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नमिता ने कपड़े बदले और सिर्फ़ एक नायटी डाल ली और खाना तय्यार किया। तभी राज आया और नमिता से लिपट गया। नमिता ने उसको प्यार करते हुए पूछा: आज बहुत दिन बाद स्कूल गए कैसा लगा?
राज: बहुत अच्छा लगा माँ। शीला आंटी मिली थीं वो मुझे लाइन मार रहीं थीं।
नमिता: फिर तूने क्या किया?
राज: माँ मैंने उनकी तरफ़ ध्यान ही नहीं दिया , मुझे तो ये मिल गए हैं अब उनसे क्या काम? उसने नमिता की चूचियाँ दबाते हुए कहा।
नमिता की बिना ब्रा की चूचियाँ उसे दबाने में बहुत मज़ा आ रहा था। फिर उसने नमिता की नायटी उठाकर उतारी और अपनी पैंट उतारकर चड्डी भी उतारा और वहीं नमिता को सोफ़े पर लिटाकर चुदायी करने लगा। नमिता भी मज़े से चुदवाने लगी। धमाकेदार चुदायी के बाद दोनों शांत हो गए।
फिर दोनों खाना खाने बैठ गए।
उस दिन दोपहर की चुदायी के बाद नमिता सोने चली गयी और राज पढ़ने बैठ गया।
शाम को नमिता ने चाय पिलाई और राज बाहर खेलने चला गया। नमिता भी सुषमा के घर गई। सुषमा अकेली ही थी। दोनों बातें करने लगीं।
सुषमा: तो क्या सोचा ? मुझे राज से चुदवाओगी क्या?
नमिता: देखो सुषमा, मैं नहीं चाहती कि राज अब फिर से भटके। उसकी पढ़ाई बहुत ज़रूरी है और अगर उसको तुम्हारी चुदाई का चस्का लग गया तो वो जब दिल चाहेगा अपनी पढ़ाई का नुक़सान करके तुमसे मज़े लेने आ जाएगा, क्योंकि तुम बिलकुल पड़ोस में ही हो।
सुषमा: हाँ वह तो है।
नमिता: अभी वह मुझे दिन में दो से तीन बार चोद देता है। उसे इसी में संतुष्ट रहने दो। मैं और भटकाव नहीं चाहती। स्कूल में भी शिला मैडम उसे पटाने के चक्कर में है। उसे भी रोकना होगा।
सुषमा: ठीक है कोई बात नहीं। पर रात को कल मैंने राजन और राजू से चुदवाते हुए तुम्हारे सेक्सी बदन की तारीफ़ की। राजन बोले कि काश मैं नमिता को चोद पाता ।तब राजू भी बोला कि पापा मेरा भी नम्बर लगा देना, आंटी बहुत सेक्सी है।
नमिता : ओह दोनों एसा बोले? तुम क्या बोलीं?
सुषमा: मैं बोली कि तुम राज की माँ को चोदना चाहते हो, अगर राज भी मुझे चोदना चाहे तो?
नमिता: ओह , फिर क्या बोले वो दोनों?
सुषमा: वो बोले तो क्या हुआ तुम भी राज से चुदवा लेना। उसमे हर्ज ही क्या है।
नमिता: ओह तो इनको भी कोई इतराज नहीं है।
सुषमा: एक बात बोलूँ? अगर तुम नहीं चाहती कि राज मुझे चोदे तो कोई बात नहीं,पर क्या तुम उन दोनों से चुदवा सकती हो?
नमिता: क्यूँ तुम तो उनको मज़े दे ही रही हो, फिर मेरी क्या ज़रूरत है?
सुषमा: मेरे जब पिरीयड्ज़ आते हैं तो राजू मेरी गाँड़ मारता है । अब वह एक दिन में ४/५ बार गाँड़ मारकर मुझे बहुत त्रस्त कर देता है। राजन को तो मैं मुँह से या हाथ से भी शांत कर देती हूँ, पर राजू को तो छेद ही चाहिए।
नमिता: ओह, ये बात है।
इतनी देर तक चुदाई की बातें करने से नमिता की बुर गीली हो गयी थी। उसने सलवार के ऊपर से अपनी बुर को सहलाया।
सुषमा: बुर चूस दूँ क्या? लगता है चुदासि हो रही हो?
नमिता: हाँ यार, इतनी देर से ये बातें सुनकर सच में खुजाल मच रही है। राजू कब तक आएगा?
सुषमा: अरे अभी समय है, चलो बेडरूम में, मस्ती करते हैं।
दोनों उठकर बेडरूम में गयीं और नमिता ने अपने कपड़े खोलने शुरू किए। सुषमा भी पूरे कपड़े निकाली और बिस्तर पर लेट गयी। अब नंगी नमिता भी उसपर चढ़ गयी और उनके होंठ एक दूसरे से चिपक गए। उनकी जीभ भी एक दूसरे के मुँह में समा रही थी। फिर वो छातियाँ दबाने लगीं और मुँह में लेकर चूसने भी लगीं। नमिता ने अपनी बुर उसकी बुर के ऊपर रखा और रगड़ने लगी।
थोड़ी देर बाद वो दोनों ६९ की पज़िशन में आ गयी और एक दूसरे की बुर चाटने लगीं। नमिता ने सुषमा की बुर में तीन उँगलियाँ डालीं और उसके clit को जीभ से सहलाने लगी। सुषमा ने भी नमिता की बुर में तीन उँगलियाँ डालीं और वह भी उसकी clit को जीभ से छेढने लगी। दोनों मज़े से हाऽऽऽऽऽऽय्यय और आऽऽऽऽहहहह करने लगीं। सुषमा ने नमिता की गाँड़ में भी एक ऊँगली डाली और नमिता उइइइइइइइइ कर उठी। नमिता ने भी सुषमा की जाँघों को उठाया और उसकी गाँड़ भी चाटने लगी। सुषमा भी आऽऽऽहहह मरीइइइइइइइ दीदीइइइइइइइ कहकर अपनी बुर को उसके मुँह में रगड़ने लगी और झड़ने लगी। नमिता भी अपनी clit में उसकी जीभ के आभास को और बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसके मुँह में झड़ने लगी।
अब दोनों झड़कर अग़ल बग़ल लेटी हुई एक दूसरे का बदन सहला रहीं थीं।
सुषमा: दीदी, मेरा कल या परसों पिरीयड आ जाएगा , आप चुदवाओगी क्या राजन और राजू से?
नमिता: तू क्या चाहती है?
सुषमा: दीदी मेरी गाँड़ फाड़ देता है ये राजू का बच्चा, अगर आप चुदवा लोगी तो ये मुझे शायद एक या दो बार तंग करेगा , अभी तो बस मेरी गाँड़ मार मार के दुखी कर देता है।
नमिता: अरे पर मैं तो एक बार ही करवाऊँगी। मुझे राज को पता भी नहीं लगने देना है।
सुषमा: कोई बात नहीं दीदी एक बार करवाओगी तो कम से कम मेरी गाँड़ एक बार तो कम मारेगा। मेरे लिए यही बहुत है।
नमिता: ठीक है जब तेरा पिरीयड आ जाए तो बता देना, मुझे १-२ बजे दोपहर ही जमेगा। राज २:३० बजे के क़रीब आता है।
सुषमा: राजू तो १ बजे ही आ जाता है। राजन भी लंच पर घर आ सकते हैं।
नमिता: चल ठीक है तेरे लिए भी सही।
फिर वो फ़्रेश हुईं और नमिता वापस अपने घर आ गयी। थोड़ी देर में राज भी पसीने से भीगा हुआ घर आया और बोला: माँ आज बहुत अच्छी प्रैक्टिस हुई फ़ुट्बॉल की।
नमिता: रोज़ खेला कर शाम को, सेहत के लिए बहुत ज़रूरी है।
राज ने अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ़ चड्डी में आकर अपने कपड़े सुखाने लगा। नमिता ने पसीने से भरा उसका मस्कूलर बदन देखा और चड्डी में उसका मूसल अलग से बहुत मादक दिख रहा था। नमिता वहाँ से हट गयी उसे लगा कि अगर वह थोड़ी देर और खड़ी रही तो वह राज से लिपट जाएगी और अभी के अभी चुदवा लेगी।
किचन में जाकर उसने अपनी बुर को सलवार के ऊपर से सहलाया और सोची कि उसे अभी पढ़ाई करनी है नहाने के बाद। चुदायी रात को ही होगी।
रात को खाना खाने के बाद राज और पढ़ाई किया और जब वह वापस आया तो नमिता सो चुकी थी। पर राज बहुत उत्तेजित था , उसने नमिता की चूचियाँ दबायीं और नमिता के जागते ही उस पर टूट पड़ा, और जल्दी ही घमासान चुदायी होने लगी। आज राज का गाँड़ मारने का भी मूड था। उसने नमिता को बताया तो वह मुस्कुराती हुई पलट गयी और अपने चूतरों को ऊपर उठाके उसको अपनी गाँड़ का दर्शन कराई। राज भी क्रीम लगाके उसकी गाँड़ की ठुकाई में लग गया और पीछे से उसकी चूचियाँ भी दबाने लगा। जल्दी ही नमिता आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करके चिल्लाई।
राज ने अपनी उँगलियाँ नीचे से बुर की clit पर लगायीं और वहाँ मलने लगा। अब नमिता की मस्ती अपनी सीमा पार कर गई और वह चिल्लाई आऽऽऽऽऽऽऽऽह बेएर्रेएएएएएएटा मैं गइइइइइइइइइइ । उसी समय वह भी ह्म्म्म्म्म कहकर अपना पानी उसकी गाँड़ में छोड़ने लगा।
शीघ्र ही दोनों खलास होकर सो गए।
सुबह नमिता चाय लेकर आयी और फिर से दोनों ने ख़ूब एक दूसरे का बदन रगड़ा, और नमिता उस पर चढ़ कर चुदायी करने लगी। आख़िर में राज ने उसको पलट कर नीचे किया और तूफ़ानी चुदायी के साथ दोनों शांत हो गए।
फिर राज स्कूल के लिए तय्यार हुआ और नमिता को चूम चाट कर नाश्ता करके चला गया।
नमिता भी तय्यार होकर ऑफ़िस गयी। मनीष आज ऑफ़िस नहीं आया था क्यूँकि उसकी कोई मीटिंग थी।
अचानक उसका फ़ोन बजा सुषमा बोली: नमिता, देख मेरा पिरीयड आ गया और पहले दिन मुझे बहुत तख़लीफ होती है, तू आज राजू और उसके पापा को सम्भाल लेगी क्या?
नमिता: ओह ठीक है देखती हूँ मैं १२ बजे तक आने की कोशिश करती हूँ। उन दोनों से बात हो गयी है ना?
सुषमा: अरे वो तो कल से ही मरे जा रहे हैं।
नमिता हँसते हुए: अच्छा चल देखती हूँ।
अब उसका काम ख़त्म होने के बाद वो मनीष के ऑफ़िस में मुझे काम है मैं जा रही हूँ कहकर १२ बजे निकल आयी और घर पहुँचकर सुषमा से फ़ोन पर बोली:मैं घर आ गयी हूँ। वो मेरे घर आएँगे या मैं तेरे घर आ जाऊँ?
सुषमा: दीदी आप यहाँ आ जाओ।
नमिता: अच्छा आती हूँ।
अब नमिता ने फिर से स्नान किया और एक सेक्सी ब्रा और पैंटी पहनी और उसके ऊपर से टॉप और लेग्गिंग पहनी और मेकअप करके ख़ुद पर ही मुग्ध हो गयी। वह बला की सेक्सी औरत थी। बड़े बड़े दूध और पीछे को उठी हुए नितम्ब और गोरा चिकना पेट। ना पतली और ना ही मोटी , बस भरा हुआ मस्त बदन। वह चूतड मटकाते हुए सुषमा के घर पहुँची।
सुषमा उसको देखकर बोली: आज तो मेरा पति और बेटा दोनों गए काम से । क्या हॉट लग रही हो दीदी!
नमिता हँसने लगी।
तभी घंटी बजी और राजन अंदर आया । नमिता ने उसको नमस्ते की और वह तो ठगा सा देखता ही रह गया नमिता को। वो अंदर जाकर फ़्रेश हुआ और बाहर आके सोफ़े पर बैठा और नमिता से बातें करने लगा।
राजन: भाभी आपने डॉक्टर गुप्ता के बारे में बताकर राजू को ठीक करने में हमारी बहुत मदद की। नहीं तो राजू तो हाथ से निकल ही गया था।
नमिता हँसते हुए बोली: अरे मैंने नहीं असली काम तो आपकी पत्नी ने किया है।
राजन समझ गया कि उसका इशारा किस तरफ़ को है, तो वह सुषमा की जाँघ सहलाते हुए बोला: हाँ इसने तो बहुत त्याग किया है। पर अब मज़ा भी ले रही है।
ये कहकर वह हँसने लगा।
नमिता भी हँसकर बोली: हाँ मज़ा तो ले रही है, पर आप लोग बिचारि को पिरीयड्ज़ के दिनों में भी आराम नहीं करने देते, ये ठीक बात नहीं है।
राजन झेंप कर बोला: मैं नहीं राजू तंग करता है इसको।
सुषमा: हाँ हाँ आप तो जैसे दूध के धुले हो, अपने बेटे से एक बार भी नहीं कहते की मम्मी को तंग ना करे। बल्कि मुझसे कहते हैं दे दे ना जो वह माँगता है।
राजन उसकी जाँघ को दबाते हुए बोला: अरे यार तुमको भी तो मज़ा ही आता है ना?
सुषमा: वाह मज़े की ख़ूब कही, कोई एक बार करे तो मज़ा भी आए , आप लोग तो मेरा पिछवाड़ा ही फाड़ देते हो।
सुषमा अब पूरी तरह से खुल गयी थी।
नमिता: भय्या आपको सुषमा का कुछ तो ख़याल रखना चाहिए। मुझे बता रही थी कि वह बहुत कष्ट में रहती है इन दिनों।
राजन: भाभी अब आप इसकी मदद करेंगी तो इसका कष्ट कम हो जाएगा।
इस पर तीनों हँसने लगे। तभी बेल बजी, राजू अंदर आया और बोला: मम्मी पानी पीना है।
अचानक उसकी दृष्टि नमिता पर पड़ी तो हड़बड़ा कर बोला: आंटी नमस्ते ।
नमिता ने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया और पूछी : बेटा स्कूल कैसा था आज का?
राजू: जी आंटी ठीक था। नमिता ने देखा कि राजू की आँखें उसके टॉप के ऊपर चिपक सी गयी थीं।
सुषमा ने सबको जूस पिलाया और बोली: राजू जा फ़्रेश हो जा , मैं अभी आती हूँ।
राजू के जाने के बाद सुषमा बोली: इसे अभी नहीं मालूम कि तुम क्यों आयी हो यहाँ ? राजन को तो मैंने फ़ोन पर बता दिया था।
यह कहके वो राजू के कमरे में गयी।
सुषमा ने देखा कि वह बाथरूम से नंगा ही बाहर आ गया था और उसने सुषमा को पकड़कर अपने से चिपका लिया और बोला: आंटी को इस समय क्यूँ बुला लिया? आपको मालूम है ना ये समय मुझे आपको चोदना रहता है।
यह कहकर उसने सुषमा के चूतरों को दबाया और बोला: ओह मम्मी आज फिर आपका पिरीयड आ गया । उसे पैंटी में फँसे पैड का अहसास हो चला था।
सुषमा ने उसके नंगे खड़े लौड़े को दबाया और बोली: अरे इसी लिए तो नमिता को बुलाया है। मैंने कहा था ना कि तुम और राजन क्या नमिता को चोदोगे ? तो तुमने कहा था हाँ ज़रूर। तो लो आज मेरा पिरीयड आया है और मैंने उसे तुम दोनों के लिए बुला लिया है। अब कम से कम मेरी गाँड़ बार बार नहीं मारना। ठीक है?
राजू: आह मम्मी आप कितनी अच्छी हो, सच में आंटी तो मस्त माल लग रहीं हैं।
सुषमा: चल एक बानियान और हाफ़ पैंट डालके बाहर आ जा।
और झुकके उसके लौड़े का एक मस्त चुम्बन लेकर बाहर निकल गयी।
थोड़ी देर बाद राजू भी बाहर आया , पर उसके हाफ़ पैंट से उसका ज़बरदस्त उभार जैसे छुप ही नहीं सकता था।
वह भी आके अपनी मम्मी के पास बैठ गया।
सुषमा: देखो राजू आज मेरी रिक्वेस्ट पर दीदी यहाँ आयीं है, पर तुम लोगों को इनके साथ आराम से करना होगा। जैसे मेरे ऊपर जानवरों की तरह टूटते हो वैसे नहीं चलेगा, समझे?
राजू अपने लौड़े को मसल कर बोला: जी मम्मी।
राजन भी हाँ में सिर हिलाया।
नमिता हँसते हुए बोली: ऐसा क्या करते हैं तेरे साथ?
सुषमा: तू देखना कैसे तेरे पीछे पड़ेंगे अभी।
नमिता हँसते हुए बोली: चल ना जो करना है कर लेने दे इनको।
अब राजन खड़ा हुआ और उसकी भी पैंट बुरी तरह से तनी हुई थी और वह बोला: चलो भाभी बेडरूम में चलो। अब रहा नहीं जा रहा।
सुषमा ने नमिता का हाथ पकड़ा और बेडरूम की ओर चल पड़ी। राजू नमिता की मटकती गाँड़ देखकर मस्ती से भर कर सोचा कि चाहे मम्मी कुछ भी कहे आंटी की गाँड़ तो मारूँगा ही । आह क्या मस्त गाँड़ है।
अब वह भी पीछे से बेडरूम में आ गया।
सुषमा ने कहा: चलो आप दोनों अपने कपड़े उतारो।
राजन और राजू तो जैसे पागल से हो रहे थे, वो दो मिनट में ही पूरे नंगे हो गए। उनके लौड़े ऊपर नीचे हो रहे थे।
नमिता ने देखा की इनके परिवार में भी बड़े लंड की परम्परा ही है। उसकी बुर दो दो मस्त लौड़े देखकर गीली हो गयी। उसे अपने निपल्ज़ कड़े होते हुए महसूस हुए।
सुषमा: चलो दीदी अब आप भी अपने मस्त बदन का दीदार करा दो।
नमिता ने मुस्कुराते हुए अपनी साड़ी का पल्लू गिराया और उसके ब्लाउस में कसे आम देखकर राजन के लौड़े पर एक बूँद प्रीकम की आ गयी। अब उसने अपनी साड़ी उतारी और उसे घूमकर एक हैंगर में टाँगी। पेटिकोट में उसके उभरे हुए चूतरों को देखकर राजू अपने लौड़े को मसलने लगा।
अब नमिता ने बड़ी अदा से ब्लाउस के हुक खोले और अपना ब्लाउस उतारी और ब्रा में कसी उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ जो बहुत गोरी थीं सबके सामने थीं। अब उसने पेटिकोट का नाड़ा खोला और उसे अपनी टाँगों से नीचे कर के गिरा दिया। राजन और राजू आँख फाड़े उसकी मदमस्त गोरी भरी हुई जाँघें देख रहे थे और पैंटी से उसकी फूली हुई बुर साफ़ दिखाई पड़ रही थी। अब वह झुकी और पेटिकोट उठाया और उसकी पूरी गाँड़ का उभार दोनों मर्दों को जैसे दीवाना कर गया। पैंटी की पट्टी चूतरों की दरार में जैसे गुम हो गयी थी। क्या मस्त भरे हुए उभार थे।
अब सुषमा बोली: आप दोनों खड़े हो जाओ ।फिर वह ख़ुद बिस्तर पर बैठी और नमिता को भी बग़ल में बैठने का इशारा किया। वह पूरे कपड़े पहनी थी और नमिता सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी।
अब दोनों आकर उनके सामने खड़े हो गए। उनके लौड़े हिल रहे थे। सुषमा ने अपना मुँह खोला और राजन का लौड़ा चूसने लगी। नमिता ने भी राजू का लौड़ा मुँह में लिया और चूसने लगी। राजू तो मज़े से नमिता के ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। फिर राजन झुका और उसने नमिता की ब्रा का स्ट्रैप खोला और उसकी नंगी चूचियाँ उनके सामने थी। राजन ने एक चूचि दबायी और राजू दूसरी दबाने लगा। नमिता भी मस्ती से उसके बॉल्ज़ को भी चाटने लगी। फिर राजन ने राजू को हटाया और और अपना लौड़ा उसके मुँह में डाल दिया। नमिता अब राजन का लंड चूसने लगी। सुषमा भी अपने बेटे का लौड़ा चूसने लगी। अब सुषमा बोली: चलो नमिता लेट जाओ ।
नमिता लेट गयी और राजू उसके ऊपर आकर उसकी चूचि चूसने लगा। राजन नीचे गया और उसकी पैंटी उतारने लगा। नमिता ने अपनी कमर उठाके उसकी मदद की। पैंटी उतारने के बाद राजन ने अपना मुँह वहीं उसकी बुर में घुसेड़ दिया और उसे चूसने लगा। नमिता की सिसकियाँ निकलने लगीं। राजू ऊपर और राजन नीचे उसे मस्त कर रहे थे।उसकी आऽऽऽहहह निकल रही थी।
अचानक नमिता को लगा कि राजन उसकी टाँगें ऊपर कर रहा है। फिर उसे राजन की जीभ अपनी गाँड़ के छेद में महसूस हुआ और वह उइइइइइइइ कर उठी। नमिता ने राज़ू का सिर अपनी छाती पर दबा लिया और वह उसकी छाती चूसे जा रहा था।
अब राजू बोला: पापा मैं तो चूत मारूँगा , आप गाँड़ मारोगे क्या?
राजन: आऽऽह क्या गाँड़ है हाँ मैं गाँड़ मारूँगा।
अब वह नमिता को करवट में लिटा दिए और सामने से राजू उसकी ओर मुँह कर लेट गया और राजन पीछे से उसके चूतरों को दबा रहे थे।
सुषमा: ये लो क्रीम लगा लो, सुखी गाँड़ मारोगे क्या?
राजन ने क्रीम ली और नमिता की गाँड़ में अच्छे से डाल दी दो ऊँगलियों में क्रीम लेकर। उधर सुषमा ने राजन के लौड़े पर क्रीम लगायी।
अब नमिता ने अपनी एक टाँग उठाके राजू की कमर पर रखा और उसका लौड़ा ख़ुद ही पकड़कर अपनी बुर में लगाया और एक हल्के से धक्के से उसका लौड़ा ३ इंच के करीब अंदर ले ली। उधर राजू भी मस्त होकर ज़ोर से धक्का मारा और बाक़ी का लौड़ा उसके अंदर करके मज़े से बोला: आऽऽऽह आंटी क्या बुर है आपकी? अभी भी बहुत टाइट है।
तभी नमिता की गाँड़ के छेद में राजन का लौड़ा दस्तक देने लगा। नमिता ने भी पीछे की ओर होकर अपनी गाँड़ में उसका लौड़ा समेट लिया। अब क्या था दोनों बाप बेटा मस्ती से भर के नमिता की चुदायी करने लगे। कमरे में फ़च फ़च और थप्प थप्प की आवाज़ आ रही थी। नमिता की सिसकारियाँ गूँज रही थीं।
सुषमा भी उनकी चुदायी देख कर मस्त हो गयी थी और उसने राजू के बॉल्ज़ सहलाते हुए अपने बेटे का लौड़ा अपनी सहेली के अंदर बाहर होते हुए देख रही थी। फिर वह दूसरे हाथ से राजन के बॉल्ज़ भी पकड़कर सहलायी और उसके लौड़े को नमिता की गाँड़ में अंदर बाहर होते हुए देख कर मस्त हो रही थी।
अब नमिता चिल्लायी: आऽऽऽऽहहहह बहुत अच्छा लग रहा है। हाय्य्य्य्य और जोओओओओओओर्रर्र से चोओओओओओओओओदो । आऽऽऽऽहहह मेरी गाँड़ तो फटीइइइइइइइइइइओओ।
फिर वह मैं गयीइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। अब राजू और राजन ने भी धक्कों की गति बढ़ाईं और जल्दी ही ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगे।
दोनों ने अपना रस उसके छेदों में डाल दिया।
नमिता अब पूरी तरह से संतुष्ट होकर लेटी हुई थी।
सुषमा: दीदी मज़ा आया?
नमिता: सच में ये दोनों तो साँड़ है। तू बेचारी इन दोनों को कैसे झेलती है।
सुषमा: इसीलिए तो आपको बोला था, अब पिरीयड में भी मुझे कहाँ छोड़ते हैं ।
फिर सब सफ़ाई करके सोफ़े पर कपड़े पहनके बैठे और फिर नमिता बोली: अब जाती हूँ राज भी आने वाला होगा।
फिर नमिता अपने घर में चली गयी।
उस दिन दोपहर को राज आया और आते ही नमिता से लिपट गया और उसे प्यार करने लगा।
नमिता : क्या बात है आज बहुत ख़ुश है?
राज: माँ आज मुझे क्लास में बेस्ट स्पोर्ट्स मैन का इनाम मिला है और मेरी फ़ीस माफ़ कर दिए हैं।
नमिता के आँखों में आँसू आ गए और वह बोली: बेटा ऐसे ही ज़िंदगी में बहुत आगे बढ़ो।
नमिता ने राज को अपने से लिपटा लिया।
फिर वो दोनों खाना खाने बैठे। नमिता उसे बड़े प्यार से अपने हाथ से खिला रही थी।
फिर वह दोनों चिपक कर सो गए। सोकर उठे तो राज ने नमिता की चूचि दबानी शुरू की और उसके होंठ चूसने लगा। थोड़ी ही देर में वो दोनों ६९ पज़िशन में आ गाए और एक दूसरे के गुप्तांगों को बहुत देर तक चूसे और फिर नमिता उसके ऊपर आ कर चुदायी करने लगी। नमिता के उछलते चूतर राज दबाए जा रहा था और उसकी चूचि चूस रहा था।
वह पूरी तरह से नीचे होकर पूरे लौंडे को अपनी बुर में लील रही थी। पूरे आधे घंटे की चुदायी के बाद वह चिल्ला कर झड़ने लगी और राज भी अपनी कमर उठाके अपना रस उसकी बुर में डाल दिया। नमिता आऽऽऽह करके उसके ऊपर गिर गयी। राज के हाथ माँ की पीठ और चूतरों पर घूम रहे थे। उसका लौड़ा नरम होकर उसकी बुर से बाहर आ चुका था।
दोनों एक दूसरे को चूमते रहे और नमिता उठकर बाथरूम गयी तो राज भी पीछे से वहाँ आ पहुँचा और नमिता के सामने ही अपने लौड़े को कोमोड पर निशाना करके मूतने लगा। नमिता मुस्कुरा के उसकी धार को देख रही थी।
राज: आओ ना माँ पकड़ो इसको।
नमिता हँसते हुए उसके लौड़े को पकड़ ली और उसके पिशाब की धार देखते रही। फिर हिला हिला के उसने उसकी आख़री बूँद भी निकाली । फिर वह फ़्लश करके ख़ुद भी कोमोड में बैठी और मूतने लगी।
राज: माँ मुझे कुछ नहीं दिख रहा है?
नमिता हँसते हुए आधी खड़ी हुई और राज झुक कर उसे मूतते हुए देखकर मस्त हो गया।
फिर वह दोनों एक दूसरे के अंगों को साफ़ किए और बाद में कपड़े पहनकर राज पढ़ने चला गया और नमिता चाय बनाने लगी।
उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ।
अगले कुछ दिन भी ऐसे ही बीते जीवन सामान्य रूप से चल रहा था।
कुछ दिनों बाद नमिता का पिरीयड आया और अगली सुबह नमिता ने राज को यह बता दिया।
राज स्कूल चला गया और नमिता ऑफ़िस। वहाँ पता चला कि अभी भी मनीष मुंबई में ही है और सुधाकर अमेरिका में। वो अपना काम करके ३ बजे वापस आयी और राज भी क़रीब उसी समय आया था।
राज ने नमिता का उतरा चेहरा देखा और बोला: माँ सब ठीक है ना? आप बीमार सी दिख रही हो?
नमिता: मैं ठीक हूँ बेटा, बस पिरीयड्ज़ के कारण थोड़ी कमज़ोरी लग रही है।
राज: ओह आपने बताया था, क्या बहुत तकलीफ़ होती है?
नमिता: हाँ होती तो है, पेट दुखता है और नीचे ख़ून जमा होने के कारण वहाँ हमेशा गीलापन लगता रहता है।
राज: ओह तो आप आराम करो।
नमिता उसे चूमकर प्यार करती है। फिर दोनों खाना खाते हैं और राज पढ़ने चला जाता है और नमिता आराम करने लगती है।
रात को भी नमिता सो जाती है और राज पढ़ाई करके क़रीब ११ बजे बिस्तर पर आता है। वह माँ को तंग नहीं करना चाहता। पर उसके सोने का प्रयास विफल हो जाता है और वह उत्तेजित होता चला जाता है सोयी हुई माँ की बिना ब्रा की चूचियाँ देखकर और नायटी से ऊपर उठी हुई जाँघें देखकर।
वह अपने लौड़े को बाहर निकालकर सहलाने लगा।
तभी नमिता की आँखें खुल गयी उसने राज को मूठ्ठ मारते हुए देखकर मुस्कुराई और बोली: बेटा मुझे उठा देना था, ये मूठ्ठ क्यों मार रहा है?
राज: माँ आपका पिरीयड चल रहा है ना इसलिए आपको डिस्टर्ब नहीं किया।
नमिता उठी और उसके लौड़े को अपने हाथ में लेकर वह उसे सहलायी और फिर झुककर उसके सुपाडे को चाटी और फिर पूरी ताक़त से चूसने लगी।
दस मिनट की चुसायी के बाद राज बोला: माँ आप हाथ से मूठ्ठ मार दो अब ।
नमिता : क्यों अच्छे से नहीं चूस रही हूँ क्या?
राज: नहीं माँ ऐसा नहीं है। मैं चाहता हूँ कि आप आराम करो।
नमिता:कितना सोचता है मेरे बारे में ? बहुत प्यार करता है मुझे?
राज: हाँ माँ आपको बहुत प्यार करता हूँ।
नमिता हँसते हुए बोली: तो चल पीछे डाल दे ।
राज: माँ कोई ज़रूरी नहीं है आप मूठ्ठ मार दो और आराम करो।
नमिता: नहीं चल मेरी गाँड़ मार ले।
वह उठी और अपनी नायटी उतार दी। आज उसने बड़ी सी पैंटी पहनी थी जिसमें से उसका सामने का हिस्सा फूला सा दिख रहा था।
राज: माँ क्या यहीं पैड लगा रखा है?
उसके फूलें हुए हिस्से को देखकर पूछा उसने।
नमिता: हाँ यहीं लगाना पड़ता है। दिन भर थोड़े थोड़े से ख़ून आता रहता है और यह पैड उसे सोख लेता है।
राज: माँ मैं आपकी बुर देखना चाहता हूँ कि पिरीयड्ज़ के समय कैसे दिखती है?
नमिता ने हँसते हुए अपनी पैंटी उतार दी और अपना पैड भी निकाला और राज ने देखा कि उसमें लाल रंग लगा था। अब नमिता उस पैड को बाथरूम में कचरे में रखकर आयी और आकर बिस्तर में लेट गयी और अपनी टाँगें मोड़कर फैलायी और उसको बुर दिखाई। राज का मन थोड़ा सा ख़राब सा हो गया काफ़ी लाल सी लग रही थी बुर ।
राज: ठीक है माँ मैंने देख ली , अब आप उलटे हो जाओ तो मैं आपकी गाँड़ मार लूँगा।
नमिता: बेटा, आज गाँड़ मत चाटना क्योंकि बुर का ख़ून नीचे भी चला जाता है। बस क्रीम लगाके मार ले।
राज: ठीक है माँ । ये कहकर वह क्रीम लाया और उसकी गाँड़ में दो ऊँगली डालके अच्छी तरह से क्रीम लगाया। फिर उसने अपने लौड़े पर भी क्रीम लगाया और अब उसने नमिता की चूतरों को फैलाया और उसकी गाँड़ के छेद में सुपाड़ा लगाया और उसे अंदर की ओर दबाने लगा। नमिता की गाँड़ में वह घुसता चला गया। नमिता की हाऽऽऽय्य निकल गयी ।
वह बोली: तेरा इतना मोटा है कि शुरू में तो दुखता ही है। बाद में मज़ा देता है।
अब राज ने नमिता की चुदायी शुरू की। नमिता की जल्द ही सिसकारियाँ गूँजने लगी। वह भी पीछे गाँड़ करके पूरा लौड़ा अपनी गाँड़ में निगलने लगी। और मस्ती से उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ और उइइइइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ चिल्लाए जा रही है।
राज भी अपनी कमर हिलाके नमिता की कमर पकड़के अपनी ओर दबा कर उसकी गाँड़ का पूरा मज़ा ले रहा था।
जल्दी ही राज हम्म्म्म्म्म करके झड़ने लगा। नमिता बस निढाल होकर नीचे पेट के बल गिर गयी।
राज उसके ऊपर से हट गया और बग़ल में लेट गया।
नमिता उठी और बाथरूम गयी , राज ने देखा कि जहाँ नमिता लेटी थी वहाँ पर एक ख़ून का दाग़ था।
नमिता बाहर आयी और उसने एक नया पैड निकाला और अपनी बुर पर रखा और उसने पैंटी पहनी।
राज: माँ ये कितने दिन चलेगा?
नमिता: बेटा, मेरा तो चार दिन लगता है क्लीयर होने में।
राज: ओह माँ तो चार दिन सबर करना पड़ेगा। पापा भी सबर करते थे।
नमिता: हाँ सब मर्द करते हैं। वो भी एक दो बार गाँड़ मार लेते थे और एक दो बार चूसवा लेते थे। तेरा काम भी ऐसे ही चलेगा।
राज: ठीक है माँ जैसे आप बोलो।
राज भी बाथरूम से निपट कर आके सोने लगा।
तभी नमिता का फ़ोन बजा, उसने अब ब्लाउस और पेटिकोट पहन लिया था। उसने फ़ोन उठाया, दूसरी तरफ़ सुधाकर था। वह बोला: कैसी हो मेरी जान?
नमिता: अरे आप कब आए अमेरिका से ?
सुधाकर: बस अभी एक घंटे पहले। और सब ठीक है?
नमिता: जी सब बढ़िया। आप कैसे हैं?
सुधाकर: मैं भी ठीक हूँ पर तुम्हें बहुत मिस किया।
नमिता: आपको तो बहुत गोरी गोरी लड़कियाँ वहाँ मिल गयी होंगी, मेरी भला क्या याद आयी होगी आपको?
सुधाकर: हा हा ऐसा कुछ नहीं बहुत काम था वहाँ। फिर मनीष भी तो था मेरे साथ। मनीष से मिली कि नहीं?
नमिता: बस एक दिन ही वह ऑफ़िस आया और उसके बाद से वह मुंबई में ही है।
सुधाकर: हाँ बस दो दिन में वह भी आ जाएगा।
नमिता: चलिए कल मिलते हैं।
सुधाकर: कल दस बजे ऑफ़िस की जगह हमारे फ़ार्म हाउस में मिलते हैं। बहुत दिन हो गए तुमसे मिले हुए। बहुत ही इच्छा हो रही है।
नमिता: ओह पर मेरे तो लाल दिन चल रहे हैं। कुछ हो नहीं पाएगा।
सुधाकर: अरे फिर क्या हुआ बाक़ी दो छेद किस दिन काम आएँगे। चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर के पास वाले चौक से पीक अप कर लूँगा।
नमिता: ठीक है । गुड नाइट। कहकर फ़ोन काट दी।
वह बिस्तर में आके लेट गयी।
राज: माँ सुधाकर अंकल का फ़ोन था क्या?
नमिता उसके पीठ को सहलाते हुए बोली: हाँ बेटा उन्हीं का था।
राज: माँ वो लाल दिन का मतलब आपके पिरीयड्ज़ से है ना?
नमिता: हाँ बेटा, अब तुमसे क्या पर्दा? तुम तो जानते ही ही सब।
राज: माँ क्या आपको चोदने की बात कर रहे थे?
नमिता: और क्या तुम सब मर्दों को और क्या चाहिए?
राज: माँ आपकी बुर है ही मस्त, इसमे अंकल की क्या ग़लती है? फिर लाल दिन का सुन कर क्या बोले?
नमिता: वही जो तू बोलता है? उनको भी मेरे बचे हुए दो छेद चाहिए। एक छेद में गड़बड़ है तो क्या हुआ।
राज: तो माँ कल अंकल भी आपकी गाँड़ मारेंगे, यही ना?
नमिता: हाँ वो कहाँ छोड़ने वाले हैं।
राज: माँ,फिर उनसे शादी करने के बारे में क्या सोचा?
नमिता: तू क्या चाहता है बता पहले?
राज: माँ मैं तो चाहता हूँ आप शादी कर लो।
नमिता: पता है तुम्हें मनीष भी इस शादी के लिए तय्यार है।
राज: माँ आप तो मनीष से भी सम्बंध रखती हो ना?
नमिता: देखो अब तुमसे झूठ नहीं बोलूँगी हाँ उससे भी हैं।
राज: माँ तो अगर तुम्हारी अंकल से शादी हुई तो हम दोनों यानी आपके दोनों बेटों का क्या होगा?
नमिता: देखते हैं क्या सीन बनता है। चल अभी सो जा, कल स्कूल भी जाना है ना।
फिर राज नमिता को बाहों में लेकर सो गया।
अगले दिन नमिता राज को विदा करके तय्यार हुई।
नमिता ने एक टॉप और लेग्गिंग पहना। नीचे ब्रा और बड़ी सी पैंटी पहनी ।
चौक पर सुधाकर अपनी कार में इंतज़ार कर रहा था । नमिता उसकी कार में बैठी और उसने नमिता का हाथ दबाया और बोला: कैसी हो मेरी जान?
नमिता हँसकर बोली: ठीक हूँ, आपने इस बार बहुत दिन लगा दिए वापस आने में?
सुधाकर: हाँ काम ज़्यादा था। अब कार फ़ार्म हाउस के सुनसान रास्ते में आ गयी थी।
नमिता ने सुधाकर के पैंट के ऊपर से लौड़े को पकड़कर दबाते हुए कहा: वहाँ इसको तो बहुत खुराक मिली होगी?
सुधाकर उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रखा और दबाते हुए बोला: नहीं जान वहाँ कुछ नहीं हुआ। बड़ा प्यासा है यह। पर तुम तो अपनी बुर में पैड लगा ली हो।
नमिता: मुझे क्या पता था कि आप आने वाले हो नहीं तो मैं पैड नहीं लगाती।
सुधाकर: अच्छा तुम्हारे बस में है क्या?
इस पर दोनों हँसने लगे। तभी फ़ार्म हाउस आ गया। गॉर्ड ने सलाम ठोका और वो अंदर पहुँचे। सब नौकरों की छुट्टी हो चुकी थी। खाना फ्रिज में रखा था।
सोफ़े पर बैठते ही सुधाकर ने नमिता को अपनी गोद में खींच लिया और उसको अपने से लिपटा के उसके गाल चूमते हुए उसकी कान में जीभ फेरने लगा। नमिता भी उसको चूमने लगी । जल्दी ही उनके होंठ एक दूसरे से चिपक गए। अब नमिता ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी जिसे सुधाकर मस्ती से चूसने लगा।
उसके हाथ नमिता की जाँघों पर रेंग रहे थे। वह भी अब अपने पिछवाड़े में उसके लौड़े के कड़ेपन को महसूस कर रही थी।
सुधाकर ने नमिता के टॉप के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबायीं और नमिता ने उसका हाथ हटाया और बोली: आह आज नहीं, थोड़ी सेन्सिटिव हो जातीं हैं इन दिनों।
सुधाकर सारी बोलकर हाथ हटा लिया और उसके चूतरों को दबाने लगा।
अब नमिता उठी और उसके पैंट की बेल्ट खोलने लगी फिर उसने पैंट का हुक खोला और ज़िपर नीचे की। पैंट में से उसका उभरा हुआ टेंट साफ़ दिखाई दे रहा था।
अब नमिता ने उसकी पैंट उतारी जिसमें सुधाकर ने अपनी कमर उठाके उसकी मदद की। अब चड्डी में उसका उभार बहुत साफ़ दिख रहा था और चड्डी ने एक बूँद प्रीकम साफ़ चमक रहा था । नमिता ने उस गीले हिस्से को सूँघा और मस्ती से चाटने लगी। अब उसने चड्डी भी निकाली और उसे उतारकर एक तरफ़ रख दी। उसका लौड़ा पूरा खड़ा हो गया था और अब ऊपर नीचे हिल रहा था। नमिता ने उसके सुपाडे की चमड़ी को पीछे खिंचा और बैगनी रंग का सुपाड़ा किसी पहाड़ी आलू के माफ़िक़ उसके सामने हिल रहा था।
अब नमिता ने उसके बड़े बड़े बॉल्ज़ को अपने पंजे में लिया और उनको सहलाने लगी। फिर उसके लौड़े को लम्बे लम्बे स्ट्रोक देकर मज़े लेने लगी।
अब नमिता ने अपना सिर सुपाडे पर रखा और उसको मुँह में लेकर जीभ से चुभलाने लगी। सुधाकर अपनी कमर उछालकर हाय कर उठा। अब नमिता पूरे ज़ोर से उसके सुपाडे को चूसने लगी। फिर वह उसके बॉल्ज़ को भी एक एक करके चाटी और अब वह हाऽऽऽऽहहय नमिताआऽऽऽ कहकर बोला: हाय्य जाऽऽऽऽऽन क्या चूसती हो!
अब नमिता ने इसका पूरा लौड़ा चूसना शुरू किया। सुधाकर अपनी कमर उछालकर उसके मुँह को जैसे चोदने लगा। नमिता भी अब डीप थ्रोट का मज़ा देने लगी। सुधाकर चिल्लाने लगा: आऽऽऽऽऽऽह राआऽऽऽऽऽऽऽऽनी क्या मज़ाआऽऽऽऽऽ दे रही हो हाऽऽऽऽऽऽय्यय कोई रँडीइइइइइइइ भी ऐसा नहीं चूस सकतीइइइइइइइइ आऽऽऽझहह ह्म्म्म्म्म्म्म्म ।
अब नमिता उसके बॉल्ज़ को दबाने लगी और एक ऊँगली नीचे खिसका कर उसकी गाँड़ में डाल दी।
सुधाकर उछला और चिल्लाया: हाऽऽऽऽऽऽऽऽऽय्यय साआऽऽऽऽऽऽली क्या कर रहीइइइइइइ है? ह्म्म्म्म्म्म्म्म मादरचोओओओओओओओओओओद मेरीइइइइइइ गाँड़ मारेगी क्याआऽऽऽऽऽऽऽ ?
नमिता और ज़ोर से सिर हिलाने लगी और अब सुधाकर से रुका नहीं गया और वह चिल्लाया: ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म साऽऽऽऽऽऽली क़ुतियाआऽऽऽऽऽऽऽ मैं गयाआऽऽऽऽऽऽऽऽ। लेएएएएएएएएएए मेरा रस पीइइइइइइइइइइइइइ ले और ले और ले।
ये कहते हुए वह अपनी कमर हिलाकर उसके मुँह में अपना पूरा गाढ़ा रस पेल दिया। नमिता भी मज़े से उसका रस पी गयी और बाद में उसके सुपाडे और पूरे लौड़े को जीभ से चाट के साफ़ करने लगी।
सुधाकर मज़े से उसको अपना रस पीते हुए देख रहा था। अब वह उठी और बाथरूम से सफ़ाई करके आयी और एक आधा गीला तौलिया लायी और उसके लौड़ेको पहले गीले और बाद में सूखे तौलिए से पोंछीं।
सुधाकर को यह सब देखकर उसपर बहुत प्यार आया और वह बोला: रानी मैंने तुम्हें गाली दी, मुझे माफ़ कर दो।
नमिता हँसते हुए उसके बग़ल में बैठकर बोली: अरे उत्तेजना में आप जो भी बोले मुझे बड़ा मज़ा आया।
सुधाकर उसकी जाँघ पर हाथ फेरकर बोला: जान बहुत मज़ा दिया आज तुमने, सच क्या चूसती हो, मस्त हो गया मैं तो।
नमिता: चलो अब आप कुछ देर शांत तो रहोगे।
सुधाकर फिर उससे इधर उधर की बातें करने लगा। नमिता भी उसके नंगे लौड़े को बीच बीच में पकड़ कर हल्के से सहलाने लगती थी। पर लौड़ा अभी भी शांत ही था।
फिर सुधाकर बोला: नमिता मेरे प्रस्ताव पर विचार किया क्या?
नमिता: कौन से प्रस्ताव का?
सुधाकर: वही शादी का प्रस्ताव ?
नमिता: ओह वह बात , देखो आपको मैंने पहले ही कहा था कि मैं तो बिलकुल तय्यार हूँ बस बच्चों का सोच कर चुप हो जाती हूँ।
सुधाकर: अरे बच्चे भी मान जाएँगे वरना कहाँ जाएँगे?
नमिता: असल में बच्चे तो मान ही गए हैं। मनीष और राज से मेरी बात हो चुकी है।
सुधाकर: अरे तो फिर क्या समस्या है?
नमिता: समस्या बहुत बड़ी है और आपको बताने में मुझे झिझक हो रही है।
सुधाकर: अरे कैसी झिझक जान? बोल दो जो भी बात है।
नमिता: बात ही कुछ ऐसी है। सच में बताने में भी संकोच हो रहा है।
सुधाकर: अरे बता भी दो जान अब मेरे पेट में भी दर्द हो रहा है।
नमिता: चलिए बता देती हूँ फिर आपको जो करना हो वह कर लीजिएगा। दरअसल जब आप मुझसे दूर हो गए थे तब मनीष से मेरे सम्बंध हो गए थे। वह पागलों की तरह मेरे पीछे पड़ गया था और मुझे उसकी ज़िद के आगे झुकना ही पड़ा।
सुधाकर: मुझे इसका पता है , मैं जानता हूँ ये सब।
नमिता: ओह पर आप एक और बात नहीं जानते ।
सुधाकर: वह क्या?
नमिता: कैसे कहूँ अपने मुँह से ।आपको बड़ा अजीब लगेगा। अच्छा आपको याद है डॉक्टर गुप्ता से आपने मुझे मिलवाया था?
सुधाकर: हाँ याद है , हमने तुम्हारी चुदायी भी की थी।
नमिता हँसने लगी: हाँ उसी गुप्ता ने मेरे बेटे राज का इलाज किया और अंत में मुझे इस बात पर राजी किया कि मैं उसकी बात मान लूँ।
सुधाकर: कौन सी बात?
अब नमिता ने उसे पूरी कहानी सुनायी कि कैसे उसने त्याग किया और अपने बेटे का ध्यान वापस पढ़ाई में लायी और इसकी क्या क़ीमत चुकाई।
सुधाकर मुँह खोलकर बड़े ही आश्चर्य से उसकी पूरी कहानी सुना और बोला: ओह तो तुम माँ बेटे चुदायी करते हो आपस में?
अचानक नमिता ने महसूस किया कि सुधाकर का लंड अब पूरा खड़ा था उसके हाथ में।
वह समझ गयी कि माँ बेटे की चुदायी का सुनकर वह उत्तेजित हो चुका है।
सुधाकर: आऽऽह ये तो बड़ी रोमांटिक बात हुई माँ बेटे का प्यार ।
नमिता: अब मैंने आपको सब बता दिया अब बोलिए कि आप शादी करने को तय्यार हो?
सुधाकर: मेरे बच्चों को जब ऐतराज़ नहीं है तो मुझे क्या प्रॉब्लम हो सकती है?
नमिता: पर आप जानते हैं वो मुझे छोड़ेंगे नहीं ऐसा वो दोनों बोल चुके हैं। इसका अर्थ ये है कि मुझे तीनों के साथ सेक्स करना होगा। ये बड़ी अजीब सी स्तिथि नहीं होगी?
सुधाकर: हाँ होगी तो पर मुझे कोई ऐतराज़ नहीं होगा।
नमिता: पर मेरा भी सोचिए ना कि इस उम्र में अब मैं क्या तीन तीन मर्दों को सम्भाल लूँगी। मुझे तो नहीं लगता।
सुधाकर: अरे तुम सबको सम्भाल लोगी। पर एक समस्या है कि अनिक़ा मेरी बेटी ११थ में अड्मिशन यहाँ लेना चाहती है। अब तक वह अपनी नानी के घर में थी। उसके आने पर हम ये सब कैसे कर पाएँगे।
नमिता ने उसके लौड़े को सहलाते हुए कहा: आप उससे पिछली बार कब मिले?
सुधाकर: मैं साल में दो तीन बार उससे मिलता रहता हूँ।
नमिता: वह अच्छे से जवान हो गयी है ना?
सुधाकर चौंक कर उसको देखा और बोला: ये कैसा सवाल है?
नमिता: अरे बतायिये ना कितनी बड़ी चूचियाँ हैं उसकी?
सुधाकर: हम्म ये कैसा प्रश्न है ? मेरी बेटी है वो?
नमिता: बताइए ना कितनी बड़ी हैं चूचियाँ?
सुधाकर: अच्छी बड़ी हैं उसके उम्र के लिहाज़ से ।
नमिता: निम्बू है संतरे या सेब या अनार ?
सुधाकर के लौड़े ने उसकी हाथ में झटका मारा और वह बोला: अनार जैसे हैं।
नमिता: मस्त हैं ना?
सुधाकर: आह्ह्ह्ह्ह हाँ बहुत मस्त हैं।
नमिता उसके खड़े लौड़े को फिर से मुँह में लेकर चूसते हुए बोली: और क्या अच्छा लगता है उसका?
सुधाकर: उसके चूतर जींस में से बहुत गोल गोल दिखते हैं। आह्ह्ह्ह्ह्ह क्या चूस रही हो रानी।
नमिता ने लौड़ा मुँह से निकाला और बोली: आपको अच्छी लगती है वह?
सुधाकर: हाँ बिलकुल अपनी माँ पर गयी है। बहुत सेक्सी है वह ।
नमिता फिर से लौड़ा चूसने लगी।
फिर नमिता ने सिर उठाया और बोली: चोदना चाहतें हैं अपनी अनिक़ा बेटी को ?
सुधाकर के लौड़े ने फिर से झटका मारा और उसके मुँह से निकला: आऽऽऽह हाँ , मगर ये कैसे हो सकता है?
नमिता: क्यूँ नहीं हो सकता? जब हम माँ बेटा चुदायी कर सकते हैं तो आप बाप बेटी क्यों नहीं?
सुधाकर: आह्ह्ह्ह्ह पर ये कैसे होगा? वो मान जाएगी?
नमिता: मैं कुछ करूँगी उसको मना लूँगी।
अब सुधाकर का लौड़ा जैसे क़ाबू से बाहर होने लगा वह बहुत उत्तेजित हो चुका था।
वह बोला: आऽऽऽहहह चलो अब बिस्तर पर मुझे तुम्हारी गाँड़ मारता हूँ। मैं अब रुक नहीं सकता।
नमिता हँसते हुए बोली: लगता है बेटी को चोदने का सोच कर ही आप बहुत मस्त हो गए हैं।
बेडरूम में जाकर वह नीचे से नंगी हुई और बाथरूम में जाकर पैड निकालीं और फिर बुर और गाँड़ को साफ़ करके बाहर आइ और आकर क्रीम सुधाकर को दे दी।
फिर ख़ुद पेट के बल लेट गयी और अपने चूतरों को ऊपर कर दिया जैसे कल उसने अपने बेटे के लिए किया था।
सुधाकर ने क्रीम लेकर उसकी गाँड़ में अच्छी तरह से लगाया और फिर अपने लौड़े पर भी क्रीम लगाया और नमिता के चूतरों को दबाकर उनको चूमने लगा।
फिर उसने नमिता के चूतरों को फैलाया और उसकी गाँड़ में अपने मोटे सुपाडे को लगाया और दबाते हुए अंदर करता चला गया। नमिता की आऽऽहहह निकल गयी। फिर उसने नमिता की गाँड़ की ज़बरदस्त ठुकाई शुरू की। नमिता थोड़ी देर बाद मस्त हो गयी और उसने अपनी गाँड़ हिलाकर अपनी तरफ़ से ठुकाई में साथ देने लगे। पूरा पलंग चूँ चूँ करने लगा। नमिता की आऽऽऽहहह बता रही थी कि वह बड़ी मस्ती से फड़वा रही थी अपनी गाँड़।
अचानक नमिता ने मस्ती में पूछा : आप आँख बंद करके सोचो कि आप मुझे नहीं अनिक़ा को पेल रहे हो।
ये सुनते ही सुधाकर ह्म्म्म्म्म्म्म्म कहते हुए अपना रस उसके गाँड़ ने डालने लगा।
नमिता मुस्करायी और सोचने लगी कि यह महाशय तो अपनी बेटी को चोदने के लिए मरे जा रहे हैं।
नमिता और सुधाकर सफ़ाई करके आकर लेटे और बातें करने लगे।
नमिता: आपको अनिक़ा को मनीष और राज से भी चुदवाने में कोई इतराज तो नहीं होगा?
सुधाकर: क्या मतलब? ये कैसा सवाल है?
नमिता: देखिए जब हम एक घर में रहेंगे तो आप अकेले तो उसको नहीं चोद सकेंगे। उसके भाई भी उसे चोदना चाहेंगे।
सुधाकर: ओह ये तो मैंने सोचा ही नहीं। फिर क्या करें?
नमिता ने उसके नरम लौड़े से खेलते हुए बोली: मेरे हिसाब से तो इसने कोई बुराई नहीं है। आख़िर में सब घर के ही लोग होंगे। ये बात बाहर भी नहीं जाएगी। और मुझे तीन तीन साँड़ों का सामना अकेले नहीं करना पड़ेगा । अनिक़ा के कारण मुझे भी चुदायी में थोड़ा सा आराम मिल जाएगा।
नमिता ने महसूस किया कि फिर से उसके नरम लौड़े ने उसके हाथ ने झटका मारा मानो उसको नमिता की बात बहुत पसंद आयी।
अब सुधाकर नमिता को लिपटा कर बोला: रानी क्या ये सब सम्भव होगा?
नमिता: बिलकुल होगा और मेरा वादा है कि अनिक़ा की सील अगर टूटी नहीं होगी तो आप ही उसे तोड़ोगे।
नमिता ने महसूस किया कि उसका लौड़ा बार बार झटके मार रहा था उसके हाथ में। जैसे कह रहा हो क्या मस्त बात कही है आपने?????????
उसके बाद दोनों आराम किए और फिर वापस ऑफ़िस के लिए निकल गए खाना खा कर।
ऑफ़िस से नमिता उस दिन ३ बजे घर आयी तभी राज भी घर आया। नमिता की गोद में लेटकर उसने स्कूल की बातें बतायीं । फिर नमिता के पेट को चूमते हुए बोला: माँ अंकल से मिलीं ?
नमिता: हाँ मिली थी। तुझे कैसे पता?
राज: माँ कल मैंने आपकी उनसे हुई बात फ़ोन पर सुनी थी। मैं सोने का नाटक कर रहा था।
नमिता हँसते हुए बोली: बदमाश कहीं का । हाँ आज मेरी उनसे बात हो गयी है।
राज: माँ सिर्फ़ बात हुई या और कुछ भी हुआ?
नमिता हँसते हुए: हाँ बाबा सब कुछ हुआ । तुम मर्द लोग औरत को कहाँ चैन से रहने देते हो भले ही बिचारि का पिरीयड ही क्यूँ ना आया हो?
राज: माँ तो क्या उन्होंने भी आपकी गाँड़ मारी?
नमिता: और क्या मारते? दूसरी जगह तो पैड लगा है ना?
राज: ओह माँ , आपकी रात में मैंने मारी और अब दिन में अंकल ने , चलो आज मैं आपको और तंग नहीं करूँगा।
राज ने अपने लौड़े को पैंट के ऊपर से सहलाते हुए कहा।
नमिता हँसते हुए: थैंक यू बेटा।
राज: माँ भूक लगी है।
फिर दोनों खाना खाए।
राज: माँ शादी की बात हुई ?
नमिता: हाँ हुई। मैंने उनको बता दिया है कि तुमको और मनीष को कोई अब्जेक्शन नहीं है।
राज: पर क्या आपने बताया कि आप हम दोनों से भी लगवाती हो?
नमिता हँसते हुए: हाँ मैंने उनको जब बताया कि मैं तुमसे भी चुदवाती हूँ तो वो सकते में आ गए। मनीष का उनको पता था।
राज: हमारे सम्बन्धों के बारे में क्या बोले?
नमिता: कुछ नहीं, बस हैरान थे। फिर मैंने उनको भी सुझाव दिया कि वो भी अपनी बेटी से मज़ा ले लें।
राज: ओह तब क्या बोले?
नमिता मुस्कुराते हुए: बस पागल हो रहे हैं अपनी बेटी की लेने के लिए और क्या? और हाँ वह अनिका को तुमसे और मनीष से भी चुदवाने को तय्यार हैं।
अब राज हैरान होकर बोला: क्या कह रही हो माँ, वह तो अभी छोटी है ना?
नमिता: कोई छोटी नहीं है। उसके दूध अनार जितने बड़े हो गए हैं, उसके पापा ने ही बताया है।
राज: उसके पापा उसके अनार देखते रहते हैं क्या?
नमिता: लगता तो ऐसा ही है।
राज: तभी आपकी ये बात उन्होंने मान लीं।
अब नमिता आराम करने चली गयी। राज पढ़ने बैठा।
शाम को चाय पीकर राज खेलने चला गया। नमिता को फ़ोन आया मनीष का ।
नमिता: हेलो कैसे हो?
मनीष: आंटी आप कैसी हो?
नमिता: मैं ठीक हूँ । तुम कब आए?
मनीष: बस अभी २ घंटे पहले। अभी अभी पापा ने ख़ुशख़बरी दी कि आप दोनों शादी कर रहे हो।
नमिता: अच्छा उन्होंने तुमको बता भी दिया। और क्या क्या बताया?
मनीष हँसते हुए : और ये भी बताया कि मैं आपको शादी के बाद भी चोद सकता हूँ।
नमिता: ओह ये भी बता दिया? और क्या बताया?
मनीष: एक बात ये भी बताई कि कि आप राज से भी चुदवा रही हो। ये मेरे लिए एक अजीब ख़बर थी। पर मैंने उसे भी पचा ही लिया।
नमिता: और क्या बताया?
मनीष: ये सब क्या कम है? और क्या रहा बताने को?
नमिता: हा हा ये भी हो सकता है कि अभी भी कुछ ना बताया है।
मनीष: आंटी आपने राज से बात की?
नमिता: हाँ वह बिलकुल तय्यार है।
मनीष: आंटी फिर तो उसको ये भी मालूम होगा कि मैं और आप मज़े करते हैं।
नमिता: ये उसको पहले से ही पता है। उसने हम दोनों के sms पढ़ लिए थे तभी।
मनीष: आंटी जब उसे सब पता चल ही गया है तो मैं क्या आज आपसे मिलने आपके घर पर आ जाऊँ?
नमिता हैरान होकर: ऐसे कैसे आ जाओगे?
मनीष: सच आंटी बहुत दिन हो गए आपसे मिले। मैं तो मूठ्ठ मार मार के परेशान हो गया हूँ। प्लीज़ आज आने दीजिए ना अपने घर।
नमिता: पता नहीं राज क्या सोचेगा, और वैसे भी मेरा पिरीयड्ज़ आया हुआ है।
मनीष: ओह आंटी , उससे क्या होता है, पहले भी आपने मैंने आपको पिरीयड्ज़ के समय पीछे से किया है। प्लीज़ आने दीजिए ना।
नमिता: एक काम करो अभी राज खेलने गया है । वह एक घंटे में आएगा तब लैंड लाइन पर फ़ोन करके उससे बात करना। देखो वह क्या बोलता है?
मनीष ख़ुश होकर: मैं उसे तो मना ही लूँगा।
नमिता: चलो मुझे खाना बनाना है, रखती हूँ।
मनीष: आंटी मेरे लिए भी बनाइएगा , मैं भी डिनर आपके साथ ही करूँगा।
नमिता ने हँसते हुए फ़ोन काट दिया।
खाना बना कर पसीना पोंछते हुए वह सोफ़े पर बैठी TV देख रही थी और हमेशा की तरह वह ब्लाउस और पेटिकोट में ही थी। जब राज वापस आया तब वह भी पसीने से लाथपथ था।
नमिता: आज लगता है मैदान में बहुत पसीना बहाया है?
राज: हाँ माँ फ़ुट्बॉल में पसीना तो निकलता ही है।
यह कहते हुए उसने नमिता के हाथ से तौलिया लिया और उसे सूंघकर बोला: माँ इसमें से आपके पसीने की मस्त गंध आ रही है। फिर उसने नमिता की बग़ल उठाई और उसे सूँघने लगा। नमिता हँसने लगी। फिर वह तौलिए को फिर से सूंघकर मुस्कुराते हुए अपना पसीना पोंछने लगा।
नमिता उसे प्यार से देख रही थी । आजकल लगातार खेलने के कारण उसका शरीर और भी ज़्यादा मर्दाना दिखने लगा था।
फिर वह उठ कर बाथरूम गया, और नमिता ने वह तौलिया उठकर सूँघा और उसके मर्दाने गंध से मस्त होकर अपनी जाँघों को दबा ली।
मुँह हाथ धोकर राज ने अपने कपड़े बदल लिए थे और आकर बोला: माँ मैं पढ़ने जा रहा हूँ।
नमिता: ठीक है बेटा।
नमिता ने उसे नहीं बताया कि मनीष का फ़ोन आया था और शायद फिर से आएगा।
थोड़ी देर बाद नमिता अपने कमरे में कपड़े प्रेस करने लगे। तभी लैंड लाइन की फ़ोन की घंटी बजी । नमिता उठकर बेडरूम के फ़ोन के पास आयी और इंतज़ार करने लगी कि राज आए और ड्रॉइंग रूम का फ़ोन उठाए।
राज चिल्लाकर बोला: माँ फ़ोन सुनो ना।
नमिता ने कुछ नहीं किया और चुपचाप खड़ी रही।
फिर उसे राज के आने की आवाज़ सुनायी दी और राज ने ड्रॉइंग रूम में आकर फ़ोन उठाया। तभी नमिता ने भी फ़ोन उठा लिया।
अब नमिता राज और मनीष की बातें सुन सकती थी।
राज: हेलो कौन?
मनीष: हाय क्या हाल है राज?
राज: अरे भय्या आप?
मनीष: हाँ भाई मैं ही बोल रहा हूँ। सुनाओ कैसे हो?
फिर उन दोनों ने कुछ इधर उधर की बातें कीं ।
फिर मनीष असली मुद्दे पर आया और बोला: आंटी ने तुम्हें बताया कि वो और मेरे पापा शादी का सोच रहे हैं?
राज: हाँ बताया है। आपको तो कोई इतराज नहीं है ना?
मनीष: नहीं मुझे तो ख़ुशी होगी। तुमको कोई इतराज है क्या?
राज: नहीं मुझे भी ख़ुशी ही होगी।
मनीष: चलो ये बढ़िया हुआ। हाँ एक बात और करनी है , कल पापा बताए कि तुम आंटी के साथ सेक्स करते हो? और ये बात पापा को आंटी ने ही बतायी है।
राज एक पल के लिए चुप हो गया, फिर बोला: हाँ ये सही है। असल में मैं हमेशा माँ को चो- मतलब सेक्स करने का सोचता था और मेरी पढ़ाई बर्बाद हो रही थी तो एक डॉक्टर ने माँ को समझाया कि अगर अपने बेटे को बरबाद होने से बचाना है तो वो जो चाहता है उसे दे दो।
मनीष: ओह तबसे तुम आंटी को चोदने लगे?
नमिता मुस्करायी ये सोच कर कि मनीष ने जानबूझकर इस शब्द का उपयोग किया है।
राज: हाँ भय्या ।
मनीष: ओह, मुझे आंटी ने ये भी बताया था कि तुम मेरे आंटी को लिखे sms भी पढ़ते थे? सच है ना?
राज: हाँ सच है मुझे पता है कि आप भी माँ को चो- चोदते हो।
नमिता ने नोटिस किया कि अब राज भी उसी शब्द का उपयोग कर रहा था।
मनीष: यह सिर्फ़ तुम्हें नहीं बल्कि पापा को भी पता है कि हम दोनों आंटी को चोद रहे हैं।
राज: ओह, फिर भी वह माँ से शादी करने को तय्यार हैं?
मनीष: वह बोले हैं कि उनको कोई आपत्ति नहीं है अगर हम शादी के बाद भी आंटी को चोदें ।
राज: ओह ऐसा क्या?
मनीष: बल्कि वह तो चाहते हैं कि उनको हम तीनों एक साथ चोदें ।
राज: ओह ऐसा क्या?
मनीष: हाँ ऐसा ही है। अच्छा एक बात बताओ ये सब सुनकर ये तो समझ में आ गया कि नहीं कि आंटी हम सबकी साँझी बीवी होगी?
राज: हाँ लगता तो ऐसा ही है।
मनीष: तो फिर क्यों ना आज से ही शुरुआत करें?
राज: मतलब?
मनीष: मतलब यह कि अगर तुम इजाज़त दो तो मैं आज की रात तुम्हारे घर बिताना चाहता हूँ। तुम और मैं मिलकर आंटी को चोदेंगे।
राज: ओह मगर ये तो माँ को डिसाइड करना है कि वह ये चाहती है या नहीं।
मनीष: अरे वाह मान जाएँगी बस तुम्हारी हाँ चाहिए।
राज का लौड़ा पूरा खड़ा हो चुका था वह उसको मसलते हुए बोला: आप माँ से बात कर लो मुझे क्या आपत्ति हो सकती है भला।
मनीष: चलो फिर मैं उनसे बात करके आता हूँ, ठीक है ना?
राज : हाँ ठीक है, पर उनका पिरीयड चल रहा है, ये ध्यान रखना।
मनीष हँसते हुए: अरे बाक़ी के दो छेद तो हैं ना और हम दोनों के पास कुल दो लंड ही है ना?
राज भी हँसने लगा।
नमिता के हाथ अपनी बुर के ऊपर चले गए क्योंकि वह बहुत उत्तेजित हो चुकी थी।
फिर उसने सुना कि फ़ोन कट गया है। उसने भी जल्दी से फ़ोन रख दिया।
तभी अपना लौड़ा सहलाते हुए राज अंदर आया और बोला: माँ मनीष भय्या अभी आपको फ़ोन करेंगे और आज की रात यहाँ आने को बोलेंगे और वो आपको मेरे साथ चोदना चाहते हैं।
नमिता ने हैरानी का दिखावा किया और बोली: ये क्या बात हुई? ऐसा क्यों बोल रहा है वो?
राज: माँ उनका कहना है कि जब पापा को कोई ऐतराज़ नहीं है तो क्या फ़र्क़ पड़ता है।
नमिता: तुम्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता?
राज: नहीं माँ बल्कि देखो मेरा लौड़ा कैसे खड़ा है उसकी बात सुनकर।
तभी नमिता की मोबाइल की घंटी बजी।
मनीष: आंटी राज मान गया है मैं आ जाऊँ?
नमिता: हाँ शायद तुमने उससे बात की है वह मेरे पास ही खड़ा है । ठीक है आ जाओ और खाना भी यहीं खाना। ठीक है?
मनीष: हाँ आंटी ठीक है मैं आ रहा हूँ।
उसने फ़ोन काट दिया।
अब राज आया और नमिता को अपनी बाँहों में लेकर बोला: माँ आज से हमारे नए परिवार कि सामूहिक चुदायी शुरू?
नमिता: हाँ लगता तो ऐसा ही है?
और वो दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और मनीष का इंतज़ार करने लगे।
नमिता और राज जब दीर्घ चुम्बन में गुँथें हुए थे तभी दरवाज़े के घंटी बजी। राज अपने लौड़े को अजस्ट किया और दरवाज़ा खोला , सामने मनीष खड़ा था। वह अंदर आया और दोनों एक दूसरे को गले लगकर मिले। दोनों ने अपने निचले हिस्से को एक दूसरे से दूर रखा क्योंकि दोनों के ही लौड़े तने हे थे। मनीष भी सारे रास्ते नमिता की चुदायी का सोचकर उत्तेजित था।
अब दोनों नमिता के पास आए और वह भी आगे बढ़कर मनीष को अपने से लिपटा ली और उसके गाल चूम लिया।
मनीष भी नमिता को चूमते हुए उसको बोला: आंटी, आज कितने दिनों बाद आपको देखा है, आप तो पहले से भी सुंदर हो गयी हो।
नमिता: तुम भी पहले से तगड़े हो गए हो।
नमिता ने उसकी मस्कूलर बाहों को सहलाते हुए कहा।
फिर नमिता बोली: चलो खाना खाते हैं।
मनीष: नहीं आंटी पहले प्यार करेंगे, फिर खाना खाएँगे और फिर रात भर प्यार करेंगे। क्यों राज क्या बोलते हो?
राज: हाँ भय्या आप सही कह रहे हो। पहले मज़े करते हैं। खाना बाद ने खाएँगे।
नमिता: चलो अब तुम दोनों यही चाहते हो तो यही सही। थोड़ा सा जूस तो ले लो।
राज: हाँ भय्या मैं जूस लाता हूँ।
मनीष : हाँ जूस चलेगा।
राज किचन से तीन गिलास में जूस लाया।
नमिता अब मनीष की गोद में बैठी थी। और वो उसे चूमे जा रहा था।
राज ने दोनों को जूस दिया और ख़ुद भी उनके बग़ल में बैठ कर पीने लगा।
नमिता: मनीष, तुम पापा को बता कर आए हो यहाँ?
मनीष: मैं कोई बच्चा नहीं हूँ कि पापा से पूछे बिना कोई काम नहीं करूँ।
राज: भय्या कहीं आपके पापा आपको ढूँढेंगे तो नहीं ?
मनीष: अरे फ़ोन लगा लेंगे और मैं बता दूँगा कि मैं उनकी बीवी के साथ हूँ।
नमिता : अभी हमारी शादी नहीं हुई है, ठीक है?
सब हँसने लगे। सबने जूस पी लिया था।
अब मनीष बोला: आंटी एक बात बोलनी है?
नमिता: हाँ बोलो?
मनीष: मैं आपको मम्मी बोल सकता हूँ?
नमिता: अरे क्यों नहीं? अब जल्दी ही मैं तुम्हारी मम्मी बन ही जाऊँगी। तो आज क्यों नहीं।
मनीष: थैंक यू मम्मी। आप बहुत अच्छी हैं।
अब मनीष बोला: मम्मी अब दूध पिलाइए ना अपने दोनों बेटों को।
राज भी बोला: हाँ माँ प्लीज़ अपना ब्लाउस उतार दीजिए ना।
नमिता: क्यों तुम दोनों के हाथ नहीं हैं क्या? ख़ुद ही निकालो ।
मनीष ने ख़ुश होकर उसके ब्लाउस के हुक्स खोलने शुरू किया और नमिता ने उसको निकालने में उसे मदद की।
अब नमिता के दोनों दूध बाहर आकर दोनों लड़कों के सामने थे।
अब नमिता उठ कर मनीष और राज के बीच में बैठ गयी।
उसके बड़े बड़े गोरे दूध हिल रहे थे। उत्तेजना से उसके दोनों निप्पल्स भी तन गए थे।
अब राज ने कहा: माँ अपने दोनों बेटों को दूध पिला दो ना।
अब राज ने अपना मुँह नमिता के एक दूध की तरफ़ किया, और नमिता ने अपने एक दूध को पकड़कर उसके मुँह में लगा दिया। फिर उसने अपना दूसरा दूध भी उठाकर मनीष की तरफ़ बढ़ाया और मनीष ने उसे अपने मुँह में ले लिया । अब दोनों लड़के एक एक दूध पीने लगे। नमिता की आँखें मज़े से बंद होने लगी और वह सिसकारियाँ भरने लगी। राज का हाथ नमिता के पेट पर रेंगने लगा। मनीष भी नमिता की जाँघ सहलाए जा रहा था। दोनों ज़ोर ज़ोर से दूध चूस रहे थे और निप्पल को भी जीभ और दाँत से काटकर नमिता को मस्ती की ऊँचाइयों की ओर के जा रहे थे।
राज का हाथ भी नमिता के पेटिकोट के नाड़े को खोलने लगा। मनीष ने पेटिकोट को नीचे खिसकाया और नमिता ने अपने चूतर उठाकर पेटिकोट निकालने में मदद की। अब वह एक पैंटी में थी और दोनों उसकी गदराइ जाँघ को सहलाकर मस्त हो रहे थे।
दोनों का हाथ उसकी जाँघों की जोड़ पर पहुँचा और वो उसकी पैंटी के ऊपर से उसके पैड को महसूस किए। फिर वो उसके चूतरों को दबाने लगे।
नमिता बोली: अरे तुमने मुझे तो नंगी कर दिया और ख़ुद कपड़े पहने बैठे हो। चलो उठो और उतारो।
मनीष: मम्मी दूध को मुँह से निकालने की इच्छा ही नहीं हो रही है।
नमिता हँसते हुए बोली: रात को मुँह में लेकर सो जाना। ठीक है?
मनीष: आह मम्मी सच में ऐसे ही सोऊँगा।
राज: मैं भी कई बार ऐसे ही मुँह में लेकर सो जाता हूँ।
अब राज और मनीष खड़े हुए और अपने कपड़े खोल दिए। उनके तगड़े बदन को देखकर नमिता की बुर इस हाल में भी खुजा उठी। फिर उन दोनों को चड्डी में देखकर वह मस्ती से अपने एक एक हाथ में उनके लौड़े को चड्डी के ऊपर से पकड़ ली। फिर वह अपने नाक को मनीष की चड्डी के ऊपर के जाके उसके लौड़े को सूंघी और फिर वह राज का भी ऐसे ही सूंघी। अब उसने मनीष की चड्डी उतारी और उसके लौड़े को सहला दी।
फिर उसने राज की भी चड्डी खोली और उसके लौड़े को भी सहलायी। अब वह अपना मुँह खोलकर मनीष के लौड़े को चाटा और फिर उसे चूसने लगी। वह बैठे हुए मज़े से लौड़ा चूस रही थी।
फिर उसने मनीष का लौड़ा सहलाया और राज का लौड़ा चूसने लगी। इस तरह वह बारी बारी से दोनों के लौड़े चूसे जा रही थी और सहला भी रही थी। दोनों उत्तेजना के चरम सीमा पर आ गए थे।
मनीष: आह्ह्ह्ह्ह मम्मी चलो बिस्तर पर अब आपको चोदेंगे।
राज: हाँ माँ अब रुका नहीं जा रहा।
नमिता: चलो बेडरूम में चलते हैं।
मनीष ने नमिता को अपने गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया। नमिता उठकर बोली: बाथरूम से आती हूँ।
वह वहाँ जाकर पैड निकाली और फिर सफ़ाई करके वापस आयी।
तब तक दोनों बिस्तर पर लेट के अपने अपने लौड़े सहला रहे थे। नमिता को उन्होंने अपने बीच में लिटाया और फिर उसकी चूचियों पर टूट पड़े। उनका हाथ नमिता की जाँघों पर भी रेंग रहा था। फिर उन्होंने उसकी बाहें उठायीं और उसकी बग़लों को चाटने और चूमने लगे। नमिता हाऽऽऽऽय्य करने लगी थी ।
फिर वह बारी बारी से उसके होंठ भी चूसे और उसके पेट को भी चूमे और उसकी नाभि में भी जीभ फिराए। नीचे जाकर उसकी जाँघों पर भी अपनी जीभ फिर रहे थे। तभी मनीष ने नमिता को लुढ़का कर पेट के बल कर दिया। अब दोनों उसकी एक एक जाँघ को पीछे से चूम और चाट रहे थे। नामिता अब आऽऽहहह करने लगी थी।
अब उसके एक एक चूतर को वो दबाने लगे और फिर उसे चूमने और काटने भी लगे।
नमिता :आऽऽह्ह्ह्ह्ह क्या खा ही जाओगे मुझे आऽऽऽऽऽज?
राज: माँ आज तो सच में खाने की ही इच्छा हो रही है आपको।
मनीष: मम्मी आप चीज़ ही हो खाने लायक।
अब मनीष ने अपना मुँह चूतरों की फाँकों के बीच डाल दिया और उसकी गाँड़ के छेद को चाटने लगा। राज अब उसकी पीठ को चूम और चाट रहा था।
जल्दी ही नमिता आऽऽऽऽहहहह करके अपने चूतर उठा कर अपनी मस्ती को व्यक्त करने लगी
To be continue