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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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#84



वैध और रमा बिस्तर पर एक दुसरे संग लिपटे पड़े थे. मेरी आँखे ये देख कर हैरान थी की एक बुजुर्ग रमा जैसी औरत की ले रहा था . रमा और वैध के ऐसे सम्बन्ध होगने कोई सोच भी नहीं सकता था . वैध मुझे शुरू से ही कुछ अजीब तो लगता था पर इतना घाघ होगा ये सोचा नहीं था. खैर, मुझे इतंजार करना था . कुछ देर बाद चुदाई ख़त्म हुई और दोनों बिस्तर पर बैठ गए.

रमा- वैध, तुमने वादा किया था मुझसे

वैध- तेरे काम में ही लगा हूँ

रमा- कितने साल बीत गए ये सुनते सुनते तुमने बदले में मेरा जिस्म माँगा था मैंने तुमको वो भी दिया आज तक देती आ रही हूँ और कितना इंतज़ार करना होगा

वैध- जिस्म देकर कोई अहसान नहीं किया तूने , अपनी लाज बचाने का सौदा था वो . ठाकुर से चुद रही थी थोडा मैंने चोद लिया तो क्या हुआ .

रमा- तूने सौदा किया था मुझसे

वैध- रंडिया कब से सौदा करने लगी. तू और वो साली तेरी दोस्त कविता रंडिया ही तो थी .ठाकुर की रंडिया , उसको घर में रखा था जब बाहर चुद रही थी तो घर वालो से क्यों नहीं , मैंने भी चोद लिया तो क्या गुनाह किया .

तो वैध भी चोदता था कविता को. साला हद ठरकी निकला ये साला. हिकारत से मैंने थूका.

रमा- गरीब की आह में आवाज नहीं होती वैध पर जब लगती है न तो बड़ी जोर से लगती है .

वैध- धमकी दे रही है तू मुझे

रमा- मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ की तू अपना वादा निभा

वैध- तो समझ ले की मैंने वादा तोड़ दिया.

रमा- तू ऐसा नहीं कर सकता , तुजे अंजाम भुगतना होगा इसका.

वैध- जानती नहीं तू मेरे ऊपर किसका हाथ है

रमा- जानती हूँ ”

वैध- जानती है तो जब भी बुलाऊ आया कर और चुद कर चुपचाप चली जाया कर

रमा इस से पहले कुछ कहती अन्दर से निकल कर मैं उन दोनों के सामने आकर खड़ा हो गया. दोनों की गांड फट गयी मुझे अचानक से देख कर.

मैं- किसका हाथ है तेरे सर पर वैध

“कुंवर आप यहाँ ” वैध की आँखे बाहर आने को हो गयी .

मैं- ये मत पूछ मैं यहाँ क्यों ये बता की तेरे सर पर किसका हाथ है जो तू रमा से किया अपना वादा नहीं निभा रहा . औरत की चूत इतनी भी सस्ती नहीं की तू चोद ले और बदले में उसे कुछ न दे.

वैध मिमियाने लगा.

मैं- रमा से क्या वादा किया था तूने , मैं सुनना चाहता हूँ और अगर तेरी जुबान तुरुन्त शुरू नहीं हुई तो ये रात बहुत भारी पड़ेगी तुझ पर .

वैध- मैं अभिमानु ठाकुर से कहूँगा की तुम चोरी से मेरे घर में घुसे और मुझे पीटा

मैं- ये कर ले तू पहले, चल भैया के पास अभी चल रमा को तूने चोदा मैं गवाह हूँ वो ही करेंगे तेरा फैसला .

वैध के बदन में बर्फ जम गयी .

मैं- तो बता फिर क्या वादा था वो.

वैध की शकल ऐसी थी की रो ही पड़ेगा . मैंने एक थप्पड़ मारा उसके गाल पर और उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी .

वैध- मैंने रमा से वादा किया था की वो अगर मेरे साथ सोएगी तो मैं उसे बता दूंगा की इसकी बेटी को किसने मारा था

वैध की बात ने मुझे भी हिला कर रख दिया था . जिस सवाल को मैं बाहर तलाश रहा था उसे इस चुतिया ने अपने सीने में दफ़न कर रखा था . रमा की आँखों से आंसू बहने लगे , मैं समझ सकता था एक माँ के दिल पर क्या बीत रही होगी. औरत चाहे जैसी भी हो पर उसका माँ का स्वरूप , उसका दर्जा बहुत बड़ा होता है .

मैं- वादा निभाने की घडी आ गयी है वैध, मैंने भी रमा से एक वादा किया है तू बता मुझे कौन था वो हैवान

वैध ने थूक गटका और बोला- ठाकुर जरनैल सिंह, छोटे ठाकुर ने मारा था रमा की बेटी को .

वैध की आवाज बेशक कमजोर थी पर उसके शब्दों का भार बहुत जायदा था .

मैं- होश में है न तू

वैध- झूठ बोलने का साहस नहीं है मुझमे

चाचा ने अपनी ही प्रेयसी की बेटी का क़त्ल कर दिया था . रमा तो ये सुनकर जैसे पत्थर की ही हो गयी थी .

मैं-रमा तुझसे वादा किया है मैं चाचा को तलाश कर लूँगा तेरी आँखों के सामने ही उसे सजा दूंगा.

रमा की आँखों से झरते आंसुओ के आगे मेरे शब्द कमजोर थे मैं जानता था . दर्द आंसू बन कर बह रहा था . रमा कुछ नहीं बोली , दरवाजा खोल कर घर से बाहर निकल गयी .रह गए हम दोनों

मैं- बड़ा नीच निकला तू वैध. दिल करता है की अभी के अभी तुझे मार दू पर अभी तुझसे कुछ और सवाल करने है जिनके सही सही जवाब चाहिए मुझे, बता भैया के साथ कहाँ जाता है तू .

वैध- कही नहीं जाता मैं

मैं- सुना नहीं तूने

मैंने फिर से एक थप्पड़ मारा.

मैं- बेशक तेरी वफ़ादारी रही होगी भैया से पर आज की रात यदि मुझे तेरा कत्ल करके तेरी रूह से भी अपने जवाब मांगने पड़े न तो भी मैं गुरेज नहीं करूँगा. अब तू सोच ले.

वैध-उनको तलाश है

मैं- किस चीज की तलाश

वैध- ऐसी दवा की जो प्यास को काबू कर सके.

मैं- कैसी प्यास

वैध- रक्त तृष्णा को काबू करना चाहते है वो .

ये रात साली कयामत ही हो गयी थी . भैया को रक्त की प्यास थी . मेरा तो सर ही चकरा गया .

मैं- भैया को रक्त की प्यास , तो क्या भैया ही वो आदमखोर है

वैध- नहीं वो नहीं है .

मैं- तो फिर कौन है किसके लिए भैया को दवा की तलाश है

वैध- नहीं जानता न उन्होंने कभी बताया. अभिमानु को दवाओ का ज्ञान मुझसे भी जायदा है जंगल में अजीब बूटियों की तलाश रहती है उनको वो मुझे सहयोग के लिए ले जाते है .

मैं- क्या कभी भैया ने उस आदमखोर का जिक्र किया तुमसे

वैध- नहीं कभी नहीं .

मैं- कब से जारी है ये तलाश ,

वैध- ठीक तो याद नहीं पर करीब ५-७ साल से वो लगातार इसी प्रयास में लगे है .

मैं- क्या कभी किसी पुरे चाँद की रात को तू भैया के साथ रहा है



वैध- नहीं , कभी नहीं .

मैं- और कोई ऐसी बात जो तुझे लगता है की मुझे बतानी चाहिए

वैध- बस इतना ही

मैं- आज के बाद रमा की तरफ आँख भी उठा कर नहीं देखेगा तू . मुझे मालूम हुआ की इस कमरे में हुई कोई भी बात हमारे सिवा किसी को भी मालूम हुई तो तेरा अंतिम दिन होगा वो.

वैध के घर से निकल तो आया था पर कदमो में जान नहीं बची थी , या तो मेरा भाई ही वो आदमखोर था और वो नहीं था तो फिर किसकी रक्त तृष्णा का इलाज तलाश रहा था वो . आने वाले कल का सोच कर मेरी आत्मा कांप गयी.


Gazab ki update Fauzi Bhai,

Vaidh bhi sala neech hi nikla, Chacha hi qatil he Rama ki beti ke........lekin unhone aisa kyon kiya ye sala vaidh nahi bataya.........

Rakt Trishna ki dawai.............Abhimanu dhundh raha he...........aur Abhimanu ko jadi butiyo ki jankari Vaidh se bhi jyada he..................

Ho sakta he ya to Ray Sahab ya fir chacha hi aadamkhor ho..........aur Abhimanu chacha ke bare me sab janta ho.............


Mind blowing update Bhai...............keep posting
 

Pankaj Tripathi_PT

Love is a sweet poison
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कहानी से अधिक दिलचस्प तो यह चर्चा ही होती जा रही
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वैध और रमा बिस्तर पर एक दुसरे संग लिपटे पड़े थे. मेरी आँखे ये देख कर हैरान थी की एक बुजुर्ग रमा जैसी औरत की ले रहा था . रमा और वैध के ऐसे सम्बन्ध होगने कोई सोच भी नहीं सकता था . वैध मुझे शुरू से ही कुछ अजीब तो लगता था पर इतना घाघ होगा ये सोचा नहीं था. खैर, मुझे इतंजार करना था . कुछ देर बाद चुदाई ख़त्म हुई और दोनों बिस्तर पर बैठ गए.

रमा- वैध, तुमने वादा किया था मुझसे

वैध- तेरे काम में ही लगा हूँ

रमा- कितने साल बीत गए ये सुनते सुनते तुमने बदले में मेरा जिस्म माँगा था मैंने तुमको वो भी दिया आज तक देती आ रही हूँ और कितना इंतज़ार करना होगा

वैध- जिस्म देकर कोई अहसान नहीं किया तूने , अपनी लाज बचाने का सौदा था वो . ठाकुर से चुद रही थी थोडा मैंने चोद लिया तो क्या हुआ .

रमा- तूने सौदा किया था मुझसे

वैध- रंडिया कब से सौदा करने लगी. तू और वो साली तेरी दोस्त कविता रंडिया ही तो थी .ठाकुर की रंडिया , उसको घर में रखा था जब बाहर चुद रही थी तो घर वालो से क्यों नहीं , मैंने भी चोद लिया तो क्या गुनाह किया .

तो वैध भी चोदता था कविता को. साला हद ठरकी निकला ये साला. हिकारत से मैंने थूका.

रमा- गरीब की आह में आवाज नहीं होती वैध पर जब लगती है न तो बड़ी जोर से लगती है .

वैध- धमकी दे रही है तू मुझे

रमा- मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ की तू अपना वादा निभा

वैध- तो समझ ले की मैंने वादा तोड़ दिया.

रमा- तू ऐसा नहीं कर सकता , तुजे अंजाम भुगतना होगा इसका.

वैध- जानती नहीं तू मेरे ऊपर किसका हाथ है

रमा- जानती हूँ ”

वैध- जानती है तो जब भी बुलाऊ आया कर और चुद कर चुपचाप चली जाया कर

रमा इस से पहले कुछ कहती अन्दर से निकल कर मैं उन दोनों के सामने आकर खड़ा हो गया. दोनों की गांड फट गयी मुझे अचानक से देख कर.

मैं- किसका हाथ है तेरे सर पर वैध

“कुंवर आप यहाँ ” वैध की आँखे बाहर आने को हो गयी .

मैं- ये मत पूछ मैं यहाँ क्यों ये बता की तेरे सर पर किसका हाथ है जो तू रमा से किया अपना वादा नहीं निभा रहा . औरत की चूत इतनी भी सस्ती नहीं की तू चोद ले और बदले में उसे कुछ न दे.

वैध मिमियाने लगा.

मैं- रमा से क्या वादा किया था तूने , मैं सुनना चाहता हूँ और अगर तेरी जुबान तुरुन्त शुरू नहीं हुई तो ये रात बहुत भारी पड़ेगी तुझ पर .

वैध- मैं अभिमानु ठाकुर से कहूँगा की तुम चोरी से मेरे घर में घुसे और मुझे पीटा

मैं- ये कर ले तू पहले, चल भैया के पास अभी चल रमा को तूने चोदा मैं गवाह हूँ वो ही करेंगे तेरा फैसला .

वैध के बदन में बर्फ जम गयी .

मैं- तो बता फिर क्या वादा था वो.

वैध की शकल ऐसी थी की रो ही पड़ेगा . मैंने एक थप्पड़ मारा उसके गाल पर और उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी .

वैध- मैंने रमा से वादा किया था की वो अगर मेरे साथ सोएगी तो मैं उसे बता दूंगा की इसकी बेटी को किसने मारा था

वैध की बात ने मुझे भी हिला कर रख दिया था . जिस सवाल को मैं बाहर तलाश रहा था उसे इस चुतिया ने अपने सीने में दफ़न कर रखा था . रमा की आँखों से आंसू बहने लगे , मैं समझ सकता था एक माँ के दिल पर क्या बीत रही होगी. औरत चाहे जैसी भी हो पर उसका माँ का स्वरूप , उसका दर्जा बहुत बड़ा होता है .

मैं- वादा निभाने की घडी आ गयी है वैध, मैंने भी रमा से एक वादा किया है तू बता मुझे कौन था वो हैवान

वैध ने थूक गटका और बोला- ठाकुर जरनैल सिंह, छोटे ठाकुर ने मारा था रमा की बेटी को .

वैध की आवाज बेशक कमजोर थी पर उसके शब्दों का भार बहुत जायदा था .

मैं- होश में है न तू

वैध- झूठ बोलने का साहस नहीं है मुझमे

चाचा ने अपनी ही प्रेयसी की बेटी का क़त्ल कर दिया था . रमा तो ये सुनकर जैसे पत्थर की ही हो गयी थी .

मैं-रमा तुझसे वादा किया है मैं चाचा को तलाश कर लूँगा तेरी आँखों के सामने ही उसे सजा दूंगा.

रमा की आँखों से झरते आंसुओ के आगे मेरे शब्द कमजोर थे मैं जानता था . दर्द आंसू बन कर बह रहा था . रमा कुछ नहीं बोली , दरवाजा खोल कर घर से बाहर निकल गयी .रह गए हम दोनों

मैं- बड़ा नीच निकला तू वैध. दिल करता है की अभी के अभी तुझे मार दू पर अभी तुझसे कुछ और सवाल करने है जिनके सही सही जवाब चाहिए मुझे, बता भैया के साथ कहाँ जाता है तू .

वैध- कही नहीं जाता मैं

मैं- सुना नहीं तूने

मैंने फिर से एक थप्पड़ मारा.

मैं- बेशक तेरी वफ़ादारी रही होगी भैया से पर आज की रात यदि मुझे तेरा कत्ल करके तेरी रूह से भी अपने जवाब मांगने पड़े न तो भी मैं गुरेज नहीं करूँगा. अब तू सोच ले.

वैध-उनको तलाश है

मैं- किस चीज की तलाश

वैध- ऐसी दवा की जो प्यास को काबू कर सके.

मैं- कैसी प्यास

वैध- रक्त तृष्णा को काबू करना चाहते है वो .

ये रात साली कयामत ही हो गयी थी . भैया को रक्त की प्यास थी . मेरा तो सर ही चकरा गया .

मैं- भैया को रक्त की प्यास , तो क्या भैया ही वो आदमखोर है

वैध- नहीं वो नहीं है .

मैं- तो फिर कौन है किसके लिए भैया को दवा की तलाश है

वैध- नहीं जानता न उन्होंने कभी बताया. अभिमानु को दवाओ का ज्ञान मुझसे भी जायदा है जंगल में अजीब बूटियों की तलाश रहती है उनको वो मुझे सहयोग के लिए ले जाते है .

मैं- क्या कभी भैया ने उस आदमखोर का जिक्र किया तुमसे

वैध- नहीं कभी नहीं .

मैं- कब से जारी है ये तलाश ,

वैध- ठीक तो याद नहीं पर करीब ५-७ साल से वो लगातार इसी प्रयास में लगे है .

मैं- क्या कभी किसी पुरे चाँद की रात को तू भैया के साथ रहा है



वैध- नहीं , कभी नहीं .

मैं- और कोई ऐसी बात जो तुझे लगता है की मुझे बतानी चाहिए

वैध- बस इतना ही

मैं- आज के बाद रमा की तरफ आँख भी उठा कर नहीं देखेगा तू . मुझे मालूम हुआ की इस कमरे में हुई कोई भी बात हमारे सिवा किसी को भी मालूम हुई तो तेरा अंतिम दिन होगा वो.

वैध के घर से निकल तो आया था पर कदमो में जान नहीं बची थी , या तो मेरा भाई ही वो आदमखोर था और वो नहीं था तो फिर किसकी रक्त तृष्णा का इलाज तलाश रहा था वो . आने वाले कल का सोच कर मेरी आत्मा कांप गयी.
Bhabhi ko bhi lgta hai ray sahab doglapan kr rhe hai jab lali ko saza mil skti hai to Ray sahab or bakiyo ko kyo? Nhi.. Niyam kanoon sbke liye brabar hone chahiye. Jahan tak mujhe lgta hai past me jo khooni khel hua hoga woh sunaina ko lekr hi hua hoga jab rudaa ke baap ne usko mara hoga Tab kabile wale beti ki badlaa lene ke iraade se hamlaa kiya hoga jisse khoon ki nadiyan beh gai hogi. Sala vaidh to badaa kamina nikla apni bahu ko hi chod rha tha. Bss isliye ki woh thakur se chudti thi. Sawaal to ab bhi wahi hai ke kavita ko kisne mara kya vaidh ko pta hai? Rat ke andhere me vaidh ke ghar rama gai jisse uska kai salo se smbandh chal rha hai. Ek jhanse me rkh kr ki uski beti ko kisne mara bta dega lekin sala ab usko blackmail krne lga tha. Ke uske upr kisi ka hath hai. Rama ki beti ko gernail ne mara hai aisa vaidh ka kehna hai Kya yahi sach hai? Abhimanyu ko rakt pyas ko rokne wali ausdhi ki zrurt hai. Vaidh ka kehna hai abhimanyu adamkhor nahi hai. Bss confusion yahi hai ke fir abhimanyu ki power kaise badh rhi hai?? Kya abhimanyu ke nigraani me chacha ji hai jiske ilaaz ke liye abhimanyu aushdhi dhundh rha hai? Nisha ji bhi kabile se belong krti hogi jisse bhabhi ko darr ho skta hai ke agr nisha ji ke sath kuch hua toh kabile wale fir khoon bahane pe utaru Ho jayenge. Bhai ji aj apne dhokha diya morning me hi update dekar mujhe to pta hi nahi chala Maine to yehi socha tha raat me hi update ayega
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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नहीं वो रोमन मे ही लिखी गई थी
Ok

फिर तो मोबाइल पर पढ़ना मुश्किल है। कभी प्रिंट करके पढूंगा उसे।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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वैध और रमा बिस्तर पर एक दुसरे संग लिपटे पड़े थे. मेरी आँखे ये देख कर हैरान थी की एक बुजुर्ग रमा जैसी औरत की ले रहा था . रमा और वैध के ऐसे सम्बन्ध होगने कोई सोच भी नहीं सकता था . वैध मुझे शुरू से ही कुछ अजीब तो लगता था पर इतना घाघ होगा ये सोचा नहीं था. खैर, मुझे इतंजार करना था . कुछ देर बाद चुदाई ख़त्म हुई और दोनों बिस्तर पर बैठ गए.

रमा- वैध, तुमने वादा किया था मुझसे

वैध- तेरे काम में ही लगा हूँ

रमा- कितने साल बीत गए ये सुनते सुनते तुमने बदले में मेरा जिस्म माँगा था मैंने तुमको वो भी दिया आज तक देती आ रही हूँ और कितना इंतज़ार करना होगा

वैध- जिस्म देकर कोई अहसान नहीं किया तूने , अपनी लाज बचाने का सौदा था वो . ठाकुर से चुद रही थी थोडा मैंने चोद लिया तो क्या हुआ .

रमा- तूने सौदा किया था मुझसे

वैध- रंडिया कब से सौदा करने लगी. तू और वो साली तेरी दोस्त कविता रंडिया ही तो थी .ठाकुर की रंडिया , उसको घर में रखा था जब बाहर चुद रही थी तो घर वालो से क्यों नहीं , मैंने भी चोद लिया तो क्या गुनाह किया .

तो वैध भी चोदता था कविता को. साला हद ठरकी निकला ये साला. हिकारत से मैंने थूका.

रमा- गरीब की आह में आवाज नहीं होती वैध पर जब लगती है न तो बड़ी जोर से लगती है .

वैध- धमकी दे रही है तू मुझे

रमा- मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ की तू अपना वादा निभा

वैध- तो समझ ले की मैंने वादा तोड़ दिया.

रमा- तू ऐसा नहीं कर सकता , तुजे अंजाम भुगतना होगा इसका.

वैध- जानती नहीं तू मेरे ऊपर किसका हाथ है

रमा- जानती हूँ ”

वैध- जानती है तो जब भी बुलाऊ आया कर और चुद कर चुपचाप चली जाया कर

रमा इस से पहले कुछ कहती अन्दर से निकल कर मैं उन दोनों के सामने आकर खड़ा हो गया. दोनों की गांड फट गयी मुझे अचानक से देख कर.

मैं- किसका हाथ है तेरे सर पर वैध

“कुंवर आप यहाँ ” वैध की आँखे बाहर आने को हो गयी .

मैं- ये मत पूछ मैं यहाँ क्यों ये बता की तेरे सर पर किसका हाथ है जो तू रमा से किया अपना वादा नहीं निभा रहा . औरत की चूत इतनी भी सस्ती नहीं की तू चोद ले और बदले में उसे कुछ न दे.

वैध मिमियाने लगा.

मैं- रमा से क्या वादा किया था तूने , मैं सुनना चाहता हूँ और अगर तेरी जुबान तुरुन्त शुरू नहीं हुई तो ये रात बहुत भारी पड़ेगी तुझ पर .

वैध- मैं अभिमानु ठाकुर से कहूँगा की तुम चोरी से मेरे घर में घुसे और मुझे पीटा

मैं- ये कर ले तू पहले, चल भैया के पास अभी चल रमा को तूने चोदा मैं गवाह हूँ वो ही करेंगे तेरा फैसला .

वैध के बदन में बर्फ जम गयी .

मैं- तो बता फिर क्या वादा था वो.

वैध की शकल ऐसी थी की रो ही पड़ेगा . मैंने एक थप्पड़ मारा उसके गाल पर और उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी .

वैध- मैंने रमा से वादा किया था की वो अगर मेरे साथ सोएगी तो मैं उसे बता दूंगा की इसकी बेटी को किसने मारा था

वैध की बात ने मुझे भी हिला कर रख दिया था . जिस सवाल को मैं बाहर तलाश रहा था उसे इस चुतिया ने अपने सीने में दफ़न कर रखा था . रमा की आँखों से आंसू बहने लगे , मैं समझ सकता था एक माँ के दिल पर क्या बीत रही होगी. औरत चाहे जैसी भी हो पर उसका माँ का स्वरूप , उसका दर्जा बहुत बड़ा होता है .

मैं- वादा निभाने की घडी आ गयी है वैध, मैंने भी रमा से एक वादा किया है तू बता मुझे कौन था वो हैवान

वैध ने थूक गटका और बोला- ठाकुर जरनैल सिंह, छोटे ठाकुर ने मारा था रमा की बेटी को .

वैध की आवाज बेशक कमजोर थी पर उसके शब्दों का भार बहुत जायदा था .

मैं- होश में है न तू

वैध- झूठ बोलने का साहस नहीं है मुझमे

चाचा ने अपनी ही प्रेयसी की बेटी का क़त्ल कर दिया था . रमा तो ये सुनकर जैसे पत्थर की ही हो गयी थी .

मैं-रमा तुझसे वादा किया है मैं चाचा को तलाश कर लूँगा तेरी आँखों के सामने ही उसे सजा दूंगा.

रमा की आँखों से झरते आंसुओ के आगे मेरे शब्द कमजोर थे मैं जानता था . दर्द आंसू बन कर बह रहा था . रमा कुछ नहीं बोली , दरवाजा खोल कर घर से बाहर निकल गयी .रह गए हम दोनों

मैं- बड़ा नीच निकला तू वैध. दिल करता है की अभी के अभी तुझे मार दू पर अभी तुझसे कुछ और सवाल करने है जिनके सही सही जवाब चाहिए मुझे, बता भैया के साथ कहाँ जाता है तू .

वैध- कही नहीं जाता मैं

मैं- सुना नहीं तूने

मैंने फिर से एक थप्पड़ मारा.

मैं- बेशक तेरी वफ़ादारी रही होगी भैया से पर आज की रात यदि मुझे तेरा कत्ल करके तेरी रूह से भी अपने जवाब मांगने पड़े न तो भी मैं गुरेज नहीं करूँगा. अब तू सोच ले.

वैध-उनको तलाश है

मैं- किस चीज की तलाश

वैध- ऐसी दवा की जो प्यास को काबू कर सके.

मैं- कैसी प्यास

वैध- रक्त तृष्णा को काबू करना चाहते है वो .

ये रात साली कयामत ही हो गयी थी . भैया को रक्त की प्यास थी . मेरा तो सर ही चकरा गया .

मैं- भैया को रक्त की प्यास , तो क्या भैया ही वो आदमखोर है

वैध- नहीं वो नहीं है .

मैं- तो फिर कौन है किसके लिए भैया को दवा की तलाश है

वैध- नहीं जानता न उन्होंने कभी बताया. अभिमानु को दवाओ का ज्ञान मुझसे भी जायदा है जंगल में अजीब बूटियों की तलाश रहती है उनको वो मुझे सहयोग के लिए ले जाते है .

मैं- क्या कभी भैया ने उस आदमखोर का जिक्र किया तुमसे

वैध- नहीं कभी नहीं .

मैं- कब से जारी है ये तलाश ,

वैध- ठीक तो याद नहीं पर करीब ५-७ साल से वो लगातार इसी प्रयास में लगे है .

मैं- क्या कभी किसी पुरे चाँद की रात को तू भैया के साथ रहा है



वैध- नहीं , कभी नहीं .

मैं- और कोई ऐसी बात जो तुझे लगता है की मुझे बतानी चाहिए

वैध- बस इतना ही

मैं- आज के बाद रमा की तरफ आँख भी उठा कर नहीं देखेगा तू . मुझे मालूम हुआ की इस कमरे में हुई कोई भी बात हमारे सिवा किसी को भी मालूम हुई तो तेरा अंतिम दिन होगा वो.

वैध के घर से निकल तो आया था पर कदमो में जान नहीं बची थी , या तो मेरा भाई ही वो आदमखोर था और वो नहीं था तो फिर किसकी रक्त तृष्णा का इलाज तलाश रहा था वो . आने वाले कल का सोच कर मेरी आत्मा कांप गयी.
रक्त तृष्णा की बात अभिमन्यु ने भी की है कबीर से, लेकिन उनके हिसाब से उसने कंट्रोल कर लिया है।

रही आदमखोर की बात, तो वो तो कबीर को तब से ही कमजोर दिख रहा है कबसे सूरजभान की कुटाई की है कबीर ने।

रमा ने अभी जो किया वो ममता के वशीभूत किया, मुझे लगता है उसे भी विश्वास नहीं था कि उसकी बेटी की हत्या अभिमन्यु ने की है।
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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hmm super dramatic turns n twists

Abhimanu ko bhi us adamkhor ne kata hoga usko bhi kabir wali problem hogi

jarnail chach to pakka harami nikla usne to randiyon ki line laga rakhi hai
अभिमन्यु क्या छिपा रहा है जल्दी ही मालूम होगा
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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छोटे ठाकुर ने रमा की बेटी को मारा लेकिन आगे कोई सबूत नहीं दिया, आज ही भाभी बोल रही थी की आंखों देखे पर हर बार भरोसा नहीं करना चाहिए

सिर्फ इस लिए की अभिमानु रक्त तृष्णा का इलाज ढूंढ रहा इसका ये मतलब नहीं की वो ही आदमखोर है, अपने से ज्यादा अभिमानु एक और व्यक्ति की चिंता करता है और वो है
सुरजभान, अचानक से वो कहानी से गायब हो गया है तो उसके चांसेज है

हालांकि ज्यादा मीठी चीज अक्सर मधुमेह का कारण बनती है, अभिमानु का किरदार भी इतना मीठा है ना की हर बार जब उसके बारे में कुछ अच्छा पढ़ता हूं तो उसके आदमखोर होने का शक बढ़ जाता है

जबसे ये कहानी शुरू हुई है कबीर के आलावा जो बाकी सारी important घटना हुई है वो बस अभिमानु के आस पास ही हुई है

अभी तक जितना पढ़ा है उससे एक बात तो तय है की अभिमानु को मालूम है की आदमखोर कौन है

कबीर जब तक सबको शक के नजर से नहीं देखेगा, उसे अतीत जानने में उतनी ही देरी होगी

भाभी भले ही महत्वपूर्ण किरदार हो लेकिन अगर वो कबीर को सब राज जानने के बाद भी मदद नहीं करेगी तो उसका होना ना होना एक बराबर है (ये नही बोल रहा को सब राज बता दे, but हां हिंट तो दे ही सकती है)

कहानी फिर से अंधा मोड़ पर आ गई है, राय साहब के room में चूड़ी कबीर की मां होने से कविता की मर्डर मिस्ट्री उलझ गई,

निशा ने कहा था की वो भी आदमखोर को ढूंढ रही है लेकिन काली मंदिर के कमरे में खरोंच के निशान से लगता है की आदमखोर वही रहा करता था फिर निशा को कैसे पता नही चला


खैर अभी तो इसी में मजा आ रहा
रोज नए राज सामने आते है, रोज कुछ prediction करता हूं, कुछ सही होते है कुछ गलत

Relax मोड़ पर होके मस्त आराम से कहानी पढ़ो
और कहानी को अपने हिसाब से आराम आराम से चलने दो
सबकुछ इतना उलझ गया है कि हर कोई शक के दायरे में है कबीर भी. मुझे खुद समझ नहीं आ रहा कि इस झोल को कैसे ट्रैक पर लाऊँ ना जाने नियति ने क्या लिखा है इस कहानी के भाग मे
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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वैध तो पक्का चोदू निक्ला रमा तो खैर थी ही चुदायी की पुजारिन

अभिमन्यु को भी रक्त पिपासा होती है ये एक विस्फोटक जानकारी कबीर के हाथ लगी है कबीर को अब भाई की जासूसी भी करना पड़ेगी और शायद भाभी या चम्पा भी इस बारे में कुछ जानती हो और अभिमानु तो पक्का ही आदमखोर को जानता है

कहानी बहुत ही निर्णायक रोमांचक दौर से गुज़र रही है
सच कहूँ तो इस वक़्त मेरे पास कुछ नहीं है कहने को
 
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