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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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रूड़ा की बेटी अभिमन्यु की प्रेमिका...

इसीलिए सूरजभान उसका फर्ज।

लेकिन वो बेटी रूड़ा के रहते आती नही, इसका मतलब कहीं काली मंदिर का राज तो नही....


एक बात और संभव हो सकती है कि रूड़ा की बेटी के पीछे कहीं राय साहब ही न पड़ गए हों जिसके कारण वो अलग रह रही हो।
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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#67

मैं- कैसा फर्ज भैया

भैया- बस इतना समझ ले छोटे , उसे भी थाम कर रखना है मुझे

मैं- ये मुमकिन नहीं हो पायेगा भैया . मैं हद नफरत करता हु उससे . एक दिन आयेगा जब या तो वो रहेगा या मैं

भैया- जब तक मैं हूँ वो दिन कभी नहीं आएगा.

भैया ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और अन्दर चले गए. मैंने देखा भाभी मुझे ही देख रही थी .तमाम चीजो के बीच सिर्फ यही राहत थी की फिलहाल के लिए उस आदमखोर के हमले रुके हुए थे. गाँव वालो को भी थोडा चैन था . कुछ तो भैया छिपा रहे थे मुझसे पर क्या. राय साहब और भैया दोनों में एक बात एक सी थी की दोनों के कोई दोस्त नहीं थे. और जब आदमी अकेला होता है तो उसके इतिहास को तलाशना और मुस्किल हो जाता है .

एक बार फिर मैं दोपहर को रमा के अड्डे पर था.

रमा- पर तुम प्रकाश से जानकारी कैसे निकल्वाओगे

मैं- तुम्हारी मदद से , तुम्हारे हुस्न पर फ़िदा है वो तुम उसे अगर उलझाये रखो तो मैं उसके घर से कागज तलाश लूँगा.

रमा- मैं उसे जायदा देर तक नहीं उलझा पाउंगी , क्योंकि मैं उसे बस रिझा सकती हूँ उसकी मनचाही नहीं करुँगी. दूसरी बात वो बहुत धूर्त है समझ जायेगा की तुम्हारे कहने पर मैं कर रही हूँ ये

मैं- तो क्या करे.

रमा- रात की जगह तुम ये काम दिन में करो . दिन में वो अदालत में रहता है या फिर तुम्हारे पिता के साथ

.

रमा की बात में दम था . और दस्तूर भी क्योंकि प्रकाश का घर आबादी से दूर मलिकपुर के पिछले हिस्से में था. मैंने रमा को साथ लिया और हम उसके घर में घुस गए. घर ज्यादा बड़ा नहीं था तीन कमरे थे और एक छोटी सी रसोई. एक कमरे में उसके कागज थे कचहरी के . मैंने वसीयत के कागज तलाशे पर कुछ नहीं मिला. पूरा कमरा देख लिया. दुसरे कमरे में बस बिस्तर पड़ा था . पर तीसरे कमरे में कुछ ऐसा था जिसने मेरे मन को और मजबूत किया की प्रकाश धूर्त ही नहीं गलीच भी था. कमरे में औरतो की कछिया पड़ी थी . फटे हुए ब्लाउज पड़े थे. मतलब की यहाँ पर वो औरतो को चोदने के लिए लाया करता था .

मैं- देख रही हो रमा क्या काण्ड हो रहे है ये

रमा- समझ रही हूँ .

मेरी नजर रमा की छातियो पर पड़ी जो जोर से ऊपर निचे हो रही थी . बेशक उसने शाल ओढा हुआ था पर फिर भी मैं उसकी गोलाइयो को महसूस कर पा रहा था . एक पल को लगा की उसने मेरी नजरे पकड़ ली है.

रमा- वो कागज महत्वपूर्ण है उन्हें खुले में तो नहीं रखेगा . किसी तिजोरी जैसी जगह में रखेगा.

मुझे जायज लगी उसकी बात. मैंने एक बार फिर से गहनता से तलाशी शुरू की पर हालात वैसे के वैसे थे.

मैं- घी जब सीधी ऊँगली से नहीं निकलता तो ऊँगली टेढ़ी करनी पड़ती है प्रकाश अब खुद कागज देगा मुझे .

हम लोग वापिस रमा के ठिकाने पर आ गए.

रमा- जबसे तुम इधर आने लगे हो सूरजभान और उसके साथी आते नहीं इधर

मैं- मेरी वजह से तुम्हारा धंधा कम हो गया .

रमा- वो बात नहीं है

मैं- क्या उन्होंने तुमसे कहा नहीं की क्यों बिठाती हो मुझे .

रमा- अभी तक तो नहीं .

मैं- और रुडा

रमा- रुडा ज्यादातर बाहर ही रहता है . उसमे पहले वाली बात नहीं रही . किसी ज़माने में उसका सिक्का चलता था पर अब उम्र भी तो हो गयी है .

मैं- और उसकी बेटी

रमा- वो बाहर पढ़ती थी बड़े शहर में पुरे पांच बरस बाद लौटी है . रुडा और उसकी कम ही बनती है .जब वो आती है तो रुडा घर नहीं रहता रुडा आये तो वो चली जाती है . इतने दिन बाद आई है तो कोई विशेष कारण ही होगा.

मैं- ब्याह नहीं किया रुडा ने उसका

रमा- सुना है की वो करना नहीं चाहती ब्याह.



“भैया ने भी पुरे पांच साल बाद मलिकपुर की धरती पर कदम रखा क्या सूरजभान की बहन ही वो वजह थी . वो भी पांच साल बाद लौटी है क्या अतीत में इनके बीच कुछ था ” मैंने खुद से ये सवाल किया. वापिस गाँव आने के बाद मैं कोचवान हरिया के घर गया .

“कैसी हो भाभी ” मैंने पूछा

भाभी- बस जी रहे है कुंवर

मैं- जीना तो है ही भाभी, अपने लिए न सही इन बच्चो के पालन के लिए हरिया की कमी तो जिन्दगी भर रहेगी उसकी जगह तो कोई भर नहीं सकता पर जीवन में आगे बढ़ना भी जरुरी है

भाभी- बात तो सही है पर मेरे लिए मुश्किल हो रहा है तीन बच्चो और बूढ़े सास-ससुर को संभालना , पहले बालको का बापू कमा कर लाता था तो घर चलता था .

मैं- तुम्हे किसी भी चीज से परेशां होने की जरुरत नहीं है भाभी . ये तो मेरी कमी हुई जो तुम्हारा ध्यान नहीं रख पाया . घर में ये हालात है और तुम एक बार भी मुझसे कह नहीं पाई. ये तो गलत है न भाभी,

भाभी- किस मुह से कहे कुंवर. हाथ फ़ैलाने के लिए भी कलेजा लगता है

मैं- ये कह कर तुमने मुझे बहुत छोटा कर दिया भाभी

मैंने जेब से पैसे निकाले और भाभी के हाथ में रख दिए.

भाभी- मैं कहाँ से चूका पाऊँगी

मैं- कोई जरूरत नहीं है भाभी और तुम्हे काम भी मिल जायेगा तुम हमारे खेतो पर काम करो . अपनी मेहनत से पैसा कमाओ .

भाभी ने मेरे आगे हाथ जोड़ दिए.

मैं- शर्मिंदा मत करो

वापसी में मैंने बनिए से कह दिया की हरिया कोचवान के घर छ महीने का राशन तुरंत पहुंचा दे. घर आकार मैंने खाना खाया और बिस्तर पकड़ लिया पर आँखों में दूर दूर तक नींद नहीं थी . कभी इधर करवट कभी उधर करवट दिल में बस एक ही सवाल था .

“क्या परेशानी है नींद नहीं आ रही जो ” चाची ने कहा

मैं- चाची क्या भैया किसी लड़की से प्रेम करते थे . ................
Nice update, 5 saal baad ruda ki ladki wapas gaav aayi hai or thik 5 saal baad hi bhaiya us gaav me gaye hai ye sahaz nahi lagta hai hume or surajbhaan waali baat bhi unhone khul ke nahi bataya khair prakash ke ghar me kuch bhi nahi mila matlab koi or dusri jagah hai jaha wah kaagz chupa ke rakhta hai..
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Nice update, 5 saal baad ruda ki ladki wapas gaav aayi hai or thik 5 saal baad hi bhaiya us gaav me gaye hai ye sahaz nahi lagta hai hume or surajbhaan waali baat bhi unhone khul ke nahi bataya khair prakash ke ghar me kuch bhi nahi mila matlab koi or dusri jagah hai jaha wah kaagz chupa ke rakhta hai..
वो कच्छी बनियान वाले कमरे में ही होगा
 

LuckyKumar

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Kya hi shandar update hai bhai .
Aapki writing ki koi jawab nahi .
Ab sayad bhaiya ki prem kahani pata chale .
Par mujhe pata nahi kyu Aisa lagta hai ki sayad surajbhan Rai sahab ki hi aulad na ho .
Par dekhte hai aage kya hota hai .
Dheere dheere kuch raaj kholiye Bhai .
Bahut sare secrets ho gaye hai sochte sochte 😁
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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हम्म्म.. तो अभिमानु और रूड़ा की लड़की एक – दूसरे से प्रेम करते थे, परंतु जान पड़ता है की शायद रूड़ा की वजह से दोनों एक नहीं हो पाए, रमा की बात की दोनों बाप – बेटी में दूरियां हैं, इसी ओर इशारा करती है। सूरजभान, शायद रूड़ा की लड़की की ही इच्छा या वचन रहा होगा, अभिमानु के लिए, जिसके कारण आज वो सूरजभान की रक्षा कर रहा है। परंतु, इस सबमें रूड़ा की क्या भूमिका है,ये असली प्रश्न है। लगभग साफ है की अभिमानु अपना प्रेम रूड़ा के ही कारण नहीं पा सका, परंतु फिर सूरजभान क्यों अभिमानु के साथ सहज है? क्या उसके भीतर घृणा नहीं है अभिमानु के लिए, ठाकुरों के उसूल घर की लड़कियों के लिए क्या होते हैं, ये कोई राज़ नहीं...

ऐसे में, सूरजभान के मन में अभिमानु के लिए सहज भाव होना, संभव नहीं लगता। दूसरी ज़रूरी बात ये है की भाभी और अभिमानु का विवाह किन परिस्थितियों में हुआ था? अब कहीं न कहीं लगने लगा है की भाभी को आज तक अभिमानु से वो हक अथवा प्रेम प्राप्त नहीं हुआ, जिसकी एक पत्नी कामना करती है। शायद इसीलिए भाभी कबीर का सहारा ले रही है? क्योंकि यदि चम्पा और विशम्बर दयाल की बात वो कबीर से कह सकी है, तो अभिमानु से क्यों नहीं? स्पष्ट है की दोनों के मध्य संबंध सुदृढ़ नहीं...

एक और मुख्य बात है की क्या चम्पा सत्य में विशम्बर दयाल के साथ संबंध बना चुकी है, या ये मिथ्या है, जो भाभी ने अपने किसी प्रयोजन हेतु कबीर के मन में डाला है... चम्पा अभी भी अपनी बात पर कायम है की मंगू भी उसके साथ सो चुका है, और कहीं न कहीं उसकी बातों, या कहूं की कमज़ोर तर्कों से यही लगा की शायद वो विशम्बर दयाल के साथ भी कर ही चुकी है... लगता यही है की कबीर का प्रकोप अब चम्पा पर टूटने वाला है, परंतु देखना ये होगा की इस प्रकोप की चपेट में अकेली चम्पा ही आएगी या मंगू भी। दोनों को आमने – सामने बैठाकर क्यों नहीं सब साफ कर लेता कबीर? कौनसा दूध के धुले हैं ये दोनों?

परकाश, निश्चित तौर पर ये शख्स बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। रूड़ा की लड़की पर नजर है इसकी, परंतु यहां मुझे लगता है की रूड़ा शायद परकश पर क्रोधित हो ही ना। क्योंकि यदि उसने ही अभिमानु को अपनी बेटी से दूर किया था, तो बेशक वो किसी और के साथ अपनी बेटी का विवाह अवश्य करवाना चाहेगा, चाहे उसकी बेटी की स्वीकृति हो या न हो। परंतु, क्या अभिमानु से बच पाएगा, परकाश यदि उसे ये बात पता चली तो। दूसरी बार, रमा पर भी नज़र है परकाश की, संभव है की भविष्य में वो सहायक साबित होगी कबीर के लिए...

अब समय निकट ही है की कबीर को वसीयत के उस चौथे कागज़ के बारे में पता चले और साथ ही शायद चाची के ज़रिए अभिमानु के अतीत के बारे में भी। देखते हैं की चाची कितना बताएगी और कितना छुपाएगी। बहरहाल, हरिया की बीवी की भी आर्थिक सहायता कर दी है कबीर ने, उसका यही भाव उसे अपने खानदान के बाकी लोगों से भिन्न बनाता है।

दोनों ही भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई। अब कबीर सत्य में कुशलता से सारी छानबीन कर रहा है और सीधे सवाल करने से भी पीछे नहीं हट रहा। इसीलिए संभव है की जल्द ही एक बड़ा खुलासा हो सकता है...

प्रतीक्षा अगली कड़ी की...
अभिमानु के अतीत में अपने वर्तमान को तलाश कर रहा है कबीर . और इतिहास हमेशा रोचक होता है ऐसा मैं मानता हूँ. रुडा ही बेटी और अभिमानु के बीच प्रेम था इसका खुलासा जब होगा तो मजा आएगा ही . चंपा और राय साहब के अवैध सम्बन्ध जिस दिशा में जा रहे है वहां से कहानी में ऐसा मोड़ आयेगा की सब हैरान रह जायेंगे. मंगू ने अपनी बहन को क्यों पेला ये भी जानना दिलचस्प रहेगा. रमा जो कबीर की इतनी मदद कर रही है उसका क्या मकसद है प्रकाश की गांड कब तोड़ेगा कबीर
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Mast update bhai
Yar is champa to dosti ki kaame khati hey ki mere liye dosti badi hey bol ke par sala yaha sach nhi bol rahi hey 😡😡😡

Aur ye bhai sab bol te hey ki mere liye mera bhai sab kuch hey Aur sach nhi bata rahe hey, bhai jiger hey bol rahe hey Aur ohh farj hey, to kya jiger se farj bada ho gaya???

जबरदस्त भाई लाजवाब update

Ye vakil to bohot Tharki nikala, rai jaisa hi lag raha hey
चम्पा क्यों कर रही है ये सब ज्यादा दूर नहीं है इसका खुलासा
 
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