- 90
- 1,174
- 83
अपनी माँ की बातों को सुनकर वह लड़की सन्न रह जाती है।उसे अपनी माँ की बातो पर यकीन नहीं होता है तो वह खुद जाकर शीशे में अपनी मांग को देखती है तो उसकी आँखों से आशु बहने लगते है और वह अपने घुटनों के बल बैठ कर रोने लगती है और बोलती है कि
लड़की : माँ यह क्या अनर्थ हो गया ।अब मैं किसी को क्या मुह दिखाउंगी ।अब लोगो के सामने कैसे जाऊंगी ।("फिर कुछ सोच कर बोलती है) मैं इसे अभी बिना किसी के जानने से पहले ही धो कर साफ कर दूंगी।
ल माँ :बेटी आखिर कब तक उसके जाने का गम मनाती रहोगी ।तुम्हारी शादी के कुछ ही दिनों के बाद उसकी कार एक्सीडेंट में डेथ हो गयी उसके जाने के बाद एक बेटे की तरह इस घर को संभाला है आखिर कब तक अपनी खुशियों का गला घोटती रहोगी और तुम्हारे साफ कर देने से यह सच दुनिया के लिए भले ही छुप जाएगा लेकिन भगवान की नजरों से कैसे छुपाओगी। यह दुनिया बड़ी जालिम है बेटी अकेली औरत की जिंदगी काटो के सेज के समान होती है जंहा हर वक्त कोई न कोई हवस भेड़िया मौके की तलाश में रहता है।
लड़की :मा आप मेरी बात को समझ क्यों नही रही हो मेरे लिए इतना आसान नही है उसे भुलाना आखिर में वह मेरा पहला प्यार था और साथ मे पति भी तो ऐसे कैसे भूल जाऊ आप ही बताओ।
औरत :बेटी अगर तू मुझे अपना मानती है तो अब इस बारे में मैं कोई बहस नही करना चाहती हु बस इतना जान लो कि अगर तुमने मेरी बात को नही माना तो मैं अपनी जान दे दूँगी अब फैशला तुम्हे करना है जो नही है उसके लिए रो कर जीना है या जो है उनके खुशी भी तुम्हारे लिए कोई मायने रखती है।
लड़की :ठीक है माँ अगर आपकी यही मर्जी है तो यही सही लेकिन एक समस्या है ।
औरत :अब क्या समस्या हो गयी बेटी।
लड़की : समस्या तो यही है कि माँ ना तो मैंने उसका चेहरा देखा है और ना ही उसका नाम जानती हूं।
औरत :मुझे तुमसे यह उम्मीद नही थी बेटी जिसने तुम्हारी इज्जत बचाई उसका नाम तो छोड़ो चेहरा तक नही देख पायी ।
लड़की :मा क्या करूँ वक्त और हालत ऐसे हो गए कि मैं नही देख पायी ।उसे उसके घर लेकर जा रही थी क्यूंकि उसे चोट लगी थी लेकिन मैं ऐसी हालत में थी कि नही जा सकी और अब हालात यह है कि मैं सिर्फ उसका गांव के बारे में जानती हूं और कुछ भी नही पता है।
इधर मैं कविता दी मा बापू और बड़े पापा के साथ घर पहुँचा ही था कि सरिता दी मेरे पास आ गयी और उनके साथ भाभी भी थी जो कि आज मेरा इन्तजार कर रही थी उनके आंखों में भी आँशु थे और वह मेरे पास आई और बोली कि
जुही भाभी :आखिर कर तुमने ऐसा क्यों किया ।तुमको एक बार भी हम लोगो का ख्याल नही आया कि अगर तुमको कुछ हो गया तो हम लोग कैसे जीते क्या जरूरत है तुम्हे दुसरो के लफड़ों में पड़ने की।
मैं :भाभी आप भी जानती हो कि मैं अपने आँखों के सामने मैं किसी का बुरा नही देख सकता यह तो आप भी जानते हो ।
भाभी :फिर भी तुम्हे ठाकुर से उलझने की क्या जरूरत थी और उस पर से तूने उसकी वह हालत कर दी है कि ठाकुर अपने बेटे की ऐसी हालत करने वाले को वह छोड़ेगा क्या।
सरिता :तू ठाकुर की बात छोड़ पहले यह बता की तेरे साथ वह लड़की कौन थी जिसकी वजह से यह सारा बवाल हुआ।
मैं :अरे मेरी माँ जितना तुम लोग बना रही हो मुझे उतना चोट नही लगा है इसलिये अब तुम लोग शांत हो जाओ।वरना मुझसे बुरा और कोई नही होगा।
कविता दी कान में बोलती है कि
कविता दी :बहनचोद तुझसे बुरा और कौन हो सकता है यंहा पर एक बुर तरस रही है लण्ड के लिए और तू है कि दूसरों की गण्ड मारने में लगा हुआ है साले मेरे पास लण्ड होता तो सबसे पहले तेरी ही गांड मारती है।
सरिता दी :ओ लैला मजनू क्या बाते हो रही है शर्म कर लो हम भी है यंहा पर ।
सरिता दी के ऐसा बोलने पर कविता दी ने सरिता दी कान में बोलती हैंकि
कविता दी :क्यों तेरी बुर में लण्ड नही डाल रहा है इसलिए जलन हो रहीं है क्या।अगर ऐसी बात है चिंता मत कर यह साला पक्का बहनचोद है तुझे भी उल्टा करके चोदेगा दोनों मिल कर चुड़वाएँगी इससे ।
मैं इन लोगो की बाते सुनकर यह सोच रहा था कि मैं नई बुर मिलने की खुशी मनाऊ या जो आज तक मैं नही किया उसके लिए गम मनाऊ।
इधर माँ मेरे लिए दूध लेकर आती हैं तो देखती है कि मुझे छोड़कर यह दोनों आपस मे लड़ रही थी और भाभी मेरे पैरों के पास बैठी हुई थी मा यह देखकर कविता और सरिता दी पर गुस्सा हुई तो वह लोग मेरे पास आगयी और बिना एक दूसरे को परेशान किये हुए बैठी थी । मा के जाने के बाद वह लोग फिर से सुरु हो गए तो मैं बोला कि
मैं : आप लोग फिर से मत सुरु हो जाओ और वैसे भी आज का समय किसी और के लिए दिया हु तो आप लोग अपनी मस्ती बन्द करो
सरिता दी :मतलब की सच मे तू पक्का बहनचोद है कुछ तो शर्म कर ले हम तेरी बहने है साला फिर भी दिमाग मे हमेशा गन्दगी भरी है चोट लगी है लेकिन फिर भी मस्ती सूझ रही है।
मैं :अब अगर अगल बगल इतनी मस्त हसीनाएं होंगी तो अब हम जैसे भौरे क्या करेंगे।
कविता दी : चल ज्यादा मस्ती मत कर पहले ठीक हो जा उसके बाद तेरा जो मर्जी वह करना मैं भी तेरे साथ हु तू जो बोलेगा मैं वह करूँगी।
इधर दूसरी तरफ ठाकुर भानु अपने बेटे की हालत देखकर बहुत ही गुस्से में घूम रहा था अपने घर पर तब वहां पर ठकुराइन आती है उन्हें चिंता में देख कर बोलती है कि
ठकुराइन :क्या बात है आप बहुत परेशान दिख रहे है।
ठाकुर :पहले तो तुम यह बताओ कि तुम शाम से कंहा थी घर पर इतना कुछ हो गया और तुम्हारा कुछ पता ही नही चला ।छूट देने का इतना भी फायदा मत उठाओ की हमे रोक लगानी पड़े।
ठकुराइन (मन मे )तेरी गांड में इतना दम कंहा अब की तू मेरा एक झांट का बाल भी सीधा कर सके ।अब तो मुझे वह मिल गया है जिसकी हमे कब से तलाश थी
लड़की : माँ यह क्या अनर्थ हो गया ।अब मैं किसी को क्या मुह दिखाउंगी ।अब लोगो के सामने कैसे जाऊंगी ।("फिर कुछ सोच कर बोलती है) मैं इसे अभी बिना किसी के जानने से पहले ही धो कर साफ कर दूंगी।
ल माँ :बेटी आखिर कब तक उसके जाने का गम मनाती रहोगी ।तुम्हारी शादी के कुछ ही दिनों के बाद उसकी कार एक्सीडेंट में डेथ हो गयी उसके जाने के बाद एक बेटे की तरह इस घर को संभाला है आखिर कब तक अपनी खुशियों का गला घोटती रहोगी और तुम्हारे साफ कर देने से यह सच दुनिया के लिए भले ही छुप जाएगा लेकिन भगवान की नजरों से कैसे छुपाओगी। यह दुनिया बड़ी जालिम है बेटी अकेली औरत की जिंदगी काटो के सेज के समान होती है जंहा हर वक्त कोई न कोई हवस भेड़िया मौके की तलाश में रहता है।
लड़की :मा आप मेरी बात को समझ क्यों नही रही हो मेरे लिए इतना आसान नही है उसे भुलाना आखिर में वह मेरा पहला प्यार था और साथ मे पति भी तो ऐसे कैसे भूल जाऊ आप ही बताओ।
औरत :बेटी अगर तू मुझे अपना मानती है तो अब इस बारे में मैं कोई बहस नही करना चाहती हु बस इतना जान लो कि अगर तुमने मेरी बात को नही माना तो मैं अपनी जान दे दूँगी अब फैशला तुम्हे करना है जो नही है उसके लिए रो कर जीना है या जो है उनके खुशी भी तुम्हारे लिए कोई मायने रखती है।
लड़की :ठीक है माँ अगर आपकी यही मर्जी है तो यही सही लेकिन एक समस्या है ।
औरत :अब क्या समस्या हो गयी बेटी।
लड़की : समस्या तो यही है कि माँ ना तो मैंने उसका चेहरा देखा है और ना ही उसका नाम जानती हूं।
औरत :मुझे तुमसे यह उम्मीद नही थी बेटी जिसने तुम्हारी इज्जत बचाई उसका नाम तो छोड़ो चेहरा तक नही देख पायी ।
लड़की :मा क्या करूँ वक्त और हालत ऐसे हो गए कि मैं नही देख पायी ।उसे उसके घर लेकर जा रही थी क्यूंकि उसे चोट लगी थी लेकिन मैं ऐसी हालत में थी कि नही जा सकी और अब हालात यह है कि मैं सिर्फ उसका गांव के बारे में जानती हूं और कुछ भी नही पता है।
इधर मैं कविता दी मा बापू और बड़े पापा के साथ घर पहुँचा ही था कि सरिता दी मेरे पास आ गयी और उनके साथ भाभी भी थी जो कि आज मेरा इन्तजार कर रही थी उनके आंखों में भी आँशु थे और वह मेरे पास आई और बोली कि
जुही भाभी :आखिर कर तुमने ऐसा क्यों किया ।तुमको एक बार भी हम लोगो का ख्याल नही आया कि अगर तुमको कुछ हो गया तो हम लोग कैसे जीते क्या जरूरत है तुम्हे दुसरो के लफड़ों में पड़ने की।
मैं :भाभी आप भी जानती हो कि मैं अपने आँखों के सामने मैं किसी का बुरा नही देख सकता यह तो आप भी जानते हो ।
भाभी :फिर भी तुम्हे ठाकुर से उलझने की क्या जरूरत थी और उस पर से तूने उसकी वह हालत कर दी है कि ठाकुर अपने बेटे की ऐसी हालत करने वाले को वह छोड़ेगा क्या।
सरिता :तू ठाकुर की बात छोड़ पहले यह बता की तेरे साथ वह लड़की कौन थी जिसकी वजह से यह सारा बवाल हुआ।
मैं :अरे मेरी माँ जितना तुम लोग बना रही हो मुझे उतना चोट नही लगा है इसलिये अब तुम लोग शांत हो जाओ।वरना मुझसे बुरा और कोई नही होगा।
कविता दी कान में बोलती है कि
कविता दी :बहनचोद तुझसे बुरा और कौन हो सकता है यंहा पर एक बुर तरस रही है लण्ड के लिए और तू है कि दूसरों की गण्ड मारने में लगा हुआ है साले मेरे पास लण्ड होता तो सबसे पहले तेरी ही गांड मारती है।
सरिता दी :ओ लैला मजनू क्या बाते हो रही है शर्म कर लो हम भी है यंहा पर ।
सरिता दी के ऐसा बोलने पर कविता दी ने सरिता दी कान में बोलती हैंकि
कविता दी :क्यों तेरी बुर में लण्ड नही डाल रहा है इसलिए जलन हो रहीं है क्या।अगर ऐसी बात है चिंता मत कर यह साला पक्का बहनचोद है तुझे भी उल्टा करके चोदेगा दोनों मिल कर चुड़वाएँगी इससे ।
मैं इन लोगो की बाते सुनकर यह सोच रहा था कि मैं नई बुर मिलने की खुशी मनाऊ या जो आज तक मैं नही किया उसके लिए गम मनाऊ।
इधर माँ मेरे लिए दूध लेकर आती हैं तो देखती है कि मुझे छोड़कर यह दोनों आपस मे लड़ रही थी और भाभी मेरे पैरों के पास बैठी हुई थी मा यह देखकर कविता और सरिता दी पर गुस्सा हुई तो वह लोग मेरे पास आगयी और बिना एक दूसरे को परेशान किये हुए बैठी थी । मा के जाने के बाद वह लोग फिर से सुरु हो गए तो मैं बोला कि
मैं : आप लोग फिर से मत सुरु हो जाओ और वैसे भी आज का समय किसी और के लिए दिया हु तो आप लोग अपनी मस्ती बन्द करो
सरिता दी :मतलब की सच मे तू पक्का बहनचोद है कुछ तो शर्म कर ले हम तेरी बहने है साला फिर भी दिमाग मे हमेशा गन्दगी भरी है चोट लगी है लेकिन फिर भी मस्ती सूझ रही है।
मैं :अब अगर अगल बगल इतनी मस्त हसीनाएं होंगी तो अब हम जैसे भौरे क्या करेंगे।
कविता दी : चल ज्यादा मस्ती मत कर पहले ठीक हो जा उसके बाद तेरा जो मर्जी वह करना मैं भी तेरे साथ हु तू जो बोलेगा मैं वह करूँगी।
इधर दूसरी तरफ ठाकुर भानु अपने बेटे की हालत देखकर बहुत ही गुस्से में घूम रहा था अपने घर पर तब वहां पर ठकुराइन आती है उन्हें चिंता में देख कर बोलती है कि
ठकुराइन :क्या बात है आप बहुत परेशान दिख रहे है।
ठाकुर :पहले तो तुम यह बताओ कि तुम शाम से कंहा थी घर पर इतना कुछ हो गया और तुम्हारा कुछ पता ही नही चला ।छूट देने का इतना भी फायदा मत उठाओ की हमे रोक लगानी पड़े।
ठकुराइन (मन मे )तेरी गांड में इतना दम कंहा अब की तू मेरा एक झांट का बाल भी सीधा कर सके ।अब तो मुझे वह मिल गया है जिसकी हमे कब से तलाश थी