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Adultery त्यागमयी माँ और उसका बेटा ( Copied

sunoanuj

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ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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इशा बोलने लगी:-----


हम जब वापस अपने घर आए तो कुछ दिनों बाद राकेश के पापा का फ़ोन आया कि वो और मम्मी हमारे घर कुछ दिनों के लिए आ रहे हैं। राकेश बोले: पापा का फ़ोन था वो यहाँ मम्मी के साथ आ रहे हैं। अब क्या होगा?

मैं बोली: कुछ नहीं होगा। मैं पापा को सम्भालूँगी और आप मम्मी को सम्भाल लेना।

राकेश: पापा तो मर्द हैं वह तो तुमसे पट ही जाएँगे। मुझे दिक़्क़त होगी मम्मी को मनाने में।

इशा: हाँ शायद मुझे भी ऐसा लगता है। चलो कल आएँगे तब देखेंगे।मुझे कुछ सेक्सी कपड़े पहनने होंगे और उनको रिझाना होगा।

राकेश: मुझे भी सोचना होगा कि मैं क्या करूँ?
दूसरे दिन राकेश और मैं स्टेशन गए । मैंने एक टॉप पहना था जो मेरी आधी चूचियों को ही छुपा रहा था। मेरी लो जींस भी मेरे नितम्बों को उभार रही थी। राकेश भी टी शर्ट और जींस में बहुत सेक्सी दिख रहे थे। अब जैसे ही पापा और मम्मी बाहर आए ट्रेन से ,मैंने झुक कर पापा के पैर छुए। मैंने तिरछि निगाह से देखा तो पापा की आँख मेरी अर्ध नग्न चूचियों पर ही थी।मुझे समझ में आ गया था कि मेरा काम ज़्यादा कठिन नहीं है। अब मैंने पापा की तरफ़ अपने चूतर किए और मम्मी के पैर छूने लगी। मैंने थोड़ा सा टेढ़ा होकर देखा कि पापा की आखें मेरी गाँड़ पर ही थी।राकेश ने मुझे बाद में बताया था कि मेरी जींस नीचे खिसक गयी थी और मेरा आस क्रैक यानी कि मेरी गाँड़ की दरार पापा को नंगी दिख गयी थी।

जब मैं उठी तो मैंने देखा कि राकेश से पापा कुछ अजीब तरीक़े से गले मिल रहे थे। वो अपने पेट के नीचे के हिस्से को पापा से दूर रखे हुए थे। तब मैंने ध्यान दिया कि उनका पैंट का आगे का हिस्सा थोड़ा अजीब सा फूला हुआ था। शायद उनका लौड़ा खड़ा हो गया था।अब राकेश भी मम्मी से गले लगे और उन्होंने जैसे मम्मी को अपने आप में जकड़ सा लिया। मम्मी की बड़ी छातियाँ राकेश के चौड़े सीने पर जैसे फैल सी गयीं थीं। राकेश का हाथ मम्मी की चिकनी नंगी कमर पर थे और वह वहाँ सहलाने लगा। मम्मी ने साड़ी पहनी थी। फिर राकेश के हाथ थोड़ा नीचे गए और मम्मी के चूतरों के उभार जहाँ शुरू होते थे , वहाँ तक पहुँच गए।

मैंने देखा कि मम्मी के चेहरे पर उलझन के भाव थे।

फिर वह दोनों अलग हुए और राकेश ने मम्मी का सामान उठाया और मम्मी का हाथ पकड़के चलने लगा। मैं भी पापा का एक बैग उठा कर पापा के आगे आगे चलने लगी ताकि पापा मेरी मटकती हुई गाँड़ से मस्त हो जाएँ। पापा मेरे पीछे पीछे आ रहे थे।

प्लैट्फ़ॉर्म पर सीढ़ियाँ चढ़ते हुए राकेश ने मम्मी की कमर में हाथ डाल दिया मानो सहारा दे रहा हो। अब उसके हाथ बार बार कमर और चूतरों के उभार के ऊपरी हिस्से पर आ जाते थे। उधर मैंने सीढ़ी चढ़ते हुए अपनी पैंट को नीचे खिसकते हुए महसूस किया पर उसे वैसे ही रहने दिया। तभी मैंने देखा कि मेरे पीछे से आगे जाने वाले मुड़कर मेरे चेहरे को देख रहे थे। मैं समझ गयी कि वो जानना चाहते थे कि ये अपने चूतरों की दरार दिखाने वाली लड़की सामने से कैसे दिखती है।

तभी पापा मेरे पास आए और बोले: बेटी पैंट ऊपर करो, पीछे से नंगी दिख रही हो। मैंने शर्माने का अभिनय किया और पैंट ऊपर कर ली।

पापा धीरे से बोले: बेटी इस बार बहुत माडर्न ड्रेस पहनी हो क्या बात है?

मैं: पापा आपको अच्छी नहीं लगी तो आगे से नहीं पहनूँगी।

पापा: अरे नहीं बेटी मुझे तो बड़ी अच्छी लगी तुम इस ड्रेस में। ये कहते हुए वो मेरी अर्धनग्न छातियों को घूरने लगे।

फिर बोले: बेटों तुम्हारी फ़िग्यर अब मस्त हो गयी है। तुम पहले से ज़्यादा ग़दरा गयी हो। लगता है राकेश तुमको बहुत प्यार दे रहा है। ये कहते हुए उन्होंने एक शरारती हँसी के साथ मेरे बाँह को दबा दिया।

मैं भी शर्माने का अभिनय करके बोली: पापा आप भी ना कुछ भी बोल देते हैं।

तभी पापा सामने की ओर इशारा करके बोले: देखो राकेश कैसे अपनी माँ से चिपका जा रहा है? क्या तुम इसको अपने से नहीं चिपकाती? वह हँसने लगे और मेरी कमर में चुटकी काट दिए।
ऐसा ही चुहल करते हुए हम बाहर आए। राकेश ने तो हद ही कर दी और अपने आप को अपनी मम्मी से एक पल के लिए भी अलग नहीं होने दिए।

बाहर आके राकेश ने कार निकाली और डिकी खोलने के बाद मैं उसने सामान रखने को झुकी और मेरी पैंट फिर नीचे हो गयी। पापा ने मेरे पीछे से मुझे देखते हुए और एक एक बैग दिया जिसे मैंने अंदर डिकी में रखने लगी। फिर मैंने डिकी बंद की और राकेश के साथ मम्मी आगे बैठी। मैं और पापा पीछे की सीट पर बैठे। राकेश ने गाना लगा किया। अब पापा धीरे से बोले: बेटी, क्या तुमने पैंटी नहीं पहनी है? तुम बार बार पीछे से नंगी हो जाती हो जैसे ही तुम झुकती हो और तुम्हारी पैंट नीचे हो जाती है।

मैं: पापा आप भी ना ये कैसा सवाल है? मुझे जवाब देने में भी शर्म आ रही है।

तभी पापा ने मेरी पीठ पर हाथ रखा और उसको नीचे ले जाकर मेरी नंगी कमर पर सहलाते हुए मेरी नीचे की ओर ले गए और उनका हाथ मेरे नीचे की ओर खिसकी हुई पैंट पर आ गया। अब उनकी उँगलियाँ मेरे आस क्रैक के ऊपर आ गयी और वहाँ छेड़ खानी करने लगी। मैंने उनकी ओर देखा तो वह शरारत से मुस्कुराए और फुसफुसाए: सच में तुमने पैंटी नहीं पहनी है।मैं शर्माने का नाटक की।

मैंने उनको इशारा किया कि हाथ हटा लें। वह अब हाथ हटा लिए। फिर मैंने देखा कि पापा अपने पैंट को ऊपर से दबा रहे थे जहाँ उनका लौड़ा एक डंडे की तरह अकड़ा हुआ साफ़ दिखाई दे रहा था।

अब हम घर पहुँचे और मैंने सबको पानी दिया। जब मैंने पापा को पानी दिया तो वह मेरी चूचियों को देखे जा रहे थे।

राकेश ने भी यह देखा और मुस्कुराए। मम्मी ने भी देखा और थोड़ी सी परेशान दिखाई दी।
जब मैं किचन में थी चाय बनाने के लिए तब मम्मी भी वहाँ आयीं और बोली: बेटी, ये तुम क्या कर रही हो? मैंने तुमको ऐसे कपड़ों में कभी नहीं देखा? तुम तो साड़ी का पल्लू लेती थी सिर पर।फिर ये क्या अर्ध नग्न से कपड़े पहन कर घूम रही हो?

मैं: मम्मी, आपके बेटे यही चाहते हैं कि मैं ऐसे कपड़े पहनूँ।

मम्मी: ओह राकेश ऐसा चाहता है? बड़ी अजीब बात है।

मैं: अगर आपको पसंद ना हो तो मैं नहीं पहनूँगी।
मम्मी: ओह नहीं इसके बारे में बाद में बात करेंगे।
फिर मैं सबके लिए चाय लायी और जब पापा को दी तब फिर वही चूचि दर्शन करने लगे।
अबके मम्मी भी अच्छी तरह से देख ली थी कि पापा मुझमें इंट्रेस्ट ले रहे हैं।

फिर मम्मी पापा से बोली: चलो जी नहा धो लो अब फिर नाश्ता करेंगे।

पापा: हाँ चलो । फिर वह दोनों गेस्ट रूम में चले गए।
राकेश मेरे को चूमते हुए बोले: पापा तो गए काम से। वह तो तुम्हारे बदन के दीवाने हो चुके है।

मैं भी हँसते हुए बोली: मेरा काम तो आसान हो चला है, आपके काम का क्या हाल है?

राकेश: मैंने भी मम्मी को पूरे टाइम पकड़े रखा और वह बहुत ख़ुश थी कि मैं उनका इतना ख़याल रख रहा हूँ। हाँ और उन्होंने मेरे द्वारा अपनी कमर को और चूतरों को छूने का कोई विरोध नहीं किया।

मैं: चलो शुभारम्भ हो गया इसका मतलब।
हम दोनों हँसने लगे।

फिर मैं किचन में जाकर नाश्ता बनाने लगी।
राकेश tv देखने लगे।



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अब इशा चुप हो गयी और उसका बेटा बहुत गरम होकर उसकी बुर में अपना लौड़ा डालके उसको चोदने लगा। इशा चुदवाते हुए बोली:

हाऽऽऽऽय्यय राकेश अब तुम आगे की कहानी सुनाओ। आऽऽऽऽह मुझे इससे चुदवा लेने दो।



अब राकेश नमिता और बाक़ी सबको बताने लगा:::::::------



थोड़ी देर बाद मम्मी अपना गीला तौलिया लेकर बाहर आइ वह बहुत सुंदर दिख रही थीं काली साड़ी में। उनकी एक छाती साड़ी के पल्ले से बाहर थी और ब्लाउस में बहुत तनी हुई दिख रही थी। वह तौलिया बाहर जाके आँगन में सुखायी ।
अंदर आके वह किचन में चली गयी और इशा की खाना बनाने में मदद करने लगी।

मेरी आँख लग गयी,जब मेरी आँख खुली तो देखा कि मम्मी और इशा किचन से बाहर आ गयीं थीं और बातें कर रही थीं। इतवार होने की वजह से मुझे कहीं नहीं जाना था। मम्मी और इशा अपना पसीना सुखा रही थीं।

फिर पापा भी आ गए और हम सब बातें करने लगे। अब इशा बोली: मम्मी मैं ज़रा बाज़ार से आती हूँ, थोड़ी सब्ज़ी और राशन लाना है। मैं कार ले जा रही हूँ।

पापा: बेटी, मैं भी चलता हूँ, यहाँ बोर ही होऊँगा। बाज़ार में मेरा भी मन बहल जाएगा और थैले उठाने में तुम्हारी मदद भी कर दूँगा।

मम्मी: इशा, तुम अपनी पैंट बदल लो नहीं तो सब्ज़ी लेने के जितनी बार झुकोगी उतनी बार तुम्हारा नंगा पिछवाड़ा सबको दिखेगा।

इशा: छी मम्मी आप भी कैसे बोलती हो?

मम्मी: मैं क्या ग़लत बोल रही हूँ, और ये टॉप भी बदल लो इस लो नेक में तुम्हारा आधा बदन तो नंगा दिख रहा है।

इशा: अच्छा अच्छा मैं जाकर अभी बदल लेती हूँ।

थोड़ी देर बाद वह कपड़े बदल कर आइ और पापा की तो आँखें जैसे उसके टॉप पर ही चिपक गयीं। उसने अब लो नेक के जगह अब पूरे गले तक का टॉप पहना था जो कि इतना टाइट था जिसमें से उसके कसे हुए कबूतर साफ़ ब्रा के साथ दिखाई पड़ रहे थे। उसने अब प्रॉपर जींस पहनी थी जिसमें उसके गोल चूतर पूरे कसे हुए बहुत सेक्सी लग रहे थे। मुझे पता था कि उसने नीचे पैंटी भी नहीं पहनी है। क्या मस्त माल लग रही थी और पापा को तो अपना लौड़ा पैंट में ठीक करना ही पड़ा। मैं समझ गया था कि पापा का तो आज क़त्ल हो कर ही रहेगा। पापा इशा के पीछे पीछे उसकी गोल गाँड़ का मज़ा लेते हुए बाहर चले गए।

अब मुझे मम्मी को पटाना था। जो आसान काम नहीं था।

मैं मम्मी को बोला: आप भी चली जाती इशा के साथ?

मम्मी: तेरी बीवी को पता नहीं क्या हो गया है? ऐसे कपड़े पहन कर गयी है अपने ससुर के साथ। तेरे पापा भी उसके पीछे पीछे जा रहे हैं। मुझे ये सब अजीब सा लग रहा है।

मैं: अरे मम्मी आप भी ना, इशा एक माडर्न लड़की है आप क्या उलटा पलटा सोच रही हो? अच्छा ये बताओ कि आप नहा कर किचन में क्यों गयीं? पूरे पसीने से भीग गयीं है।

मम्मी: अरे बेटा मुझे भी तो बहु की मदद करनी चाहिए।

चलो पसीना अभी सूख ही जाएगा।

अब मैंने लाड़ दिखाते हुए कहा: मम्मी कितने दिन हो गए हैं, मैं आपकी गोद में लेटा नहीं हूँ ।
मम्मी हँसने लगी और बोली: अरे इतना बड़ा हो गया है और अभी भी मेरी गोद में लेटेगा? अच्छा चल आ जा लेट जा।

मैं उनकी गोद में अपना सिर रख के लेट गया। मैंने अपना सिर उनके पेट की ओर घुमा लिया और उनके नंगे पेट को सहलाने लगा। फिर मैंने उनके गोरे चिकने पेट पर अपना चेहरा रगड़ा और वह गुदगुदी से उछल गयीं।

मम्मी: अरे तेरी दाढ़ी गड़ रही है, बंदर।

मैं: मम्मी मुझे तो आपके नरम पेट को छूना बड़ा अच्छा लग रहा है।

मम्मी: चल हट बदमाश कहीं का। ये कहते हुए उन्होंने अपना माथा पोंछा , तब मैंने देखा कि उनकी ब्लाउस की बग़लें पसीने से भीगी हुई हैं।
मैंने फिर उनको कहा: मम्मी ,आपकी ब्लाउस की बग़लें भीग गयी है ।

मम्मी: हाँ मुझे पसीना थोड़ा ज़्यादा ही आता है।
मैं: मुझे पता है, मैंने तो कई बार आपके ब्लाउस की बग़लें सूंघी है।

मम्मी हैरानी से पूछी: क्या मतलब ? ये तूने कब किया?

मैं: मैं जब ९ थ में पढ़ता था तब भी मैं आपके उतारे हुए ब्लाउस को बाथरूम में सूंघता था। आपकी बग़लों की गंध मुझे बहुत अच्छी लगती थी।

मम्मी: हे भगवान, तुम लड़के लोग भी कब क्या करोगे पता ही नहीं चलता?

मैं: मम्मी अभी भी एक बार सूँघने की इच्छा हो रही है, सूंघ लूँ?

मम्मी: तू इशा की सूंघ, समझे मेरी कोई ज़रूरत नहीं है सूँघने की।

मैं: मम्मी उसकी तो सूंघता ही हूँ, पर जो गंध आपकी है वैसी उसकी नहीं है। प्लीज़ एक बार सूँघने दो ना, आप बस हाथ उठा दो, मैं सूंघ लेता हूँ।

मम्मी थोड़ी सी झिझकी फिर बोली: चल इतनी ज़िद कर रहा है तो ठीक है ये ले। और ये कहते हुए उन्होंने अपनी बाँह उठा दी और मेरे सामने उनकी गीली बग़ल थी। मैंने अपना सिर उनकी गोद से उठाया और उनके विशाल छातियों पर अपना सिर रगड़ते हुए उनकी बग़ल में अपनी नाक ले गया और ज़ोर से सूँघने लगा। मेरे गाल उनके ब्लाउस में कसे विशाल वक्ष को छू रहे थे।
मैं: आह मम्मी क्या मस्त गंध है, अब दूसरी भी सूंघ लेता हूँ। ये कह कर मैंने अपना सिर उनकी छातियों पर रगड़ते हुए दूसरे बग़ल के पास के गया। मम्मी ने चुप चाप दूसरी बाँह भी उठा दी और मैं अपने गाल को उनकी छाती पर दबाते हुए उनकी ये बग़ल भी सूँघने लगा।

अब मम्मी बोली: चल अब हो गया ना , चल अब छोड़ मुझे।

मैं हँसते हुए बोला: मम्मी आपको पता है कि मैंने आपको कई बार कपड़े बदलते हुए भी देखा है?
मम्मी चौक कर बोली: क्या ? कब देखा?

मैं: उन्ही दिनों जब आपके ब्लाउस सूंघता था। मैंने आपको कई बार ब्रा और पैंटी में देखा है।

मम्मी: हे राम, बहुत ही गंदा बच्चा है तू, कोई अपनी माँ के साथ ये सब करता है?

मैं: असल में मम्मी आपकी ये बड़ी बड़ी छातियाँ हमेशा से मुझे आकर्षित करती थीं। मैं तो इनका दीवाना हूँ। और फिर इसने ग़लत क्या है? आपने तो मुझे इनसे दूध पिलाया ही होगा, आख़िर तो ये मेरी ही हैं ना?

मम्मी: वह तो तब की बात है जब तू बहुत छोटा था। अब तुझे ऐसी बात नहीं करनी चाहिए।

मैं: मम्मी मैंने कितने साल तक आपका दूध पिया था?

मम्मी: तीन साल तक तूने पिया था। बड़ी मुश्किल से छुड़वाया था मैंने।

मेरे मुँह से निकल गया: और पापा कितने साल तक पिए?

मम्मी चौंक के बोली: ये कैसा सवाल है?

मैं अब पूरी नंगाई पर उतर चुका था,सो बोला: मम्मी मेरा मतलब है कि जैसे मैं इशा का दूध अभी चूसता हूँ और जब हमारा बच्चा होगा तब मैं भी पियूँगा। क्या मैं जब पापा की उम्र का हो जाऊँगा तब भी इशा का दूध चूसूँगा? और पापा भी तो पीते होंगे मेरे साथ आपका दूध?

मम्मी: ओह। ये तो सच है कि सभी मर्द अपने बच्चे के साथ साथ अपनी बीवी का भी दूध पीते हैं। और जहाँ तक दूध चूसने का सवाल है सभी मर्द अपनी बीवी का चूसते है! तेरे पापा भी कोई अपवाद नहीं है।

मैं: मम्मी क्या पापा अभी भी अपने दूध चूसते हैं?

मम्मी: फिर वही बकवास? कहा ना कि सभी चूसते हैं, हाँ आज भी चूसते हैं, बस हो गया?

मैं: तो मम्मी क्या मैं भी नहीं चूस सकता आपके दूध?

मम्मी: तेरे लिए इशा है ना, चूस उसके, किसी ने मना किया है?

मैं: मम्मी, उसके बहुत छोटें है, मुझे तो आपके जैसे बड़े बड़े पसंद है, ये कहते हुए मैंने मम्मी की छातियों को एक हाथ से धीरे से छू लिया।

मम्मी मेरा हाथ हटाते हुए बोली: ये ग़लत है बेटा, ये नहीं कर सकते हम।

मैं: मम्मी, एक बार अगर मुझे दूध पिला दोगी तो क्या हो जाएगा? मुझे बहुत मन कर रहा है, प्लीज़।

मैंने फिर से हाथ उनकी छाती पर रख दिया।

इस बार मम्मी मेरे गाल पर हाथ फेरी और बोली: बेटा, कुछ बातें ग़लत है माँ बेटे में, वो हम नहीं कर सकते ।

इस बार उन्होंने मेरे हाथ को अपनी छाती से नहीं हटाया। मैं भी धीरे धीरे उनकी छाती को बहुत हल्के से दबाया और बोला: मम्मी कितने बड़े हैं आपके दूध। आपका एक दूध इशा के दोनों दूध के बराबर होगा।

मम्मी हँसते हुए बोली: पर उसके कड़े अनार जैसे होंगे मेरे तो अब नरम पड़ गए हैं।

मैं: मुझे तो नहीं लग रहा है कि आपके नरम पड़ गए हैं। ये बोलते हुए इस बार मैंने अच्छे से दूध दबा ही दिए।

मम्मी: आऽऽऽह क्या करता है, ज़ोर से मत दबा। अरे ब्रा के कारण तुझे पता नहीं चल रहा है , वरना अब तो नरम हो ही गए हैं।

मैं: मम्मी, एक बार ब्रा के अंदर से छूने दो ना तभी तो पता चलेगा कि कैसे हैं?

मम्मी: नहीं बेटा ये सही नहीं है। चल अब मेरी गोद से उठ।

शायद अब इशा और तेरे पापा भी आने वाले होंगे।

मैं: अरे मम्मी वो अभी कहाँ आएँगे? मुझे तो लगता है कि पापा इशा को लाइन मार रहे हैं, आपको नहीं लगता?

मैं अब भी एक छाती को हल्के से दबा रहा था।
मम्मी थोड़ा सा परेशान होकर बोलीं: हाँ मुझे भी तेरे पापा के रंग ढंग ठीक नहीं लग रहे। पर वो तो उनकी बहु है ना? मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा।

मैं: मम्मी आप भी ना, बेकार हो परेशान हो रही हो, अगर पापा ने इशा के साथ कुछ कर भी लिया तो क्या हुआ, आख़िर घर की बात तो घर में ही रहेगी ना, किसी को क्या पता चलेगा? और पापा और इशा अगर एक दूसरे को पसंद करते हैं तो इसमें क्या बुराई है?

अब मैंने मम्मी की दूसरी छाती को दबाया।
मम्मी हैरानी से बोली: तेरी बीवी को तेरे पापा कुछ करेंगे तो तुझे बुरा नहीं लगेगा?

मैं: अरे मम्मी मेरे पापा ही तो करेंगे कोई बाहर का थोड़ी करेगा?

मम्मी: ओह। पर ये ठीक नहीं है बेटा।

मैंने मम्मी के निपल को ब्रा के ऊपर से दबाया।

मैं: मम्मी,सब ठीक है आप बेकार परेशान हो रही हो, बस एक बार मुझे आपके ब्लाउस में हाथ डालकर आपकी नरम छाती छूने दो ना।

मम्मी की आह निकल गयी निपल को छूते ही।
वह बोली: आह अच्छा चल छू ले, तू कहाँ मानने वाला है।

मैं उठकर बैठा और उनके ब्लाउस के हुक खोलने लगा। वो चुपचाप मुझे देख रही थीं। तीनों हुक के खोलकर उनके ब्लाउस के पल्ले अलग किए और उनकी ब्रा में क़ैद उनकी बड़ी बड़ी छातियाँ मेरे आँखों के सामने थीं। अब मैंने उनकी ब्रा में एक हाथ डाला और उनकी नरम और बड़ी छाती को पकड़कर दबाने लगा। मम्मी की उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ निकल गयी।

मैं: आऽऽहहह मम्मी कितनी नरम है आपके दूध और कितने बड़े भी। फिर मैंने उनके निपल को मसल दिया। मम्मी उछल पड़ी और बोली:
आऽऽहहह बेटा चल हो गया अब छोड़ मुझे।

मैं: मम्मी दूसरे दूध को भी छूने दो ना प्लीज़।
अब मैंने ब्रा के दूसरे कप में हाथ डाला और उसको भी दबाने लगा और निपल भी मसल दिया।

मम्मी: हाऽऽऽय्यय चल अब छोड़ मुझे । ये कहकर मेरा हाथ बाहर निकाली और अपने ब्लाउस को बंद करने लगी।

मैं: मम्मी, दूध कब पिलाओगी?

मम्मी: बाद में देखेंगे। चल मुझे बाथरूम जाना है।

फिर वह खड़ी हुई तो मैं भी खड़ा हो गया और उनको पीछे से पकड़ लिया । मेरे हाथ उनके पेट पर थे और मैं उनकी गर्दन चूमने लगा और अपना लोअर के अंदर खड़ा हुआ लौड़ा उनके बड़ें नितम्बों पर चिपका दिया।

मम्मी: हाऽऽय्य छोड़ दे बेटा, मुझे मुझे ज़ोर की बाथरूम आयी है।

मैं भी अपना लौड़ा उनके नरम और बड़े नितम्बों पर रगड़ते हुए मज़े से भर गया था। अब मैंने हिम्मत करके हाथ बढ़ाए और पीछे से उनकी दोनों छातियों पर हाथ रख दिए और फिर से उनकी गर्दन चूमते हुए उनके गाल भी चूम लिया।
अब मम्मी ने थोड़ा सा विरोध दिखाया और मैंने उनको छोड़ दिया। वो बाथरूम जाते हुए मुझे मुड़कर देखीं और उनकी नज़र मेरे लोअर के निचले फूले हुए हिस्से पर पड़ी और उनकी आँखें चौड़ी हो गयीं।

वो बाथरूम से बहुत देर बाद बाहर आयीं। मैं समझ गया कि उन्होंने बुर को ऊँगली से शांत किया होगा।

वो बाहर आयीं तो मैंने शरारत से पूछा: मम्मी क्या कर रही थी बाथरूम में इतनी देर?

मम्मी मुझे ग़ुस्से से घूरी और इसके पहले कि कुछ बोल पाती दरवाज़ा खुला और इशा अंदर आयी। उसके पीछे पापा भी अंदर आए। दोनों थके हुए दिख रहे थे।


पापा अपने रूम में चले गए।

मैंने ध्यान से देखा कि इशा के टॉप का हिस्सा बुरी तरह से मसला हुआ नज़र आ रहा था। मैं मन ही मन मुस्कुराया।

फिर मैं इशा के पीछे किचन में गया और बोला: क्या रहा? कुछ बात बनी?

इशा मुस्करायी : पूरा काम हो गया।

मैं: मतलब? पापा ने तुम्हें चोद दिया?

वो हँसते हुए बोली: नहीं मैंने पापा को चोद दिया।

अब मैं भी हँसने लगा।

वो बोली: चलो बाद में बताती हूँ। तुम्हारा और मम्मी का क्या रहा?

मैं: अब मम्मी मज़े से चूचि तो दबवा लीं है। आगे भी हो जाएगा जल्दी ही।

इशा: तुम आज मम्मी को मेरी और पापा की चुदायी दिखा देना , फिर वह भी तुमसे चुदवा ही लेंगी।

मैं: हाँ ये ठीक रहेगा।

फिर मैं उसको चूमकर बाहर आया और मम्मी को बोला: मम्मी, इशा की छातियों के ऊपर का कपड़ा देखिए आप, पूरा मसला हुआ है, पापा ज़रूर उसकी चूचियाँ दबायें हैं। और वो दोनों कितने थके हुए लग रहे हैं, मुझे तो दाल में काला लग रहा है।

मम्मी: तुझे अपनी बीवी के बारे में ऐसी बात करते ख़राब नहीं लगता?

मैं: अभी इशा को बुलाता हूँ, आप ख़ुद देख लेना उसके कपड़े कैसे मुड़े टुडे हैं उसकी चूचियों के पास।

मैंने जान बूझ कर चूचि शब्द का प्रयोग किया।
मैं: इशा पानी पिला दो मम्मी को।

इशा पानी लेकर आयी और मम्मी की आँखें उसकी छातियों पर ही थीं। वो भी साफ़ साफ़ देख रहीं थीं कि मैं वाक़यि सच बोल रहा था। वो थोड़ी सी परेशान दिखने लगीं।

इशा के जाने के बाद मैं बोला: मम्मी, अब तो विश्वास हो गया ना?

मम्मी: हाँ सच कह रहा है तू, उसके कपड़े बहुत दबे से लग रहे हैं वहाँ पर ।

मैं: मम्मी आपको मैं बोल रहा हूँ कि उन दोनों ने आज कुछ ना कुछ किया है।

मम्मी: बाज़ार में?

मैं: अरे मम्मी इशा को कार में चुदवाने में बहुत मज़ा आता है। ज़रूर वह कार में चुदायी होगी पापा से।

मम्मी: छी, कितनी गंदी भाषा बोल रहा है रिक्शे वालों जैसी, वो भी अपनी बीवी के बारे में।

मैं: मम्मी,आज मैं आपको दिखाता हूँ कि इन दोनों में क्या चल रहा है?

मम्मी: क्या दिखाएगा?

मैं: आज दोपहर को मैं कुछ काम के बहाने बाहर चला जाऊँगा। पर थोड़ी देर बाद आकर स्टोर रूम में छिप जाऊँगा। आप तो दोपहर को सोती हो ना। आज आप सोने का नाटक करना और अगर पापा आपको सोता देखकर कमरे से बाहर आए तो आप मुझे स्टोर रूम में आकर बताना। तब मैं आपको पापा और इशा की करतूत दिखा दूँगा।

मम्मी बोली: ठीक है बेटा, मैं सच में जानना चाहती हूँ कि क्या तेरे पापा इशा के साथ में ये सब कर रहे हैं या ये तेरी कोरी कल्पना ही है?

मैं: ठीक है मम्मी लंच के बाद देखते हैं।

मम्मी भी उठकर अपने कमरे में चली गयी।

मैं सीधा अपने कमरे में गया और दरवाज़ा बंद किया। इशा अपना टॉप उतार चुकी थी। उसने पैंट भी उतार दी।

मैंने कहा: पूरी नंगी हो जाओ।

वो मुस्कुराते हुए अपनी ब्रा खोल दी। मुझे उसकी चूचियों पर लाल निशान दिखायी दिए। उसने पैंटी नहीं पहनी थी इसलिए वह पूरी नंगी हो चुकी थी।

मैंने उसे अपने पास बुलाया और उसकी चूचियाँ सहलाकर बोला: पापा ने बहुत दबाया है? ये निशान कैसे?

इशा: अरे वह जोश में काट भी दिए ना। ओह क्या पागल से हो गए थे मेरी चूचियों को देखकर। बहुत चूसे और काटे भी।

मैं: और चुदायी कैसी रही?

इशा: कार में वो अपना लौड़ा बाहर निकाल लिए और मैं उनके ऊपर आकर उनके लौड़े पर बैठ कर चुदवायी।

मैं: कैसा चोदते हैं?

इशा: बहुत मस्त, सच इस उम्र में भी घोड़े का सा जोश है उनमे। बहुत मज़ा दिए। पूरे ४० मिनट चोदें होंगे। मैं तो दो बार झड़ी।

मैं: लाओ अपनी बुर मेरे मुँह पर रखो, मैं चाटकर पापा का वीर्य टेस्ट करता हूँ।

वो हँसते हुए मेरे मुँह पर बैठी और मेरे मुँह में पापा के वीर्य और इशा की बुर के रस का मिला जुला स्वाद भर गया। अब मैं उसकी बुर चाटने लगा। वो भी मेरा लोअर नीचे करके मेरा लौड़ा ६९ पज़िशन में चूसने लगी। जल्दी ही हम उत्तेजना से झड़ गए और एक दूसरे का रस पी गए।

मैं: अच्छा बताओ पापा को कैसे पटाया?


वो बोली: ---------/---------/> कार में बैठते ही पापा पूछे: बेटी, पैंटी नहीं पहनी हो ना?

मैं: पापा आप भी ना, कोई लड़की से ऐसे सवाल पूछता है भला?

पापा: बेटी, क्या है ना , मैंने तेरी पैंट में पैंटी के निशान नहीं देखे तो मुझे लगा कि तुमने पैंटी नहीं पहनी हुई है।

मैं: पापा आपको इससे क्या करना है ।

पापा: अच्छा चलो नाराज़ ना हो। चलो बाज़ार चलो।

मैंने कार चलायी और फिर पापा बोले: बेटी, तुम्हारे ऊपर यह टॉप भी बहुत अच्छी लग रही है। मस्त सेक्सी दिख रही हो।

मैं: अपनी बहु को सेक्सी कह रहे हैं। आपके बेटे को पता चलेगा तो पता नहीं क्या होगा?

पापा: अरे सेक्सी को सेक्सी कहने में क्या हर्ज है? देखो ना तुम्हारे कबूतर कैसे फड़फड़ा रहे हैं इस टॉप में?

मैं: छी पापा कुछ भी बोल रहे हैं।

फिर बाज़ार ने जब मैं सब्ज़ी ख़रीद रही थी तभी जब मैं झुकती तो वो पीछे से अपना लौड़ा मेरे पिछवाड़े पर जमा देते और हल्के से रगड़ भी देते। मैं भी मज़े ले रही थी।

फिर हम राशन की दुकान से सामान लिए और वापस कार में बैठे। पापा ने कहा: बेटी,तुम्हारा पिछवाड़ा बहुत सेक्सी है जब तुम सामान लेने के लिए झुकती हो तो मैं तो पागल ही हो जाता हूँ।
मैं: पापा आपको क्या हो गया है? मैं आपकी बहू हूँ आप ऐसे कैसे बात कर सकते हो ?

पापा ने हाथ बढ़ाकर मेरी जाँघ पर रखा और दबाते हुए बोले: बेटी मैं तो पागल ही हो गया हूँ तुम पर।

मैं: पापा किसी को पता चलेगा तो क्या होगा?

पापा: बेटी तुम किसी को नहीं बताओगी तो कैसे पता चलेगा? चलो ना किसी होटेल में चलते हैं और तुम्हारी जवानी का मज़ा लेते हैं।

मैं: पापा आप क्या बोल रहे हो? ऐसा कैसे हो सकता है? मैं तो आपकी बहु हूँ।

पापा: बेटी , इस दुनिया में कई लोग अपनी सगी बेटी को नहीं छोड़ते तो तुम तो मेरी बहु हो। देखो मैं कैसे पागल हो रहा हूँ तुम्हारी जवानी के लिए। ये कहते हुए वह मेरा हाथ जो गियर शिफटर पर था पकड़कर अपने पैंट के ऊपर से लौड़े पर रख दिए।

मैंने हाथ हटाने का नाटक किया पर वह बोले: बेटी देखो कैसा तड़प रहा है तुम्हारे लिए। इसे शांत कर दो।

पापा का लौड़ा बहुत मोटा है। मैं तो मस्ती से भरके उसको दबाने लगी। पापा ख़ुश हो गए। वह भी मेरी जाँघ से होते हुए मेरी बुर को जींस के ऊपर से ही दबा कर मुझे भी मज़े में भर दिए। अब तो सब कुछ साफ़ था कि आग लगी थी दोनों तरफ़ बराबर से।

पापा: चलो ना किसी होटेल में चलकर मस्त चुदायी करते हैं।

मैं: नहीं पापा , मैं कार को एक जगह ले चलती हूँ जहाँ मैं राकेश के साथ भी जा चुकी हूँ । मस्त सुनसान जगह है।

अब मैं उसी जगह पहुँची वो पार्क के पीछे सुनसान रास्ते में, जहाँ एक बार हम दोनों चुदायी किए थे।

तब तक पापा ने अपनी पैंट खोल दी थी और अपना मोटा काला लौड़ा बाहर निकाल लिए। जैसे ही कार रोकी मैं भी उठ कर पापा की गोद में आ गयी और फिर पापा ने मुझे चूमना चालू किया और मेरी चूचियाँ दबाने लगे। फिर उन्होंने मेरा टॉप उतारा और ब्रा के स्ट्रैप भी खोल कर मेरी चूचियों पर टूट पड़े। फिर मेरी जींस की पैंट निकाले और मुझे अपने लौड़े पर बिठाकर मेरी बुर में अपना मोटा काला लौड़ा डाल दिए और मैं उछल उछल कर उनके लौड़े से चुदवाने लगी।
मेरी चूचि उनके मुँह में थी और उनकी एक ऊँगली मेरी गाँड़ में थी और मुझे बुरी तरह से नीचे से कमर उठाके ज़बरदस्त चुदायी करने लगे।


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अब मैं भी उइइइइइइइ कहते हुए चिल्ला कर चुदवाने लगी। वो भी ह्म्म्म्म्म कहकर मेरी बुर फाड़ने में लगे थे।

फिर मैं झड़ने लगी। पर पापा तो जैसे साँड़ हैं वह चुदायी चालू रखे और जल्दी ही मैं फिर से गरम होने लगी और अब मैं फिर से उनका साथ देने लगी। फिर हम दोनों साथ साथ ही झड़े।

फिर हम वापस घर आए। बस यही हुआ।

इशा के चुप होने पर राकेश ने भी उसे सब बताया कि मम्मी के साथ वह कहाँ तक पहुँचा। फिर राकेश ने उसको बताया कि अब वो मम्मी को इशा और पापा की चुदायी दिखाएगा और फिर मम्मी को चुदायी के लिए राज़ी कर लेगा।
इशा बोली: मस्त प्लान है आज मम्मी चुद कर ही रहेंगी मुझे पूरा विश्वास है।

हम दोनों हँसने लगे।

दोपहर को खाना खाने के बाद मैं बहाना बना कर बाहर चला गया और थोड़ी देर में वापस स्टोर रूम में आके छिप गया। करीब आधे घंटे के बाद मम्मी आयी। और बोलीं: तू ठीक कह रहा था , तेरे पापा मेरे सोने का नाटक को देख कर चुप चाप उठे और बाहर निकल गए। मैंने देखा कि वो तेरे कमरे में गए हैं। वहाँ इशा अकेली है, उसे ही मिलने गए हैं।

मैं: मम्मी वह उसको मिलने नहीं चोदने गए हैं ।

मम्मी: फिर गंदी बात। ज़रूरी है गंदी बात करना।

मैं: मम्मी चलो आप देख लो पापा की करतूत।

अब मैं मम्मी का हाथ पकड़कर उनको अपने कमरे की ओर ले गया और उस खिड़की के पास ले गया जहाँ से पूरा कमरा साफ़ दिखाई देता था।

मैंने अंदर पर्दा हटाके देखा तो मस्त हो गया।

पापा लेटे हुए थे और पूरी नंगी इशा उनका लौड़ा चूस रही थी। पापा इशा की हिलती चूचि दबा रहे थे । अब मैं पीछे हटा और मम्मी से बोला: देख लो अपने पति को क्या मज़ा कर रहे हैं।

मम्मी आगे आयी और झाँकने लगी। अब उनका मुँह खुला रह गया। उनकी आँखें फटी रह गयीं।
मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और उनके गर्दन को चूमते हुए अपना लौड़ा उनकी गाँड़ पर रगड़ने लगा। फिर मैं मम्मी की चूचियाँ दबाने लगा। मम्मी ने मुझे मना नहीं किया। फिर मैंने मम्मी के पीछे से देखा तो वहाँ अंदर चुदायी शुरू हो चुकी थी। पापा इशा की टांगों को पूरा उठाकर और फैलाकर पूरे ज़ोर शोर से चुदायी करने में लगे थे। कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी। अब मैंने भी अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया था और मैंने मम्मी का हाथ उस पर रख दिया। मम्मी एक पल के लिए चौंकी पर फिर चुप चाप मेरा लौड़ा पकड़ ली।

अब मैं बोला: मम्मी देख लिया अपने पति को? कैसे मेरी बीवी को चोद रहे हैं। अब मैं भी उनकी बीवी को चोदूँगा।

मम्मी चुप रही और मेरी तरफ़ हैरानी से देखती रही।


राकेश ने बोलना चालू रखा:---











To be continue
 
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