#126
“मैं हूँ वो वजह कबीर, जिसे अभिमानु तमाम जहाँ से छिपाते हुए फिर रहे है . मैं नंदिनी ठकुराइन मैं हूँ इस सारे फसाद की जड़ मैं हूँ वो गुनेहगार जिसकी गर्दन दबोचने को तुम तड़प रहे हो . मैं हूँ वो राज जो अभिमानु को चैन से जीने नहीं दे रहा ” भाभी ने कहा.
मेरी आँखों के सामने अँधेरा छा गया. उस पल मैंने सोचा की क्यों ये रात अब खत्म नहीं हो जाती. मेरे सामने भाभी खड़ी थी जो अभी अभी उस छिपे हुए कमरे से बाहर आई थी .
“नहीं ये नहीं हो सकता ” मैंने कहा
भाभी- यही सच है कबीर . इस जंगल का सबसे भयानक सच . वो सच जिसका बोझ बस तुम्हारे भैया उठा रहे है .
भैया- नंदिनी, मैंने तुमसे कहा था न चाहे कुछ भी हो जाये ........
भाभी- इसके आगे जो होता वो ठीक तो नहीं होता न अभी. एक न एक दिन कोई न कोई तो ये बात जान ही जाता न. तुमने बहुत कोशिश की फिर भी देखो ....... कबीर, इसमें तुम्हारे भैया का कोई दोष नहीं है . जो कुछ भी हुआ उसकी जिम्मेदार हूँ . मैं ही हूँ वो रक्त प्यासी ........
मेरी तो जैसे साँस ही अटक गयी थी. ना कुछ समझ आ रहा था न कुछ कहते बन रहा था .
मैं- तो इसलिए वो आदमखोर मुझ पर हमला नहीं करता था ,वो पहचानता था मुझे.
भाभी- अपने बच्चे के जैसे पाला है तुमको , मेरी ममता के आगे तृष्णा हार जाती थी .
मैं- पर मैंने उस अवस्था में आप पर हाथ उठाया . ये गुनाह हुआ मुझसे भाभी.
भाभी- कोई गुनाह नहीं, उस अवस्था में तुमने मुझे संभाला बहुत बड़ी बात है .
मैं- कुछ समझ नहीं आ रहा , चंपा के साथ जो हुआ . बरातियो की लाशे . उनका क्या कसूर था
भैया- कबीर, नंदिनी ने मंडप और बारात पर हमला नहीं किया
मैं- मैं भी भाभी के राज को सीने में दबा लूँगा भैया
भैया- वो बात नहीं है कबीर. मैं तुझसे सच कह रहा हूँ , नंदिनी और मैं भी इसी सोच में पड़े है की किसने काण्ड किया ये .नंदिनी शुरू से ही चांदनी रात की वजह से परेशां थी , ये हरगिज नहीं चाहती थी की ब्याह उस रात हो , उसने पुजारी से भी ब्याह टालने को कहा पर राय साहब की जिद थी की ब्याह आज रात ही हो. इसलिए हमने निर्णय कर लिया था की जैसे ही बारात आएगी मैं नंदिनी को लेकर इस जगह पर आ जाऊंगा . कोई न कोई बहाना बना लेंगे लोगो के सामने और हमने किया भी ऐसा. जब तुम हमारे पास आये थे नंदिनी ने तुम्हे टोका था तब हम इसी बारे में बात कर रहे थे . मौका देखते ही हम लोग जंगल में आ गए.
नंदिनी- कबीर, उस अवस्था को बहुत हद तक मैंने तुम्हारे भैया की मदद से संभालना सीख लिया है , पर रक्त पीना उस रूप की मज़बूरी है , हमने इसका भी रास्ता निकाल लिया जरुरत पड़ने पर मैं जानवरों का शिकार कर लेती हूँ.पर एक सवाल जो मुझे खाए जा रहा है की यदि मैं यहाँ थी तो फिर वो हमला किसने किया
मैं- मंगू ने , वो ही नकली आदमखोर बन कर घूम रहा है
भैया- उसकी तो खाल खींच लूँगा मैं .
मैं- वो सिर्फ मोहरा है असली गुनेहगार कौन है ये समझ नहीं आ रहा वो रमा भी हो सकती है और राय साहब भी . वो मैं मालुम कर लूँगा खैर मैं जानता हूँ की आप दोनों ने इस जगह पर सात-आठ साल बाद कदम रखा है जबकि आप दोनों इस जगह के बारे में जानते थे , कम से कम भैया तो पुराने राज दार है इस कहानी के . और मैं बड़ा बेसब्र हूँ ये जानने को की क्यों . आखिर क्यों रूठना पड़ा भैया इस जगह से आपको . क्या हुआ था ऐसा जो आपने अपनी यादो तक से इस जगह को मिटा दिया. माफ़ कीजिये, मुझे मेरे शब्द पलटने पड़ेंगे, भाभी आप आज की रात ही यहाँ पर आई है . क्यों मैंने सही कहा न
भाभी के चेहरे पर उडती हवाइयो को मैंने चिमनी की धीमी रौशनी में भी देख लिया था .
मैं- क्यों भैया सही कह रहा हूँ न मैं
भैया- हाँ छोटे . नंदिनी इस खंडहर में आज ही आई है .
मैं- मैंने अनुमान लगा लिया था की आदमखोर का किस्सा इतना भी सुलझा हुआ नहीं है जितना की दिख रहा है. भाभी ने मुझे काटा पर भाभी आपको ये बीमारी किसने दी ,
भाभी- नहीं जानती बस एक शाम जंगल में मुझ पर हमला हुआ और तक़दीर बदल गयी .
मैं- आप आदमखोर है ये राज और कौन कौन जानता है
भाभी- अभी और अब तुम भी.
मैं- गलत , कोई और भी था जो जानता था की आप आदमखोर हो
“कौन ” भैया-भाभी दोनों एक साथ बोल पड़े.
मैं- चाचा, और इसी वजह से वो नहीं चाहता था की आप दोनों की शादी हो . मैं चाचा को न जाने कैसे पर ये बात मालूम हो गयी होगी.
नंदिनी- पर चाचा ने कभी भी मुझसे कोई ऐसा दुर्व्यवहार नहीं किया था . हमारी शादी के बाद उन्होंने हमेशा सम्मान किया मेरा.
मैंने अपनी जेब में हाथ डाला और वही तस्वीर जो मैंने चुराई थी , उसे टेबल पर रख दिया और चिमनी को आले से हटा कर तस्वीर के पास ही रख दिया.
मैं- भैया इस तस्वीर ने मुझे पागल किया हुआ है , दो नाम तो मैने सुलझा लिए है पर ये तीसरा नाम उलझाये हुए है . अतीत के किस पन्ने में जिक्र है त्रिदेव के इस हिस्से का और अगर त्रिदेव की कहानी खुद त्रिदेव का मेरे सामने खड़ा हिस्सा ही बताये तो सही रहे.
भैया ने जैसे मेरी बात सुनी ही नहीं .
मैं- इस हमाम में हम सब नंगे है भैया , अब कैसा पर्दा . आप चाहे लाख कहें की कुछ नहीं अतीत में पर मेरी आने वाली जिन्दगी आपके अतीत से जुडी है , निशा को तो आज मिल ही लिए आप. आपके माथे पर चिंता की लकीरों को पढ़ लिया था मैंने. निशा से ब्याह करना है मुझे . डाकन को अपनी दुल्हन बनाना है मुझे.
“ये कभी नहीं हो पायेगा छोटे ” भैया ने टूटी सी साँस में कहा.