• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Studxyz

Well-Known Member
2,933
16,289
158
वाह बहुत खूब कुंवर बाज़ ही नहीं आ रहा था और सिर फूटे पर भी जंगल में आ गया वो भी ऐसी जगह जहाँ डायन मिल गयी और शायद यहां उसका ही वास है फिर आगे क्या हुआ ?

फौजी भाई हर बार ऐसी जगह रोकते हो ना इधर ना उधर अब अगले अपडेट तक पेज रिफ्रेश करते रहो :vhappy1:
 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
312
2,934
123
#10

“इस गाँव का हर घर मेरा है , हर आदमी मेरा भाई-बेटा है . हर औरत मेरी बहन-बेटी है . इस गाँव की खुशहाली के लिए हम सब ने मिलकर कुछ नियम बनाये है ताकि भाई-चारा बना रहे. इस गाँव में बहुत सी जाती के लोग बसे हुए है पर आज तक ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे किसी भी गाँव वाले का सर झुका हो. इस प्रेम प्यार का एकमात्र कारण है हमारे उसूल जिन पर हम सब चलते आ रहे है . लाली हम में से एक थी पर उसने पर पुरुष का साथ किया जो की अनुचित है . चूँकि पंचायत के माननीय सदस्यों ने निर्णय कर ही लिया तो हम सब को निर्णय का उच्चित सम्मान करना चाहिए ” पिताजी ने कहा .

पिताजी की बात सुनकर मुझ बहुत गहरा धक्का लगा राय चंद जी एक अनुचित काम को समर्थन दे रहे थे .

“पंचायत के निर्णय को मैं अपनी जुती की नोक पर रखता हूँ , मैं देखता हूँ कौन हाथ लगाता है मेरे होते हुए इन दोनों को ” मैंने गुस्से से कहा .

“तुम अपनी सीमा लांघ रहे हो कबीर ” पिताजी की आवाज में तल्खी थी.

“कुंवर, आपको हमारे लिए इन लोगो से झगडा करने की जरुरत नहीं है . आपने हमें समझा यही बड़ी बात है , ये झूठी शान में जीने वाले लोग कभी प्रेम को नहीं समझ सकते. हमारी नियति में जो है वो हमें मिलेगा.” लाली ने अपने हाथ मेरे सामने जोड़ते हुए कहा .

मैं- जीवन इश्वर का अनमोल तोहफा है और किसी को भी हक़ नहीं उसे नष्ट करने का सिवाय इश्वर के.

इस से पहले की मेरी बात ख़तम होती पिताजी का थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ चूका था . जिस पिता ने कभी ऊँगली तक मेरी तरफ नहीं की थी उसने पुरे गाँव के सामने मुझे थप्पड़ मारा था .

“हमने कहा था न की अपनी सीमा मत लाँघो कबीर. इस दुनिया में किसी की भी हिम्मत नहीं की हमारी बात काट सके.पंचायत की निर्णय की तुरंत तामिल की जाए ” पिताजी की गरजती आवाज चौपाल में गूँज रही थी .

तुंरत ही कुछ लोग लाली की तरफ लपके .

मैं- खबरदार जो इन दोनों को किसी ने भी हाथ लगाया जो हाथ लाली की तरफ बढेगा उस हाथ को उखाड़ दूंगा मैं.

पिताजी- निर्णय की पालना में यदि कोई भी अडचन डालता है तो खुली छूट है उसे सबक सिखाने की .

पिताजी का निर्णय गाँव वालो के लिए पत्थर की लकीर थी पर मेरी रगों में भी राय साहब का खून था. जिन गाँव वालो के साथ मैं बचपन से खेलता आ रहा था जिनके साथ हंसी खुशी में मैं शामिल था उनसे भीड़ गया था मैं. दो चार को तो धर लिया था मैंने पर मैं कोई बलशाली भीम नहीं था भीड़ मुझ पर हावी होने वाली थी . मेरी पूरी कोशिश थी की लाली को कोई हाथ भी नहीं लगा पाए.

मैंने एक पंच की कुर्सी उठा ली और उसे अपना हथियार बना लिया. जो भी जहाँ भी जिसे भी लगे मुझे परवाह नहीं थी . पंचायत की जिद थी तो मेरी भी जिद थी मेरे रहते वो लोग लाली को फांसी नहीं दे सकते थे . पर तभी अचानक से सब कुछ बदल गया . मेरी आँखों के आगे अँधेरा छा गया . पीछे से किसी ने मेरे सर पर मारा था . वार जोरदार था . मैंने खुद को गिरते हुए देखा और फिर मुझे कुछ याद नहीं रहा.

आँख खुली तो मैंने खुद को अपने चौबारे में पाया . चाची, भाभी, मंगू, चंपा सब लोग आस पास बैठे हुए थे . मैं तुरंत बिस्तर से उठ बैठा .

“लाली , ” मैंने बस इतना कहा

भाभी- शांत हो जाओ देवर जी, चोट लगी है तुम्हे

भाभी ने एक गिलास पानी का मुझे दिया कुछ घूँट भरे मैंने पाया की सर पर पट्टी बंधी थी और दर्द बेशुमार था .

“लाली के साथ क्या किया उन्होंने ” मैंने कहा

चंपा- भाड़ में गयी लाली, हमारे लिए तुम महत्वपूर्ण हो कबीर. क्या जरुरत थी तुम्हे फसाद करने की मालूम है कितनी चोट लगी है तुम्हे.

चाची की आँखों में आंसू थे पर मेरा दिल जोर से धडक रहा था .मैं बिस्तर से उतरा और एक शाल लपेट पर चोबारे से बाहर निकल गया .

“कहाँ जा रहे हो भाई ” मंगू ने कहा पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया. साइकिल उठा कर मैं चौपाल पर पहुंचा जहाँ पर पेड़ से दो लाशे लटक रही थी . मेरी आँखों से झर झर आंसू गिरने लगे. बेशक लाली और उसका प्रेमी मेरे कुछ नहीं लगते थे पर मुझे दुःख था .

“माफ़ करना मुझे , मैं तुम्हे बचा नहीं पाया ” मैंने लाली के पांवो को हाथ लगा कर माफ़ी मांगी. मेरा दिल बहुत दुखी था . . मन कच्चा हो गया था मेरा. बहुत देर तक मैं उधर ही बैठा रहा .सोचता रहा की कैसा सितमगर जमाना है ये . क्या दस्तूर है इसके.

जब सहन नहीं हुआ तो मैं गाँव से बाहर निकल गया . ब्यथित मन में बहुत कुछ था कहने को. बेखुदी में भटकते हुए न जाने कब मैं जंगल में उधर ही पहुच गया जहाँ दो बार मैं इत्तेफाक से था. दुखी मन थोडा और विद्रोही हो गया . मैंने साइकिल उधर ही पटकी और पैदल ही भटकने लगा जंगल में.

वन देव की मूर्ति के पास बैठे बैठे कब मेरा सर भारी हो गया मालूम ही नहीं हुआ. पर जब तन्द्रा टूटी तो मैंने खुद को अन्धकार में पाया. गहरी धुंध मेरे चारो तरफ छाई हुई थी और मैं ठण्ड से कांप रहा था . रात न जाने कितनी बीती कितनी बाकि थी. सर के दर्द के बीच थोडा समय जरुर लगा समझने में की मैं कहाँ पर हूँ. आँखों के सामने बार बार लाली, हरिया और वो बुजुर्ग जिसे मैं नहीं जानता था के चेहरे आ रहे थे .मैंने उसी पल जंगल में अन्दर जाने का निर्णय लिया.

दूर कहीं झींगुरो की आवाज आ रही थी . कभी सियारों और जंगली कुत्तो की आवाजे आती पर मैं चले जा रहा था . कंटीली झाडिया उलझी कभी कांटे चुभे पर फिर मैंने एक ऐसी जगह देखि जो यहाँ थी कम से कम मैं तो नहीं जानता था .

वो एक तालाब था . जंगल की न जाने किस हिस्से में वो तालाब जिसमे लहरे हिलोरे मार रही थी . वो पक्का तालाब जिसकी एक दिवार मेरे सामने खड़ी थी किसी हदबंदी की तरह और तालाब के पार वो काली ईमारत जिसका वहां अपने आप में अजूबा था . चाँद की रौशनी में तालाब का पानी बहुत काला लग रहा था .

तालाब के पास से होते हुए मैं उस ईमारत की तरफ लगभग आधी दुरी तय कर चूका था की पानी में जोर से छापक की आवाज हुई . मैंने मुड कर देखा पानी में कोई नहीं था बस लहरे उठ रही थी . शायद मछलिय होंगी इसमें मैंने खुद को तसल्ली दी और इमारत की सीढिया चढ़ते हुए ऊपर चला गया .

प्रांगन में जाते ही मैं समझ गया की ये कोई प्राचीन मंदिर रहा होगा जिसे वक्त ने और हम जैसो ने भुला दिया . हर तरफ जाले ही जाले लगे थे . सिल के पत्थरों की नक्काशी चांदनी में चमक रही थी . खम्बो से चुना झड़ रहा था . मैं थोडा और आगे बढ़ा . मैंने देखा की चार छोटे खम्बो पर टिकी छत के निचे कोई मेरी तरफ पीठ किये बैठा था . मेरी आँखे जो देख रही थी वो यकीन करना मुश्किल था . कड़कती ठण्ड की रात में जब धुंध ने हर किसी को अपने आगोश में लिए हुए था. इस सुनसान जगह पर कोई शांति से बैठा था . पर किसलिए. मेरे दिल में हजारो सवाल एक साथ उठ गए थे .

“रातो को यूँ भटकना ठीक नहीं होता ” उसने बिना मेरी तरफ देखे कहा. न जाने कैसे उसे मेरी उपस्तिथि का भान हो गया था .

उसकी आवाज इतनी सर्द थी की ठण्ड मेरी रीढ़ की हड्डी में उतर गयी .

“कौन हो तुम ” मैंने पूछा

वो साया उठा और मेरी तरफ. मेरे पास आया. मैंने देखा की वो एक लड़की थी .काली साडी में माथे पर गोल बिंदी लगाये. कुलहो तक आते उसके काले बाल. चांदनी रात किसी आबनूस सी चमकती वो लड़की एक पल को मैं उसमे खो सा गया पर फिर मैंने पूछा- कौन हो तुम

वो मेरे पास आई और बोली- डायन ............................

Finally नायिका की entry हो ही गई

पिता और पुत्र के रिश्ते में एक वक्त के बाद दूरी आ ही जाती है देखना है कबीर का भाई इसे किस तरह हैंडल करता है। उम्मीद है की अपडेट जल्दी जल्दी आएगा
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,458
87,291
259
भाई साहब पहली बार आपकी कहानी के हीरो से दिल मिल रहा है।
बाक़ी अब तक सारे हीरो आपके लड़कीबाज़ और धोक़ेबाज ही थे। सभी लड़कियों को प्यार भरे वादे !
मुझे आपके ये किरदार अब तक सबसे प्यारे लगे।
दिल छू लिया पहली दफ़ा से ही!!
दो प्रेमिकाओं के चक्कर में दोनो से धोका, शायद कबीर ना करे ऐसा!!
बाक़ी कहानी आपकी बहुत ही रोचक है।👌🏽
ऐसी रचना हमारी नज़र करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार 🙏🏽
हर कहानी मे हीरो की मनोदशा अलग थी भाई इस कहानी की अभी शुरुआत है आगे ना जाने क्या ho जाए
 

agmr66608

Member
340
1,573
123
जबर्दस्त अनुच्छेद मित्र। कहानी मे डायन के पदार्पण से और वो पुराना मंदिर से बहुत कुछ राज पर पर्दा लगता है की उठना शुरू होगा। हमलोग खुशनसीब है की देबनागरी मे एक और मस्त उपन्यास मिलनेवाला है। आपका आभार। नमस्कार।
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
Staff member
Moderator
33,324
150,078
304
Isme koi shak nahi hai ki niyam hamari bhalayi ke liye hi banaye jaate hai lekin unhe samy samy par parsithiti ke anusaar badla jaana chahiye, kabir ke pitaji panchayat ke hissa hai or itne logo ke saamne apne hi bete ka apne virudh jaana unke maan-samaan or vavktitva ko thes pahochta hai thik aisa hi kabir ke saath hai isiliye aaj dono ke bich wah hua jo nahi hona chahiye, baat sirf soch or samjh ki hai or apne drishtikon se to sabhi khud ko sahi samjhte hai...

Jungle me ek ghar ye baat hairaan karne waali hai kyuki gaav se dur aise viraane me koi haveli kuch ajib Hai, us ladki ne daayan kaha ispar filhaal hum nahi kahege jabtak kuch saaf samjh me nahi aata...

Hamesha ki tarah behtarin update tha intzaar rahega agle bhaag ka...
 
Top