rangeen londa
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yuvee0000परिचय
ek story meri bhi thi kabhi goliyo ki rasleela real based
yuvee0000परिचय
बंदर बुढ़ा हो जाए तो कुलांचे मारना नहीं भूलता भाई
Nisha!#134
मैं- परकाश क्यों तलाश रहा था महावीर के कातिल को
सरला- उसने कभी बताया नहीं .
मैं- तुझे क्या लगता है कौन हो सकता है उसका कातिल
सरला- इतनी बड़ी दुनिया है कोई भी हो सकता है
मैं- तू भी हो सकती है
सरला- तुम्हे लगता है ऐसा.
मैं- तुम तीनो औरते किसकी हुई, न अपने पतियों की न अपने आशिको की
सरला- माना हम तो बदनाम थे कुंवर . तुम तो नहीं थे न, तुमको भी मुझसे चूत ही तो चाहिए थी. मेरी मदद के बहाने तुमने भी तो भोग ही लिया न मुझे . तुम जो बड़े इमानदार , धर्मात्मा हो तुमने खुद को क्यों नहीं रोका कैसे मेरे एक इशारे पर बिस्तर में घुस गए. तुम्हारी हवस दोस्ती हमारी हवस रंडी पना ये तो दोगलापन हुआ न कुवर. औरतो को सम्भोग के अलावा क्या ही समझा है इस तुम लोगो ने . मेरी पीठ पर जो वार है तुम्हारे , वो मेरी पीठ पर नहीं मेरी आत्मा पर है , याद करो तुमने ही तो मुझसे कहा था की चाहे जो करो मंगू को चूत का लालच दो पर उस से राज उगलवा लो . फिर क्यों आग लग गयी तुम्हारे सीने में उसके साथ सोते देख कर मुझे.
“इमान की बड़ी बड़ी बाते करने वाले कुंवर तुम कितने बेईमान हो ये कौन बताएगा ” सरला की बात से बड़ी गहरी चोट पहुंची थी मुझे.
सरला- तुम्हारे संपर्क में आने के बाद मैंने जाना था की मैंने आज तक जो जी वो तो जिन्दगी थी ही नहीं. तुम्हारे साथ रह कर मैंने सीखा था की रिश्तो की अहमियत कैसी होती है रिश्ते कैसे निभाए जाते है . मैं अपनी आत्मा की सौगंध खाती हु मैंने कभी तुम्हारा बुरा नहीं सोचा. जब प्रकाश ने मुझे कहा की मैं तुम्हारे साथ सम्बन्ध बना लू तो मैं सोचने पर मजबूर हो गयी की क्या प्रयोजन हो सकता है उसका. जिस राह पर तुम चलना चाहते थे उस राह पर वो तुमको रोकना चाहता था . मेरी कभी कोई मज़बूरी नहीं थी की मैं परकाश से चुदु मैं बस जानना चाहती थी की महावीर को किसने मारा, छोटे ठाकुर कहा है
मैं- हरिया , उसका क्या दोष था उसे क्यों मरवाया तुमने
सरला- उस रात से पहले तुम कितना जानते थे उसके बारे में .
मेरे पास कोई जवाब नहीं था
सरला- नाकाम आदमी दो पैसे का नशा करके अपनी कुंठा परिवार पर उतारता है . मैंने उस से कभी नहीं छिपाया की मैं किस किस से चुदती हूँ , चोदने वाले मुझे वो सब देते थे जिस से मैं अपने बच्चो को पाल पाती थी . हरिया का मन ही नहीं था कमाने के लिए, जितना कमाता दारू में उड़ा देता. कुछ कहती तो मारता मुझे. मैं लाख गलत थी कुंवर पर यदि आदमी अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाए तो औरत घर से बाहर कदम क्यों उठायेगी. क्या कहा था तुमने रंडी, हाँ हूँ मैं रंडी पर मुझे रंडी बनाया किसने, मैं तुमसे पूछती हूँ. छोटे ठाकुर की बुरी नजर क्यों पड़ी मुझे, अरे तुम लोग गाँव के मालिक हो. हम सबको संभालना तुम्हारा काम है पर जब बाड़ ही खेत को खाएगी तो रखवाली कौन करेगा. आज मेरा अन्दर की रंडी दिखती है सबको खैर इन बातो का कोई मोल नहीं है कुंवर. ये दुनिया हमेशा से एक रिश्ते को समझती आई है वो है तन का रिश्ता. कहने को हम इन्सान है पर जानवरों से भी गए गुजरे है . तुम बेशक मुझे मार कर इस किस्से को ख़त्म कर सकते हो मुझे अफ़सोस नहीं होगा.
मैं- मैंने कहा न तुझे नहीं मारूंगा . मुझे दुःख हुआ जो तूने धोखा दिया .
सरला- हम सब नकाब ओढ़े हुए है हम सब किसी न किसी को धोखा दे ही रहे है
मैं- वो कौन सा ठिकाना था जहाँ महावीर तुझे चोदता था .
सरला- कुंवे पर बने कमरे में
मैं- उसके आलावा
सरला- मैंने हमेशा सच बताया था उस बारे में तुमको
मैं- परकाश कहा चोदता था
सरला- इस घर में , हमारे मिलने का सबसे सुरक्षित ठिकाना था ये घर , वैध ज्यादातर घर होता ही नहीं था , रोहताश शहर में था मेरे और कविता के लिए सबसे बढ़िया जगह यही थी .
मैं- तो फिर जंगल में जानवरों की पोशाके पहन कर क्यों चुदाई होती थी.
सरला- परकाश चाहता था की जंगल सुनसान रहे . जंगल में जितने भी खून हुए सब प्रकाश ने किये . और परकाश को मंगू ने मारा.
इस चीज जो मुझे सबसे जायदा परेशां किये हुए थी वो थी की अगर महावीर इन सबको चोदता था तो फिर इन तीनो औरतो को खंडहर वाले कमरे के बारे में क्यों नहीं मालूम . इन्होने हमेशा ये ही कहा की जब जब चुदी कुवे वाले कमरे में चुदी , खंडहर का जिक्र क्यों नहीं किया इन्होने. जबकि वो तस्वीरे वो बिस्तर चीख चीख कर कहता था की यहाँ पर खूब अय्याशी की गयी है. जब इन औरतो ने तमाम बाते कबूल ही ली थी तो फिर खंडहर की बात क्यों छिपा रही थी क्या ये सच में उस जगह के बारे में नहीं जानती थी ,इनको क्या मिलता उस जगह को छिपा के.
खेल इतना भी सरल नहीं था जितना मैं समझ रहा था . जंगल में ऐसा क्या छिपा था जो साला मुझे नहीं मिल रहा था . बाप ने जंगल में सोने की खान खोज ली थी हम साला खंडहर में कौन आता जाता था ये नहीं मालूम कर पा रहे थे .
मैं- क्या रे साहब ने तुझे कभी चोदा
सरला- कितनी बार पूछोगे
मैं- ऐसा क्या है जो तू जानती है मैं नहीं
सरला- मैं बस इतना जानती हूँ की तुम भी नंगे हो मैं भी नंगी.
मैं- कहती तो सही है तू . वैसे वो कौन सी दवाई थी जो वैध के यहाँ से चुरा के परकाश को दी जाती थी .
सरला ने कुछ शीशिया टटोली और फिर एक सीशी मुझे दे दी.
मैं- रात बहुत बीती जा लौट जा
सरला- मुझे जिन्दा छोड़ रहे हो .
मैं- कहा न जा लौट जा . तेरा दोष नहीं है जिस जिस को अपना समझा है साले सब ही धोखेबाज़ निकले जब इतने लोगो से धोखा खाया है तो एक और सही .
सरला एक पल को मेरे पास हुई और मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए उसने. मैंने अपनी आँखे बंद कर ली. उसके जाने के बाद भी मैं बस यही सोचता रहा की अगर ये तीन औरते नहीं तो फिर कौन ............... वो कौन थी जो खंडहर पर बने कमरे में आती थी .
नही भाई, अपडेट छोटा है इसीलिए आपको लग रह हैंकहानी लेय पकड़ती है फिर छोड़ देती है अगर इसको मंगु के मोत वाले अपडेट के साथ मिला कर देखा जाये ये अपडेट पूरा ऑफ ट्रैक रहा
निराशाजनक अपडेट कहानी एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी बस सरला कबीर को जान से मारते मारते रह गयी पर फिर भी छोड़ दी गयी
उस कमरे के राज़ अभिमानु को मालूम होगा पर उसने जैसा कहानी में शुरू से होता आया है कबीर को नहीं बताये
wo siyar nahi dikh raha ab kaha kho gaya#26
मुझे फ़िक्र थी तो उस कारीगर की जिसकी कोई चर्चा नहीं थी. सुबह मैं लंगड़ाते हुए ही गाँव का चक्कर लगा आया पर सब वैसा ही था जैसा की रोज होता था . जांघ की चोट के दर्द के बावजूद मैं उस स्थान पर गया जहाँ उस रात वो घटना हुई थी . बैलो के शरीर में जो कुछ बचा था उसे जानवरों ने फफेड लिया था टूटी गाडी चीख कर कह रही थी की उस रात कुछ तो हुआ था यहाँ पर क्या हुआ था ये मुझे याद नहीं आ रहा था.
कोई तो मिले. कोई तो बताये की ये साला मामला क्या था. गाँव में इस से पहले तो ये सब कभी नहीं हुआ था . क्या हुआ जो कभी दो चार साल में किसी के पशु को जंगली जानवरों ने हमला कर दिया हो पर इंसानों के साथ बहुत कम ऐसी वारदाते हुई थी और अब रुक ही नहीं रही थी .
वापिस आकर मैं चाची के पास बैठ गया .
चाची- घायल है फिर भी चैन नहीं है तुमको
मैं- हाथ पैर जुड़ न जाये इसलिए थोडा टहलने गया था बस वैसे भी इतनी गहरी चोटे नहीं है. और फिर तुम हो न पास मेरे . तुम जब अपने लबो का रस मुझे पिलाओगी तो फिर मैं देखना कैसे ठीक हो जाऊंगा.
चाची ने मेरी बात सुनकर इधर उधर देखा और बोली- ये सब बाते तभी करना जब हम दोनों अकेले हो . दीवारों के भी कान होते है .
मैं- हाँ पर बोलो न रस पिलाओगी न
चाची- हाँ बाबा हाँ
मैं- और निचे के होंठो का
मेरी बात सुनकर चाची का चेहरा शर्म से लाल हो गया .
चाची- धत बेशर्म
मैं- बोलो न तुम्हे मेरी कसम
चाची- तुझे जो भी पीना है पी लेना बस
मैं- ऐसे नहीं वैसे बोलो जैसे मैं सुनना चाहता हूँ
चाची- मौका लगते ही मेरी चूत का रस पी लेना
जब चाची ने ऐसा कहा तो उनके होंठो की कंपकंपाहट ने बता दिया की टांगो के बीच में कुछ गीला हो चला है .
मैं- चाची आपको क्या लगता है गाँव वालो पर कौन हमले कर रहा है
चाची- अभिमानु ने दिन रात एक कर दिया है उसे पकड़ने को . जब से तुम पर हमला हुआ है वो एक पल को भी चैन नहीं लिया है . राय साहब ने भी रातो को गश्त बढ़ा दी है . गाँव में अफवाहे अलग ही है .
मैं- गाँव वाले तो चुतिया है
चाची- पर हम लोग तो नहीं है न गाँव को आग लग जाये हमें फर्क नहीं पड़ता पर तुमको आंच भी आई तो हमें बहुत फर्क पड़ेगा.
मैं- कोई सुराग भी तो नहीं लग रहा है . ऊपर से पिताजी ने सख्त कहा है की रात को बाहर नहीं निकलना तुम ही बताओ मैं क्या करू
चाची- तुम्हे कुछ करने की जरुरत नहीं है अभिमानु और जेठ जी देख लेंगे इस मामले को . आज तक गाँव की हर समस्या को जेठ जी ने सुलझाया है इसे भी सुलझा लेंगे. एक वो न लायक मंगू कहाँ रह गया , उस से कहा था की दो मुर्गे ले आना
मैं- आ जायेगा थोड़ी बहुत देर में उलझ गया होगा किसी काम से .
काम से मुझे याद आया खेतो का .
मैं- चाची अब खेतो पर मैं अकेला ही रहूँगा . इन हालातो में मजदुर वहां रुकना नहीं चाहते जो की जायज भी है
चाची- भाड़ में गयी खेती तुझे अकेले जाने दूंगी तूने सोचा भी कैसे.
मैं- नुकसान बहुत होगा.
चाची- तो फिर मैं भी तेरे साथ ही चलूंगी
मैं- यहाँ तुम्हे आराम है
चाची- वहां भी आराम ही रहेगा. वैसे भी जेठ जी ने तुम्हारी जिम्मेदारी मुझे दी हुई है. जब तुम ठीक हो जाओगे तो फिर हम चलेंगे वहां
तभी मंगू आ गया.
चाची- कहाँ रह गया था रे तू
मंगू- मुर्गा पकड़ा. काटा साफ़ किया समय तो लगे ही .
चाची- हाँ समय की कीमत तू ही जाने है बस .
चाची मुर्गा लेकर अन्दर चली गयी . रह गए हम दोनों
मंगू- भाई, तू ये सब मत कर. मैं जानता हूँ तेरे दिल में गाँव वालो के लिए फ़िक्र है पर इन मादरचोदो के लिए अपनी जान को दांव पर लगाना कहाँ की बहादुरी है . मैं वैध के दरवाजे पर ही बैठा रहा अन्दर आने की हिम्मत ही न हुई मेरी . तुझे कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा.
मैं- कुछ नहीं होगा मंगू सब ठीक है
मंगू- पर ऐसा क्या है जो रातो को ही निकलना जरुरी है
मैं- मुझे भी नहीं मालूम पर जब मालूम होगा तो सब से पहले तुझे बताऊंगा. सुन रात को खाना साथ ही खायेंगे
मंगू- नहीं भाई, घर पर भी एक मुर्गा दे आया हूँ
मैं- मौज है फिर तो .
तभी मैंने सामने से भाभी को आते देखा
भाभी- क्या खुराफात कर रहे हो दोनों
मंगू- कुछ नहीं भाभी सा , बस ऐसे ही बाते चल रही थी .
भाभी- अगर मुझे मालूम हुआ की घर से बाहर रात को जाने की कोई भी योजना है तो दोनों की खाल उधेड़ दूंगी.
मैं- भाभी आप जब चाहे चेक कर लेना यही सोता हुआ मिलूँगा आपको
भाभी- बेहतर रहेगा. चाची कहाँ है
मैं - अन्दर है
भाभी के जाने के बाद मैं मंगू से मुखातिब हुआ और उसके आगे कारीगर का जिक्र किया .
मंगू- भाई, उसका कोई पक्का ठिकाना नहीं है , परिवार है या नहीं कोई नहीं जानता हलवाई के पास काफी समय से काम कर रहा था और एक नुम्बर का दारुबाज है . चला गया होगा कहीं दारू के चक्कर में .
मैं- वो चाहे जैसा भी हो वो अपने घर काम करने आया था उसकी सुरक्षा अपनी जिमेदारी थी मेरे भाई .
मंगू- थी तो सही पर अब कहाँ तलाश करे उसकी .
मैंने मंगू की पीठ पर धौल जमाई तो वो कराह उठा .
मैं- क्या हुआ
मंगू- कुछ नहीं बड़े भैया के साथ अखाड़े गया था . उन्होंने उठा कर पटक दिया तो दर्द सा हो रहा है . भैया इतनी कसरत कर कर के कतई पहाड़ हो रखे है .
मैं- हाँ यार, मुझे भी ऐसे लगा था पहले तो मैं कई बार उनको पछाड़ देता था पर अब तो वो काबू में ही नहीं आ रहे.
मंगू- मैंने तो सोच लिया है बड़े भैया का आशीर्वाद लेकर दुगुनी कसरत करूँगा.
मैं- भैया में और अपने में फर्क है मेरे दोस्त. भैया सेठ व्यापारी आदमी है अपन है किसान . अपन तो खेती में ही टूट लेते है तू बता भैया कब जाते है खेतो में .
मंगू- बात तो सही है पर ताकत तो बढ़ानी ही है
मैं- सो तो है
फिर मंगू वापिस चला गया . करने को कुछ खास था नहीं तो खाना खाने के बाद मैंने बिस्तर पकड़ लिया . बेशक मैं चाची की लेना चाहता था पर चाची चाहती थी की थोडा ठीक होने के बाद ही किया जाये. चाची के गर्म बदन को बाँहों में लिए मैं गहरी नींद में सोया पड़ा की जानवरों की आवाजो से मेरी नींद उचट गयी . कानो में सियारों के रोने की आवाज आ रही थी .
“गाँव में सियार ” मैंने अपने आप से कहा और बिस्तर से उठ कर बाहर आया . मैंने दरवाजा बंद किया और लालटेन को रोशन किया. रौशनी की उस लहर में मेरी नींद से भरी आँखों ने गली के बीचो बीच जो देखा बस देखता ही रह गया ...................
Mamala entertaining lag raha hai, weekend pe shuru karta hu ise#134
मैं- परकाश क्यों तलाश रहा था महावीर के कातिल को
सरला- उसने कभी बताया नहीं .
मैं- तुझे क्या लगता है कौन हो सकता है उसका कातिल
सरला- इतनी बड़ी दुनिया है कोई भी हो सकता है
मैं- तू भी हो सकती है
सरला- तुम्हे लगता है ऐसा.
मैं- तुम तीनो औरते किसकी हुई, न अपने पतियों की न अपने आशिको की