• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,760
54,242
259
सब प्यार की महिमा है,
हजम होने में टाइम लगेगा..
असल प्यार तो अभी दिखना बाकी है..
निशा और कबीर ~ क्या दोनों 1 हो पाएंगे ?
बिलकुल 1 होंगे चंद्र-प्रकाश जी, ओर बाद मे 3 भी होंगे, भोजी भाई साहब पर भरोसा है हमें। ।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
18,984
38,883
259
सच कहूँ तो मैं नहीं जानता ये कब खत्म होगी
हर कहानी अपना भाग्य खुद लिखती है. मेरी तमाम कोशिशें नाकाम हो रही है हर अपडेट के बाद और आगे बढ़ रही है ये. राय सहाब को रोकना जरूरी था ताकि भविष्य मे उनके रोल को उभारा जा सके
भाग्य भरोसे छोड़ दीजिए इसको, खुद से कभी मत बोलो कि खत्म कर लूंगा।

इस नश्वर संसार में सब खत्म होता है एक दिन
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,760
54,242
259
#131

राय साहब अभी तक नहीं लौटे थे, हमले की रात से ही वो गायब थे. इतना बड़ा काण्ड होने के बाद भी वो कैसे अनजान बने रह सकते थे. मुझे भी लगने लगा था की कहीं ये बाप की ही तो साजिश नही. पर किसलिए , मेरे पास वक्त बहुत कम था . निशा को इस घर में लाने से पहले मैं इस तमाम चुतियापे से छुटकारा पा लेना चाहता था ताकि आगे की जिन्दगी आराम से जी सकू मैं. सवालो का अम्बार लगा था मेरे मन के अन्दर .



महावीर ने सोना चुराया था , जिसका आरोप पिताजी ने चाचा पर लगाया था . अथाह सोना था धरती के सीने में थोडा बहुत अगर गायब हुआ भी तो क्या ही फर्क पड़ना था . अंदेशा था की या तो पिताजी को महावीर की कारस्तानी मालूम थी या फिर पिताजी ने ही कोई ऐसा खेल खेला था जिससे की महावीर और चाचा उलझ गए थे , जिस तरह से रमा आजतक पिताजी के साथ थी और पहले बी पिताजी और चाचा के बीच झगडे की वजह रमा बनी थी तो क्या ऐसा नहीं हो सकता था की महावीर को इस्तेमाल किया गया हो.



पिताजी के कमरे से मिली चुडिया , वैसी ही चुडिया कविता के कमरे से मिलना कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता था. कुछ तो ऐसा था जिसे समझ नही पा रहा था मैं. लगने लगा था की पिताजी ने कोई चक्रव्यूह रचा है हम लोग जिसके मोहरे मात्र है . कठपुतिलियो को अपने इशारे पर नचा रहे हो जैसे वो. मैंने एक नजर ढलती शाम को देखा और सोचा क्या ये बदलता मौसम किस्मत भी बदल पायेगा क्या



चूत का चक्कर , इन्सान कितना भी शातिर क्यों न हो इस चक्कर में जो उलझा फिर पार नहीं पा पाया. जवानी के जोश से भरे महावीर को अपने हुस्न के जाल में फ़साना रमा के लिए भला कितना मुश्किल रहा होगा. और जो एक बार इस चक्कर में पड़े फिर उसके लिए क्या रिश्ता क्या नाता. उदाहरण मैं खुद था कितनी आसानी से मैं चाची को चोद गया था और फिर सरला से भी सम्बन्ध बना गया था. मुझमे और महावीर में देखा जाये तो ज्यादा फर्क नहीं था . मैं चाची के पास गया और बोला- सर बहुत दुःख रहा है बाम लगा दो

चाची ने बाम लगाना शुरू किया .

मैं- एक बात पुछू

चाची- हाँ

मैं- तू चाहती तो तू रमा को भी मार सकती थी उसने तेरा पति तुझसे छिना था पर ऐसा नहीं किया क्यों

चाची- कितनी रमा को मारती मैं , छोटे ठाकुर ने गाँव की किसी ही औरत को छोड़ा होगा . मैं किस किस से लडती . उन दिनों घर का माहौल बहुत तनाव से भरा था . राय साहब ने पूरा जोर लगाया हुआ था अपने भाई की तलाश करने को . मैंने छोटे ठाकुर को मार तो दिया था पर जानती थी की ये राज छुप नहीं पायेगा. अभिमानु अगर हर कदम मेरे साथ नहीं खड़ा होता तो टूट कर बिखर चुकी होती मैं.



चाची का कहना सही था . किस किस से लडती वो जब कमी खुद उसके पति की थी . न जाने क्यों मुझे लग रहा था की कुछ तो छूट रहा है मुझसे एक बार फिर से मैंने चीजो को जोड़ना शुरू किया. महावीर के मरने के बाद आदमखोर का हव्वा फैलाना , इसका क्या कारन हो सकता था . माना की राय साहब हरगिज नहीं चाहते थे की सोने की खदान का राज किसी को भी मालूम हो पर वो तो पहले ही छिपी हुई थी न . छिपी हुई चीज को छिपाने की भला क्या जरुरत आन पड़ी थी .



दूसरी सम्भावना ये थी की मंगू जो नकली आदमखोर बन कर घूम रहा था उसकी जानकारी राय साहब को मालूम ही न हो , राय साहब का भी चुतिया काटा जा रहा हो. मंगू गायब था और यदि मेरा अनुमान सही था तो मैं जानता था की वो मुझे कहाँ मिलेगा. रात के अँधेरे को चीरते हुए मैं दबे पाँव चले जा रहा था खदान के उस हिस्से की तरफ जहाँ पर मुझे वो नंगी तस्वीरे पड़ी मिली थी .


अँधेरे में चलते चलते मुझे कोफ़्त होने लगी थी पर दूर जलती मशाल की रौशनी बता रही थी की खान में कोई तो है जरुर. और जब मैं वहां पर पहुंचा तो मैंने जो देखा , ऐसा लगा की फिर से किस्मत ने मुझे छल लिया हो . बिस्तर पर मंगू अकेला नहीं था , उसके साथ ...... उसके साथ कोई और भी थी और वो की और जो थी मैंने सोचा नहीं था की उस से इस हालात में मुलाकात होगी.
क्या बात है फोजी भाई इस भोसडी के मँगु की गांड जब तक तोडी नहीं जाएगी तब तक कहानी सुलझेगी नहीं, अब ये भी सर दर्द हो गया कि उनके साथ कोन थी?
धाँसू अपडेट दिया है आपने भाई साहब।
💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,760
54,242
259
शब्दों के मायाजाल को समझिए...

कौन सा किरदार कबीर की नजर से ओझल हुआ है काफी समय से 🥰🥰
सरला
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,459
8,074
158
#130

मैं बहुत कुछ जान गया था , पानी में पड़ा सोना किसका था , वो चुदाई की किताबे जाहिर था की सहर से महावीर लाया था पर अभी भी बहुत कुछ जानना बाकि था यदि महावीर ठाकुर को अंजू ने मार दिया था तो फिर कविता , कविता किससे मिलने जाती थी जंगल में. मान लिया की कविता भी महावीर से चुदती होगी पर जब महावीर मर ही गया था तो वो किससे मिलने गयी थी . और सबसे महत्वपूर्ण सवाल रमा या कविता ने कमरे में रखे बैग से सोना क्यों नहीं चुराया. कविता के कमरे से नोटों की गद्दिया और जेवर जरुर मिले थे जो महावीर ने ही उसे दिए होंगे या फिर राय साहब ने ये जानना बहुत जरुरी था.



भैया की पीठ पर वो निशान तभी बने होंगे जब वो भाभी को सँभालते होंगे. इस कहानी का अब तक का सार लालच और चुदाई, ही था पर मैंने मोहब्बत की थी . मुझे थामना था उस डोर को जो इस झमेले में हाथो से फिसल रही थी . और मंगू का भी तो देखना था उस चूतिये के मन में क्या चल रहा था , अपनी ही बहन को रगड रहा था , राय साहब से चुदवा रहा था .



त्रिदेव की कहानी जानकार मैं और परेशां हो गया था .अभिमानु भैया सर पर खड़े तूफान को नहीं भांप पाए थे पर मैंने जान लिया था की जब ये तूफ़ान वापिस लौटेगा तो सब तबाह कर देगा. घर आने पर मैंने देखा की अंजू छत पर है तो मैं उसके पास चला गया .

अंजू- कहा थे तुम

मैं- त्रिदेव की कहानी सुन रहा था .

मैंने अपने गले से लाकेट उतारा और अंजू के हाथ में रख दिया .

मैं-नहीं रख पाऊंगा इसे.

अंजू- दुनिया का सबसे बड़ा बोझ रिश्तो का होता है कबीर, उन रिश्तो का जो हमसे जुड़े है . बेशक हमारे पास चॉइस होती है की हम जब चाहे उन रिश्तो की डोर को तोड़ कर खुद को मुक्त कर सकते है पर वो रिश्ते हमें नहीं छोड़ते हमेशा हमारे साथ रहते है . ये लाकेट भी वैसा ही है .जानते हो इसे अपने सीने से क्यों लगाया मैंने , क्योंकि ये रिश्ते ही तो है , ये रिश्तो के बंधन जो हमें जोड़ते है . परिवार , हमारी सबसे बड़ी शक्ति परिवार होता है . उस शाम अगर मैंने, नंदिनी और अभिमानु ने वो राज नहीं दबाया होता तो ये परिवार कभी का बिखर गया होता. हमें हर पल ये मालूम था की इसके क्या परिणाम होंगे .

किसी की जान लेना , इस से घ्रणित और क्या होगा . मैं आज भी जरा सी आहट पर जाग जाती हूँ , दुनिया मुझे पागल समझती है पर मैं क्या हूँ , क्या खोया है मैंने ये बस मैं ही जानती हूँ . वक्त के साथ हमने भी अपने अपने भरम पाले हुए है , जंगल में भटकते है झूठी आस लिए की न जाने कहा से महावीर आकर सामने खड़ा हो जायेगा. बहुत मुश्किल होता है अपने परिवार की गलतियों को छिपाना.महावीर कभी समझ ही नै पाया की उसकी असली शक्ति अपनों का साथ है , वो मुर्ख तो अपनों का ही सौदा करने चला था .क्या एक लड़की, औरत के जिस्म का मोल बस इतना ही है की कोई भी उसे अपने तले रौंद दे, क्या औरत गुलाम है पुरुषो की .

मेरे पास अंजू की किसी भी बात का कोई जवाब नहीं था .

मैं- अगर आप को ये मालूम होता की महावीर ही आदमखोर है तो क्या आप उसे मारती.

अंजू- उसके पापो का घड़ा भर गया था उसे मरना ही था मैं नहीं तो कोई और मार देता. दुःख बस ये है की जिन हालातो में ये हुआ वो हालात ठीक नहीं थे, उसे ना मारती तो नंदिनी और अभिमानु को खोना पड़ता .

अंजू ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और बोली- चांदी तुम्हारे जज्बातों को काबू में रखेगी. मन विचलित नहीं होगा तुम्हारा.

अंजू ने वापिस से लाकेट मुझे दे दिया न जाने कैसे वो जान गयी थी मेरा राज भी .

अंजू- मैं कल लौट जाउंगी शहर वापिस

मैं- थोड़े दिन रुक जाओ.मैं निशा को ले आऊ उसके बाद. बल्कि ये घर तुम्हारा ही तो है तुम्हे कही नहीं जाना .

अंजू- निशा का हाथ थामने की कीमत चुकानी पड़ेगी कबीर, एक बार फिर सोच लो

मैं- उस से प्रेम सोच कर नहीं किया था मैंने, और फिर मोल भाव का सोचा तो क्या ख़ाक मोहब्बत की मैंने

अंजू- आशिकी इम्तिहान लेती है

मैं- देख लूँगा.

अंजू- तुम अकेले नहीं हम सब ही देखेंगे फिर तो

अंजू ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और निचे चली गयी . मेरी नजर सामने चोबारे में लगी भैया-भाभी की तस्वीर पर पड़ी. मैं मुस्कुरा पड़ा दुनिया की सबसे खूबसूरत जोड़ी को देख रहा था मैं. तभी मुझे निशा का ख्याल आया और दिल धडक उठा. अजीब सी बेताबी , सुरूर चढ़ने लगा मुझ पर . सोचने लगा न जाने कैसे लम्हे होंगे वो जब वो मेरे इतना करीब होगी , उस पर मेरा हक़ होगा. उसकी खनकती चुडिया जब मेरे कानो में गूंजेगी , उसकी लहराती जुल्फे मेरे सीने को छू जाएँगी . उसकी कमर में हाथ डाल कर जब उसे अपने आप से जोड़ लूँगा , उसकी गर्म सांसे मेरे लबो को अधीरता की तरफ ले जायेंगी.



“कबीर , क्या सोच रहे हो खड़े खड़े इधर आओ जरा ” भाभी की आवाज ने मुझे ख्यालो की दुनिया से बाहर ला पटका .

मैं-अ आया भाभी

भाभी- चंपा से मिल लो. थोड़ी बात चित कर लो . तुम्हारा साथ हौंसला देगा उसे .

मैं- जी , वैसे एक बात पूछनी थी आपसे

भाभी- जानती हूँ क्या पूछना चाहते हो तुम

मैं- तो फिर बताओ

भाभी- कविता की मौत का आरोप तुम पर इसलिए लगाया मैंने ताकि तुम सोचो उस चीज को , मैं परेशान थी की आखिर कौन था वो जो आदमखोर को दुबारा जिन्दा कर रहा था . कविता एक महत्वपूर्ण कड़ी थी .उसकी मौत सामान्य नाही थी किसी ने उसे मार डाला. सवाल ये था की क्यों इतने साल बाद क्यों . दूसरी तरफ तुम थे जो अतीत को उधेड़ रहे थे . मैं चाहती थी की तुम तलाश करो कविता के कातिल को तुम पता लगाओ की कौन था वो जिसने अतीत को दुबारा से जिन्दा किया. कौन था वो जो गड़े मुर्दे उखाड़ रहा था . तुमसे बेहतर कौन था मेरे पास जो ये काम करता . अपने से दूर किया मैंने तुम को ताकि तुम समझ सको जंगल को , कातिल को

मैं- पर मैं कविता के कातिल को तलाश नहीं कर पाया .

भाभी- उसे भी पकड़ लोगे. उसके आलावा भी तुमने बहुत कुछ पा लिया है जंगल में

मैं जानता था की भाभी किस बारे में बात कर रही थी .
Bhut hi shandaar update..... anju ne ache se samjhaya hai kabir ko....



Aur bhabhi ne Phir 1 Baat bomb phod diya .....



Ab kavita ko Kisne mara....


Kon h jo aadamkhor ki jinda kar rha hai...????.
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,459
8,074
158
#131

राय साहब अभी तक नहीं लौटे थे, हमले की रात से ही वो गायब थे. इतना बड़ा काण्ड होने के बाद भी वो कैसे अनजान बने रह सकते थे. मुझे भी लगने लगा था की कहीं ये बाप की ही तो साजिश नही. पर किसलिए , मेरे पास वक्त बहुत कम था . निशा को इस घर में लाने से पहले मैं इस तमाम चुतियापे से छुटकारा पा लेना चाहता था ताकि आगे की जिन्दगी आराम से जी सकू मैं. सवालो का अम्बार लगा था मेरे मन के अन्दर .



महावीर ने सोना चुराया था , जिसका आरोप पिताजी ने चाचा पर लगाया था . अथाह सोना था धरती के सीने में थोडा बहुत अगर गायब हुआ भी तो क्या ही फर्क पड़ना था . अंदेशा था की या तो पिताजी को महावीर की कारस्तानी मालूम थी या फिर पिताजी ने ही कोई ऐसा खेल खेला था जिससे की महावीर और चाचा उलझ गए थे , जिस तरह से रमा आजतक पिताजी के साथ थी और पहले बी पिताजी और चाचा के बीच झगडे की वजह रमा बनी थी तो क्या ऐसा नहीं हो सकता था की महावीर को इस्तेमाल किया गया हो.



पिताजी के कमरे से मिली चुडिया , वैसी ही चुडिया कविता के कमरे से मिलना कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता था. कुछ तो ऐसा था जिसे समझ नही पा रहा था मैं. लगने लगा था की पिताजी ने कोई चक्रव्यूह रचा है हम लोग जिसके मोहरे मात्र है . कठपुतिलियो को अपने इशारे पर नचा रहे हो जैसे वो. मैंने एक नजर ढलती शाम को देखा और सोचा क्या ये बदलता मौसम किस्मत भी बदल पायेगा क्या



चूत का चक्कर , इन्सान कितना भी शातिर क्यों न हो इस चक्कर में जो उलझा फिर पार नहीं पा पाया. जवानी के जोश से भरे महावीर को अपने हुस्न के जाल में फ़साना रमा के लिए भला कितना मुश्किल रहा होगा. और जो एक बार इस चक्कर में पड़े फिर उसके लिए क्या रिश्ता क्या नाता. उदाहरण मैं खुद था कितनी आसानी से मैं चाची को चोद गया था और फिर सरला से भी सम्बन्ध बना गया था. मुझमे और महावीर में देखा जाये तो ज्यादा फर्क नहीं था . मैं चाची के पास गया और बोला- सर बहुत दुःख रहा है बाम लगा दो

चाची ने बाम लगाना शुरू किया .

मैं- एक बात पुछू

चाची- हाँ

मैं- तू चाहती तो तू रमा को भी मार सकती थी उसने तेरा पति तुझसे छिना था पर ऐसा नहीं किया क्यों

चाची- कितनी रमा को मारती मैं , छोटे ठाकुर ने गाँव की किसी ही औरत को छोड़ा होगा . मैं किस किस से लडती . उन दिनों घर का माहौल बहुत तनाव से भरा था . राय साहब ने पूरा जोर लगाया हुआ था अपने भाई की तलाश करने को . मैंने छोटे ठाकुर को मार तो दिया था पर जानती थी की ये राज छुप नहीं पायेगा. अभिमानु अगर हर कदम मेरे साथ नहीं खड़ा होता तो टूट कर बिखर चुकी होती मैं.



चाची का कहना सही था . किस किस से लडती वो जब कमी खुद उसके पति की थी . न जाने क्यों मुझे लग रहा था की कुछ तो छूट रहा है मुझसे एक बार फिर से मैंने चीजो को जोड़ना शुरू किया. महावीर के मरने के बाद आदमखोर का हव्वा फैलाना , इसका क्या कारन हो सकता था . माना की राय साहब हरगिज नहीं चाहते थे की सोने की खदान का राज किसी को भी मालूम हो पर वो तो पहले ही छिपी हुई थी न . छिपी हुई चीज को छिपाने की भला क्या जरुरत आन पड़ी थी .



दूसरी सम्भावना ये थी की मंगू जो नकली आदमखोर बन कर घूम रहा था उसकी जानकारी राय साहब को मालूम ही न हो , राय साहब का भी चुतिया काटा जा रहा हो. मंगू गायब था और यदि मेरा अनुमान सही था तो मैं जानता था की वो मुझे कहाँ मिलेगा. रात के अँधेरे को चीरते हुए मैं दबे पाँव चले जा रहा था खदान के उस हिस्से की तरफ जहाँ पर मुझे वो नंगी तस्वीरे पड़ी मिली थी .


अँधेरे में चलते चलते मुझे कोफ़्त होने लगी थी पर दूर जलती मशाल की रौशनी बता रही थी की खान में कोई तो है जरुर. और जब मैं वहां पर पहुंचा तो मैंने जो देखा , ऐसा लगा की फिर से किस्मत ने मुझे छल लिया हो . बिस्तर पर मंगू अकेला नहीं था , उसके साथ ...... उसके साथ कोई और भी थी और वो की और जो थी मैंने सोचा नहीं था की उस से इस हालात में मुलाकात होगी.
Bahanchod ye Mnagu bhi dBase k chut Maar rha hai.... abhi baar kon pakad li Iss madarchod ne.....


Jaroor koi kabir ki pyai hogi...tabhi kabir ko jhatka laga....



Shyad Sarla ya Rma k hone k chance hai....


Baki dekho kon niklati hai mangu k niche se
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,459
8,074
158
Pagal hai ye bahanchod.....inhe kya malum kya Maja hai bachpane me
सहाब ये लोग जो हमसे बार बार कहते हैं कि अब तो बड़े हो जाओ कैसे समझाया जाए इनको की बड़ी मुश्किल से बचा कर रखी है हमने अपनी मा Pagal h ye...
 
Top