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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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कहानी अपने अंत पर पहुंचने वाली है फिर भी suspence कम नहीं हुआ. बहुत से सवाल अभी भी सिर उठाए खड़े हैं यह सिर्फ और सिर्फ फौजी भाई ही कर सकते हैं :applause:
Thanks for support bhai
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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निशा का क्या अतीत है और भैया के मना करने का क्या कारण है ये अभी तक पता नहीं चला है शायद जिसकी कीमत मौत हो सकती है
कबीर का अंदाजा सही था की ये सब कुछ सोने के लालच की वजह से हुआ है पैसा और लालच बहुत बुरी बला है ये भाई भाई के बीच दोस्त दोस्त के बीच परिवार के बीच दरार डाल देता है जिसका हर्जाने में बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है जो इस कहानी में चुकानी पड़ रही हैं
त्रिदेव कि कहानी के पात्र अभिमानू परकाश और महावीर है चाचा और राय साहब तो पूरे अय्याश थे और उन्होंने रमा के पति को भी मार दिया
लालच और हवस यही सार है अब तक का
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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फौजी भाई जी अत चाहे खून से लिखा या दूध से या फिर लंड की सफेद स्याही से बस निशा को बेवफ़ा मत दिखाना इसे प्यार भरी इल्तेज़ा या फिर वार्निंग ही समझ लो
नियति ने ना जाने क्या लिखा है निशा के भाग्य मे
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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कबीर मंगु मादर चोद को पहले ही ठोक देता उसी रात जब निशा भी साथ थी तो आज ये नौबत नहीं आती की वो कबीर को आंखें दिखा रहा है
फिर आजमाइश कब होगी
 

brego4

Well-Known Member
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HalfbludPrince brego4 आप दोनों बहुत ही महत्वपूर्ण रोचक समझदारों मे सर्वोत्तम xforum.live के सदस्य हैं... 😍
ये फोरम मतलब नेट पर सभी तरह के पाठक मिलते हैं व भारत एक लोकतांत्रिक व्यवस्था है हम सबके अपने अपने उचित अनुचित विचार होते हैं कुछ सज्जनता से कुछ अपनी अकर्मण्यता से अनुचित (परंतु ये उनके लिए सही होता है) प्रतिक्रियाएं देते हैं..
फोरम को छोड़ना कोई हल नहीं है..
100% मे से अगर एक दो % आपको पसंद नहीं करते हैं तो क्या आप हम प्रशंसकों पाठकों को किस किस्म की सजा सुनाई या देने जा रहे हैं..
हमे भी कितनी विषय वस्तु को नजरअंदाज करना पड़ता है व आगे बढ़ जाते हैं..
हमे पूरी उम्मीद है कि आप यहां बने रहे व पूर्ण मनोरंजन करते रहे व अपने पाठकों को आनंदोत्सव मिल कर मनाते रहे..
ये हक़ तो हम आप पर मानते हैं.. 😍
लव यू..

arey bhai purane sathiyon ko chod kar jana bhi kahan hai bas chote mote taqrara hote rahte hain
 

brego4

Well-Known Member
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आपने हमेशा मुझ पर विश्वास किया मुझे आगे लिखने को प्रेरित किया जब कोई नहीं पढ़ता था मुझे वो आप ही तो थे जो हमेशा साथ रहे. ये आपका ही तो विश्वास था जिसने मुझे गुजारिश के बाद ये कहानी लिखने का हौंसला दिया. मेरी किसी भी बात से आपके मन को ठेस पहुंची तो मैं क्षमाप्रार्थी हूं. यदि आप कहानी छोड़कर जाएंगे तो उसी पल मैं भी इस फोरम को छोड़ दूँगा आपके बिना क्या ही रहेगा

bro aap ki stories ki wajah se bahut se readers yahan regular hain the credit goes to you n you alone
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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सब पर शक करो भाई सब के चेहरे पर नकाब है
मुझे कुछ दिलवाले की फीलिंग आ रही है
 

brego4

Well-Known Member
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#130

मैं बहुत कुछ जान गया था , पानी में पड़ा सोना किसका था , वो चुदाई की किताबे जाहिर था की सहर से महावीर लाया था पर अभी भी बहुत कुछ जानना बाकि था यदि महावीर ठाकुर को अंजू ने मार दिया था तो फिर कविता , कविता किससे मिलने जाती थी जंगल में. मान लिया की कविता भी महावीर से चुदती होगी पर जब महावीर मर ही गया था तो वो किससे मिलने गयी थी . और सबसे महत्वपूर्ण सवाल रमा या कविता ने कमरे में रखे बैग से सोना क्यों नहीं चुराया. कविता के कमरे से नोटों की गद्दिया और जेवर जरुर मिले थे जो महावीर ने ही उसे दिए होंगे या फिर राय साहब ने ये जानना बहुत जरुरी था.



भैया की पीठ पर वो निशान तभी बने होंगे जब वो भाभी को सँभालते होंगे. इस कहानी का अब तक का सार लालच और चुदाई, ही था पर मैंने मोहब्बत की थी . मुझे थामना था उस डोर को जो इस झमेले में हाथो से फिसल रही थी . और मंगू का भी तो देखना था उस चूतिये के मन में क्या चल रहा था , अपनी ही बहन को रगड रहा था , राय साहब से चुदवा रहा था .



त्रिदेव की कहानी जानकार मैं और परेशां हो गया था .अभिमानु भैया सर पर खड़े तूफान को नहीं भांप पाए थे पर मैंने जान लिया था की जब ये तूफ़ान वापिस लौटेगा तो सब तबाह कर देगा. घर आने पर मैंने देखा की अंजू छत पर है तो मैं उसके पास चला गया .

अंजू- कहा थे तुम

मैं- त्रिदेव की कहानी सुन रहा था .

मैंने अपने गले से लाकेट उतारा और अंजू के हाथ में रख दिया .

मैं-नहीं रख पाऊंगा इसे.

अंजू- दुनिया का सबसे बड़ा बोझ रिश्तो का होता है कबीर, उन रिश्तो का जो हमसे जुड़े है . बेशक हमारे पास चॉइस होती है की हम जब चाहे उन रिश्तो की डोर को तोड़ कर खुद को मुक्त कर सकते है पर वो रिश्ते हमें नहीं छोड़ते हमेशा हमारे साथ रहते है . ये लाकेट भी वैसा ही है .जानते हो इसे अपने सीने से क्यों लगाया मैंने , क्योंकि ये रिश्ते ही तो है , ये रिश्तो के बंधन जो हमें जोड़ते है . परिवार , हमारी सबसे बड़ी शक्ति परिवार होता है . उस शाम अगर मैंने, नंदिनी और अभिमानु ने वो राज नहीं दबाया होता तो ये परिवार कभी का बिखर गया होता. हमें हर पल ये मालूम था की इसके क्या परिणाम होंगे .

किसी की जान लेना , इस से घ्रणित और क्या होगा . मैं आज भी जरा सी आहट पर जाग जाती हूँ , दुनिया मुझे पागल समझती है पर मैं क्या हूँ , क्या खोया है मैंने ये बस मैं ही जानती हूँ . वक्त के साथ हमने भी अपने अपने भरम पाले हुए है , जंगल में भटकते है झूठी आस लिए की न जाने कहा से महावीर आकर सामने खड़ा हो जायेगा. बहुत मुश्किल होता है अपने परिवार की गलतियों को छिपाना.महावीर कभी समझ ही नै पाया की उसकी असली शक्ति अपनों का साथ है , वो मुर्ख तो अपनों का ही सौदा करने चला था .क्या एक लड़की, औरत के जिस्म का मोल बस इतना ही है की कोई भी उसे अपने तले रौंद दे, क्या औरत गुलाम है पुरुषो की .

मेरे पास अंजू की किसी भी बात का कोई जवाब नहीं था .

मैं- अगर आप को ये मालूम होता की महावीर ही आदमखोर है तो क्या आप उसे मारती.

अंजू- उसके पापो का घड़ा भर गया था उसे मरना ही था मैं नहीं तो कोई और मार देता. दुःख बस ये है की जिन हालातो में ये हुआ वो हालात ठीक नहीं थे, उसे ना मारती तो नंदिनी और अभिमानु को खोना पड़ता .

अंजू ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और बोली- चांदी तुम्हारे जज्बातों को काबू में रखेगी. मन विचलित नहीं होगा तुम्हारा.

अंजू ने वापिस से लाकेट मुझे दे दिया न जाने कैसे वो जान गयी थी मेरा राज भी .

अंजू- मैं कल लौट जाउंगी शहर वापिस

मैं- थोड़े दिन रुक जाओ.मैं निशा को ले आऊ उसके बाद. बल्कि ये घर तुम्हारा ही तो है तुम्हे कही नहीं जाना .

अंजू- निशा का हाथ थामने की कीमत चुकानी पड़ेगी कबीर, एक बार फिर सोच लो

मैं- उस से प्रेम सोच कर नहीं किया था मैंने, और फिर मोल भाव का सोचा तो क्या ख़ाक मोहब्बत की मैंने

अंजू- आशिकी इम्तिहान लेती है

मैं- देख लूँगा.

अंजू- तुम अकेले नहीं हम सब ही देखेंगे फिर तो

अंजू ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और निचे चली गयी . मेरी नजर सामने चोबारे में लगी भैया-भाभी की तस्वीर पर पड़ी. मैं मुस्कुरा पड़ा दुनिया की सबसे खूबसूरत जोड़ी को देख रहा था मैं. तभी मुझे निशा का ख्याल आया और दिल धडक उठा. अजीब सी बेताबी , सुरूर चढ़ने लगा मुझ पर . सोचने लगा न जाने कैसे लम्हे होंगे वो जब वो मेरे इतना करीब होगी , उस पर मेरा हक़ होगा. उसकी खनकती चुडिया जब मेरे कानो में गूंजेगी , उसकी लहराती जुल्फे मेरे सीने को छू जाएँगी . उसकी कमर में हाथ डाल कर जब उसे अपने आप से जोड़ लूँगा , उसकी गर्म सांसे मेरे लबो को अधीरता की तरफ ले जायेंगी.



“कबीर , क्या सोच रहे हो खड़े खड़े इधर आओ जरा ” भाभी की आवाज ने मुझे ख्यालो की दुनिया से बाहर ला पटका .

मैं-अ आया भाभी

भाभी- चंपा से मिल लो. थोड़ी बात चित कर लो . तुम्हारा साथ हौंसला देगा उसे .

मैं- जी , वैसे एक बात पूछनी थी आपसे

भाभी- जानती हूँ क्या पूछना चाहते हो तुम

मैं- तो फिर बताओ

भाभी- कविता की मौत का आरोप तुम पर इसलिए लगाया मैंने ताकि तुम सोचो उस चीज को , मैं परेशान थी की आखिर कौन था वो जो आदमखोर को दुबारा जिन्दा कर रहा था . कविता एक महत्वपूर्ण कड़ी थी .उसकी मौत सामान्य नाही थी किसी ने उसे मार डाला. सवाल ये था की क्यों इतने साल बाद क्यों . दूसरी तरफ तुम थे जो अतीत को उधेड़ रहे थे . मैं चाहती थी की तुम तलाश करो कविता के कातिल को तुम पता लगाओ की कौन था वो जिसने अतीत को दुबारा से जिन्दा किया. कौन था वो जो गड़े मुर्दे उखाड़ रहा था . तुमसे बेहतर कौन था मेरे पास जो ये काम करता . अपने से दूर किया मैंने तुम को ताकि तुम समझ सको जंगल को , कातिल को

मैं- पर मैं कविता के कातिल को तलाश नहीं कर पाया .

भाभी- उसे भी पकड़ लोगे. उसके आलावा भी तुमने बहुत कुछ पा लिया है जंगल में

मैं जानता था की भाभी किस बारे में बात कर रही थी .

super story of relationships in family n friends it has lust, sex, blood and trye romantic love too

amazing efforts bhai manish
 
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