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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Luckyloda

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#132

मेरी आँखों के सामने मंगू के साथ बिस्तर पर कोई और नहीं बल्कि सरला थी . वो सरला जिस पर भरोसा किया था मैंने. वैसे तो आदत सी हो चली थी अपर कभी सोचा नहीं था की सरला भी मुझे धोखा देने वालो की लिस्ट में खड़ी होगी बड़ी तल्लीनता से दोनों एक दुसरे की बाहों में खोये हुए थे . कायदे से मुझे इंतज़ार करना चाहिए था की दोनों क्या बाते करते है पर मेरे गुस्से का बाँध शायद टूट ही गया था . मैंने अपनी चमड़े की बेल्ट निकाली और सीधा सरला की पीठ पर मारी जो मंगू के ऊपर चढ़ कर चुद रही थी .

“आईईईईईई ” अचानक से पड़ी बेल्ट ने सरला के पुरे बदन में दर्द की लहर दौड़ा दी . सरला जो एक सेकंड पहले चुदाई का मजा ले रही थी अब दर्द से दोहरी हो गयी. पर मैं रुका नहीं . दना दन उसकी पीठ पर बेल्ट मारता ही रहा उसे सँभालने का जरा भी मौका नहीं दिया .

मुझे वहां देख कर दोनों की आँखे हैरत से फट ही गयी . मैंने अगला नम्बर मंगू का लगाया और ये भूलते हुए की वो मेरा दोस्त है उसे पीटना शुरू किया . पर मंगू ने पर्तिकार किया .

मंगू- बस कबीर बस बहुत हुआ .

मैं- अभी तो शुरू ही नहीं किया मैंने . तूने क्या सोचा मेरी पीठ पीछे तू जो गुल खिला रहा है मुझे तो मालूम ही नहीं होगा.

मंगू-तू यहाँ से जा कबीर

मैं- जाऊंगा पर पहले मुझे बता की ये सब क्या कर रहा है तू क्यों कर रहा है . अपनी ही बहन के मंडप को क्यों बर्बाद किया तूने.

मंगू- तुझे क्या लेना देना उस से

मैं- पूछता है मेरा क्या लेना देना . अगर मेरा नहीं तो किसका है . चंपा पर क्या बीतेगी जब उसे मालूम होगा की उसके ही भाई ने उसकी खुशियों में आग लगा दी. बात सिर्फ चंपा की ही नहीं शुरू से शुरू कर मंगू . कविता को क्यों मारा तूने, वैध को क्यों मारा तूने परकाश को क्यों मारा तूने . रोहताश को क्यों मारा तूने

मंगू- मेरे मन में आया मार दिया

मैं- कल को तेरे मन में आएगा की कबीर को मार दे तो क्या मार देगा .

मंगू- मार दूंगा

कितनी आसानी से उसने कह दी थी इए बात साले ने बरसो की दोस्ती की जरा भी परवाह नहीं की .

मंगू- तुझे किस बात की तकलीफ है कबीर, सरला को मैं नहीं चोद सकता क्या , ये तो ना इंसाफी हुई न साले तुम लोग पुरे गाँव की इज्जत से खिलवाड़ करते रहो , दुनिया तुम्हारी मर्जी से चलेगी क्या हमारी भी कोई जिन्दगी है के नहीं. मेरा गलत है इसे चोदना तो तेरा इसे चोदना सही कैसे हुआ.

मैं- मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूँ की मंडप क्यों उजाड़ा तूने

मंगू- क्योंकि मैं नहीं चाहता था की चंपा यहाँ से और कही जाये.

मैं- बहुत बढ़िया . मतलब सारी जिन्दगी तू ही रगड़ता रहे उसे .

मंगू- वो मेरा निजी मामला है

मैं- भोसड़ी के तेरे निजी मामले ने मेरी जिन्दगी की लेनी कर रखी है . कविता को क्यों मारा .

मंगू- वो बहन की लौड़ी किसी की भी सगी नहीं थी . मैं उस से प्यार करता था क्या नहीं किया मैंने उसके लिए पर साली बेवफा निकली , उस परकाश से भी गांड मरवा रही थी साली. परकाश इतना मादरचोद था की अगर तू उसके बारे में जानता तो तुझे भी साले से घिन्न हो जाती मुझसे पहले तू मार देता उस को.

मैं- ऐसा क्या किया था उसने .

मंगू- ये पूछ क्या नहीं किया था उसने. परकाश ने कविता को पटा लिया था जंगल में पेलता था उसको . एक दिन मैंने उन दोनों को देख लिया . चुदाई के बाद बाते कर रहे थे . मुझे मालूम हुआ की कविता का पति रोहतास उस पर दबाव बनाये हुए था उसे शहर ले जाने के लिए वो जाना नहीं चाहती थी , परकाश ने कहा की वो रोहतास का इलाज करवा देगा. याद है तुझे वो रात जब मैंने बहुत ज्यादा पि ली थी उस रात नशे में चूर मैं कुवे पर जा रहा था की मुझे मोड़ पर कविता और प्रकाश मिले. मेरा तो दिल ही जल गया . दोनों को साथ देख कर आगबबुला हो गया था मैं. मेरा और दिमाग ख़राब तब हो गया जब परकाश ने कविता से कहा की कबीर को कैसे भी करके अपने हुस्न के जाल में फंसा ले.कविता ने उसे बताया की उसी शाम कैसे उसने तुझे उलझा ही दिया था अपने जाल में .



मुझे याद आया की वैध के घर में कैसे लगभग उसने मेरा लंड चूस ही लिया था .

मंगू- मैंने उसको दिल से चाह था पर वो साली उसको मरना ही था .

मैं- चूतिये काश तू समझ पाता वो तेरा इस्तेमाल कर रही थी . रमा भी तेरा इस्तेमाल कर रही है और ये हरामजादी भी .

मंगू- अब फर्क नहीं पड़ता मुझे .

मैं- खेल तो बढ़िया खेला अब बता परकाश का नुम्बर कैसे लगाया तूने .

मगु- वो बहन का लंड भी साला पक्का हरामी था . उसने राय साहब की न जाने कौन सी नस दबा ली थी . रमा को भी तंग कर रहा था वो . पर जब उसने राय साहब से चंपा की मांग की तो वो अपनी औकात से जायदा आगे बढ़ गया था . मैंने और रमा ने मिल कर उसे मारने की योजना बनाई . रमा ने उसे चुदाई के बहाने बुलाया और मैंने उसे मार दिया.

मैं- क्या तू जानता था की परकाश अंजू से प्यार करता था

मंगू- किसी से प्यार नहीं करता था वो , उसे अंजू से किसी चीज की तलाश थी बस . उस को लगता था की अंजू सोने के बारे में जानती है पर चुतिया के बच्चे को कभी सोने के बारे में नहीं मालूम हो सका . जानता है क्यों , क्योंकि मैंने होने ही नहीं दिया. सो सोचता ही रह गया की सोना कहाँ होगा .

मैं- उसे कैसे पता चला की सोना है .

मंगू- राय साब का सारा हिसाब किताब वो और उसका बाप ही देखते थे किसी तरह से उसने मालूम कर लिया होगा.

मुझे मंगू की इस बात में दम नहीं लगा . प्रकाश की दिलचस्पी थी तो बस अपने हिस्से में . वसीयत का चौथा टुकड़ा. रमा को भी उसने राय साहब पर दबाव बनाने में इस्तेमाल किया था और रमा उसके तो कहने ही क्या , चाचा, महावीर, पिताजी और प्रकाश आखिर इनमे से किसके साथ थी वो शायद किसी के साथ भी नहीं.

मैं- चंपा के साथ क्यों सम्बन्ध बनाये तूने .

मंगू- वो कुतिया इसी लायक है , साली की गांड में हमेशा आग लगी रहती थी , जब तेरे बाप को दे सकती है वो तू मैं तो फिर भी उसका अपना हूँ मैंने भी ले ली.

मुझे भैया की याद आई कैसे महावीर ठाकुर ने कहा था की घर की औरतो पर सबसे पहला हक़ घर वालो का ही होता है .

मंगू- जानता है मैंने तुझे ये सब क्यों बता दिया.

मैं- मुझे नहीं बताएगा तो किसे बताएगा.

मंगू- तू सोच रहा होगा इस बारे में पर मैंने सोचा की मरने से पहले तुझे सच जानने का हक़ तो है ही . बरसो से तेरे बाप ने मेरी माँ को चोदा फिर चंपा पर हाथ डाला अब मेरी बारी है . राय साहब का पालतू बन कर मैंने इस सोने की खान का पता लगा लिया इस पर मैं कब्ज़ा करूँगा तुमको मारने के बाद ये सब कुछ मेरा हो जायेगा.

मैं तो ये है तेरी असलियत . साले तुझे अपने भाई जैसा समझा मैंने और तूने जिस थाली में खाया उसी में छेद किया.


मंगू- कोई अहसान नहीं किया तुमने, बरसो तक मेरे बाप ने फिर मैंने तुम्हारी चाकरी की है . पर अब नहीं करेंगे.
Bhut shandaar update fozi bhai...



Akhir mangu ne sab Kabul kar liya....


Par dekhna ye h ki kya ye sach hai ??? Ya Phir rai sahab ki koi chal
 

Luckyloda

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#133

तभी अचानक से सरला ने अपना लहंगा मेरे मुह पर फेंक दिया दो पल के लिए मैं उसमे उलझ गया और मंगू ने मुझ पर वार किया. ताकत में मंगू लगभग मेरे बराबर ही था . ऊपर से सरला के धोखा दिया था . मैं सकते में था पर मुझे साथ ही समझ आ रहा था की भैया कितने मजबूर रहे होंगे जब अपने दोस्त महावीर से लड़ना पड़ा था उन्हें पर मैं कमजोर नहीं था . मैंने मंगू को उठा कर पटका और एक लात सरला के पेट में मारी.

मंगू- सरला बचना नहीं चाहिए ये , अगर ये बचा तो फिर हमारे लिए मुसीबत हो जाएगी.

मैं- मुसीबत तो तुम्हरे लिए हो ही गयी है धोखेबाजो.

सरला उछल कर मेरी पीठ पर बैठ गयी और मेरे गले में अपने दोनों हाथ डाल कर गला दबाने लगी. आगे से मंगू ने भी अपने हाथ मेरी गर्दन पर कस दिए. मैं दोहरी गिरफ्त में था . मैंने मंगू के पैर पर लात मारी और खुद को बिस्तर पर गिरा लिया . सरला मेरे निचे आ गयी. मैंने उसकी पकड़ से छूटते ही दो तीन थप्पड़ दिए उसे और मंगू को धर लिया.

मैं पहले मंगू से निपटना चाहता था , सरला से मुझे दो सवालों के जवाब चाहिए थे .

एक पल मेरे दिमाग में ये ख़याल आया और इसी में मामला हाथ से निकल गया मंगू ने एक फावड़े से मेरे सर पर वार कर दिया. चोट जोरदार लगी थी आँखों के आगे तारे नाच गए . मंगू का अगला वार मेरी बाह पर हुआ फावड़े का नुकीला हिस्सा मेरी बांह में धंस गया था .

“आह ” मैं अपनी चीख नहीं रोक पाया .

मंगू- ये तो शुरुआत है कबीर. अपने बड़ो के कर्मो का फल छोटो को चुकाना पड़ता है तू खुशकिस्मत है जो तेरी तक़दीर में ये मुकाम आया.

मेरा सर भनभना रहा था , मंगू के लगातार वार मुझे कमजोर कर रहे थे . फावड़े की चोट मुझे बेहाल कर रही थी . हाथ पैर मारते हुए मेरे हाथ में मेरी बेल्ट आ गयी जो पास में ही पड़ी थी . मैंने उसे पकड़ा और मंगू के हाथ पर मारी . फावड़ा गिर गया. मैंने जोर लगाते हुए मंगू को धकेला और फावड़ा उठा लिया. अचानक से ही ये सब हुआ तन्न्न की जोरदार आवाज हुई और मंगू का सर फट गया.

नहीईईई “” सरला चीख पड़ी .

मैं- तेरा हिसाब बाद में करूँगा रुक जरा

पर सरला घाघ औरत थी , जितना मैं समझ रहा था वो उस से कहीं ज्यादा शातिर थी. उसने फुर्ती करते हुए मशाल बुझा दी . अचानक से हुए अँधेरे ने थोड़ी देर के लिए मुसीबत बढ़ा दी मेरी. मंगू ने मेरे पैरो पर वार किया .

मैं- मंगू ख़त्म करते है इस खेल को .

मैंने मंगू के अन्डकोशो पर जोरदार लात मारी वो जमीं पर गिर गया .मैं उसकी छाती पर बैठा और उसके गले पर अपनी गिरफ्त बढ़ा दी . वो हाथ पैर मारने लगा पर मुझ पर इतना उन्माद छा गया था की अब रुकने वाला था मैं



मैं- बस सब शांत हो जायेगा मंगू सब शांत हो जायेगा. भाई माना था तुझे पर तूने दगा किया कभी तुझे नौकर नहीं समझा पर न जाने क्यों तेरी आँखों पर लालच की पट्टी पड़ गयी देख आज तेरे आस पास कितना लालच है पर तू खाली हाथ जायेगा इस दुनिया से

इतना कह कर मैंने मंगू के गले पर और दवाब बढ़ा दिया . जब तक की वो हाथ पैर पटकता रहा धीरे धीरे उसका बदन शांत हो गया . मेरा दिल जल रहा था पर मैं रोया नहीं . उसकी लाश को एक बार भी नहीं देखा मैंने . इस बीच सरला वहां से भाग चुकी थी और मैं जानता था की वो कहाँ जाएगी.



पूरा गाँव अँधेरे में डूबा था . बिजली नहीं थी . पर मेरे कदम जानते थे की कहाँ जाना है. मैंने कविता के कमरे की खिड़की को हल्का सा धक्का दिया और अन्दर घुस गया . घर में सन्नाटा था पर मैं इस धोखे को जानता था . वैध के कमरे में जाते ही मैंने सरला को दबोच लिया .

“छोड़ कबीर मुझे ” सरला घुटी आवाज में बोली.

मैं- छुपने के लिए सबसे कमजोर जगह चुनी तूने. कहा था न तुझ पर भरोसा कर रहा हूँ भरोसा मत तोडना मेरा. तुझे क्या माना था मैंने और तू क्या निकली. पर फ़िक्र कर तुझे नहीं मारूंगा . तेरे खून से अपने हाथ गंदे नहीं करूँगा. मेरे सवाल है जवाब दे और सच बोलेगी तू वर्ना पूरा गाँव तेरा तमाशा देखेगा. उस रात कोचवान ने ऐसा क्या देख लिया था जो वो पागल हो गया था

सरला-उसने मुझे परकाश से चुदवाते हुए देख लिया था .

इस नए खुलासे ने मुझे हैरान कर दिया था. परकाश मादरचोद तीनो रंडियों को पेल रहा था.

सरला- सबसे पहले हम तीनो को छोटे ठाकुर ने चोदा था . पर फिर रमा का मोह टूट गया उसने महावीर ठाकुर से यारी कर ली . महावीर ठाकुर सहर से लौटे थे . रमा उनके किस्से बताती हमको. कविता को भी चोद चुके थे वो और फिर मैं भी उनके साथ सो ली. महावीर ठाकुर शहर से काफी चीजे लाते हमारे लिए. तरह तरह की रंगीन किताबे दिखाते और वैसे ही चोदते हमको. अलग तरह के कपडे लाते खुद सजाते हमको . पर फिर एक रात खबर आई की महावीर ठाकुर मर गए. छोटे ठाकुर उसी दौरान गायब हो गए थे .

वक्त बड़ा नाजुक हो गया था . रमा गाँव छोड़ कर मलिकपुर में पहले ही बस चुकी थी . मैंने और कविता ने निर्णय लिया की अब ये अब बंद करेंगे . और ऐसा हमने किया भी . कुछ साल ऐसे ही बीत गये पर मुसीबत फिर से लौट आई. इस बार परकाश था न जाने कैसे उसके पास हम तीनो की नंगी तस्वीरे थी जिसमे हम महावीर के साथ सम्भोग में लिप्त थी . वो भी हमसे जिस्म ही चाहता था . बेशक हम को उन तस्वीरों से फर्क नहीं पड़ना था गाँव में तो बदनाम थे ही पर फिर रमा के कहने पर हम ने उस से भी नाता जोड़ लिया. पर उसको कविता सबसे ज्यादा पसंद थी . उस रात जब मेरे पति के साथ वो घटना हुई तब मैं और परकाश जंगल में मोजूद थे. परकास के शौक भी निराले थे वो अपने साथ जानवरों की पोशाके लाता था वो पहन कर हम लोग जंगल में चुदाई करते थे .

उस रात बदकिस्मती से मेरा पति उस तरफ निकल आया. जंगल में अफवाहे तो फैली हुई ही थी , मेरे पति ने हम दोनों को आदमखोर या डाकन समझ लिया और उसे दौरा पड़ गया . परकाश के पास कोई दवाई थी जो उसने मेरे पति को दी जिस से उसकी हालात और ख़राब हो गयी. प्रकाश ने गाँव में नकली ओझा भी बुलाया था जिसने अफवाहों को गर्म कर दिया हर कोई ये समझने लगा की जंगल में डायन है पञ्च के लड़के को भी प्रकाश ने ही वो दवाई पिलाई थी .

अब मुझे परकास के घर में मिली उन पोशाको का राज समझ आ गया था दवाई उसे कविता देती होगी.

मैं- अपने पति को मौत का रास्ता दिखा दिया तूने .

सरला कुछ नहीं बोली.

मैं- वैध को क्यों जान देनी पड़ी.

सरला- वैध जंगल में बहुत दखल दे रहा था हर रात ही पता नहीं क्या करने जाता था वो हम लोगो को उसकी वजह से परेशानी हो रही थी इसलिए उसे रस्ते से हटाना पड़ा.

मैं- परकाश ने ही कहा हो गा की कबीर से सम्बन्ध बना ले

सरला ने हाँ में सर हिलाया

मैं- परकाश क्या चाहता था .


सरला- वो महावीर के कातिल को तलाश रहा था ..
Mahavir aur Prakash dono hi rasiya nikla.... bahnachod chut bhi saja k chodte the.... kabhi dress change karke aur Prakash to bahanchod janwar bnake ( Ghodi, bakri aur kutiya ) hi btata hoga .. ya bahanchod kuch aur bhi btata tha 😑



Mangu Mar gya ??? Qki lash to dekhni jaroori hi nahi samjhi kabir ne.....


Tasalli kar lena chahiye thi..
 

Ben Tennyson

Its Hero Time !!
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साला एक बात समझ नहीं आई जब कबीर ने सरला को खुद कहा था कि कैसे भी करके मंगू को अपने हुस्न के जलवे दिखाए और उसे अपने जाल में ले तो जब अब वो मंगू से चुद गई तो इसमें कबीर के साथ धोखे बाली बात कैसे हो गई .....
 

SKYESH

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मुसाफिर लगता है 😍 आज जनता बहुत बहुत मंगल मे है, चंद्रग्रहण व गुरु पर्व की खुशियो के साथ 950 पृष्ठों को पार लगा देगी.. प्रशंसकों पाठकों पे विश्वास है 😍..
1000 par ho jayegi .................... :happyjump:
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Bahot majedaar scene tha mangu ko maar khata dekh maza aa raha tha kabir ko taklif isiliye hoti hai kyuki wah har kisi ko dil se apna samjh leta hai or unka asli chahra saamne aane par taklif to hoti hi hai.. waise ye sarla bina kapdo ke hi lad rahi thi kya :cmouth:

Hawas ki aag ne itna andha kar diya tha sarla ko ki usne apne hi pati ko maar daala, ye tino aurat ne apne husn ke jalwe dikha kar na jaane kya kya barbaad kar diya, aaj iske saath to kal uske saath, waykti ki buri soch or karm hi use le dubte hai..

Bahot badiya update tha gussa to itna aa raha tha kya hi kahe, sarla ko yu hi jaane mat dena, nisha ki yaad satye use bulao ab, intzaar rahega...
 
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