ठकुराइन तो वैसे ही उससे खफा सी रहती थी और उसके आज इस तरह से बोलने की वजह से ठकुराइन का दिमाग खराब हो जाता है और वह गुस्से की घूंट पी कर रह जाती है और अपने गुस्से को दबा कर बोली
ठकुराइन:वो मा की तबियत खराब थी इसलिए मैं उसी से मिलने के लिए चली गयी थी आखिर हुआ क्या है जो आप इतना नाराज है।"
ठाकुर : किसी कुत्ते ने मेरे बेटे की मार कर हड्डी कई जगह से तोड़ दी है ।अगर मेरे बेटे की ऐसी हालत करने वाला मिल जाये तो मैं उसके पूरे खानदान कोदुनिया से उठा दूंगा और उसके घर की सारी औरते और लड़कियो को रंडी।
ठकुराइन :ओह तो यह बात है इसलिए आप इतने खफा है ।वैसे यह जानते हुए भी की पंकज आपका बेटा है उसके बाद भी उसने अगर ऐसा कदम उठाया है तो उसे पकड़ना बहुत मुश्किल है।
ठाकुर :इसीलिए तो अभी तक मैं यंहा पर बैठा हूँ वरना अब तक उसकी माँ चोद देता।
ठकुराइन :तुमको जो करना है करो बस आज कमरे में मत आना मुझे नीद आ रही है और तू आ कर अपना काम करके निकल जायेगा और रात भर मैं तड़पती रहूँगी ।
ठाकुर उसकी बात सुनकर कुछ नही बोलता क्यूंकि वह अगर इससे आगे कुछ बोलता तो वह उसे और बेइज्जत करती इसलिए चुप रहने में भलाई समझ कर वह बैठ गया और ठकुराइन अमृता के कमरे की तरफ चल दी। अम्रता आराम से अपने कमरे में बैठी हुई किताब पढ़ रही थी ।जब अंदर वह पहुची तो अमृता उसके तरफ देख कर एक बार हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली कि
अमृता :" क्यों रे मेरी रंडी मा ले आई उसका लण्ड अपनी बुर में जरा मुझे भी तो दिखा क्या हाल किया उसने मेरी प्यारी मा का।
ठकुराइन :सच बोलू यार तो उसके जैसा मर्द मैंने आज तक नही देखा साले ने एक बार मे मुझे थका दिया और आज तक इतना मजा तो मैंने किसी के साथ नही लिया।
अमृता :वाह मेरी जान एक बार मे उसका गुणगान करने लगी तू तो ।
ठकुराइन :"क्या करूँ तेरी तरह नकली लौड़ा डाल कर अपना बुर नही फाड़ ली हु की मुझे दर्द नही होगा और वैसे भी चम्पा सच बोल रही थी उसका तेरे वाले से भी बड़ा है और टाइमिंग तो पूछ मत एक बार के बाद दूसरी बार की हिम्मत तो कोई लड़की नही कर सकती।
अमृता :तो तूने उसे जाने क्यों दिया मुझे बुला लिया होता मैं भी मजे कर लेती ।तेरी वजह से इतना मस्त लौड़ा हाथ से चला गया ।पहले उस कुत्ते की वजह से मेरे दिमाग की दही बनी पड़ी है और अब यार बचा खुचा तू ले गयी।
ठकुराइन :वैसे यार तू तो पार्टी में गयी थी ना फिर तेरा दिमाग क्यों खराब है ।क्या उसने फिर तुझे कुछ बोली क्या मैं तो पहले से ही बोली थी कि मत जा लेकिन तू ही मेरी बात नही मानी।
अमृता :"नही यार सोनिया ने कुछ नही बोला वह तो बहुत प्रेम से मिली पर अचानक पार्टी में गायब हो गई और फिर उसका कुछ पता नही चला सभी बहुत परेशान थे ।
ठकुराइन :फिर तू क्यों इतना परेशान है जब वह तुझसे प्रेम से मिली तो इसका मतलब तो यही हुआ ना कि उसने पिछली बातों को भुला दिया है और उसने तुझे माफ कर दिया है।
अमृता :यार कल जबसे वह गायब हुई तबसे पंकज भी अपने चेलों के साथ गायब हो गया और बाद में उसकी ऐसी हालत में मिला और बाद में अभी कुछ देर पहले सोनिया को फोन किया था मैंने तो उसने बताया कि कुछ लोग उसे जबरदस्ती उठा ले गए थे और उसने जो जगह बताई है वह जानती हो कौन सा है।
ठकुराइन :कहि तू यह तो नही कहना चाहती कि उसे पंकज ने उठा लिया था और किसी ने उसकी यह हालत कर दी है।
अमृता : सच कहु तो मैं भी इसी बात को लेकर परेशान हु अगर ऐसा हुआ है तो सच मे बहुत मुश्किल होने वाली है और मुझे तो पक्का यकीन है यही था क्यूंकि उसने जो जगह बताई है वह अपना ही गांव है और अपने गांव में ऐसी हरकत करने वाला पंकज ओर उसके आदमियो के सिवा और कोई नही हो सकता है।
ठकुराइन :अगर ऐसा हुआ है तो सच मे बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी है क्यूंकि उसकी गिनती आज के समय मे देश के टॉप बिजनेसमैन में की जाती है ।ठाकुर जैसे लोग तो उससे मिलने को भी तरसते है और अगर पंकज ने उसपर हाथ डाला है तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी है पर मेरी समझ मे एक बात नही आ रही है कि उसकी इतनी टाइट सिक्योरिटी के बाद भी पंकज उसे कैसे उठा लिया।
अमृता :वह इसलिए क्यूंकि कल वह बिना सिक्योरिटी के ही आयी थी पार्टी में और शायद इसलिय ही पंकज ने ऐसी गलती कर दी ।
ठकुराइन :वैसे एक बात बताओगी यह किस समय की बात है ।
अमृता :यही कोई 2घण्टे पहले की बात है
ठकुराइन :तो इसका मतलब है कि पंकज को मारने वाला और सोनिया की हेल्प करने वाला और कोई नही बल्कि जय है।
अमृता :अब इसमें उस बेचारे को क्यों घसीट रही है अगर पापा जान गए तो उसका क्या हाल करेंगे तू सोच भी नही सकती।
ठकुराइन :यार सच बोलू तो तेरा बाप उसका कुछ वैसे भी नही बिगाड़ पाते और अब तो अगर गलती से भी छूने की कोशिश की तो तू सोनिया को जानती है कि वह तेरे बाप का नामोनिशान मिटा देगी।भूल गयी कैसे उसने सारे बाजार के बीच मे अपने पति के एक्सीडेंट करने वाले को गोली मार दी थी और कोई उसका कुछ नही कर पाया था और अब तो उसके पास सब कुछ है।
इधर मैं कविता दी कि बात मानकर सोने की तैयारी करने लगा लेकिन कुछ ही देर में मेरे पास सोने के लिये कविता दी आ गयी तो उन्हें देख कर बोला कि
मैं : क्या बात है दीदी है आज आप यंहा पर मेरे पास सोने के लिए।
कविता दी : क्या करूँ सोचा कि आज जब प्यार का इजहार हो ही गया तो क्यों ना आज कुछ मजा ले ही लिया जाये।
अभी वह कुछ और बोलती उससे पहले ही पीछे से सरिता दी कि आवाज आई
सरिता : मैं जानती थी साली तू कुछ ऐसा ही करने वाली थी जब तू बाहर इसके कमरे में सोने के लिए बोली तो तभी मैं समझ गयी थी।
कविता दी : हा तू तो है ही मेरी दुश्मन लेकिन याद रखना जिस दिन मौका मिला उस दिन सबसे पहले तेरी बुर में लण्ड डलवा दूँगी फिर करती रहना निगरानी।
सरिता दी (मन मे)तू क्या चुड़वाएँगी मुझे बहनों में अगर किसी का पहला हक है तो मेरा बचपन से लेकर आज तक सब कुछ तू ही पहला हक लेती आयी है लेकिन इस बार नही।
सरिता दी :चल ज्यादा मत बोल चुप चाप सो जा पहले उसे ठीक तो हो जाने दे इसके बाद जो करने का मन करे कर लेना मैं नही रोकूंगी।