Charles William
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Sahi...pahchana.....bro...इन्ही तीन पंक्तियों में अब तक की. कहानी का सार है की कबीर महा चुतियों का भी चुतिया है
Sahi...pahchana.....bro...इन्ही तीन पंक्तियों में अब तक की. कहानी का सार है की कबीर महा चुतियों का भी चुतिया है
Nice update...#89
ये रात कुछ ज्यादा ही लम्बी हो गयी थी . वैध को कौन मार गया एक कोने में बैठे बैठे मैं ये ही सोच रहा था .. एक तो अंजू ने मेरे दिमाग का बल्ब बुझा दिया था ऊपर से इसको कोई पेल गया था. सर हद से जायदा दुखने लगा तो मैं घर आ गया और बिस्तर पकड़ लिया. ये पहली बार था जब किसी मौत से मुझे कोई भी फर्क नहीं पड़ा था.
सुबह बड़ी बोझिल थी पर आज मुझे बहुत से काम करने थे.मैं वैध के अंतिम संस्कार में भी नहीं गया. मैं भैया के कमरे में गया और कुछ तलाशने लगा. जिन्दगी में पहली बार मैंने ये हिमाकत की थी . चोरी छिपे मैंने भैया की अलमारी खोली पहले दो खाने कपड़ो से भरे थे. तीसरे में व्यापार के , जमीनों के कागज और नोटों की गद्दिया .
मैंने दूसरी अलमारी खोली जिसमे शराब की बोतले भरी थी .
“क्या दूंढ रहे हो ” ये भाभी की आवाज थी जो कमरे में दाखिल हो रही थी .
मैं- अतीत ,उस अतीत को ढूंढ रहा हूँ जिसने मेरे आज को परेशान करके रखा हुआ है .
भाभी- क्या चाहिए तुम्हे
मैं- वो तस्वीर जिसे भैया ने पुराने कमरे से हटा दिया
भाभी- यहाँ ऐसी कोई तस्वीर नहीं है .
मैं-आप जानती है अंजू किस से प्यार करती है
भाभी-मेरे जानने न जानने से कुछ फर्क पड़ेगा क्या . उसकी जिन्दगी है वो जैसे चाहे जिए .
मैं- फिर भी क्या आप जानती है की वो किस से प्यार करती है .
भाभी- आप अंजू को हमेशा से जानती है मैं अंजू के बारे में सबकुछ जानना चाहता हूँ सब कुछ .
भाभी- वो अलग है वो जुदा है . हम में से एक होते हुए भी वो हमारे जैसी नहीं है. बेशक फूफा ने उसे सब कुछ दिया पर वो कभी भी रुडा की बेटी नहीं थी वो हमेशा सुनैना की बेटी ही रही. उस घर ने उसे हमेशा सबसे आगे रखा पर अंजू कभी स्वीकार नहीं पाई उस परिवार को और फिर एक दिन ऐसा आया की वो घर छोड़ कर चली गयी.
मैं- अंजू कहती है की रुडा की वजह से अपनी जिन्दगी नहीं जी पा रही थी इसलिए घर छोड़ कर गयी.
भाभी- झूठी है वो. माना की फूफा घटिया आदमी है पर कोई भी बाप अपने परिवार के लिए बहुत कुछ करता है . अंजू यदि ये कहे की उस घर से उसे कोई भी शिकायत थी तो ये झूठ है . वो दुनिया की सबसे खुशकिस्मत बहन है .
मैं- समझ नहीं आ रहा की कौन झूठ बोल रहा है वो या फिर आप
भाभी- मुझे क्या जरुरत झूठ बोलने की , तुमने मुझसे अंजू के बारे में पुछा मैंने तुम्हे बताया .
मैं भाभी को बताना चाहता था प्रकाश के बारे में पर खुद को रोक लिया.
मैं- अंजू भी जंगल में भटक रही है
भाभी- इसमें कुछ नया नहीं बचपन से ही ऐसा करती रही है वो.
मैं- क्या तलाशती है वो जंगल में
भाभी- नहीं जानती
मैं- वो क्या काम करती है , मेरा मतलब उसका रहन सहन हम सब से अलग है महँगी गाड़ी, महंगे शहरी कपडे . पैसा कहाँ से आता उसके पास.
भाभी-तुम शायद भूल गए की वो चौधरी रुडा की बेटी है .
मैं- अंजू कुछ तो ऐसा कर रही है जो संदिग्ध है समझ नही आ रहा , वैसे आप आखिरी बार कब मिली थी उस से.
भाभी- शायद छ साल पहले
भाभी भी गजब ही थी .
मैं-क्या आपकी और अंजू की आपस में नहीं बनती .
भाभी- उस से ही पूछ लेना तुम.
मैं- आप कभी भी कुछ भी सीधा क्यों नहीं बताती.
भाभी- सभी भाई-बहनों में सबसे घटिया कोई था तो अंजू ही थी. यही काफी है तुम्हारी जानकारी के लिए.
मैं- उसने मुझे ये दिया .
मैंने अपनी चेन भाभी को दिखाई . भाभी मेरे और पास आई और उस चेन के लाकेट में बने सर्पो को अपनी उंगलियों से छुआ और बोली- तुमने पूछा क्यों नहीं की क्यों दिया ये .
मैं- कहा था उसने कहा की भेंट है .
भाभी- उस से दूर रहना . बेशक बहन है वो मेरी पर तुम दूर रहना उस से . वो तस्वीर इस कमरे में नहीं है तुम्हारे भैया ने गायब कर दिया है उसे.
मैं- रुडा से मिलना है मुझे समझ नहीं आ रहा की कैसे बात करू उस से
भाभी- कभी कभी वो सुनैना की समाधी पर जाते है , तभी शायद ठीक रहेगा उनसे मिलना.
मैं- चाचा क्यों नहीं चाहते थे की आपका और भैया का ब्याह हो.
भाभी- हम पहले भी तुम्हे बता चुके है की हम नहीं जानते. वैसे तुम्हे क्या लगता है की वैध को किसने मारा होगा.
मैं- नहीं जानता पर मालूम कर ही लूँगा.
भाभी- कोई क्यों मारेगा उसे
मैं- इस क्यों के बहुत कारन हो सकते है वैध वैसे था तो घटिया ही . साला ऐसे ऐसे कर्म किये हुए था की मैं क्या ही बताऊ.
भाभी- कर्म तो सबके ऐसे ही होते है बस करने वाले को अपने कर्म अच्छे लगते है .
मैं- फिर भी ........ वैसे मुझे दुःख नहीं है उसके मरने का.
घर से बाहर आकर मैं कुवे की तरफ चल पड़ा. कल रात ने मुझे एक बात अच्छी तरह से समझा दी थी की जंगल उतना सुरक्षित नहीं था .अंजू मेरे कमरे तक आ पहुंची थी , मुझे कुछ तो करना ही था . मैं एक बार फिर से उस तालाब की दिवार के पास खड़ा सोच रहा था की अन्दर जाऊ या नहीं. इस कमरेमे कुछ तो ऐसा था जो मुझे फिर से खींच लाया था इसकी तरफ. पूरी सावधानी के साथ मैं अन्दर घुस गया . कमरा ठीक वैसा ही था जैसा की मैं छोड़ कर गया था . न जाने क्यों मुझे लगता था की इस कमरे की ख़ामोशी ने एक ऐसे शोर को छिपाया हुआ था की जब वो सामने आएगा तो कानो के परदे फट पड़ेंगे.
मैं दुसरे कमरे में गया , और उस कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा. कोई तो आता जाता होगा यहाँ पर फिर निशा को कैसे नहीं मालुम . क्या वो सख्श निशा की उपस्तिथि को भी जानता था यहाँ पर.
औरतो के रंग-बिरंगी ब्रा-कछी , नंगी तस्वीरों वाली ढेरो किताबे और सोना. यहाँ पर ये कुछ ऐसा था की समझना बहुत आसन था और बहुत मुश्किल. यहाँ पर आने वाला सक्श बहुत रंगीला था , तो ये भी था की वो औरते जरुर लाता होगा यहाँ पर. और अगर औरते आती थी तो फिर अब क्यों नहीं आती. उन औरतो को मालूम होगा की सोना है तो सोने के लालच में तो आना चाहिए था न उनको.
चाचा भोसड़ी के ने अगर यहाँ पर चुदाई का अड्डा बनाया हुआ था तो फिर रमा और सरला को क्यों नहीं मालूम इस जगह के बारे में. वो चाहती तो यहाँ से सोना चुरा कर बढ़िया जिन्दगी जी सकती थी फिर क्यों नहीं चाहत थी उनको सोने की. अब मुझे लगने लगा था की कविता वो कड़ी थी जो चाचा की जिन्दगी का अनचाहा राज खोल सकती थी . इतनी रात को वो जरुर यही पर आ रही होगी.
पर वो नहीं जानती थी की उसका इन्तजार मौत कर रही थी .कविता ने मंगू को बताया होगा सोने के बारे में और वो चुतिया जरुर उसी की तलाश में आता हो रातो को . एक सवाल और था की यदि कविता यहाँ चुदने आती थी तो फिर चाचा कहाँ है . वो बहनचोद किस बिल में छुपा है की निकल ही नहीं रहा ........
कमरे से बाहर निकल कर मैं ऊपर जाकर दिवार का सहारा लेकर बैठ गया और सोचने लगा. सोचते सोचते न जाने कब मेरी आँख लग गयी . और अजब खुमारी टूटी तो मैंने खुद के सामने उसे बैठे देखा.............
Thanks bhaiFauji Bhai hum pathko se puchiye ke aap kitni tareef ke kabil ho.aap behtreen mahan lekhak ho
ऐसा बिल्कुल नहींभाई फोजी जी इसका कारण भी जग जाहिर ही है की वो डायन जी है जिस को चाहे दिखती है बाकियों को नहीं ?
ThanksKaabil to bahot ho bhai lekin ye aapka baddpan hey
Koshish jari haiye decision to writer ko hi lena chahiye jis me bhi excitement and thrill ho
अंजू के मन मे क्या चल रहा है ये जल्दी मालूम होगा. जंगल मे होने के सब के अलग अलग कारण है जो बस सामने आने ही वाले हैंAnju ja toh parkash se picha chudwana chahti hai. Kyuki parkash ne uska istemal kiya hai. Ja fir woh pyar mein andhi ho kar uska kaha maan rahi hai.
Kabir par najar surajbhan bhi rakh raha hai aur parkash bhi. Aur koi teesra bhi ho sakta hai kabir ka baap ja bhabhi ho. Tabhi parkash jungle mein uske saamne aya kyuki usko pata tha kabir is waqt kaha hoga aur raat ko anju bhi tabhi waha ayi.
Ab lagta hai ki mangu bhi kisi se mila hua hai.
अब अंजू का अतीत ही वर्तमान की चाबी खोलेगा. कबीर जल्दी ही ऐसा कुछ मालूम कर लेगा की फिर उसे देर नहीं लगेगी कड़ी जोड़ने मेhmm bhabi ne clear cut hint de diya ki anju sahi ladki nahi hai aur use us raat ke behaviour se bhi aisa hi laga kabir ek saath kai questions ke answers dhoond raha haii shayad isliye ek ko bhi dhund pane me succeful nahi hai
Kabir ki sari investigation doosron par hi dependent hai ye iske faliure ka ek reason hai issues badhte ja rahe hain lekin kabir ke pass koi solid answer kisi ka bhi nahi
क्यों नहीं जानेगी वो, रूड़ा के घर रही है भाभीBhabhi kaise jaanti hai ke kabir sunaina ke bare mein jaanta hai. Kuch to hai. Ja fir bhabhi hi main player hai.
पैसे का क्या ही लालच होगा भाई जिसके पास इतना सोना था वो खुले आम उसे छोड़ गया. अंजू क्या चाहती है कबीर से ये महत्वपूर्ण होने वाला है. भाभी के बारे मे क्या ही कहेअंजू के बारे में अभी कुछ बोलना अतिश्योक्ति होगी क्योंकि कबीर के साथ उसका conversation ऐसा नहीं था जिसका कोई निष्कर्ष निकाला जा सके
ये अच्छी बात है की कबीर अब सब पर शक कर रहा
ये इकलौती चीज है जो उसे उसके मंजिल तक और करीब ले जा सकती है
रूढ़ा की बेटी के घर छोड़ने का कारण कुछ और होगा, शायद परकाश उसी खजाने की तलाश में होगा
इतना तो पहले ही समझ में आ गया था की इस कहानी का जितना भी भसड मचा है वो सब पैसे के लिए है
परकाश अंजू से प्यार नहीं करता, लगता नही उसे देख कर
भाभी का कैरेक्टर इस कहानी में सबसे विरोधाभास वाला है
एक अपडेट में लगता है की वो चाहती है की कबीर को अतीत पता चले
दूसरे अपडेट में लगता है की वो उसे भटका रही है
बस उस से बड़ी बड़ी बाते करवा लो की कबीर को मैने पाला है मेरा बेटा है मेरा l*wda है लहसुन है
कहानी के भाग्य मे क्या है वो पहले शब्द के साथ ही निर्धारित हो गया था भाई. लेखक होने के नाते मेरी पूर्ण जिम्मेदारी है कि मैं सारी कड़िया जोड़ दु. पाठकों की उत्सुकता का अंत करू. बात अंत की तो उसके बारे मे क्या सोचना एक दिन शुरुआत हुई एक दिन अंत होगा. इतना जरूर कहूँगा की बेशक ये कहानी खत्म हो जाएगी पर आप सब के दिलों मे जिंदा रहेगीसबसे पहले तो फौजी भाई ज्यादातर पाठक ये जरूर चाहेंगे की निशा इस कहानी में जिंदा रहे कहानी खत्म होने के बाद भी
वो शाहरुख खान का dailoge है किसी फिल्म में,
की फिल्मों की तरह हमारी जिंदगी में भी अंत में सब कुछ ठीक हो जाता है
मैं मानता हूं की असल जिंदगी में सही हो ना हो कहानी का ending definately अच्छी हो सकती है
दुनिया जहान छोड़ो, प्रीत की रीत देख लो उसे 4–5 बार पढ़ा है मैने, क्योंकि उसका सबसे बड़ा कारण है की कैसे कुंदन को आयत मिल गई,
अगर आयत ना मिली होती तो शायद ही कोई होता जो दुखी होने के लिए बार बार उस कहानी को पढ़ता
एक पाठक जो होता है वो कहानी को अपने नजरिए से पढ़ता है खुद के ऊपर रख कर, कोई भी नही चाहेगा की अंत में उसको उसका प्यार ना मिले या उसके जीते जी ही उसे मरते देखना पड़े
वास्तविक दुनिया में 1% लोग भी नही है जो अपना प्यार को मंजिल दे पाते है इसलिए वो कहानी में चाहते है की प्यार को मंजिल दे पाए
एक बहुत ही अच्छी उपन्यास है गुनाहों का देवता
वो कहानी इतनी अच्छी है लेकिन उसकी ending इतनी बेकार है की कभी हिम्मत ही नहीं हुआ दुबारा पढ़ने की, क्यों मैं दुखी feel करु किसी कहानी को पढ़ कर
तो आपको request भी है और suggestion भी की इतनी अच्छी जा रही कहानी को बस ऐसे ही जाने दीजिए एक अच्छी ending के साथ
अगर कबीर और निशा की इस प्रेम कहानी के नियति में अमर होना लिखा है तो अमर होने दीजिए
जब आयत प्रेतनी होकर,जिसके पास शरीर नही था उसे आप एक कर दिए तो निशा के पास तो फिर भी शरीर है
और अगर ऐसा होना ही है तो आपने ये खुलासा करने शायद जल्दबाजी कर दी
खैर आपकी कहानी है, आपका हक है आप इसे जैसे चाहे वैसे खत्म कर सकते है, इतना कुछ लिखने का बस एक ही कारण है की शुरू से इस कहानी से जुड़े होने के कारण attachment है इस कहानी से,
जो मैं चाहता हु की आज से 25 साल बाद भी पढ़ू तो वैसा ही feel आए
कबीर भाभी के पास क्यों जाता है, क्योंकि उसका नाता गहरा है भाभी से, यदि भाभी उसे थोड़ा बताती है ज्यादा छिपाती है इसका कारण भी मैंने इशारों मे बताया हुआ है. बात निशा की तो जिसका नाम ही निशा है वो कहानी के उजालों मे कैसे मिलेगीकहानी का पिछला अपडेट फाडू था अंजू का खेत में आना और वैध का मरना लेकिन इस अपडेट में थम सी गयी जब कनीर की कोई कुछ नहीं बताएगा तो वो भाभी-शाबी से कुछ पूछता ही क्यों है खुद दिमाग का इस्तेमाल करता है बस कहानी में यही एक आदमी है जो साधारण है बाकि सब के सब चालाक हैं अब चाहे वो मंगू चम्पा सरला या रमा ही क्यों ना हो
सब के सब कबीर को गुमराह कर रहे हैं और जिस तरफ चाहते हैं कबीर का ध्यान भटका कर उसकी जासूसी करते हैं जबकि कबीर सोच रहा है की वो तहकीकात में सब की जासूसी में लगा है कोई बड़े ही षड्यंत्र में फसने वाला लगता है | भाभी का रोल भी कोई साफ सुथरा नहीं है लेकिन वो कबीर का नुकसान करे ऐसा भी नहीं लगता
निशा जी कहानी से गायब ही रही हैं जब की लव स्टोरी में उसका रोल हर एपिसोड में किसी भी रूप में कुछ तो होना ही चाहिए