Sanju@
Well-Known Member
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मित्रों, मैं आपका बहुत आभारी हूं आपके प्रेम और विश्वास के साथ इस कहानी ने मात्र ढाई महीनों मे ही दस लाख व्यू की संख्या को पार कर लिया है.
मित्रों, मैं आपका बहुत आभारी हूं आपके प्रेम और विश्वास के साथ इस कहानी ने मात्र ढाई महीनों मे ही दस लाख व्यू की संख्या को पार कर लिया है.
Thanks bhaiसाथ साथ आपकी अदभुत शब्द चितेरे होने का उत्कृष्ट प्रमाण भी है, ये प्रेम और विश्वास बस आप के कारण ही है।
Thanks bhaiCongratulations Mitra..
क्या उस कमरे में अभिमानु या राय साहब में से कोई आता था
क्योंकि सुनैना और रूढ़ा का आना possible नही है जो फोटो मिले है उस रूम में वो इतने पुराने भी नहीं होंगे
चाचा अगर आता होगा तो बस कविता के साथ आता होगा लेकिन कविता ने इस बारे में मंगू को नही बताया होगा क्योंकि मंगू भी नही जानता की वो इतनी रात जंगल क्या करने गई थी (at least मंगू ने तो कबीर को यही बताया था और ये भी बस अंदाजा है की कविता काली मंदिर ही गई थी खजाने के लिए, शायद ऐसा ना भी हो)
वैसे एक प्रश्न जो मेरे मन में बहुत समय से है की निशा जब कबीर के साथ और काली मंदिर में नही रहती तब वो कहां जाती है कहा रहती है ??
अंजू की अगर गलत मंशा है तो वो पक्का बहुत ही ज्यादा शातिर होगी तभी आज तक उसके गलत इरादों पर अभिमानु और राय साहब को शक नही हुआ
और इतनी खतरनाक महिला परकाश तुरंत मार देगी इसकी संभावना कम लगती है, इतना तो वो भी सोचेगी ही की कबीर का शक सीधा उसी पर जायेगा
खैर ये भी हो सकता है की वो चाहती हो की कबीर उस पर शक करे
वैसे परकाश इतनी रात को कबीर के परिवार में से ही किसी को मिलने आया होगा
लेकिन फिलहाल तो पता नहीं क्यों लग रहा को, रूढ़ा या अभिमानु में से किसी ने हत्या करवाई है (अच्छा ही हुआ मर गया, लेकिन वैसे नही जैसे मैं चाहता था, अब बस अंजू के साथ के एक मस्त सीन डाल दो मजा आ जाए)
निशा ने बोला की वो इस खजाने के वारिश को ढूंढ रही है
जितना कुछ कहानी में अभी तक हुआ है उस हिसाब से तो कबीर से ज्यादा गुंजाइश और किसी की नही है वारिश होने की
लेकिन फिर सवाल आता है अगर कबीर होगा तो कबीर ही क्यों
अगर खानदान वाला system होगा तब तो अभिमानु भी तो वारिश हो सकता था,
अभी तो बस इस बात के लिए prepare रहो की कबीर राय साहब का सगा बेटा न निकले(possibilities)
कहानी अभी ऐसे मोड़ पर है कुछ भी हो सकता है, सच हमारे सोच से भी परे हो सकता है, एक एक, छोटी छोटी चीज भी प्रायः जिसे हम नजरंदाज कर देते है वो भी कहानी को नया मोड़ दे सकती है
फौजी भाई कल और परसो Saturday और sunday है, कोशिश करना की दोनो में से किसी एक दिन mega update या किसी एक दिन 2–3 अपडेट मिल जाए
राय सहाब का शक करना बनता है क्योंकि थोड़े दिन पहले उन्होंने कबीर और प्रकाश को लड़ते हुए देखा था.प्रकाश का बढ़िया अंत हुआ लेकिन ये कैसे बाप और भाई है जो अपने कबीर पर ही शक कर रहे हैं और अंत में चाची भी आ गयी अपनी सच्ची झूठी बाते बनाने
बड़े भाई अभिमन्यु ने पहले सूरजभान के कारण कबीर के थप्पड़ मारे जबकि कबीर दुम हिलाता उसकी मालिशें करता है पीठ पर खरोच के निशान देख कर उसकी जासूसी नहीं करता बल्कि जंगलों में सबूत ढूंढ़ता है
प्रकाश का मरना, किसने मारा ये तो मालूम हो ही जाएगा.Sala ye toh syllabus bahar ka question Ho gya. Kon pel gya prakash ko? Kya isme anju ka hath Ho skta? Qki anju jesi shatir aurat khud apne hath se nahi maregi... OR agr anju ka hath prakash ke maut me hai toh Kya jungle me chudaai kr rhi thi prakash ke sath to Kya woh ek chhalawa tha kabir ke ankhon me dhul jhonkne ke liye qki agle hi pal kunwe wale ghar me milna kabir ko ye darshana ke woh aise hi aai thi jab ki usne jaanbujh kr chhodi dikhaya tha kabir ko ki woh hi prakash ke sath thi.. ... Dusra shq mujhe bhabhi pr jaa rha hai qki kabir ne anju or prakash ke bare me baat kri thi shayad bhabhi ka bhi hath Ho skta hai.... Nisha ji ke haaw bhaaw se nhi lgta ke tehkhane ke khufiya kamre ke bare usko pta hoga. Usko bhi khazane ke vaarish ki talaash hai toh zrur kabir hi hoga.. Wese ek baat toh hai pyar me sawal jawaab nhi hota wahan sirf visvas hota hai jo kabir kr rha hai... Bhai ji ek sawaal hai kabir ke lund pe jo kidaa kata tha uska bhi iss kahaani me koi role hai... OR mere demand ka Kya hua Bhai ji kabir or anju ke bich ilu ilu kab tk dikha rhe Ho.
Ab wqt agya hai ek gaal pr thappad khane ke bajaye samne wale ke dono gaal sujaa dene ka
किसी कवि को कहते सुना था कि मैंने जितना लिखा सिर्फ तुमको लिखा. मैंने भी जितना लिखा प्रेम लिखा. रुडा और सुनैना की कहानी मे क्या हुआ था ये किसी ना किसी दिन जरूर मालूम होगा. वैसे ये पॉइंट सही पकडा आपने, परंतु यहां केवल रूडा ही नहीं भाभी के लिए भी यही पॉइंट होना चाहिए ये दोनों लोग जब प्रेम को इतनी गहराई से समझते है तो फिर दूसरों के प्रेम को स्वीकार क्यों नहीं करते.कहानी लेखन के दौरान अलंकारों का प्रयोग... अद्भुत शब्दावली का प्रयोग..... कहानी का तानाबाना बुनने में..... सस्पेंस बरकरार रखने में.... प्रेम का भाव प्रस्तुत करने में । फौजी भाई , आपका जवाब नहीं ।
जब तक सांस चले तब तक ऐसे ही अपनी लेखनी से प्रेम बांटते रहिए । करीब नब्बे वर्ष की अवधि में भी मेरे प्रिय लेखक सुरेंद्र मोहन पाठक जी तो कर ही रहे हैं ।
रूडा जी एक अच्छे प्रेमी रहे थे । अपने हैसियत से बहुत कम एक बंजारन से प्रेम किया था । जिस्मानी संबंध भी बनाया था उन्होंने । अगर उनके पिताजी बीच में नहीं आते तो वो दोनों पति पत्नी होते ।
अपनी प्रेमिका की अकस्मात मौत पर उन्होंने बचपन के दोस्त ठाकुर साहब से सम्बन्ध तोड़ लिया जो अभी तक जारी है ।
एक ऐसा इंसान जिसने प्रेम के लिए इतना कुछ कर दिया वो कैसे अपनी पुत्री और उसके प्रेमी के बीच में दीवार बनकर खड़ा हो सकता है !
या तो अंजू झूठ बोल रही है या वो किसी के झांसे में आ गई है ।
प्रकाश के साथ उसका सम्बंध निजी मामला है । हम देख ही रहे हैं कि इस गांव के प्रायः मर्द और औरत कैरेक्टर के कितने पाक शरीफ हैं । यही सब देखकर तो ठाकुर साहब को अनगिनत तोपों की सलामी देना चाहता था मैं ।
कबीर ने भले ही अब तक आदमखोर का सुराग नहीं खोज पाया पर गांव के प्रायः घरों के चारदीवारी का राज तो ढुंढ ही लिया ।
निशा से अब तक उसकी पहचान न निकलवा सका । लगता है निशा की पहचान हमें नंदिनी भाभी के श्रीमुख से ही सुनने को मिलेगा ।
बहुत पुरानी जान पहचान है नंदिनी और निशा की ।
यह एक बार फिर से निशा की बातें ने सिद्ध किया ।
बेहतरीन कहानी और बेहतरीन अपडेट्स फौजी भाई ।
सभी लेख जगमग जगमग थे ।