- 12,545
- 88,141
- 259
मैंने कहा पहले ही की सब शक के दायरे मे हैthese two and chachi can not be ignored inka bhi kuch naa kuch locha hoga zrur
mangu is a negative character just like ray sahab
मैंने कहा पहले ही की सब शक के दायरे मे हैthese two and chachi can not be ignored inka bhi kuch naa kuch locha hoga zrur
mangu is a negative character just like ray sahab
Thanksawesome update
मेरा पूर्ण प्रयास है कि आप सब के लिए ऐसा कुछ लिख जाऊँ जो याद किया जाएभाई फौजी जी आप अचानक से दिवाली के शुभ मोके पर ऐसे तूफानी अंदाज़ में एंट्री मारे हो और उस से भी बढ़कर तूफानी चक्रवात का खुनी अपडेट का तूफ़ान ले आये हो की सब के दिल की धड़काएं बढ़ा दी और ऐसा ग़दर मचाया है की पाठकों की सोचने समझने की ताक़त ही खतम हो गयी अब चाहे केसा भी अपडेट देते रहो![]()
नहीं रुकेंगेYr bhut sahi kaha aapne.....
Ab Iss mod par mat rukna
Suspence to kahani ke sath hi jayegaSuch mai bhai moj kra di eyse update de kr lekin thoda suspens km kro bhai please bhai aur update kro keep it up
Nahi bhaiSuspense to aise aise aa rahe jaise heart attack hi aa jaye .....
ThanksLovely update bhai ji.
मैंने मोहब्बत लिखना बरसों पहले छोड़ दिया भाई. कबीर का किरदार एक आम इंसान का किरदार है, वो कोई सुपर हीरो नहीं. अभी तक मैंने कबूल नहीं किया की राय सहाब ही मुख्य विलेन है. बेशक उसके तरीके गलत रहे हो. मैंने कभी कहा कि कबीर राय सहाब को मारेगा या नहीं क्योंकि नियति ने ईन किरदारों के भाग्य मे जो लिखा है वो मिलेगा उनकोइतने सारे लोगों की मौत का जिम्मेदार अगर कोई है तो वो है केवल और केवल कबीर...........
इन सारे मामलों को जानते हुये और इनको रोकने की नियत रखते हुये भी अगर उसने इनको रोकने की कोई वास्तविक कोशिश नहीं की.... तो वो किसी और को दोष कैसे दे सकता है
केवल वर्तमान ही नहीं अतीत के भी सभी राज और बवाल सिर्फ एक आदमी से कहीं न कहीं जुड़े हुये हैं.......... राय साहब
अगर कबीर समय रहते उस हवस के पुजारी को रास्ते से हटा देता ............. और साथ ही उसके साथी मंगु को भी
तो कुछ लोग शायद फिर भी मारे जाते (ध्यान दें ....शायद)............. ....लेकिन इतने सब किसी कीमत पर नहीं मरते
अब हमारे फौजी भाई कहेंगे कि कबीर राय साहब को कैसे मार पता......... तो उसका एक ही जवाब है......... घर में, जहां राय साहब खुद को सबसे सुरक्षित समझते हैं, वहीं वो सबसे आसानी से मारे जा सकते थे
खैर देखते हैं फौजी भाई क्या निष्कर्ष निकलते हैं इस कहानी का और उसे कैसे न्यायोचित ठहराते हैं .............. फिर हम अपनी प्रतिक्रिया देंगे कि हमें भी वो न्यायोचित लगा या ............. लीपापोती![]()
ThanksAmazing update fauji bhai![]()
गांव वालों का कैसा न्याय भाई. राय सहाब और कबीर को जो बात अलग करती है वो यही सेक्स ही तो हैसही कहा भाई कामदेव जी कबीर गाँव का रसुखधार ठाकुर होते हुए ना तो गांव वालो का न्याय दिला पाया और व्यक्तिगत तौर पर ना ही किसी भी मख़मली व् रसभरी चुत का भँवरा बन कर जवान होते हुए भी रस ही पी पाया जबकि खलनायक राये साब जी लोटे भर भर के लिटरों रस पी गए वो भी कबीर की नाल तले और डकार भी नहीं मारी
हद तो तब हो गयी की चोदू शहनशाह ने कबीर की करीबी दोस्तनी चम्पा की टाइट मख़मली चुत मार मार के उसका भी भोसडा बना दिया और कबीर कुछ ना कर सके सिवाए सिवाए भैया भाभी या सरकार निशा से पूछ ताछ करता रहा या फिर बासी चाची व् रमा की भोसडी यां मारता रहा और अब जब इतने बेकसूर मारे गए तो बदला बदला कर रहा है