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Incest दीदी और बीबी

kumarrajnish

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ऐसे ही अगले कुछ दिन चलते रहे फिर कुछ दिनो के बाद स्वेता का छोटा भाई उसे घर लेके जाने के लिए आया. उसके यहाँ कोई रस्म थी और उसे करीब 10 दिनो के लिए अपने माइके जाना था. उसका भाई एक दिन रहा और फिर अगले दिन वो उसे ले गया. मेने अभी तक स्वेता की चूत में पूरा लंड डाल के चोदना शुरू नही किया था.

पहले दो दिनो के बाद से में उतना ही लंड डालता था जितना वो सह लेती थी. और फिर उतने से ही चोद चोद के झड जाता था. में पूरा सॅटिस्फाइड तो नही था लेकिन इस बात की खुशी थी कि मेरी बीवी मेरे लंड से दूर नही भागती थी बल्कि वो पूरी कोशिश कर रही थी कि मुझे पूरा सुख दे सके.

स्वेता के जाने से घर सूना सूना सा हो गया था. स्वेता के जाने के दूसरे दिन की बात है में ऑफीस से लौट के आया तो देखा कि माँ अपने कमरे में सो रही है. मेने दीदी से पूछा कि इस टाइम पे क्यू सो रही है माँ तो उसने कहा कि सेहत ठीक नही है. में सोफे पे बैठ गया और दीदी मेरे लिए कुछ स्नॅक्स ले आई हम बैठे टीवी देख रहे थे तभी दीदी ने कहा-
दीदी- तुझे स्वेता की बड़ी याद आती है ना?

राज- ऐसा क्यूँ बोल रही हो?

दीदी- जब से गयी है तू उदास सा हो गया है. ना कुछ बोलता है ना कुछ हँसी मज़ाक करता है.

राज-नही दीदी ऐसी बात नही है.काम का लोड ज़रा ज़्यादा है.

दीदी-हां और आजकल ओवरटाइम करने लगा है. तुझे पैसों की इतनी कमी है कि तुझे ओवरटाइम करना पड़ता है.में तो इतना कमा भी नही पाती कि तुझे एक सुखी जिंदगी दे सकूँ.

राज- ऐसी बात नही है दीदी. मुझे बस घर ज़रा सूना सूना सा लगता है इसलिए ऑफीस में ज़्यादा देर तक रहता हूँ.यहाँ आता हूँ तो स्वेता की कमी खलती है.

दीदी-हाए राम यह बात है तो तूने मुझे कहा क्यूँ नही. में भी कितनी पागल हूँ कि अपने भाई की फिकर ही नही करती ठीक से. चल अबसे में तुझे स्वेता की कमी बिल्कुल भी नही खलने दूँगी. तू घर से दूर मत रहा कर.

राज-नही दीदी.आप क्यूँ तकलीफ़ करोगी.में ठीक हो जाउन्गा. कुछ ही दिनो के बाद तो वो आ ही रही है.

दीदी- हाय रे. में इतनी भी बुरी नही हूँ कि मेरे भाई को दिखाई ही ना दूं. चल अब तू फ्रेश हो जा. और में पूरी प्लॅनिंग करती हूँ कि कैसे तेरा मन बहलाया जाए जब तक तेरी पलंग पोलो की पार्ट्नर नही आ जाती.

में उठ के अपने रूम में आया. कपड़े उतारे और बाथरूम में चला गया. घर में एक ही बाथरूम था. मेने जाते ही नोटीस किया कि वहाँ फिर से दीदी की पैंटी और ब्रा सूख रही थी.मेने इग्नोर किया और मुँह हाथ धोकर बाहर चला आया.माँ अभी भी सो रही थी. बाहर आया तो दीदी ने सोफे पे बैठने को कहा.

दीदी-चल अब बता मुझे तुझे स्वेता क्यूँ इतनी याद आती है.

राज- जाने दो ना दीदी.क्यूँ इसी बात पे अटकी हुई हो.

दीदी- नही तू बता मुझे. उसमे ऐसा क्या खास है जो तेरी दिल जीत लिया उसने.

राज- दीदी आप तो जानती हैं कि मेरी कभी कोई गर्लफ्रेंड नही रही और एक मर्द की लाइफ में औरत का तो बहुत बड़ा हाथ होता है.वो मेरी जिंदगी की पहली औरत है और मेरे लिए बेस्ट है.मेरा इतना ख्याल रखती है.

दीदी- हां वो तेरी जिंदगी की फर्स्ट औरत है लेकिन आख़िरी तो नही है ना. तू उसके अलावा सब को भूल जाएगा तो यह तो बुरा लगने वाली बात है ना.

राज- नही दीदी यह बात नही है आप और माँ तो मेरे लिए हमेशा भगवान के समान हो. पर बीवी तो बीवी होती है ना उसकी जगह तो कोई नही ले सकता. जैसे वो आपकी जगह नही ले सकती.

दीदी-हां सही कहा बीवी तो बीवी ही है मैं भी थी किसी की बीवी लेकिन उस भडवे ने तो मुझे ठीक से देखा भी नही कभी

मे-दीदी यह इतनी गालियाँ कहाँ से सीख ली?

दीदी-सुन सुन के सीख गयी रे ऑफीस में राह चलते ना जाने कितने लोग कितनी कितनी बातें सुना देते हैं. सब कुछ तो इग्नोर नही कर सकती.कुछ रह जाता है दिमाग़ में.तो बस कभी कभी बोल देती हूँ.मन की भडास निकल जाती है वरना किससे कहूँ कि मेरे अंदर क्या क्या तूफान चलते रहते हैं.

मे- दीदी आपने अपने आपको अकेला कर लिया है.में हूँ ना मेरे सामने आपको किसी प्रकार का कोई लिहाज नही करना चाहिए. जो आपके मन में आए वो बोलो.खुल के बोलो.में आपके इतना काम तो आ ही सकता हूँ.हम दोनो एक दूसरे के बेस्ट फ्रेंड्स बन सकते हैं

दीदी- हां भाई मुझे भी एक दोस्त की बहुत सख़्त ज़रूरत है. पता है मेरे ऑफिस में सभी लोग मेरे सामने तो ठीक से बात करते हैं लेकिन मेरी पीठ पीछे मुझे बहुत ही गंदा गंदा बोलते है मेरा वहाँ कोई दोस्त नही है मुझे वहाँ बिल्कुल भी अच्छा नही लगता.इसीलिए में जल्दी से जल्दी घर आने का रास्त ढूढ़ लेती हूँ.

मे-बस दीदी कुछ दिनो में मेरा काम चल निकलेगा और फिर आपकी काम करने की कभी ज़रूरत नही पड़ेगी.मेरी दिली तमन्ना है कि आपको और माँ को सब सुख दूं.

दीदी- और तेरी बीवी का क्या होगा? उसे कौन सुख देगा रे?

मे- क्या आप भी ना घुमा फिरा के मेरी बीवी पर ही आ जाती हो जानती हो कि मुझे इतनी याद आ रही है फिर भी.

दीदी- अरे मेरे देवदास में तो मज़ाक कर रही थी.

हम लोग काफ़ी देर तक बात करते रहे.फिर दीदी ने खाना बनाया. माँ भी उठ गयी थी लेकिन उसे बहुत वीकनेस थी तो दीदी ने उसे कुछ गोलियाँ दे दी वो खाना खा के सो गयी. में और दीदी कुछ देर तक टीवी देखते रहे और फिर अपने अपने रूम में चले गये. मैं बेड पे लेटा हुआ था लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी.मेरा लंड खड़ा हो के बीवी की चूत के लिए तड़प रहा था.फाइनाली मेने सोचा कि बिना मूठ मारे तो सारी रात नींद नही आएगी.

तो में धीरे से अपने रूम के बाहर आया और बाथरूम में चला गया. वहाँ फेर्श पे बैठ के मेने मज़े से मूठ मारी.करीब 15 मिनिट लगे होंगे. जब झडा तो लगा कि वाटेरफाल से पानी गिर रहा हो इतना रस निकाला मेरे लंड ने. में उठा हाथ धो कर जैसे ही बाथरूम का गेट खोला तो बाहर दीदी खड़ी थी.मुझे देख के ज़ोर से हंस दी. मेने सिर्फ़ अंडरवेर पहना हुआ था और कुछ भी ना और मेरा लंड अभी ठीक से बैठा भी नही
 

kingkhankar

Multiverse is real!
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Good writing. After a long time real incest story......

Purane jamane ka yaad dila diya......
 
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kumarrajnish

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Update
मेरा लंड अभी ठीक से बैठा भी नही था.दीदी को सामने देख कर में चौंक सा गया.

दीदी- क्या कर रहा था?

मे- कुछ नही बस

दीदी-चल जाने दे मुझे पता है क्या कर रहा था. अभी और करना है कि बस हो गया?

मे- नही बस अब में सोने जा रहा हूँ.

दीदी-ठीक है.बड़ी देर से तेरे निकलने का वेट कर रही हूँ अब तू जा सोने अब मेरी बारी है करने की.

मे- क्या कहा?

दीदी- तू सोने जा.

मे- नही तुम्हारी किस चीज़ की बारी है?

दीदी- तो इसमे इतना शॉक क्यूँ हो रहा है? तू कर सकता है तो में नही कर सकती क्या. चल अब टाइम मत वेस्ट कर मुझसे और रहा नही जा रहा मुझसे अब और रहा नही जा रहा बड़ा परेशान कर रही है आज यह.

मे- ठीक है.

मेरी कुछ समझ में नही आया मेने खुद को यह सोच के बहला लिया कि दीदी मूतने के बारे में कह रही होगी में यह नही आक्सेप्ट कर पाया कि दीदी अंदर बाथरूम में अपनी चूत में उंगली करने गयी है.में अपने रूम में आ गया लेकिन क्यूरीयासिटी के कारण फिर से बाहर आया और बाथरूम के डोर के पास खड़ा हो गया. अंदर से कोई आवाज़ नही आ रही थी.

में थोड़ी देर खड़ा रहा फिर डोर को धीरे से नॉक करके धीमे से कहा दीदी तुम हो क्या अंदर? अंदर से दीदी की धीमी सी आवाज़ आई हां मुझे थोड़ी देर लगेगी.डिस्टर्ब मत कर और फिर उसके बाद दीदी के मोन करने की आवाज़ आई आह आह सी सी ऐसी कुछ आवाज़ आई तो मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया मेने यकीन कर लिया कि दीदी अंदर चूत में उंगली कर रही है में बाहर ही खड़ा रहा मेरे लंड ने फिर से तूफान मचा दिया था मेरी अंडरवेर फटने को थी मेने धीरे से चड्डी में हाथ
डाला और मसलने लगा तभी दीदी ने बाथरूम का गेट खोला अब यह सीन तो और भी अजीब सा था

दीदी ने अब एक ब्रा पहनी हुई थी और नीचे पेटिकोट था जो कि कमर के काफ़ी नीचे था उनका गाउन उनके हाथ में था और दूसरे हाथ में उन्होने ने अपनी पैंटी पकड़ी हुई थी मीन्स दीदी पेटिकोट के नीचे नंगी थी और उसके सामने में खड़ा था सिर्फ़ अंडरवेर में और मेरा एक हाथ मेरे लंड को सहला रहा था दीदी को सामने देख के में पीछे मूड गया दीदी ने कुछ कहा नही फिर मेरे पास आई और बोली.
दीदी- फिर से जाना है क्या तुझे?

मे-नही.में तो सोने जा रहा था बस.

दीदी-जाना हो तो चला जा नही तो रात भर सो नही पाएगा मुझे भी अब अच्छी नींद आएगी तू अपना देख ले में तो चली सोने. दीदी ने कोई ऐसी बात नही की कि जैसे उन्हें कोई परेशानी हो वो पहले से यह आक्सेप्ट कर चुकी थी कि हम दोनो के बीच ऐसी बातें करना यूषुयल है और ठीक है. मेने सोचा कि अब मूठ नही मारूँगा सो में बेड पे आया और सो गया.


अगले दो दिन भी ऐसे ही बीते.दीदी बड़े आराम से मेरे अपनी मर्ज़ी के कपड़े पहन के रहती थी. माँ तो बस अपने कमरे में ही रहती थी सारा टाइम तो दीदी को कोई रोकने वाला भी नही था. वो टाँग फैला के बैठती थी.पल्लू का ज़रा भी ख्याल नही करती थी. में भी उसकी जवानी देख देख के पागल हुआ जा रहा था लेकिन मुझे लगा कि अभी इनकी उम्र ही क्या है. और अकेली भी हैं. तो इन्हें यह सब करने से रोकना नही चाहिए. जैसे भी रहना चाहें रहने देना चाहिए.


और फिर एक दिन खबर आई कि स्वेता आज रात की गाड़ी से वापिस आ रही है. में ऑफीस से लौटा तो दीदी ने मुझे चाइ दी और जब हम बैठे टीवी देख रहे थे तब उन्होने ने मुझे यह खबर दी. मुझे तो जैसे जन्नत मिल गयी. इतने दिनो से अपनी बीवी की याद में मरा जा रहा था. आज वो वापिस आ रही है यह सुन के बहुत ही अच्छा लगा.

दीदी मुझे देख के अजीब ढंग से स्माइल कर रही थी.उसे भी पता था कि आज रात में तो जोरदार चुदाई होने वाली है मेरी बीवी की. हमने खाना खाया. स्वेता अभी तक आई नही थी. वो करीब 10 बजे आने वाली थी.अभी 2 घंटे बाकी थे. खाने के बाद में और दीदी टीवी देख रहे थे. मेने दीदी से कहा¡*

मे- वो उस दिन स्वेता को जो आयिल दिया था वो और है क्या?

दीदी- कौन सा आयिल?

मे- अर्रे वो दिया था ना उसे आयिल आपने?

दीदी- मुझे याद नही. कौन सा आयिल? किस काम के लिए दिया था?

मे-अर्रे समझो ना प्लीज़ दिया तो था आयिल.

दीदी-पागल मुझे नही याद आ रहा बता ना कौन सा आयिल था किस काम के लिए था?

मे- वो उसे श्वेता को उसमे प्राब्लम वो दिया तो था आपने उसे.

दीदी- अर्रे तुझे याद है तो ठीक से बता ना कौन सा आयिल था.मुझे सच में नही याद आ रहा है भगवान कसम.

मे-वो स्वेता को दर्द होता था ना तो आपने वो प्यार वाला आयिल दिया था.

दीदी- अच्छा अच्छा तेरे डंडे के दर्द वाला आयिल. अर्रे तो पागल ऐसे बोल ना कि पलग पोलो वाला आयिल. में तो सोच रही थी कि ना जाने किस आयिल की बात कर रहा है अच्छा आज स्वेता आने वाली है इसलिए चाहिए तुझे क्या इरादा है तेरा?

मे-क्या दीदी आप भी में तो ऐसे ही पूछ रहा था कि आयिल और है क्या?

दीदी- हां है ना लेकिन तुझे क्या करना?

मे-अर्रे वो स्वेता को ज़रूरत पड़ेगी ना तो इसलिए माँग रहा हूँ.

दीदी- लेकिन अभी तो आई भी नही जब आ जाएगी तो उससे कह देना मुझसे आके माँग लेगी. में कल दे दूँगी उसे.

मे-नही आज दे दो ना में माँग तो रहा हूँ. उसे शर्म आएगी आपसे माँगने में.

दीदी- और तुझे नही आएगी शर्म? चल अच्छा है तू मुझसे शरमाएगा तो मुझे भी अच्छा नही लगेगा में तुझे दे दूँगी कल शाम को ले लेना.

मे- नही आज दे दो ना प्लीज़

दीदी-अर्रे पगले वो इतनी दूर से सफ़र करके आ रही है एक दिन आराम तो करने दे आज ही चढ़ जाएगा क्या उसके उपर?

मे- क्या दीदी? आप तो कुछ भी बोल देती हो प्लीज़ दे दो ना आयिल.

दीदी- चल ठीक है दे देती हूँ लेकिन सुन तू ज़रा हमें सोने देना नही तो स्वेता सारी रात चिल्ला चिल्ला के हमारी नींद हराम कर देगी खूब सारा आयिल दे देती हूँ.

मे- पूरी बॉटले दे दो ना बार बार माँगने का झंझट ही ना हो.

दीदी- हां बाबा दे देती हूँ जा कि अभी से अपने उपर लगा ले. दीदी ने मुझे आयिल दे दिया. बड़े कातिल अंदाज में मुझे देख देख के दीदी मुस्करा रही थी. और मुझे अब सच कहूँ तो शर्म भी नही आ रही थी. मुझे बड़ा कंफ्ट था अब मेने सोचा दीदी ही तो है वो तो यह सब जानती है.
 

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उससे क्या छुपाना तो मेने आयिल लिया और अपने रूम में आ गया फिर दीदी थोड़ी देर बाद अपने रूम में चली गयी. मेने अपने कपड़े उतारे और अपने लंड पे आयिल लगाना शुरू कर दिया. खूब मालिश की लंड और गोटियाँ दोनो ही आयिल से भीगा ली थी. अब तो में रेडी था कि स्वेता जैसे ही आएगी उसे पकड़ के खूब चोदुन्गा.

करीब आधे घंटे बाद गेट की घंटी बजी और में फन्फनाते हुए लंड के साथ गेट पे गया और गेट खोला. तब तक दीदी भी बाहर हॉल में आ गयी थी. गेट खोला तो देखा कि स्वेता के साथ उसका छोटा भाई भी आया हुआ था. उसे अकेले नही भेजा उसके घर वालों ने. तो में अपने साले को देख के खुश हुआ. उन दोनो को अंदर ले के आया. अभी हम बैठे ही थे कि साले ने साले जैसी हरकत कर दी.

उसने बड़े इतरा के कहा कि दीदी मुझे नींद आ रही है में थक गया हूँ मुझे सोना है. स्वेता ने भी उससे कह दिया कि तू मेरे रूम में जा के सो जा. साला उठा और सीधे मेरे बेड पे चला गया. में और दीदी स्वेता के साथ हॉल में थे यह देख के मेरी झान्टे जल गयीं इसका मतलब यह था कि आज स्वेता की चूत नही मिलेगी स्वेता ने तो इस्पे ध्यान भी नही दिया लेकिन दीदी को सब समझ में आ गया और वो ज़ोर से हंस दी.

वो मेरी हालत पे हंस रही थी, में तो तेल लगा के बैठा और उसपे मेरे साले ने चोट कर दी. कुछ देर बैठने के बाद दीदी अपने रूम में चली गयी मेने हॉल की लाइट बंद की और स्वेता को जकड लिया.

स्वेता-आज नही राजीव अंदर ही है. अच्छा नही लगता.

मे-वो तो सो रहा है.हॉल में सिर्फ़ हम दोनो हैं प्लीज़ एक राउंड चोद लेने दे.में तो मर गया तेरे बिना,

स्वेता-मर तो में भी गयी मेरी भी पूरी गीली है लेकिन आज नही राजीव अंदर सो रहा है प्लीज़ आज नही कल वो चला जाएगा कल चाहे तो पूरी रात मुझे रगड़ के चोद लेना बिना तेल लगाए लेकिन आज नही प्लीज़

मे-मेरा मूड मत खराब कर यार एक राउंड कर लेने दे बाद धीरे से करूँगा.जल्दी कर लूँगा प्लीज़

स्वेता- आपका एक बार अंदर गया तो मेरी चीख निकल ही जाएगी और आप भी इतनी जल्दी तो झडोगे नही. तो प्लीज़ आज मत करो यह सोच लो कि में कल आउन्गि आज की रात और काट लो मेरे बगैर.लेकिन आज नही प्लीज़ स्वेता इतना कह के उठी और बेडरूम की तरफ चल दी. में अभी भी पीछे पीछे आ रहा था उसके कि शायद उसका मूड बन जाए. लेकिन भाई का प्यार और डर मेरे लंड की प्यास से ज़्यादा स्ट्रॉंग थे वो सीधे रूम में गयी.

और उसने कहा कि वो रूम अंदर बंद कर रही है ताकि में रात में आके उसे चोद ना सकूँ.मेने कहा एक चुम्मा तो दे दे. उसने कुछ नही किया.मुझे रूम से बाहर धकेला और रूम अंदर से बंद कर लिया. अब में हॉल में था. अकेला.लाइट बंद और मेरा दिमाग़ भी बंद था. मेरा मन कर रहा था कि अभी गेट तोड़ के जाउ और राजीव के सामने ही उसकी बहन की चूत फाड़ के भोसड़ा बना दूं. लेकिन कुछ नही कर सकता था.मेने गुस्से में मूठ भी नही मारी और सोफे पे आके लेट गया.

लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी. करीब 2 घंटे बाद दीदी वाले रूम का गेट खुला. में तो जाग ही रहा था दीदी भी हाल में बाहर आ गयी.मुझे देखा हॉल में ज़ीरो वॉट के तीन बल्ब थे.उसने तीनो चालू कर दिए. काफ़ी रोशनी हो गयी मेने दीदी को देखा.कुछ कहा नही वो तो जानती ही थी कि मेरे दिमाग़ में क्या चल रहा होगा. वो चुपके से गयी और स्वेता वाले रूम को बाहर से भी बंद कर दिया.
 

kumarrajnish

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में थोड़ा सर्प्राइज़ हुआ कि ऐसे क्यूँ किया. लेकिन कुछ कहा नही. और चुपचाप सोफे पे लेटा रहा दीदी आई और साइड वाले सोफे पे बैठ गयी अपने साथ दो ग्लास पानी भी लाई थी. एक मुझे दिया और एक ग्लास खुद पीने लगी थोड़ी देर तक हम ऐसे ही बैठे रहे. बिना बात किए में उपर की तरफ देख रहा था और दीदी ना जाने कहाँ देख रही थी. थोड़ी देर बाद बोली.
दीदी- तेरे साले ने तो तेरे खड़े पे चोट कर दी आज

मे-आपको सोना नही है

दीदी-मेने कहा था कि तेल कल लेना.मुझे पता था कि वो अपने भाई के साथ आ रही है.

मे-मुझे बात नही करनी दीदी आप प्लीज़ जा कर सो जाओ.

दीदी-मुझपे क्यूँ अपना गुस्सा निकाल रहा है.जिसने तेरी जलाई है जा उसे बोल ना.

मे- आप भी तो जला ही रही हो ना अभी. सो जाओ जा के.

दीदी-तू भी पागल है एक रात का वेट कर लेगा तो मर थोड़ी ना जाएगा.

मे- प्लीज़ दीदी आप जाओ ना यार यहाँ से.

दीदी- तू तो ऐसे कर रहा है जैसे कोई बच्चा हो कि खिलौना आज ही चाहिए. कल से तेरा खड़ा नही होगा क्या?

मे- आप को क्या पता में अभी क्या फील कर रहा हूँ? कितने दिनो से वेट कर रहा था. मेरा दिमाग़ पहले ही खराब है.आप जाओ यहाँ से.

दीदी-मुझे पता है रे कि तू अभी क्या फील कर रहा है. में कितने ही सालों से हर रात ऐसा ही फील करती हूँ. मुझे बहुत अच्छे से पता है.इसीलिए कह रही हूँ कि ज़्यादा गुस्सा ना कर. स्वेता ने कुछ ग़लत नही किया उसका भाई आया हुआ है. तुझे खुश होना चाहिए. और अपने भाई के रहते हुए वो तुझसे दूर ही रहेगी. हमारा घर भी इतना बड़ा नही है कि एक गेस्ट रूम बनवा सकें. मुझे बड़ी चुभति है यह बात कि तेरी शादी शुदा जिंदगी में इतनी प्रॉब्लम्स हैं.

मे- ऐसा नही है दीदी.में बस गुस्से में ना जाने क्या बोल गया . सॉरी दीदी.और आपको बिल्कुल भी सॅड नही होना चाहिए.में इस घर में खुश हूँ.और आप बस देखो कि में अब इस घर को कितना बड़ा बना दूँगा. मेरा बस थोड़ा मूड खराब था. अब में ठीक हूँ.

दीदी- वेरी गुड अब ज़्यादा मूड ऑफ मत कर नही तो मेरा भी खून जलेगा. चल अब उठ के बाथरूम में जा के हिला ले और फिर सो जा चुपचाप. जो करना है कल कर लेना. वो कही भागी नही जा रही है.ना ही कल से उसका छेद बंद हो जाएगा. इतनी जल्दबाज़ी ना कर. बल्कि खुश हो जा कि वो आ गयी.जा जा के बाथरूम में हिला के आ जल्दी.

मे-क्या? क्या कहा?

दीदी- क्यूँ एक बार में समझ में नही आया क्या? फिर से कहूँ?

मे-नही लेकिन आपने इतनी आसानी से कहा जैसे कितनी नॉर्मल बात हो तो ज़रा शॉक सा हो गया.

दीदी-तू कब तक बच्चा बना रहेगा रे तेरी दीदी की भी शादी हुई थी कभी उसका भी एक मर्द था कभी वो अच्छे से जानती है मर्दों के बारे में. समझ गया अब जा और अपना काम ख़तम कर फिर मुझे भी जाना है बड़ी रात हो गयी सोउंगी कब.

मे- हां बाबा जा रहा हूँ दीदी एक बात पूछूँ?

दीदी- सब बाद में पूछ लेना पहले जा जल्दी.

मेरे बिना कुछ कहे ही दीदी ने मुझे हाथ पकड़ के सोफे से उठाया और बाथरूम के गेट तक धक्का देती हुई ले आई
इस दौरान वो मेरी पीठ से चिपकी हुई थी और उसने अपने चुचियों को मेरी पीठ से बिल्कुल चिपका रखा थी मेरा लंड अब रेडी था. में बाथरूम में जा के गेट बंद किया और आराम से बैठ कर मूठ मारी बड़ा मज़ा आया. करीब 15मिनट लगे और फिर में बाहर आ गया दीदी अभी भी सोफे पे बैठ हुई थी मुझे देख के मुस्काराई और बोली
दीदी-तुझे बड़ी देर लगती है रे.

मे-आप मेरा कितना मज़ाक उड़ाती हो.

दीदी-हाए अब तेरा मूड ठीक हुआ है इतनी देर से गुब्बारा जैसा मुँह फूला के बैठा हुआ था तू एक नंबर का रोंदू है हमेशा से.

मे- नही दीदी लेकिन जब ऐसी चोट होती है तो दिमाग़ तो फिर ही जाता है ना

दीदी- हां मुझे पता है तू क्या पूछने वाला था मुझसे?

मे-हां वो में पूछ रहा था कि वो आप मतलब कब से.

दीदी-क्या?

मे-पूछ रहा हूँ ना रूको तो में आप जैसा बोल्ड नही हूँ

दीदी-तेरी शादी हो गयी लेकिन तू है पूरा बच्चा ही यही पूछना चाहता है ना कि में रात में बाथरूम में क्या करती हूँ?

मे-क्या करती हो वो में जानता हूँ.में तो यह पूछ रहा था कि म्म्मे मतलब कैसे कहूँ रहने दो मुझे कुछ नही पूछना.

दीदी- तू कब मेरे साथ फ्री होगा इतना तो में नही शरमाती जितना तू शरमाता है. चल तू बैठ आराम से या नींद आ जाए तो सो जाना.में बाथरूम से हो के आती हूँ.

दीदी उठी और चली गयी में सोफे पे लेटा रहा नींद तो आ नही रही थी. दीदी ने एक गाउन पहना हुआ था जब वो करीब 20मिनट बाद बाथरूम से निकली तो मेने देखा कि उसने गाउन उतार दिया है फिर से. अब उपर वही ब्लॅक रंग की ब्रा है और नीचे एक लूस बँधा हुआ पेटिकोट नेवेल से भी काफ़ी नीचे बँधा हुआ. उसके एक हाथ में उसका गाउन था और दूसरे में उसकी पैंटी.

पल भर को हमारी नज़रें मिली.मेने उसके कपड़े देखे जो पहने हुए थे और जो हाथ में थे दीदी ने भी मुझे देखते हुए देखा उन्होने कपड़े वही साइड में फेर्श में डाल दिए और मेरे सोफे की तरफ आई.
 
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