सोचा न था की ऐसे मुलाकात होगी आपसे, खैर... बेहद खुशी हुई आपको वापस देखकर, आप आये तो आये.... साथ मे दिवाली का तोहफा हम पाठको के लिए इस अंश के रूप मे लाये... इसके लिए अपार शुक्रिया ।
वैसे तो शब्द की कमी नही है कुछ कहने के लिए... लेकिन समय का अभाव है इधर भी...
पर आपके इस अंश ने मुझे लिखने पर मजबूर कर दिया...
चाचा.... जिसकी लाश कवीर को मिली... उसे मारने बाला और कोई नही बल्की खुद चाची ही है, और चाची का कहना है की चाचा बिल्कुल गिरा हुआ शक्स था.... उसे किसी की परवाह नही थी, किंतु चाचा का जो व्यक्तित्व सरला बताती है वो बिल्कुल चाची के बताये गये बातो के उलट है, सरला के अनुशार चाचा एक ऐसा शख़्स था जो सबकी परवाह करता था । सीधे शब्दो मे वो दिल का सच्चा था, भले ही लंड का कैसा भी हो ।
अब बात अटक जाती है वहाँ... की आखिर कवीर करे तो किसका विशवास करे...
चाची की... जिसने इतनी बड़ी बात कवीर से छुपा कर रखी
या फिर सरला की... जो कवीर की इस उधेड़ बुन से पार होने मे मदद कर रही है...
हो ना हो... इन सभी रचे गये खेलो का एक प्रमुख तार चाची से होकर भी गुज़रता होगा... जो हम सब को दिखाई नही देरहा ।
वहीं... नंदनी और अभिमानु का वो गुप्त बार्तालाप, और अभिमानु के मस्तिस्क से टघरता पसीना किस होने बाली घटना का संकेत है... ये जानना दिलचस्प होगा ।
निशा... इसे तो मै एक पहेली ही कहूंगा, अब तक के कहानी मे इसकी अपनी कहानी हमे नही पता चली, आखिर ये आई कहाँ से...?, इसका जन्म कहाँ हुआ...?, इसकी हवेली कहाँ है...?, ये किसकी संतान है ...?
बाकी, शादी की रात आ ही गयी, पूर्ण चाँद की इस रात मे...
बारात आ ही गयी....
बेचैनी किस किस के अंदर जागी है इस रात मे, आखिर कौन कौन... आरामखोर के किरदार को निभा रहा है ये जानना भी दिलचस्प होगा ।
बाकी... आप आगे ऐसे ही लिखते रहे उसकी शुभकामनाएं ।