Game888
Hum hai rahi pyar ke
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भ्राता श्रीIn a zeal to complete 1000 pages have we started spamming this story whereas this story was always expected to cross 1k pages and 2 million plus views
ek update bhi search karna mushil kaam ho rha hai
अलबेला में यही हो रहा है
spamming ho rahi wahan par writer ka dhyan update par nahi balki views aur pages par hai. Maine socha tha ki kafi time bad promising story milegi. First update impressive tha par ab writer khud confuse ho gaya haiवहीं हूँ अभी...
आइना दिखा दिया सरला ने, सच ही है कि इन बातों में गलती इसी की होती है जो मजबूरी का फायदा उठाता है। लेकिन सवाल अभी भी वहीं खड़ा है कि कौन है आखिर#134
मैं- परकाश क्यों तलाश रहा था महावीर के कातिल को
सरला- उसने कभी बताया नहीं .
मैं- तुझे क्या लगता है कौन हो सकता है उसका कातिल
सरला- इतनी बड़ी दुनिया है कोई भी हो सकता है
मैं- तू भी हो सकती है
सरला- तुम्हे लगता है ऐसा.
मैं- तुम तीनो औरते किसकी हुई, न अपने पतियों की न अपने आशिको की
सरला- माना हम तो बदनाम थे कुंवर . तुम तो नहीं थे न, तुमको भी मुझसे चूत ही तो चाहिए थी. मेरी मदद के बहाने तुमने भी तो भोग ही लिया न मुझे . तुम जो बड़े इमानदार , धर्मात्मा हो तुमने खुद को क्यों नहीं रोका कैसे मेरे एक इशारे पर बिस्तर में घुस गए. तुम्हारी हवस दोस्ती हमारी हवस रंडी पना ये तो दोगलापन हुआ न कुवर. औरतो को सम्भोग के अलावा क्या ही समझा है इस तुम लोगो ने . मेरी पीठ पर जो वार है तुम्हारे , वो मेरी पीठ पर नहीं मेरी आत्मा पर है , याद करो तुमने ही तो मुझसे कहा था की चाहे जो करो मंगू को चूत का लालच दो पर उस से राज उगलवा लो . फिर क्यों आग लग गयी तुम्हारे सीने में उसके साथ सोते देख कर मुझे.
“इमान की बड़ी बड़ी बाते करने वाले कुंवर तुम कितने बेईमान हो ये कौन बताएगा ” सरला की बात से बड़ी गहरी चोट पहुंची थी मुझे.
सरला- तुम्हारे संपर्क में आने के बाद मैंने जाना था की मैंने आज तक जो जी वो तो जिन्दगी थी ही नहीं. तुम्हारे साथ रह कर मैंने सीखा था की रिश्तो की अहमियत कैसी होती है रिश्ते कैसे निभाए जाते है . मैं अपनी आत्मा की सौगंध खाती हु मैंने कभी तुम्हारा बुरा नहीं सोचा. जब प्रकाश ने मुझे कहा की मैं तुम्हारे साथ सम्बन्ध बना लू तो मैं सोचने पर मजबूर हो गयी की क्या प्रयोजन हो सकता है उसका. जिस राह पर तुम चलना चाहते थे उस राह पर वो तुमको रोकना चाहता था . मेरी कभी कोई मज़बूरी नहीं थी की मैं परकाश से चुदु मैं बस जानना चाहती थी की महावीर को किसने मारा, छोटे ठाकुर कहा है
मैं- हरिया , उसका क्या दोष था उसे क्यों मरवाया तुमने
सरला- उस रात से पहले तुम कितना जानते थे उसके बारे में .
मेरे पास कोई जवाब नहीं था
सरला- नाकाम आदमी दो पैसे का नशा करके अपनी कुंठा परिवार पर उतारता है . मैंने उस से कभी नहीं छिपाया की मैं किस किस से चुदती हूँ , चोदने वाले मुझे वो सब देते थे जिस से मैं अपने बच्चो को पाल पाती थी . हरिया का मन ही नहीं था कमाने के लिए, जितना कमाता दारू में उड़ा देता. कुछ कहती तो मारता मुझे. मैं लाख गलत थी कुंवर पर यदि आदमी अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाए तो औरत घर से बाहर कदम क्यों उठायेगी. क्या कहा था तुमने रंडी, हाँ हूँ मैं रंडी पर मुझे रंडी बनाया किसने, मैं तुमसे पूछती हूँ. छोटे ठाकुर की बुरी नजर क्यों पड़ी मुझे, अरे तुम लोग गाँव के मालिक हो. हम सबको संभालना तुम्हारा काम है पर जब बाड़ ही खेत को खाएगी तो रखवाली कौन करेगा. आज मेरा अन्दर की रंडी दिखती है सबको खैर इन बातो का कोई मोल नहीं है कुंवर. ये दुनिया हमेशा से एक रिश्ते को समझती आई है वो है तन का रिश्ता. कहने को हम इन्सान है पर जानवरों से भी गए गुजरे है . तुम बेशक मुझे मार कर इस किस्से को ख़त्म कर सकते हो मुझे अफ़सोस नहीं होगा.
मैं- मैंने कहा न तुझे नहीं मारूंगा . मुझे दुःख हुआ जो तूने धोखा दिया .
सरला- हम सब नकाब ओढ़े हुए है हम सब किसी न किसी को धोखा दे ही रहे है
मैं- वो कौन सा ठिकाना था जहाँ महावीर तुझे चोदता था .
सरला- कुंवे पर बने कमरे में
मैं- उसके आलावा
सरला- मैंने हमेशा सच बताया था उस बारे में तुमको
मैं- परकाश कहा चोदता था
सरला- इस घर में , हमारे मिलने का सबसे सुरक्षित ठिकाना था ये घर , वैध ज्यादातर घर होता ही नहीं था , रोहताश शहर में था मेरे और कविता के लिए सबसे बढ़िया जगह यही थी .
मैं- तो फिर जंगल में जानवरों की पोशाके पहन कर क्यों चुदाई होती थी.
सरला- परकाश चाहता था की जंगल सुनसान रहे . जंगल में जितने भी खून हुए सब प्रकाश ने किये . और परकाश को मंगू ने मारा.
इस चीज जो मुझे सबसे जायदा परेशां किये हुए थी वो थी की अगर महावीर इन सबको चोदता था तो फिर इन तीनो औरतो को खंडहर वाले कमरे के बारे में क्यों नहीं मालूम . इन्होने हमेशा ये ही कहा की जब जब चुदी कुवे वाले कमरे में चुदी , खंडहर का जिक्र क्यों नहीं किया इन्होने. जबकि वो तस्वीरे वो बिस्तर चीख चीख कर कहता था की यहाँ पर खूब अय्याशी की गयी है. जब इन औरतो ने तमाम बाते कबूल ही ली थी तो फिर खंडहर की बात क्यों छिपा रही थी क्या ये सच में उस जगह के बारे में नहीं जानती थी ,इनको क्या मिलता उस जगह को छिपा के.
खेल इतना भी सरल नहीं था जितना मैं समझ रहा था . जंगल में ऐसा क्या छिपा था जो साला मुझे नहीं मिल रहा था . बाप ने जंगल में सोने की खान खोज ली थी हम साला खंडहर में कौन आता जाता था ये नहीं मालूम कर पा रहे थे .
मैं- क्या रे साहब ने तुझे कभी चोदा
सरला- कितनी बार पूछोगे
मैं- ऐसा क्या है जो तू जानती है मैं नहीं
सरला- मैं बस इतना जानती हूँ की तुम भी नंगे हो मैं भी नंगी.
मैं- कहती तो सही है तू . वैसे वो कौन सी दवाई थी जो वैध के यहाँ से चुरा के परकाश को दी जाती थी .
सरला ने कुछ शीशिया टटोली और फिर एक सीशी मुझे दे दी.
मैं- रात बहुत बीती जा लौट जा
सरला- मुझे जिन्दा छोड़ रहे हो .
मैं- कहा न जा लौट जा . तेरा दोष नहीं है जिस जिस को अपना समझा है साले सब ही धोखेबाज़ निकले जब इतने लोगो से धोखा खाया है तो एक और सही .
सरला एक पल को मेरे पास हुई और मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए उसने. मैंने अपनी आँखे बंद कर ली. उसके जाने के बाद भी मैं बस यही सोचता रहा की अगर ये तीन औरते नहीं तो फिर कौन ............... वो कौन थी जो खंडहर पर बने कमरे में आती थी .
पहले अपडेट के कारण ही लोग जुड़े थे उस कहानी से, अब देखना है कि कहां तक उस एक्सपेक्टेशन का बोझ ढोने की हिम्मत है लेखक मेंspamming ho rahi wahan par writer ka dhyan update par nahi balki views aur pages par hai. Maine socha tha ki kafi time bad promising story milegi. First update impressive tha par ab writer khud confuse ho gaya hai