सीईईईईई ... राजा बाहर क्यों निकाल लिया ... जल्दी अंदर करो .... एकबार में ही पूरा अंदर कर दो धीरे धीरे ... रमेश ने अपने लंड को मेरी गान्ड में धकेलना शुरू किया......आहहहहह ऐसे ही .... मुझे महसूस हुआ कोई अजगर धीरे धीरे मेरे बिल को फैलाते हुए अंदर जा रहा है ..... आहहहहह ..... आखिर में जाकर उसे ने जाने क्या सूझी उसने एक तेज शाट मारा ... उसका सुपाड़ा सीधे मेरी आंतों से टकराया।
ऊईईईईईईईईई मां री में मरी ... में जोर से चिल्लाईं और और आगे गिरते-गिरते बची .... क्या हुआ मेरी जान अभी तो लंड खाने के लिए मचल रही थी ... अब चिल्ला रही है।
मेरे राजा तुम्हारे लंड ने मेरी आंतों में चोट मारी ... मेंने सिसकते हुए कहा।
बहनचोदी अजीब मुसीबत है तेरी ... चूत मारो तो कहती बच्चेदानी पर चोट लगी और गांड़ मारो तो कहती हैं , आंतों पे चोट लगी .... बहुत दर्द हो रहा है क्या। रमेश ने पूछा।
हां मेरे राजा दर्द तो होता है ,.. मगर मजा उससे ज्यादा आता है ... इसलिए ज्यादा परवाह मत करो और कस कर रगड़ाई करो .... आहहहहह... बहुत अच्छा लग रहा है ... मेरे मार तेज तेज धक्के.... हाययययय मेरी अम्मा देख तेरी बेटी कैसे चुद रही है ... ऊईईईईईई रे
हम दोनों की सिसकारियों और मेरे चुतडो पर रमेश की जांघों की थापों से पूरा बाथरूम गूंज रहा था ।
रमेश दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ ताबड़तोड़ चुदाई किये जा रहा था .... और मैं बदहवास सी अनर्गल चिल्ला रही थी...हाययययय रे चोद दे राजा , बहुत मज़ा आ रहा है ऊईईईईईई मां मर गई रे , मुझे बुरी तरह चोद दिया आआआहहह आहहहह राजा ऐसे ही चोदते रहो।
हौऔऔऔऔऔऔ .. क्या मजा दे रही है आपकी निगोड़ी गांड़ ...आहहहह हरामजादी मन करता जिंदगी भर तेरी गांड़ में लंड डाल कर पड़ा रहूं ... आहहहह तू किसी अप्सरा से भी बढ़ हरामजादी .... कितनी गर्म है.... तभी मेंने अपनी गांड़ कस कर सिकोड़ ली .... ऊईईईईईई हरामजादी मेरा लंड दबोच लिया तेरी गांड़ ने तो ... आहहहहह ऐसे तो तेरी गांड़ मेरा रस चूस लेगी ।
मेरे राजा अब में ज्यादा देर कुतिया नहीं बन रहा सकती में तो लेट रही हूं , कह कर में पेट के बल पसर गयी।
रमेश मेरी पीठ पर लेटा मेरी गान्ड चुदाई कर रहा था में बीच बीच में अपनी अपनी गांड़ सिकोड़ कर उसके लंड पर कस लेती थी ताकि उसे ज्यादा मजा मिले ..... रमेश भी अपना एक हाथ नीचे लेजाकर मेरी चूची मसल रहा था तथा दूसरा हाथ नीचे लेजाकर मेरी चूत को जकड़े हुए था।
अब मेरी गान्ड में दर्द होना शुरू हो गया था तथा चुदाई मेरे बर्दाश्त से बाहर होती जा रही थी और मैं चाहती थी रमेश जल्दी झड़ जाए।
आहहहहह बस राजा आहहहह अब मेरी गान्ड दर्द करने लगी ही अब जल्दी झड़ जाओ , में थक भी बहुत गई हूं आहहहहह , , आहहहहह प्लीज झड़ जाओ ।
मगर रमेश करीब दस मिनट तक ऐसे ही चोदता रहा फिर अचानक उसने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी.... हूं हूं हूं आहहहहह... मेरी जान ...आहहहह ... मेरा निकलने वाला है ...आहहहहह.... मेरी जान में गया , रमेश ने अपना लंड मेरे अंदर तक चांप दिया और मेरे ऊपर औंध कर गहरी गहरी सांसें लेने लगा।
अचानक मुझे लगा किसी ने मेरी लावा भर दिया हो , मेंने अपनी गांड़ रमेश के लंड पर पूरी ताक़त से कस दी , में उसके वीर्य का एक एक कतरा अपनी अपनी गांड़ में जब्ज करना चाहती थी।
करीब पांच मिनट बाद रमेश मेरे ऊपर से उठा तो मैं सीधा होकर लेट गई , मगर मेरी उठने कि बिल्कुल भी हिम्मत नहीं थी ।
रमेश ने पकड़ पर मुझे उठाया फिर गोद में उठा बेड पर लाकर लिटा दिया , तथा तौलिया लाकर मेरा बदन पोंछने लगा ।
मेंने अपनी दोनों बाहें उसके गले में डाल दी। ..... मेरे राजा जब तक तुम नहीं आए थे , मेरी जिंदगी कितनी नीरस थी ... जिंदगी में इतना आनंद भी हो सकता है मेंने सोचा ही नहीं था।
आंटी आपने भी मेरे जीने का नजरिया बदल दिया, में सोच भी नहीं सकता था कि कोई अपनी मां की उम्र की औरत से इतना प्यार कर सकता है कि सात जन्म उसके साथ रहने कि दुआ करने लगे।
मेंने खींच कर रमेश को पलंग पर गिरा लिया और उससे कस कर लिपट गई , लेटे लेटे हम कब सो गए पता ही नहीं चला , में जब सो कर उठी तो सुबह के पांच बज चुके थे ,
मेंने रमेश की तरफ देखा वो शांति से सोया हुआ था तथा उसका लंड किसी तोप की तरह तना हुआ था , मेंने उसके लंड की पप्पी ली और किचन की तरफ चल पड़ी ।
पता नहीं कब ऐसे ही चार दिन गुजर गए , मेरी माहवारी जैसे आई थी वैसे ही अचानक चली भी गई, मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था , रमेश से अपने पेट में बच्चा ठहराने का ये बेहतरीन समय था।
सुबह मेंने रमेश से बाजार जाकर दो जोड़ी knee cap लाने को कहा । रमेश के द्वारा कारण पूछने पर मेंने टालते हुए कहा, राजा बस तुम ले आओ , तुम्हें जन्नत का मजा दूंगी।