Update:38
राकेश बताए जा रहा था: ------
मैं मम्मी को ,पापा और इशा की चुदायी दिखाकर ,गरम कर दिया था अब मैं उनको लेकर दूसरे बेडरूम में ले गया और वो बिस्तर पर बैठ गयीं। मेरा लौड़ा तो पैंट से बाहर ही था। मैंने मम्मी के मुँह के पास अपने लौड़े को लाया और उसे उनके होंठों पर रगड़ा। मम्मी का मुँह खुल गया और मेरा लौड़ा उनके मुँह में घुस गया। अब वह उसे चूसने लगीं।
मैं:.आऽऽहहह मम्मी चूसो मेरा लौड़ा , इशा भी तो पापा का क्या मज़े से चूस रही थी।
मम्मी मज़े से चूसे जा रही थीं, अब मैं उनकी चूचियाँ दबाने लगा। मम्मी भी अब मस्त हो रही थी, अब मैंने मम्मी को कपड़े निकालने को कहा और उनको खड़ा करके उनकी साड़ी और ब्लाउस खोल दिया। मम्मी ब्रा और पेटिकोट में बड़ी ज़ालिम लग रही थी। फिर ब्रा का स्ट्रैप निकाला और ब्लाउस के हटते ही बड़ी बड़ी गोरी चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थीं। उनके काले निपल्ज़ कड़े हो कर खड़े थे।
अब मैंने उनको बिस्तर पर लिटा दिया और अपने कपड़े निकाल के उनके ऊपर आ गया। मैं उनके होंठ चूसते हुए उनकी चूचियाँ दबाने लगा। वह भी अब उइइइइइइ करके मस्त हो गयीं थीं। जब मैंने उनकी चूची चूसी तो वह मदहोश सी हो गयीं और मेरा सिर अपनी छाती पर दबाने लगीं।
चूची चूसने से जैसे मेरा मन ही नहीं भर रहा था।
अब मैं नीचे आया और उनके पेटिकोट का नाड़ा खोल कर उसको नीचे खिसकाया और मम्मी ने अपने बड़े चूतरों को उठाकर पेटिकोट निकालने में मेरी मदद की।मम्मी ने पैंटी तो पहनी नहीं थी सो जैसे ही पेटिकोट निकला वह नीचे से भी नंगी हो गईं। अब मैं उनके जाँघों के बीच में उनकी बुर को देख कर मस्ती से भर गया। मस्त फूली हुई बुर थी जैसे सासु माँ की थी। मैंने उसकी फाँकों को फैलाया और अंदर की गुलाबी भाग को देखकर बोला: मम्मी मैं यहाँ से ही बाहर आया था ना?
मम्मी: नहीं मेरा सिजेरीयन हुआ था , तेरे पापा नहीं चाहते थे कि मेरी बुर ख़राब हो।
अब मैं झुक कर बुर को चूमा और फिर जीभ से चाटने लगा।
मम्मी आऽऽऽहहह करके अपनी गाँड़ उछाल रही थी
फिर वो बोली: आऽऽह बेटा अब डाल दे ना अंदर।
मैं: क्या डालूँ मम्मी?
मम्मी: हाऽऽऽऽय तेराआऽऽऽ लौड़ाआऽऽऽ और क्या।
मैं हँसते हुए अपना लौड़ा उनकी बुर के छेद पर रखा और एक धक्के में पूरा लौड़ा जड़ तक पेल दिया। अब मम्मी भी मज़े से हाऽऽय्यय मरी कहते हुए नीचे से अपनी गाँड़ उठाकर चुदवाने लगी। क़रीब आधे घंटे की ज़बरदस्त चुदायी में मम्मी दो बार झड़ीं और फिर मैं भी झड़ गया।
हम बाथरूम से सफ़ाई करके नंगे ही एक दूसरे को चूमते हुए लेटे थे, तभी इशा और पापा पूरे नंगे ही कमरे में आए। मम्मी उठने की कोशिश की पर पापा ने उन्हें लिटाते हुए कहा: असल में इशा और राकेश दोनों मिलकर हमें चुदायी के लिए फँसाए हैं। अभी इशा ने बताया है कि ये सब इन दोनों ने प्लान बनाकर किया है।
मम्मी मुझे देखकर बोली: ये सच बोल रहें हैं क्या?
मैं: हाँ मम्मी ये सच है अब हम चारों एक साथ ग्रूप सेक्स कर सकते हैं।
पापा ने मम्मी के बड़े चूतर सहलाए और बोले: बहुत मज़ा आएगा अब अपने बच्चों के साथ चुदायी करने में।
इशा ने पापा के लौड़े को सहलाते हुए कहा: पापा आपको एक बात और भी बतानी है कि मेरे पापा , भय्या , मम्मी और भाभी भी हमारे साथ सेक्स कर चुके हैं। अब वह लोग आप सबके साथ भी मज़े करना चाहते हैं।
पापा: क्या मतलब? मुझे अपनी समधन और तुम्हारी मस्त भाभी भी चोदने को मिलेगी?
ये सुनकर ही पापा का लौड़ा इशा के हाथ में फूलने लगा।
मैं: मम्मी आपको भी अपने समधी और उनके बेटे का लौड़ा मिलेगा मस्ती से मज़े लेने के लिए।
मम्मी: हे भगवान वो लोग भी इसमें शामिल हैं?
इशा: मम्मी हमारे घरवाले तो कई सालों से मज़ा के रहे हैं इस सबका। मेरी बुर का उद्घाटन तो पापा ने ही किया था।
फिर हम सब गरम हो गए और एक चुदाई का ज़बरदस्त दौर चला।
मैं: तो ये थी हमारी कहानी जिसमें बाद में दोनों परिवार मिलकर सेक्स किए।
राकेश ने अपनी बात ख़त्म की और रोहन अब नमिता की चुदायी करने लगा और राज भी इशा के ऊपर आकर उसे मस्ती से चोदने लगा।
मानसी अपने पापा का लंड चूस रही थी। फिर राकेश ने उसे ६९ की पज़िशन में लेकर एक दूसरे की बुर और लौड़ा चूसे।
सब मज़े से झड़कर शांत हो गए।
फिर राज और नमिता अगले दिन अपने शहर के लिए रवाना हो गए।
इतने दिनों के बाद माँ बेटा अपने घर आए तो उनको बड़ा अच्छा लगा। दोपहर हो गयी थी, खाना उन्होंने रास्ते में ही खा लिया था।
नमिता: बेटा बहुत थक गयीं हूँ अभी सोऊँगी।
राज अपनी माँ से चिपट कर बोला: हाँ माँ मैं आपके साथ सो जाऊँ?
नमिता: उसने पूछने की क्या बात है बेटा? अब से तू मेरे साथ ही सोएगा।
नमिता अब कपड़े खोलकर ब्रा और पैंटी में आ गयी थी। राज ने देखा कि अब वह उससे किसी भी तरह का संकोच नहीं कर रही थी। अब वह मियाँ बीवी की तरह व्यवहार कर रहे थे।
राज भी कपड़े उतार और चड्डी में हीं बिस्तर पर आ कर लेट गया। नमिता ने एक गाउन पहना और आकर उसके बग़ल में लेट गयी। अब दोनों एक दूसरे को चूमे और चिपक कर सो गए।
शाम को नमिता की नींद खुली तो वह उठी और उसने देखा कि राज की चड्डी में उसका लौड़ा पूरी तरह खड़ा था।
उसने प्यार से उसे चड्डी के ऊपर से पकड़ लिया और फिर चड्डी के अंदर हाथ डालकर उसके मोटे गरम लौड़े को पकड़ कर अपनी बुर गीली कर बैठी। फिर वह उसकी चड्डी से उसको बाहर निकाली और मुँह में लेकर चूसने लगी।
राज की नींद खुली और माँ को लौड़ा चूसते देखकर वह बहुत मस्त हो गया।
नमिता उसकी आँखों में देखकर मुस्करायी और चूसते हुए उसको आँख मार दीं।
राज ने भी उसके सिर को दबाकर अपनी कमर हिलाके अपनी तरफ़ से उसके मुँह की चुदायी शुरू कर दी।
जल्दी ही नमिता उसको डीप थ्रोट देने लगी और राज भी मज़े से कमर उछालकर उसके मुँह में अपना वीर्य छोड़ने लगा। नमिता मज़े से एक एक बूँद रस का पी गयी। फिर आख़री बूँदें सुपाडे के ऊपर से जीभ फेरकर चाट गयी।
राज ने उसे खींचकर अपनी बाँह में भर लिया और बोला: आऽऽऽऽह माँ क्या चूसती हो आप? मज़ा आ गया।
नमिता: सच ? मुझे भी तो तेरा रस बहुत स्वाद लगता है।
फिर थोड़ी देर पहरे करने के बाद नमिता उठी और चाय बनायी। अब दोनों एक दूसरे के पास बैठकर चाय पीने लगे।
नमिता: अच्छा अब कल से वापस स्कूल चालू और पढ़ाई पर पूरा ध्यान दो।
राज: ठीक है माँ अब पढ़ाई पर ध्यान दूँगा, पर चुदायी तो चालू रहेगी ना?
नमिता: बदमाश कहीं का। हाँ हाँ चालू रहेगी। पर पढ़ाई पर से ध्यान नहीं हटना चाहिए।
राज उसको चूमते हुए बोला: माँ पढ़ाई भी चालू और चुदायी भी। ये बोलते हुए उसने उसकी चूचि दबा दी ।
अब दोनों हँसने लगे।
राज बोला: माँ मैं थोड़ा बात घूम कर आता हूँ।
नमिता भी खाना बनाने लगी।
तभी घंटी बजी , नमिता ने दरवाज़ा खोला, सामने पड़ोसन खड़ी थी। दोनों गले लगे।
नमिता: कैसी हो?
सुषमा: बिलकुल ठीक हूँ। तुम लोग इतने दिन कहाँ गए थे?
नमिता: अरे बैठो , बड़ी लम्बी कहानी है।
सुषमा: बताओ तो, एकदम से कहाँ ग़ायब हो गए।
नमिता ने उसको संक्षेप में बताया कि कैसे वो फ़ार्म हाउस गए और राज और उसका मिलन हुआ और फिर नदीम के परिवार के साथ ग्रूप सेक्स हुआ और फिर वो अपनी पुरानी सहेली इशा के परिवार के साथ भी ग्रूप सेक्स करी।
सुषमा: ओह तो ये बोलो ना पूरा मज़ा लेकर आ रही हो? राज को कोई समस्या नहीं है कि तुम किसी और से चुदवा रही हो?
नमिता: अरे नहीं उसे कोई समस्या नहीं है। बल्कि वह तो ख़ुद भी नदीम के साथ मिलकर मुझे चोदा था।
सुषमा: ओह पता नहीं मेरा बेटा राजू और उसके पापा इस बारे में क्या सोचते हैं? एक बात बोलूँ, अगर तू बुरा नहीं मानेगी तो?
नमिता: अरे बोल ना, नहीं मानूँगी।
सुषमा: तेरी बात सुनकर मुझे भी राज से चुदवाने की इच्छा हो रही है। तू मानेगी इसके लिए?
नमिता ने उसके हाथ को पकड़ा और उसको अपनी बाँहों में लेकर उसके होंठ चूसते हुए बोली: रानी इसमें क्या समस्या है, जब चाहे तब चुदवा लेना।
और दोनों एक दूसरे की चूचियाँ मसलने लगीं।
नमिता: अच्छा बाक़ी कभी और करेंगे अभी राज कभी भी आ सकता है। और राजू से तो मज़े कर रही है ना?
सुषमा: हाँ दोनों बाप बेटा लगे रहते हैं मेरे पीछे । राजू तो मम्मी मम्मी करके २/३ बार रोज़ चोद ही लेता है , हाँ उसके पापा कभी एक बार तो कभी दो बार ही करते हैं। और जब वह टूर पर रहते हैं तो राजू मुझे पूरा दिन नंगी ही रखता है और ४/५ बार चोद लेता है।
नमिता हँसते हुए: चल तेरे तो मज़े ही मज़े हैं। फिर राज से क्यों चूदना चाहती है?
सुषमा: वह बस ऐसे ही, तू कहती है ना कि उसका हथियार बहुत बड़ा है तो बस मन करता है। तुझे भी राजू से चुदवाना है क्या? बात करूँ उससे?
नमिता हँसते हुए बोली: यहाँ भी मम्मियों की अदला बदली हो जाएगी। और बेचारे राजन का क्या होगा?
सुषमा: इनको भी शामिल कर लेंगे। पर तब तीन मर्द हो जाएँगे और हम दो औरतें।
नमिता: फिर क्या हुआ? हम दो औरतों के पास छे छेद हैं तीन लौडों को तो सम्भाल ही लेंगीं हम दोनों।
दोनों हँसने लगी फिर सुषमा वापस जाने लगी और बोली कि चलो जल्दी प्रोग्राम बनाते हैं ।
नमिता सोचने लगी कि ये पड़ोस में भी ग्रूप सेक्स शुरू हो गया तो कहीं राज की पढ़ाई पर इसका बुरा असर तो नहीं पड़ेगा।
थोड़ी देर में राज वापस आया और अपने कमरे में जाकर अपने स्कूल की तैयारी करने लगा, अगले दिन की।
रात को खाना खाने के बाद बिस्तर पर आकर राज पूरा नंगा होकर लेट गया। उसका मोटा लौड़ा उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रहा था और नाभि को छूने की कोशिश कर रहा था। नमिता उसकी हालत देखकर मुस्कुराती हुई अपने कपड़े भी उतार दी और नंगी उसकी बाहों में समा गयी।
अब दोनों एक दूसरे को चूमते हुए वासना की आँधी में बहने लगे। जल्दी ही नमिता की चूचियाँ राज के मुँह में थी और उसके हाथ उसके गोल गोल चूतरों पर घूम रहे थे। दोनों एक दूसरे की ओर करवट लेकर लेटे थे। अब नमिता ने अपनी एक टाँग उठाके राज के कमर पर रख दी और उसने राज के लौड़े को पकड़ कर अपनी बुर ने दाख़िल कर दिया। राज ने भी अपनी कमर का एक धक्का मारा और उसका लौड़ा उसकी बुर में घुसता चला गया। अब दोनों एक दूसरे के कमर पकड़कर एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे। कमरे में फ़च फ़च और आऽऽह्ह्ह्ह्ह गूँज रहे थे। नमिता ने राज के बड़े बड़े आँड भी सहलाना चालू किया अत राज ने भी चूचि चूसते ही नमिता की गाँड़ के दरार में दो ऊँगली डालके उसे मस्त कर दिया।
अब चुदायी ज़ोरों पर थी और दोनों एक दूसरे की ओर धक्के मार रहे थे। फिर नमिता की हाय्य्य्य्य्य्य मैं गईइइइइइइ की आवाज़ आइ और वह झड़ने लगी । तभी राज भी ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म कहकर उसकी बुर में अपना रस छोड़ दिया।
राज: माँ कहीं तुम प्रेगनेंट हो गयी तो?
नमिता: नहीं बेटा , मैं गर्भ निरोधक दवाई लेती हूँ। तुमको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है।
अब राज उसके सीने में अपना सिर रख कर सो गया।
सुबह नमिता उठी और राज के खड़े लौड़े को देखकर मुस्करायी और बाथरूम में फ़्रेश होकर चाय बना के लायी। राज को चूम कर उसने उठाया , अभी नमिता एक नायटी में थी और उसके नीचे उसने कुछ भी नहीं पहना था।
राज ने आँखें खोली और नमिता की हिलती हुई चूचियाँ दबाया और बोला: माँ मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ।
नमिता: मैं भी अपने बेटे से बहुत प्यार करती हूँ।
ये कहते हुए उसने उसके लौड़े के सुपाडे को चूमा और चूस भी लिया। फिर नीचे जाके उसके बॉल्ज़ भी चूम लिए।
राज मस्ती से बोला: माँ मैं बाथरूम से आ रहा हूँ आप रुको।
वापस आके उसने नमिता का गाउन उतारा और नमिता को लिटाके उसके ऊपर आ गया और पाँच मिनट की चूमा चाटी के बाद ही उसकी चुदायी में लग गया। वह ऊपर से इतने ज़बरदस्त धक्के मार रहा था कि पूरा पलंग बुरी तरह से हिल रहा था और चूँ चूँ कर रहा था। जल्दी ही दोनों स्खलित हो गए।
थोड़ी देर बाद नमिता उठते हुए बोली: बेटा चलो अब तय्यार हो जाओ स्कूल जाना है।
नमिता ने नायटी पहनी और किचन में चली गयी । राज भी तय्यार होकर नाश्ते के टेबल पर आया और नाश्ता किया ।
अब वह नमिता को प्यार किया और चूमकर बोला: माँ स्कूल में आपकी याद आएगी।
नमिता: वहाँ सिर्फ़ पढ़ाई पर ध्यान देना। और हाँ आज से मैं ऑफ़िस जाऊँगी। पता नहीं कब वापस आऊँगी। तेरा खाना यहाँ टेबल पर रहेगा , खा लेना। अगर जल्दी आ सकी तो आ जाऊँगी।
राज: ठीक है माँ ।
अब वह फिर से नमिता को बाँहों में लेकर चूमा और फिर नीचे बैठ गया और बोला: माँ एक पप्पी दे दो प्लीज़।
नमिता हँसते हुए: बदमाश कहीं का।
ये कहते हुए उसने अपनी नायटी उठादी कमर से भी ऊपर । राज की आँखों के सामने फूली हुई बुर थी। उसने वहाँ मुँह डाला और सूँघने लगा। फिर उसने उसको चूमा और फिर नमिता को घुमाके उसके चूतरों को दबाया और दाँतों से हलके से काटा और वहाँ भी चूमने लगा। फिर उसने गाँड़ के छेद को भी सूँघा और वहाँ भी चूमा और गाँड़ में दो ऊँगली फिरायी ।
फिर वह खड़ा हुआ और बोला: माँ आप मस्त माल हो, जी कर रहा है कि अभी आपको चोद दूँ।
नमिता ने उसकी फूली हुई पैंट को देखा और वहाँ पैंट के ऊपर से लौड़े को दबाके बोली: इसको ठीक कर नहीं तो सब मैडम लोग बेहोश हो जाएँगी ।
राज ने हँसते हुए लौड़े को अजस्ट किया और बाहर चला गया।
नमिता अपने काम में लग गयी।
बाद में क़रीब १० बजे वो ऑफ़िस के लिए तय्यार होकर निकली। आज उसने लेग्गिंग और टॉप पहना था। वह बड़ी हसीन लग रही थी। उसने ऑटो किया और ऑफ़िस पहुँची।
बहुत दिनों के बाद ऑफ़िस आयी थी सो उसने सबका हाल चाल पूछा और उसको पता चला कि सुधाकर अभी भी अमेरिका में ही है। पर मनीष रात को वापस आ गया है।
मनीष के वापस आने का सुनकर उसे थोड़ी सी उत्तेजना हुई।
क़रीब एक घंटे के बाद उसको ख़बर आयी कि छोटे सांब बुला रहे हैं।
नमिता की चूचियाँ कड़ी होने लगी। उसके निपल्ज़ भी कड़े हो गए। आख़िर वह और मनीष कई बार चुदायी कर चुके थे। सुधाकर का बेटा होने के कारण वह वैसे भी उसके क़रीब ही था।
वह मनीष के कैबिन के सामने पहुँची और दरवाज़ा खटखटायी।
मनीष: अंदर आ जाओ।
नमिता अंदर गयी तो वहाँ मनीष अपनी कुर्सी पर बैठा था नमिता मनीष को देखती ही रह गयी।
वह अच्छा तगड़ा दिख रहा था । उसका बदन भर गया था। मनीष की आँखें भी नमिता के अंगों पर घूम रही थी। मस्त माल लग रही थी। लेग्गिंग में कसी मांसल जाँघें तो जैसे क़यामत ही ढा रही थी। खुले गले का टॉप चूचियों को और उभार रहा था। बड़े बड़े आम किसी का भी ईमान ले सकते थे।
मनीष: आंटी दरवाज़ा बंद कर दो।
नमिता: बेटा ऐसे कैसे बंद कर दूँ? कोई आ गया तो?
मनीष: आंटी ये मेरा ऑफ़िस है , यहाँ जबतक मैं ना बुलाऊँगा कोई भीतर नहीं आएगा।
नमिता ने धीरे से दरवाज़े को लॉक किया।
मनीष अपनी कुर्सी से उठा और आकर नमिता से लिपट गया और उसको पागलों की तरह चूमने लगा। कभी गर्दन पर तो कभी गालों पर और फिर उसने अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए। नमिता भी गरम होकर उसे चूमने लगी। अब मनीष के हाथ उसके नंगी कमर को सहलाने लगे और फिर चूतरों पर जा चिपके। अब वह चूतरों को दबाकर मस्ती से भर गया और नमिता को बोला: मम्मी दुद्दु पिलाओ ना।
मनीष हमेशा नमिता के साथ माँ बेटे का रोल प्ले करता था।
नमिता: चलो किसी होटेल में चलते हैं। यहाँ कैसे होगा?
मनीष: नहीं यहीं करेंगे। प्लीज़ टॉप उतारिए ना।
अब नमिता ने अपना टॉप उतार दिया और मनीष ब्रा में क़ैद उसकी चूचियों पर अपना मुँह रगड़ने लगा।
फिर वह बोला: मम्मी दुद्दु पिलाओ ना।
नमिता ने हाथ पीछे किए और ब्रा का स्ट्रैप निकाला और ब्रा भी उतार दी। अब मनीष ने उसको सोफ़े पर बिठा दिया और ख़ुद उसकी गोद में लेट गया और बोला: मम्मी दुद्दु दो।
नमिता ने अपनी एक छाती अपने हाथ में पकड़ी और उसको मनीष के मुँह पर टिका दिया। मनीष ने मुँह खोला और दूध चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसकी दूसरे दूध को दबाने लगा।
फिर उसने बदल बदल के दोनों दूध पिए और फिर तृप्त होकर बोला: मम्मी, आज कितने दिनों के बाद अपने अपना दूध पिलाया।
नमिता हँसते हुए बोली: तुम यहाँ थे ही नहीं, तो मैं कैसे दूध पिलाती?
अब नमिता उसके शर्ट के अंदर हाथ डालकर उसकी बालों से भरी छाती सहला रही थी और उसके निपल भी मसल रही थी। मनीष के पैंट में तंबू साफ़ दिखाई पड़ रहा था, जिसे नमिता ने पकड़ा और दबाने लगी।
अब मनीष ने अपना लौड़ा अपने पैंट से बाहर निकाला और सोफ़े पर बैठी नमिता के सामने उसको झुलाने लगा। नमिता ने उसको पकड़ा और चूसने लगी। अब मनीष भी इसके मुँह को चोदने लगा।
फिर वह नमिता को खड़ा किया और उसकी लेग्गिंग को नीचे किया और पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को दबाया और फिर गीली हो रही पैंटी को भी नीचे किया। अब वह झुका और उसकी बुर को चूमने और चाटने लगा। नमिता आऽऽहहहह कर उठी।
फिर उसने नमिता को टेबल के सहारे आगे को झुकाया और पीछे से उसकी बुर में अपना लौड़ा डाला और उसे चोदने लगा। नमिता हाऽऽऽयय्यय करके चुदवा रही थी। मनीष भी ह्म्म्म्म्म्म्म मम्मी आऽऽऽह मज़ा आ रहा है ना?
नमिता: हाँआऽऽऽऽऽऽऽ बेटाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽ हैएएएएएएएर। और जोओओओओओओओओर से चोओओओओओओओदो।
मनीष भी अब ज़ोर से धक्का मार रहा था और ठप्प ठप्प की आवाज़ से उसकी जाँघें नमिता के चूतरों से टकरा रही थीं। जल्दी ही दोनों झड़ने लगे। नमिता ने अपनी चीख़ दबायी क्योंकि वह ऑफ़िस में थी। अब उसका रस नमिता की बुर में गिरता चला गया। अब मनीष ने वहाँ रखा एक तौलिया उठाया और उसको नमिता के बुर पर रख दिया ताकि रस नमिता की लेग्गिंग ख़राब ना कर दे। नमिता भी तौलिए को बुर पर रख कर साफ़ की और बाथरूम में घुस गयी। मनीष भी पीछे से आ गया और बोला: मम्मी आपको सू सु करते ही देखना है।
नमिता कोमोड से थोड़ा उठकर उसको अपनी सूसु की धार दिखाने लगी जो उसके बुर से निकल रही थी। अब मनीष ने अपना हाथ उसकी सूसू की धार पर रखा और उसके पिशाब से अपने हाथ गीले करने लगा। गरम गरम पिशाब की धार उसको मस्त कर रही थी।
फिर नमिता ने अपनी बुर की सफ़ाई की, और अपने कपड़े पहन लिए। मनीष ने भी सफ़ाई करके अपने कपड़े ठीक किए। बाहर आकर मनीष ने नमिता को अपनी गोद में खिंच लिया और बोला: आंटी आपसे अलग रहने की इच्छा नहीं होती।
नमिता: मैं भी कहाँ तुमसे अलग रहना चाहती हूँ।
मनीष: आंटी आप मुझसे शादी करोगी?
नमिता: हट बेवक़ूफ़, मैं तेरे मम्मी की उम्र की हूँ, भूल गया क्या? पर अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मम्मी बन सकती हूँ?
मनीष: वह कैसे?
नमिता: तुम्हारे पापा से शादी करके।
मनीष: पापा से ? वो कैसे?
नमिता: वो ऐसे कि वो मुझे प्रपोज़ कर चुके हैं, शादी के लिए।
मनीष हैरानी से : तो क्या आप पापा से भी चुदवाती हो?
नमिता: हाँ वो भी तुमसे मिलने के पहले से ही। मैं तुमसे तो बहुत बाद में मिली। तुम्हारे पापा के साथ तो मैं मेरे पति के मरने के कुछ महीने बाद से ही कर रही हूँ।
मनीष: आपने कभी बताया नहीं?
नमिता: इसलिए कि जब तुमसे मिली तो वह मुझसे मिलना बंद कर दिए थे और जवान लड़कियों के पीछे भाग रहे थे।
मनीष: तो फिर अब कैसे?
नमिता: पिछले दिनों हम एक साथ फ़ार्म हाउस में थे और वहीं वह मुझे शादी के लिए बोले, पर मैंने हाँ नहीं की है, तुम्हारे और राज के बारे में सोच के।
मनीष: अगर आप पापा से शादी करोगी तो हमारे रिश्ते कैसे होंगे?
नमिता: देखो अगर तुम मुझसे रिश्ता रखना चाहते हो तो मैं तुम्हारे पापा से बात करूँगी कि शादी तभी होगी जब मनीष को भी अपनी मम्मी से मज़ा लेने देंगे।
मनीष: आप सोचते हैं कि पापा मान जाएँगे? वह तो मेरी शादी कराने के चक्कर में हैं।
नमिता: अगर तुम शादी कर लो तो ये और भी आसान हो जाएगा।
मनीष हैरानी से: वो कैसे?
नमिता: तुम अपने पापा की बीवी से मज़े लेना, याने मुझसे मज़े लेना। और तुम्हारे पापा तुम्हारी बीवी से मज़े ले लेंगे। अपनी अपनी बीवी को तो मज़े देते ही रहोगे साथ ही साथ।
अचानक मनीष की गोद में बैठी नमिता को लगा कि मनीष का लौड़ा उसकी गाँड़ में गड़ने लगा है। वह समझ गयी कि मनीष उत्तेजित हो गया है।
मनीष: मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है, पापा मान जाएँगे क्या?
नमिता: उनको मेरे साथ एक जवान बहु भी चोदने को मिलेगी तो उनको क्या ऐतराज़ होगा?
मनीष उत्तेजित होकर बोला: तो आंटी आप इस बात को आगे बढ़ाइए। मेरी तो हाँ ही है।
नमिता उठते हुए बोली: ठीक है जब वह अमेरिका से आएँगे तो मैं बात करूँगी। वैसे वह आ कब रहे हैं वापस?
मनीष: तीन चार दिनों में ही।
अब नमिता ठीक है कहके मनीष को चुमी और बाहर चली आयी और बोल दी कि आज मैं जल्दी घर चली जाऊँगी।
नमिता घर पहुँची तो राज अभी आया नहीं था।
To be continue.......