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Incest दबी हुई वासना

sunoanuj

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Raghu

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रमेश: हाय , आंटी तू तो तीन महीनों में बहुत मोटी हो गई , रमेश मेरे पूरे शरीर पर हाथ फेरते हुए बोला। आसिफ बहुत ज्यादा पेलता है क्या।

में : हां, दिन में दो से तीन बार तो चोद ही देता है , उसकी मां हूं उसका पूरा हक बनता है ।.... में मोटी हो कर अच्छी नहीं लग रही क्या?

रमेश : अरे क्या बात कर रही है , जितनी मोटी रगड़ाई और चुदाई करने में उतना ही मज़ा , ।

में : तो क्या में तुम्हारे लिए सिर्फ चुदाई का सामान हूं , में थोड़े उदास स्वर में बोली । मेरे हाथ रमेश के लंड से खेल रहे थे ,

रमेश : अरे नही आंटी क्या बात करती हो , में तो तुम से बेहद प्यार करता हूं ।.....कह कर रमेश ने मुझे अपनी बाहों में कस कर दबोच लिया , उसका सुपाड़ा मेरी गोल गहरी नाभि में घुस रहा था।

में : आईईईई , ये देखो ये कहां घुसे जा रहा है, में उसके लंड को पकड़ते हुए बोली।

रमेश : आंटी , आपका पेट तो काफी निकल आया। ... इसमें किसी से बच्चा रखवा लिया क्या । आसिफ मेरे उभरे हुए गुलाबी पेट पर अपने लंड को खिसते हुए बोला

में : मेरे राजा बच्चा तो मेंने तेरे से ही रखवाना है , और मौका भी बहुत बढ़िया है , अब बच्चा डाल कर ही जाना। ..... मेंने रमेश के कूल्हे पकड़ कर खिंचते हुए, अपने से और चिपका लिया , उसका लंड मेरे पेट में धंसा हुआ था।

रमेश ने मुझे बांहों में कस लिया और इस तरह जोर लगाने लगा जैसे पेशाब करना चाहता हो , तभी मुझे अपने पेट पर चिकना चिकना गर्म पदार्थ फैलता हुआ महसूस हुआ , ये रमेश का प्रीकम था, .....अब रमेश ने खड़े खड़े ही अपनी कमर चला कर , अपने लंड को मेरे पेट पर घिसना शुरू कर दिया था।...... आहहहहह मेरी मेरी रानी तेरा पेट कितना मुलायम और सुंदर है ....औहहहहहह ..... में तो आज इसको ही चोद दूंगा ..... औहहहहहह मेरी जान बहुत अच्छा लग रहा है ....ऊऊऊऊऊ ऐसा तो कभी मेंने सोचा भी नहीं था।

रमेश बेतहाशा धक्के लगाए जा रहा था, उसने मेरे पेट को अपने लंड पर कस कर दबाया हुआ था और तेजी से अपने लंड को घिसे जा रहा था , मेरे दोनों हाथ उसके कूल्हों को सहला रहें थे .... में उससे बिल्कुल ऐसे चिपकी हुई थी जैसे छिपकली दीवार पर चुटकी होती है , मेंने अपना चेहरा उसके सीने में गड़ा या हुआ था और धीरे धीरे सिसकारियां भर रही थीं.....सीईईईईईई आहहहह मेरे राजा आपका साथ मुझे बहुत अच्छा लगता है ....आहहहहह मेरी जान ....ऊऊऊऊऊऊ आपने तो मेरे पेट को ही चोद दिया ....कितने दिनों बाद आएं हो ... आहहहहह मगर मैं चूत नहीं दे पाई।

आहहहह मेरी रंडी बहनचोद चूत क्या तेरा ये पूरा मखमली बदन ही चूत है.....आहहहहह जहां मर्जी लंड रगड़ लो चूत सा मजा आता है ।

आहहहह मेरे राजा ये सारा बदन आप ही का है जैसे मर्जी भोगों , .....आहहहह में कोन होती हूं कुछ कहने वाली ....पेट , चूत , गांड़ , जांघें, मुंह , बगल जो मर्जी हो चोदो ..... मगर कभी मुझे कभी मत जाना , नहीं तो मैं आपकी जुदाई में मर जाऊंगी .... में रमेश की पीठ सहलाते हुए बोली।

आआआआआ .... मेरी कुतिया तेरे से तो मेंने बच्चे पैदा करने है ,.... आहहह अपने बच्चों की मां को कोई भूलता है क्या..... बहनचोद तेरे को तो मैं हमेशा अपनी रानी बना कर रखूंगा।

रमेश ने जोश में आकर मेरे कंधे पर जोर से काट लिया और मुझे और भी जोर से भींच कर धक्के लगाने लगा ...आहहहह आहहहह

ऊईईईईईईईईई मां काटते क्यों हो जी ...ईईईईईई इतनी जोर से मत भींचो , थोड़ा ढीला छोड़ दो। उफ...आहहहह मेरे पेट में दर्द हो रहा है... ईईईईई दम भी घुट रहा है।

आहहहहह मेरी जान थोड़ी देर दर्द सह ले....औऔऔऔ तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती .... बहुत अच्छा लग रहा है मेरी रानी ..... तूने मुझे जन्नत का सुख दिया है आहहहह

रमेश की बातें सुनकर मैं भावुक हो गईं..... हाय रे मेरे राजा आपके लिए तो जान भी हाज़िर है..... ऊईईईईईई कुचल दो इस बदन को ये आपका ही है ....

में रमेश के कूल्हे बुरी तरह मसल रही थी.....आहहहह मारो और तेज और ....ऊईईईईईई और जोर से पीस दो मुझे, घुसेड़ दो अपने लंड को पेट पर से ही मेरे अंदर.... में अनाप-शनाप चिल्ला रही थी।

रमेश ने अचानक धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी थी..... हाय रे मेरी रांड मेरा निकलने वाला है

ऊऊऊऊऊऊ मेरी कुतिया में झडने वाला हूं...... रंडी तू किसी हूर से कम नहीं है, बहुत सुख देती है....आहहह आहहह मेरी रंडी में गया रे आहहहहह आहहहह ...... रमेश जोर से डकराया, और फिर एकदम से ठीला पड़ गया।

मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने कटोरी भर गर्म चिपचिपा पदार्थ मेरे पेट पर डाल दिया हो।

रमेश निढाल होकर मेरे कंधे पर सिर रख कर लंबी-लंबी सांसें ले रहा था । मेरा एक हाथ रमेश का सिर सहला रहा था , तथा दूसरे हाथ से में रमेश के वीर्य को अपने पेट पर से लेकर चाट रही थी, मुझे उसका कसैला स्वाद बहुत ही अच्छा लग रहा था।

अरे आंटी आप ये क्या कर रहीं हैं , ये गंदा है । रमेश ने मुझे टोकते हुए कहा , झड़ जाने के बाद रमेश अपने पहले वाले रुप में आ गया था।

क्या गंदा है? मेरे लिए तो ये अमृत समान है..... में मुस्कराते हुए बोली ...ओर चाटना जारी रखा।

हटिये , में टावेल लेकर आता हूं, आप अपना पेट साफ कर लें।

मेरे राजा वो तो मैं कर लूंगी पर पहले अपने इस प्यारे लूल्लू को तो साफ कर दूं.... मेंने हंस कर कहा और बैठ कर रमेश का लंड चाट चाट कर साफ़ करने लगी।

फिर मैंने अपना गाऊन उठा कर अपना बदन साफ़ किया किया और रमेश से बोली ..... चलो मैं नाश्ता बना रही हूं हाथ धो आओ और गर्म गर्म आलू के परांठे खा लो ।

रमेश : आंटी में कह रहा था आप पहले नहा लेते , मेंने आप को सारा गंदा कर दिया।

में : नहाऊंगी ना मेरे राजा ...., शाम को तेरे साथ नहाऊंगी... बोल नहलाऐगा ना मुझे .... और कोई तेरे वीर्य से में गंदी थोड़े ही होती हूं ... अच्छी होती हूं।

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Breathtaking and absolutely brilliant writings!
 

rajeev13

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रमेश: हाय , आंटी तू तो तीन महीनों में बहुत मोटी हो गई , रमेश मेरे पूरे शरीर पर हाथ फेरते हुए बोला। आसिफ बहुत ज्यादा पेलता है क्या।

में : हां, दिन में दो से तीन बार तो चोद ही देता है , उसकी मां हूं उसका पूरा हक बनता है ।.... में मोटी हो कर अच्छी नहीं लग रही क्या?

रमेश : अरे क्या बात कर रही है , जितनी मोटी रगड़ाई और चुदाई करने में उतना ही मज़ा , ।

में : तो क्या में तुम्हारे लिए सिर्फ चुदाई का सामान हूं , में थोड़े उदास स्वर में बोली । मेरे हाथ रमेश के लंड से खेल रहे थे ,

रमेश : अरे नही आंटी क्या बात करती हो , में तो तुम से बेहद प्यार करता हूं ।.....कह कर रमेश ने मुझे अपनी बाहों में कस कर दबोच लिया , उसका सुपाड़ा मेरी गोल गहरी नाभि में घुस रहा था।

में : आईईईई , ये देखो ये कहां घुसे जा रहा है, में उसके लंड को पकड़ते हुए बोली।

रमेश : आंटी , आपका पेट तो काफी निकल आया। ... इसमें किसी से बच्चा रखवा लिया क्या । आसिफ मेरे उभरे हुए गुलाबी पेट पर अपने लंड को खिसते हुए बोला

में : मेरे राजा बच्चा तो मेंने तेरे से ही रखवाना है , और मौका भी बहुत बढ़िया है , अब बच्चा डाल कर ही जाना। ..... मेंने रमेश के कूल्हे पकड़ कर खिंचते हुए, अपने से और चिपका लिया , उसका लंड मेरे पेट में धंसा हुआ था।

रमेश ने मुझे बांहों में कस लिया और इस तरह जोर लगाने लगा जैसे पेशाब करना चाहता हो , तभी मुझे अपने पेट पर चिकना चिकना गर्म पदार्थ फैलता हुआ महसूस हुआ , ये रमेश का प्रीकम था, .....अब रमेश ने खड़े खड़े ही अपनी कमर चला कर , अपने लंड को मेरे पेट पर घिसना शुरू कर दिया था।...... आहहहहह मेरी मेरी रानी तेरा पेट कितना मुलायम और सुंदर है ....औहहहहहह ..... में तो आज इसको ही चोद दूंगा ..... औहहहहहह मेरी जान बहुत अच्छा लग रहा है ....ऊऊऊऊऊ ऐसा तो कभी मेंने सोचा भी नहीं था।

रमेश बेतहाशा धक्के लगाए जा रहा था, उसने मेरे पेट को अपने लंड पर कस कर दबाया हुआ था और तेजी से अपने लंड को घिसे जा रहा था , मेरे दोनों हाथ उसके कूल्हों को सहला रहें थे .... में उससे बिल्कुल ऐसे चिपकी हुई थी जैसे छिपकली दीवार पर चुटकी होती है , मेंने अपना चेहरा उसके सीने में गड़ा या हुआ था और धीरे धीरे सिसकारियां भर रही थीं.....सीईईईईईई आहहहह मेरे राजा आपका साथ मुझे बहुत अच्छा लगता है ....आहहहहह मेरी जान ....ऊऊऊऊऊऊ आपने तो मेरे पेट को ही चोद दिया ....कितने दिनों बाद आएं हो ... आहहहहह मगर मैं चूत नहीं दे पाई।

आहहहह मेरी रंडी बहनचोद चूत क्या तेरा ये पूरा मखमली बदन ही चूत है.....आहहहहह जहां मर्जी लंड रगड़ लो चूत सा मजा आता है ।

आहहहह मेरे राजा ये सारा बदन आप ही का है जैसे मर्जी भोगों , .....आहहहह में कोन होती हूं कुछ कहने वाली ....पेट , चूत , गांड़ , जांघें, मुंह , बगल जो मर्जी हो चोदो ..... मगर कभी मुझे कभी मत जाना , नहीं तो मैं आपकी जुदाई में मर जाऊंगी .... में रमेश की पीठ सहलाते हुए बोली।

आआआआआ .... मेरी कुतिया तेरे से तो मेंने बच्चे पैदा करने है ,.... आहहह अपने बच्चों की मां को कोई भूलता है क्या..... बहनचोद तेरे को तो मैं हमेशा अपनी रानी बना कर रखूंगा।

रमेश ने जोश में आकर मेरे कंधे पर जोर से काट लिया और मुझे और भी जोर से भींच कर धक्के लगाने लगा ...आहहहह आहहहह

ऊईईईईईईईईई मां काटते क्यों हो जी ...ईईईईईई इतनी जोर से मत भींचो , थोड़ा ढीला छोड़ दो। उफ...आहहहह मेरे पेट में दर्द हो रहा है... ईईईईई दम भी घुट रहा है।

आहहहहह मेरी जान थोड़ी देर दर्द सह ले....औऔऔऔ तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती .... बहुत अच्छा लग रहा है मेरी रानी ..... तूने मुझे जन्नत का सुख दिया है आहहहह

रमेश की बातें सुनकर मैं भावुक हो गईं..... हाय रे मेरे राजा आपके लिए तो जान भी हाज़िर है..... ऊईईईईईई कुचल दो इस बदन को ये आपका ही है ....

में रमेश के कूल्हे बुरी तरह मसल रही थी.....आहहहह मारो और तेज और ....ऊईईईईईई और जोर से पीस दो मुझे, घुसेड़ दो अपने लंड को पेट पर से ही मेरे अंदर.... में अनाप-शनाप चिल्ला रही थी।

रमेश ने अचानक धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी थी..... हाय रे मेरी रांड मेरा निकलने वाला है

ऊऊऊऊऊऊ मेरी कुतिया में झडने वाला हूं...... रंडी तू किसी हूर से कम नहीं है, बहुत सुख देती है....आहहह आहहह मेरी रंडी में गया रे आहहहहह आहहहह ...... रमेश जोर से डकराया, और फिर एकदम से ठीला पड़ गया।

मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने कटोरी भर गर्म चिपचिपा पदार्थ मेरे पेट पर डाल दिया हो।

रमेश निढाल होकर मेरे कंधे पर सिर रख कर लंबी-लंबी सांसें ले रहा था । मेरा एक हाथ रमेश का सिर सहला रहा था , तथा दूसरे हाथ से में रमेश के वीर्य को अपने पेट पर से लेकर चाट रही थी, मुझे उसका कसैला स्वाद बहुत ही अच्छा लग रहा था।

अरे आंटी आप ये क्या कर रहीं हैं , ये गंदा है । रमेश ने मुझे टोकते हुए कहा , झड़ जाने के बाद रमेश अपने पहले वाले रुप में आ गया था।

क्या गंदा है? मेरे लिए तो ये अमृत समान है..... में मुस्कराते हुए बोली ...ओर चाटना जारी रखा।

हटिये , में टावेल लेकर आता हूं, आप अपना पेट साफ कर लें।

मेरे राजा वो तो मैं कर लूंगी पर पहले अपने इस प्यारे लूल्लू को तो साफ कर दूं.... मेंने हंस कर कहा और बैठ कर रमेश का लंड चाट चाट कर साफ़ करने लगी।

फिर मैंने अपना गाऊन उठा कर अपना बदन साफ़ किया किया और रमेश से बोली ..... चलो मैं नाश्ता बना रही हूं हाथ धो आओ और गर्म गर्म आलू के परांठे खा लो ।

रमेश : आंटी में कह रहा था आप पहले नहा लेते , मेंने आप को सारा गंदा कर दिया।

में : नहाऊंगी ना मेरे राजा ...., शाम को तेरे साथ नहाऊंगी... बोल नहलाऐगा ना मुझे .... और कोई तेरे वीर्य से में गंदी थोड़े ही होती हूं ... अच्छी होती हूं।

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Superb writings. We want you to write a pure interfaith adult story in future because your writing skills are extremely erotic and exciting.
 
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