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Adultery त्यागमयी माँ और उसका बेटा ( Copied

Sachin jain

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sunoanuj

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maakaloda

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नदीम ने बोलना शुरू किया जो इस प्रकार है--


क़रीब ८ महीने पहिले नदीम के अब्बा का एक बड़ा ऐक्सिडेंट हुआ और वो बाल बाल बचे। उनको कारींब १५ दिन अस्पताल में रहना पड़ा। वापस आए तो धीरे धीरे काम पर आने लगे। पर उनका अस्पताल जाना लगा रहा।


अब नदीम ने देखा कि उसके अब्बा और अम्मी दोनों दुखी रहते थे। पर नदीम को कारण पता नहीं चला। ऐसे ही कुछ दिन चलते रहे। फ़ीर एक दिन दोनों मेंबहुत झगड़ा हुआ और नदीम घबरा कर वहाँ पहुँचा तो देखा कि अम्मी बिस्तर पर बैठ कर रो रही थी और अब्बा अपना सर पकड़कर बैठे थे।


नदीम ने अम्मी को चुप कराया और अपने अब्बा से बोला: आप लोग क्यों लड़ रहे हो? आपने अम्मी को क्यों रुलाया?


अम्मी आँसू पोंछतीं हुई बोली: बेटा तू जा यहाँ से, तेरा कोई काम नहीं है यहाँ।


अब्बा: नहीं तू कहीं नहीं जाएगा , हमारी लड़ाई तुमको लेकर ही है।

अम्मी: आप इसको क्यों इसमें उलझा रहे हो , बच्चा है अभी, बेचारा।

अब्बा: वह अब बच्चा नहीं रहा पूरा जवान है ।

अम्मी: आपको मेरी क़सम इसे यहाँ से जाने दो।

अब्बा: नहीं आज बात साफ़ होकर रहेगी।

अम्मी फिर से रोने लगी।

मैं हैरान था किये हो क्या रहा है?

अब्बा: देखो अब तुम बच्चे नहीं रहे पूरे जवान आदमी हो १८ साल के। तुमने पता है ना मेरे ऐक्सिडेंट के बाद भी मैं हमेशा अस्पताल जाता था। दरअसल में इस ऐक्सिडेंट में मेरी मर्दानगि चली गयी। अब मैं तुम्हारी अम्मी को शारीरिक संतोष नहीं दे सकता। अब अस्पताल वालों ने भी कह दिया है कि कोई उपाय नहीं है मेरे ठीक होने का।

मैं हैरान होकर बोला: तो ?

अब्बा: मैंने तुम्हारी अम्मी को कहा कि वो चाहे तो मुझसे तलाक़ ले सकती है, क्योंकि वो कब तक एक नामर्द के साथ रहेगी।

वह इसके लिए तय्यार नहीं है।

अम्मी: अब इस उम्र में एक जवान लड़के की माँ होकर मैं दूसरी शादी करूँगी? आप पागल हो गए हो, मैं ऐसे ही जी लूँगी। बस अल्लाह आपको सलामत रखे।
अब्बा: पर मैं नहीं चाहता कितुम अपना मन मार के जियो। मैं तो चाहता हूँ कि तुम जी भर के अपनी ज़िंदगी जियो।

अम्मी: क्या ज़िन्दगी में सब कुछ सेक्स ही होता है? प्यार का कोई मतलब नहीं है?

अब्बा: प्यार तो बहुत ज़रूरी है पर सेक्स का भी बहुत महत्व है।मैं नहीं चाहता कि तुम बाक़ी ज़िन्दगी इसके बिना जीयो।

अम्मी फिर से रोने लगी।

अब्बा: मैंने तलाक़ के अलावा एक दूसरा रास्ता भी तो बताया था।

ये सुनके अम्मी रोते हुए वहाँ से बाहर निकल गई।

नदीम: अब्बा दूसरा रास्ता क्या हो सकता है?

अब्बा: बेटा यहीं तो वो मान नहीं रही।

नदीम: अब्बा आप मुझे बताओ मैं उनको मनाने की कोशिश करूँगा।

अब्बा: ये तुमसे ही सम्बंधित है।

नदीम: मेरे से मतलब?

अब्बा: देखो बेटा, जब औरत प्यासी होती है ना तो वो किसी से भी चुदवा लेती है।

मैं तो उनके मुँह से ये शब्द सुनके हाक्का बक्का तह गया।

अब्बा: अब तुम्हारी अम्मी भी किसी से भी चुदवा ली तो हमारी बदनामी हो । बोलो होगी कि नहीं?
नदीम ने हाँ में सर हिलाया।

अब्बा: इसलिए मैंने उसको ये बोला है किअब तुम भी जवान हो गए हो वो तुमसे ही चुदवा ले, इस तरह घर की बात घर मेंही रहेगी।

नदीम का तो मुँह खुला का खुला हो रह गया ।

नदीम: ये कैसे हो सकता है? वो मेरी अम्मी हैं।

अब्बा: वो तेरी अन्मी हैं पर उससे पहले वो एक औरत है। वो अभी सिर्फ़ ३८ साल की है। इस उम्र में तो औरत की चुदायी की चाहत बहुत बढ़ जाती है।

नदीम: पर अब्बा मुझे सोचकर भी अजीब लग रहा है। अम्मी कभी नहीं मानेगी ।

अब्बा: तू मान जा तो मैं उसे भी मना लूँगा।


नदीम: पर अब्बा --

अब्बा: पर वर कुछ नहीं। ज़रा मर्द की नज़र से देख उसे, क्या मस्त चूचियाँ हैं मस्त गुदाज बदन है बड़े बड़े चूतर हैं एर नाज़ुक सी बुर है उसकी। बहुत मज़े से चुदाती है।

अब नदीम का लंड खड़ा होने लगा । वो वासना से भरने लगा।

अब्बा: वो लंड भी बहुत अच्छा चूसती है। तूने कभी किसी को चोदा है?

नदीम ने ना में सर हिलाया।

अब्बा: ओह तब तो तुझे सिखाना भी पड़ेगा। पहले ये बता कि अम्मी को चोदने को तय्यार है ना। नदीम का लौड़ा पैंट में एक तरफ़ से खड़ा होकर तंबू बन गया था। नदीम को शर्म आयी और वो उसको अजस्ट करने लगा, ये अब्बा ने देख लिया और हँसते हुए बोले: चल तू हाँ बोले या ना बोले , तेरे लौड़े ने तो सर उठा कर हाँ बोल दिया है।

नदीम ने शर्म से सर झुका लिया।

अब्बा उसके पास आकर उसके लौड़े को पकड़ लिए और उसकी लम्बाई और मोटायी को महसूस किए और ख़ुश होकर बोले: वाह तेरा लौड़ा तो मेरे से भी बड़ा है और मोटा है। तू तो मुझसे ज़्यादा ही मज़ा देगा अपनी अम्मी को। अब तो मेरा खड़ा ही नहीं होता, पर जब खड़ा होता था तब भी तेरी अम्मी कभी कभी बोलती थी कि मेरा थोड़ा और मोटा होता तो उसको ज्यादा मज़ा आता। अब उसकी बड़े और मोटे लौड़े से चुदवाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी।


फिर नदीम के लौड़े से हाथ हटाकर बोले: बेटा मैं तुम्हें सिखा दूँगा किअम्मी को कैसे चोदना है।

फिर बोले: चलो अम्मी को मनाते हैं और तुम दोनों की चुदायी कराते हैं। आज वो इसी लिए रो रही थी कि उसे तुमसे नहीं चुदवाना है।कहती है कि अपने बेटे से कैसे चुदवा सकती हूँ।


नदीम का लौड़ा अब झटके मार रहा था और वो अब्बा के पीछे पीछे अम्मी के कमरे में जाने लगा। कमरे में अम्मी उलटी लेटी हुई थीं और उनका पिछवाड़ा सलवार में बहुत ही उभरा हुआ और मादक दिख रहा था। अब्बा ने मुझे इशारे से उनके चूतरों को दिखाते हुए फुसफुसाते हुए कहा: देख क्या गाँड़ है साली की। अभी देखना तुझसे कैसे कमर उछाल उछाल कर चुदवायेगी?



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नदीम अपने अब्बा के मुँह से गंदी बातें सुनकर हैरान हो गया, आजतक उसने अब्बा का ये रूप नहीं देखा था। वह अम्मी की मोटी गाँड़ देखकर उत्तेजित तो बहुत था।

तभी अम्मी को लगा कि वह कमरे में अकेली नहीं है, तो उसने मुँह घुमाकर देखा और एकदम से उठकर बैठ गयी।

अब अब्बा उसको देखकर हँसते हुए बोले: क्या जानु , क्यों सीधी हो गयी। नदीम तो तुम्हारी गाँड़ का उभार देखकर मस्त हो रहा था। फिर अब्बा ने वो किया जो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था। उन्होंने मुझे धक्का देकर अम्मी के सामने खड़ा किया और मेरे लौड़े को पकड़कर अम्मी को दिखाते हुए बोले: देख मैं ना कहता था कि कोई भी मर्द तेरा बदन देखकर पागल हो जाएगा। देख तेरा अपना बेटा ही तेरी मस्त गाँड़ देखकर कैसे लौड़ा खड़ा कर के खड़ा है।



अम्मी की तो आँखें जैसे बाहर को ही आ गयीं। वो हैरानी से अब्बा के हाथ में मेरा खड़ा लौड़ा देखे जा रही थी।

अब्बा ने मेरा लौड़ा अब मूठ मारने वाले अंदाज़ा में हिलाना चालू किया। और अम्मी को आँखें जैसे वहाँ से हट ही नहीं पा रही थी।


अब्बा: देख जानु क्या मोटा और लंबा लौड़ा है इसका, तेरी बड़े लौड़े से चुदवाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी।
अब अब्बा ने उनकी छातियाँ दबानी शुरू की और अम्मी आह कर उठी और बोली: छी क्या कर रहे हो, बेटे के सामने और ये क्यों पकड़ रखा है आपने?
अब्बा ने जैसे उनकी बात ही ना सुनी हो, वो मुझे बोले: लो बेटा अपनी अम्मी के दूध का मज़ा लो।


जब नदीम हिचकिचाया तो उन्होंने उसका हाथ पकड़ा और उसकी छाती पर रख दिया। अब नदीम कहाँ रुकने वाला था। उसने मज़े से छाती दबायी और अम्मी की चीख़ निकल गयी : आह जानवर है क्या? कोई इतनी ज़ोर से दबाता है क्या?


नदीम डर गया और बोला: सॉरी अम्मी , पहली बार दबा रहा हूँ ना, मुझे अभी आता नहीं।


अब्बा हँसते हुए बोले: हाँ जल्द सब सिख जाएगा और अपनी अम्मी को बहुत मज़ा देगा । क्यों जानु है ना?
अम्मी कुछ नहीं बोली पर अब नदीम थोड़ा धीरे से एक चुचि दबा रहा था और एक अब्बा दबा रहे थे। जल्द ही अम्मी की आँखें लाल होने लगी और वो वासना की आँधी में बह गयी। अब अब्बा ने नदीम को कहा: चलो अब उसके दोनों दूध तुम ही दबाओ। और नदीम अब मज़े से उनके दूध दबाने लगा।


अब अब्बा ने नदीम की पैंट की ज़िपर नीचे किया और उसकी पैंट की बेल्ट भी निकाल दी। अम्मी हैरानी से अब्बा की करतूत देख रही थी। अब अब्बा ने नदीम की पैंट नीचे गिरा दी। और अम्मी ही नहीं अब्बा की भी आँखें फटीं रह गयीं। क्या ज़बरदस्त उभार था चड्डी में और नदीम का लौडा चड्डी से बाहर आकर एक तरफ़ को निकल आया था। वो था ही इतना बड़ा की चड्डी में समा ही नहीं रहा था।



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उसका मोटा सुपाड़ा बाहर देखकर अम्मी की तो आह निकल गई। वो बोली: या खुदा , कितना बड़ा है और मोटा भी।



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अब्बा: हाँ जानू तुम्हारी बुर तो ये फाड़ ही देगा।


अम्मी: हाँ सच बहुत दर्द होगा लगता है मुझे।


अब्बा: अरे एक बार ये पहले भी तुम्हारी बुर फाड़ चुका है, जब बुर से बाहर आया था। आज अंदर जाकर फिर फाड़ेगा। और वो हँसने लगे। अब अम्मी भी
मुस्करा दी।


फिर अब्बा ने अम्मी की कुर्ती उतार दी और ब्रा में फंसे हुए गोरे कबूतरों को देखकर नदीम मस्ती से उनको दबाकर अम्मी की नरम जवानी का मज़ा लेने लगा।


अब्बा ने कहा: जानु चड्डी तो उतार दो बेचारा इसका लौड़ा कैसे फ़ंड़ा हुआ है, देखो ना।

अब अम्मी भी मस्ती में आ गयीं थीं , उन्होंने नदीम की चड्डी उतार दी और उसका गोरा मोटा लौड़ा देखकर सिसकी भर उठी।

अब अब्बा ने उसका लौडा हाथ में लेकर सहलाया एर कहा: देखो जानु कितना गरम है इसका लौड़ा और फिर अम्मी का हाथ पकड़कर उसपर रख दिया।



अम्मी के हाथ में मेरा लौड़ा आते ही अम्मी हाय कर उठी। वो मुझसे आँख नहीं मिला पा रही थी। पर उनका हाथ मेरे लौड़े पर चल रहा था और उनके अंगूठे ने सुपाडे का भी मज़ा ले लिया। मुझे उत्तेजना हो रही थी और नदीम झुक कर उनकी ब्रा का हुक खोलना चाहा। पर अनाड़ी खोल ही नहीं पाया।



अब्बा हँसते हुए नदीम को हटा कर हुक खोल दिए और ब्रा को अलग करके अम्मी के बड़े बड़े मम्मे नंगा कर दिए। नदीम तो जैसे पागल ही हो गया और उसने अम्मी के खड़े लम्बे काले निपल्ज़ को मसलना शुरू किया। अब अम्मी की आह्ह्ह्ह्ह्ह निकालने लगी और उनका हाथ लौड़े पर और ज़ोर से चलने लगा।



तभी अब्बा ने अम्मी को लिटा दिया और नदीम को
बोले: चल बेटा अब अपनी माँ का दूध पी, जैसे बचपन में पिया था।



नदीम झुका और अपना मुँह एक दूध पर रख दिया और उसे चूसने लगा। और दूसरे हाथ से दूसरे दूध को दबाकर मस्ती से भर गया।


अब अम्मी भी मज़े से हाऊय्य्य्य्य मेरा बच्चाआऽऽऽऽऽ हाय्य्य्य्य्य्य कहकर नदीम का सर अपनी छाती पर दबाने लगी।


अब्बा बोले: अरे बस क्या एक ही दूध पिएगा , चल दूसरा भी चूस।


नदीम ने दूध बदलकर चूसना चालू किया। उधर अब्बा अम्मी की सलवार उतार दिए, और नदीम को पहली बार पता चला की अम्मी पैंटी पहनती ही नहीं। अब्बा ने बाद मेंबताया था कि पिछले कुछ सालों से उन्होंने अम्मी को पैंटी पहनने से मना किया था।


अब अम्मी की बिना बालों वाली बुर मेरे आँखों के सामने थी। अब्बा ने मुझे अम्मी के पैरों के पास आने को कहा और उनकी टांगों को घुटनो से मोड़कर फैला दिया और उनकी जाँघों के बीच इनकी फूली हुई बुर देख कर नदीम को लगा किवह अभी झड़ जाएगा।



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फिर अब्बा ने नदीम को बुर सहलाने को कहा और वो नरम फूली हुई बुरको दबाकर सहलाकर बहुत गरम हो गया। उसके लौड़े के मुँह मेंएक दो बूँद प्रीकम आ गया था। अब्बा ने उस प्रीकम को अपनी ऊँगली में लिया और सूंघकर बोले: वाह क्या मस्त गंध है, ।फिर अम्मी के नाक के नीचे रखकर उनको सुँघाए और फिर अपनी ऊँगली अम्मी के मुँह में डाल दी। अम्मी बड़े प्यार से उसको चाट ली।



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अब्बा बोले: बेटा, अपनी अम्मी को लंड दो चूसने के लिए , उसको चूसने में बहुत मज़ा आता है। अब अम्मी उठकर नदीम का लौडा मुँह में लेकर चूसने लगी। और सुपाडे को जीभ से चाटने लगी। फिर अब्बा ने कहा: चलो बाद में चूस लेना, अब चुदवा लो। अम्मी लौडा मुँह से निकाल कर लेट गयी।



अब अब्बा ने अम्मी की बुर की फाँकों को अलग किया और उनकी गुलाबी छेद को नदीम को दिखाया और बोले: बेटा ये तेरा जन्म स्थान है, तू यहाँ से ही पैदा हुआ था। अब चल वापस यहीं अपना लौड़ा डालकर फिर से अंदर जा।


अब नदीम अम्मी की जाँघों के बीच आया और अब्बा ने उसके लौड़े को पकड़ कर के सुपाडे को गुलाबी छेद पर रखा और कहा: चल बेटा धक्का दो। नदीम ने धक्का मारा और आधा लौड़ा बुर के अंदर चला गया।



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अम्मी की चीख़ निकल गयी: हाऽऽऽऽयय्यय मरीइइइइइइइइइइ । धीरे से करोओओओओओओओओ ।
नदीम ने घबरा के अब्बा को देखा तो उन्होंने इशारा किया और ज़ोर से मारो। उसने फिर धक्का मारा और उसका पूरा लौड़ा अंदर चले गया। उसे लगा कि जैसे किसी गरम भट्टी में उसका लौडा फँस गया है, वाह क्या तंग बुर थी अम्मी की। अम्मी को शायद दर्द हो रहा था वो बोली: आह बेटा धीरे करो, तुम्हारा बहुत बड़ा है थोड़ा समय दो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।



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अब्बा ने कहा: बेटा अम्मी का दूध चूसो और दबाओ वो मस्त हो कर चुदवायेगी। नदीम ने वैसे ही किया। अब मम्मी गरम होने लगी और उनका दर्द भी मज़े में बदलने लगा। फिर नदीम ने उनके होंठ चूसने शुरू किए। अब अम्मी ने उसके चूतरों पर अपने हाथ रख दिया और उसको धक्का मारने में मदद करने लगी।
उधर अम्मी नीचे से अपनी कमर उठाकर उसका साथ देने लगी। अब ज़ोरों की चुदायी हो रही थी, तभी नदीम ने देखा कि अब्बा अपना पैंट उतारकर अपने छोटे से लंड को रगड़ रहे थे पर वो खड़ा नहीं हो रहा था। उधर अम्मी अब चिल्ला रही थी: हाऊय्य्य्य्य्य बेटाआऽऽऽऽऽऽ चोद मुझे आऽऽह्ह्ह्ह्ह्ह क्या मस्त लौड़ा है तेरा हाय्य्य्य्य मर गईइइइइइइइइ फाड़ दे आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी फाड़ दे। हाय्य्य्य्य्य्य्य ऐसी ही चुदायी चाहिए थी मुझे बेटाआऽऽऽऽऽऽऽऽ ।

अब कमरा फ़च फ़च की आवाज़ से भर गया था।



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अब्बा अब पास आकर हमारी चुदायी देख रहे थे और अपना लंड हिला रहे थे। तभी अम्मी चिल्ला कर बोली: हाय्य्य्य्य्य्य्य जोओओओओओओओओओर्र्र्र्र से चोदोओओओओओओओओओ । आह्ह्ह्ह्ह मैं झड़ीइइइइइइ ।



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अब नदीम भी अपनी अम्मी के साथ ही झड़ गया।
अब्बा अभी भी लंड हिला रहे थे पर वह अभी भी छोटा सा सिकुड़ा हुआ ही था। नदीम को अब्बा के लिए काफ़ी अफ़सोस था पर अपने लिए वह बहुत ख़ुश था। उसे चोदने के लिए माँ जो मिल गयी थी।
बस उस दिन के बाद से नदीम अब्बा और अम्मी के साथ ही सोता है और वो क़रीब रोज़ ही कम से कम दो बार चुदायी करते हैं। अब तो नदीम अम्मी की गाँड़ भी मारता है।



--- राज हिल गया नदीम की बातें सुनकर ।


नदीम: यार तू चाहे तो मेरी अम्मी को चोद लेना पर तेरी माँ को मुझसे एक बार चुदवा दे ना प्लीज़। मेरा लंड तो उनको चोदने के लिए मरा जा रहा है।

राज बोला: चल देखता हूँ, क्या हो पाता है।
फिर वह घर की ओर चल पड़ा और सोचने लगा कि क्या माँ बेटे में ऐसा रिश्ता हो सकता है?

घर पहुँच कर राज के मन में प्रतीक और नदीम की बातें किसी सिनमा की भाँति उसके आँखों के सामने से चल रही थीं। वो सोच रहा था कि कैसे नदीम के पापा ही अपनी बीवी यानी उसकी माँ को अपने बेटे से चुदवाएँ हैं। क्या ये गुनाह नहीं है। उधर प्रतीक भी अपने दोस्त की माँ को इतनी आसानी से पटा कर उसकी चुदायी कर लिया। फिर अचानक उसको अपनी माँ का ख़याल आया और वो मनीष और बीजू को याद करने लगा , जिनके बारे में उसे पक्का पता था कि उन्होंने माँ को ज़बरदस्त तरह से चोदा था। आज भी माँ की गाँड़ का दर्द याद करके अपना लंड खड़ा कर बैठा। कितनी थकी हुई थी माँ उस दिन जब वो बीजू से चुद कर आयी थी। उसे बीजू और मनीष के मेसिज याद थे।



अचानक उसने सोचा कि कई दिनों से उसने माँ के फ़ोन के मेसिज चेक नहीं किए हैं। अब वो घर पहुँचा तो माँ किचन में खाना बना रही थी। उनका फ़ोन सोफ़े पर था, उसने चुपके से फ़ोन उठाया और अपने कमरे में आकर मेसिज देखने लगा। कुछ तो उनकी सहेलियों के थे और फिर उसे मनीष का मेसिज दिखा जो पुराना था,वो कुछ इस तरह से था---

मनीष: आंटी बहुत याद आ रही है, आ जाऊँ क्या?

माँ: नहीं आज नहीं मेरा पिरीयड आया हुआ है।

मनीष: फिर क्या हुआ ,एक छेद ही तो गड़बड़ है, मुँह और गाँड़ में डाल दूँगा।

माँ: नहीं अभी नहीं। वैसे भी थोड़ा परेशान हूँ राज को लेकर।

मनीष: क्या हुआ उसको?

माँ: अरे पता नहीं उसका व्यवहार कुछ अजीब सा है। पढ़ाई में भी पिछड़ता जा रहा है। मैं बहुत परेशान हूँ।

मनीष: कहीं कोई लड़की के चक्कर में तो नहीं पड़ गया है वो?


माँ : अब मैं क्या जानूँ , बाहर क्या करता फिरता है? पर लगता तो नहीं है कि वो ऐसा लड़का है।

मनीष: मेरे चेहरे से लगता है कि मैंने अपनी माँ की उम्र की आंटी को पटा रखा है? ह हा

माँ : चल बदमाश कुछ भी बोलता है।

मनीष: तो आंटी आ जाऊँ बस एक बार गाँड़ मरवा लेना प्लीज़।

माँ : फ़ालतू बात नहीं। कोई मौक़ा नहीं है ।

मनीष: क्या आंटी आप बहुत तंग कर रही हैं मेरे लौड़े को। बेचारा प्यासा है बहुत। आपको मेरी याद नहीं आती?

माँ : याद तो आती है, पर क्या किया जाए, जीवन में और भी परेशानियाँ हैं। और आजकल तो मैं सिर्फ़ राज की चिंता मेंही मरी जा रही हूँ। अपना सत्यानाश कर रहा है। पढ़ाई में ध्यान ही नहीं देता। चल अब किचन में जाती हूँ बाई

मनीष: बाई मेरी जान और किस्ससससस्स यूउउइउउउ

राज ये मेसिज पढ़कर अपना लंड दबाने लगा और सोचने लगा कि मनीष मुश्किल से उससे २/३ साल ही बड़ा होगा और माँ उसकी कितनी दीवानी है।


इसका मतलब सच है प्यार और चुदायी में सब जायज़ है। तो क्या वो भी अपनी माँ को चोद सकता है? इस विचार के आते ही उसका शरीर उत्तेजना से भर गया और वो जान गया कि जब तक वो ये नहीं कर लेगा उसको चैन नहीं आएगा।


पर ये कैसे होगा? माँ कैसे मानेगी? ये सब सोचकर उसका दिमाग़ गरम हो गया। उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।

उसने सोचा कि क्या प्रतीक या नदीम का सहारा लिया जाए?

फिर उसने सोचा किअगर उसने ये किया तो वो दोनों तो माँ को चोद लेंगे और मैं ऐसे ही लंड पकड़कर बैठे रहूँगा। उसे कोई रास्ता नहीं सूझा आगे बढ़ने का। अंत में वो अपना सर झटक कर माँ के पास किचन में गया और बोला: माँ भूक लगी है।

माँ : आज जल्दी भूक लग गई। चल बैठ मैं खाना लगाती हूँ।

राज: चलो मैं भी आपकी मदद कर देता हूँ।

माँ: अच्छा चल ये प्लेट लगा और इस पतीली को टेबल पर रख मैं रोटी लेकर आती हूँ।

राज समान लेकर टेबल पर बैठ गया और तभी माँ रोटी लेकर आयीं। दोनों खाना खाने लगे।

माँ : आज कहाँ गया था खेलने?

राज: सामने वाले मैदान में।

माँ: कौन है तेरे दोस्त?

राज: नदीम श्रेय और प्रतीक।

माँ : कोई लड़की भी है क्या तेरी दोस्त?

राज समझ गया कि मनीष ने उनके दिमाग़ में ये विचार डाला है, वो बोला: नहीं माँ , पर आप क्यों पूछ रही हो?’

माँ : इसलिए कि तेरा ध्यान पढ़ाई में नहीं है आजकल। पता नहीं बाहर में क्या करता फिरता है।

राज: नहीं माँ ऐसी बात नहीं है।

माँ : तो फिर क्यों पढ़ाई मैं ध्यान नहीं देता? हुआ क्या है तुझे?

राज: पढ़ता तो हूँ पता नहीं नम्बर अच्छे क्यों नहीं आते?


माँ: बेटा और मेहनत करो , ठीक है ना!
फिर दोनों खाना खा कर सोफ़े पर बैठकर TV देखने लगे।

पता नहीं राज को क्या सूझा कि वो बोला: माँ मैं आपकी गोद में लेट जाऊँ क्या?

माँ : इसमें क्या पूछता है? आ लेट जा।

अब राज माँ की गोद में लेट गया और माँ उसके सर पर हाथ फेरने लगी। राज ने अपनी माँ की आँखें में देखा तो वहाँ असीम प्यार था। उसे शर्म आयी किवो उनके बारे में क्या क्या सोचता है।

तभी उसने कहा: माँ आज आप मैक्सी नहीं पहनी, अभी भी साड़ी में क्यों हो?

माँ : वो शाम को पड़ोसन आ गयी थी तो साड़ी पहन ली थी।

राज: अब साड़ी में ही रहोगी या मैक्सी पहनोगी?

माँ : अब कौन थोड़ी देर के लिए मैक्सी बदले ऐसे ही लेट जाऊँगी अभी।

राज ने अपना मुँह घुमाया तो उसे साड़ी के साइड से माँ का गोरा गोल पेट नज़र आया ।उसने अपना मुँह उसके पेट में घूसेड दिया और बोला: माँआपका पेट कितना नरम है। और अपने गाल वहाँ रगड़ने लगा।
माँ हँसते हुए बोली: तूने शेव नहीं की है ना? तेरे बाल गड़ रहे हैं। आह गुदगुदी मत कर।

राज: माँ ये शेव भी बहुत बोरिंग है, हर तीसरे दिन बाल बढ़ जाते हैं। आप लोगों का बढ़िया है, शेव करने की ज़रूरत ही नहीं है।

माँ ने उसके गाल को सहलाया और कहा: कितने दिन हो गए शेव किए हुए?

राज: २ दिन पहले किया था।

माँ ने उसके हाथ सहलाए और कहा: तू भी अपने पापा के जैसे भालू ही है। देख कितने बाल है तेरे हाथों में। फिर उसके हाफ़ पैंट के नीचे से उसकी टांगों को देखकर बोली: देख यहाँ पैरों में भी बाल ही बाल है।

राज: माँ मेरी छाती पर भी बहुत बाल हैं। पापा के भी थे क्या?

माँ : हाँ उनके भी बहुत थे। फिर उसकी टी शर्ट उठाकर उसकी छाती को देखकर बोली: हाँ ऐसे ही तेरे जैसे उनकी छाती पर भी बाल थे।

अब उनका हाथ उसकी छाती के बालोंपर चल रहा था, और वो जैसे पुरानी यादों में खो सी गई थीं।

राज को माँ का नरम नरम हाथ अपनी छाती पर बहुत मादक लग रहा था और उसका हथियार बड़ा होने लगा। उसने अपनी एक टाँग उठा ली ताकि माँ को आभास ना हो जाए कि वो अपना खड़ा करके बैठा है।
फिर माँ ने उसकी शर्ट नीचे कर दी। अब राज माँ के गोरे पेट को चूमने लगा और बोला: माँ आपका पेट कितना गोरा और नरम है।

माँ हँसते हुए बोली: अच्छा। मुझे तो पता ही नहीं था।
राज ने अब अपना हाथ माँ के कमर मेंडाल दिया और उससे चिपक कर अपना मुँह उसकी नाभि मेंडालकर उसको भी चूम लिया और बोला: माँ तुम्हारी नाभि कितनी गहरी है।

माँ : क्या बात है आज माँ से ज़्यादा ही चिपक रहा है।

राज: माँ बहुत अच्छा लग रहा है आपसे लिपटकर।

माँ ने झुककर उसके गाल को चूमा और बोली: बेटा ये सब तो ठीक है पर पढ़ाई पर ध्यान दो।

माँ के झुकने से उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ राज के मुँह पर आ गयीं थीं और उसे माँ के पसीने की गंध ने जैसे मस्त कर दिया था। उसे ब्लाउस के बीच से छातियों की घाटी भी दिखायी दे गई और उसका हथियार अब पूरा खड़ा हो गया। उसे बड़ा मुश्किल लग रहा था अपने हथियार को माँ की आँखों से छुपाना।

अब माँने उबासी ली और बोली: चल अब मुझे नींद आ रही है। अब सोएँगे।

राज ने लाड़ दिखाकर कहा: माँ आज मैं आपके पास सो जाऊँ?

माँ: मेरे साथ ? क्यों क्या हो गया?

राज: बस ऐसे ही?

माँ : पर अभी पढ़ेगा नहीं क्या?

राज: अब कल से बहुत पढ़ाई करूँगा, आज प्लीज़ अपने साथ सुला लो ना?

माँ हँसती हुई बोली: अच्छा चल मेरे साथ ही सो जा।
राज अपनी माँ के पेट को फिर से चूमा और उठकर अपने खड़े हथियार को छुपाता हुआ माँ के कमरे की ओर चला गया। माँ भी आकर अपनी साड़ी उतरने लगी शीशे के सामने खड़े होकर। राज ने सोचा ओह तो माँ ब्लाउस और पेटिकोट में ही सोएँगीं। फिर उसके हथियार ने झटका मारा।

माँ अपने आप को शीशे में देख रही थी और ब्लाउस में से उनके उभार मस्त दिख रहे थे। और पेटिकोट में से उभरे उनके बड़े गोल चूतर भी कितने मादक लग रहे थे। फिर वो बाथरूम में गयी, और क़रीब १० मिनट के बाद वापस आयीं और आकर फिर से शीशे के सामने खड़े होकर उन्होंने एक क्रीम निकाली और अपनी बाहों पर लगायी । उन्होंने वह क्रीम अपने बग़लों पर भी लगायी। राज तो जैसे मोहित ही हो चुका था अपनी माँ के अंगों पर। उनकी बग़ल कितनी सुंदर थी। कोई बाल नहीं था।


अब माँ ने अपने पेट पर क्रीम लगाई और फिर आगे झुककर अपना एक पाँव ड्रेसिंग टेबल पर रखा और अपना पेटिकोट उठाया घुटनो तक और पैर में भी क्रीम लगायीं और फिर हाथ में क्रीम लेकर कपड़े के अंदर से जाँघ तक हाथ के जाकर वहाँ भी क्रीम लगाई। फिर यही क्रिया उन्होंने दूसरे पैर पर भी की। उनके झुकने से उनका पिछवाड़ा तो किसी को भी कामुक कर देता।

फिर उन्होंने वो किया जिसकी राज को उम्मीद नहीं थी। उन्होंने अपने दोनों हाथ में क्रीम लिया और मलते हुए अपना पेटीकोट पीछे से उठाया और क्रीम को दोनों चूतरों पर मलने लगी। इस समय उनका मुँह राज की ओर था ताकि वो उनकी नग्नता ना देख ले।
राज को लगा किवो झड़ जाएगा।

अब माँ उसके साथ आकर बिस्तर पर लेटी और बोली: तू सोच रहा होगा कि मैं क्रीम क्यों लगा रही हूँ, असल मैं औरतों का शरीर ही ऐसा होता है उसे चिकनाई की बहुत ज़रूरत होती है, तभी बदन चिकना रहता है वरना खुरदरा हो जाता है, समझा?

राज: जी माँ समझ गया। अब समझ में आया कि आप इतनी चिकनी कैसी हो? हाँ हा ।

माँ : चल बदमाश। अब सो जा, और कहते हुए उसने बत्ती बंदकर दी।

राज अपनी माँसे चिपकता हुआ बोला: मैं आपसे ऐसे चिपक कर सोना चाहता हूँ। और आपकी छाती पर अपना सर रखना चाहता हूँ।

माँ ने हँसते हुए उसे अपनी ओर खिंचा और वह नीचे खिसका और माँ की छाती में अपना सर रखकर उनकी साँसों और धड़कनो को सुनने लगा।

माँ: आज क्या हो गया है तुझे? बड़ा प्यार आ रहा है माँ पर ?

राज: मैं तो हमेशा आपसे प्यार करता हूँ, आप ही ध्यान नहीं देती।

अब राज माँ की भारी छातियों को अपने गाल पर महसूस कर रहा था और उसका हथियार पूरा फनफ़ना रहा था। उसने हाथ बढ़के उसको ऊपर की ओर किया ताकि वो माँको कहीं चुभ ना जाए।

अब राज ने अपना हाथ माँ की कमर पर रखा और हल्के से सहलाने लगा। माँने उसका माथा चूमा और बोली: चल अब सो जा , ऐसे चिपक कर नींद नहीं आएगी। राज माँ से दूर हुआ और माँ ने करवट बदली और अपनी पीठ उसके तरफ़ कर सो गयी। अब राज के सामने उभरा हुआ पिछवाड़ा था जो कि उसे नाइट लैम्प की रोशनी में साफ़ दिख रहा था। चूतरों की दरार में गैप अलग से दिख रहा था। और उसे माँ की पैंटी के कोई निशान नहीं दिखे ,इसका मतलब माँने पैंटी उतार दी थी।

वो उठा और बोला: माँ मैं बाथरूम से आता हूँ।

माँ ने नींद में” हूँ” की और सो गई।

राज बाथरूम में जाकर माँ की पैंटी ढूँढा और उसको वो गंदे कपड़ों के बीच मिल भी गई। तो उसका सोचना सही था किमाँ ने पैंटी नहीं पहनी है। उसने माँकी पैंटी उठाई और उसे नाक के पास ले जाकर सूँघने लगा। उसका लंड अब झटके मारने लगा था । पैंटी से पेशाब और पसीने के साथ मिली जुली एक सेक्स को गंध भो थी, जो उसे पागल कर गई। और वो माँ के पैंटी में मूठ मारने लगा और जल्दी ही झड़ गया।

फिर वह साफ़ करके कमरे में आकर सो गया।

रात को क़रीब २ बजे उसकी नींद खुली तो देखा कि माँ अब पीठ के बल सो रही है और उनका पेटीकोट ऊपर आ गया था और उनकी जाँघे नंगी हो रही थीं। उसने उठके उनकी जाँघों का दर्शन किया पर जाँघें मिली हुई थी इस लिए आगे का नज़ारा नहीं देख पाया।फिर उसने अपनी माँ की ब्लाउस में क़ैद छातियाँ देख रहा था। उसकी इच्छा हो रही थी कि वो उन आमों को सहला दे पर हिम्मत नहीं हुई। और वह करवट बदल कर सो गया।

उधर सुबह जब नमिता उठी तो देखी कि राज पीठ के बल सोया हुआ है। उसका हथियार पूरा खड़ा था और तंबू की माफ़िक़ तना हुआ था। वो फिर से उसके साइज़ का सोचकर हैरान हो गई। आख़िर इसका इतना बड़ा कैसे है, इसके पापा का तो इसके आसपास भी नहीं था। तभी उसे ख़याल आया किवी अपने बेटे के लंड के बारे में सोच रही है, तो वो अपने से शर्मिंदा होकर बाथरूम चली गयी।

वहाँ नहाने के पहले उसने सब कपड़े वॉशिंग मशीन में डाला और तभी उसने अपने पैंटी को देखा तो उसमें सफ़ेद सूखा सा लगा था। उसने उसे सूँघा और मर्दाना वीर्य की गंध उसे हैरान कर गई। वो समझ गई किये राज का ही काम है।

उसे बड़ा दुःख हुआ कि ये उसके बेटे को क्या हो गया है? वो ऐसे कैसे कर सकता है? क्या अपनी माँ को वैसी गंदी नज़र से देखता है?

हे भगवान मैं इसका क्या करूँ? यह सोचते ही उसके आँसू निकल गए। उसके समझ में आ गया कि उसका ध्यान पढ़ाई में इसीलिए नहीं लगता है क्योंकि वह बस हर समय शायद सेक्स के बारे में ही सोचता रहता होगा।

यहाँ तक तो ठीक है पर क्या वो अपनी माँ के बारे में ऐसी गंदी सोच रखता है! वह सोचकर काफ़ी परेशान हो गई।

उसे लगा कि हो सकता है वो ज्यादा ही सोच रही हो और उसने बस अपनी उत्तेजना को शांत किया हो और उसकी पैंटी को शायद उसने इसके लिए सिर्फ़ इस्तेमाल किया ही और हो सकता है सच में वो उसके बारे में ऐसा ना सोचता हो।

उसका सर घूमने लगा। उसने फ़ैसला किया कि वो इन सब बातों को समझकर राज से साफ़ साफ़ बात करेगी


बाथरूम से बाहर आयी तब राज बिस्तर पर नहीं था। वह अपने कमरे में जा चुका था। वो किचन में गई और चाय बनाने लगी।


नमिता किचन में काम करते हुए सोच रही थी कि राज के इस व्यवहार का क्या इलाज हो सकता है। राज ने तय्यार हो कर नाश्ता माँगा और नमिता ने उसको नाश्ता दिया। वह सोचने लगा कि माँ आज कुछ ज़्यादा ही गम्भीर है। तभी उसे याद आया कि उसने माँ की पैंटी में मूठ मारी थी, कहीं उनको पता तो नहीं चल गया।

फिर वो सोचा कि माँ थोड़े ना एक एक कपड़ा वॉशिंग मशीन में डालती होंगी। वो तो सारे कपड़े एक साथ ही धोने में लिए डाल देती होंगी।

राज नाश्ता करने के बाद माँ के पास आया और बोला: माँ आपकी तबियत तो ठीक है ना? आप आज बहुत गम्भीर नज़र आ रहीं हैं।

नमिता: नहीं मैं ठीक हूँ , चलो स्कूल जाओ।

राज: ठीक है माँ , बाई।

राज के जाने के बाद वो चाय पीते हुए सोच रही थी कि कैसे इस टॉपिक को सुलझाया जाए।

राज स्कूल के बस में बैठा तो शिला मैडम जब अंदर आयी तो उसको प्रतीक की बात याद आयी और वो सोचने लगा कि ये कितनी सीधी साधी दिख रही है और प्रतीक से मज़े से चुदवायी है कल दोपहर को।


शीला मैडम आकर राज के साथ ही बैठ गयी। प्रतीक की नाक में एक तेज़ ख़ुशबू का झोंका आया। आंटी ने सेंट लगाया हुआ था। वो साड़ी और स्लीव्लेस ब्लाउस में थीं। उन्होंने सामने की सीट का रॉड पकड़ा था और उनकी बग़ल साफ़ दिख रही थी। साड़ी से उनका गोरा पेट भी बहुत मादक दिख रहा था। उसकी इच्छा हो रही थी कि उस गोरे पेट पर हाथ फेर ले, पर उसने स्वयं पर नियंत्रण किया।

शीला: पढ़ायी कैसी चल रही है तुम्हारी?

राज: ठीक है मैडम ।श्रेय कैसा है?

शीला: श्रेय थी है, वो पीछे बैठा है बस में।नमिता ठीक है ना?

राज: जी, मम्मी ठीक हैं।आंटी प्रतीक कल आपके घर आया था क्या?

शीला चौंकते हुए बोली: हाँ आया था श्रेय के साथ विडीओ गेम खेलने , पर तुम्हें कैसे पता?






To be continue
Abba ne sahi thukwa di
 
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इशा बोलने लगी: मम्मी हम दोनों को देख कर बहुत शाक में आ गयी। पापा ने अपने आप को ढँकने का कोई प्रयास नहीं किया और वैसे ही नंगे उठकर उनसे बोले: देखो रानी मैं तुमको सब बताना ही चाहता था पर क्या हुआ ना, बताने का अवसर ही खोज रहा था और आज तुमने देख ही लिया।मम्मी रोने लगी और चुप ही नहीं हो रही थी।
फिर पापा ने उनको अपनी गोद में खिंच लिया और उनके आँसू पोंछने लगे। मैं तो खड़ी काँप रही थी। मैंने अपने कपड़े उठाए पहनने के लिए पर पापा ने मुझे कहा: मत पहनो अभी कपड़े। मैं वैसे ही डर के खड़ी रही।
पापा ने कहा: अरे बेटी तुम क्यों डर रही हो।वो मुझे भी अपने पास खिंच लिए और मेरे गाल भी चूम दिए।
वह मम्मी से बोले: देखो रानी,तुम जानती हो कि मैंने कभी तुमको धोका नहीं दिया। जहाँ तक इशा की बात है ये तो घर का ही मामला है। वह मुझे अच्छी लगती है और मैं भी उसे अच्छा लगता हूँ । वो मेरे नंगे चूतरों को सहलाते हुए बोले। मम्मी सब देख रही थी।
उन्होंने मम्मी के होंठ चूमे और बोलने लगे: देखो रानी, मैंने तो कई बार तुमको कहा है कि तुम सोनू (याने भय्या )को पटा लो, पर तुम मेरी बात मानती ही नहीं हो। सोनू भी तुमको घूरता रहता है, तुमने ही मुझे बताया था, जो कि बिलकुल सामान्य बात है उसकी उम्र में । कभी शीशे में अपने आप को देखो क्या मस्त माल हो तुम? ये बड़ी बड़ी चूचियाँ और ये बड़े गोल गाँड़ किसी को भी पागल कर दें।
मम्मी अपनी तारीफ़ सुनकर ख़ुश हो गयी और बोली: आप भी ना , बेटी के सामने कुछ भी बोले जा रहे हैं। और सोनू मेरा बेटा है उसके साथ मुझे ये सब करने में झिझक होती है। वह ज़रूर मुझसे चिपकता है और अपना हथियार मेरे पीछे रगड़ता है। पर मुझे अभी भी बड़ा अजीब सा लगता है।
पापा मम्मी को सामान्य होता देख कर बोले: देखो ये हमारी बिटिया की जवानी भी क्या फूटी है, इसके संतरे तो देखो, तुम्हें भी चूसने का मन होगा। अब वो मुझे सामने ले आए और मम्मी से मेरे एक दूध को चूसने को बोले। मम्मी थोड़ा झिझक रही थी तो वो ख़ुद एक चूचि चूसने लगे। और मम्मी का मुँह दूसरी चुचि पर रख दिए।
आऽऽऽहहहह क्या अहसास था मेरे बदन में, मेरे पापा और मम्मी मेरी दोनों चूचियाँ चूस रहे थे। पापा की ऊँगली अब मेरे बुर में भी अठखेलियाँ कर रही थीं। मैं मस्ती में डूब गयी और हाऽऽऽऽय्यय करके अपने मज़े का आभास कराई।
पापा के साथ अब मम्मी भी मस्ती में आ गयी थी और वो दोनों पूरे जोश अव मेरी चूचियाँ चूस रहे थे ।
पापा: रानी चलो ना बेडरूम में तुमको अभी चोदूंग़ा इशा के सामने। ये कहते हुए वह मम्मी की चूचियाँ कपड़े के ऊपर से ही दबाने लगे।
मम्मी: आह क्या करते हैं, कोई इतना ज़ोर से दबाता है क्या?
पापा: चलो ना प्लीज़ अभी चुदायी करते हैं।
मम्मी: इशा के सामने ?
पापा: अरे ये भी तो नंगी ही खड़ी है चलो तुम भी नंगी हो जाओ।
पापा खड़े हुए तो उनका लौड़ा बुरी तरह से तना हुआ था और ऊपर नीचे हो रहा था। मम्मी ने उसको सहलाकर कहा: आह इसको शांत को करना ही होगा। चलिए कर लीजिए।
अब हम तीनों बेडरूम में आए और पापा ने मम्मी की साड़ी और ब्लाउस उतार दिया। अब पापा ने मम्मी की ब्रा और और पैंटी भी उतारके वो उनकी चूचि खड़े खड़े ही चूसने लगे। फिर उन्होंने मम्मी को लिटाया और मुझे बोले: देखो तुमने अपनी मम्मी की चूचि देखी? क्या बड़ी बड़ी हैं? आओ हम दोनों इसको चूसते हैं। अब मैं और पापा एक साथ उनकी एक एक चूची चूसने लगे।
मम्मी मस्ती से भर के हाऽऽय्यय करने लगी। अब पापा ने उठकर मम्मी की बुर में अपना लौड़ा डाला और उनको बुरी तरह से चोदने लगे। फ़च फ़च की आवाज़ के साथ मम्मी बड़ी मस्ती से चुदवा रही थी अपनी कमर उछालकर ।

मैं भी वहाँ बैठी अपने पापा और मम्मी की चुदायी देख रही थी और पापा एक हाथ से मेरी चूची भी मसल रहे थे। अब अचानक उनकी स्पीड बढ़ गयी और मम्मी भी चिल्लाके झड़ने लगी और पापा भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ गए।
अब दोनों एक दूसरे के बग़ल में लेट गए। मेरी बुर पूरी तरह से पनिया गई थी और मैंने एक ऊँगली वहाँ डालके खुजाने लगी। मम्मी बोली: जा पापा के मुँह के ऊपर अपनी बुर रख दे वह चूस देंगे।
पापा: हाँ बेटी आओ बैठो मेरे मुँह पर । मेरा यह पहला अनुभव था इस तरह का। मैं पापा के मुँह पर बैठ गयी और पापा मेरी बुर फैलाकर उसमें जीभ डालके मुझे इतना गरम किए कि मैं जल्दी ही झड़ने लगी और पापा मेरा सारा रस पी गए ।
मम्मी: बेटी, मज़ा आया?
मैंने शर्माके हाँ में सर हिला दिया।
इस तरह मैं पहली बार पारिवारिक सेक्स में शामिल हुई।
मानसी अब भी राज का लौड़ा चूस रही थी। और नमिता की बुर को रोहन सहलाए जा रहा था। राकेश अपनी बेटी के चूतरों को सहलाते हुए उसकी बुर और गाँड़ में ऊँगली कर रहा था। इशा की बुर पर राज की उँगलियाँ चल रही थी।
इशा बोलती चली गयी:------:-----
अब पापा सोनू के बारे में मम्मी को बताने में लग गए और बोले कि कल मैं जब रात को बाथरूम जाने के लिए उठा तो सोनू के कमरे से आवाज़ें आ रही थीं । मैं उसके कमरे में खिड़की से झाँका और देखा कि वह अपने बिस्तर में तुम्हारी बहुत सी फ़ोटो बिछाया हुआ था और मूठ्ठ मार रहा था। और मम्मी मम्मी कहता हुआ अपना रस निकाल दिया।
मम्मी का तो मुँह खुला रह गया। वह हैरान थी कि उसका अपना बेटा ही उसे वासना की दृष्टि से देखता है। तभी पापा ने उसकी बुर में ऊँगली डाली और कहा कि देखो तुम ये सोचके गरम हो गयी कि तुम्हारा बेटा ही तुमको चोदना चाहता है ।देखो कितनी गीली है तुम्हारी बुर? और उन्होंने अपनी गीली उँगलियाँ चाट लीं।
मेरे लिए ये सब बड़ा अजीब था।
फिर पापा बोले: चलो आज रात को प्लान करते हैं । सोनू स्कूल से आएगा तब उससे बात करेंगे।
रात को खाना खाके सब TV देखने लगे। तभी सोनू भय्या उठकर अपने कमरे की ओर जाने लगा। पापा ने उसे आवाज़ देकर रोका और बोले: बेटा रुको आज मुझे तुम सबसे कुछ बातें करनी है।
वह आके बैठ गया।
पापा बोले: आज मुझे तुम सबसे कुछ बात करनी है। आज जो मैं बोलूँगा थोड़ा अजीब लगेगा पर इसमें ही हमारी सब की ख़ुशी निहित है।
सोनू: मैं समझा नहीं पापा।
पापा: बेटा ये सच है ना कि तुम अपनी मम्मी को वासना भरी निगाहों से देखते हो?
सोनू भय्या हकलाते हुए : नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं है। वह मम्मी को देखते हुए बोला: मम्मी ऐसा कुछ नहीं है।
पापा: बेटा ऐसा है , कल मैंने तुम्हें अपनी मम्मी का नाम लेते हुए उसकी फ़ोटो को देखकर मूठ्ठ मारते देखा था।
सोनू का चेहरा सफ़ेद पद गया।
वह रोने लगा और बोला:मम्मी मुझे माफ़ कर दो , मैं बहुत गन्दा हूँ।
मम्मी उठी और उसके पास बैठ कर उसको अपनी बाहों में लपेट कर बोली: मत रो बेटा, मैं तुमसे नाराज़ नहीं हूँ। पर एक बात बात तुझे अपनी बुड्ढी माँ क्यों पसंद है तेरी कोई गर्ल फ़्रेंड नहीं है क्या?
सोनू: माँ आप कहाँ से बूढ़ी हो गयीं? आप तो बिलकुल जवान हो। ये कहते हुए वह डर गया और पापा को देखते हुए बोला: पापा सॉरी मेरा ग़लत मतलब नहीं था।
पापा हँसने लगे और बोले: तुम सही बोल रहे हो तेरी माँ अभी मस्त जवान है। माल है वो हा हा ।
सोनू हैरानी से पापा को देखता रह गया।
मम्मी सोनू के आँसू पोंछकर उसे चुम ली और बोली: दिल छोटा मत कर। अच्छा ये बता कि मेरा क्या सबसे अच्छा लगता है तुझे ?
सोनू उसकी आँखों में देखकर बोला: क्या मतलब मम्मी?
पापा उठके उनके पास आकर घुटने के बल बैठ गए और बोले। बता ना मम्मी का कौन सा अंग तुमको सबसे अच्छा लगता है?
सोनू थोड़ा सा डरते हुए बोला: मम्मी का गोरा पेट।
पापा और मम्मी हँसने लगे। पापा ने मम्मी की साड़ी हटाने उनका पेट नंगा किया और बोले: ले देख ले मम्मी का पेट । छू ले । ये कहते हुए पापा ने उसका हाथ मम्मी के पेट पर रख दिया । सोनू पापा को देखते हुए मम्मी का पेट सहलाने लगा। फिर उसने मम्मी की नाभि को ऊँगली से छूना शुरू किया।
अब पापा बोले: और क्या अच्छा लगता है मम्मी का?
सोनू ने मम्मी की छातियों को देखा पर हिम्मत नहीं पड़ी बोलने की।
पापा: तुझे मम्मी की छातियाँ पसंद है ना?
सोनू धीरे से सिर हिलाया हाँ में।
पापा ने मम्मी का पल्लू नीचे किया और अब ब्लाउस में कसी उनकी चूचियाँ पहाड़ सी खड़ी थीं ।
अब पापा ने उसके दोनों हाथ पकड़कर उनकी छातियों पर रख दिया। सोनू पागल सा होकर उनको दबाने लगा। मम्मी आह्ह्ह्ह्ह करने लगी। अब मम्मी ने भी देखा कि उसके पैंट में तंबू तन गया था। वह उसको पकड़कर सहलाने लगी और बोली: देख तेरा कैसा तय्यार है मेरे अंदर घुसने के लिए।
पापा हँसने लगे और बोले: अरे ये तो अपने जन्म स्थल के अंदर घुसने के लिए मरे जा रहा है।
अब हम सब हँसने लगे।
पापा बोले: चलो अब बेडरूम में जाकर अपनी माँ को मस्ती से चोदो और ख़ूब मज़ा लो दोनों।
मम्मी: और इशा की चुदायी का क्या? उसे आप कब लड़की से औरत बनाओगे?
पापा: बस तुम्हारी चुदायी के बाद मैं भी इसे चोदूंग़ा। ठीक है ना बेटी?
मैंने हाँ में सिर हिला दिया।
अब हम चारों बेडरूम में आ गए।

इशा बोले जा रही थी:----



बेडरूम में जाकर पापा ने मम्मी की साड़ी और ब्लाउस खोला और सोनू उसकी ब्रा में क़ैद बड़े दूध देखकर अपना लौड़ा सहलाने लगा। अब पापा ने मम्मी को बिस्तर पर लिटा दिया और सोनू को कहा: आ जा अपनी माँ से मज़ा कर ले। पर पहले कपड़े तो खोल ले।
सोनू ने अपनी शर्ट और लोअर उतार दी और सिर्फ़ चड्डी में उसका तगड़ा बदन देखकर मैं दंग रह गयी । उसकी चड्डी में छिपा हथियार भी काफ़ी बड़ा सा लग रहा था। अब वह मम्मी के ऊपर लेट गया और मम्मी की चूचियाँ दाबने लगा। फिर उसने ब्रा खोली और मम्मी ने उसको ब्रा निकालने में पूरी मदद की। अब वह मम्मी की बड़ी चूचियाँ देखकर मस्ती से उनकी चूचियाँ दबाने लगा। मम्मी की आऽऽझह निकलने लगी। तभी पापा ने मम्मी की पैंटी उतार दी। मम्मी ने अपने चूतर उठाए ताकि पैंटी उतर जाए। अब पापा बोले: ले देख तेरी मम्मी की बुर ।ये कहते हुए पापा ने भय्या को मम्मी की बुर फैलाके दिखायी। भय्या मम्मी कि बुर के अंदर का गुलाबी हिस्सा देखा और बोला: आऽऽह मम्मी आपकी बुर कितनी सुंदर है।
पापा मुझे भी बुलाए और हम दोनों को खुली हुई गुलाबी बुर दिखाके बोले: देखो बच्चों तुम्हारा जन्म स्थल, यहीं से तुम दोनों बाहर आए थे इस दुनिया में।
मैं और भय्या दोनों बड़े ध्यान से मम्मी की बुर देख रहे थे।फिर उन्होंने बुर के ऊपर एक दाना दिखाया और जिसको clit कहते हैं। और बोले: ये भगनासा है इसे छुओ,तुम्हारी मम्मी मस्त हो जाएगी। भय्या ने उस दाने को ऊँगली से सहलाया और मम्मी आह कर उठी।
पापा बोले: इसको जीभ से चाटो वो पागल हो जाएगी।
भय्या ने जीभ से दाने को चाटा और मम्मी चीख़ उठी हाऽऽयय्यय करके।
अब पापा ने मम्मी की बुर में तीन उँगलियाँ डाली और मम्मी की बुर से अपनी गीली उँगलियाँ निकाली और बोले: देखो सोनू तुम्हारी मम्मी कितनी चुदासि हो रही है। ये कहते हुए उन्होंने एक ऊँगली चूसी और एक ऊँगली सोनू की तरफ़ किए जिसे वह चूस लिया। फिर उन्होंने आख़री ऊँगली मुझे दी और मैंने भी चूस ली।
अब पापा बोले: इशा तुम अपने भय्या की चड्डी खोलो और उसका लौड़ा बाहर निकाल के सहलाओ।
मैं भय्या की आँखों में देखी और वहाँ सिर्फ़ वासना ही नज़र आ रही थी। वह मेरी चूचियों को घूर रहा था।
पापा: बेटा अपनी बहन की चूचि भी दबा के मज़ा ले ले।
मैं नीचे बैठ गयी और उसकी चड्डी निकालने लगी। जैसे ही उसका लौड़ा बाहर आया , मैं चौक गयी। कितना बड़ा हो गया था वह । मुझे याद है जब मैंने पिछली बार देखा था तब वह छोटी सी नुनु हुआ करता था अब तो वह सांप सा बड़ा हो चुका था।
पापा के कहने पर मैंने भय्या का लौड़ा सहलाया और वहाँ से प्रीकम निकलने लगा। तभी पापा ने कहा: बेटी इसको चूस ले, जैसे मेरा चूसती है। मैंने जीभ से भय्या के लौड़े पर आया हुआ प्रीकम चाट लिया। उधर भय्या झुककर मेरी चूचियाँ दबाने लगा।
पापा: चल अब अपनी मम्मी को चोद ले।
भय्या उठकर मम्मी पर चढ़ गया और उनके होंठ चूसने लगा और चूचियाँ मसलने लगा, और फिर वह एक चूचि पीने लगा । पापा ने कहा: बेटी जाओ तुम भी अपनी मम्मी की एक चूची पी लो। मम्मी को बहुत अच्छा लगेगा कि उसके दोनों बच्चे अब बड़े होकर भी उसका दूध पी रहे हैं।
अब मैं भी उनकी एक चूचि चूसने लगी। अब हम दोनों मम्मी के एक एक दूध पिए जा रहे थे। मम्मी की हाय्य्य्य्य निकलते जा रही थी ।
पापा बोले: अरे क्यों अपनी मम्मी को तड़पा रहा है , चल चुदायी चालू कर।
अब सोनू मम्मी की बुर के पास आके बैठ गया।
पापा: आज तक कोई गर्ल फ़्रेंड को चोदा है?
सोनू: नहीं पापा कभी नहीं।
पापा: ओह तो मम्मी तुम्हारा पहली बार कुँवारा बदन भोगेगी। चल मैं तुझे सिखाता हूँ।
अब पापा ने उसके लौड़े को पकड़ा और मम्मी की बुर पर रखा और धक्का मारने को बोला। सोनू ने धक्का मारा और क़रीब पूरा लौड़ा अंदर डाल दिया। अब पापा को उसको कुछ सिखाने की ज़रूरत नहीं पड़ी क्योंकि वह अपने आप ही अपना इंजन दौड़ाने लगा। मम्मी की आऽऽऽहहह निकले जा रही थी। पापा ने अब मुझे अपनी गोद में खिंच लिया और मेरे होंठ चूसते हुए मेरी चूचि दबाने लगे। फिर उन्होंने मेरे कपड़े एक एक करके निकाले और मुझे पूरा नंगी कर के मेरे बदन से खेलने लगे। अब वो भी पूरा नंगे ही गए। अब मैंने भी उनका लौड़ा सहलाया और मम्मी को भय्या से चुदती देख रही थी। पापा भी मस्ती से भरके अपनी बीवी को बेटे से चुदते देखकर बहुत गरम हो गए थे। कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ें आ रही थीं । मम्मी की सिसकारियाँ भी कमरे में गूँज रही थीं । वह चिल्ला रही थी: आऽऽहहहह चोओओओओओओओओओद मेंएएएएएएएरे बेएएएएएएटे हाऽऽय्यय मरीइइइइइइइइइइ । मैं गयीइइइइइइइइइइइइइ । अब सोनू ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म कहते हुए झड़ने लगा।
दोनों लस्त होकर पड़े थे और मैं पापा की गोद में उनके लौड़े को अपनी गाँड़ के नीचे दबाके बैठी थी। पापा मेरी चूचि चूसकर मस्त हो रहे थे। पापा लेट गए मम्मी की बग़ल में और बोले: क्या जानु मज़ा आया?
मम्मी : बहुत मज़ा आया। मेरा बेटा तो जन्मजात चुदक्कड है जी। देखो ना पहली बार में ही क्या चुदायी किया है। मुझे तो मस्त कर दिया।
पापा हँसते हुए सोनू से बोले: तू बोल मज़ा आया?
सोनू: पापा मैं तो पागल ही हो गया था । वाह क्या मज़ा आता है इस काम में। मम्मी की बुर भी काफ़ी गरम है।
अब पापा मुझे लौड़ा चूसने को बोले और मैं चूसने लगी।
सोनू उठकर हमारे पास आया और मेरे संतरों से खेलने लगा। तब तक मम्मी बाथरूम से सफ़ाई कर के आयी और मुस्कुरा के बोली: बेटी मज़ा आ रहा है? भय्या चूचियाँ दबा रहा है और तू पापा का लौड़ा चूस रही है? कहते हुए मम्मी ने मेरी बुर को सहलाकर मुझे मस्ती से भर दिया।
अब मम्मी ड्रेसिंग टेबल से एक क्रीम की डिब्बी लायीं और बोलीं: चलो जी अब इसकी कुँवारी जवानी को चोदो और इसका कौमार्य भंग करो और लड़की से औरत बनाओ।
पापा के लौड़े ने ये सुनकर मेरे मुँह में एक झटका सा मारा। मैं समझ गयी कि पापा को मस्ती चढ़ गयी है।
अब पापा बोले: हाँ बेटी चलो अब लेट जाओ और अब तुम्हारी सील तोड़ेंगे।
मैं लौड़े को मुँह से निकाली और लेट गयी और मम्मी की तरह टाँगें फैला दीं। अब मम्मी ने पापा के लौड़े पर ढेर सा क्रीम लगाया। उन्होंने सोनू से कहा: तुम संतरों को चूसते रहो और इसको गरम रखो। सोनू तो जैसे मेरे संतरों का दीवाना सा हो गया था। अचानक मुझे उसका लौड़ा भी खड़ा हुआ दिखा। सोनू ने मेरा हाथ अपने लौड़े पर रखा और मैं उसे सहलाने लगी। तभी मम्मी ने मेरे चूतरों के नीचे एक तकिया रखा और मेरी टांगों को घुटने से मोड़कर पूरा फैला दिया। अब पापा अपना मुँह मेरी बुर में डालके थोड़ी देर चाटे। जब मैं पूरी पनिया गई तब मम्मी ने उसमें भी क्रीम लगाया।
मम्मी बोली: बेटी थोड़ा सा दर्द होगा, तुम्हारा पहली बार है ना? सह लेना, ठीक है? फिर मज़ा ही मज़ा।
मैं: जी मम्मी सह लूँगी।
मैं बहुत उत्तेजित थी । भैया चूचियाँ चूसे जा रहा था।
अब पापा ने अपने लौड़े को मेरी मेरी बुर के छेद पर रखा, जिसकी फाँकों को मम्मी ने फैलाया हुआ था। अब उनका सुपाड़ा अंदर जाने की कोशिश कर रहा था। तभी पापा ने हल्का सा दबाव डाला और सुपाड़ा अंदर की झिल्ली को फाड़ता हुआ मेरी बुर में घुस गया। मेरी चीख़ निकल गई और मैं चिल्लायी: आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पापा प्लीज़ निकाऽऽऽऽऽऽऽऽऽल लोओओओओओओ। हाऽऽऽयय्यय बहुत दुखताआऽऽऽऽऽऽ है।
मम्मी मेरे गाल को सहला के बोली: बेटी बस अब नहीं दुखेगा थोड़ा धीरज रखो ।
अब पापा ने फिर से लौड़े को अंदर दबाया और मेरी बुर में तलवार की भाँति वह घुसता चला गया और मैं मारे दर्द के रोने लगी। मम्मी मेरे गाल चूमती हुई आँसू पोंछी और बोली: बस बेटी बस, अभी आराम मिलेगा।
मैं चिल्लायी: पापा निकाआऽऽऽऽऽऽऽऽऽलोओओओओओ ना हाऽऽऽऽऽऽय्यय मरीiiii
भय्या मेरी चूचियाँ दबा रहा था और चूस भी रहा था। अब मम्मी ने मुझे प्यार से समझाया की बस हो गया अब तुझे मज़ा आयेगा। पापा भी रुक गए थे और उनका मोटा लौड़ा मेरी बुर में मानो फँस सा गया था। तभी मम्मी मेरी दूसरी चूचि भी चूसने लगी, और मेरे निपल्ज़ पर भी जीभ फिराने लगी। मैं अब मस्ती में आने लगी थी । उन्होंने भय्या को भी जीभ से निपल को छेड़ना सिखाया। उधर पापा भी मेरे पेट ,जाँघों और मेरे चूतरों को सहला रहे थे। अब मैं गरम होने लगी और बोली: आऽऽहहह मम्मी अच्छा लग रहा है।
मम्मी: लगेगा बेटी अच्छा ही लगेगा।
फिर पापा को बोलीं: चलिए चोदना शुरू करिए। अब इशा तय्यार है मस्त चुदायी के लिए।
पापा बोले: बेटी चोदूँ ?
मैंने हाँ में सिर हिलाया।
पापा: मुँह से बोलो ,क्या करूँ?
मैं हाँफते हुए बोली: आऽऽऽहहहह पापा चोदिए ना क्यों तड़पा रहें हैं?
पापा हँसते हुए अब धक्के लगाने लगे, और मैं अपनी पहली चुदायी के आनंद में जैसे डूबती ही चली गयी।
आह्ह्ह्ह्ह क्या सुख मिल रहा था। मम्मी और भय्या एक एक चूचि पी रहे थे और पापा बुर में लौड़ा घिस रहे थे। पापा ने मेरे दोनों चूतरों के नीचे हाथ रखा हुआ था और उसको ऊपर की ओर करके मेरी बुर में पूरा लौड़ा जड़ तक पेल रहे थे। मैं तो मज़े के सागर में जैसे गोते लगा रही थी। मेरे परिवार के सभी सदस्य मेरी चुदायी और सेवा में लगे थे। क्या फ़ीलिंग थी ! बता नहीं सकती। पापा बीच बीच में मेरी गाँड़ के छेद में भी ऊँगली कर देते थे। मैं उत्तेजना और दर्द से उछल जाती थी और ऐसा करने से लौड़ा और गहरे में अंदर तक धँस जाता था।
तभी मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ और हाऽऽऽऽयय्यय पाआऽऽऽऽऽऽपा मैं गयीइइइइइइइइइइ कहके झड़ गयी। और अपनी कमर उछाल के पापा का लौड़ा अपनी बुर में भींचने लगी । पापा भी मेरा ये हमला नहीं सह पाए और आऽऽऽऽऽऽहहह बेएएएएएएएएटी क्याआऽऽऽऽऽऽ मस्त बुर है तेरी आऽऽऽहह कितनी टाइट है आऽऽऽह ह्म्म्म्म्म्म कहते हुए वो अपना वीर्य मेरे अंदर छोड़ते चले गए। मैं भी उनसे बुरी तरह से चिपकी हुई थी और उनके स्पाज़म का मज़ा ले रही थी।
अब तीनों मेरे ऊपर से हट गए।
पापा हाँफते हुए: सुनो इसको आज से वही पिल्ज़ खिला देना जो तुम लेती हो , कहीं प्रेग्नन्सी ना हो जाए।
मम्मी: जी पक्का खिला दूँगी।
अब मम्मी उठी और मेरी बुर का मुआयना किया।
वह बोली: सोनू आ के देख , कैसी फटी हुई दिख रही है तेरी बहन की बुर।भय्या उठके मेरी बुर को देखा और बोला: मम्मी ये तो ख़ून से लाल हो रही है।
मम्मी: हाँ पहली चुदायी में लड़की का ख़ून निकलता है, ये बड़ी सामान्य सी बात है।
फिर मुझे बोली: बेटी अब भी दर्द है क्या?
मैं: हाँ मम्मी थोड़ी सी जलन सी हो रही है।
मम्मी: चल बाथरूम में ठंडे पानी से साफ़ कर देती हूँ। कल तक पूरा आराम आ जाएगा।
हम दोनों बाथरूम गयीं, वहाँ मम्मी ने मुझे मूतने को कहा और फिर मेरी बुर की डेटोल के पानी से सफ़ाई की।
फिर खड़े होकर मुझे बाहों में लेकर चूमते हुए बोली: बेटी बधाई हो आज तुम्हारी बुर का उद्घाटन हो ही गया और अब तुम जी भर के अपने पापा और भैय्या से चुदाई करवाओ। पर बाहर वालों से मत चुदवाना।
बाहर आए तो कमरे में कोई नहीं था और TV चलने की आवाज़ आ रही थी। हम नंगी ही ड्रॉइंग रूम में गयी , वहाँ पापा और भय्या अग़ल बग़ल बैठके बातें कर रहे थे। पापा का लंड नरम होकर उनकी जाँघ पर लेटा हुआ था और भय्या का लंड आधा खड़ा था। मैं जाके सामने बैठ गयी और मम्मी भय्या के पास बैठ कर उसके लौड़े को सहलाने लगी। जल्दी ही भय्या का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया। पापा ये देखके मुस्कुराए।
तभी मैं बोली: पापा आप मेरे पीछे के छेद में क्यों ऊँगली डाल रहे थे? मुझे जलन सी होती थी वहाँ।
पापा: मज़ा नहीं आया था? उसको गाँड़ कहते हैं, समझी।
मैं शर्माके बोली: आया तो था।
सब हँसने लगे।
भय्या बोला: पापा आप मम्मी की गाँड़ भी मारते हो?
मम्मी: तुझे पता है कि गाँड़ भी मारी जाती है, मैं तो तुझे सीधा समझती थी।
पापा: हाँ तेरी मम्मी को गाँड़ मरवाने में बहुत मज़ा आता है।
भय्या का लौड़ा अभी भी मम्मी सहला रही थी और वह बुरी तरह से तन गया था।
पापा: हाँ हाँ क्यों नहीं अभी मार ले। तेरा तो तय्यार ही है।
अब पापा मम्मी को अपनी गोद में पेट के बल लिटा दिए। अब मम्मी के बड़े चूतरों का उभार देखते ही बनता था। पापा ने मुझे भी पास बुलाया और मैं भी आके उनके साथ ही खड़ी हो गयी।
पापा: देखो गाँड़ मारने के लिए कुछ तय्यारी करनी होती है। क्योंकि बुर की तरह इसने कोई लूब्रिकेशन नहीं होता है।
अब पापा ने मम्मी के बड़े चूतरों को फैलाके हमको उनकी गाँड़ का सुराख़ दिखाया और बोले: ये देखो कितना सुकडा हुआ सा है गाँड़ का छेद।
वह छेद पर ऊँगली फेरकर बोले: देखो अब इसने क्रीम या तेल लगाकर इसको चिकना करते हैं।
भय्या भी वहाँ ऊँगली फेरे और उनका लौड़ा झटके मारने लगा।
पापा के कहने पर मैं क्रीम लायी और पापा ने अपनी ऊँगली में क्रीम लेकर ढेर सारी क्रीम मम्मी की गाँड़ में लगा दिए और ऊँगली अंदर बाहर करने लगे। हम दोनों भाई बहन आँख फाड़े ये देख रहे थे। अब वह दो ऊँगली में क्रीम लिए और आसानी से उँगलियाँ अंदर बाहर करने लगे।
भय्या: पापा मैं भी ऊँगली डालूँ क्या?
पापा हँसते हुए बोले: चलो क्रीम लगाओ और दो उँगलियाँ डालो।
अब भय्या भी दो ऊँगली क्रीम लगाके डाले और बोले: आह मम्मी आपकी गाँड़ तो बहुत मस्त टाइट है और गरम भी है।
पापा: अब तीन उँगलियाँ डालो क्रीम लगाकर।
भय्या तीन उँगलियाँ डालने के बाद मज़े से अंदर बाहर करने लगे।
मम्मी की हाऽऽऽऽऽऽय्यय निकल गयी।
अब पापा ने सोनू को कहा : बेटी, ले अब अपने भय्या के लौड़े पर क्रीम लगा ले और वह गाँड़ मार लेगा अपनी मम्मी की।
मैंने भय्या के लौड़े पर क्रीम लगाया और पापा ने मम्मी के चूतरों को छोड़ दिया और बोले: चलो अब सोफ़े के सहारे आगे की ओर झुक जाओ।
मम्मी झुकी और पापा ने मम्मी के चूतरों को फिर से फैलाया और सोनू के लौड़े को पकड़कर उन्होंने मम्मी की गाँड़ के छेद पर रखा और बोले: धीरे से अपने लौड़े को दबाते जाओ। धक्का नहीं मारना।
अब सोनू का लौड़ा धीरे धीरे मम्मी की गाँड़ में घुसता चला गया।
मम्मी की आऽऽऽहहह निकल गयी।
अब पूरा लौड़ा मम्मी की गाँड़ में समा गया और पापा बोले: शाबाश अब मारो गाँड़। धक्के से चोदो और अपनी मम्मी को मस्ती से भर दो।
अब सोनू ने मम्मी की ज़बरदस्त चुदायी चालू की। अब मम्मी की चीख़ें निकलने लगीं। ठप ठप की आवाज़ आ रही थी जब सोनू की जाँघें मम्मी के मोटे चूतरों से टकराती थी। अब दोनों मस्ती से चुदायी कर रहे थे और पापा मेरे चूतरों को दबाते हुए मेरी गाँड़ के छेद को छेड़ने लगे। मैंने भी पापा के खड़े हो रहे लौड़े को पकड़ लिया और सहलाते हुए मस्त होने लगी।
तभी पापा बोले: चल अब अपनी मम्मी की बुर सहला तभी वह झड़ेगी। सोनू ने दो उँगलियाँ उसकी बुर में डाल दी और वह मज़े से चूतरों को पीछे धकिया कर चुदवाने लगी।
पापा: clit को छेड़ो बुर की ,जैसा बताया था वह मस्त हो जाएगी।
भय्या ने जैसे ही मम्मी koके दाने को रगड़ा ,मम्मी की सिसकारियाँ गूँजने लगी।कमरा ज़बरदस्त चुदायी की आवाज़ों से भर उठा और दोनों आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हम्म्म्म्म कहते हुए झड़ने लगे।
जल्दी ही सोनू अपना अभी भी तना हुआ लौड़ा निकालके सोफ़े पर बैठ गया और मम्मी भी बाथरूम चली गयी।
पापा सोफ़े पर बैठ गए और मुझे अपने पास ज़मीन में बिठाके अपना लौड़ा चूसवाने लगे। मैं भी पूरी ताकत से उनका लौड़ा चूसती गयी और क़रीब दस मिनट बाद पापा मेरे मुँह में झड़े और मैं उनका पूरा रस पी गयी।
अब हम सब शांत होकर बैठ गए।
इशा कहानी सुनाके चुप हो गयी। तब तक वहाँ फिर से सब गरम हो चुके थे और इशा को राकेश चोदने लगा। उधर राज भी नमिता को चोदने लगा। रोहन भी अपने लौड़े को मानसी से चूसवाने लगा। सब मस्ती से भर कर मज़े से झड़ गए।
सब बाथरूम से फ़्रेश होकर आए , तब नमिता बोली: इशा, ये बताओ कि तुम्हारे मायक़े में तो तुम अपनो से चुदी पर ससुराल वालों से कैसे चुदीं? और राकेश को कब पता चला कि तुम अपने भय्या और पापा से चुदवाती हो?
इशा अपने पति राकेश को देखकर मुस्करायी और बोली: बता दूँ?
राकेश नमिता की चूचियों को दबाकर बोला: अरे ये तो अब अपने ही है , सब बता दो ।


इशा हँसते हुए बोलने लगी:----




इशा बोलती गयी: उस दिन के बाद मेरे भय्या और पापा मुझे और मम्मी को रोज़ चोदते थे। फिर भय्या की शादी हुई उनकी पसंद कि लड़की से । भय्या ने उसे पहले से बता रखा था कि हम लोग पारिवारिक चुदायी में विश्वास करते हैं। भाभी भी बहुत जल्द हमारे जैसी हो गयीं ।अब हमारी पारिवारिक चुदाई में वह भी शामिल रहती थी और पापा को एक और जवान लड़की चोदने को मिल गयी थी।
फिर मैं जब २१ साल की हुई तो मेरी शादी राजेश से हो गयी।इन्होंने मुझे बहुत प्यार दिया पर मैं भय्या और पापा को भी मिस करती थी। हर महिने मैं मायक़े जाती और दोनों से ख़ूब चुदवाती। इसी तरह दिन कटते गए और हमारी शादी को ६ महीने हो गए। उसके बाद क्या हुआ ये राकेश बताएँगे।
राकेश बोला: सब कुछ बढ़िया चल रहा था,हम लोग रोज़ दो या तीन बार चुदायी करते थे। कभी कभी मैं एक या दो दिनों के लिए टूर पर जाता तो जब वापस आता और आयशा बहुत प्यासी रहती और फिर हम ज़बरदस्त चुदायी करते। फिर इशा हर महीने मायक़े चली जाती और ४/५ दिन दिन रहकर वापस आती। मैं बहुत प्यासा हो जाता था पर यह बिलकुल प्यासी नहीं दिखती थी।
वह एक दो दिन तो चुदायी में मज़ा भी नहीं लेती थी। फिर धीरे धीरे नोर्मल हो जाती थी। मैं अजीब उलझन में पड़ गया कि ये कैसे हो सकता है? एक दिन के टूर पर जाने से प्यासी हो जाने वाली मायक़े से आके प्यासी कैसे नहीं होती है? यह हर बार हुआ तो मुझे पक्का विश्वास हो गया कि इसका कोई आशिक़ है मायक़े में जो इसको चोद कर तृप्त कर देता है और ये प्यासी नहीं रहती।
हर महीने मेरा शक यक़ीन में बदलने लगा था। कौन हो सकता है कोई पड़ोसी या कोई कॉलेज का बोय फ़्रेंड?
अब मैंने फ़ैसला किया कि पता लगा कर ही रहूँगा कि कौन है वह जो मेरी आयशा को उसके शहर में इतना मज़ा देता है कि वह कुछ दिन चुदायी करना ही नहीं चाहती?
अगली बार जब वह मायक़े गयी तो मैं भी दो दिन बाद इसके शहर पहुँचा और होटेल में ठहरा और नक़ली दाढ़ी मूँछ लगाके इसके घर के आसपास मँडराने लगा।
क़रीब १२ बजे दिन को पूरे परिवार के साथ इशा बाहर आइ और कार में बैठके चल पड़ी। मैंने ऑटो से उनका पीछा किया। वो सब एक माल में पहुँचे और शॉपिंग किए। बाद में एक रेस्तराँ में खाना खाए और फिर घर वापस आये और फिर घर का दरवाज़ा बंद हो गया। मैंने बाद में बहुत देर इंतज़ार किया पर कोई वहाँ नहीं आया।
मैं थक कर वापस होटेल आ गया। बाद में मेरे दिमाग़ में एक बात आयी कि हो सकता है कोई रात को चुपचाप आता हो? मैंने डिनर के बाद वापस वहाँ जाने का सोचा। रात के दस बजे वहाँ वापस गया और घर बाहर से पूरे अंधेरे में डूबा हुआ था और अंदर कमरों में कहीं कहीं रौशनी नज़र आ रही थी।
यह मकान एक अलग सा बना हुआ बंगला था। मैंने उसके मेन गेट को चेक किया तो पाया कि वहाँ ताला लगा था। मैं उसपर चढ़ के धीरे से दूसरी तरफ़ को उतर गया और इशा के बेडरूम की ओर चला गया। मैंने देखा कि उसके बेडरूम में अँधेरा था और लगता था कि वहाँ कोई नहीं है।
अब मैं घूम कर साइड में गया तो वहाँ मुझे लाइट नज़र आयी और मैंने सोचा कि ये तो ड्रॉइंग रूम ही होगा।
अब वहाँ सब खिड़कियाँ मैंने चेक की और सबको बंद पाया। वहाँ मोटे परदे भी लगे थे। अंदर का कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। तभी जब मैं आख़री खिड़की के पास पहुँचा तो वहाँ खिड़की का एक काँच टूटा हुआ दिखा। नीचे एक बॉल भी पड़ी थी। मैं समझ गया कि किसी ने गेंद मारी है और शीशा टूट गया है।
मैंने धीरे से टूटे काँच के टुकड़ों को बिना आवाज़ किए निकाला, और हल्के से परदे को हटाया और अंदर को झाँका। मेरी तो जैसे साँस ही रुक गयी। अंदर का दृश्य बड़ा ही अजीब था।
इशा के पापा समीर सिर्फ़ लूँगी में थे और उनकी गोद में जुली ( सोनू की ईसाई बीवी ) बैठी थी जिसने एक नायटी पहनी थी। पापा का हाथ उसकी नायटी के अंदर उसकी जाँघों को सहला रहे थे।तभी मेरी निगाह सोनू पर पड़ी, वह मुस्कुराता हुआ अपनी बीवी को अपने पापा से मज़े लेता देख कर अपनी लूँगी के ऊपर से अपने लौड़े को सहला रहा था। तभी इशा भी कमरे में आयी और आकर अपने भय्या की गोद में बैठ गयी। मेरी तो आँखें बाहर आने लगी। सोनू इशा को चूमने लगा और अपनी बाहों में भींच लिया। हे भगवान ये क्या हो रहा है? अब इशा अपने गाँड़ को ऐसे अजस्ट की जैसे नीचे गड़ रहे खूँटे से बचना चाहती हो। पर ये क्या उसने हाथ नीचे करके उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से सहलाना चालू कर दिया। तभी मेरी सास सीमा नायटी पहने एक ट्रे में पाँच ग्लास दूध लेकर आयी। उसने मुस्कुराते हुए सबसे पहले समीर को और जुली को दूध दिया। समीर ने दूध लिया और सीमा के दूध दबाकर बोला: रानी ये बड़े बड़े दूध भी पिला दो।
सब हँसने लगे और सास बोली: बहु के पिलो अभी, मेरे बाद में पी लेना।
फिर वह सोनू और इशा को दूध दी। सोनू भी उसके दूध दबाया और बोला: मम्मी आपके दूध सच में ज़्यादा स्वादिष्ट हैं ।
सीमा हँसके बोली: क्यूँ मेरी इशा के दूध में क्या कमी है?
सोनू:अरे इसके तो छोटे हैं और आपके बड़े बड़े हैं। चूसने में मज़ा आ जाता है।
अब सब हँसने लगे। फिर सीमा सोनू के पास ही बैठ गयी। इशा और सोनू एक दूसरे के होंठ चूसने लगे। और सोनू उसकी चूचियाँ दबाए जा रहा था। जल्दी ही सोनू ने उसकी नायटी उतार दी ।इशा ने ख़ुद ही अपने ब्रा खोल कर उतार दी। उसकी मस्त चूचियाँ बाहर आते ही सोनू उनको दबाके चूसने लगा। वह भी उसकी लूँगी खींच के उतार दी और अब दोनों नंगे एक दूसरे को चूम और चाट रहे थे।
उधर ससुर और बहु का भी यही हाल था। मैंने पहली बार जुली को नंगी देखा और मेरे लौड़ा भी खड़ा हो गया था। क्या माल थी, गदरायी हुई जवानी। पापा मज़े से उसकी मोटी चूचियाँ दबाके चूस रहे थे और वह पापा का लौड़ा सहलाए जा रही थी।
फिर पापा उसको सोफ़े पर बैठाए और ख़ुद नीचे बैठके उसकी
जाँघें फैलाके उसकी बुर चाटने लगे। मम्मी उठके वहाँ गयी और जुली की चूचियाँ दबाने लगी।


उधर इशा भी उठके नीचे बैठी और सोनू का लौड़ा मस्ती से चूसने लगी। मैंने भी अपना लौड़ा पैंट से बाहर निकाल लिया और मस्त होके चुदायी देखने लगा।
अब पापा सोफ़े पर बैठे और जुली उनके लौड़े को चूसने लगी। फिर जुली उठके पापा के गोद में ऐसे बैठी कि उनका लौड़ा उसकी बुर में घुसता चला गया। अब जुली उछल के पापा से चुदवाने लगी।
उधर सोनू ने इशा को सोफ़े के सहारे झुकाया और पीछे से उसकी बुर चाटा और फिर उसने अपना लौड़ा अंदर डाल दिया और उसको चोदने लगा। इशा भी गाँड़ पीछे करके उससे मज़े से चुदवा रही थी। मम्मी अब उठके इशा की चूचि दबाने लगी।
अब कमरे में डबल चुदायी की आवाज़ें भर गयीं। जुली आऽऽहहहह करके पापा के लौड़े पर उछलते हुए झड़ने लगी। पापा भी ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर शायद झड़ गए।
इधर इशा भी हाय्य्य्य्य्य मैं गयीइइइइइइइइ कहकर झड़ गयी। पर सोनू उसे चोदे जा रहा था। वह चिल्लायी: भय्या छोड़ो मुझे आऽऽहहह अब दर्द हो रहा है।
सोनू ने अपना गीला लौड़ा बाहर निकाल लिया और मम्मी से बोला: चलो मम्मी गाउन उतारो , इसे शांत करो। वह अपना लौड़ा दिखाकर बोला।
मम्मी हँसते हुए अपना गाउन खोल दी और अपनी ब्रा भी उतार दी। वह पैंटी नहीं पहनी थीं। मैंने मम्मी को पहली बार नंगी देखा था। आह क्या मस्त माल है वह, बड़े चूतर बड़ी चूचियाँ और थोड़ा सा निकला हुआ गोल पेट। अब मम्मी भी वैसे ही झुक गयी और सोनू ने उसकी बुर में ३ ऊँगली डाली और बोला: मम्मी आप तो बिलकुल गीली हो, लौड़ा डाल देता हूँ।
मम्मी: तुम लोग मेरे सामने चुदायी करते रहोगे और मैं गीली भी नहीं होऊँगी क्या? चल डाल दे अब अपना लौड़ा।
अब सोनू अपनी मम्मी को चोदने लगा और मम्मी की आऽऽहहहह निकलने लगी। सोनू मम्मी की बड़ी बड़ी लटकती हुई चूचियाँ भी दबाए जा रहा था। पापा भी मज़े से पड़े हुए अपनी बीवी को चुदते हुए देख रहे थे। और जुली भी अपने पति को सास को चोदते हुए देख कर मुस्कुरा रही थी।
जल्दी ही दोनों आह्ह्ह्ह्ह्ह करके झड़ने लगे।
साफ़ सफ़ाई करके अब सब बैठके आराम करने लगे।
इशा और मम्मी के बीच में पापा बैठे थे। और दूसरे सोफ़े पर जुली और सोनू बैठे थे। अभी भी सभी नंगे थे।
मम्मी पापा के नरम लौड़े से खेल रही थी और इशा भी उनके बॉल्ज़ को दबाती हुई मज़े ले रही थी और उनकी झाँटों पर हाथ फेर रही थी।
इशा: चलो मैं राकेश को गुड नाइट कर देती हूँ। और वह मुझे घर के लैंड लाइन पर फ़ोन लगायी। बाद में थोड़ी परेशान होकर बोली: इस समय ये घर पर नहीं हैं , कहाँ गए होंगे?
जुली: अरे बाहर किसी लड़की के पास गए होंगे मज़े लूटने।
इशा: नहीं ये ऐसे नहीं हैं , मैं जानती हूँ।
वह पापा के बॉल्ज़ को प्यार से हथेली में भरते हुए बोली।
पापा: अरे इशा बेटी, तू राकेश को भी क्यूँ नहीं इस ग्रूप में शामिल कर लेती , उसे भी तेरी मम्मी और भाभी का मज़ा मिल जाएगा।
इशा: पापा मैं तो कभी चुदायी के बीच में उनको बोलती हूँ कि आपको मम्मी के बड़े दूध कैसे लगते हैं तो वह मुझे डाँट देते हैं कि अपनी मम्मी के बारे में कैसे ऐसा बोल सकती हो?
मम्मी भी पापा के लौड़े को झुक कर चूसने लगी। फिर मुँह उठायी और बोली: सच में बहुत ही शरीफ़ है हमारा दामाद बाबू।
मैंने अपना नाम सुनकर अपना लौड़ा हिलाया और सोचा कि कल बताऊँगा कि मैं कितना शरीफ़ हूँ।
फिर मैंने देखा कि जुली भी सोनू के लौड़े को दबा रही थी और वह भी उसकी चूचि दबा रहा था।
इशा: चलो अब सोया जाए। पापा मैं आज आपके साथ सो जाऊँ। कल भय्या भाभी के साथ सोयी थी तो भय्या ने रात दो बजे उठाके मुझे चोद दिया। सोना मुश्किल है इनके साथ।
सोनू: पापा ये झूठी है, इसने मेरा लौड़ा चूसा और मेरी नींद खुल गयी तब मैंने इसे चोदा।
सब हँसने लगे।
पापा प्यार से उसकी चूचि दबाए और बोले: चल आज हमारे साथ सो जा। मैं रात को तंग नहीं करूँगा। हाँ अगर तेरी मम्मी ऐसे ही चूसती रहेगी तो एक राउंड की चुदायी करनी ही होगी।
मम्मी मुस्कुरा के बोली: आपसे चुदवाए बग़ैर मुझे नींद नहीं आती।
फिर सब हँसने लगे और एक दूसरे से लिपट कर प्यार किए और अपने अपने कमरों में चले गए। इशा अपने पापा और मम्मी के कमरे में चली गयी।
मैं भी अपने लौड़े को पैंट के अंदर डाला और वहाँ से होटेल जाकर मूठ्ठ मारा और सो गया। अगले दिन सुबह मैं होटेल ख़ाली किया और अपने ससुराल पहुँचा। इशा के बोय फ़्रेंड का तो पता चल ही चुका था। मैं तो कल्पना भी नहीं कर सका था कि वह अपने पापा और भय्या से ही चुदवा रही है मायक़े में। अब मुझे भी इस ग्रूप में शामिल होना था, मगर कैसे?
अपने सूट केस के साथ मैं उनके घर पा खड़ा होकर बेल बजाया। दरवाज़ा मम्मी ने खोला। इस समय भी वह नायटी में ही थी। मुझे देखकर हैरान हुई और फिर ख़ुशी से मुझे गले लगा लिया। आज मैंने भी उनको अच्छे से अपनी बाहों में भींचकर उनके थोड़े से ज़्यादा ही भरे बदन का मज़ा लिया। उनकी बड़ी बड़ी छातियाँ जैसे मेरे सीने पर चिपक के फैल सी गयीं।मेरा हाथ उनकी कमर से थोड़ा नीचे गया और मज़े अहसास हुआ की उन्होंने पैंटी नहीं पहनी है। नायटी के नीचे वो पूरी नंगी थीं।
मम्मी ने मुझे थोड़ा हैरानी से देखा क्यूँकि इसके पहले मैंने उनसे कभी इतनी ज़ोर से चिपकने की कोशिश नहीं की थी।
अब हम अंदर आए तो सोफ़े पर पापा बैठ नज़र आए । वो एक लूँगी और बनयान में थे। मुझे देखकर ख़ुशी से मुझसे लिपट गए और मुझे अहसास हुआ कि उन्होंने चड्डी नहीं पहनी है।
तभी सोनू आया और वह भी बनयान और लूँगी में था और वह भी मुझसे लिपट गया। मैंने महसूस किया कि वह भी चड्डी नहीं पहने था। मैंने सोचा कि क्या परिवार है!
तभी जुली भी एक टॉप और स्कर्ट में आयी और मुझे नमस्ते की। और आख़री में इशा आयी और मुझसे लिपटके बोली: ये क्या बिना बताए आप कैसे यहाँ ?
मैंने उसकी भी कमर सहलायी और समझ गया कि वह भी पैंटी नहीं पहनी है। मेरा तो लौड़ा खड़ा सा होने लगा, ये सोचकर की सब हमेशा तय्यार रहते हैं चुदायी के लिए। तभी मैंने देखा कि कामवाली काम कर रही थी। शायद इसीलिए ये कपड़े पहने हैं नहीं तो कौन जाने ये हमेशा नंगे ही रहें।
अब इशा मेरी चारों तरफ़ घूम रही थी जैसे मुझे बहुत मिस की हो, सच्चाई तो मैं जानता ही था।
ख़ैर दामाद की तरह ख़ातिर करवाने के बाद मैंने इशा को धीरे से कहा: चलो ना तुमसे कुछ बात करनी है। ये कहते हुए मैंने उसका हाथ दबाके चुदायी का इशारा किया।
वह धीरे से बोली: छी अभी दिन में नहीं रात को कर लीजिएगा।
ख़ैर नाश्ता करने के बाद सोनू और पापा तो ऑफ़िस चले गए और बोले कि लंच पर मिलेंगे।
अब घर में मैं और तीन औरतें रह गयीं ,जिनकी चुदासि मैं कल रात देख ही चुका था। अब मैंने कहा : चलो आप बातें करो, मैं नहा कर आता हूँ।
अब इशा मेरे कपड़े निकालने आयी तो मैंने उसको अपनी बाहों में लेकर ख़ूब प्यार किया और फिर नहाने चला गया। जब मैं बाहर आया बाथरूम से तो मुझे धीरे धीरे बातें करने की आवाज़ें आ रही थीं। मैं बनयान और लोअर में चुपचाप खिड़की के पास होकर उन बातों को सुनने की कोशिश किया।
तीनों महिलाएँ सोफ़े पर पास पास बैठी थीं और धीरे धीरे बातें कर रही थीं। मुझे सुनने के लिए काफ़ी ध्यान लगाना पड़ा।
मम्मी: बेटी देखो अगर उसे इस ग्रूप में लाना है तो तुम्हें ही रास्ता निकालना पड़ेगा ।
इशा: मम्मी आप तो मेरा तलाक़ ही करा दोगी। अगर वो ये सब जानके नाराज़ हो गए और मुझे हमेशा के लिए छोड़ दिए तो मेरा क्या होगा?
जुली: हाँ ये डर तो है, सब लोग इसको पसंद नहीं करते। पर क्या करें? और कोई रास्ता है क्या?
इशा: उन्होंने मेरे सिवाय कभी किसी और में रूचि या झुकाव दिखाया ही नहीं।
जुली: मम्मी जब राकेश आपसे चिपके थे तब मैंने देखा था कि वह आपकी कमर सहलाए थे। मुझे तो लगा कि आपके चूतर भी सहलाए थे।
मम्मी: नहीं चूतर नहीं सिर्फ़ कमर सहलाया था उसने।
इशा: हाँ मम्मी और एक बात बड़े दूध उनकी कमज़ोरी है।
मम्मी: तो?
जुली: इसका मतलब ये ही कि आप उनको सिडयूस करो।
इशा: वो कैसे?
जुली: आप अभी नहाके एक ऐसी पारदर्शी मैक्सी पहनो जिसमें आपकी आधी छातियाँ दिखायी दे और नीचे ब्रा पैंटी भी नहीं पहने।
मम्मी: ओह बड़ा अजीब लगेगा ये सब करते हुए मुझे।
जुली: अब उनको लुभाना है तो ये सब तो करना ही होगा ना?
मम्मी: एक काम करते हैं कि हम तीनों ही ऐसे कपड़े पहन लेते हैं। तब मुझे भी अजीब नहीं लगेगा।
जुली: हाँ ये ठीक है जब हम कोई भी ब्रा नहीं पहनेंगी तो वह शायद यह सोचेगा कि घर में हैं इसलिए नहीं पहनी।
इशा: पर वह मुझसे तो पूछेंगे कि मैंने क्यों नहीं पहनी?
जुली: तुम बोल देना कि गरमी है इसलिए और सिर्फ़ आप ही तो मर्द हो इस समय, और आपसे क्या पर्दा?
मम्मी: हाँ ये ठीक रहेगा, पर उसके बाद?
जुली: मम्मी ज़्यादा प्लानिंग नहीं करते है जैसे जैसे स्तिथि बनेगी वैसे वैसे फ़ैसला करते चले जाएँगे,पर आज लंच के पहले हम उनको अपने ग्रूप में शामिल कर ही लेंगे।
मैंने मन ही मन सोचा कि यहाँ मैं भी तो इनके ग्रूप में शामिल होने को मरा जा रहा हूँ। आग लगी है दोनों तरफ़ बराबर से
मैं वापस आके सोफ़े पर बैठ गया और तीनों बोलीं कि चलो हम भी नहा लेती हैं। मैंने देखा कि कामवाली जा चुकी थी। मैंने TV चालू किया और इंतज़ार करने लगा कि कब मेरा तथाकथित सिडक्शन चालू होता है। मैं मन ही मन मुस्कुराया।
आधे घंटे के बाद जुली आयी और अपने तौलिए से बाल पोछते हुए बाहर पीछे के आँगन में तौलिया सुखायी। मैंने साफ़ देखा कि बिना ब्रा और पैंटी के वह पतली सी मैक्सी में क़ातिलाना नज़र आ रही थी। उसकी पारदर्शी मैक्सी से उसके डोलते चूतर ग़ज़ब का नज़ारा दिखा रहे थे। उसकी ब्रा के बिना चूचियाँ इधर उधर होकर मुझे मस्ती से भर गयी।मेरा लौड़ा फूलने लगा।
तभी इशा आयी और मेरी ओर मुस्कुरा के देखा और अपना तौलिया बाहर आँगन में सुखाने लगी। उसकी भी चूचियाँ और चूतर इधर उधर हो रहे थे। मैं उठा और आँगन में जाके उसको पकड़ लिया और चूमते हुए उसके चूतरों को दबाया और बोला: आज पैंटी नहीं पहनी हो? फिर दूध दबाके बोला: ब्रा भी नहीं ? क्या बात है?वह बोली: बहुत गरमी है ना इसीलिए। और आप ही तो हैं यहाँ और कोई है ही नहीं।
तभी किसी के आने की आवाज़ आयी और मैंने वापस सोफ़े पर आके बैठ गया। अगला दृश्य तो बहुत ही मादक था। मम्मी भी एक मैक्सी में लगभग पूरी नंगी दिख रही थी और उनके बड़े बड़े दूध तो जैसे उछल से रहे थे और उनके बड़े चूतरों ने तो जैसे धमाल ही मचा रखा था। वह भी आँगन में तौलिया सुखायी और अंदर आ के बोली: बेटा चाय लोगे?
मैं उनके अर्ध नग्न शरीर को देखते हुए बोला: जी मम्मी जी।
वह मुस्कुराते हुए पलटी और अपने विशाल नितम्बों को मटकाते हुए किचन में गयीं।
अब इशा और जुली आयीं और मेरे सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयीं। उनकी मैक्सी ऊपर चढ़ गयी थी और उनकी घुटनों तक नंगी थीं। तभी मम्मी चाय लायी और झुककर मुझे देने लगी । उनकी छातियाँ आधी से ज़्यादा नंगी दिख रही थीं। मेरी आँखें उनपर चिपक गयीं। मम्मी ने देखा कि मैं उनकी छातियों को बेशर्मी से देख रहा हूँ तो वो शरारत से मुस्करायी।
मैंने भी अब मम्मी के हाथ से चाय ली और पीने लगा। मम्मी वहीं मेरे पास बैठ गयी।
मैंने सोच रहा था कि वो सब चूदने को तय्यार हैं और मैं चोदने को मरा जा रहा हूँ। पर ये शर्म की दीवार कैसे टूटे।
अब मैंने देखा कि जुली ने अपनी टाँगें फैला दी थी और उसकी मैक्सी में से उसकी जाँघे दिखने लगी थी। मेरा लौड़ा अब मुझे छुपाने में बड़ी मुश्किल हो रही थी।
अब मम्मी फिर से झुकी और बोली: बेटा भूक तो नहीं लगी?
उनकी आधी नंगी छातियाँ फिर से मेरे सामने थीं। मैंने उनको बेशर्मी से घूरते हुए कहा: मम्मी अभी नहीं लगी है। हाँ पानी पी लूँगा।
मम्मी पानी लायीं और फिर जब झुकीं आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या नज़ारा था। बड़ी बड़ी चूचियाँ हिले जा रही थीं।
फिर सब बातें करने लगे।
हम सब एक ही चीज़ चाहते थे पर समझ नहीं आ रहा था कि शुरुआत कहाँ से हो? आइस ब्रेकिंग नहीं हो पा रही थी।
जुली बोली: चलिए ताश खेलते हैं।
मैंने कहा: चलो।
अब चारों नीचे क़ालीन पर बैठ गए और ताश खेलने लगे। मैं और इशा आमने सामने बैठे थे और मम्मी और जुली आमने सामने बैठी थीं। मेरी आँखें बार बार उनकी चूचियों पर जा रहा था। और नीचे बैठने के कारण उनकी मैक्सी भी जाँघों पर चढ़ गयी थीं और किसिने भी पैंटी नहीं पहनी थी इसलिए मुझे थोड़ी कोशिश से उनकी जाँघों का ऊपर का हिस्सा भी दिख रहा था।
इशा ने खेलते हुए एक जोक सुनाया और जुली हँसते हुए लोट पोट हो गयी और उसके हिलने से उसकी चूचियाँ हिलने लगी और उसकी जाँघें फैल गयी और इसकी बुर के दर्शन हो गए। मेरी आँख वहीं गड़ गयी थी और इशा हँसने लगी ।मैं चौक के इशा को देखा तो उसने आँख मार दी।
मम्मी भी हँसकर बोली: क्या हुआ बेटा ? कुछ देख लिया क्या?
अब मैं भी बेशर्म होकर बोला: हाँ मम्मी बहुत सुंदर सी एक चीज़ देखी। मज़ा आ गया।
मम्मी: वह चीज़ तो इशा के पास भी है और तुम अक्सर उसको देखते और उसके अंदर बहुत कुछ करते हो।
इशा: मम्मी आप भी ना कुछ भी बोल देते हो।
जुली: आप लोग तो मेरे पीछे ही पड़ गए हो।
इशा: मम्मी एक बात तो है,मेरी चीज़ तो अब इनकी ही है और इशा की चीज़ तो देख ली है, अब आपकी चीज़ ही देखना बची है।
मम्मी: मुझे अपनी चीज़ दिखाने में कोई परेशानी नहीं है बस एक शर्त है कि राकेश अपनी चीज़ भी हम सबको दिखाए।
अब जुली और इशा अपने मुँह में हाथ रख के हँसने लगी।
मैं भी बोला: जैसा आपका आदेश मम्मी जी।
मेरे ये बोलते ही वहाँ चुप्पी छा गयी। मज़ाक़ मज़ाक़ में बात बहुत आगे बढ़ गयी थी।
मम्मी ने इशा और जुली को देखा और वो दोनों भी अब थोड़ा सा कन्फ़्यूज़्ड थे।
मैं समझ गया कि अगर हम पीछे हटे तो फिर पता नहीं कब मौक़ा मिले।अब मैं बोला: क्या हुआ मम्मी दिखाइए ना।
मम्मी ने गहरी साँस की और अब अपनी मैक्सी ऊपर करने लगी और अब उनकी गदरायी हुई जाँघें मेरे सामने थी। आह क्या गोरी गुलाबी जाँघें थीं भरी हुई। अब उनकी मैक्सी और ऊपर हुई और उनकी बुर जो बहुत ही फूली हुई थी मेरे सामने थी। मेरा लौड़ा झटके मारने लगा। उनकी खुली बुर के अंदर का गुलाबीपन भी साफ़ दिखायी दे गया , जब उन्होंने अपनी जाँघों को और फैलाया।
मैंने देखा कि इशा और जूली की आँखें मेरे ऊपर ही थीं। वो मेरी प्रतिक्रिया के इंतज़ार में थी। मैं अब मम्मी की बुर को देखा और मुस्कुरा के बोला: मम्मी आपकी चीज़ सबसे मस्त है क्या मस्त कचौड़ी की तरह फूली हुई है।
मम्मी ने हँसते हुए अपनी मैक्सी नीचे कर दी।
फिर सब हँसने लगे और इशा बोली: तो आपने सबकी चीज़ देख ली आख़िर में।
जुली : अब आप मम्मी की शर्त पूरी करो।
मैंने इशा को देखा और बोला: क्या कहती हो?
इशा : आपको अपनी शर्त तो पूरी करनी ही चाहिए।
मम्मी: हाँ आदमी को अपनी ज़ुबान से नहीं मुकरना चाहिए।
अब मैं भी हँसते हुए खड़े होकर बोला: चलिए आपका आदेश सिर आँखों पर। ये कहते हुए मैंने अपना लोअर नीचे कर दिय, और चड्डी में मेरा लौड़ा फँसा हुआ सबके सामने था।
सबकी आँखें अब मेरी चड्डी पर ही थी। अब मैंने धीरे धीरे अपनी चड्डी नीचे की और मेरा खड़ा लौड़ा सबकी आँखों के सामने था।
मम्मी और जूली की आँखें चमक उठीं मेरे लौड़े को देखकर।
आइस ब्रेक हो गयी थी, शर्म लिहाज़ का पर्दा अब उठ गया था।

मैं बोलता चला गया:--------::::::----------



मेरा लौड़ा हवा में ऊपर नीचे हो रहा था और तीनों औरतों की आँखें भी उसी पर जमी हुई थीं।
अब मम्मी ने हाथ बढ़ाके मेरे लौड़े को पकड़ा और उसके सुपाडे की चमड़ी को पीछे करके नंगे मोटे गुलाबी सुपाडे को देखकर मस्ती से उसपर अपना अँगूठा फेरने लगीं। जुली भी पास आइ और मेरे बॉल्ज़ को सहलाने लगी।
अब इशा हँसते हुए बोली: वाह मेरे हिस्से का हथियार मेरी मम्मी और भाभी लेकर बैठीं हैं।
अब जुली ने अपनी जीभ निकाली और मेरे बॉल्ज़ को चाटने लगी।
मम्मी: वाह तो क्या तू ही सबके लौड़े का मज़ा लेगी और हमें क्या नहीं लेने देगी।
मैं अनजान बनकर बोला: मम्मी ये और कौन से लौडों का मज़ा ले रही है? ये आप क्या कह रही हैं?
एक मिनट की चुप्पी सी छा गयी । फिर मम्मी हिम्मत करके बोली: बेटा देखो अब तुमसे क्या छिपाना , असल में हम सब इन्सेस्ट सेक्स में विश्वास करते हैं। और इशा अपने पापा और भय्या से भी चुदवाती है।
मैंने नाटक चालू रखते हुए कहा: ओह, तभी ये जब भी मायके से वापस आती है बिलकुल संतुष्ट रहती है। अब समझा मैं इसका राज़।
इशा मेरे पास आकर बोली: जानू आप नाराज़ तो नहीं हो?
मैं क्या नाराज़ होता, उस समय मम्मी मेरा लौड़ा चूस रही थी और जुली मेर बॉल्ज़ चाट रही थी, मैं तो मज़े के मारे मस्ती से भरा हुआ था।
मैंने इशा की चूचियाँ दबाकर कहा: अरे नहीं मेरी जान मैं तो ख़ुश हूँ, पर ये बात तुम्हें मुझे पहले ही बता देनी चाहिए थी।
ये कहते हुए मैंने उसके होंठ चूसने शुरू किए।
तभी मुझे लगा कि एक हाथ मेरी गाँड़ के छेद को सहला रहा है। मैंने मुड़कर देखा तो वह हाथ जूली का था। वह अब मेरी गाँड़ में ऊँगली कर रही थी ।
मैं अपने आप को किसी राजा के बराबर महसूस कर रहा था जिसे दो औरतें बैठ कर और एक झड़ी होकर मज़े दे रहीं थीं।
फिर मम्मी बोली: बेडरूम में चलें और मज़े को आगे बढ़ाएँ?
अब हम सब बेडरूम में पहुँचे और मम्मी ने मुझे कहा : चलो अपने कपड़े उतार दो। मैंने अपनी शर्ट खोल दी, अब मैं पूरा नंगा था।
मम्मी मेरी मस्कूलर जाँघों पर हाथ फेरकर बोली: वह क्या मर्दाना बदन है बेटा तेरा? इशा सच में बहुत क़िस्मत वाली है।
मैं: अब आप लोग भी तो अपनी जवानी का दर्शन कराओ।
जूली हँसते हुए अपनी मैक्सी उतार दी और पूरी नंगी होकर बिस्तर पर लेट गयी और मुझे देखकर एक रँडी की तरह आँख मारी और अपने होंठ को दाँत में दबाकर एक सेक्सी लूक दी।
इशा भी नंगी हो चुकी थी।
मैं मम्मी की मैक्सी उतारा और उनका भारी और भरा हुआ बदन देखकर मस्ती से उनको चूमने लगा। अब हम दोनों एक दूसरे से चिपके खड़े थे और मेरे हाथ मम्मी की विशाल छातियों पर आके उनको दबाकर मज़े से भर रहे थे।
अब मैं झुक कर उनकी चूचियाँ चूसने लगा। मम्मी आऽऽहहह कर उठी। मेरा हाथ उनके विशाल नितम्बों पर भी घूमने लगा और मैं मज़े से उनको दबाकर जैसे पागल सा होने लगा।
इशा और जुली बिस्तर पर लेट कर ये सब देख रही थीं। अब इशा की चूचि जूली के मुँह में आ गई थी और वह भी जुली की चूचि दबा रही थी।
मैंने मम्मी को बिस्तर पर लिटाया और अब उनकी जाँघों के बीच आकर उनकी बुर को चूमने और चाटने लगा। मम्मी हाऽऽऽऽऽहह्यय करके चिल्लाने लगी।
इशा उठकर बैठी और बोली: क्यूँ तड़पा रहे हैं मम्मी को, चोद दीजिए ना जल्दी से।
मैं मुस्कुरा के बोला: लो जान ,मैं तुम्हारी माँ चोदता हूँ। और ये कहकर उनकी बुर में अपना लौड़ा फ़िट किया और दबाने लगा। लौड़ा जैसे माँस की गुफ़ा में धँसता ही चला गया। अब मेरी भी मज़े से ह्म्म्म्म्म्म्म निकल गयी और मम्मी तो आऽऽऽऽहहह बेटाआऽऽऽऽऽ कहके अपनी गाँड़ ऊपर उछाली और मेरा पूरा लौड़ा अपने अंदर निगल लिया।
जल्दी ही मैंने और मम्मी ने चुदायी की ताल को पकड़ लिया धमाकेदार चुदायी चालू हो गइ ।फ़च फ़च की आवाज़ और मम्मी की सिसकारियाँ गूँजने लगीं। मैं पूरे जोश से उनकी चूचियाँ मसलते हुए उन्हें चोदे जा रहा था। इशा भी अपनी मम्मी के बदन पर हाथ फेर रही थी। जुली पीछे से मेरे बॉल्ज़ को पकड़कर उनसे खेल रही थी। अब हम दोनों मज़े में भरकर एक दूसरे के अंदर घुसे जा रहे थे। और फिर हम चिल्ला कर झड़ने लगे। मैंने अपना रस मम्मी की बुर में भर दिया।
फिर मैं आकर मम्मी के बग़ल में लेट गया और हाँफने लगा।
बाथरूम से फ़्रेश होकर वापस आने के बाद हम लेट कर बातें कर रहे थे। क़रीब २० मिनट के बाद जूली मेरे नरम लौंडे को मुँह में लेकर चूसने लगी।
इशा: लो अब आपको भाभी को भी चोदना होगा। देखिए कितनी मेहनत कर रही है आपसे चुदवाने के लिए।
मम्मी मुस्कुरा के बोली: तो क्या हुआ ? तू भी तो उसके पति से चुदवाती है, वो आज तेरे पति से चुदवा लेगी। हिसाब बराबर।
हम सब हंसने लगे। अब मेरा लौड़ा मस्ती से खड़ा होकर चुसाई का मज़ा ले रहा था। अब जुली मेरे ऊपर आकर बैठ गयी और अपनी बुर मेरे लौड़े के ऊपर रखकर उसको अपनी बुर में हल्के से दबायी और मेरा सुपाड़ा उसकी बुर के छेद में घुस गया और फिर वो हाऽऽऽयय्यय करके अपनी बुर को मेरे लौड़े पर दबाकर मस्ती से भर कर पूरे जड़ तक अंदर दबा ली। अब वह आह्ह्ह्ह्ह कहकर उछल कर मेरे ऊपर कूदने लगी और मेरी चुदायी का मज़ा दुगुना कर दी।मैं भी अब नीचे से अपनी कमर उछालके चोदने लगा।क्या टाइट बुर थी जूली की। मज़ा आ गया और मैं भी आऽऽऽहहह बेबी क्या बुर है तुम्हारी? कहते हुए झड़ने लगा और वह भी आऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं झड़ीइइइइइइइइइइइ कहते हुए शांत हो गयी।
अब हम सब फिर से नंगे होकर लेटे थे तभी दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आयी और जुली बोली: लगता है दोनों आ गए खाने के लिए।
तभी कमरे में पापा और सोनू आए और मुझे और तीनों औरतों को देख कर बोले: वाह कृष्ण जी गोपियों से मज़े ले रहे हैं।
इशा: पापा ये राकेश बहुत ख़राब हैं। इन्होंने मम्मी और जूली से मज़ा ले लिया है पर मेरा इनको बिलकुल भी ख़याल नहीं है। मैं तो अभी भी प्यासी हूँ।
पापा : अरे बेटी हमारे होते तुम प्यासी कैसे रह सकती हो? सोनू, इस राकेश ने हमारी बीवियों को चोदा है , चल हम दोनों इसकी बीवी को चोदते हैं।
सब हँसने लगे और पापा और सोनू ने अपने कपड़े निकाल दिए। उनके लौड़े मस्ती से खड़े थे। इशा ने आगे बढ़ कर उनके लौडों को पकड़ा और एक एक करके चूसने लगे। दोनों उसकी चूचियाँ दबाए जा रहे थे।
फिर पापा वहाँ बिस्तर पर लेट गए और इशा उनके ऊपर आ गयी और उनका लौड़ा अपनी बुर में डाल लिया ।अब इशा उनके लौड़े के ऊपर अपनी गाँड़ उछाल कर चुदवाने लगी। तभी सोनू भी अपने लौड़े पर क्रीम लगाया और फिर इशा की गाँड़ में भी क्रीम लगाया और फिर वह उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा डालके उसकी पिछवाड़े की ठुकायि करने लगा।मैं भी उसकी डबल चुदाई अपने पापा और भय्या से देखके मस्त हो गया।
इशा भी हाऽऽऽऽय्यय और आऽऽऽऽहहह मज़ाआऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽ रहा है । ये कहते हुए ज़ोर ज़ोर से चुदवा रही थी। उधर फ़च फ़च और ठप ठप्प की आवाज़ों से ज़बरदस्त चुदायी का पता चल रहा था।
तभी इशा उइइइइइइइइ कहते हुए झड़ने लगी, उधर पापा और सोनू भी ह्म्म्म्म्म कहकर झड़ते चले गए।
फिर तीनों मज़े से झड़कर एक दूसरे से चिपक कर पड़ गए।
अब सब नंगे ही उठ कर खाने पर बैठे। खाना तीनों औरतें सर्व कर रही थीं और हम सब कभी उनकी चूची तो कभी पेट और कभी चूतरों पर हाथ फेर देते थे। इसी तरह खाना निपटा।
उसके बाद एक घंटे के बाद जो २ घंटे चुदायी हुई उसके क्या कहने। ये याद ही नहीं रहा कि कौन किसे चोद रहा है? जो छेद ख़ाली दिखता उसमें लौड़ा पेल दिया जाता।
जब सब थक गए तो आराम से लेटे हुए थे, उस वक़्त मम्मी ने कहा: अब तो हम लोग राकेश और इशा के घर भी जाते रहेंगे। वहाँ भी यही मज़ा लेंगे।
इशा: हाँ मम्मी क्यों नहीं? पर जब मेरे ससुराल वाले आएँगे तब हमको इस सबसे बचना होगा।
मम्मी: अरे तुम दोनों हमारे समधी और समधन को भी इसने खिंच लो ना।
मैं: मतलब?
जुली: मतलब ये कि आप अपनी माँ को चोद लो जैसे सोनू अपनी माँ को चोदता है। और इशा भी अपने ससुर से चुदवा ले जैसे मैं यहाँ पापा से चुदवा रही हूँ।
मेरा तो सिर ही घूम गया। ये सब क्या हो रहा है? ससुराल की बात और थी पर मैं अपनी सगी माँ को चोदूँ या अपनी बीवी को अपने पापा से चुदवाऊँ? ये थोड़ा अजीब सा लग रहा था।
ऐसा नहीं है कि मैं कभी अपनी मम्मी की तरफ़ आकृष्ट नहीं हुआ था बल्कि एक समय तो मैं उनको कपड़े बदलते हुए चोरी से देखा करता था। पर अब शादी के बाद ये सब,वह भी जब वो क़रीब ४७ की हो चुकी थी,बड़ा अजीब लग रहा था। और क्या पापा अपनी बहु के साथ ये सब करना चाहेंगे ?
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राकेश अब चुप हो गया तो इशा बोली: नमिता, जानती हो , मेरे घर वालों ने बार बार इनको कहा कि तुम अपनी माँ और पापा को भी इसमें शामिल कर लो।
और ये आख़िर में तय्यार हो गए।
नमिता: तो तुमने अपने ससुर को कैसे पटाया? और राकेश आपने अपनी मम्मी को कैसे पटाया?
राज इशा की चूचियाँ दबाके बोला: हाँ बताइए ना आपने ससुर जी को कैसे पटाया?

अब इशा बोलने लगी: -----------








To be continue
 
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