मेरा नाम रेहाना ,उम्र 45 साल , शरीर सुडौल तथा रंग गेहुंआ है । में उत्तर भारत के शहर बरेली में रहती हूं , मेरे दो बच्चे हैं , बेटा आसिफ जिसकी उम्र 21 है तथा स्थानीय कॉलेज से एम काम कर रहा है तथा बेटी नाजिया जिसकी उम्र 19 साल है एम बी बी एस कर रही है तथा हास्टल में रहती है। मेरे पति जिनका नाम उस्मान है वो सिंगापुर में काम करते हैं तथा पहले तो हर साल घर आते थे परन्तु अब पिछले 3 साल से नहीं आए हैं , मगर हर महीने एक अच्छी खासी रकम नियमित रुप से भेजते हैं , जिससे ना केवल हमारा खर्च ठीक से चलता है बल्कि अच्छी खासी बचत भी हो जाती है। घर में किसी बात कि अगर कमी है तो अकेले पन की , बच्चे अपनी पढ़ाई में व्यस्त रहते हैं, पति साथ रहते नहीं तो एक औरत की जो शारीरिक जरूरतें होती है वो भी पूरी नहीं हो पाती , उसके लिए मेरा सहारा बैंगन , खीरे , मूली , आदी ही रहते हैं। चूंकि मैं थोड़ी धार्मिक महिला हूं इसलिए मेने कभी भी किसी पराए पुरुष से सम्बन्ध बनाने की नहीं सोची। मगर एक दिन मेरी जिंदगी में ऐसा तुफान आया जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया।
सितम्बर की दोपहर थी में अपने बिस्तर पर लेटी अपनी साड़ी कमर तक चढ़ा अंग्रेजी फिल्म देखते हुए अपनी चूत सहला रही थी । तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, मेंने सोचा आसिफ आ गया, जल्दी से अपनी साड़ी ठीक करते हुए मेंने दरवाजा खोला, सामने आसिफ को दोस्त रमेश खड़ा था जो अक्सर ही हमारे आता जाता रहता था।
नमस्कार आंटी , कहां है हमारे नवाबजादे , रमेश ने मुस्कराते हुए पूछा।
में तो खुद परेशान हूं , सुबह कालेज गया था, तब से आया ही नहीं , में तो सोच रही थी तेरे साथ होगा।
तुम उसके दोस्त हो उसे समझाओ, आजकल पता नहीं कहां घूमता रहता है। जब घर में होता है तब भी गुमसुम रहता है, अपने कमरे से निकलता ही नहीं। में बहुत परेशान हो जाती हूं। मेंने चिंतित होते हुए कहा।
नहीं आंटी ठीक बात है आप को चिंता हो जाती है, में उसे समझाऊंगा .... आप कैसी हो आप तो ये बताओ , मेंने देखा ये पूछते हुए रमेश की आंखों में अजीब सी चमक थी।
में : बस बेटा ठीक ठाक , किसी तरह टाइम कट रहा है।
रमेश: ऐसे क्यों बोल रही हो आंटी को परेशानी है क्या ?
नहीं दिक्कत कुछ नहीं, आसिफ पूरा दिन गायब रहता है, इतने बड़े घर में दिन भर अकेले पड़े पड़े मन घबराता है .. मेंने कहा , अब मेरे दिल में भी कुछ कुछ होने लगा था।
आंटी आप शादी क्यों नहीं कर लेती ... रमेश मुस्कराते हुए बोला।
अरे कोई औरत दो शादियां कैसे कर सकती है बेटा, तेरे को तो पता है , मेरे खाविंद यानी आसिफ के अब्बू सिंगापुर रहते हैं .... मेंने कहा
रमेश: आप को छोड़ कर पता नहीं कैसे इतनी दूर रह पाते होंगे
में: बेटा मर्द का क्या भरोसा वहां दूसरी रख ली हो , वैसे वो चार शादियां तो कर ही सकते हैं।
अब मैं भी रमेश का मन टटोलना चाहती थी
रमेश: आंटी आप इतनी खूबसूरत हो , सेक्सी हो आपको कोई कैसे छोड़ सकता है , आपने अपने आप को इतना मेनटेन कर रखा है कि बड़ी बड़ी हीरोइनें भी आप के आगे कुछ नहीं... तो आप इतनी दुखी क्यों हो।
में समझी रही थी कि रमेश ने मुझ पर डोरे डालने शुरु कर दिये है
में: बेटा मुझ 45 साल की बुड्ढी को कौन पूछता है।
रमेश : आंटी क्या बात करती हो आप , आप तो एकदम हाट हो , इतनी स्लिम ट्रिम, इतना अच्छा फिगर है आपका, आप को देख कर कोई भी लट्टू हो जाए।
में समझी गई ये पूरी तरह मुझे अपने जाल में फंसाने के चक्कर में हैं
में : बेटे वो तो मैं शुरू से स्पोर्ट्स में रही इसलिए शरीर ऐसा है , मगर इसका क्या फायदा,जब मन उदास हो , आपका साथी ही आपके साथ ना रहता हो।
रमेश : आंटी जब साथी कहीं और किसी और के साथ मजे कर रहा हो तो आपको भी किसी और के साथ मजे करने का हक है।
रमेश धीरे धीरे अपने रंग में आने लगा था।
में : बेटा हमऔरतों को ये इजाजत नहीं। बहुत बंदिशें है, हम को अपने खाविंद कि वफादार रहने का हुक्म है।
में भी अपनी आवाज में बेचारगी ले आयी थी ताकि वो कुछ और आगे बढे।
रमेश: आंटी वफादारी से ज्यादा जरूरी है खुशी, आपका खुश रहना जरूरी है। आपके पति किसी और के साथ रंगरेलियां मनाएं और आप अपनी जवानी बर्बाद करो ये ठीक नहीं है।
रमेश की बातें सुनकर मेरे मन में लड्डू फ़ूटने लगे, में समझ गई कि आज तो ये मुझ पर चढ़ने के इरादे से आया है। फिर भी मैं एकदम से सरेंडर करना नहीं चाहती थी।
में : मुझे समझ नहीं आता क्या करूं, चल चाय पियेगा में तेरे लिए चाय बनाकर लाती हूं।
रमेश: अरे आंटी में चाय नहीं पीता , में तो दूध पीता हूं , वो भी ताजा।
मेंने रमेश के चेहरे पर उत्तेजना की एक लहर सी देखी , मेंने महसूस किया कि वो कांपते हुए हाथ से मेरी जांघ सहला रहा है। फिर भी मैं अनजान बनते हुए बोली।
में : बेटा अब ताजा दुध कहां से लाऊं बता।
रमेश: आप गुस्सा तो नहीं करोगी ना ।
में : नहीं , बेटा तू कहना क्या चाह रहा है ये तो बता। और तू मेरी जांघों को क्यों सहला रहा , क्या होगया ?
रमेश : आंटी आपके बूब्स से भी ताजा मिल सकता है, और आप इतनी सुन्दर हो कि कंट्रोल नहीं हो रहा में क्या करूं
में : ये तुम कैसी बातें कर रहे हो , तुम मेरे बेटे के समान हो । अरे अरे छोड़ो मुझे, उईईईईई इतनी तेज क्यों दबा रहे हो , मेरे बूब्स छोड़ो , दर्द हो रहा है । ऐसा करना हराम है , हम दोजख में जलेंगे।
अचानक जैसे रमेश को दौरा सा पड़ गया , वो बुरी तरह मेरे से चिपक गया और दोनों हाथों से मेरे बूब्स मसलने लगा , मेरे उत्तेजना के साथ साथ दर्द से भी बुरे हाल थे , मेंने उसे परे धकेलने की कोशिश की तो उसने अपने दोनों हाथ मेरे पीछे ले जाकर मेरे कूल्हे जकड़ लिये और जोर जोर से मसलने लगा।
रमेश : कोई दोजख नहीं आंटी सब झूठ है, में जानता हूं कि आप भी अंदर से तड़फ रही हो । क्या फायदा बाहरी दिखावे से । आज आप को असली लंड का स्वाद दूंगा।
रमेश का जूनून बढ़ता जा रहा था उसने मेरे को कस कर दबोचा हुआ था।
में : रमेश औह छोड़ मुझे , मुझे नहीं चाहिए कोई स्वाद , मानता क्यों नहीं ईईईईई मेरे दर्द हो रहा है , तेरे मम्मी पापा से शिकायत करूंगी , आईईईई तूने मेरा सारा ब्लाउज फाड़ डाला। ऊऊऊ दूर हट मेरे से।
रमेश : मान जाओ आंटी अपनी रानी बना कर रखूंगा,आपकी तन्हाई दूर कर दूंगा , आपको इस लंड पर झूला झूलाऊगा, आहहह क्या कर रही हो यहां से अंदर चलो , बेडरूम कहां है आंटी।
में समझ गयी की वो अपने होश खो चुका है , इसलिए अनर्गल बातें बोल रहा है , और आज ये मुझे चोदे बिना छोड़ेगा नहीं। मुझे समझ नहीं आ रहा था क्या करूं। वो मुझे झंझोडे जा रहा था।
में : औहहहह तूने मेरी ब्रा का स्ट्रैप भी तोड़ दिया, ऊईईईईईई इतना जोर से क्यों काट रहा है मेरी चूची को हाययययय रे थोड़ा आराम से ही पीले। किसी को पता चला तो मैं कहीं की नहीं रहूंगी।