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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Dungeon Master

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Thanks bhai
5th post pe ban jaaega
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आदमखोर का मसला आखिरकार सुलझ गया। अभिमानु के बचपन का दोस्त महावीर ठाकुर ही वास्तव मे आदमखोर निकला। उसे यह बिमारी उत्तराखंड के घने जंगलों से किसी विशेष प्रकार के जानवर के सम्पर्क मे आने से हुई थी।
यह भी स्पष्ट हुआ कि उसी की वजह से यह रोग वायरल हुआ और नंदिनी भाभी को भी अपने चपेट मे ले लिया। जैसे कबीर के साथ हुआ था।
लेकिन यह देख कर ताज्जुब भी हुआ कि अभिमानु जैसे नेक और फरिश्ते इंसान की फ्रेंडशिप कैसे कैसे निम्न स्तर के लोगों से बनी हुई थी।
महावीर को उसी वक्त मार देना चाहिए था जब उसकी असलियत अभिमानु के सामने उजागर हुई।

महावीर के बाद मंगू कहानी का दूसरा प्रमुख विलेन साबित हुआ। ये दोनो शख्स जिंदा गोश्त के साथ साथ हवस के हैवान भी निकले जिन्हे अपनी सेक्सुअल नीड के लिए इन्सेस्ट से भी परहेज नही था। हत्या और सेक्स इनका कर्म और धर्म बन चुका था।

कहानी मे तीन ऐसी महिलाएं भी अपनी परचम लहराती हुई नजर आई जिन्होंने अपनी वासना प्राप्ति के लिए सारी हदें पार कर दी थी। रमा , कविता और सरला। मुझे लगता है नगरबधू इनसे लाख बेहतर कही जा सकती हैं।
घरेलु महिलाएं कपड़े की तरह अपना प्रेमी नही बदलती है। यह कार्य या तो सेक्सुअल व्यापार मे लिप्त महिलाएं करती है या निम्फोमैनियाक औरतें।

फिलहाल तो सबसे बड़ा सवाल ही यही है कि निशा का पास्ट के साथ साथ फ्यूचर क्या होने वाला है ! वो डाकन कैसे और क्यों बन गई ?
राय साहब के कर्मो का फल उन्हे कभी प्राप्त होगा भी या नही ?

कहानी मे अपने सभी सस्पेंस को अच्छी तरह से परत दर परत खुलासा किया है आप ने फौजी भाई। और रोमांच को एक उंचाई तक पहुंचाया है।
एक हजार पृष्ठ कोई मजाक नही है। कहानी की सफलतम उपलब्धि की पहचान है यह।

सभी अपडेट बेहतरीन और खुबसूरत थे। और मेरे शब्दों मे जगमग जगमग भी।
 
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#2

मंगू इतनी जोर से चीखा था की एक पल के लिए मेरी भी फट गयी . मैंने तुरंत उस आदमी को मंगू के ऊपर से हटाया तो मालूम हुआ की वो हमारे गाँव का ही हरिया कोचवान था .

“रे बहनचोद हरिया , गांड ही मार ली थी तूने तो मेरी ” अपनी सांसो को दुरुस्त करते हुए मंगू ने हरिया को गाली दी .

पर हरिया को कोई फर्क नहीं पड़ा. वो अपने हाथो से हमें इशारा कर रहा था .

मैं- हरिया क्या चुतियापा मचाये हुए है तू मुह से बोल कुछ

पर कोचवान अपने हाथो को हिला हिला कर अजीबो गरीब इशारे कर रहा था . तभी मेरी नजर हरिया उंगलियों पर पड़ी जो टूट कर विपरीत दिशाओ में घूमी हुई थी ,अब मेरी गांड फटी . कुछ तो हुआ था कोचवान के साथ जो वो हमें समझाने की कोशिश कर रहा था .

“बैठ ” मैंने उसे शांत करने की कोशिश की , उसकी घबराहट कम होती तभी तो वो कुछ बताता हमें.

मंगू- भाई इसका शरीर पीला पड़ता जा रहा है

मैं- मंगू इसे तुरंत वैध जी के पास ले जाते है

मंगू- हाँ भाई

मैंने और मंगू ने हरिया को गाड़ी में पटका . अपनी साइकिल लादी और करीब आधे घंटे बाद उसे गाँव में ले आये. रात आधी से ज्यादा बीत चुकी थी पर हमें भला कहाँ चैन मिलता . ये कोचवान जो पल्ले पड़ गया था .

“बैध जी बैध जी ” मंगू गला फाड़े चिल्ला रहा था पर मजाल क्या उस रात कोई अपने गरम बिस्तरों से उठ कर दरवाजा खोल दे. जब कई देर तक इंतज़ार करने के बाद भी बैध का दरवाजा नहीं खुला तो मैंने एक पत्थर उठा कर उसकी खिड़की पर दे मारा .

“कौन है कौन है ” चिल्लाते हुए बैध ने दरवाजा खोला .

“तुम , तुम दोनों इस वक्त यहाँ पर क्या कर रहे हो और मेरी खिड़की का कांच क्यों तोडा तुमने, क्या चोरी करने आये हो .” बैध ने अपना चस्मा पकड़ते हुए कहा

मैं- आँखों को खोल कर देखो बैध जी

बैध ने चश्मा लगाया और मुझे देखते हुए बोला- अरे बेटा तुम इतनी रात को , सब राजी तो है न

तब तक मंगू हरिया को उतार कर ला चूका था .

मैं- ये हमें जंगल में मिला.

जल्दी ही हम वैध जी के घर में वैध को हरिया की पड़ताल करते हुए देख रहे थे .

मैं- मार पीट के निशान है क्या

वैध- नहीं बिलकुल नहीं

मैं- तो इसकी उंगलिया कैसे मुड़ी और ये बोल क्यों नहीं पा रहा

वैध- जीभ तालू से चिपक गयी है .

मैं- हुआ क्या है इसे

वैध- समझ नही आ रहा

मंगू- तो क्या घंटा के बैध हो तुम

वैध- कुंवर, तुम्हारी वजह से मैं इसे बर्दाश्त कर रहा हूँ वर्ना इसके चूतडो पर लात मारके भगा देता इसे.

मैं- माफ़ करो वैध जी, इसे भी हरिया की फ़िक्र है इसलिए ऐसा बोल गया . पर वैध जी आप तो हर बीमारी के ज्ञाता हो , न जाने कितने लोगो की बीमारी ठीक की है आपने , आप ही इसका मर्म नहीं पकड़ पा रहे तो क्या होगा इसका.

वैध - फ़िलहाल इसे कुछ औषधि दे देता हूँ किसी तरह रात कट जाये फिर सुबह देखते है



मंगू- चल भाई घर चलते है

मैं- इस घोडा गाड़ी का क्या करे , हरिया के घर इस समय छोड़ेंगे तो उसके परिवार को बताना पड़ेगा वो लोग परेशां हो जायेंगे

मंगू- परेशां तो कल भी हो जाना ही है

मैं- कम से कम रात को तो चैन से सो लेंगे.

घोड़ो की व्यवस्था करने के बाद मैंने मंगू को उसके घर छोड़ा और फिर दबे पाँव अपने चोबारे में घुस ही रहा था की .....

“आ गए बरखुरदार ”

मैंने पलट कर देखा भाभी खड़ी थी .

मैं- आप सोये नहीं अभी तक .

भाभी- जिस घर के लड़के देर रात तक घर से बाहर रहे वहां पर जिम्मेदार लोगो को भला नींद कैसे आ सकती है

मैं- क्या भाभी आप भी

भाभी- इतनी रात तक बाहर रहना ठीक नहीं है , रातो को दो तरह के लोग ही बाहर घूमते है एक तो चोर दूसरा आशिक

मैं- यकीन मानिये भाभी , मैं उन दोनों में से कोई भी नहीं हूँ . सो जाइये रात बहुत हुई. कोई आपको ऐसे जागते देखेगा तो हैरान होगा.

भाभी- अच्छा जी, रातो को बाहर घुमो तुम और हैरानी हमसे वाह जी वाह

मैं बस मुस्कुरा दिया और चोबारे में घुस गया . गर्म लिहाफ ओढ़े हुए मैं बस हरिया कोचवान के बारे में सोचता रहा .



सुबह जब आँख खुली तो सर में हल्का हल्का दर्द था , निचे आया तो देखा की भैया कुर्सी पर बैठे थे . मैंने उनको परनाम किया और हाथ मुह धोने लगा .

भैया- कुंवर तुमसे कुछ बात करनी थी

मैं - जी भैया

भैया- हमने तुमसे कहा था की छोटी मोटी जिमीदारिया निभाना सीखो . कल तुम फिर से न जाने कहाँ गायब थे , चाची के खेत बिना पानी के रह गए. तुमसे कहा था की वो काम तुमको करना है . फसल बर्बाद होगी तो नुकसान होगा.

मैं- भैया, आज रात पानी दे दूंगा आइन्दा से आपको शिकायत नहीं होगी.

तभी भाभी चाय के कप लिए हुए हमारी तरफ आई

भाभी- मजदूरो को क्यों नहीं भेज देते , वैसे भी मजदुर खेतो पर काम करते तो हैं

भैया- तुम्हारे लाड ने ही इसे इतना बिगाड़ दिया है की ये हमारी भी नहीं सुनता. इसे भी अपनी जमीन से उतना ही प्यार होना चाहिए जितना हमें है . माना की ये सब इसका ही है पर हमारा ये मानना है की पसीने का दाम चुकाए बिना कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता .

मैंने भाभी के हाथ से चाय का कप लिया और घूँट भरी. कड़क ठंडी की सुबह में गजब करार आ गया . भाभी मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा पड़ी.

हम बात कर ही रहे थे की तभी वैध जी का आना हुआ

वैध- मुझे तुमसे कुछ जरुरी बात करनी है

मैं- कहिये

वैध- तुमसे नहीं कुंवर, बड़े साहब से .


सुबह सुबह मेरा दिमाग घूम गया कायदे से वैध को मुझे हरिया के बारे में बताना चाहिए था पर वो भैया से कोई बात करने आया था . उत्सुकता से मैंने अपने कान लगा दिए पर भैया उसे लेकर घर से बाहर चले गए. मैं उनके पीछे पीछे दरवाजे पर पहुंचा ही था की तभी धाड़ से मैं टकरा गया . “हाय राम ” दर्द से मैं बोला . अपने आप को सँभालते हुए मैं जब तक उठा वो दोनों भैया की गाड़ी में बैठ कर जा चुके थे ... पर कहाँ ...........
:claps: badia tha ye wala guru, maja aa raha hai.

suspense hai plot me, sidha sadha story nahi hai, badia thrill aur entertainment ka bejod mel hai, agla update dekhte hai
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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आदमखोर का मसला आखिरकार सुलझ गया। अभिमानु के बचपन का दोस्त महावीर ठाकुर ही वास्तव मे आदमखोर निकला। उसे यह बिमारी उत्तराखंड के घने जंगलों से किसी विशेष प्रकार के जानवर के सम्पर्क मे आने से हुई थी।
यह भी स्पष्ट हुआ कि उसी की वजह से यह रोग वायरल हुआ और नंदिनी भाभी को भी अपने चपेट मे ले लिया। जैसे कबीर के साथ हुआ था।
लेकिन यह देख कर ताज्जुब भी हुआ कि अभिमानु जैसे नेक और फरिश्ते इंसान की फ्रेंडशिप कैसे कैसे निम्न स्तर के लोगों से बनी हुई थी।
महावीर को उसी वक्त मार देना चाहिए था जब उसकी असलियत अभिमानु के सामने उजागर हुई।

महावीर के बाद मंगू कहानी का दूसरा प्रमुख विलेन साबित हुआ। ये दोनो शख्स जिंदा गोश्त के साथ साथ हवस के हैवान भी निकले जिन्हे अपनी सेक्सुअल नीड के लिए इन्सेस्ट से भी परहेज नही था। हत्या और सेक्स इनका कर्म और धर्म बन चुका था।

कहानी मे तीन ऐसी महिलाएं भी अपनी परचम लहराती हुई नजर आई जिन्होंने अपनी वासना प्राप्ति के लिए सारी हदें पार कर दी थी। रमा , कविता और सरला। मुझे लगता है नगरबधू इनसे लाख बेहतर कही जा सकती हैं।
घरेलु महिलाएं कपड़े की तरह अपना प्रेमी नही बदलती है। यह कार्य या तो सेक्सुअल व्यापार मे लिप्त महिलाएं करती है या निम्फोमैनियाक औरतें।

फिलहाल तो सबसे बड़ा सवाल ही यही है कि निशा का पास्ट के साथ साथ फ्यूचर क्या होने वाला है ! वो डाकन कैसे और क्यों बन गई ?
राय साहब के कर्मो का फल उन्हे कभी प्राप्त होगा भी या नही ?

कहानी मे अपने सभी सस्पेंस को अच्छी तरह से परत दर परत खुलासा किया है आप ने फौजी भाई। और रोमांच को एक उंचाई तक पहुंचाया है।
एक हजार पृष्ठ कोई मजाक नही है। कहानी की सफलतम उपलब्धि की पहचान है यह।

सभी अपडेट बेहतरीन और खुबसूरत थे। और मेरे शब्दों मे जगमग जगमग भी।
आंखे तरस गई थी सरकार आपकी राह देखते देखते. अब बस कोशिश है कि अंत शानदार हो
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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:claps: badia tha ye wala guru, maja aa raha hai.

suspense hai plot me, sidha sadha story nahi hai, badia thrill aur entertainment ka bejod mel hai, agla update dekhte hai
Suspense se curiosity bani rahti hai
 
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