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ऐसे ही अगले कुछ दिन चलते रहे फिर कुछ दिनो के बाद स्वेता का छोटा भाई उसे घर लेके जाने के लिए आया. उसके यहाँ कोई रस्म थी और उसे करीब 10 दिनो के लिए अपने माइके जाना था. उसका भाई एक दिन रहा और फिर अगले दिन वो उसे ले गया. मेने अभी तक स्वेता की चूत में पूरा लंड डाल के चोदना शुरू नही किया था.
पहले दो दिनो के बाद से में उतना ही लंड डालता था जितना वो सह लेती थी. और फिर उतने से ही चोद चोद के झड जाता था. में पूरा सॅटिस्फाइड तो नही था लेकिन इस बात की खुशी थी कि मेरी बीवी मेरे लंड से दूर नही भागती थी बल्कि वो पूरी कोशिश कर रही थी कि मुझे पूरा सुख दे सके.
स्वेता के जाने से घर सूना सूना सा हो गया था. स्वेता के जाने के दूसरे दिन की बात है में ऑफीस से लौट के आया तो देखा कि माँ अपने कमरे में सो रही है. मेने दीदी से पूछा कि इस टाइम पे क्यू सो रही है माँ तो उसने कहा कि सेहत ठीक नही है. में सोफे पे बैठ गया और दीदी मेरे लिए कुछ स्नॅक्स ले आई हम बैठे टीवी देख रहे थे तभी दीदी ने कहा-
दीदी- तुझे स्वेता की बड़ी याद आती है ना?
राज- ऐसा क्यूँ बोल रही हो?
दीदी- जब से गयी है तू उदास सा हो गया है. ना कुछ बोलता है ना कुछ हँसी मज़ाक करता है.
राज-नही दीदी ऐसी बात नही है.काम का लोड ज़रा ज़्यादा है.
दीदी-हां और आजकल ओवरटाइम करने लगा है. तुझे पैसों की इतनी कमी है कि तुझे ओवरटाइम करना पड़ता है.में तो इतना कमा भी नही पाती कि तुझे एक सुखी जिंदगी दे सकूँ.
राज- ऐसी बात नही है दीदी. मुझे बस घर ज़रा सूना सूना सा लगता है इसलिए ऑफीस में ज़्यादा देर तक रहता हूँ.यहाँ आता हूँ तो स्वेता की कमी खलती है.
दीदी-हाए राम यह बात है तो तूने मुझे कहा क्यूँ नही. में भी कितनी पागल हूँ कि अपने भाई की फिकर ही नही करती ठीक से. चल अबसे में तुझे स्वेता की कमी बिल्कुल भी नही खलने दूँगी. तू घर से दूर मत रहा कर.
राज-नही दीदी.आप क्यूँ तकलीफ़ करोगी.में ठीक हो जाउन्गा. कुछ ही दिनो के बाद तो वो आ ही रही है.
दीदी- हाय रे. में इतनी भी बुरी नही हूँ कि मेरे भाई को दिखाई ही ना दूं. चल अब तू फ्रेश हो जा. और में पूरी प्लॅनिंग करती हूँ कि कैसे तेरा मन बहलाया जाए जब तक तेरी पलंग पोलो की पार्ट्नर नही आ जाती.
में उठ के अपने रूम में आया. कपड़े उतारे और बाथरूम में चला गया. घर में एक ही बाथरूम था. मेने जाते ही नोटीस किया कि वहाँ फिर से दीदी की पैंटी और ब्रा सूख रही थी.मेने इग्नोर किया और मुँह हाथ धोकर बाहर चला आया.माँ अभी भी सो रही थी. बाहर आया तो दीदी ने सोफे पे बैठने को कहा.
दीदी-चल अब बता मुझे तुझे स्वेता क्यूँ इतनी याद आती है.
राज- जाने दो ना दीदी.क्यूँ इसी बात पे अटकी हुई हो.
दीदी- नही तू बता मुझे. उसमे ऐसा क्या खास है जो तेरी दिल जीत लिया उसने.
राज- दीदी आप तो जानती हैं कि मेरी कभी कोई गर्लफ्रेंड नही रही और एक मर्द की लाइफ में औरत का तो बहुत बड़ा हाथ होता है.वो मेरी जिंदगी की पहली औरत है और मेरे लिए बेस्ट है.मेरा इतना ख्याल रखती है.
दीदी- हां वो तेरी जिंदगी की फर्स्ट औरत है लेकिन आख़िरी तो नही है ना. तू उसके अलावा सब को भूल जाएगा तो यह तो बुरा लगने वाली बात है ना.
राज- नही दीदी यह बात नही है आप और माँ तो मेरे लिए हमेशा भगवान के समान हो. पर बीवी तो बीवी होती है ना उसकी जगह तो कोई नही ले सकता. जैसे वो आपकी जगह नही ले सकती.
दीदी-हां सही कहा बीवी तो बीवी ही है मैं भी थी किसी की बीवी लेकिन उस भडवे ने तो मुझे ठीक से देखा भी नही कभी
मे-दीदी यह इतनी गालियाँ कहाँ से सीख ली?
दीदी-सुन सुन के सीख गयी रे ऑफीस में राह चलते ना जाने कितने लोग कितनी कितनी बातें सुना देते हैं. सब कुछ तो इग्नोर नही कर सकती.कुछ रह जाता है दिमाग़ में.तो बस कभी कभी बोल देती हूँ.मन की भडास निकल जाती है वरना किससे कहूँ कि मेरे अंदर क्या क्या तूफान चलते रहते हैं.
मे- दीदी आपने अपने आपको अकेला कर लिया है.में हूँ ना मेरे सामने आपको किसी प्रकार का कोई लिहाज नही करना चाहिए. जो आपके मन में आए वो बोलो.खुल के बोलो.में आपके इतना काम तो आ ही सकता हूँ.हम दोनो एक दूसरे के बेस्ट फ्रेंड्स बन सकते हैं
दीदी- हां भाई मुझे भी एक दोस्त की बहुत सख़्त ज़रूरत है. पता है मेरे ऑफिस में सभी लोग मेरे सामने तो ठीक से बात करते हैं लेकिन मेरी पीठ पीछे मुझे बहुत ही गंदा गंदा बोलते है मेरा वहाँ कोई दोस्त नही है मुझे वहाँ बिल्कुल भी अच्छा नही लगता.इसीलिए में जल्दी से जल्दी घर आने का रास्त ढूढ़ लेती हूँ.
मे-बस दीदी कुछ दिनो में मेरा काम चल निकलेगा और फिर आपकी काम करने की कभी ज़रूरत नही पड़ेगी.मेरी दिली तमन्ना है कि आपको और माँ को सब सुख दूं.
दीदी- और तेरी बीवी का क्या होगा? उसे कौन सुख देगा रे?
मे- क्या आप भी ना घुमा फिरा के मेरी बीवी पर ही आ जाती हो जानती हो कि मुझे इतनी याद आ रही है फिर भी.
दीदी- अरे मेरे देवदास में तो मज़ाक कर रही थी.
हम लोग काफ़ी देर तक बात करते रहे.फिर दीदी ने खाना बनाया. माँ भी उठ गयी थी लेकिन उसे बहुत वीकनेस थी तो दीदी ने उसे कुछ गोलियाँ दे दी वो खाना खा के सो गयी. में और दीदी कुछ देर तक टीवी देखते रहे और फिर अपने अपने रूम में चले गये. मैं बेड पे लेटा हुआ था लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी.मेरा लंड खड़ा हो के बीवी की चूत के लिए तड़प रहा था.फाइनाली मेने सोचा कि बिना मूठ मारे तो सारी रात नींद नही आएगी.
तो में धीरे से अपने रूम के बाहर आया और बाथरूम में चला गया. वहाँ फेर्श पे बैठ के मेने मज़े से मूठ मारी.करीब 15 मिनिट लगे होंगे. जब झडा तो लगा कि वाटेरफाल से पानी गिर रहा हो इतना रस निकाला मेरे लंड ने. में उठा हाथ धो कर जैसे ही बाथरूम का गेट खोला तो बाहर दीदी खड़ी थी.मुझे देख के ज़ोर से हंस दी. मेने सिर्फ़ अंडरवेर पहना हुआ था और कुछ भी ना और मेरा लंड अभी ठीक से बैठा भी नही
पहले दो दिनो के बाद से में उतना ही लंड डालता था जितना वो सह लेती थी. और फिर उतने से ही चोद चोद के झड जाता था. में पूरा सॅटिस्फाइड तो नही था लेकिन इस बात की खुशी थी कि मेरी बीवी मेरे लंड से दूर नही भागती थी बल्कि वो पूरी कोशिश कर रही थी कि मुझे पूरा सुख दे सके.
स्वेता के जाने से घर सूना सूना सा हो गया था. स्वेता के जाने के दूसरे दिन की बात है में ऑफीस से लौट के आया तो देखा कि माँ अपने कमरे में सो रही है. मेने दीदी से पूछा कि इस टाइम पे क्यू सो रही है माँ तो उसने कहा कि सेहत ठीक नही है. में सोफे पे बैठ गया और दीदी मेरे लिए कुछ स्नॅक्स ले आई हम बैठे टीवी देख रहे थे तभी दीदी ने कहा-
दीदी- तुझे स्वेता की बड़ी याद आती है ना?
राज- ऐसा क्यूँ बोल रही हो?
दीदी- जब से गयी है तू उदास सा हो गया है. ना कुछ बोलता है ना कुछ हँसी मज़ाक करता है.
राज-नही दीदी ऐसी बात नही है.काम का लोड ज़रा ज़्यादा है.
दीदी-हां और आजकल ओवरटाइम करने लगा है. तुझे पैसों की इतनी कमी है कि तुझे ओवरटाइम करना पड़ता है.में तो इतना कमा भी नही पाती कि तुझे एक सुखी जिंदगी दे सकूँ.
राज- ऐसी बात नही है दीदी. मुझे बस घर ज़रा सूना सूना सा लगता है इसलिए ऑफीस में ज़्यादा देर तक रहता हूँ.यहाँ आता हूँ तो स्वेता की कमी खलती है.
दीदी-हाए राम यह बात है तो तूने मुझे कहा क्यूँ नही. में भी कितनी पागल हूँ कि अपने भाई की फिकर ही नही करती ठीक से. चल अबसे में तुझे स्वेता की कमी बिल्कुल भी नही खलने दूँगी. तू घर से दूर मत रहा कर.
राज-नही दीदी.आप क्यूँ तकलीफ़ करोगी.में ठीक हो जाउन्गा. कुछ ही दिनो के बाद तो वो आ ही रही है.
दीदी- हाय रे. में इतनी भी बुरी नही हूँ कि मेरे भाई को दिखाई ही ना दूं. चल अब तू फ्रेश हो जा. और में पूरी प्लॅनिंग करती हूँ कि कैसे तेरा मन बहलाया जाए जब तक तेरी पलंग पोलो की पार्ट्नर नही आ जाती.
में उठ के अपने रूम में आया. कपड़े उतारे और बाथरूम में चला गया. घर में एक ही बाथरूम था. मेने जाते ही नोटीस किया कि वहाँ फिर से दीदी की पैंटी और ब्रा सूख रही थी.मेने इग्नोर किया और मुँह हाथ धोकर बाहर चला आया.माँ अभी भी सो रही थी. बाहर आया तो दीदी ने सोफे पे बैठने को कहा.
दीदी-चल अब बता मुझे तुझे स्वेता क्यूँ इतनी याद आती है.
राज- जाने दो ना दीदी.क्यूँ इसी बात पे अटकी हुई हो.
दीदी- नही तू बता मुझे. उसमे ऐसा क्या खास है जो तेरी दिल जीत लिया उसने.
राज- दीदी आप तो जानती हैं कि मेरी कभी कोई गर्लफ्रेंड नही रही और एक मर्द की लाइफ में औरत का तो बहुत बड़ा हाथ होता है.वो मेरी जिंदगी की पहली औरत है और मेरे लिए बेस्ट है.मेरा इतना ख्याल रखती है.
दीदी- हां वो तेरी जिंदगी की फर्स्ट औरत है लेकिन आख़िरी तो नही है ना. तू उसके अलावा सब को भूल जाएगा तो यह तो बुरा लगने वाली बात है ना.
राज- नही दीदी यह बात नही है आप और माँ तो मेरे लिए हमेशा भगवान के समान हो. पर बीवी तो बीवी होती है ना उसकी जगह तो कोई नही ले सकता. जैसे वो आपकी जगह नही ले सकती.
दीदी-हां सही कहा बीवी तो बीवी ही है मैं भी थी किसी की बीवी लेकिन उस भडवे ने तो मुझे ठीक से देखा भी नही कभी
मे-दीदी यह इतनी गालियाँ कहाँ से सीख ली?
दीदी-सुन सुन के सीख गयी रे ऑफीस में राह चलते ना जाने कितने लोग कितनी कितनी बातें सुना देते हैं. सब कुछ तो इग्नोर नही कर सकती.कुछ रह जाता है दिमाग़ में.तो बस कभी कभी बोल देती हूँ.मन की भडास निकल जाती है वरना किससे कहूँ कि मेरे अंदर क्या क्या तूफान चलते रहते हैं.
मे- दीदी आपने अपने आपको अकेला कर लिया है.में हूँ ना मेरे सामने आपको किसी प्रकार का कोई लिहाज नही करना चाहिए. जो आपके मन में आए वो बोलो.खुल के बोलो.में आपके इतना काम तो आ ही सकता हूँ.हम दोनो एक दूसरे के बेस्ट फ्रेंड्स बन सकते हैं
दीदी- हां भाई मुझे भी एक दोस्त की बहुत सख़्त ज़रूरत है. पता है मेरे ऑफिस में सभी लोग मेरे सामने तो ठीक से बात करते हैं लेकिन मेरी पीठ पीछे मुझे बहुत ही गंदा गंदा बोलते है मेरा वहाँ कोई दोस्त नही है मुझे वहाँ बिल्कुल भी अच्छा नही लगता.इसीलिए में जल्दी से जल्दी घर आने का रास्त ढूढ़ लेती हूँ.
मे-बस दीदी कुछ दिनो में मेरा काम चल निकलेगा और फिर आपकी काम करने की कभी ज़रूरत नही पड़ेगी.मेरी दिली तमन्ना है कि आपको और माँ को सब सुख दूं.
दीदी- और तेरी बीवी का क्या होगा? उसे कौन सुख देगा रे?
मे- क्या आप भी ना घुमा फिरा के मेरी बीवी पर ही आ जाती हो जानती हो कि मुझे इतनी याद आ रही है फिर भी.
दीदी- अरे मेरे देवदास में तो मज़ाक कर रही थी.
हम लोग काफ़ी देर तक बात करते रहे.फिर दीदी ने खाना बनाया. माँ भी उठ गयी थी लेकिन उसे बहुत वीकनेस थी तो दीदी ने उसे कुछ गोलियाँ दे दी वो खाना खा के सो गयी. में और दीदी कुछ देर तक टीवी देखते रहे और फिर अपने अपने रूम में चले गये. मैं बेड पे लेटा हुआ था लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी.मेरा लंड खड़ा हो के बीवी की चूत के लिए तड़प रहा था.फाइनाली मेने सोचा कि बिना मूठ मारे तो सारी रात नींद नही आएगी.
तो में धीरे से अपने रूम के बाहर आया और बाथरूम में चला गया. वहाँ फेर्श पे बैठ के मेने मज़े से मूठ मारी.करीब 15 मिनिट लगे होंगे. जब झडा तो लगा कि वाटेरफाल से पानी गिर रहा हो इतना रस निकाला मेरे लंड ने. में उठा हाथ धो कर जैसे ही बाथरूम का गेट खोला तो बाहर दीदी खड़ी थी.मुझे देख के ज़ोर से हंस दी. मेने सिर्फ़ अंडरवेर पहना हुआ था और कुछ भी ना और मेरा लंड अभी ठीक से बैठा भी नही