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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#132

मेरी आँखों के सामने मंगू के साथ बिस्तर पर कोई और नहीं बल्कि सरला थी . वो सरला जिस पर भरोसा किया था मैंने. वैसे तो आदत सी हो चली थी अपर कभी सोचा नहीं था की सरला भी मुझे धोखा देने वालो की लिस्ट में खड़ी होगी बड़ी तल्लीनता से दोनों एक दुसरे की बाहों में खोये हुए थे . कायदे से मुझे इंतज़ार करना चाहिए था की दोनों क्या बाते करते है पर मेरे गुस्से का बाँध शायद टूट ही गया था . मैंने अपनी चमड़े की बेल्ट निकाली और सीधा सरला की पीठ पर मारी जो मंगू के ऊपर चढ़ कर चुद रही थी .

“आईईईईईई ” अचानक से पड़ी बेल्ट ने सरला के पुरे बदन में दर्द की लहर दौड़ा दी . सरला जो एक सेकंड पहले चुदाई का मजा ले रही थी अब दर्द से दोहरी हो गयी. पर मैं रुका नहीं . दना दन उसकी पीठ पर बेल्ट मारता ही रहा उसे सँभालने का जरा भी मौका नहीं दिया .

मुझे वहां देख कर दोनों की आँखे हैरत से फट ही गयी . मैंने अगला नम्बर मंगू का लगाया और ये भूलते हुए की वो मेरा दोस्त है उसे पीटना शुरू किया . पर मंगू ने पर्तिकार किया .

मंगू- बस कबीर बस बहुत हुआ .

मैं- अभी तो शुरू ही नहीं किया मैंने . तूने क्या सोचा मेरी पीठ पीछे तू जो गुल खिला रहा है मुझे तो मालूम ही नहीं होगा.

मंगू-तू यहाँ से जा कबीर

मैं- जाऊंगा पर पहले मुझे बता की ये सब क्या कर रहा है तू क्यों कर रहा है . अपनी ही बहन के मंडप को क्यों बर्बाद किया तूने.

मंगू- तुझे क्या लेना देना उस से

मैं- पूछता है मेरा क्या लेना देना . अगर मेरा नहीं तो किसका है . चंपा पर क्या बीतेगी जब उसे मालूम होगा की उसके ही भाई ने उसकी खुशियों में आग लगा दी. बात सिर्फ चंपा की ही नहीं शुरू से शुरू कर मंगू . कविता को क्यों मारा तूने, वैध को क्यों मारा तूने परकाश को क्यों मारा तूने . रोहताश को क्यों मारा तूने

मंगू- मेरे मन में आया मार दिया

मैं- कल को तेरे मन में आएगा की कबीर को मार दे तो क्या मार देगा .

मंगू- मार दूंगा

कितनी आसानी से उसने कह दी थी इए बात साले ने बरसो की दोस्ती की जरा भी परवाह नहीं की .

मंगू- तुझे किस बात की तकलीफ है कबीर, सरला को मैं नहीं चोद सकता क्या , ये तो ना इंसाफी हुई न साले तुम लोग पुरे गाँव की इज्जत से खिलवाड़ करते रहो , दुनिया तुम्हारी मर्जी से चलेगी क्या हमारी भी कोई जिन्दगी है के नहीं. मेरा गलत है इसे चोदना तो तेरा इसे चोदना सही कैसे हुआ.

मैं- मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूँ की मंडप क्यों उजाड़ा तूने

मंगू- क्योंकि मैं नहीं चाहता था की चंपा यहाँ से और कही जाये.

मैं- बहुत बढ़िया . मतलब सारी जिन्दगी तू ही रगड़ता रहे उसे .

मंगू- वो मेरा निजी मामला है

मैं- भोसड़ी के तेरे निजी मामले ने मेरी जिन्दगी की लेनी कर रखी है . कविता को क्यों मारा .

मंगू- वो बहन की लौड़ी किसी की भी सगी नहीं थी . मैं उस से प्यार करता था क्या नहीं किया मैंने उसके लिए पर साली बेवफा निकली , उस परकाश से भी गांड मरवा रही थी साली. परकाश इतना मादरचोद था की अगर तू उसके बारे में जानता तो तुझे भी साले से घिन्न हो जाती मुझसे पहले तू मार देता उस को.

मैं- ऐसा क्या किया था उसने .

मंगू- ये पूछ क्या नहीं किया था उसने. परकाश ने कविता को पटा लिया था जंगल में पेलता था उसको . एक दिन मैंने उन दोनों को देख लिया . चुदाई के बाद बाते कर रहे थे . मुझे मालूम हुआ की कविता का पति रोहतास उस पर दबाव बनाये हुए था उसे शहर ले जाने के लिए वो जाना नहीं चाहती थी , परकाश ने कहा की वो रोहतास का इलाज करवा देगा. याद है तुझे वो रात जब मैंने बहुत ज्यादा पि ली थी उस रात नशे में चूर मैं कुवे पर जा रहा था की मुझे मोड़ पर कविता और प्रकाश मिले. मेरा तो दिल ही जल गया . दोनों को साथ देख कर आगबबुला हो गया था मैं. मेरा और दिमाग ख़राब तब हो गया जब परकाश ने कविता से कहा की कबीर को कैसे भी करके अपने हुस्न के जाल में फंसा ले.कविता ने उसे बताया की उसी शाम कैसे उसने तुझे उलझा ही दिया था अपने जाल में .



मुझे याद आया की वैध के घर में कैसे लगभग उसने मेरा लंड चूस ही लिया था .

मंगू- मैंने उसको दिल से चाह था पर वो साली उसको मरना ही था .

मैं- चूतिये काश तू समझ पाता वो तेरा इस्तेमाल कर रही थी . रमा भी तेरा इस्तेमाल कर रही है और ये हरामजादी भी .

मंगू- अब फर्क नहीं पड़ता मुझे .

मैं- खेल तो बढ़िया खेला अब बता परकाश का नुम्बर कैसे लगाया तूने .

मगु- वो बहन का लंड भी साला पक्का हरामी था . उसने राय साहब की न जाने कौन सी नस दबा ली थी . रमा को भी तंग कर रहा था वो . पर जब उसने राय साहब से चंपा की मांग की तो वो अपनी औकात से जायदा आगे बढ़ गया था . मैंने और रमा ने मिल कर उसे मारने की योजना बनाई . रमा ने उसे चुदाई के बहाने बुलाया और मैंने उसे मार दिया.

मैं- क्या तू जानता था की परकाश अंजू से प्यार करता था

मंगू- किसी से प्यार नहीं करता था वो , उसे अंजू से किसी चीज की तलाश थी बस . उस को लगता था की अंजू सोने के बारे में जानती है पर चुतिया के बच्चे को कभी सोने के बारे में नहीं मालूम हो सका . जानता है क्यों , क्योंकि मैंने होने ही नहीं दिया. सो सोचता ही रह गया की सोना कहाँ होगा .

मैं- उसे कैसे पता चला की सोना है .

मंगू- राय साब का सारा हिसाब किताब वो और उसका बाप ही देखते थे किसी तरह से उसने मालूम कर लिया होगा.

मुझे मंगू की इस बात में दम नहीं लगा . प्रकाश की दिलचस्पी थी तो बस अपने हिस्से में . वसीयत का चौथा टुकड़ा. रमा को भी उसने राय साहब पर दबाव बनाने में इस्तेमाल किया था और रमा उसके तो कहने ही क्या , चाचा, महावीर, पिताजी और प्रकाश आखिर इनमे से किसके साथ थी वो शायद किसी के साथ भी नहीं.

मैं- चंपा के साथ क्यों सम्बन्ध बनाये तूने .

मंगू- वो कुतिया इसी लायक है , साली की गांड में हमेशा आग लगी रहती थी , जब तेरे बाप को दे सकती है वो तू मैं तो फिर भी उसका अपना हूँ मैंने भी ले ली.

मुझे भैया की याद आई कैसे महावीर ठाकुर ने कहा था की घर की औरतो पर सबसे पहला हक़ घर वालो का ही होता है .

मंगू- जानता है मैंने तुझे ये सब क्यों बता दिया.

मैं- मुझे नहीं बताएगा तो किसे बताएगा.

मंगू- तू सोच रहा होगा इस बारे में पर मैंने सोचा की मरने से पहले तुझे सच जानने का हक़ तो है ही . बरसो से तेरे बाप ने मेरी माँ को चोदा फिर चंपा पर हाथ डाला अब मेरी बारी है . राय साहब का पालतू बन कर मैंने इस सोने की खान का पता लगा लिया इस पर मैं कब्ज़ा करूँगा तुमको मारने के बाद ये सब कुछ मेरा हो जायेगा.

मैं तो ये है तेरी असलियत . साले तुझे अपने भाई जैसा समझा मैंने और तूने जिस थाली में खाया उसी में छेद किया.


मंगू- कोई अहसान नहीं किया तुमने, बरसो तक मेरे बाप ने फिर मैंने तुम्हारी चाकरी की है . पर अब नहीं करेंगे.
 
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ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
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Intzar hai manish bhai....
Mujhe hi nahi brego4 aur Studxyz ko bhi...
..... Muddaton se
Khel... Niyati ke is khel ke khatm hone ka nahi.. Aage badhne ka :D

Koi kahin nahin ja raha...
हमे भी अपने साथ ही माने.. 😍 💐 🌹
कोई कंही नहीं जा रहा है
..... 😍
 

Studxyz

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कबीर मंगु मादर चोद को पहले ही ठोक देता उसी रात जब निशा भी साथ थी तो आज ये नौबत नहीं आती की वो कबीर को आंखें दिखा रहा है
 

Sanju@

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#128

भैया- वो हुआ जो नहीं होना चाहिए था . पिताजी और चाचा में तल्खी इतनी बढ़ गयी थी की चाचा ने घर आना छोड़ दिया था . न जाने वो कहाँ गायब रहता . मैंने तहकीकात की मालूम हुआ की वो रमा के पास भी नहीं जाता उसने कविता से भी नाता तोड़ लिया था . कभी कभी वो कुवे पर आता. न जाने किस परेशानी में डूबा था वो . मेरे लिए बस ये ही एक समस्या नहीं थी ,एक और मुसीबत थी जो कैसे हल करनी है मैं बिलकुल नहीं जानता था वो मुसीबत थी महावीर .

मैं- कैसे भैया

भैया- वो पहले जैसा नहीं था वो अपने साथ ऐसी मुसीबत ले आया था जो सब कुछ तबाह करने वाली थी . महावीर ही वो आदमखोर था जिसके पंजो के निशान तुमने तालाब के छिपे कमरे में देखे थे . मेरा अजीज दोस्त अपने साथ एक ऐसा श्राप लेकर आया था . देहरादून के जंगलो में उसे न जाने किसने काटा . पर उसका असर बहुत हुआ महावीर पर. गाँव वालो पर इतनी दहशत कभी नहीं थी , हर कोई डरा हुआ था मैने और परकाश ने निर्णय लिया की उस आदमखोर को हम पकड़ कर रहेंगे ऐसे ही एक रात को मेरा सामना उस आदमखोर से इसी जंगल में हुआ मेरे सामने उसने एक हिरन मारा था पर मुझ पर हमला नहीं किया इस बात ने मूझे बहुत सोचने पर मजबूर कर दिया . जैसा तुमने नंदिनी के बारे में महसूस किया था ठीक वैसा ही .



धीरे धीरे उसने मुझसे मिलना छोड़ दिया. अकेला ही रहता वो पर दोस्ती ये ही तो होती है , एक शाम उसने मुझसे कहा की मैं उसे मार दू. ये सुन कर मैं हैरान रह गया . पूछा उस से की क्यों कहा उसने ऐसा तब उसने मुझे बताया की क्यों परेशान है वो . उस वक्त मेरा हाल भी ऐसा ही था जैसा तुम्हारा आजकल है . पर दोस्ती यही तो होती है की मुश्किल वक्त में अपने साथी को ना छोड़े . मैंने महावीर को पूरी जिम्मेदारी ली . वो खंडहर मुझे बहुत प्रिय था , उसकी ख़ामोशी मुझे सकून देती थी . मैं महावीर को चांदनी रात में वहां पर बंद कर देता था और सुबह ले आता था . सब ठीक होने लगा था ऐसा मैं सोचने लगा था .

मैं- फिर

भैया- पर इस जंगल में मेरी नजरो के सामने कुछ ऐसा भी हो रहा था जो नहीं होना चाहिए था या बदकिस्मती जिसे मैं देख नहीं पाया. महावीर ने रमा से नाता जोड़ लिया था न जाने कैसे. ये बात ज्यादा दिन छुप नहीं पायी और एक दिन चाचा ने महावीर को रमा के साथ देख लिया दोनों में लड़ाई हो गयी .चाचा ने महावीर को पीट दिया . पर उसके सीने में जो आग लगी उसने अपना काम बखूबी किया. रमा ने कुछ दिन बाद चाचा का साथ छोड़ दिया और महावीर के साथ मजे करने लगी. चाचा ने भी रमा को भुला दिया और कविता से नाता जोड़ लिया चूँकि रमा कविता की भी सहेली थी महावीर ने उसे भी अपने साथ जोड़ लिया. चाचा ये झटका सह नहीं पाया. दोनों में दुश्मनी हद से ज्यादा बढ़ने लगी थी .

काश ये सब मुझे पहले मालुम होता तो मैं संभाल लेता पर शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था .चाचा की परेशानी बढ़ रही थी चाचा एक रात मुझसे मिलने आया और बोला- अभी, महावीर का साथ छोड़ दे .

मैंने चाचा से पूछा की वो क्यों कह रहा है ऐसा चाचा ने मुझे कुछ नहीं बताया और वापिस मुड गया . पर तूफ़ान सर पर था और मैं हवाओ को नहीं भांप पा रहा था . महावीर ने काफी हद तक अपने आप पर काबू पाना सीख लिया था . मैं भी खुश था पर महावीर के मन में पाप ने घर कर लिया था . वो चाचा को ब्लेकमेल करने लगा.

ये मेरे लिए एक और झटका था .

मैं- कैसे और क्यों .

भैया- चाचा का सब कुछ एक झटके में महावीर ने हथिया लिया था . चाचा नफरत की आग में जल रहा था ऊपर से मेले में रुडा और चाचा की दंगल में लड़ाई हो गयी थी . चाचा ने ऐसा पाप किया जिसके लिए उसे मैं भी मार देता वो काम था अंजू का बलात्कार .रुडा से दुश्मनी के चलते चाचा ने मासूम अंजू को शिकार बना लिया. ये बात हमारी माँ को मालूम हो गयी थी , उन्होंने चाचा को खूब भला बुरा कहा और धमकी दी की पिताजी के सहर से आते ही वो उनको सब बता देंगी

चाचा ये हरगिज नहीं चाहता था क्योंकि जो भूल उस से हुई थी वो कोई नादानी नहीं थी जिसे माफ़ कर दिया जाये राय साहब अंजू को बेहद स्नेह करते थे . चाचा माँ के हाथ पाँव जोड़ने लगा पर माँ बहुत गुस्से में थी , उसी बीच चाचा का धक्का माँ को लग गया और वो सीढियों से गिर गयी , और ऐसी गिरी की फिर कभी उठ ही नहीं पायी .

महावीर सहर से अपने साथ एक कैमरा लाया था न जाने कैसे उसने इस घटना की फोटो खींच ली .



मेरी आँखों से आंसू बहने लगे,

मैं- माँ की हत्या चाचा ने की और आपने कुछ नहीं किया भैया

भैया- जब मुझे ये मालूम हुआ उस से पहले ही चाचा मर चूका था . महावीर का कैमरा नहीं मिलता मुझे तो मैं ये कभी नहीं जान पाता छोटे.

बहुत मुश्किल था जज्बातों को सँभाल कर रखना मैंने आंसुओ को बहने दिया इस दर्द का बह जाना ही ठीक था .

कुछ देर बाद भैया ने बोलना शुरू किया.

भैया-महावीर की रगों में हवस दौड़ने लगी थी . रमा और कविता के साथ जिस्मो के खेल में वो इतना मग्न था की उसने मुझसे भी नाता तोड़ लिया था , और जानता है उसने अपना ठिकाना कहाँ बनाया खंडहर के छिपे कमरे में . सहर से वो अपने साथ वो रंगीन किताबे लाया जो तूने देख ही ली होंगी वहां पर. खैर, एक रात फिर चाचा मुझसे मिलने आया और बोला- की महावीर उस से कुछ चाहता था .मैंने पूछा की क्या तो चाचा बोला की वो तेरी चाची के साथ सोना चाहता है . ये सुनकर मेरे कदमो तले से जमीन खिसक गयी मेरा इतना अजीज दोस्त जिसे भाई माना मैंने , जिसके राज को अपने सीने में दफन कर लिया वो मेरे घर की इज्जत से खेलना चाहता था . मुझे गुस्सा तो बहुत आया मैंने अगले दिन महावीर से मिलने का सोचा, चाचा ने बताया की उसने चाची की नहाती हुई नंगी तस्वीरे बना ली है और यदि चाचा ने उसकी बात नहीं मानी तो वो गाँव के घर घर में वो तस्वीरे फेंक देगा. ये बहुत बड़ी धमकी थी . मैंने महावीर से मिलने से पहले सोचा की चाचा और महावीर की खिंची हुई है क्या पता चाचा मुझे भड़का रहा हो महावीर के प्रति. मैंने सच का पता लगाने के लिए महावीर के ठिकाने की तलाशी ली तो मालुम हुआ की चाचा सही कह रहा था . चाची की तस्वीरों को मैंने जला दिया पर कुछ तस्वीरे वो भी मिली जिस से मुझे चाचा पर भी गुस्सा आया ये वो ही तस्वीरे थी जिनकी वजह से माहवीर चाचा पर दबाव बना रहा था . मैं बहुत गुस्से में भरा था , पर जब तक मैं चाचा के पास पंहुचा चाची ने मार दिया था उसे. मेरे लिए एक नयी मुसीबत और तैयार हो गयी थी .
इस कमरे में महावीर रहता था और यह बीमारी भी वही लाया था और गांव में उसने ही फैलाई थी भाभी भी उसी का शिकार हुई है चाचा तो ऑल राउंडर निकल ऐसा कोई भी काम नहीं छोड़ा जो उन्होंने नही किया और इन गलतियों की सजा उसे मौत मिली अभिमानु ने बताया की मां की मौत चाचा द्वारा धक्का लगा और सीढ़ी पर गिर कर मर गई मुझे लगता है धक्का जानबूझ कर दिया गया था ताकि उसका राज़ बना रहे क्योंकि चाचा अय्याशी का एक नमूना था जो उसके लिए कुछ भी कर सकता था जब उसने बेटी समान अंजू को नहीं छोड़ा तो उससे हम उम्मीद क्या कर सकते हैं
 

ASR

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Divine
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HalfbludPrince मुसाफिर सरला लगा भी था.. परंतु ये भी मन में था कि हो सकता है कि वो मंगू से सम्बंध बना कर जानकारी ले लेने की कोशिश कर रहीं हो..
मंगू तो अपने को सबसे ज्यादा क़ाबिल समझ ने लगा है..
अब वो कबीर की मारने की धमकी दे रहा है व उसे खत्म करने के लिए तत्पर है 😇😂
देखे कबीर क्या कर्ता है..
ये कहानी व प्रशंसकों की प्रतिक्रिया ये अब नहीं रुकेगी..
अगले घटनाक्रम के इंतजार में 😊 💕
 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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मंगू ये धोखा दे पाया है तो उसका इकलौता कारण कबीर खुद है, उसे बहुत पहले से मंगू की सच्चाई मालूम थी पर फिर भी मौके पर मौका दिया
ये काम कबीर को बहुत पहला करना चाहिए था इसे जी भर के पीट लेता तो कहानी थोड़ी सरल होती

खैर देखना है चंपा के पेट में बच्चा किसका था

और सरला मंगू का साथ कबीर से मिलने से पहले से दे रही थी या फिर मंगू ने उसे सोने का लालच दिया है

मुझे लगता है की कहानी अभिमानु की मौत के साथ खत्म होगी, त्रिदेव के 2 किरदार मर चुके है शायद अगले का no. लग जाए लेकिन बहुत अच्छा होगा अगर मैं गलत हो जाऊं

देखते है सरला और मंगू मरते है या फिर कबीर
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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मेरी आँखों के सामने मंगू के साथ बिस्तर पर कोई और नहीं बल्कि सरला थी . वो सरला जिस पर भरोसा किया था मैंने. वैसे तो आदत सी हो चली थी अपर कभी सोचा नहीं था की सरला भी मुझे धोखा देने वालो की लिस्ट में खड़ी होगी बड़ी तल्लीनता से दोनों एक दुसरे की बाहों में खोये हुए थे . कायदे से मुझे इंतज़ार करना चाहिए था की दोनों क्या बाते करते है पर मेरे गुस्से का बाँध शायद टूट ही गया था . मैंने अपनी चमड़े की बेल्ट निकाली और सीधा सरला की पीठ पर मारी जो मंगू के ऊपर चढ़ कर चुद रही थी .

“आईईईईईई ” अचानक से पड़ी बेल्ट ने सरला के पुरे बदन में दर्द की लहर दौड़ा दी . सरला जो एक सेकंड पहले चुदाई का मजा ले रही थी अब दर्द से दोहरी हो गयी. पर मैं रुका नहीं . दना दन उसकी पीठ पर बेल्ट मारता ही रहा उसे सँभालने का जरा भी मौका नहीं दिया .

मुझे वहां देख कर दोनों की आँखे हैरत से फट ही गयी . मैंने अगला नम्बर मंगू का लगाया और ये भूलते हुए की वो मेरा दोस्त है उसे पीटना शुरू किया . पर मंगू ने पर्तिकार किया .

मंगू- बस कबीर बस बहुत हुआ .

मैं- अभी तो शुरू ही नहीं किया मैंने . तूने क्या सोचा मेरी पीठ पीछे तू जो गुल खिला रहा है मुझे तो मालूम ही नहीं होगा.

मंगू-तू यहाँ से जा कबीर

मैं- जाऊंगा पर पहले मुझे बता की ये सब क्या कर रहा है तू क्यों कर रहा है . अपनी ही बहन के मंडप को क्यों बर्बाद किया तूने.

मंगू- तुझे क्या लेना देना उस से

मैं- पूछता है मेरा क्या लेना देना . अगर मेरा नहीं तो किसका है . चंपा पर क्या बीतेगी जब उसे मालूम होगा की उसके ही भाई ने उसकी खुशियों में आग लगा दी. बात सिर्फ चंपा की ही नहीं शुरू से शुरू कर मंगू . कविता को क्यों मारा तूने, वैध को क्यों मारा तूने परकाश को क्यों मारा तूने . रोहताश को क्यों मारा तूने

मंगू- मेरे मन में आया मार दिया

मैं- कल को तेरे मन में आएगा की कबीर को मार दे तो क्या मार देगा .

मंगू- मार दूंगा

कितनी आसानी से उसने कह दी थी इए बात साले ने बरसो की दोस्ती की जरा भी परवाह नहीं की .

मंगू- तुझे किस बात की तकलीफ है कबीर, सरला को मैं नहीं चोद सकता क्या , ये तो ना इंसाफी हुई न साले तुम लोग पुरे गाँव की इज्जत से खिलवाड़ करते रहो , दुनिया तुम्हारी मर्जी से चलेगी क्या हमारी भी कोई जिन्दगी है के नहीं. मेरा गलत है इसे चोदना तो तेरा इसे चोदना सही कैसे हुआ.

मैं- मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूँ की मंडप क्यों उजाड़ा तूने

मंगू- क्योंकि मैं नहीं चाहता था की चंपा यहाँ से और कही जाये.

मैं- बहुत बढ़िया . मतलब सारी जिन्दगी तू ही रगड़ता रहे उसे .

मंगू- वो मेरा निजी मामला है

मैं- भोसड़ी के तेरे निजी मामले ने मेरी जिन्दगी की लेनी कर रखी है . कविता को क्यों मारा .

मंगू- वो बहन की लौड़ी किसी की भी सगी नहीं थी . मैं उस से प्यार करता था क्या नहीं किया मैंने उसके लिए पर साली बेवफा निकली , उस परकाश से भी गांड मरवा रही थी साली. परकाश इतना मादरचोद था की अगर तू उसके बारे में जानता तो तुझे भी साले से घिन्न हो जाती मुझसे पहले तू मार देता उस को.

मैं- ऐसा क्या किया था उसने .

मंगू- ये पूछ क्या नहीं किया था उसने. परकाश ने कविता को पटा लिया था जंगल में पेलता था उसको . एक दिन मैंने उन दोनों को देख लिया . चुदाई के बाद बाते कर रहे थे . मुझे मालूम हुआ की कविता का पति रोहतास उस पर दबाव बनाये हुए था उसे शहर ले जाने के लिए वो जाना नहीं चाहती थी , परकाश ने कहा की वो रोहतास का इलाज करवा देगा. याद है तुझे वो रात जब मैंने बहुत ज्यादा पि ली थी उस रात नशे में चूर मैं कुवे पर जा रहा था की मुझे मोड़ पर कविता और प्रकाश मिले. मेरा तो दिल ही जल गया . दोनों को साथ देख कर आगबबुला हो गया था मैं. मेरा और दिमाग ख़राब तब हो गया जब परकाश ने कविता से कहा की कबीर को कैसे भी करके अपने हुस्न के जाल में फंसा ले.कविता ने उसे बताया की उसी शाम कैसे उसने तुझे उलझा ही दिया था अपने जाल में .



मुझे याद आया की वैध के घर में कैसे लगभग उसने मेरा लंड चूस ही लिया था .

मंगू- मैंने उसको दिल से चाह था पर वो साली उसको मरना ही था .

मैं- चूतिये काश तू समझ पाता वो तेरा इस्तेमाल कर रही थी . रमा भी तेरा इस्तेमाल कर रही है और ये हरामजादी भी .

मंगू- अब फर्क नहीं पड़ता मुझे .

मैं- खेल तो बढ़िया खेला अब बता परकाश का नुम्बर कैसे लगाया तूने .

मगु- वो बहन का लंड भी साला पक्का हरामी था . उसने राय साहब की न जाने कौन सी नस दबा ली थी . रमा को भी तंग कर रहा था वो . पर जब उसने राय साहब से चंपा की मांग की तो वो अपनी औकात से जायदा आगे बढ़ गया था . मैंने और रमा ने मिल कर उसे मारने की योजना बनाई . रमा ने उसे चुदाई के बहाने बुलाया और मैंने उसे मार दिया.

मैं- क्या तू जानता था की परकाश अंजू से प्यार करता था

मंगू- किसी से प्यार नहीं करता था वो , उसे अंजू से किसी चीज की तलाश थी बस . उस को लगता था की अंजू सोने के बारे में जानती है पर चुतिया के बच्चे को कभी सोने के बारे में नहीं मालूम हो सका . जानता है क्यों , क्योंकि मैंने होने ही नहीं दिया. सो सोचता ही रह गया की सोना कहाँ होगा .

मैं- उसे कैसे पता चला की सोना है .

मंगू- राय साब का सारा हिसाब किताब वो और उसका बाप ही देखते थे किसी तरह से उसने मालूम कर लिया होगा.

मुझे मंगू की इस बात में दम नहीं लगा . प्रकाश की दिलचस्पी थी तो बस अपने हिस्से में . वसीयत का चौथा टुकड़ा. रमा को भी उसने राय साहब पर दबाव बनाने में इस्तेमाल किया था और रमा उसके तो कहने ही क्या , चाचा, महावीर, पिताजी और प्रकाश आखिर इनमे से किसके साथ थी वो शायद किसी के साथ भी नहीं.

मैं- चंपा के साथ क्यों सम्बन्ध बनाये तूने .

मंगू- वो कुतिया इसी लायक है , साली की गांड में हमेशा आग लगी रहती थी , जब तेरे बाप को दे सकती है वो तू मैं तो फिर भी उसका अपना हूँ मैंने भी ले ली.

मुझे भैया की याद आई कैसे महावीर ठाकुर ने कहा था की घर की औरतो पर सबसे पहला हक़ घर वालो का ही होता है .

मंगू- जानता है मैंने तुझे ये सब क्यों बता दिया.

मैं- मुझे नहीं बताएगा तो किसे बताएगा.

मंगू- तू सोच रहा होगा इस बारे में पर मैंने सोचा की मरने से पहले तुझे सच जानने का हक़ तो है ही . बरसो से तेरे बाप ने मेरी माँ को चोदा फिर चंपा पर हाथ डाला अब मेरी बारी है . राय साहब का पालतू बन कर मैंने इस सोने की खान का पता लगा लिया इस पर मैं कब्ज़ा करूँगा तुमको मारने के बाद ये सब कुछ मेरा हो जायेगा.

मैं तो ये है तेरी असलियत . साले तुझे अपने भाई जैसा समझा मैंने और तूने जिस थाली में खाया उसी में छेद किया.


मंगू- कोई अहसान नहीं किया तुमने, बरसो तक मेरे बाप ने फिर मैंने तुम्हारी चाकरी की है . पर अब नहीं करेंगे.
अभी भी कुछ छुपा है...
 

Studxyz

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मंगू को चाहे लाख गाली दो लेकिन कबीर से ज्यादा चुतेँ मार चुका है कबीर तो बेचारा अतीत ही खोजता रह गया वरना रमा और अंजु तो चुद ही जाती

हरामी चोदू मंगु ने इतने राज़ खोले पर इन सब में महा चोदू राये साब कहाँ तक शामिल है या फिर रमा, सरला मंगु हरामखोर से मिल गयी
 
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Studxyz

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भाई फोजी जी क्या कहानी लिखे हो की राज खुलने के बाद भी नए सवाल पैदा हो रहे हैं अब तो पूछने में भी शर्म सी आ रही है :vhappy1:
 
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