पहली बात तो ये की विशम्बर दयाल हरामी, कमीना, नीच, गलीच, घटिया, सुअर और कुत्ता है..
और आखिरी बात भी यही है। साला, इसका एक पांव कब्र में है और ये अपनी बेटी जैसी लड़की के साथ बिस्तर तोड़ रहा है, यही नहीं, उसे, उसके सगे भाई के सामने भी परोस रहा है। भाभी ने कहा की अभिमानु ढाल है अंजू की,यानी यदि अभिमानु ना हो तो, ये कुत्ता, अंजू पर भी चढ़ जाए।
इसे कोई बताओ की इस उम्र में ज़्यादा उछल – कूद करेगा, तो हृदयाघात से ही मर जाएगा। अब मुझे शक है की अंजू का बाप कौन था, बेटी जैसी चम्पा को नहीं छोड़ा इस चूतिये ने तो बहन जैसी सुनैना को कहां छोड़ा होगा? साला,
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अभी तक एक बात स्पष्ट हो चुकी है की कबीर के गांव में लोगों को सोने से ज़्यादा छेदों का शौक है। चाहे वो कबीर खुद ही, मंगू नामक कुत्ता हो, जरनैल हो, या फिर हरामियों का हरामी – विशम्बर दयाल।
कबीर का बाप जानता है समाधि के नीचे रखे सोने के बारे में, अंजू भी जानती है, शर्तिया अभिमानु भी जानता होगा, परंतु वो सोना किसी को भी नहीं चाहिए। निशा देवी के खंडहर में तालाब की तलहटी में पड़ा सोना, और उस आंशिक संभोग कक्ष में पड़ा सोना.. किसी को भी नहीं चाहिए। ऐसे में ये कहना की कहानी में सारी फसाद की जड़ सोना है, गलत होगा। असल में इस गांव में कुछ वर्ष पूर्व एक संभोग नामक विषाणु फैल गया था, जिसके प्रभाव से इस गांव के सभी आदमी और औरतें, और लड़कियां.. इसी कार्य में खोए हुए हैं।
अभिमानु का शरीर या तो उस विषाणु से लड़ने में सक्षम रहा होगा या फिर उसने अपने संभोग की कथाएं किसी के सामने नहीं आने दी होंगी। नंदिनी भी कबीर के घर में रहकर वैसी ही हो गई है तभी कबीर के गाल पर गर्म सांसें छोड़ रही थी... और हां, फौजी भाई चाहे कितना भी कहें की नंदिनी का कबीर द्वारा नग्न रूप में देखा जाना, कोई बड़ी बात नहीं थी, अर्थात कई घरों में ऐसी घटना हो जाती है! परंतु मैं अब भी यही कहूंगा कि ये सब उस चालाक लोमड़ी नंदिनी की सोची – समझी साजिश थी। दिल की बातें जो कर रही थी कबीर से, अचानक ही निशा को लेकर उसका स्वर बदल गया, चम्पा की शादी में उसे बुलवाने को तैयार हो गई, पक्का कुछ सोचा है इस चालबाज़ औरत ने...
मंगू... कम से कम एक लाख हराम के पिल्ले मरे होंगे तब जाकर इस महापुरुष का जन्म हुआ। साफ शब्दों में मंगू का परिचय दिया जाए तो ये उस गंदी नाली का कीड़ा है जिसमें जानवर भी पांव ना मारे.. दूसरे शब्दों में हरामियों के भगवान – विशम्बर दयाल का पालतू कुत्ता है मंगू। रमा तक तो समझ आता है, की सामने से मुफ्त में मिल रही औरत कौन छोड़ता है? परंतु, चम्पा..? माना की चम्पा खुद भी महा – कमीनी है, परंतु भाई होने के नाते, मंगू को ना केवल विशम्बर दयाल के विरुद्ध आवाज़ उठानी चाहिए थी, बल्कि उसकी हत्या कर देनी चाहिए थे, भले ही इसमें मंगू खुद ही क्यों ना मर जाता। परंतु, उस हराम के जने ने चम्पा को खुद भी भोग लिया...
एक जिज्ञासा उत्पन्न हुई है, मंगू कहीं विशम्बर का ही पिल्ला तो नहीं? संभव है की उस मनहूस ने मंगू की मां तक को ना छोड़ा हो...
खैर, यदि कहानी के पिछले कुछ भागों में हुई प्रगति पर नज़र डाली जाए तो। सर्वप्रथम, नंदिनी का कोई गहरा मंतव्य है उस सबके पीछे जो वो कर रही है। उसका कबीर को चुनिंदा बातें बताना, निशा को लेकर उसका रुख, और अब निशा को चम्पा के ब्याह में बुलाने की बात, मुझे शक है की असल में नंदिनी शायद इस घर की विभीषण है। असल में, उसका कार्य अपना कोई विशेष मतलब निकालना है, पिता – पुत्र में दूरियां लाकर। हालांकि, विशम्बर इसी लायक है, की कबीर उसकी लाश तक को लावारिस छोड़ दे, परंतु, फिर भी, मुझे यही लगता है कि नंदिनी कुछ तो खिचड़ी पका रही है!
रमा को जल्द से जल्द ढूंढना होगा कबीर को और उसे मगरमच्छों के सामने डालना होगा। कबीर अपने दुश्मनों को ज़िंदा छोड़ता है यही उसकी गलती है। वैसे यदि वो रमा को ज़िंदा छोड़ भी से तो भी वो मर ही जाएगी, ऐसा मुझे लगता है। जैसे की वैद के साथ हुआ था।
पर देखना होगा की रमा आखिर चाहती क्या है? मेरे ख्याल में विशम्बर दयाल की कोई साजिश है जिसके चलते रमा कबीर से मिली और बाकी सब चीज़ें हुईं। परकाश, कबीर पर नजर रखे हुए था, हो ना हो, ये भी उस सूअर की ही चाल होगी...
एक मुख्य बिंदु है अंजू! कबीर ने यही निष्कर्ष निकाला था की जंगल में परकाश के साथ संभोग में लिप्त औरत रमा थी परंतु अब सूरजभान और अंजू के मध्य हुई बातों से कुछ और ही लगता है। क्या सचमें अंजू परकाश से प्यार करती थी, या अपने मुंहबोले मामा की तरह हवस ही रखती थी? सुरजभान से उसका कहना की वो उसके दुख का कारण ना हो, यही अच्छा है, संकेत करता है की वो शायद परकाश की मौत का कसूरवार सूरजभान को भी मान रही है। और ये एक और *beep* सूरजभान क्या ढूंढ रहा है, जिसका ज़िक्र वो अंजू से कर रहा था..?
खैर, अब इंतज़ार है तो निशा जी का, क्या वो आयेंगी कबीर के बुलावे पर, चम्पा के ब्याह में? क्या अगला नंबर शेखर का है? शायद विशम्बर दयाल मरवा दे शेखर को, ताकि वो चम्पा के साथ मौज करता रहे, हो सकता है की शेखर विशम्बर का ही आदमी हो, और उससे चम्पा की शादी करवा, वो अपना पक्का इंतेजाम कर रहा हो। देखना ये है की क्या चम्पा नामक इस हरामन में थोड़ी शर्म बची है की कबीर से बात करने के बाद वो विशम्बर और हरामी मंगू से दूर रहती है या नहीं। इसके बारे में ज़्यादा नहीं बोलूंगा क्योंकि मुझे लग रहा है की फौजी भाई इसे अंत में हालत का मारा, या बेचारी, या बलिदानी सिद्ध कर ही देंगे।
खैर, सभी भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई। इतने समय बाद भी सभी रहस्य बने हुए हैं, और यही लेखक के तौर पर आपकी काबिलियत का सबसे बड़ा प्रमाण है।
प्रतीक्षा अगले भाग की...