नहीं की क्यों दिया ये .
मैं- कहा था उसने कहा की भेंट है .
भाभी- उस से दूर रहना . बेशक बहन है वो मेरी पर तुम दूर रहना उस से . वो तस्वीर इस कमरे में नहीं है तुम्हारे भैया ने गायब कर दिया है उसे.
मैं- रुडा से मिलना है मुझे समझ नहीं आ रहा की कैसे बात करू उस से
भाभी- कभी कभी वो सुनैना की समाधी पर जाते है , तभी शायद ठीक रहेगा उनसे मिलना.
मैं- चाचा क्यों नहीं चाहते थे की आपका और भैया का ब्याह हो.
भाभी- हम पहले भी तुम्हे बता चुके है की हम नहीं जानते. वैसे तुम्हे क्या लगता है की वैध को किसने मारा होगा.
मैं- नहीं जानता पर मालूम कर ही लूँगा.
भाभी- कोई क्यों मारेगा उसे
मैं- इस क्यों के बहुत कारन हो सकते है वैध वैसे था तो घटिया ही . साला ऐसे ऐसे कर्म किये हुए था की मैं क्या ही बताऊ.
भाभी- कर्म तो सबके ऐसे ही होते है बस करने वाले को अपने कर्म अच्छे लगते है .
मैं- फिर भी ........ वैसे मुझे दुःख नहीं है उसके मरने का.
घर से बाहर आकर मैं कुवे की तरफ चल पड़ा. कल रात ने मुझे एक बात अच्छी तरह से समझा दी थी की जंगल उतना सुरक्षित नहीं था .अंजू मेरे कमरे तक आ पहुंची थी , मुझे कुछ तो करना ही था . मैं एक बार फिर से उस तालाब की दिवार के पास खड़ा सोच रहा था की अन्दर जाऊ या नहीं. इस कमरेमे कुछ तो ऐसा था जो मुझे फिर से खींच लाया था इसकी तरफ. पूरी सावधानी के साथ मैं अन्दर घुस गया . कमरा ठीक वैसा ही था जैसा की मैं छोड़ कर गया था . न जाने क्यों मुझे लगता था की इस कमरे की ख़ामोशी ने एक ऐसे शोर को छिपाया हुआ था की जब वो सामने आएगा तो कानो के परदे फट पड़ेंगे.
मैं दुसरे कमरे में गया , और उस कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा. कोई तो आता जाता होगा यहाँ पर फिर निशा को कैसे नहीं मालुम . क्या वो सख्श निशा की उपस्तिथि को भी जानता था यहाँ पर.
औरतो के रंग-बिरंगी ब्रा-कछी , नंगी तस्वीरों वाली ढेरो किताबे और सोना. यहाँ पर ये कुछ ऐसा था की समझना बहुत आसन था और बहुत मुश्किल. यहाँ पर आने वाला सक्श बहुत रंगीला था , तो ये भी था की वो औरते जरुर लाता होगा यहाँ पर. और अगर औरते आती थी तो फिर अब क्यों नहीं आती. उन औरतो को मालूम होगा की सोना है तो सोने के लालच में तो आना चाहिए था न उनको.
चाचा भोसड़ी के ने अगर यहाँ पर चुदाई का अड्डा बनाया हुआ था तो फिर रमा और सरला को क्यों नहीं मालूम इस जगह के बारे में. वो चाहती तो यहाँ से सोना चुरा कर बढ़िया जिन्दगी जी सकती थी फिर क्यों नहीं चाहत थी उनको सोने की. अब मुझे लगने लगा था की कविता वो कड़ी थी जो चाचा की जिन्दगी का अनचाहा राज खोल सकती थी . इतनी रात को वो जरुर यही पर आ रही होगी.
पर वो नहीं जानती थी की उसका इन्तजार मौत कर रही थी .कविता ने मंगू को बताया होगा सोने के बारे में और वो चुतिया जरुर उसी की तलाश में आता हो रातो को . एक सवाल और था की यदि कविता यहाँ चुदने आती थी तो फिर चाचा कहाँ है . वो बहनचोद किस बिल में छुपा है की निकल ही नहीं रहा ........
कमरे से बाहर निकल कर मैं ऊपर जाकर दिवार का सहारा लेकर बैठ गया और सोचने लगा. सोचते सोचते न जाने कब मेरी आँख लग गयी . और अजब खुमारी टूटी तो मैंने खुद के सामने उसे बैठे देखा.............