राज- तुम बाहर जाओ यहाँ से. मियाँ बीवी के बीच में आने की ज़रूरत नही है. और अगेर तुम्हें थोड़ी शर्म है तो आइन्दा कभी इस मामले में दखल मत देना.
दीदी- यह तो नही होगा इस घर में. तू मेरे होते हुए इसका बलात्कार नही कर सकता.
राज- मैं इसका बलात्कार नही कर रहा हूँ.यह मेरी बीवी है. मियाँ बीवी एक दूसरे से प्यार नही करेंगे तो क्या करेंगे?
दीदी- जो तू कर रहा था उसे प्यार नही कहते. उसे बलात्कार कहते हैं. देख स्वेता की क्या हालत है
राज-तुम्हे उससे क्या लेना देना. तुम अपने काम से काम रखो और जाओ यहाँ से.यह मेरे और उसके बीच की बात है. मैं अपना काट के छोटा तो नही कर सकता ना.
दीदी- हां लेकिन तू इसकी फाड़ के चौड़ी कर देना चाहता है. और तुझे तो इतनी भी शर्म नही है कि अपनी दीदी के सामने कैसे बात करनी है.
राज- मुझे मत सिख़ाओ दीदी.मैं नही गया था तुम्हें बुलाने को.तुम खुद ही आई थी यहाँ. और यह सब गंदी बातें तुम्ही ने शुरू की हैं.अब तुम जाओ यहाँ से नही तो कुछ बुरा हो जाएगा
दीदी- क्या बुरा हो जाएगा रे? तू बहुत बड़ा समझने लगा है अपने आप को? क्या बुरा करेगा तू ? तू पाल पोश के बड़ा किया और तू किसी औरत के साथ ऐसा बिहेव करता है अपनी बीवी को रंडी की तरह चोद रहा है और मुझे कह रहा है मैं अपने काम से काम रखूं . याद रख यह मेरा घर है यहाँ वही होगा जो मैं कहूँगी और तू क्या बुरा करेगा रे मेरे साथ? मुझे भी पकड़ के चोदेगा? मेरी चूत फाड़ेगा? यही बुरा करेगा मेरे साथ?
राज- दीदी तुम होश मे नही हो.बकवास बोले जा रही हो जब से. चली जाओ यहाँ से हम दोनो फुल लाउड वाय्स मे एक दूसरे पे चिल्ला रहे थे. इतने में डोर पे हरकत हुई हमने देखा माँ डोर पे खड़ी थी. मैने तुरंत अपने कपड़े उठाए और स्वेता ने भी खुद को ढक लिया.
माँ- क्या लगा रखा है? सोने नही देते. तू यहाँ इनके रूम मे क्या कर रही है अनिता
दीदी- माँ देखो ना इसने स्वेता को बहुत दर्द दिया है. स्वेता चिल्ला रही थी इसी ने मुझे कहा कि बचा लो मुझे.तो मैं आ गयी माँ भाई को स्वेता के साथ मत रहने दो वो इसे बहुत दर्द देता है.
माँ-क्यूँ री स्वेता ? क्या बात है?
स्वेता-जी मुझे बहुत तकलीफ़ हो रही है. कुछ कीजिए.
माँ- बेटी यह तकलीफ़ तो होगी ही. इसे ज़्यादा सिर पे मत चढ़ने दे. थोड़ी दिन की बात है फिर सब की आदत पड़ जाएगी.और याद रख बीवी का धर्म होता है कि मियाँ की खुशी का ख्याल रखे.और यह तो प्यार का दर्द है सहन कर ले. और तू अनिता चल अपने कमरे में. इन मियाँ बीवी को इनके हिसाब से रहने दे. तुझ बीच में दखल देने की कोई ज़रूरत नही है.
माँ दीदी को अपने साथ ले गयी. मैने रूम का डोर बंद किया. स्वेता को तो जैसा साँप सूंघ गया था उसकी कुछ समझ में नही आया कि इस बीच यहाँ क्या क्या हो गया. मैं अब वापिस बेड पे आ गया.
राज- अब क्या करेगी बोल? अब किसे बुलाएगी बचाने को? मैं खुद भी तुझे दर्द नही देना चाहता था लेकिन तूने और कोई रास्ता नही रखा अब मेरे लिए.
स्वेता- मैं खुद भी नही जानती थी कि यह सब हो जाएगा मैने तो बस यूँही कह दिया था दीदी से कि मुझे बचा लो वो तो खुद ही डोर खोल के अंदर आ गयी मेरी बात का बुरा मत मानो लेकिन मुझे लगता है कि दीदी आपसे जलन करती हैं
राज-अब तू मत बकवास करना शुरू कर दे मेरा दिमाग़ पहले ही खराब है.अब सो जा चुपचाप
स्वेता- सॉरी जी, मुझसे नाराज़ मत होना.मैने यह सब जानबूझ कर नही किया सब अंजाने में हो गया
मुझे माफ़ कर दो. एक बार पेल तो दो ठीक से अब नही चिल्लाउन्गी चाहे जितना भी दर्द हो.कसम से उठो ना पेलो ना.
राज-अब नही मैं अभी सो रहा हूँ तू भी सो जा. तेरी चूत खुलने में टाइम लगेगा. मैं आज नही चोदुन्गा तुझे.कल से ज़्यादा आयिल ले के आना. और रोज अपनी चूत में नहाने के बाद आयिल से मालिश किया करना उगली डालना अंदर बाहर धीरे धीरे खुल जाएगी.तो तुझे इतना दर्द नही होगा
स्वेता-हाए मैं क्यूँ करूँगी यह सब आप खुद ही कर लीजिएगा मेरी चूत में उंगली अंदर बाहर करियेगा फिर अपना लंड अंदर बाहर करियेगा . देखिए ना आपका लंड तो अभी भी खड़ा है आओ ना चढ़ जाओ ना चोद दो ना एक बार प्लीज़ नाराज़ होके मत रहो .
राज- मैं नाराज़ नही हूँ बस अब चोदने का मन नही कर रहा दीदी से मैने कभी इतनी बदतमीज़ी से बात नही की मैं कल सुबह उनसे माफी माँग लूँगा
मैने बहुत ग़लत किया आज दीदी ने मेरे लिए इतना कुछ किया.मैने आज उससे ठीक से बात नही की.
स्वेता- मुझे तो अभी भी लगता है कि दीदी जानबूझ के अंदर आई थी.
मे-चुप कर एक तो तेरे लिए वो मुझे डाँट रही थी और अब तू खुद उसके खिलाफ बोल रही है.
स्वेता- नही ऐसा नही है देखो ना अभी दीदी की एज ही क्या है 31 की होंगी. उनका पति नही है उनकी जवानी अभी ढली थोड़ी ना है. उन्हें भी तो गर्मी चढ़ती होगी ना कभी कभी इसीलिए वो खुद पे काबू नही रख पाई.
राज-अब तूने एक शब्द भी बोला दीदी के खिलाफ तो एक थप्पड़ पड़ेगा. हमेशा के लिए आवाज़ बंद हो जाएगी याद रखना मेरी दीदी ने मेरी जिंदगी मे जो बलिदान दिए हैं वो एक माँ भी नही देती अपने बेटे के लिए वो अंदर आई थी हमारी हेल्प करने को तू अपनी गंदी सोच को ख़तम कर दे.समझ गयी ना?
स्वेता- सॉरी. आज से ऐसा नही बोलूँगी हम दोनो सो गये.
लेकिन मेरे दिमाग़ में अभी भी कयि सवाल उठ रहे थे. दीदी जानती थी कि मैं अंदर स्वेता को चोद रहा हूँ फिर भी वो अंदर आ गयी. उसने हमसे कपड़े पहनने के लिए नही कहा. मेरे खड़े लंड को बार बार घूरती रही उसकी चूत के बारे में बोलती रही उसने बहुत ही गंदे वर्ड्स यूज़ किए.
कहीं स्वेता सही तो नही कह रही है? कहीं दीदी की जवानी गर्मी तो नही पकड़ रही है? मैं यह सब सोचते सोचते कब सो गया पता नही चला. अगले दिन नींद खुली तो देखा कि दीदी मॉर्निंग टी लिए हुए बेड के साइड पे खड़ी हुई थी. मैने साइड में देखा तो दीदी ने कहा कि स्वेता नहाने गयी हुई है उठो चाइ पी लो. दीदी ने बड़े प्यार से मुझे चाइ कप में डाल के दी.
दीदी- भाई मुझे कल के लिए माफ़ कर दो. मैं भी एक औरत हूँ और मुझसे स्वेता का दर्द देखा नही गया.इसलिए मैं अपने होश खो बैठी.मैं चाहती हूँ कि तुम एक बहुत ही सुन्दर और आरामदायक जिंदगी जियो. तुम्हें मॅरीड लाइफ की वो सब खुशिया मिलें जो मुझे कभी नही मिल पाई.
मैं कल की ग़लती कभी नही करूँगी. तुम उसके हज़्बेंड हो और अब इस घर के तुम ही मालिक हो. यहाँ सब कुछ तुम्हारे अनुसार ही होगा और मैं भी अब हमेशा से तुम्हें ही बड़ा मानूँगी. मैं कभी तुमपे कोई हुकुम नही चलाउन्गी प्लीज़ कल के लिए मुझे माफ़ कर दो.
राज- दीदी यह क्या कह रही हो. माफी तो मुझे माँगनी चाहिए. मैने कल आपसे इतनी बदतमीज़ी से बात की. मैं बहुत शर्मिंदा हूँ.
दीदी- नही भाई. तुम सही थे तुम दोनो के बीच मुझे नही आना चाहिए.वो तुम्हारे हिसाब से अड्जस्ट कर लेगी. मुझे बीच मे बोलने की ज़रूरत नही है.तुम बस उसका ख्याल रखो और एक बहुत ही अच्छी लाइफ जियो. अब हम दोनो कल की बात भूल जाते हैं. मैं तुमसे नाराज़ नही हूँ और उम्मीद करती हूँ कि तुम भी मुहे माफ़ कर दोगे.
राज- दीदी आपसे नाराज़ होने का तो सवाल ही नही उठता.
दीदी वापिस जाने लगी.मैं चाइ पीने लगा.तभी दीदी दूर पे रुकी पीछे पलटी और मुझे देख के बोली कि वैसे भी स्वेता बहुत ही खुशनसीब है. इतना बड़ा हथियार हर औरत को नसीब नही होता. धीरे धीरे वो इसे चलाना भी सीख लेगी.तुम एक सच्चे मर्द हो.उसे पलंग पोलो खेलने में बहुत मज़ा आएगा.
दीदी यह कह के बिना रुके बाहर चली गयी मेरा दिमाग़ ठनक गया. थोड़ी देर पहले वो माफी माँग रही थी और फिर उन्होने ने ऐसी डबल मीनिंग वाली बात बोली. लेकिन मैं दीदी के लिए इतना भावुक हो चुका था कि मैं यही सोचता रहा कि वो मज़ाक कर रही होंगी और शायद मूड को हल्का करने के लिए उन्होने यह सब कहा होगा. उसके बाद का दिन नॉर्मल बीता.
मैं ऑफीस चला गया और शाम को जब लौटा तो देखा कि दीदी और स्वेता दोनो टीवी देख रहे थे और बहुत ही गहरी सहेलियों की तरह मिल जुल कर बातें कर रहे थे. माँ अपने कमरे में थी. मुझे देख कर स्वेता आई और मेरा बॅग ले कर साइड में रख दिया. दीदी उठी और कुछ स्नॅक्स बनाने के लिए चली गयी. मैं सोफे पे बैठ गया तो स्वेता आई और उसने मेरे जूते उतारे और मेरे पैरों को धीरे धीरे मसाज करने लगी.