अब जैसे ही मैने ही यह बोला तो ठकुराइन ने आगे बढ़ी और मेरे होंठो को चूमते हुए बोली कि
ठकुराइन :राजा अब तू मुझे छोड़कर जाना भी चाहेगा तो भी मैं तुझे जाने नही दूँगी । अब तो अपनी पूरी जिंदगी तेरे नाम कर दी मेरे राजा।
मैं :लेकिन इसके बदले मुझे क्या फायदा होगा चुत तो मुझे बहुत मिल जाती है तो मैं तुम्हारे लिये ठाकुर से दुश्मनी क्यों मोल लू।
ठकुराइन :अब जब मैं तेरी हु तो बोल ना यार क्या चाहिए तुझे ।जो बोल मैं वादा करती हूं तुझे जरूर पूरा करूँगी।
मैं : ठीक है तो पहले मेरा सारा कर्ज खुद तुम भरो जो ठाकुर के पास है और दूसरा मुझे ठाकुर खानदान की हर बुर चाहिए।
मेरे इतना बोलते ही ठकुराइन वहां से नंगी ही अंदर की तरफ चली गयी बिना कुछ तो मुझे लगा कि ठकुराइन वैसे ही फेक रही थी इसके बस की कोई बात नही है और मैं अपने कपड़े पहन कर घर जाने के लिए तैयार होने लगा तभी ठकुराइन अपने हाथों में एक छोटा बैग लेकर आई और मुझे देते हुए बोली कि
ठकुराइन :तुम्हारा कर्जा कितना है मैं नही जानती और मेरे बोलने से हजार सवाल खड़े होंगे तो इसलिये यह पैसे ले जाओ और जितना होगा भर देना और बाकी के तुम रख लेना इसने 10 लाख रुपये है।
मैं :ठीक है तो अभी मैं चलता हूं यह मेरा नम्बर है जब मर्जी बुला लेना एक तो पूरा कर दी मेरी रांड पर दूसरी का क्या ।
ठकुराइन : चिन्ता मत कर उसका भी इन्तजाम जल्द ही कर दूँगी ।
मैं :ठीक है तो मैं अब चलता हूं मुझे घर जाने की देरी हो रही है तू ले चल छोड़ दे बगीचे तक।
ठकुराइन :तूने जाने लायक छोड़ा ही कंहा है फिर भी तुझे भेजना का इन्तजाम करती हु।
इसके बाद ठकुराइन ने एक लड़की को बोल कर मुझे गाड़ी से बगीचे तक छुड़वाया और वह लड़की मुझे छोड़कर चली गयी ।मैने भी अपनी बाइक उठाई और घर की तरफ चल दिया लेकिन फूटी किस्मत घर जाने से पहले ही ठाकुर की गाड़ी मेरे सामने से गुजरी और मैंने देखा कि ठाकुर का लड़का नशे में धुत हो कर एक लड़की को जबरदस्ती उठा कर ले जा रहा था और वह लड़की मुझे देखते ही बचाने की गुहार लगाने लगी मैं चाहे कितना भी कमीना क्यों ना हु पर मुझे वो लोग बिल्कुल भी पसन्द नही जो लड़कियों के साथ जबरदस्ती करे इसलिए मैंने उसे बचाने के मूड से अपने साथ लाये गमछे से अपना चेहरा ढका और बाइक स्टार्ट करके उस तरफ चल दिया जंहा वो लोग उस लड़की को लेकर गए हुए थे। जब मैं वंहा पहुँच कर देखा तो पंकज ने उस लड़की के कपड़े को लगभग फाड़ दिए थे और अब वह लड़की सिर्फ ब्रा पैंटी पर जमीन पर लेटी रो रही थी और उससे छोड़ देने की गुहार कर रही थी यह सब मुझसे नही देखा गया तो मैं आगे बढ़कर पंकज को एक लात घुमाकर मार जिसकी वजह से उस लड़की से दूर गिर गया और फिर उसके बाद पंकज अपने स्वभाव के अनुसार गाली देते हुए बोला
प ठाकुर : तू कौन है बे मादरचोद साले जा भाग जा यंहा से नही तो जान से मारा जायगा बे।
मैं : देख बे अगर मेरा दिमाग खराब किया न साले तो यही जान से मार दूंगा इससे अच्छा तो यही होगा कि चुप चाप अपने इन पालतू कुत्तो को लेकर निकल ले वरना तेरी ऐसी हालत करूँगा की मौत की भीख मांगेगा पर वह भी नही मिलेगी।
प ठाकुर अपने आदमियो के तरफ देख कर बोला
प ठाकुर : अबे सालो तुम सब देख क्या रहे हो मारो इस बहनचोद को।
प ठाकुर का इतना बोलना था कि उसके आदमी मेरे ऊपर टूट पड़े लेकिन मैं पहले से इसके लिए तैयार था क्यूंकि मैं जानता था कि यह साले कुत्ते की दुम है सीधा तो होने से रहे।अभी मैं कुछ करता उससे पहले ही एक बन्दे ने एक घुसा मेरे पेट मे मार दिया तो मैंने भी तुरन्त उसके हाथों को पकड़ के करारा झटका दिया और एक आवाज के साथ उसकी हाथ की हड्डी टूट गयी इसके बाद दो मिनट में ठाकुर के 5 आदमियो को हाथ पैर तोड़ कर जमीन पर गिरा दिया चाहता तो ठाकुर को भी जान से मार देता पर यह इसके लिए एक आसान मौत होती जो मैं देना नही चाहता था इसलिए उसकी हाथ की हड्डी तोड़ कर छोड़ दिया इसके बाद मैं अभी पलटा ही था कि प ठाकुर ने अपने जेब से एक चाकू निकाल कर मुझे मारने की कोशिश की अब चुकी मेरा ध्यान लड़की की तरफ था तो मैं देख नही पाया लेकिन उस लड़की ने मुझे बचाने के धक्का तो दिया पर जब तक मैं हटता तब तक देर हो चुकी थी और उसका चाकू मेरे बाए कंधे पर लग चुकी थी और इसमें ही एक अनहोनी हो गयी जो कि नही होनी चाहिए थी उसके चाकू मारने से मेरा खून निकल कर उसके मांग में सिंदूर की जगह भर गया और मुझे चाकू लगने की वजह से वह लड़की घबरा गई और उसे खुद भी उस समय पता नही चला कि क्या हुआ ।मुझ पर एक बार वार करने के बाद जब तक दूसरा वार करता तब तक मैने उसे एक और मुक्का मारा और वह बेहोश हो गया इधर मैं अब इस हालत में नही था कि घर भी जा पाऊ तो उस लड़की ने सबसे पहले मेरे चोट पर अपना फटा हुआ दुपट्टा बांधा और फिर मुझे सहारा देकर मेरे बाइक पर बिठाया और मुझसे मेरे घर का पता पूछने लगी तो मैंने उसे बता दिया और वह मुझे मेरे घर लेकर जाने लगी लेकिन शायद उसे मेरी चोट की वजह से अभी भी अपने हालत पर गौर नही किया था कि वह सिर्फ ब्रा और पैंटी में है क्यूंकि ठाकुर ने उसके सारे कपड़े फाड़ दिए थे सिवाय इसके तो मैंने उसे अपने गांव से बाहर ही रोक लिया तो वह बोली कि
लड़की :,क्या हुआ आपने यंहा पर गाड़ी क्यों रुकवाई।
मैं :आप इस हालत में अगर गांव में गयी तो लोग क्या कहेंगे आपके बारे।
मेरे ऐसा बोलने पर उस लड़की को अपनी हालत का अंदाजा हुआ की वह एक अनजान लड़के के सामने इस तरह अधनंगी हालत में है तो नारी लजा सुलभ सरमा गयी और पास में एक पेड़ के पीछे छुप गयी ।मुझे उसकी इस हरकत पर बहुत हस्सी आयी और मुझे इस तरह से हस्ते हुए देख कर वह बोली कि
लड़की :आप को शर्म नही आती एक असहाय लड़की की हालत पर हस्ते हुए।
मैं जब उसकी बात सुनी तो मेरा हसना रूक गया और मैंने सोचा कि क्या करूँ तभी मुझे कविता दी का ख्याल आया क्यूंकि इस लड़की की बॉडी बिल्कुल कविता दी कि तरह थी तो मैंने उन्हें फोन मिलाया और सयोंग से उन्हीने फोन उठाया और फोन उठाते ही बोली कि
कविता दी :क्या रे अभी दस मिनट नही हुआ तू है कंहा जल्दी घर आ भाभी इन्तजार कर रही है।
मैं :दीदी अभी मैं गांव से बाहर पीपल के पेड़ के पास हु आप एक काम करो अपना एक सेट कपड़ा जो थोड़ा अच्छा हो या तो नया हो लेकर आ जाये जल्दी से
कविता दी :"क्यों रे मेरा कपड़ा क्या करेगा तू
मैं :आप लेकर आ जाओ जल्दी से और आप यंहा पर आकर सब समझ जाओगी ।
इतना बोल कर मैने फोन रख दिया और मेरे फोन रखने के बाद कविता दी केपास खड़ी सरिता दी बोली कि
सरिता दी :क्या हुआ कविता तेरा कपड़ा क्यों मांग रहा है वह।
कविता दी:कुछ बताया तो नही लेकिन उसकी बातो से लग रहा था कि वह काफी परेशान है।
सरिता दी : वह परेशान नही है बल्कि किसी लड़की को चोद रहा होगा कमीना कहि का और कोई कपड़ा लेकर चला गया होगा इसलिए तुम्हे कपड़े लेकर बुला रहा है।
कविता दी :अब तो जो होगा वँहा पर जाकर ही पता चलेगा।
इसके बाद कविता दी अपनी एक नई ड्रेस लेकर चल दी सरिता भी साथ मे आने को बोल रही थी लेकिन उसने मना कर दिया और खुद लेकर चल दी।इधर मैं वेट करके परेशान हो गया तो फोन करने ही वाला था कि देखा कि कविता दी आ ही रही थी और मेरे पास आकर बोली कि
कविता :क्यों रे कंहा था शाम से और मेरा कपड़ा क्या करेगा तू ।
मैं उन्हें बीच मे रोकते हुए बोला कि
मैं : दीदी शांत हो जाओ मैं आपको सब कुछ बताऊंगा पहले पेड़ के पीछे एक लड़की है उसे आप यह ड्रेस दे दीजिए वह पहन लें फिर बाते करते है।
मैं उनसे इतनी अच्छे से बात किया तो वह समझ गयी कि कुछ बात है जो मैं उन्हें खुलने से मना कर रहा हु तो वह भी एक बार तिरछी नजर से मुझे देखते हुए चली गई और कुछ देर बाद वह लड़की मेरे सामने आई और बोली कि
लड़की :आप मेरे साथ हॉस्पिटल चले और वँहा पर आपका इलाज करा कर मैं आपको घर छोड़ दूँगी।
कविता दी हॉस्पिटल जाने की बात सुनकर घबरा गई और बोली कि
कबिता दी :भाई क्या हुआ हैंतुझे ।
मैं :कुछ नही हुआ है दीदी बस हल्की सी चोट लगी है इसलिये यह बोल रही है ।
लड़की : नही यह झूठ बोल रहे है मुझे कुछ गुंडो से बचाने के चक्कर मे इनको चाकू लग गया है मैंने इनके कंधे पर अपना दुपट्टा तो बांध दिया था जिसकी वजह से खून बहना तो बन्द हो गया लेकिन चोट का इलाज कराना ही होगा ना अगर यंहा पास में कोई डॉक्टर है या हॉस्पिटल तो चले बाकी बाते वही कर लेंगे।
इसके बाद वह लड़की मुझे अपने साथ बाइक पर बिठा कर कविता दी के द्वारा बताए गए डॉक्टर के घर की तरफ चल दी क्यूंकि गांव में इतनी रात तक दुकान बंद हो जाती है। तो वह हम तीनो को लेकर डॉक्टर के घर चले गए ।एक बात यह भी थी कि हम लोग एक घण्टे से साथ मे थे लेकिन ना ही एक दूसरे का नाम जानते थे और ना ही एक दूसरे का चहेरा देख पाए थे।उधर जब हम डॉक्टर के घर पहचे तो वँहा पर भी किस्मत ने एक बार फिर धोखा दिया और हम लोग के उनके घर पहुचते ही लाइन कट गई और अंधेरा हो गया। वँहा जाने के जो गांव के ही डॉक्टर थे वह मेरा इलाज किये इधर उस लड़की ने मेरे फोन से अपने आदमी को फ़ोनकरके गाड़ी लाने को बोला और कुछ देर बाद जब उसकी गाड़ी आ गयी तो वह हम लोगो से इजाजत लेकर चली गयी और किस्मत से हम दोनों ने बिना के दूसरे को देखे और नाम जाने बिना ही चले गए। इधर कविता दी ने घर पर फोन कर दिया तो घर से माँ पापा और बड़े पापा तीनो लोग वँहा आ गए और मुझे पापा और बड़े पापा ने तो सबासीदी मेरे काम के लिए लेकिन मा नाराज हो रही थी ।
वही दूसरी तरफ ठाकुर को कुछ लोगो ने उसके बेटे के हाल के बारे में बताया तो वह भी अपने बेटे और उसके आदमियो को लेकर हॉस्पिटल चला गया।इधर वह लड़की अपने घर पहुची जो कि किसी महल से कम नही था और हो भी क्यों ना सिंह ग्रुप ऑफ कम्पनी के मालकिन का घर था । जब वह लड़की घर पहुची तो उसकी माँ बोली
ल माँ :बेटी यह तुमने कैसे कपड़े पहन रखे है और आज इतना लेट क्यों हो गयी ऑफिस से आने में।
इसके बाद लड़की ने वह सब बता दिया जो भी आज उसके साथ हुआ था तो उस लड़की की माँ ने पूछा कि
ल मा :भगवान भला करे उस लड़के का जो फरिश्ता बन कर तेरी इज्जत और जान दोनों बचा लिया और एक बात बता तू आज अकेले क्यों गयी थी मीटिंग के लिए गार्ड को लेकर जाना चाहिए था ना अगर भगवान न करे वह लड़का नही आता तो तू बता आज हम किसके सहारे जीते एक तू ही तो है जिसकी वजह से हम जी रहे है वरना हम कबका मर गए होते।
फिर अचानक उस औरत की नजर उस लड़की के मांग में पड़ती है तो वह चोंक जाती है और बोलती हैंकि
ल माँ :बेटी यह क्या लगा है तेरे मांग में
ओर वह ध्यान से देखती है तो पता चलता है कि खून है तो वह औरत बोलती है
ल माँ:बेटी भगवान ने मेरी सुन ली और तुझे फिर से सुहागन बना दिया