सुबह के आठ बजे थे , मगर में और रमेश अब तक बिस्तर पर ही लेटे हुए थे , सुबह की चुदाई हम सुबह पांच बजे ही कर चुके थे, पिछले दस दिनों से रोज दो से तीन बार चुदने से मेरे शरीर में काफी निखार आ गया था , और मैं अपने को 22 साल की नई नवेली दुल्हन समझने लगी थी , जिसे उठते बैठते अपने शौहर के लंड के ही ख्याल आते हैं , दस दिन की निरंतर चुदाई से मुझे यकीन हो गया था कि रमेश ने मेरे गर्भ में अपना बीज बो दिया होगा ।
में अपना एक पैर रमेश की जांघों पर चढ़ा उससे चिपकते हुए बोली .... जानू एक बात बताओ ..... मेरे अलावा और किस किस को चोदते हो .... में उसके आधे खड़े लंड को नीचे से ऊपर को सहला रही थी ।
यार आंटी, ये क्या बात हुई ... मेंने कभी आपसे पूछा कि आप किस किस से चुदवातीं है ... रमेश मेरे सवाल पर थोड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए बोला।
में : मेंने तुम्हें पूछने से मना तो नहीं किया...पूछ लो .... चलो में ही बता देती हूं .... सबसे पहले मुझे हमारे पड़ोस में रहने वाले लड़के जिसको हम पप्पी बोलते थे, उसने चोदा.... फिर मेरे बड़े भाई जान ने चोदा ... फिर मेरे मामू ने चोदा... शादी से पहले में तीन लोगों से चुदवातीं थी....और शादी के बाद उस्मान, आसिफ और तुम्हारे से चुदीं। अब तुम बताओ तुम किस किस को चोदते हो।
औ तेरे कि, तुम शादी से पहले आलरेडी 3 लोगों से चुदतीं थी , तभी में सोचता था आप इतनी बड़ी चुदक्कड केसे हो... रमेश आश्चर्य चकित होकर बोला।
में : नहीं इसमें कोई चुदक्कड होने की बात नहीं है , औरत जात कम जोर होती , जैसे तुमने मुझे जबरदस्ती चोद दिया था , ऐसे ही पप्पी, भाई जान और मामू ने चोद दिया था , फिर मैं उनसे रेगुलर चुदवाने लगी।
रमेश : आंटी प्लीज मुझे बताओ ना इन लोगों ने आप को कैसे जबरदस्ती चोदा .... रमेश के हाथ मेरे बड़े बड़े चूतड़ों को सहला रहे थे।
नहीं , ये तो बहुत लम्बे किस्से हो जाएंगे, इसलिए बाद में बताऊंगी .....तुम बात मत बदलो , मुझे ये बताओ कि मेरे अलावा और किस किस को चोदते हो ...... में उसके बालों से भरे सीने पर अपना मुंह रगड़ते हुए बोली , रमेश के शरीर की गंध मुझे मदहोश कर रही थी , में सोच रही थी कि कितना अच्छा हो अगर में सारी उम्र इसके साथ ऐसे ही नंगी पड़ी रहूं।
रमेश : आंटी
में। : प्लीज आंटी मत बोलो।
रमेश : फिर क्या बोलूं।
में : इसके अलावा जो तुम्हारी मर्जी।
रमेश : अच्छा मेरी रानी .... तेरे अलावा सिर्फ एक और है जिसे मैं कभी-कभी चोद लेता हूं...उसका नाम शकुन्तला है और वो हमारे मोहल्ले में रहती है।
क्या वो बहुत सुन्दर है ... मेंने अपने मम्मे रमेश के शरीर से रगड़ते हुए पूछा।
अरे नहीं मेरी जान... सुंदर नहीं है सांवली और थोड़ी मोटी है.... मगर चुदाती बहुत मस्त है ... अपनी चूत उछाल उछाल कर देती है... रमेश दोनों हाथों से मेरा चेहरा पकड़ उसे चूमते हुए बोला।
अच्छा जी, वो अपनी चूत उछाल उछाल कर चुदतीं है इसलिए तुम्हें मुझसे ज्यादा अच्छी लगती है ..... में नाराज होते हुए बोली।
अरे नहीं मेरी रानी .. तेरे से तो मैं जी जान से प्यार करता हूं... वो तो एक चुद्दकक्ड लड़की है , जो हर एक के लिए अपनी टांगें फैला देती है ... मोहल्ले के सारे मर्द उसे चोद चुके हैं ... वो तो एक साथ चार पांच लड़कों से चुदवा लेती है..... तू अपनी तुलना उससे कैसे कर रही है ...... रमेश ने मुझे अपनी बांहों में भर चूमते हुए कहा।
राजा एक बात बोलूं.... मेरा मन भी तीन चार मर्दों से एक साथ चुदने का करता है कि मेरे से तीन चार मर्द खड़े लंड के साथ लिपटे हुए हो और मेरी रगड़ाई कर रहे हो .... में कुछ शरमाते हुए बोली।
यार तू तो पूरी रंडी हो रही है , इतने ख़तरनाक इरादे रखती है..... रमेश मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए बोला।
नहीं मेरे राजा ... गलत मत समझो , में जिंदगी में हर तरह के मजे लेना चाहती हूं.... मेंने अपनी सफाई दी।
ठीक है, फिर आसिफ से कहना कि वो अपने किसी और दोस्त को भी तैयार कर लेगा .... रमेश के हाथ मेरी पीठ सहला रहे थे।
नहीं अब किसी और से नहीं चुदवाऊंगी... जब भी शौकत आएंगे तब , तुम , आसिफ और शौकत मिल कर मुझे चोदना
क्या आपके शौहर ( शौकत ) इसके लिए राजी हो जाएंगे.... रमेश ने अचरज से पूछा।
वो सब तुम मेरे पर छोड़ दो , में राजी कर लूंगी.... मेंने मुस्कराते हुए कहा।
अच्छा अब तुम , पप्पी से अपनी चुदाई का किस्सा तो सुना दो ... रमेश जिद करते हुए बोला।
नहीं वो बाद में सुनाऊंगी... 8.30 बज गए हैं , में चाय बनाने जा रही हूं ... चाय पी कर फ्रेश हो जाओ.... फिर मैं नाश्ता बनाऊंगी ... नाश्ते में क्या लोगे... मेंने पूछा।
में तो जो तेरी जांघों के बीच है , उसका नाश्ता करूंगा ।
चलो में ब्रेड आमलेट बनाऊंगी में ...उसकी बात नज़र अंदाज़ कर बोली ... उठ कर गाऊन पहना और किचन की और चल दी ।
नाश्ता करके रमेश काम पर जाने को तैयार था ,
O.K रानी शाम को मिलते हैं.... रमेश हाथों से मेरे चूतड दबा मुझे चूमते हुए बोला ।
शाम को लौटते हुए दो जोड़े knee cap जरूर लेते आना... मेंने उसे याद दिलाया।
नहीं यार पहले तू ये बता किसलिए चाहिए , तभी लाऊंगा.... रमेश अपनी जिद पर अड़ता हुआ बोला ।
मेरे राजा , एक दिन मेंने सड़क पर एक सांड को गाय पर चढ़ते देखा था ... तब से मेरी भी बहुत इच्छा है कि हम खुले आसमान में जानवरों की तरह चुदाई करें... कोई भी हाथों का इस्तेमाल नहीं करेगा , इन्सानों की तरह बोलेगा नहीं , ना लेटेगा और ना ही दो पैरों पर खड़ा होगा, समझ लो तुम वो सांड हो और में गाय ।
मेरी बात सुन कर पहले तो रमेश मेरा चेहरा देखता रहा , फिर हंसने लगा...... यार तुम्हारी बड़ी अजीब फैन्टेसी है.... अच्छा बताओ वो खुला आसमान कहां से लाएंगे... रमेश ने हंसते हुए पूछा।
अपनी छत है ना , रात को छत पर करेंगे... छत की दीवार भी ऊंची है कोई दिक्कत नहीं होगी।।। घुटने ना छिलें इसलिए हम पेड़ पहन लेंगे।
मेरी बात सुन कर रमेश खासा उत्तेजित हो गया और उसने मुझे कस कर अपनी बाहों में भर लिया और एक हाथ से मेरे भारी चूतड़ों को मसलते हुए बोला... बहनचोद तू बहुत बड़ी चुदक्कड है ।
अच्छा जी , आइडिया पसंद नहीं आया क्या .... मैंने इतराते हुए पूछा।
मेरी जान क्या बात करती है , बहुत ज्यादा पसंद आया.... रमेश अपनी बाहों को मेरे शरीर पर कसते हुए बोला.... मगर एक बात मेरी भी माननी पड़ेगी .... में व्हिस्की भी लाऊंगा हफ्ता हो गया बिना पिए।
अरे तुम शराब भी पीते हो ... मेंने आश्चर्य से पूछा
हां मगर डर के मारे तुम्हें बताया नहीं .... एक पैग तुम भी पी लेना ।
अरे बाबा नहीं, तुम्हारी ये गाय एक पैग में टल्ली हो जाएगी.... मेंने हंसते हुए कहा।
एक पैग में कुछ नहीं होता .... अच्छा अब हट नहीं तो मुझे लेट करवाओगी...कह कर रमेश ने अपना बैग उठाया और घर से निकल गया।
रात छत पर खुले आसमान के नीचे नंगे घूमेंगे और चुदाई करेंगे ये सोच कर ही में रोमांचित हो रही थी । मेरी चूत और गांड़ में तीव्र खुजली होने लगी थी।
रात के दस बजे थे , रमेश अब तक चार पैग चढ़ा चुका था ... में किचन में काम निपटा रही थी ।
तभी रमेश ने मुझे जोर से पुकारा
आ रही हूं जी .... मेंने जबाब दिया।
में बैठक मे पहुंची .. देखा रमेश सोफे पर बैठ कर शराब पी रहा था...अब बस भी करो बहुत हो गई , और कितनी पियोगे..... मेंने थोड़े अधिकार पूर्ण लहजे में कहा।
इधर आ मेरी जान .. मेरे सामने... ये आखिरी पैग है ... अब नहीं पियूंगा, अब बस तेरा हुस्न देखूंगा और तुझे प्यार करूंगा... रमेश नशे की तरंग में बोला।
में रमेश के सामने जा कर खड़ी हो गई.... हां जी देखो क्या देखना है ... में इतराते हुए मुस्कुरा कर बोली।
ऐसे नहीं कह कर रमेश ने मेरे गाऊन का बेल्ट खोल दिया, मेरा गाउन सरसराता हुआ जमीन कर गिरा , रमेश कुछ देर मुझे ब्रा और पैंटी में देखा रहा फिर मेरी ब्रा और पैंटी भी उतार दी ... अब में उसके सामने मादरजात नंगी खड़ी थी ... चूंकि पिछले छः महीने मे मेरा पेट , जांघें और चूतड़ काफी भर गये थें... मुझे रमेश के सामने नंगी खड़ी होने में शर्म आ रही थी ।
रमेश ने सोफे पर बैठे बैठे ही मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरे हल्के से उभरे हुए पेट को चूमा अपने हाथ पीछे ले जाकर मेरे भारी चूतड़ों को हिलाने लगा।
मेरी जान पता है तेरा ये मादक गुलाबी गुलाबी पेट , उभरे हुए कूल्हे , पुष्ट केले के तने जैसी जांघें देख किसी साधु संत की भी नियत खराब हो सकती है ... रमेश नशे में भावुक होते हुए बोला।
अरे छोड़ो जी , आप भी कैसी बातें करते हो , मुझ जैसी मोटी थुलथुल को कौन पूछता है।
रमेश ने मुझे नंगी को खींच कर अपनी गोदी में बैठा लिया ... मेरी जान सही कह रहा हूं .... रमेश की जीभ मेरे चूचियों से खेल रही थी....तेरा शरीर इतना कामुक है ना कि मुझे तो हमेशा ये लगता रहता है कि किसी दिन तेरे पड़ोस के लौंडे पकड़ कर चोद ही ना दें ..... पता चले कि मेरी रानी का सामूहिक बलात्कार हो गया .... रमेश अत्यंत ही भावुकता में बोला।
अरे छोड़ो , ऐसा कहीं होता है क्या ... मेंने हंसते हुए कहा मगर मेरे दिमाग में सामुहिक बलात्कार की फैन्टैसी जन्म ले चुकी थी.... में सोच रही थी कि ऐसा हो जाए तो कितना मजा आयेगा.. तीन तीन मर्द मेरे शरीर से चिपके होंगे और अलग अलग तरह के लंड मुझे चोदेंगे।
में रमेश की गोद से उठी और अपने नी कैंप पहनते हुए बोली .... ये सब बेकार की बातें सोचना छोड़ो और अपनी गाय पर चढ़ने की तैयारी करो... मेंने नीकैप पहन लिए थे और चौपाया बन रमेश की तरफ अपना पिछवाड़ा करके गरमाई गाय की तरह रम्भाते हुए अपने चूतड हिला रही थी।
मेरी ये हरकत देख रमेश जोश मे आ गया और तुरंत से अपनी लुंगी और बनियान उतार कर फेंक दी और नी केप पहन चौपाया बन गया। रमेश का सांवला मस्कुलर शरीर बिल्कुल काला सांड लग रहा था, रमेश सांड की तरह अपना मुंह उठाकर डकराया, मेंने देखा रमेश का लंड धीरे धीरे झटके खाते हुए खड़ा हो रहा है।
में चौपायों की तरह सीढ़ियों की तरफ भागी , मेरे पीछे सांड रूपी रमेश भी रम्भाते हुए दौड़ा। कुछ ही क्षणों में हम दोनों छतपर खुले आसमान के नीचे थे।
छत पर पहुंच कर मैं इधर उधर देख कर रम्भाई , तभी पीछे से मेरा सांड आकर मेरी चूत और गांड़ सूंघने लगा, में बिदक कर आगे बढ़ गई सांड भी फुफकारता हुआ मेरे पीछे आया और मेरी चूत और गांड़ चाटने लगा , असीम उत्तेजना से मेरा मुंह गाय की तरह खुल गया।
अब सांड ने अपने आगे के दोनों पैर ( हाथ) मेरी पीठ पर रख एक जोरदार धक्का मारा, उसका लंड मेरे चूतड़ों से जोर से टकराया और एक तरफ को फिसल गया।
नियम के अनुसार ना तो हाथों का इस्तेमाल करना था, ना ही किसी प्रकार लुबरीकेटिंग जैल आदी का इस्तेमाल कर सकते थे, चुदाई बिल्कुल जानवरों की तरह करनी थी बिना किसी मदद के। यह एक विकट स्थिति थी, मेरे सहयोग के बिना सांड बना रमेश मेरी चूत या गांड़ में लंड डाल ही नहीं सकता था। इसलिए मेंने कुछ समय सांड को सताने का मन बना लिया था।
अब हालत ये थी कि जब भी सांड लंड अंदर डालने के लिए धक्का लगाता, में आगे भाग लेती, और उसका लंड मेरे चूतड़ों से टकरा कर इधर उधर फिसल जाता
ये खेल करीब आधा घंटा चलता रहा, फिर मुझे सांड के लंड पर दया आ गई, और में छत के एक कोने में चूत निकाल कर खड़ी हो गई, सांड छत के बीचोंबीच हताशा की स्थिति में खड़ा मुझे याचना भरी नजरों से देख रहा था।
मुझे कोने में खड़ा देख वो धीरे-धीरे मेरी तरफ आया और अपने सुपाड़े को मेरी चूत के छेद पर रखने की कोशिश करने लगा, इस बार मेंने सहयोग किया और अपने चूतड हिला कर उसके सुपाड़े को अपने छेद पर लगा दिया। तभी मुझे अपनी चूत के छेद पर गर्म गर्म चिकना तरल पदार्थ फैलता हुआ महसूस हुआ। उसने अपना पेशाब और प्री कम मेरी चूत पर निकाल दिया था। ताकि चूत पूरी चिकनी हो जाए।
में बिल्कुल कोने में खड़ी थी इसलिए इधर उधर भाग नहीं सकती थी। तभी सांड ने एक करारा धक्का मारा और उसका आठ इंच लंबा लंड आधा मेरी चूत में घुस गया, में लड़खड़ाई और मुंह खोल कर ऐं ऐं ऐं ऐं ऐं करने लगी, तभी दूसरा धक्का लगा और लंड पूरा अंदर चला गया, मेंने बिदक कर इधर उधर होकर लंड निकालने की कोशिश करी मगर कामयाब नही हो सकी।
मेंने जो सांड को आधा घंटा तरसाया था अब वो उसका बदला ले रहा था , और हुमच हुमच कर तेज धक्के लगा रहा था, और पूरी छत पर धूप धप की आवाज गूंज रही थी।
में पिछले बीस मिनट से चौपाया बनी सांड के धुआंधार धक्के खा रही थी, मेरे पैरों और हाथों में तेज दर्द हो रहा था परन्तु में चीख चिल्ला भी नहीं सकती थी क्योंकि में तो गाय के रोल में थी। अतः सिर्फ मुंह खोल कर रम्भा रही थी।
करीब आधा घंटे की चुदाई के बाद सांड ने ढेर सारा वीर्य मेरी चूत में उड़ेल दिया, हम दोनों की सांसें तेज तेज चल रही थी तथा शरीर पसीने से लथपथ थे, थोड़ी देर सांड ऐसे ही मेरे ऊपर चढ़ा रहा फिर पहुंच की आवाज के साथ अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया, लंड के निकलते ही मेरी चूत से वीर्य बाहर बहने लगा, सांड ने उसे चाट कर मेरी चूत और गांड़ अच्छे से साफ कर दी। चुदाई का यह अनुभव मेरा अब तक का सबसे अच्छा अनुभव था । हम लोग कुछ देर छत पर ही लेटे रहे , फिर बेड रूम में आकर सो गये।